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मेरा कोई ज्ञान नहीं। सारा ज्ञान ब्रह्मा से लेकर दयानंद तक के ऋषियो का तथा युधिष्ठिर मींमासकजी, भगवद्दत्तजी, उदयवीरजी, ब्रह्ममुनिजी जैसे अनेक ऋषि भक्तो का है।

जो उनसे सीखा वहीं बोल रहा हूं।

ओ३म्।

धर्मसम्राट®️ (Hindi)

धर्मसम्राट®️ एक टेलीग्राम चैनल है जो धर्म और आध्यात्मिकता से जुड़े मुद्दों पर गहराई से चर्चा करता है। चैनल के उपयोक्ता नाम "dharmasamrat" है और यहां आपको विभिन्न ऋषि, धार्मिक ग्रंथों और धर्मिक विचारों की जानकारी प्राप्त होती है।nnचैनल का विवरण कहता है, "मेरा कोई ज्ञान नहीं। सारा ज्ञान ब्रह्मा से लेकर दयानंद तक के ऋषियो का तथा युधिष्ठिर मींमासकजी, भगवद्दत्तजी, उदयवीरजी, ब्रह्ममुनिजी जैसे अनेक ऋषि भक्तो का है। जो उनसे सीखा वहीं बोल रहा हूं। ओ३म्।"nnयहां आप भारतीय धर्म, वेद, उपनिषद, रामायण, महाभारत जैसी प्राचीन ग्रंथों के बारे में ज्ञान प्राप्त कर सकते हैं और अपने आत्मा के मार्ग पर अध्ययन कर सकते हैं। इस चैनल के माध्यम से आप धार्मिक ज्ञान को अपने जीवन में उतार सकते हैं और अपनी आध्यात्मिकता को विकसित कर सकते हैं। तो जल्दी से इस चैनल को जॉइन करें और धर्मिक ज्ञान का लाभ उठाएं।

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09 Dec, 15:16


महर्षि दयानन्द के गुरु स्वामी विरजानन्द जी का परिचय। महर्षिने कैसे अपने गुरु से शिक्षा ग्रहण करी? प्रज्ञाचक्षु होते हुए भी स्वामी विरजानन्द जी ने कैसे इतने सारे शास्त्र का अध्यन किया? किस विषय पर स्वामी विरजानन्द जी ने रङ्गाचार्य जी के शिष्यो को हराया था? आर्ष और अनार्षग्रन्थ का विवेक स्वामी विरजानन्द जी को कैसे प्राप्त हुआ? विरजानन्द जी और महर्षि दयानन्द के अन्य शिष्य से सम्बन्धित सारी जानकारी के लिए यह विडिओ अवश्य देखे।

*वक्ता - Dr. ज्वलन्तकुमार शास्त्री*

Premier - Today at 9.00 PM

https://youtu.be/0dqck10ZfGM?si=sS4QF_fIzHA4FfqO

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09 Dec, 08:57


मुनि सत्यजित जी की सहायता से विशुद्धानन्द मिश्र लिखित 'वेदार्थ कल्पद्रुम' के बाकी के दो भाग उपलब्ध हो गये है।

स्वामी करपात्री के ग्रन्थ 'वेदार्थ पारिजात' के खण्डन में यह ग्रन्थ लिखा गया था। करपात्री समाज का इससे भयङ्कर खण्डन आपको नहीं मिलेगा!

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09 Dec, 07:28


पूर्वपक्ष - महर्षि दयानंद सरस्वती ने किया महर्षि कणाद और महर्षि कपिल का खण्डन। स्वामी जी ने "नासदिया सुक्त" जो कि ऋगवेद के 10 मंडल के 129 सूक्त में सात मंत्रोंका एक समूह है और जो विश्व के दार्शनिक पटल पर अपना एक अनूठा और महत्त्वपूर्ण स्थान रखता है उसके पहले मंत्र का अर्थ करते हुए कहा कि-(नासीद्रजः) उस समय परमाणु भी नहीं थे"।अब, भारतीय दर्शन को सबसे कम जानने वाला व्यक्ति भी इतना तो जानता ही है कि वैशेषिक "नित्य परमाणुवादी" दर्शन है जो परमाणुओं का विनाश नहीं स्वीकारता आप कहो कि परमाणु अपने अत्यंत सम्यावस्था में थे या कहो कि अदृश्य थे तो जो भी हो अस्तित्व तो आप उनका स्वीकार ही रहे हो। किंतु स्वामी जी ने तो लिखा है कि उस समय "परमाणु भी नहीं थे"।अब कहो कि यह तो वेद वाणी है तो ठीक,माने वैशेषिक दर्शन वेदविरुद्ध सिद्ध हुआ।

वैदिकपक्ष – प्रतीत होता है की पूर्वपक्षीओ को भारतीय दर्शन का तो छोडो, महर्षि दयानन्द के ऋग्वेदादिभाष्यभूमिका का भी सम्यक अध्यन नहीं है। नासदीय सूक्त का भाष्य करते हुए महर्षि दयानन्द स्पष्ट लिखते है की ‘दूसरा जगत का कारण अर्थात् जगत बनाने की सामग्री विराजमान थी’| इस कथन से वह जगत के उपादान कारण प्रकृति की नित्य सत्ता को स्वीकार करते है। इस लिए पूर्वपक्षी का कथन की महर्षि दयानन्द परमाणु के अस्तित्व को स्वीकार नहीं करते – यह बात छल है।

सत्व, तम और रजस की साम्यावस्था प्रकृति को महर्षि ने जगत का उपादान कारण माना है। प्रकृति से रचना का आरम्भ होने पर परिणाम होते होते किसी एक स्तर पर परमसूक्ष्म कण के रूप में पृथिवी आदि परमाणु उभर आते है। इनहीं परमाणुओ का परस्पर संयोग होने पर स्थुल पृथिवी आदि तत्त्व प्रकाश में आते है – जैसा वैशेषिककार ने माना है।

सांख्ययोग में इन सूक्ष्म पृथिवी आदिकणों का पारिभाषिक नाम विशेष है। इनहीं विशेषों को मूल मानकर कणादने अपने शास्त्र का आरम्भ किया है, इस लिए उसे वैशेषिक दर्शन कहा गया है। कणादने अपने विवेचन को पृथिवी आदि के सूक्ष्मकण तक ले जाकर छोड दिया है। सांख्य में कपिल ने उन उपादान तत्वो की अन्तिम सीमा तक विवेचना करी है।

इस प्रकार जब महर्षि दयानन्द ने जगत के उपादान कारण को नित्य स्वीकार कर लिया है तब उसके सारे विकारो का भी प्रवाह से नित्य होना स्वीकार हो जाता है। इस लिए ना वेद ने कुछ गलत बोला है, ना वैशेषिक दर्शन वेदविरुद्ध है। पूर्वपक्षी को दर्शन का सम्यक ज्ञान नहीं है, केवल यही सत्य सिद्ध होता है।

पूर्वपक्ष - अच्छा एक और चीज देखिए- स्वामी जी ने अर्थ किया है कि 'आकाश भी नहीं था' किंतु वैशेषिक तो संपूर्ण जगत का प्रलय होने पर भी आकाश का प्रलय नहीं स्वीकारता।आकाश को नित्य मानता है यह दूसरा विरोध हुआ। सांख्य का विरोध तो -"उस काल में (सत्) अर्थात् सतोगुण रजोगुण और तमोगुण मिला के जो प्रधान कहलाता है, वह भी नहीं था। ऐसा अर्थ करके कर डाला।

वैदिकपक्ष – सांख्य के विरोध का निरसन तो उपर ही कर चूके है। जब जगत का उपादान था तब प्रधान का अस्तित्व सिद्ध हो गया। कारण प्रकृति तो हंमेशा नित्य रहती है, कार्यप्रकृति प्रलायकाल में नहीं रहती – यह सामान्य बात पूर्वपक्षी ना समझ सके तो हम क्या करे? रही बात वैशेषिक की तो आकाश तत्व की नित्यता तो हम भी मानते है। लेकिन वह दार्शनिक आकाश है जो प्राकृत आकाश से भिन्न है। प्राकृत आकाश की उत्पत्ति और लय होता है लेकिन दार्शनिक आकाश नित्य रहता है।

पूर्वपक्षी - अब प्रश्न यह है कि ऋषियों में विरोध ना मानने वाले समाजी इसका क्या करेंगे?कहो कि स्वामी जी ऋषि थे तो ऋषियों में तो विरोध अपने स्वत:स्वीकार लिया और कहो कि नहीं थे तो एक सामान्य आचार्य या कुछ भी कहो एक महर्षि का खंडन कैसे कर रहा है?जब वेदांती ऐसा करते हैं तब तो आप उनके ऊपर ऋषियो के खण्डन का आरोप लगाते हो।यह दोगलापंती कैसे?

वैदिकपक्ष – पूर्वपक्षी को दर्शन का सामान्यज्ञान भी नहीं है, वह उसके मिथ्या आक्षेपो से सिद्ध होता है। उसे चाहीये की सनातनधर्म के सर्वोच्चगुरु महर्षि दयानन्द की शरण में जाये और शास्त्र का ज्ञान प्राप्त करे। केवल यही करके पूर्वपक्षी का उद्धार हो सकता है, अन्यथा नहीं।

॥ओ३म्॥

धर्मसम्राट®️

09 Dec, 05:26


*कक्षा प्रारम्भ तिथि के परिवर्तन की सूचना*
आगामी वेदांत दर्शन की कक्षा 24 दिसंबर से प्रारंभ न होकर *1 जनवरी 2025* से प्रारंभ होगी
धन्यवाद

Youtube पर ऑनलाइन
*वेदान्त दर्शन पढ़ने का अवसर*
(स्वामीब्रह्ममुनिकृत भाष्य सहित)
1 जनवरी 2025 से प्रारम्भ
समय - प्रातः 10.45 से 11.45

अध्यापक - *मुनि सत्यजित् जी*

आवेदन लिंक - https://forms.gle/bGCmAzNvCcCZsFsf7

कक्षा का सीधा प्रसारण आश्रम के Youtube चैनल पर उपलब्ध रहेगा - https://www.youtube.com/@VaanaprathaSadhakAashram/featured

आयोजक - *वानप्रस्थ साधक आश्रम*
आर्यवन, रोजड़, त.-तलोद, साबरकांठा, गुजरात-383307
दूरभाष - 9427059550, 9116356961, 8290896378.

धर्मसम्राट®️

08 Dec, 13:01


आज आर्यसमाज के स्टोल पर अभूतपूर्व भीड है।

धर्मसम्राट®️

08 Dec, 05:50


किसी ने कहां था की सात दिन के अंदर पंचतंत्र से राधा जी को सिद्ध करेंगे। सात दिन से तो ज्यादा ही हो गये!

किसी को अभी तक पंचतंत्र में राधा जी नहीं मिली।

तो क्या झूठ बोला था की पंचतंत्र में राधा जी का वर्णन है?

पंचतंत्र पर ही बोलना - अन्य किसी विषय पर हमे आलाप, प्रलाप और विलाप नहीं देखना।

धर्मसम्राट®️

08 Dec, 03:31


किसी निग्रहाचार्य नामक पौराणिक ने एक विडीओ बनाकर वेदो में मूर्तिपूजा सिद्ध करने का प्रयत्न किया है। उनके तर्क वही है जो माधवाचार्य शास्त्री, कालुराम पण्डित या करपात्री स्वामी जैसे पौराणिक आचार्य पीछले १५० साल से दे रहे है। अर्धसत्य और छलकपटयूक्त अनुवाद करके लोगो को मूर्ख बनाने का प्रयत्न किया जाता है।

इस विडीओ में निग्रहाचार्य जी के द्वारा किये गये हुए सारे दांवो की पोल खोली जायेगी।

बुधवार रात 9 बजे से

https://www.youtube.com/watch?v=C10Z4Pjw3iY

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07 Dec, 15:25


https://www.youtube.com/live/aifAsjn0j4I?si=T8iURL7QPMlvTtbK

धर्मसम्राट®️

06 Dec, 07:55


आप सब को शौर्य दिवस की शुभकामना

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06 Dec, 04:52


https://youtu.be/AUBmzmkLf10?si=wUUVZsmEbOXcwwYm

धर्मसम्राट®️

06 Dec, 03:40


इतिहास के नाम पर बौद्धो का घोटाला! कैसे भगवान शिव की मूर्ति को घोषित कर दिया भगवान बुद्ध की मूर्ति।

पुरातात्विक प्रमाणो के आधार पर इतिहास के फ्रोड का पर्दाफाश! अवश्य सुनीये। यहां केवल तथ्य रखे जायेंगे। व्यक्तिगत आलाप, प्रलाप और विलाप के बिना।

Live Saturday 9.00 PM

https://www.youtube.com/watch?v=aifAsjn0j4I

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05 Dec, 13:13


SP गांधीनगर आज आर्यसमाज के स्टोल पर पधारे थे।

धर्मसम्राट®️

05 Dec, 07:17


शंकराचार्य ने प्रमुख 9 उपनिषद का भाष्य लिखा है - बृहदारण्यकवार्त्तिकसार की भूमिका

तो फिर 11 उपनिषद के भाष्य उनके नाम से कब प्रसिद्ध हो गये?

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04 Dec, 17:41


आज घर में कुछ बच्चे आये है

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04 Dec, 12:58


गृहमंत्री श्री अमित शाह की पत्नी आज आर्यसमाज के स्टोल पर पधारे थे।

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03 Dec, 17:14


सायण का भाष्य ऊपर से महत्ववाला दिखाई देता हुआ भी वेद का यथार्थ और सीधा अर्थ नहीं है।

धर्मसम्राट®️

03 Dec, 13:46


क्या आप जानते हैं की श्रीकृष्ण जी ने अर्जुन जी को एक बार फिर से गीता का ज्ञान सुनाया था?

हम सब जानते हैं की महाभारत का अंग है श्रीमद्भगवद्गीता। यह श्रीकृष्ण अर्जुन संवाद नाम से भी जाना जाता है। गीता के 18 भीष्म पर्व से हैं, परंतु क्या आप जानते हैं की महाभारत में ही अश्वमेध पर्व में श्रीकृष्ण ने अर्जुन को पुनः एक बार गीता सुनायी है। उसका नाम उत्तर गीता अथवा अनुगीता है। गीताप्रेस की महाभारत में यह गीता अश्वमेध पर्व के अध्याय 16 से शुरू होती है। सभी को इस गीता के ज्ञान का लाभ अवश्य उठाना चाहिए।

अनुगीता की भूमिका- अर्जुन महाभारत की रणभूमि में श्रीकृष्ण के दिए हुए उपदेशों को पूर्ण रूप से स्मरण नहीं कर पा रहे थे, उन्होंने श्रीकृष्ण से विनती की वह उपदेश पुनः सुनाने के लिए। श्रीकृष्ण ज्यों का त्यो वह ज्ञान नहीं बता सकते थे, अतः उन्होंने प्राचीन इतिहास सुनना शुरू कोया। उस इतिहास के माध्यम से उन्होंने अर्जुन को श्रीमद्भगवद्गीता का सार समझाया।

धर्मसम्राट®️

02 Dec, 15:52


कुशवाहा जी के समर्थको द्वारा कुशवाहा जी को विद्वान् दिखाने के लिए कार्तिक अय्यर जी और सनातन समीक्षा के अन्य टीम मेंबर को सतत अपमानित किया जा रहां है।


सनातन समीक्षा को राजेश कुशवाहा प्राईवेट लिमिटेड बनाया जा रहां है। सनातन समीक्षा को खडा करनेवाले सब लोगो को एक एक कर के ठीकाने लगाया जा रहां है।

दर्शक और दाता मौन क्यों है?

धर्मसम्राट®️

02 Dec, 14:08


आज अहमदाबाद पुस्तक मेले में सार्वदेशिक आर्यप्रतिनिधि सभा के प्रधान जी श्री सुरेशचंद्र आर्य जी का आशीर्वाद प्राप्त हुआ।

धर्मसम्राट®️

01 Dec, 14:52


News In Gujarat के पत्रकार के साथ आर्यसमाज और महर्षि दयानंद के विषय में चर्चा हुई।

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01 Dec, 14:19


आज मुंबई समाचार के पत्रकार के साथ ‘वेद ही विज्ञान है’ इस विषय पर चर्चा हुई।

धर्मसम्राट®️

01 Dec, 02:43


https://youtu.be/lAKLINCyqJ8?si=4whRf-TnYeyUe-fI

धर्मसम्राट®️

30 Nov, 18:37


सनातन समीक्षा पर जो कल मैंने विडिओ किया था, उसका संक्षिप्त विवरण

कुशवाहा जी से लिखित उत्तर अपेक्षित है वह भी पोईंटवाईस

http://youtube.com/post/Ugkx76TAgQ9Hxd1KzFUDJGRw6FSpUQWXoZWh?si=1ue2OE_kPlZ2TvmY

धर्मसम्राट®️

30 Nov, 17:30


इस में कार्तिक अय्यर, युगंघर जी, विद्यार्थी जी, नरेन्द्र जी, सनातन रिविल्स, विज्ञानदर्शन जी आदि का नाम क्यों नहीं है?

क्या कुशवाहा जी का तात्पर्य यह है की सनातन समीक्षा खडा करने में इन लोगो का योगदान नहीं है?

अथवा इन सब का चेनल खडा करने में तो योगदान था, लेकिन क्या कुशवाहा जी यह कह रहे है की यह लोग अब सनातन समीक्षा से जुडे नहीं रहे।

अगर जुडे नहीं रहे - यह बात है तो उनको मंच नहीं देने का निर्णय किसका था? अगर उनहोंने स्वयं बंध किया तो क्या कारण था? उनको बुलाने के लिए क्या प्रयत्न किये गये?

धर्मसम्राट®️

30 Nov, 16:58


राष्ट्रीय पुस्तक मेले के उपलक्ष में आर्यसमाज ओढव द्वारा स्वामी श्रद्धानंद जी कृत ‘हिन्दू संगठन’ का गुजराती अनुवाद प्रकाशित किया गया।

धर्मसम्राट®️

30 Nov, 15:23


आज अहमदाबाद पुस्तकमेले में अफ्रिकी प्रतिनिधिमंडल से आर्यसमाज के विषय में तथा वैदिक मान्यता के विषय में चर्चा हुई।

धर्मसम्राट®️

29 Nov, 06:21


अहमदाबाद और गुजरात में आर्ष ग्रन्थ खरीदने का सुवर्ण अवसर

आर्यसमाज ने इस बार पूरी क्षमता से भाग लिया है।

शाम को मैं भी इन स्टोल पर रहुंगा। जिसे भी मिलना हो, चर्चा करनी हो - सब का स्वागत है। (फोर्म भरने की आवश्यकता नहीं है।)

धर्मसम्राट®️

29 Nov, 03:23


बाबा रामदेव ने पोर्टेबल यज्ञकुंड लोंच किया है।

यह यज्ञकुंड से यज्ञ करना बहुत सरल हो जायेगा।

लगता है योग के बाद यज्ञ भी घर घर पहुंचेगा। सभी सनातनीओ को दैनिक यज्ञ करना आवश्यक है।

https://x.com/yogrishiramdev/status/1861613419448692910?s=46

धर्मसम्राट®️

27 Nov, 12:29


स्वामी ओमानन्द जी ने किया आह्वान के झूठ का भाण्डाफोड

1. स्वामी जी ने पूछा की हम से आग्रह रखते हो की हम ट्वीटर पर उत्तर ना दें, वोट्सएप पर दें। और आप हमे उत्तर देने से पहले युट्युब पर लम्बे लम्बे विडिओ बनाते हो। क्या यह अशिष्ट आचरण आपने अपने मठो से सीखा?

2. लिखित उत्तर देने का समय नहीं है तो लम्बे लम्बे युट्युब विडिओ बनाने का समय कैसे मिल गया?

3. सदा 'हमारी परम्परा नारायण से चली है' इस का ढोल पीटनेवाले आप परम्परा पर शास्त्रार्थ करने से क्यों भाग गये? क्या आपको अपनी परम्परा की प्रामाणिकता में विश्वास नहीं है?

4. हिन्दू शब्द पर प्रमाणपत्र बांटनेवाले आप हिन्दू शब्द पर शास्त्रार्थ से क्यों डर रहे हो? क्या आप को डर लग रहा है की जैसे आपके गुरु निश्चलानन्द जी इस विषय पर हार गये थे, वैसे आप हार जाओगे? (यह दुःखती नस दबा दी करपात्रीसमाजीओ की)

5. हम तो ईश्वर के स्वरूप पर भी शास्त्रचर्चा करने के लिए सहमत हो। आप क्यों परम्परा और हिन्दू शब्द आदि से चर्चा करने से भाग रहे हो?

6. इसी आचरण के कारण करपात्री समाजी आम हिन्दूओ की दृष्टि में अपना सम्मान खो बैठे है।

7. केवल सस्ती प्रसिद्धि के लिए आपने एक संन्यासी के साथ अशिष्ट आचरण किया है, उसका दण्ड ईश्वर की व्यवस्था में अवश्य मिलेगा।

8. सस्ती प्रसिद्धि के लिए धूर्तता और छल करने का जो व्यसन लगा है आपको, उस व्यसन से मुक्त होने का प्रयत्न किजिए।

कुल मिलाकर आह्वान को कहीं का नहीं छोडा!

https://x.com/acharya_omarya/status/1861741729365528951

धर्मसम्राट®️

27 Nov, 06:02


आज इस विषय पर रात को 9.30 बजे श्री कलियुग योगी जी के साथ चर्चा है। अवश्य सुनें।

https://www.youtube.com/live/8iWU97Dltsc?si=tTo9bstMpqKw9aPG

धर्मसम्राट®️

26 Nov, 16:10


क्या महर्षि दयानंद जातिवादी थे?

सारे आक्षेप का उत्तर

https://www.youtube.com/live/DbQLhrr0IyA?si=8kgNLvync4WZoeUY

धर्मसम्राट®️

26 Nov, 12:14


आखिर आह्वान पांचवी बार शास्त्रार्थ करने से भाग गया।

यह उसका पांचवा पलायन है। करपात्रीसमाजीओ में पलायन करना परम्परा से प्राप्त है। पांच बार उसके पास बहाने बहुत थे शास्त्रार्थ नहीं करने के!

जरा सोचो - पांच पांच बार कोई व्यक्ति शास्त्रार्थ से क्यों भागेगा?

और काठ की हांडी बार बार नहीं चडती!

धर्मसम्राट®️

26 Nov, 10:01


सुना है आह्वान Live करनेवाले है।

उनकी लाईव में क्या होगा, चलिए देखते है

१. सर्वशक्तिमान् ईश्वर और ईश्वर का स्वरूप दोनों एक ही विषय है। इस लिए हमने आपके विकल्प से ही चुनाव किया था। (जब की में २ घण्टे केवल इस विषय पर बोल सकता हूं की दोनों एक विषय नहीं है।)

२. हिन्दू शब्द पर मैं चर्चा नहीं करुंगा, क्योंकि मैं आचार्य नहीं हूं। (वास्तव में इस विषय पर चर्चा करने में उसे डर लग रहा है।)

३. वेदभाष्य पर चर्चा करना तो मेरे गुरु की भी क्षमता से बहार था, मुझ से तो चर्चा कैसे होगी?

मैं खाली सर्वशक्तिमान् ईश्वर पर ही बात करुंगा क्योंकि उस पर आप कितना भी तार्कीक उत्तर दों, मैं बोल दूंगा की मुझे समझ नहीं आया। और जलेबी बना सकता हूं। बाकी विषयो पर चर्चा करने में तो नानी याद आ जायेगी।

यह रोनाधोना उसका २/३ घण्टे चलेगा, और घुमा फिराकर यही बात होगी की - आर्यसमाजीओ मुझे माफ करो, हम आप से चर्चा नहीं करेंगे। (हमे बहुत डर लगता है।)

अब तो उसके डायलोग भी सेम हो गये है! भागेगा वह शास्त्रार्थ से - भगोडा!

धर्मसम्राट®️

26 Nov, 04:30


इस की कडी निन्दा करता हूं

धर्मसम्राट®️

26 Nov, 02:21


कुछ मित्रों से यह सूचना प्राप्त हुई है की सनातन समीक्षा के कुशवाहा जी का यह कथन है की मेरी उनके साथ “मूर्तिपूजा से मोक्ष होता है की नहीं” इस विषय पर
जो चर्चा हुई थी, वह सार्वजनिक करी जायेगी।

मेरी प्रतिक्रिया

वह स्ट्रीम कुशवाहा जी की चेनल पर करी थी और वह स्ट्रीम का क्या करना है वह कुशवाहा जी ही निश्चित करे - हम कौन होते है बोलनेवाले?

उपरोक्त चर्चा सार्वजनिक रहे, उससे ना हमें पहले समस्या थी ना अब समस्या है। वास्तव में वह चर्चा होने के बाद विज्ञानदर्शन मोहित गोड जी ने फोन करकर मुझे बताया था की वह चर्चा करने के बाद सनातन समीक्षा जी असहज है। दो सनातनी ऐसे लडे वह ठीक नहीं है। यह चर्चा विषय भटकायेगी। वैसे भी सनातन समीक्षा का विषय मोक्ष आदि नहीं है। इस लिए अच्छा होगा की वह स्ट्रीम प्राईवेट करी जाये।

अब भी जब मोहित जी से बात होती है तब वह यही कहते है की सनातन समीक्षा जितना भी कार्य कर रहां है अपने क्षेत्र मे वह प्रशंसनीय है। (यह बात अलग है की वहां रिसर्च कम और नौटंकी ज्यादा होती है अब।)

मोहित जी मेरे छोटाभाई है और सुहृद है। मैं अपने मित्र और शुभेच्छको की सलाह मानता हूं। ईश्वर की कृपा से अभी तक इतना अभिमान नहीं प्राप्त हुआ है की सब की सलाह दरकिनार कर अपनी ही हठ को पकड रखुं।

और धर्म का लाभ होता हो, तो हम जान देने को तैयार है, युट्युबबाजी तो छोटी बात है।

इस लिए उस समय मैंने मोहित जी को कहां था की आपको जो ठीक लगे वह बात आप कुशवाहा जी से करो। मैं उसे स्वीकार कर लूंगा। इस प्रकार मोहित जी के आग्रह पर स्ट्रीम प्राईवेट करना मैंने स्वीकारा था।

अभी भी मेरा दृढ विश्वास है की उस चर्चा में मेरा पक्ष ही मजबूत था। इस लिए उक्त स्ट्रीम के पब्लिक होने से मुझे क्या समस्या होगी? बिना कांटछाट के वह स्ट्रीम पब्लिक हो वह सही है।

हमारे पास भी रेकोर्डिंग है। अगर स्ट्रीम में कांटछाट हुई तो पता अवश्य ही चल जायेगा।

मैं सत्य से बंधा हुआ हूं। व्यक्तिगत आक्षेप ना पहले विचलित करते थे ना अब करते है। कोई Academic बिन्दू होगा तो उत्तर देने का प्रयास करुंगा। वैसे भी पंचतंत्र वाले विषय पर सनातन समीक्षा ने पीछेहठ करके हमारी बात स्वीकार कर ही ली है की प्राचीन पांडुलिपिओ में राधा जी का नाम नहीं है। हमारा उद्देश उनके रिसर्च में दोष बताना था, वह दोष का स्वीकार उनहोंने कर लिया है।

बाकी मुझ पर निजि टिप्पणी करनेवालो पर ईश्वर की कृपा बनी रहे - वही प्रार्थना है।

धर्मसम्राट®️

26 Nov, 02:12


पौराणिक हिन्दूधर्म में वेद केवल पूजा जाता है, व्यवहार में प्रयोग शून्य है।

धर्मसम्राट®️

25 Nov, 17:14


शिवांश नारायण द्विवेदी के झूठ की खोली पोल

शिवांश ने कहां की हमने “ईश्वर के स्वरूप” पर शास्त्रार्थ करने के लिए सहमती दी थी। आचार्य जी ने उसी के पत्र का हवाला देकर दिखाया की “आपने सर्वशक्तिमान ईश्वर विषय का प्रस्ताव दिया था - जो विकल्प में था ही नहीं।”

हिन्दू शब्द पर चर्चा से भागने पर स्वामी जी ने कहां की - आप की चेनल पर विडियो है की “हिन्दू शब्द का विरोध करनेवाले वेदविरोधी है”। अगर इस विषय में अध्यन नहीं है तो विडियो बनाकर वेदविरोधी होने का प्रमाणपत्र क्यों बांटा? और अध्यन है तो चर्चा से क्यों भाग रहे हो?

आगे पूछा की महर्षि के वेदभाष्य पर प्रश्न करते घुमते हो। जब चर्चा के लिए बुला रहे है तब क्यों नहीं आ रहे?

आचार्य जी ने कहां की आशा है की इस बास शास्त्रचर्चा के लिए आकर आप जो लोग आपको भगोडा कहते है उनका मुंह बंध कर देंगे। 😂😂😂😂


कुल मिलाकर आह्वान को कहीं का नहीं छोडा। 😂😂😂😂

लिंक - https://x.com/acharya_omarya/status/1861093617160634563?s=46

धर्मसम्राट®️

25 Nov, 08:20


शिवांश नारायण द्विवेदी का रोना हुआ विफल - ट्वीट करके स्वामी ओमानंदजी बोले की लिखित स्वीकृति या उत्तर भेजो!

शिवांश नारायणने पहले शास्त्रार्थ करने से मना किया और शास्त्रचर्चा करने को बोला। वह स्वीकार करते हुए शिवांश नारायण को शास्त्रचर्चा के लिए विषय दिए गये, उसमें से विषय का चुनाव ना करते हुए शिवांशने नया विषय रखा चर्चा के लिए।

शिवांश के विषय को स्वीकार करते हुए स्वामीजीने साथ में और दों विषय भी चर्चा के लिए रखे - जिस पर शिवांश डर गया।

कल लाईव करके बहुत रोया - लेकिन उसका रोना विफल गया। स्वामी जी ने स्पष्ट कहा की अपना लिखित स्वीकृति भेजो जिससे हमे लखनऊं आने की ट्रेन की टीकीट आरक्षित करने का पता चले।

मेरी प्रतिक्रिया

शिवांश नारायण 'आह्वान' गोल गोल जलेबी बनाते हुए पत्र लिखेगा, जिसका सार यही होगा की हम शास्त्रचर्चा नहीं करेंगे!

https://x.com/acharya_omarya/status/1860959552587321649

धर्मसम्राट®️

25 Nov, 05:42


सायणभाष्य के दोष

ऋग्वेद के मन्त्र १०.७३.५ के भाष्य में आचार्य सायण लिखते है की “आभिः प्रजाभिर्निमित्त॰”।

यह अपपाठ प्रतीत होता है। यहां प्रजा के स्थान पर प्रज्ञा शब्द होना चाहीये क्योंकि माया शब्द का अर्थ प्रज्ञा - यह स्वीकृत अर्थ है।

वेंकटमाधव ने भी यहां प्रज्ञाभिः अर्थ किया है।

क्या सायण ने गलती करी है? या संपादन में गलती हुई है?

धर्मसम्राट®️

25 Nov, 04:17


अभिमान किसी का नहीं टीका है।

सनातन समीक्षा एक अच्छी रिसर्च संस्था थी। अब केवल अभिमान ही शेष बचा है - रिसर्च शून्य है।

एक व्यक्ति का अहंकार सब ले डूबा।

धर्मसम्राट®️

24 Nov, 08:12


जैसा पहले कहा था - एक समय ‘सनातन समीक्षा’ अच्छी रिसर्च करने के लिए जानी जाती थी। अब रिसर्च नामशून्य हो चूका है और अहं ज्यादा हो चूका है।

ईश्वर आप को सद्बुद्धि दे। 🙏🙏🙏🙏

धर्मसम्राट®️

24 Nov, 03:16


स्वामी ओमानंद सरस्वती ने लगाई शिवांश नारायण द्विवेदी “आह्वान” की क्लास

1. शास्त्रार्थ आर्यसमाज भवन में ही होगा। जब तीन बार आर्यसमाज के मंदिर में जाकर (वह भी बिना बुलाए) आप चर्चा कर सकते हो तो चोथी बार आने में डर कैसा?

वैसे भी जगह पर आपकी बात मानते हुए आबू के स्थान पर लखनऊ में शास्त्रार्थ करना स्वीकार हमने कर ही लिया है।

2. परंपरा पर आह्वान की टिप्पणी का उत्तर देते हुए कहां की हमे भी शंकराचार्य की परंपरा पर प्रश्न है जिसके उत्तर हमको नहीं मिले है। अभी भी आप को परंपरा पर प्रश्न है तो आप की और हमारी परंपरा पर शास्त्रार्थ कर लेते है। आप हमे प्रश्न करना और हम आप को करेंगे। इस विषय पर शास्त्रार्थ से मना आपने ही किया था।

3. सर्वशक्तिमान ईश्वर पर आप की चर्चा अनेक बार हो चूकी है। दोनों का पक्ष सार्वजनिक है। निष्पक्ष श्रोता उसे सुनकर अपना मत बना सकता है। एक ही विषय पर कितनी बार बोलना है?

4. मुख्य विषय रहेंगे “हिन्दू शब्द की प्रामाणिकता” और “महर्षि दयानंद, सायणाचार्य, महिधर, स्वामी करपात्री आदि के वेदभाष्यो की प्रामाणिकता” - इन विषय पर चर्चा करने से आप क्यों भाग रहे हो? पहले इन पर चर्चा करो, फिर सर्वशक्तिमान ईश्वर पर भी चर्चा होगी। हम सर्वशक्तिमान विषय पर चर्चा करने से मना नहीं कर रहे।

5. आह्वान के इस झूठ की भी पोल खोली की आर्यसमाज की अधिकृत व्यक्तिओ ने कभी उनका संपर्क नहीं किया। गुजरात आर्य प्रांतीय सभा तथा सार्वदेशिक आर्यप्रतिनिधि सभा के प्रधान से आह्वान की स्वयं बात हुई थी शास्त्रार्थ के लिए - जो बात वह छीपा रहां है

6. अगर आर्यसमाज से अधिकृतपत्र चाहीये तो आप भी मठ से अधिकृतपत्र लिखवाकर लाओ।

कुल मिलाकर स्वामी जी ने आह्वान के हर बहाने की पोल खोल डाली है।

मेरा आकलन

वह बहाने बनाकर शास्त्रचर्चा के लिए भी मना कर देगा
। क्योंकि विडियो बनाना एक बात है और चर्चा करना दूसरी बात है।

चर्चा नहीं करने के लिए वह जो बहाना बनायेगा, केवल उसकी प्रतीक्षा करो।

स्वामी जी का ट्वीट - https://x.com/acharya_omarya/status/1860513538214887884?s=46

धर्मसम्राट®️

20 Nov, 02:37


वेद में विज्ञान
वेद ही विज्ञान

आज की स्ट्रीम पर अवश्य जुडिये

आज रात ८.०० बजे से

https://www.youtube.com/live/MrT8Z_zcRv0?si=nrUrw6GSG3MhsWjj

धर्मसम्राट®️

19 Nov, 18:58


आज की सार्थक चर्चा के लिए @Manuvadii को हार्दिक धन्यवाद।

छलकपट, ड्रामा, व्यक्तिगत आक्षेप और ट्रोलिंग की परवाह किये बिना अपने पक्ष पर टीके रहे। सप्रमाण अपनी बात रखी और सामनेवाले के पक्ष को ध्वस्त कर दिया।

चर्चा नटराज जी के साथ निश्चित करी थी। लेकिन कुशवाहा जी को नियम के विरुद्ध चर्चा में कूदना पडा। वह उनका नटराज जी के प्रति अविश्वास, नटराज जी में चर्चा करने की योग्यता का अभाव और @Manuvadii जी के प्रभाव को व्यक्त करता है। 3 v/s 1 का मुकाबला था, लेकिन फिर भी मनुवादी सब पर भारी पडा।

बिच में कुशवाहा जी का मध्यस्त को डाँटना, इधर उधर की चेट दिखाकर विक्टिमकार्ड खेलना - इत्यादि अपेक्षित ही था। वैसे भी उनकी लाईव में मेलोड्रामा, विक्टिमकार्ड और ट्रोलिंग नीकाल दो तो अब कुछ खास शेष नहीं रहता।

राधा को महाभारतकाल का सिद्ध करने में सनातन समीक्षा पूर्णतः विफल रही। उनके दिए प्रमाण ज्यादा से ज्यादा ५/६ शताब्दि तक के है और वह भी अन्वेषणीय है। कल्पना कितनी भी प्राचीन हो, वह कल्पना ही रहती है। उसे सत्य मानने की जिद्द करना मूर्खता ही है।

प्रिय अनुज @Manuvadii को अपनी बात सफलता से रखने की खुशी में मेरी तरफ से 'Coinages in Ancient India' सप्रेम भेंट। खूब पढो और रिसर्च करो।

जैसा पहले कहा था - एक समय ‘सनातन समीक्षा’ अच्छी रिसर्च करने के लिए जानी जाती थी। अब रिसर्च नामशून्य हो चूका है और अहं ज्यादा हो चूका है।

धर्मसम्राट®️

19 Nov, 04:40


क्रिटिलक एडिशन BORI ने भी माल्यार्पणवाले श्लोक फूटनोट में रखे है, जो उसे प्रक्षिप्त सिद्ध करता है।

आश्चर्य की बात यह है की महाभारत के इस प्रसङ्ग से शिवलिङ्गपूजा सिद्ध करनेवाली सनातन समीक्षा रिसर्च टीम ने Critical Edition भी नहीं देखी होगी क्या?

धर्मसम्राट®️

19 Nov, 04:18


नटराज जी का पूरा उत्तर वाक्छल का बहुत उमदा उदाहरण है। चलिए उनके छल देखते है।

१. कलियुग योगी द्वारा प्रश्न वाल्मीकि रामायण पर किया गया था। जिसका कोई उत्तर नटराज जी द्वारा नहीं दिया गया। विषयांतर कर लिया।

२. माहेश्वर शिव ऐतिहासिक थे। इस लिए उनका वर्णन रामायण या महाभारत जैसे इतिहासग्रन्थो में होना स्वाभाविक है। जितने श्रीराम और श्रीकृष्ण ऐतिहासिक थे - उतने ही महादेव शिव ऐतिहासिक थे। अब मनुष्य साकार ही होते है, निराकार नहीं।

३. आयातन या चैत्य शब्द का अर्थ अमरकोशकार तक ने यज्ञशाला किया है। अमरकोश गुप्तकाल की रचना है। इस से यह सिद्ध होता है की गुप्तकाल तक चैत्य शब्द यज्ञशाला के लिए ही प्रचलित था। (See Image 1)

४. महाभारत के वनपर्व में अर्जुन की किराट से भेंट होती है वह सारा वर्णन मानुषी है। वहां जो शिव थे वह मनुष्य ही थे - महाभारत से स्पष्ट है। और वहां अर्जुन ने शिवलिंग की पूजा नहीं करी थी - जैसा दांवा लोगो द्वारा किया जाता है।

वास्तवमें महाभारत के प्राचीन संस्करणों में तो अर्जुन द्वारा शिव जी को माला या फूल चढाने का वर्णन भी नहीं है। (Image 2)

गीताप्रेस - जिसने यह वर्णन लिखा है, वहां पर भी शिवलिंग नहीं परंतु स्थण्डिल शब्द है। जिसका अर्थ गीताप्रेस ने वेदी किया है। परंतु चबूतरा अर्थ ज्यादा सही है।इससे स्पष्ट होता है की अर्जुन ने ऐतिहासिक शिव को चबूतरे पर बिठाकर माला पहनायी थी। शिवलिंग पूजा नहीं करी थी।

और महाभारत के प्राचीन संस्करणों में तो माला पहनाने की घटना है ही नहीं।

एक समय ‘सनातन समीक्षा’ अच्छी रिसर्च करने के लिए जानी जाती थी। अब रिसर्च नामशून्य हो चूका है और अहं ज्यादा हो चूका है।

क्या कारण होगा?

धर्मसम्राट®️

18 Nov, 04:13


सन 1964 में अमृतसर में स्वामी करपात्री जी ‘सर्व वेदशाखा सम्मेलन’ का आयोजन करते है। उसमें अपना निबंध पढने के लिए पं. युधिष्ठिर मीमांसक जी को आमंत्रित किया जाता है।

परंतु मंच पर से उनके सामने महर्षि दयानंद के भाष्यो का खंडन किया जाता है और शास्त्रार्थ की चुनौतीया दी जाती है। बिना किसी पूर्व तैयारी के मीमांसक जी शास्त्रार्थ करना शुरु कर देते है।

17 और 18 नवंबर दो दिन - कुल 8 से 9 घंटे तक आसपास शास्त्रार्थ चलता है।

एक तरफ पं. युधिष्ठिर मीमांसक अकेले थे और दूसरी तरफ स्वामी करपात्री, पुरी शंकराचार्य श्री निरंजनदेव तीर्थ और अन्य १०-१२ पंडित थे। पंडित युधिष्ठिर मीमांसक जी अकेले करपात्री समाजीओ को परास्त करते है।

इस शास्त्रार्थ की 60 वी वर्षगांठ पर, इस शास्त्रार्थ से जुडे रोचक तथ्य अवश्य जाने।

वक्ता - पं ज्वलंतकुमार शास्त्री जी

Premiers today at 9:00 PM

https://youtu.be/7ocyB49bwTw?si=yrbrFAPGUHDo8Sbu

धर्मसम्राट®️

17 Nov, 12:36


https://youtube.com/shorts/Vdx8o9qIhtE?si=T-UdbZ0f-YbOPajw

धर्मसम्राट®️

15 Nov, 17:56


सायणने ऋग्वेद 6.66.1 के भाष्य में पृश्नि शब्द का अर्थ अंतरिक्ष किया है।

धर्मसम्राट®️

15 Nov, 09:19


करपात्री समाजीओ की आदत है की शास्त्र के नाम से सदा झूठ बोलते है।

उनका एक झूठ है की स्त्रिओ को संन्यास का अधिकार नहीं है। इसके समर्थन में वह मनुस्मृति का वचन दिखाते है। लेकिन समग्र मनुस्मृति में संन्यास का निषेध कहीं नहीं है।

वास्तव में महाभारत के शान्तिपर्व के अध्याय ३२० में सुलभा नामक एक संन्यासीनी का भी वृतान्त मिलता है। इस महिलाने राजा जनक के साथ ब्रह्मविद्या विषय पर शास्त्रार्थ किया था। माता सुलभा ने सुलभाब्राह्मण की भी रचना करी थी।

इस से यह सिद्ध होता है की स्त्रिओ को संन्यास का अधिकार है। तथा मनुस्मृति में आप्तपुरुषो के आचरण को धर्म माना है। माता सुलभा आप्त होने के कारण उनका आचरण भी धर्म के लिए प्रमाण है। इस लिए स्त्रीओ का संन्यास अधिकार सिद्ध होता है।

करपात्रीसमाजी जब भी शास्त्र की बात करे, वह झूठ बोल रहा है - यह बिना सङ्कोच के मान ही लो।

धर्मसम्राट®️

14 Nov, 11:58


एक युग का आज अन्त हुआ। पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानीत और गुजरातीभाषा में वेद का अनुवाद करनेवाले श्री दयालमुनि आर्य जी का आज निधन हो गया।

ईश्वर उनहें सद्गति दें।

॥ओ३म् शम्।।

धर्मसम्राट®️

14 Nov, 01:44


करपात्रसमाजीओ ने भागने की परंपरा कायम रखी!

कह रहां है की हमे बिचौलियो द्वारा संदेश दिया गया। जब की शास्त्रार्थ का ट्वीट स्वयं स्वामी ओमानंद ने किया था और शिवांश को टेग कर के किया गया था। 😂😂😂

लिंक - https://x.com/acharya_omarya/status/1856673120515657748

हर बार भागने का नया बहाना होता है। बस भागना सत्य होता है।

हमारा काम तुम्हारी पोल खोलना है, तुम्हे संदेश पहुंचाना नहीं।

अगर तुम विद्वान होते तो पत्र पर लिखे नंबर या ट्वीटर पर सीधी ही वार्ता स्वामी जी से कर लेते। लेकिन करपात्री समाजी विद्वान् हो तब ना!

तुम शास्त्रार्थ नहीं करोगे क्योंकि तुम से शास्त्रार्थ होता नहीं।

धर्मसम्राट®️

13 Nov, 15:46


https://www.youtube.com/watch?v=FkUXYSBw8r8

धर्मसम्राट®️

13 Nov, 12:30


आबू गुरुकुल के स्वामी ओमानन्द द्वारा शिवांश नारायण द्विवेदी को ३ महिने पहले शास्त्रार्थ की चुनैति दी गयी थी, लेकिन उनका कोई उत्तर नहीं आया था। सोशियल मिडिया पर प्रेशर बढने के बाद, शिवांश ने शास्त्रार्थ की स्वीकृति दी है।

स्वामी जी ने शिवांश को अपने गुरुकुल आबू बुलाया था, लेकिन शिवांश की इच्छा है की लखनऊ में शास्त्रार्थ हो। स्वामी जी द्वारा यह शर्त स्वीकार कर ली गयी है।

आज ट्वीट करके उनहोंने अपना स्वीकारपत्र भेजा है।

गुरुकुल के मान्य विद्वान के साथ शिवांश को शास्त्रार्थ करने के लिए ६ डिसम्बर से ९ डिसम्बर तक की कोइ तारीख पसन्द करने को कहा गया है। तथा शास्त्रार्थ स्थल के लिए उत्तरप्रदेश आर्य प्रांतीयसभा के कार्यलय का प्रस्ताव दिया गया है।

स्वामी जी के ट्वीट की लींक - https://x.com/acharya_omarya/status/1856673120515657748

मेरा अनुमान है की शिवांश शास्त्रार्थ नहीं करेगा। पहले की तरह बहाने बनाकर भाग जायेगा।

अभी तक वह निम्न शास्त्रार्थ चुनैतीओ से भाग चूका है।

१. ऋषि उवाच के साथ शास्त्रार्थ करने से पलायन
२. आर्य समाज ओढव के साथ शास्त्रार्थ करने से पलायन
३. गुजरात प्रांतीय सभा के साथ शास्त्रार्थ करने से पलायन
४. विज्ञान दर्शन के साथ शास्त्रार्थ करने से पलायन

यह उनका 5 वां पलायन हो सकता है। बस इस बार बहाना कौनसा रहेगा, वह देखना पडेगा!

धर्मसम्राट®️

13 Nov, 07:05


आप सभी को तुलसीविवाह की शुभकामना।

आज ही के दिन विष्णु ने शङ्खचूड की विधवा पत्नी तुलसी से विवाह किया था।

धर्मसम्राट®️

12 Nov, 14:12


सनातनधर्म की रक्षा के लिए यह करपात्रवाद को जड से उखाडना आवश्यक है!

https://www.livehindustan.com/national/protest-on-dalits-entry-in-temple-pratima-shifted-on-another-place-201731317093623.html

धर्मसम्राट®️

12 Nov, 05:01


मैं पुरी शंकराचार्य को अपना गुरु मानने से अस्वीकार करती हूं - प्रो. वंदना शर्मा, PhD in अद्वैत वेदान्त

लींक - https://www.instagram.com/reel/DCQjOy_hyIW/?igsh=MXBlY2tzYzMzMGp1

शंकराचार्य के अनुयायीओ की लज्जास्पद हरकत। स्त्रिया वेद पढ सकती है यह बोलने पर दी जान से मारने की धमकी। त्रस्त DU प्राध्यापिका ने ठुकराई शंकराचार्य की दिक्षा

धर्मसम्राट®️

12 Nov, 04:37


सत्यम् का दांवा है की वह शास्त्रार्थ की बात करने के लिए मध्यस्थ था। मध्यस्थ के लिए दोनों पक्ष की सहमती आवश्यक है। शास्त्रार्थ के पक्षकार - मोहित गौड की सम्मती का प्रमाण दे जहां मोहित ने सत्यम् को मध्यस्थ माना हो!

अगर दोनों पक्ष की सम्मती नहीं है तो आप मध्यस्थ कैसे हुए? किसके हुए?

आप शिवांश के पक्ष से चर्चा करने आये थे। और उनके संदेश लानेलेजाने का कार्य करते थे। जो स्पष्ट करता है की आप शिवांश के प्रतिनिधि थे। और उनके स्ट्रीम पर भी आप बैठे थे जो सिद्ध करता है की आप उनकी ही तरफ से हो। आप इससे पूर्व भी शिवांश की चेनल पर स्ट्रीम कर चूके हो - जो सिद्ध करता है की आप उसके ही पक्ष के हो। तो आपने किस आधार पर स्वयं को मध्यस्थ घोषित किया?

ना आचार्य प्रशान्त ना मोहित गौड ने आपको अपना प्रतिनिधि माना है।

तो शिवांश की टीम में होते हुए भी स्वयं को मध्यस्थ घोषित करने का छल क्यों किया?

अगर मोहित गौड ने आपको मध्यस्थ माना हो - उसका कोई प्रमाण आपके पास नहीं है तो यह स्पष्ट है की आपने झूठ बोला है। तो अपने कथन अनुसार टेलिग्राम चेनल कब उडा रहे हो?

सत्य यह है की आप लोग शास्त्रार्थ से भाग रहे हो और इस लिए झूठे बहाने बना रहे हो।

धर्मसम्राट®️

09 Nov, 09:23


स्वामी करपात्री के भक्त अनन्त त्रिपाठी @advait190 जी शास्त्रार्थ शास्त्रार्थ चिल्लाते आये।

लेकिन पहली शर्त रखी के शास्त्रार्थ शास्त्र के आधारपर नहीं होगा। 😂😂😂

हमने बोला वीसी में चर्चा करने आ जाओ - स्वामी करपात्री के भाष्य में जो गौवंशहत्या का समर्थन मिलता है, उस पर बात करेंगे।

लगभग १२ मिनिट चर्चा हुई - श्री अनन्त त्रिपाठी जी ने व्यक्तिगत आक्षेप किये, हमे मूर्ख कहां, न्याय पढाया, व्याकरण पढाया - बस खाली जो विषय था उस पर कुछ नहीं बोला।

आखिर विषय से बात करने में यह करपात्रसमाजी इतने डरते क्यों है?

https://www.youtube.com/watch?v=Y2IxnVGwCwg

धर्मसम्राट®️

09 Nov, 05:41


स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने स्वीकारी महर्षि दयानंद सरस्वती के सिद्धान्तो की श्रेष्ठता।

कहां शाकाहारी लोग महर्षि दयानंद के अनुयायी बने।

यही आर्य सिद्धान्त है। शाकाहारी सात्विक लोग महर्षि दयानंद के अनुयायी बनते है और मांसाहारी तामसी लोग गौहत्या समर्थक स्वामी करपात्री जी के।

धर्मसम्राट®️

09 Nov, 04:23


इसके पहले भी यह आबु गुरुकुल के आचार्य स्वामी ओमानंद सरस्वती की चुनौति से भी भाग चुका है।

धर्मसम्राट®️

09 Nov, 03:00


परंपराप्राप्त छपरी!

कितने डरपोक होतै है यह लोग! 😂😂😂

हम तो शंकराचार्य से भीड लिए और हरा दिये और इनका देखो।

धर्मसम्राट®️

08 Nov, 17:05


निघंटु अनुसार योनि शब्द का अर्थ गृह अर्थात घर होता है।

धर्मसम्राट®️

08 Nov, 15:18


धर्मसम्राट®️ pinned Deleted message

धर्मसम्राट®️

08 Nov, 02:40


वैष्णव-शैव आदि संप्रदाय स्वदृष्टि और स्वव्याख्या के अनुसार ही वेद का प्रामाण्य स्वीकारते है, विशुद्ध वैदिक दृष्टि ते अनुसार नहीं।

धर्मसम्राट®️

07 Nov, 17:17


परंपराप्राप्त आचार्य

अच्छा है हम वैदिक है।

धर्मसम्राट®️

07 Nov, 09:38


आज हमे पुत्ररत्न की प्राप्ती हुई। यह बात अलग है की यह पुत्र थोडा नालायक है। आप इसे पीट सकते है।

धर्मसम्राट®️

07 Nov, 09:16


महाभारत शांति पर्व अध्याय 327 श्लोक 44 से 49 में महर्षी वेद व्यास जी ने अपने शिष्यों को किस प्रकार वेद अध्ययन करना और किसको कराना चाहिए उसका उपदेश में बता रहें हैं की चारों वर्णों को वेद अध्ययन अवश्य करना चाहिए ऐसा उपदेश देना ब्राह्मणों का कर्तव्य है।

और चारों वर्णों में तो शुद्र कुल भी आते हैं अर्थात इन्ही के परंपरा प्राप्त गुरु व्यास जी शुद्र कुल के व्यक्ति का भी वेद अध्ययन अधिकार मानते थे। 😁😁

साथ में व्यास जी यह भी लिखते हैं की जो व्यक्ति का मन नियंत्रण में न हो और ब्रह्मचर्य का पालन न करता हो ऐसे व्यक्ति का वेद पढ़ने का अधिकार नहीं है और यह बात चारों वर्णों के ऊपर भी लागू होता है ब्राह्मण के ऊपर भी।😂😂

धर्मसम्राट®️

07 Nov, 08:43


महर्षि दयानन्द सरस्वती जी के २००वें जन्मोत्सव के उपलक्ष्य में राष्ट्र रक्षा सभा द्वारा आयोजित
सनातन गुजरात केसरी मल्लयुद्ध कुश्ती प्रतियोगिता दंगल
दिनांक 17नवम्बर 2024 एवं
राष्ट्र रक्षा संस्कार शिविर
दिनांक 15-16 नवम्बर 2024
प्रथम पुरस्कार - 31000
द्वितीय पुरस्कार -21000
तृतीय पुरस्कार -11000
इसके अतिरिक्त 5000 और 7000 की छोटी कुश्तियां भी होंगी।

वंदे मातरम् नमस्ते जी!

आप सभी सनातनी गुजरात वासी राष्ट्र भक्तों को सूचित किया जाता है कि गुजरात में अभूतपूर्व ऐतिहासिक प्रथमवार सनातन गुजरात केसरी मल्लयुद्ध कुश्ती प्रतियोगिता दंगल का आयोजन मेहसाणा जिला के कड़ी में किया जा रहा है।
अतः आप सभी सनातनी पहलवान इस दंगल में सादर आमंत्रित हैं।
दिशानिर्देश:-
➡️ इनामी कुश्तियां प्रतिदिन 15,16 नवम्बर शाम 3:30 बजे से शुरू हो जाएगी। और 17 नवम्बर को सनातन गुजरात केसरी का मंचीय कार्यक्रम के समय फाइनल होगा।
➡️ 17 नवम्बर फाइनल सनातन गुजरात केसरी में मुख्य अतिथि व विशिष्ट अतिथि द्वारा हाथ मिलवायेंगे और विजेता को सम्मानित किया जाएगा।
➡️ शिविरार्थी पहलवान गुजरात निवासी होना चाहिए।
➡️ ओप्पन में पहलवान इस प्रतियोगिता में भाग ले सकेंगे।
➡️ प्रत्येक प्रतिभागी पहलवान को राष्ट्र रक्षा संस्कार शिविर के अनुशासन में रहना होगा।
➡️ अनुशासनहीन व व्यसनी खिलाड़ी कुश्ती में भाग नहीं ले सकेंगे।
➡️ अनुशासन में अव्वल खिलाड़ी को अतिरिक्त प्रोत्साहन दिया जाएगा।
➡️ प्रत्येक खिलाड़ी को गुरु जनों का सम्मान करते हुए शिविर की दिनचर्या में चलना होगा।
➡️ शिविर में सनातन धर्म विषय को अनुशासन में रहते हुए जानना होगा।
➡️ शिविर के उपरान्त परीक्षा परिणाम घोषित किया जाएगा।
➡️ अपने साथ आधार कार्ड पासपोर्ट साइज दो फोटो, खेल प्रमाण पत्र व स्कूल प्रमाण पत्र, जन्म प्रमाण पत्र साथ लाएं।
➡️ऋतु अनुकूल कपड़े आवश्यक वस्तु,लंगोट अनिवार्य रूप से, कॉपी पेन साथ लेकर आएं।
➡️ शिविर में भाग लेने वाले प्रतिभागी ही इस प्रतियोगिता में भाग ले सकेंगे।
➡️ रजिस्ट्रेशन की अंतिम तिथि 14 नवम्बर 2024 शाम तक।
➡️ प्रतियोगिता में भाग लेने वाले प्रतिभागी 14 नवम्बर को शाम तक पहुंच जाएं।

शिविर स्थल:- पंडित दीनदयाल उपाध्याय छात्रालय सेवा सदन बुडासन कड़ी।
दंगल स्थल:-सी.एन.कॉलेज़ थोड़ रोड़ कड़ी जिला मेहसाणा गुजरात।
निवेदक
आचार्य सहदेव जी
(अध्यक्ष राष्ट्र रक्षा सभा)
आचार्य राजकिशोर जी
(महामंत्री राष्ट्र रक्षा सभा)
विहंग भाई पटेल
(प्रचार मंत्री व मीडिया प्रभारी)
भावेश कुमार जी
(कुश्ती कोच सहयोगी राष्ट्र रक्षा सभा)
राम जी भाई भीखाभाई खावड़िया पतंजलि
(प्रचारक राष्ट्र रक्षा सभा)
सम्पर्क सूत्र 9725434618,7016162889,8140625358,9427326549

धर्मसम्राट®️

04 Nov, 09:33


Christianity in India needs the Vedanta - R Gordon Mulburn

आर गोर्डन मुलबर्न नामक ईसाई मिशनरी अपनी जर्नल में लिखते है की - भारत में ईसाईधर्म को वेदान्त की आवश्यकता है। हम ईसाई धर्मप्रचारको को यह चीज स्पष्टता से समझनी चाहीये थी जो नहीं समझे है। ईसाईधर्म के लिए उपयोगी यह होगा की हम वेदान्त के कुछ अंशो को मान्यता दें।

इसे उनहोंने क्रिशियन वेदान्तिसम् अर्थात् ईसाई वेदान्त नाम दिया।

धर्मसम्राट®️

04 Nov, 04:47


आर्यमहिलाओ के वस्त्रो पर अनर्गल टीप्पणी करनेवाले, उनहें मर्यादा का पाठ सीखानेवाले और प्रतिदिन परंपरा का रोना रोनेवाले लोग किस मुंह से व्यक्तिगत आक्षेप का रोना रो रहे है?

लोगो की फोनक्लिप वायरल करते हुए यह सब ज्ञान नहीं था? व्यक्तिगत हुमले करना शुरु आपने किया। हमने तो केवल प्रत्युत्तर दिया है।

अब स्टीरोईड का धंधा करते हुए पकडे गये तब आदर्शवाद का ज्ञान देना है!

परंपराप्राप्त छपरी!

धर्मसम्राट®️

03 Nov, 04:32


परंपराप्राप्त छपरी!

हमारे यहां पर बगभगत शब्द प्रचलीत है। जो भक्ति का जितना दिखावा करता है, वह उतना ही ढोंगी होता है।

यही करपात्रवाद है। पाखंड, ढोंग और दिखावा। परंपरा की बात करनेवाले अंदर से महाढोंगी होते है।

इनको परंपराप्राप्त छपरी कहना ही ठीक है।

https://www.youtube.com/live/Se0Nct02_AQ?si=Xf2bqaOkYvfcpAOT

धर्मसम्राट®️

03 Nov, 03:05


करपात्री जी वैदिक साहित्य के निष्णात नहीं है। पट्टाभिराम शास्त्री, श्री व्रजवल्लभ द्विवेद और गजानन शास्त्री मूसलगांवकर के लिखे ग्रन्थ पर अपना नाम चढा दिया है करपात्री जी ने!

क्या स्वामी करपात्री जी क्रेडिटचोर है?

धर्मसम्राट®️

02 Nov, 12:55


आज गौपूजन का दिन है। यह कभी मत भूलना की स्वामी करपात्री गौवंश हत्या के समर्थक थे।

गौघातको की जूते से कुटाई ही सच्ची गोवर्धनपूजा है।

धर्मसम्राट®️

02 Nov, 02:43


आज से शुरु होनेवाले विक्रमसंवत 2081 की सब को हार्दिक शुभकामना।

यह हिन्दू नववर्ष आप सब के लिए आनन्द, उल्लास और उत्तम स्वास्थ्य लेकर आए। ईश्वर की कृपा सदा बनी रहे।

हर हिन्दू के हृदय में सत्य का प्रकाश हो और हर हिन्दू के घर में सत्यार्थ प्रकाश हो।

ओ३म्

धर्मसम्राट®️

01 Nov, 15:18


अगर कोई भाई या पिता अपनी बेटी या बहन के साथ व्यभिचार करे तो उसे नपुंसक बनाकर मार डालो - अथर्ववेद

वैदिकधर्म बहन और बेटी के साथ शारीरिक संभोग के लिए कठोर दंड देता है। लेकिन कौन सा मजहब इसकी आज्ञा देता है?

धर्मसम्राट®️

01 Nov, 14:28


क्या वैदिक दर्शन निराशावादी है?

आजकल दर्शन के नाम पर निराशावाद बेचा जाता है।

‘यह संसार क्षणिक है’, ‘सर्व दुःखम्’, ‘यह जगत् मिथ्या है’, ‘यह जगत् स्वप्न है’ - जैसे निराशावादी वचन वेद में नहीं मिलते।

‘सर्व दुःखम्’ पर आधारीत बौद्धदर्शन तथा उनके उच्छिष्टभोजी दार्शनिको ने कायरता, पलायनवाद, अकर्मण्यता, निराशावाद और हीनभावना को जन्म दिया है।

आर्य आशावादी थे। वेद में अत्यंत विलक्षण और सुखवादी जीवन के स्वर सुनाई पडता है।

जीवेम् शरदः शतम्’ - यहां सो वर्ष जीने की कामना है तो ‘अस्मै विश्वानि द्रविणानि देही’ - इस मंत्र में संसार की संपत्ति प्राप्त करने की चाहना है।

वेद में कहीं उत्तम सन्तान की कामना है तो कही उत्तम कीर्ति की प्रार्थना है। कहीं पर आर्य ज्ञान मांग रहे है तो वही आर्य धन भी चाह रहे है।

इस संसार को कबीं पर भी गलत नहीं बताया वेद में। मोक्ष की चाहना रखने की तो बात है, लेकिन यह संसार दुःख ही दुःख है - इसका संकेत तक वेद में नहीं।

आशावाद ही आर्यो का दर्शन है।

धर्मसम्राट®️

31 Oct, 07:41


भारत में पटाखे हंमेशा के लिए बेन होने चाहीये। ना दिवाली पर फूटे ना ईसाई नववर्ष पर।

पूरे साल यज्ञ करके हम आर्य जितना वायु शुद्ध करते है, उससे अनेक गुना वायु एक ही रात में अशुद्ध कर दिया जाता है पटाखो द्वारा।


पटाखे फोडने का कोई धार्मिक आधार भी नहीं है।

धर्मसम्राट®️

31 Oct, 05:37


आप सब को दिपावली तथा शारदीय नवसस्येष्टि पर्व की शुभकामना। आज के दिन साहसाङ्क राजा विक्रमादित्य का राज्याभिषेक हुआ था ऐसी मान्यता है।

धर्मसम्राट®️

31 Oct, 02:42


सनातनधर्म के सर्वोच्च धर्मगुरु महर्षि दयानंद के मोक्षपर्व की हार्दिक शुभकामना

https://youtube.com/shorts/SWX1Kyxj0bs?si=royTrGKRh6BDVvHo

लिंक - https://www.instagram.com/reel/DBxZvuwoOay/?igsh=ZDBqdG1za292Z3B0

धर्मसम्राट®️

30 Oct, 15:12


रामायण और महाभारत में प्रक्षेप हुए तो वेद में क्यों नहीं हुए? कोई पंडा वेद में कोई मंत्र बनाकर डाल दे तो हमे कैसे पता चलेगा?

वेदरक्षण की क्या परंपरा है?

पूरा सत्य जानीये - कल रात ९ बजे।

लिंक - https://youtu.be/cPZXh5KCZHE?si=fpGAhH2XVFwLM3sG

धर्मसम्राट®️

30 Oct, 08:26


आप सभी को नरक चतुर्दशी की शुभकामना। आज के दिन विशेष भूतयज्ञ किया जाता है, जिसमें संसार के सर्व भूतों के लिए बलि दी जाती है।

आप भी नियमित भूतयज्ञ करीये और संसार के सारे भूत पर उपकार करीये।

धर्मसम्राट®️

30 Oct, 04:08


सनातनधर्म सीखाता है - मातृदेवो भव।

पौराणिकधर्म सीखाता है - माता का गला काटो।

पाखंड को छोडो, सत्यार्थप्रकाश पढो और सच्चे सनातनी बनो।

धर्मसम्राट®️

29 Oct, 16:38


रामायण और महाभारत में प्रक्षेप हुए तो वेद में क्यों नहीं हुए? कोई पंडा वेद में कोई मंत्र बनाकर डाल दे तो हमे कैसे पता चलेगा?

वेदरक्षण की क्या परंपरा है?

पूरा सत्य जानीये - कल रात ९ बजे।

लिंक - https://youtu.be/cPZXh5KCZHE?si=fpGAhH2XVFwLM3sG

धर्मसम्राट®️

27 Oct, 16:37


https://youtube.com/shorts/creka2F2d-Q?si=Jti1VwbdrCjewKRq

धर्मसम्राट®️

27 Oct, 15:11


कुछ लोग मन्दिर और मूर्तिओ का समर्थन इस लिए करते है क्योंकि उनहें लगता है की यह हमारी सभ्यता की विरासत है। भविष्य की पीढी को दिखाने के लिए काम आयेगी।

उनको फ्रांसिसी विद्वान Jean Le Mee के शब्द सुनने चाहीये

"लोगोने अपनी संस्कृति को सुरक्षित रखने के लिए पत्थर की इमारतें बनवाई, जो प्रतिवर्ष कुछ ना कुछ जिर्ण हो जाती है - उन संस्कृतिओ में से बह्तो के केवल खण्डहर रह गये है।

किन्तु आर्यसंस्कृति के ऋषिओने वेदों के ज्ञान को यथासम्भव मूलरूपमें सुरक्षित रखने का प्रयत्न किया। जिस परिश्रम और तपस्या से भारतवर्ष के ऋषियोंने वेद का यह भण्डार सुरक्षित रखा है, उससे बडा आश्चर्य हमारे लिए क्या होगा?"

वेद हम आर्यो की तपस्या है।

धर्मसम्राट®️

27 Oct, 14:35


ऋग्वेद में अथर्वणा शब्द है। यह सिद्ध करता है की वेद शुरु से चार ही थे।

एक वेद के चार विभाजन नहीं हुए थे।

धर्मसम्राट®️

26 Oct, 18:24


सुश्रुतसंहिता अनुसार आयुर्वेद अथर्ववेद का उपांग है।

प्रचलित मान्यता अनुसार आयुर्वेद को ऋग्वेद का उपांग माना जाता है।

धर्मसम्राट®️

26 Oct, 06:43


श्री शिवांश नारायण द्विवेदी जी उर्फ आह्वान कह रहे है की हम कागज़ नहीं दिखायेंगे

मुल्ले भी यही कहते है। जिनके पास कागज़ नहीं होते है, वह कागज़ नहीं ही दिखाते है। नकली कागज़ दिखाकर सब को मूर्ख बनाते है।

कोई भी पब्लिक ट्रस्ट को अपने सारे दस्तावेज सार्वजनिक रखने होते है क्योंकि वह नीजी संस्था नहीं, पब्लिक संस्था है। इसका पंजिकरणक्रमांक सार्वजनिक होता है।

जो पता आपके लेटरहेड पर लिखा है उस पते पर इस संस्था का कोई अतापता नहीं है। डाक भेजने पर वापस आती है। व्यक्ति भेजने पर कोई मिलता नहीं। ना इस संस्था के लेटरहेड या वेबसाईट पर इस संस्थाके पंजिकरण के विषय में कोई जानकारी है।

Income Tax के रेकोर्ड में भी आपके ट्रस्ट का कोई नाम नहीं मिल रहा। ना 80G या 12A पंजिकरण का कोई ठीकाना है।

नकली गुरुपरंपरा बनाने से शुरु कर नकली ट्रस्ट बनाने तक बहुत अच्छी प्रगती कर ली है नवीन वेदान्तीओ ने!

नकली संस्था फ्रौड करने के लिए ही बनायी हाती है वैसे!

धर्मसम्राट®️

25 Oct, 13:35


हे भगवान! तेरी कृपा है हम आर्य बने। अन्यथा ऐसे ही कुछ पाखंड में लिप्त होते।

सनातनधर्म की जय हो।

धर्मसम्राट®️

25 Oct, 04:51


स्वामी करपात्री के वेदभाष्य में मिलावट है - करपात्र समाजी

स्वामी करपात्री के भाष्यों को लिखे मुश्कील से ४० साल हुए है और करपात्र समाजी उसमें मिलावट बता रहे है।

और यह लोग अन्य को मिलावट समाजी कहते है। असली मिलावटी तो यही है!

धर्मसम्राट®️

24 Oct, 02:31


ऋग्वेद ३.४६.८ अनुसार परमात्मा बार बार मत्स्य कूर्म आदि नानारूप बनाता है।

बस खाली समस्या यह है की ऋग्वेद में ३.४६.८ वा मंत्र ही नहीं इस सूक्त में केवल ५ मंत्र है।

धर्मसम्राट®️

23 Oct, 14:58


स्वामी करपात्री के भक्त आदि शङ्कराचार्य के नाम से झूठ क्यों बोलते है? आदि शङ्कराचार्य के सिद्धान्तो के विरुद्ध अपने मत का प्रचार क्यों करते है?

करपात्री भक्तो की पोलखोल

Live Today at 9.30 PM

https://www.youtube.com/watch?v=KQ_Ua2lREbU

धर्मसम्राट®️

23 Oct, 10:21


स्वामी करपात्री के भक्त आदि शङ्कराचार्य के नाम से झूठ क्यों बोलते है? आदि शङ्कराचार्य के सिद्धान्तो के विरुद्ध अपने मत का प्रचार क्यों करते है?

करपात्री भक्तो की पोलखोल

Live Today at 9.30 PM

https://www.youtube.com/watch?v=KQ_Ua2lREbU

धर्मसम्राट®️

23 Oct, 07:01


क्या ब्राह्मण अवध्य है?

ब्राह्मण को मृत्युदण्ड नहीं मिलता - यह सामान्य नियम है। लेकिन अगर वह अधर्म के साथ खडा हो तो उसका वध भी आवश्यक है।

महाभारत के शान्तिपर्व के अध्याय 33 में महर्षि व्यास बता रहे है की देवताओने असुरो का संहार करने के बाद उनकी साहयता करनेवाले 88,000 ब्राह्मणों का संहार कर दिया। यह शालावृक ब्राह्मण थे, वेदपाठी थे लेकिन फिर भी दैत्य की सहायता करने के लिए मृत्युदण्ड दिया गया।

काश टीपु सुलतान के लिए यज्ञ करनेवालो को भी यह दण्ड मराठाओ ने दिया होता!

धर्मसम्राट®️

22 Oct, 19:02


कुछ मत बोलना क्योंकि करवाचोथ कुलवधूओ का पर्व है, नगरवधूओ का नहीं।

पौराणिको को अपनी कुलवधू मुबारक हो।

धर्मसम्राट®️

22 Oct, 17:48


बिना वेद ज्ञान के मोक्ष होगा?


https://youtube.com/shorts/80TMalo3UEo?si=Kxg7W7cgts78rVZ9


Insta - https://www.instagram.com/reel/DBb2kA5gwQh/?igsh=cWNseG13OXJiMzhv

धर्मसम्राट®️

22 Oct, 12:47


समग्र स्वतन्त्रता आन्दोलन में एकमात्र मुसलमान ने कुरबानी दी - वह भी आर्यसमाजी था।

आर्यसमाजी रामप्रसाद बिस्मिल ने अशफाक उल्ला खां को देशभक्ति के रङ्ग में रङ्ग दिया। वह पूर्ण तरीके से आर्य बन चूके थे। बस परिवार को दुःख ना पहुंचे इस लिए अपनी शुद्धि नहीं करवाई।

इस महान आर्यसमाजी देशभक्त को नमन है।

धर्मसम्राट®️

21 Oct, 15:24


https://youtube.com/shorts/8ovYx59VmM8?si=H_YnmCqlFqFcq1Rp

धर्मसम्राट®️

21 Oct, 09:42


आदि शङ्कराचार्य ने धर्म की रक्षा के लिए जान दी।

लेकिन उनके शिष्यो ने धर्म से ही गद्दारी करी। टीपु सुलतान हो या चीन - भारत के हर शत्रु के साथ बाद के शङ्कराचार्य खडे है।

गद्दारो की परंपरा

धर्मसम्राट®️

20 Oct, 17:45


प्रछन्न बौद्ध नवीन वेदान्तीओ को अधिकार किसने दिया की हम सनातनीओ के विषय में फतवा नीकाल सके? धर्माधर्म का निर्णय करना उनकी सत्ता नहीं है।

और स्वामी करपात्री के चेलो में जो असत्य भाषण की परंपरा है - वह इस पोस्ट में स्पष्ट दिखती है।

महर्षि दयानंद ने शब्दप्रमाण वेद को सर्वोच्च माना है। जिस वेद को केवल कर्मकांड तक सीमित कर दिया था, उसे धर्म के सर्वोच्च शिखर पर महर्षि दयानंद ने ही स्थापित किया है।

क्योंकि कलियुगी आचार्यो में वेदाध्यन की परंपरा नहीं रही है, इस लिए उनहें यह सत्य ज्ञात नहीं होगा।

शाखा अपौरुषेय नहीं है परंतु प्रवचनभेद से है - यह सत्य महर्षि जैमिनि ने मीमांसा दर्शन के सूत्र में लिखा है।

आख्या प्रवचनात् -१,१.३०

शाखाओ का निर्माण प्रवचन भेद से हुआ है। इस लिए वह वेद नहीं, वेद का व्याख्यान है। शायद मीमांसा को आप नास्तिक दर्शन मानते हो इस लिए पढी नहीं होगी।

सनातनधर्म के सर्वोच्च धर्मगुरु महर्षि दयानंद की शरण में आईये और वेद के विषय में सारे भ्रम दूर करीये।

ओ३म्

धर्मसम्राट®️

20 Oct, 02:52


परमात्मा अशरीरी है। उनका स्थूल शरीर नहीं है। उनका कारण शरीर भी नहीं है। उनका लिंग शरीर भी नहीं है। - आदि शंकराचार्य

आदि शंकराचार्य ने तो परमात्मा को अशरीरी कहां हो। तो करपात्रीवाद वाले क्यो शरीरधारी ईश्वर का प्रचार कर रहे है?

आदि शंकराचार्य के शिष्य आदि शंकराचार्य के नाम से झूठ क्यो बोलते है?

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