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Trād Digvijaya

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卐 शङ्करस्य शासनम् 卐

॥ परंपरावाद ● मनुवाद ● राजतन्त्र ● वर्णाश्रम ॥

नोट:- यहाँ हर प्रकार की बीमारी-मानसिक कोढ़/विक्षिप्तता/दिवालियेपन का उपचार किया जाता है।

शास्त्रसर्वोपरि!

Trād Digvijaya (Sanskrit)

Trād Digvijaya is a Telegram channel that delves into the traditional aspects of Hindu culture and society. The channel, with the username @traddigvijay, focuses on spreading knowledge about the ancient traditions and principles of Hinduism, including concepts such as परंपरावाद (tradition), मनुवाद (philosophy), राजतन्त्र (political system), and वर्णाश्रम (social structure).

Through insightful posts and discussions, Trād Digvijaya aims to educate its followers about the rich heritage of Hinduism and how these traditional values can be applied in modern life. The channel also offers treatments for various mental illnesses and disorders through traditional methods.

For individuals seeking to dive deep into the scriptures and teachings of Hinduism, Trād Digvijaya provides a platform for learning, reflection, and spiritual growth. Join the channel today to explore the wisdom of the ancient texts and discover the essence of true knowledge and enlightenment. शास्त्रसर्वोपरि!

Trād Digvijaya

21 Nov, 17:42


https://youtu.be/WmaCnA7GDWM?si=l

Let's stand up against the malicious attacks against HH Jagadguru Shankaracharya Bhagwan!

Raitas have been publicly blaspheming against our revered spiritual leader. Now's the time to rally together and flood the comment section with love and support!

Let's overwhelm the negativity by liking and sharing positive comments, while reporting and disliking any harmful or disrespectful remarks against Jagadguru Ji or Varnashrama Dharma.

Join the movement to protect the dignity of Varnashrama Dharma and Jagadguru Ji by spreading positivity!

Trād Digvijaya

17 Nov, 13:55


🔥 शिवलिङ्गोद्भव महामहोत्सव 🔥

यत्पुनः स्तम्भरूपेण स्वाविरासमहं पुरा।
स कालो मार्गशीर्षे तु स्यादार्द्राऋक्षमर्भकौ॥
आर्द्रायां मार्गशीर्षे तु यः पश्येन्मामुमासखम्।
मद्वेरमपि वा लिङ्गं स गुहादपि मे प्रियः॥
अलं दर्शनमात्रेण फल तस्मिन् दिने शुभे।
अभ्यर्चनं चेधिकं फलं वाचामगोचरम्॥

(श्रीशिवमहापुराण, विद्येश्वरसंहिता, अध्याय ९, श्लोक १४-१६)

हे वत्सो ! पहले मैं जब ज्योतिर्मय ज्वालामालासहस्राढ्य स्तम्भाकार शिवलिङ्गरूपसे प्रकट हुआ था, उस समय मार्गशीर्षमासमें आर्द्रा नक्षत्र था। अतः जो पुरुष मार्गशीर्षमासमें आर्द्रा नक्षत्र होनेपर मुझ उमापतिका दर्शन करता है अथवा मेरी मूर्ति या लिङ्गकी ही झाँकीका दर्शन करता है, वह मेरे लिये कार्तिकेयसे भी अधिक प्रिय है। उस शुभ दिन मेरे दर्शनमात्रसे पूरा फल प्राप्त होता है। यदि [दर्शनके साथ-साथ] मेरा पूजन भी किया जाय तो उसका अधिक फल प्राप्त होता है, जिसका वाणीद्वारा वर्णन नहीं हो सकता॥१५-१७॥

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यह नक्षत्र — मंगलवार (19-11-2024) को है।
मङ्गलवार को सम्पूर्ण दिवस।

विशेष- रुद्राभिषेक, शिवलिङ्गार्चन, पार्थिवेश्वरपूजन, शिवलिङ्ग दर्शन आदि करें।

Trād Digvijaya

12 Nov, 08:48


जन्माद्यस्य यतोऽन्वयादितरतश्चार्थेष्वभिज्ञः स्वराट्
तेने ब्रह्म हृदा य आदिकवये मुह्यन्ति यत्सूरयः।
तेजोवारिमृदां यथा विनिमयो यत्र त्रिसर्गोऽमृषा
धाम्ना स्वेन सदा निरस्तकुहकं सत्यं परं धीमहि॥

(श्रीमद्भागवतमहापुराण ०१।०१।०१)
यं ब्रह्मा वरुणेन्द्ररुद्रमरुतः स्तुन्वन्ति दिव्यैः स्तवै-
र्वेदैः साङ्गपदक्रमोपनिषदैर्गायन्ति यं सामगाः।
ध्यानावस्थिततद्गतेन मनसा पश्यन्ति यं योगिनो
यस्यान्तं न विदुः सुरासुरगणा देवाय तस्मै नमः॥

(श्रीमद्भागवतमहापुराण १२।१३।०१)

Trād Digvijaya

03 Nov, 12:16


जिस प्रकार अन्न का दाना नाली में गिर जाए तो वह अग्राह्य होता है; तदनुसार ही दयानन्द जैसे असम्प्रदायवित् व्यक्तियों की पुस्तकों में शास्त्रवचन भी स्वार्थमें प्रयुक्त न होकर अनर्थप्रतिपादक हो जाते हैं अतः उनकी 'किताबों' से अग्राह्य बन जाते हैं।

अन्न यदि नाली में गिर जाए तब वह नाली का मल ही बनकर रह जाता है।

Trād Digvijaya

02 Nov, 07:28


🌸 सभी सनातनधर्मावलम्बी धर्मप्रेमीसज्जनों!!
आज आप सभी उपर्युक्तविधिसे सवत्स भगवती वेदलक्षणा गोमाता का पूजन सम्पन्न करें।

🍃 पूजनके अनन्तर भारतवर्षके समस्त धर्मानुरागी बन्धुओं के परस्पर उत्साहवर्धन हेतु अपने द्वारा पूजित वेदलक्षणा गोमाता का चित्र भी कमेन्ट रूप में अवश्य ही प्रेषित करें!! @Dharmveer_Dal

गोमाताकी जय हो! गोहत्या बन्द हो!!

Trād Digvijaya

02 Nov, 07:17


अतिसंक्षिप्तगोपूजनम्

(पूजनकर्त्ता कृतनित्यक्रियः सर्वपूजनसाधारर्णी व्यवस्थां सम्पाद्य संकल्पपूर्वकं यथोपचारैः सवत्सां गां पूजयेत्।)

संकल्पः-
अद्येत्यादि देशकालौ संकीर्त्य अमुकोऽहं सवत्सगोपूजनं करिष्ये। (अमुक के स्थान पर अपना-अपना नाम लें)

ध्यानम्-
यया सर्वमिदं व्याप्तं जगत्स्थावरजंगमम्।
तां धेनुं शिरसा वन्दे भूतभव्यस्य मातरम्॥
औं सवत्सगव्यै नमः ध्यानं समर्पयामि।


आवाहनम्-
औं सवत्सगव्यै नमः आवाहनं समर्पयामि।

आसनम्-
औं सवत्सगव्यै नमः आसनं समर्पयामि।

जलम्-
औं सवत्सगव्यै नमः पाद्यार्घाचमनीयस्नानीयपुनराचमनीयानि समर्पयामि।

चन्दनम्-
औं सवत्सगव्यै नमः इदमनुलेपनं समर्पयामि।

अक्षताः-
औं सवत्सगव्यै नमः अक्षतान् समर्पयामि।

पुष्पम्-
औं सवत्सगव्यै नमः पुष्यं पुष्पमाल्यं च समर्पयामि।

धूपः-
औं सवत्सगव्यै नमः धूपमाघ्घ्रापयामि।

दीपः-
औं सवत्सगव्यै नमः दीपं दर्शयामि।

नैवेद्यम्
औं सवत्सगव्यै नमः नैवेद्यं निवेदयामि।

आचमनम्-
औं सवत्सगव्यै नमः आचमनीयं समर्पयामि।

दक्षिणादव्यम्-
औं सवत्सगव्यै नमः दक्षिणाद्रव्यं समर्पयामि।

पुष्पांजलिः-
औं सवत्सगव्यै नमः पुष्पांजलिं समर्पयामि।

प्रदक्षिणा-
औं सवत्सगव्यै नमः प्रदक्षिणां समर्पयामि।

नमस्कारः-
गावो ममाग्रतः सन्तु गावो मे सन्तु पृष्ठतः।
गावो मे हृदये सन्तु गवां मध्ये वसाम्यहम्॥
औं सवत्सगव्यै नमः नमस्कारं निवेदयामि।

इससे भी कम समय में पूजन के लिये गन्ध, पुष्प, धूप, दीप और नैवेद्य से पंचोपचार पूजन कर ले।

अनेन यथालब्धोपचारपूजनेन गोमाता प्रीयतां न मम।

Trād Digvijaya

02 Nov, 05:28


समस्त गोभक्त सनातनधर्मावलम्बियों को
गोनवरात्र महोत्सव की मङ्गलमय शुभकामनाएँ।


भगवती गोमाता सबका मङ्गल करें। 🌺

Trād Digvijaya

02 Nov, 04:53


गोमाता की जय हो,
गोहत्या बन्द हो!!

Trād Digvijaya

30 Oct, 14:08


भारत के लगभग समस्त प्रान्तोंमें दीपावली कल गुरुवार, ३१/१०/२०२४ को ही मनाई जाएगी।

आर्षपक्ष में शास्त्रीय सूर्यसिद्धान्तीय पञ्चाङ्गों द्वारा यही निर्णीत है। सूर्यसिद्धान्तीय गणितपद्धति का अनुगमन करने वाले काशी के हृषीकेश पञ्चाङ्ग, विश्व पञ्चाङ्ग; बिहार के विद्यापति पञ्चाङ्ग और विश्वविद्यालय पञ्चाङ्ग; राजस्थान के श्रीसर्वेश्वर जयादित्य पञ्चाङ्ग; महाराष्ट्र के देशपाण्डे पञ्चाङ्ग; दक्षिण भारत के शृङ्गेरीपीठसे प्रकाशित पञ्चाङ्ग, मध्वमठ से प्रकाशित पञ्चाङ्ग; श्रीकाशीविद्वत्परिषद्; अखिलभारतीयविद्वत्परिषद्; केन्द्रीयसंस्कृतविश्वविद्यालय इत्यादि सभी ने एक स्वरमें कल- गुरुवार, ३१/१०/२०२४ को ही दीपावली एवं प्रदोषकालमें लक्ष्मीपूजन का निर्णय किया है।

स्मरण रहे, शास्त्रीय सूर्यसिद्धान्तीय पञ्चाङ्गों के अतिरिक्त, दो बहुश्रुत दृग्गणितीय पद्धति का अनुगमन करने वाले पञ्चाङ्ग १) जगन्नाथ पञ्चाङ्ग एवं २) सम्पूर्णानन्दसंस्कृतविश्वविद्यालय द्वारा प्रकाशित उत्तरप्रदेशशासनद्वारा संरक्षित श्रीबापूदेशास्त्रीद्वारा प्रवर्तित पञ्चाङ्ग में भी दीपावली कल गुरुवार ३१/१०/२०२४ को ही लिखी है।

आर्ष सूर्यसिद्धान्तीय पक्ष श्रीवेदव्यास, श्रीविद्यारण्यस्वामि आदि पूर्वाचार्यों द्वारा मान्य है। धर्मसम्राट् स्वामी श्रीकरपात्रीजी महाराज, पुरीपीठ के १४४वें पीठाधीश्वर पूर्वाचार्य स्वामी श्रीनिरञ्जनदेवतीर्थजी महाराज, वर्तमान शृङ्गेरीपीठाधीश्वर जगद्गुरु स्वामी श्रीभारतीतीर्थ जी महाराज एवं शृङ्गेरीपीठकी विद्वत् मण्डली एवं वर्तमान पुरीपीठाधीश्वर जगद्गुरु स्वामी श्रीनिश्चलानन्दसरस्वतीजी महाराज एवं उनकी सच्छिष्यमण्डली द्वारा सूर्यसिद्धान्तीय पक्ष ही मान्य है।

सुतरां- शास्त्रीयपक्ष के अनुसार दीपावली कल (गुरुवार तदनुसार ३१/१०/२०२४ को) ही है।

Trād Digvijaya

30 Oct, 03:34


॥समसामयिक॥

🔔 सूचना-

किसी अन्य धर्मशास्त्रीयविषय पर कोई सन्देह हो, किसी धूर्तद्वारा सच्छास्त्रों एवं तत्प्रतिपाद्यविषयों पर अनर्गल-प्रलाप किया जा रहा हो, अथवा किसी विषय पर जिज्ञासावश विमर्श अपेक्षित हो तो कमेन्ट द्वारा सविस्तार वह विषय हम तक पहुँचाएँ, यथासम्भव उसका समाधान इस पटल से प्रेषित किया जाएगा।

॥नारायण॥

Trād Digvijaya

30 Oct, 03:00


किसे जानें और किसे नहीं, जिसे जानें उसे कैसे जानें इत्यादि पर विमर्श करनेसे पूर्व वस्तुतः ज्ञेय तत्व क्या है यह जानना अत्यावश्यक है।

"ज्योतिषामपि तज्ज्योतिस्तमसः परमुच्यते।
ज्ञानं ज्ञेयं ज्ञानगम्यं हृदि सर्वस्य विष्ठितम्॥"
(श्रीमद्भगवद्गीता १३।१८)
"वेदैश्च सर्वैः-अहम्-एव वेद्यो"
(श्रीमद्भगवद्गीता १५।१५)
"मत्तः परतरं नान्यत्किञ्चिदस्ति धनञ्जय।
मयि सर्वमिदं प्रोतं सूत्रे मणिगणा इव॥"

(श्रीमद्भगवद्गीता ७।७)
"वासुदेवः सर्वमिति"
(श्रीमद्भगवद्गीता ७।१९)

ज्ञानस्वरूप ज्ञानगम्य और ज्ञेय, देशकाल एवं वस्तुकृत परिच्छेदविनिर्मुक्त, एकमात्र सच्चिदानन्दस्वरूप अद्वितीय ब्रह्मात्मतत्व और उसका एकत्व ही है। श्रुतिस्मृतिपुराणेतिहासादि सकल सच्छास्त्रोंमें उस एक के विज्ञानसे ही सर्वविज्ञान और उस एक के ही विज्ञानसे मुक्ति भी कही गई है। भगवान् श्रीकृष्ण का यह स्पष्ट उद्घोष है- "वेदैश्च सर्वैः-अहम्-एव वेद्यो" (श्रीमद्भगवद्गीता १५।१५) अर्थात्, "समस्त वेदोंद्वारा मैं (परमात्मा) ही जाननेयोग्य हूँ।" "एव" का प्रयोग करके अन्य किसी तत्वके ज्ञेयत्वका स्पष्ट निषेध कर दिया गया है।

भगवान् श्रीकृष्ण ने गीतामें कहा है-
"ज्ञेयं यत्तत्प्रवक्ष्यामि यज्ज्ञात्वाऽमृतमश्नुते।
अनादिमत्परं ब्रह्म न सत्तन्नासदुच्यते॥"

(श्रीमद्भगवद्गीता १३।१३)
अर्थात्, उस ज्ञेय परामात्मतत्व को यथावद्रूपसे कहूँगा जिसे जानकर अमृतत्व प्राप्त हो जाता है।

आगे "ज्ञानं ज्ञेयं ज्ञानगम्यं" (गीता १३।१८) कहकर संविद्रूप सदानन्द ब्रह्मात्म तत्व को ही ज्ञेय और ज्ञानगम्य कहा है। पुनश्च, "वेदैश्च सर्वैः-अहम्-एव वेद्यो" (श्रीमद्भगवद्गीता १५।१५) कहकर वेदों का वेद्य तत्व मैं (परब्रह्म परमात्मा) ही हूँ इसका निरूपण किया है।

अतः यह स्पष्ट है कि ब्रह्मात्मतत्व ही वह वेदोंका अपूर्वप्रतिपाद्य एकमात्र ज्ञेय तत्व है।

Trād Digvijaya

29 Oct, 03:44


द्रव्यज्ञानक्रियात्मिका त्रिगुणमयी प्रकृति भगवान् की शक्ति

श्रीमज्जगद्गुरु शङ्कराचार्य
श्रीपुरुषोत्तमपुरीक्षेत्रस्थ-श्रीगोवर्द्धनमठ-उड्ड्याणपीठाधीश्वर
स्वामी श्रीनिश्चलानन्दसरस्वतीजी महाराज

Trād Digvijaya

29 Oct, 03:40


https://youtu.be/Y3zJDbr-VPY

Trād Digvijaya

26 Oct, 03:48


मायाको बाधयोग्य अनादिसान्त मानने के कारण भगवत्पाद श्रीशिवावतारशङ्कराचार्यमहाभाग वस्तुतः 'मायावादके उच्छेदक' थे।

अतः उनके सिद्धान्तको मायावाद और उन्हें मायावादी कहना शिवापराध है, शिवनिन्दातुल्य महापाप है।

Trād Digvijaya

26 Oct, 02:23


क्या भगवत्पाद श्रीशिवावतारशङ्कराचार्यमहाभाग
का सिद्धान्त 'मायावाद' है?


श्रीमज्जगद्गुरु शङ्कराचार्य
श्रीपुरुषोत्तमपुरीक्षेत्रस्थ-श्रीगोवर्द्धनमठ-उड्ड्याणपीठाधीश्वर
स्वामी श्रीनिश्चलानन्दसरस्वतीजी महाराज

Trād Digvijaya

26 Oct, 02:16


ब्रह्मचर्य —रक्षाके उपाय और फल,
स्वामी श्रीअखण्डानन्दसरस्वतीजी महाराज

Trād Digvijaya

25 Oct, 05:02


हमने धैर्य नहीं तोड़ा।

Trād Digvijaya

24 Oct, 22:55


Physical strength, pious body and mind , knowledge and skills , money and power these are not the goal but the stairs paving a way for hindutva supremacy world wide

Trād Digvijaya

20 Oct, 14:12


LET'S MAKE HINDU MEN, STRONG AGAIN.

Trād Digvijaya

20 Oct, 13:23


"अनार्य-समज"वालों के लिए उपहार।

Trād Digvijaya

12 Oct, 17:01


स्मार्त्तों के लिए दशमी विद्धा एकादशी ही करणीय

एकादशी व्रत कल-रविवार, १३ अक्टूबर

Trād Digvijaya

12 Oct, 15:59


ऋग्वेदीय पूर्वाम्नाय श्रीगोवर्द्धनमठ-पुरीपीठ द्वारा सञ्चालित प्रातः तथा सायं संकीर्तन-गोष्ठीमें भाग लेने एवं पूज्यपाद जगद्गुरु श्रीशंकराचार्य महाभाग के प्रवासादि की सूचना हेतु पीठका ऐप प्ले-स्टोर से डाउनलोड करें—

https://play.google.com/store/apps/details?id=org.govardhanmath.app

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12 Oct, 04:46


शस्त्र पूजन विधि.pdf

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07 Oct, 10:34


🌸 वृन्दावन प्रवास 🌸

शरदोत्सव के पावन अवसर पर
अनन्तश्रीविभूषित श्रीमज्जगद्गुरु शंकराचार्य पूर्वाम्नाय गोवर्द्धनमठ-पुरीपीठाधीश्वर स्वामी श्रीनिश्चलानन्दसरस्वतीजी महाराज का मङ्गलमय पदार्पण वृन्दावन में आश्विन शुक्ल तृतीया, शनिवार तदनुसार 5 अक्टूबर 2024 को हो रहा है।

१) सायं सत्संग-
'धर्म, आध्यात्म और राष्ट्र' से सम्बद्ध
जिज्ञासा और समाधान
5 से 18 अक्टूबर, 2024
सायंकाल 4:30 से 6:00 तक
स्थल:- श्री हरिहर आश्रम, बुर्जा रोड, चैतन्य विहार, फेज-2 (नया रंगजी मंदिर निकट), वृन्दावन।
https://g.co/kgs/z2YSWo1

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२) प्रातः सत्संग-
श्रीमद्भगवद्गीता - अध्याय 5
9 से 15 अक्टूबर, 2024
प्रातःकाल 9:30 से 10:30 तक
स्थल:- श्री नृत्यगोपाल मन्दिर प्राङ्गण, स्वामी श्रीअखण्डानन्द आश्रम, मोतीझील, वृन्दावन।
Anand Vrindavan Ashram
https://g.co/kgs/gq7iB4v

Trād Digvijaya

06 Oct, 18:21


“साधनचतुष्टय सम्पन्न हो तब ब्रह्मोपदेश करो”

{ सम्पादकीय—
“अज्ञस्यार्धप्रबुद्धस्य सर्वं ब्रह्मेति यो वदेत्‌।
महानरकजालेषु स तेन विनियोजितः॥”
(महोपनिषत् अध्याय ५, श्लोक १०५)
(श्रीमद्वाल्मीकीय योगवासिष्ठमहारामायण, स्थितिप्रकरण, सर्ग ३९, श्लोक २४)

श्रीमधुसूदनसरस्वतीजी ने अपने गीताभाष्यमें (३।२६) इसे ही किञ्चित्पाठभेद से उद्धृत किया है—
अज्ञस्यार्धप्रबुद्धस्य सर्वं ब्रह्मेति यो वदेत्‌।
महानिरयजालेषु स तेन विनियोजितः॥

अतः साधकों को “अस्सी ब्रह्म, तुस्सी ब्रह्म” इत्यादि कहने वाले अपक्व नवीन-वेदान्तियोंसे बचकर रहना चाहिए।

साधनचतुष्टय की सिद्धि हेतु—
स्ववर्णाश्रमधर्मेण तपसा गुरुतोषणात्।
साधनं प्रभवेत्पुंसां वैराग्यादिचतुष्टयम्॥

[वराहोपनिषत् १।२]
स्ववर्णाश्रमधर्मेण तपसा हरितोषणात्।
साधनं प्रभवेत् पुंसां वैराग्यादिचतुष्टयम्॥

[श्रीशंकराचार्यकृत अपरोक्षानुभूतिः श्लोक ३] }

Trād Digvijaya

03 Oct, 09:15


गतिस्त्वं गतिस्त्वं त्वमेका भवानि॥

Trād Digvijaya

03 Oct, 09:15


श्रीमात्रे नमः ॥

पराचितिस्वरूपा जगज्जननी पराम्बा आद्यशक्ति भक्तसुलभा माँ भगवती के आराधना, उपासना महोत्सवस्वरूप शरन्नवरात्र की अनन्त शुभकामनाएँ। जगज्जननी माँ भगवती सभी का जीवन सुख-शांति, समृद्धि व आरोग्य से अभिसिंचित कर पुरुषार्थचतुष्टयसिद्धि प्रदान करें, माता की कृपा से लोकमङ्गल का मार्ग प्रशस्त हो.. 🌺

धर्म की जय हो! अधर्म का नाश हो!
प्राणियोंमें सद्भावना हो! विश्व का कल्याण हो!
गोमाता की जय हो! गोहत्या बन्द हो!
भारत अखण्ड हो!
हर हर महादेव!

Trād Digvijaya

29 Sep, 07:15


LIVE 🔴

https://www.youtube.com/live/XZGdsBg9tTE

Trād Digvijaya

28 Sep, 08:30


श्रीगंगाजीको विकृत करनेवाली गतिविधियाँ निरस्त हों,
श्रीमज्जगद्गुरु शङ्कराचार्य श्रीपुरुषोत्तमपुरीक्षेत्रस्थ-गोवर्द्धनमठ-उड्ड्याणपीठाधीश्वर स्वामी श्रीनिश्चलानन्दसरस्वतीजी महाराज

Trād Digvijaya

28 Sep, 02:35


‘संस्कार और शिक्षा’
(अनन्तश्रीविभूषित यतिचक्रचूडामणि सर्वभूतहृदय अभिनवशङ्कर धर्मसम्राट् स्वामी श्रीकरपात्रीजी महाराज)


#Dharmsamrat

Trād Digvijaya

28 Sep, 00:54


बिना नियमका प्राणी (मनुष्य) पशु से भी निकृष्ट है!

अस्नायी च मलं भुंक्ते अजपी पूयशोणितम्॥
(पद्ममहापुराण, १(सृष्टिखण्ड), अध्याय-४९, श्लोक-७२)

वचनामृत—
पूज्य धर्मसम्राट् स्वामी श्रीकरपात्रीजी महाराज

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