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Hindi/Urdu Poems

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Hindi/Urdu Poems (English)

Are you a fan of Hindi and Urdu poetry? Look no further! The Telegram channel "Hindi/Urdu Poems" is here to satisfy your poetic cravings. With a vast collection of beautiful poems and even some stories to enjoy, this channel is a paradise for poetry lovers.

In addition to the amazing content, this channel also provides a platform for aspiring writers and poets to showcase their talent. If you're looking to join a community of like-minded individuals, you can also check out their affiliated groups such as @HindiPoetry and @WritersClub.

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So, what are you waiting for? Join "Hindi/Urdu Poems" today and immerse yourself in the world of beautiful poetry and storytelling!

Hindi/Urdu Poems

21 Nov, 13:53


ओ चाँद, तेरा उजाला,
तेरी यादों का साया,
बिन तेरे ये पल हैं,
बस एक खाली साया।

संग तेरे हर लम्हा हो खुशी,
तू जो पास हो, सब है पूरी।
तेरे बिना तो ये चाँद,
भी लुप्त सा है, बिन ठिकाना।

ओ चाँद, तेरा उजाला,
तेरी यादों का साया,
बस एक पल चाहिए,
जो तू बस आए और सब कुछ महकाए।

ओ चाँद, तेरा उजाला,
तेरी यादों का साया,
तेरी रोशनियों ने खुशियां लाया
अपनी पार्टी में तू नहीं आया।

ओ चाँद, ओ मांग
तू हर दिलो पर छाया।
तुझको हर किसी ने मनाया।
अपनी पार्टी में तू नहीं आया।

ओ चाँद, तेरा उजाला,
तेरी यादों का साया,
बिन तेरे ये पल हैं,
बस एक खाली साया।

ओ चाँद, तेरी मीठी रोशनी,
तेरे संग बहे जीवन की कश्ती।
बिन तेरे ये लम्हे, बस हैं एक साया,
ओ चाँद, तू आ, सब कुछ है बसाया।

--- अभय कुमार "वर्मा"
#review

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𝗕𝗢𝗢𝗦𝗧

Hindi/Urdu Poems

21 Nov, 12:23


आज-कल रहता हूँ खुशी में
की कोई तो हाल पूछता है मुझे,
खाली समय में ही सही
मेरी याद आती है तुम्हें,
माना कि मेरी तरह मेरी
यादें सताती नहीं है तुम्हें,
या फिर, क्या तू भी बातें
दिल में लिए याद करती हो मुझे?...

#Krushnakant
#review

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𝗕𝗢𝗢𝗦𝗧

Hindi/Urdu Poems

21 Nov, 12:06


हां सुने हैं हमने भी
आपकी मासूमियत के किस्से
क्योंकि सारे इल्जामात जो
आ गए थे हमारे हिस्से
#review
#sizuka

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𝗕𝗢𝗢𝗦𝗧

Hindi/Urdu Poems

21 Nov, 06:15


प्रेरणादायक कविता :

रोशनी चांद से होती है सितारों से नहीं,
सपने आँखों में बसते हैं अधूरा गीत गाते हुए।
हर पल की कीमत समझो, वक्त की राह पर,
ख्वाबों की परछाई में, हौसला जगाते हुए।

अलार्म सिर्फ नींद से उठाता है बिस्तर से नहीं,
चाहत की लहरों में मन का साहस जगाते हुए।
हर सुबह नई उम्मीद, हर रात नया सबेरा,
जिंदगी की दौड़ में, खुद को पहचानते हुए।

केवल बाहरी चमक से नहीं, भीतर की रोशनी देखो,
अपने अंदर की आग को, तुम भी तो जलाते हुए।
हर दर्द एक सबक है, हर हार एक जीत बनती,
संघर्ष की इस दुनिया में, मुस्कुराते हुए।

न बिखरने दो खुद को, हर मोड़ पर संभलना है,
मुसीबतों की छाया में, अपनी राह बनाते हुए।
चाँद की रोशनी से महकती है यह फिजा,
हर दिन नए रंगों में, खुद को सजाते हुए।

--- #review

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𝗕𝗢𝗢𝗦𝗧

Hindi/Urdu Poems

21 Nov, 00:11


अंधेरे की दामन में छिपा है एक सपना,
जिसे खोजते-खोजते मैं थक गया, पर रुका नहीं।
हर आंसू में छिपा है एक नया उजाला,
बस इसे पहचानना है, अभी ज़िंदगी से झुका नहीं।

हर कदम पर मिले हैं कांटे और शूल,
लेकिन दिल के साहस का, है हर मोड़ पर फूल।
कभी मुश्किलों की गोली से डरता नहीं,
सपनों की रौशनी से, खुद को कभी छिपा नहीं।

.....😊🙂 "अभय"
#review

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𝗕𝗢𝗢𝗦𝗧

Hindi/Urdu Poems

21 Nov, 00:11


अंधेरी आई, पलकों पर बसी तन्हाई

अंधेरी रात, चाँद भी डरता है,
सन्नाटे में दिल, कभी ना झरता है।
सपनों की परछाई, अब सूनापन है,
पलकों पर बसी, एक तन्हाई है।

सूरज की किरणें, दूर कहीं खो गईं,
ज़िंदगी की राहें, अब सख्त हो गईं।
आँखों में बसी, एक ख्वाब की तन्हाई,
कागज पर बिखरी, अदाओं की नदियाँ हैं।

दर्द के काले बादल, मुझ पर छा गए,
खुशियों के सारे रंग, बस धुंधला गए।
लेकिन फिर भी, दिल में एक उम्मीद है,
हर रात के बाद, एक नया सवेरा है।

......🙂😊
#review

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𝗕𝗢𝗢𝗦𝗧

Hindi/Urdu Poems

20 Nov, 15:01


---

हर ठोकर में छिपा है नया सबक, हर मोड़ पर नया सवेरा,
संघर्ष की राह पर चलकर बनो तुम खुद अपने सपनों का राज़दारा।

.....😊☺️ "अभय वर्मा"
#review

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𝗕𝗢𝗢𝗦𝗧

Hindi/Urdu Poems

20 Nov, 14:52


अंधेरे की दामन में छिपा है एक सपना,
जिसे खोजते-खोजते मैं थक गया, पर रुका नहीं।
हर आंसू में छिपा है एक नया उजाला,
बस इसे पहचानना है, अभी ज़िंदगी से झुका नहीं।

हर कदम पर मिले हैं कांटे और शूल,
लेकिन दिल के साहस का, है हर मोड़ पर फूल।
कभी मुश्किलों की गोली से डरता नहीं,
सपनों की रौशनी से, खुद को कभी छिपा नहीं।

.....😊🙂 "अभय"
#review

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𝗕𝗢𝗢𝗦𝗧

Hindi/Urdu Poems

20 Nov, 14:45


अंधेरी आई, पलकों पर बसी तन्हाई

अंधेरी रात, चाँद भी डरता है,
सन्नाटे में दिल, कभी ना झरता है।
सपनों की परछाई, अब सूनापन है,
पलकों पर बसी, एक तन्हाई है।

सूरज की किरणें, दूर कहीं खो गईं,
ज़िंदगी की राहें, अब सख्त हो गईं।
आँखों में बसी, एक ख्वाब की तन्हाई,
कागज पर बिखरी, अदाओं की नदियाँ हैं।

दर्द के काले बादल, मुझ पर छा गए,
खुशियों के सारे रंग, बस धुंधला गए।
लेकिन फिर भी, दिल में एक उम्मीद है,
हर रात के बाद, एक नया सवेरा है।

......🙂😊
#review

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𝗕𝗢𝗢𝗦𝗧

Hindi/Urdu Poems

20 Nov, 14:44


कौन करे वफ़ा की बातें,
कौन करे दवा की बातें।

है उसका सारा कुछ तो,
क्यों करें अना की बातें।

काम करें जायज़ पहले,
तभी करें जज़ा की बातें।

गुनहगार हैं सारे तो फिर,
कौन करे सज़ा की बातें।

न है सलीखा बातों का,
तो न करें हया की बातें।

इक ही बात न दौहराएँ,
करें सबर, दुआ की बातें।

अंधेरा करने वाले हैं आप,
तो यूँ न करें शमा की बातें।

ग़र ईमान वजूद में आ जाए,
तो करें कज़ा-रज़ा की बातें।

करना पहले ख़ाख गुरूर,
फिर करना ख़ुदा की बातें।

- दिव्या ओंकारी 'गरिमा'
#divyaarth
#review

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𝗕𝗢𝗢𝗦𝗧

Hindi/Urdu Poems

19 Nov, 23:00


अगर जिंदगी में मौका मिले फूल बनने का,
तो मत बन, मेरे दोस्त, यह खतरनाक खेल है।
खूबसूरत फूल हुए तो तोड़ लिए जाओगे,
अपना सुगंध बिखरना चाहो तो
कृत्रिम इत्रों के आगे फीका पड़ जाओगे।

तुम्हारी खुशबू हवा में खो जाएगी,
तुम्हारी सुंदरता किसी और की हो जाएगी।
अंत में कहीं पर फेंक दिए जाओगे,
कीमत हुईं भी तो पन्नों में सूख जाओगे।

--- अभय कुमार "वर्मा"
#review

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𝗕𝗢𝗢𝗦𝗧

Hindi/Urdu Poems

19 Nov, 19:19


अगर जिंदगी में मौका मिले फूल बनने का,
तो मत बन, मेरे दोस्त, यह खतरनाक खेल है।
खूबसूरत फूल हुए तो तोड़ लिए जाओगे,
अपना सुगंध बिखरना चाहो तो
कृत्रिम इत्रों के आगे फीका पड़ जाओगे।

तुम्हारी खुशबू हवा में खो जाएगी,
तुम्हारी सुंदरता किसी और की हो जाएगी।
अंत में कहीं पर फेंक दिए जाओगे,
कीमत हुईं भी तो पन्नों में सूख जाओगे।

--- अभय कुमार "वर्मा"
#review

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𝗕𝗢𝗢𝗦𝗧

Hindi/Urdu Poems

19 Nov, 10:26


ना जाने कहा है वो शख्स दिखता ही नही है
जो बिना मेरे इक पल भी कहीं टिकता नही है

मेरे बगैर ना जाने कैसे रहता होगा वो
जो मेरे बिना कहीं भटकता नही है

मुझे नाराजगी की खुश्बू आ रही है
वैसे वो मुझसे नाराज़ होता नही है

खैर खैरियत से हो जहा भी ही वो
इतने दिन बिना खैरियत दिए रहता नही है

#review
#Mohd Husain ✍🏻

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𝗕𝗢𝗢𝗦𝗧

Hindi/Urdu Poems

18 Nov, 19:46


व्यावसायिक प्रेम: सोना या सोने की कीमत?

कभी पढ़ो आधुनिक समय के विदेशों की प्रेम कहनियां,
वहाँ भारत के जैसा दुःख-दर्द और तड़पन होता ही नहीं है।
ऐसा भी नहीं कि विकसित देशों में प्यार और धोखा नहीं है।
सदा अच्छे लगे तो ठीक, वरना तलाक के साथ जिंदगी सही है।

विज्ञान अनुयायियों द्वारा विश्वास करना उनके समझ में नहीं है।
लेकिन  उनके नज़र में काल्पनिक एंजेल को मानना सही है।
वहां सिर्फ  तन और उत्सुकता को जोड़ने की सिद्धांत रही हैं।
इस अनुसार लव का परिभाषा  एकदम सूर्य की तरह सही है।

यह बात सच्चे आशिक को समझा लो, पर समझता ही नहीं है।
प्रेम का अवधारणा को क्यों बदलने की आवश्यकता पड़ी है?
मैं पूछना चाहता हूँ, प्रेम के नाम पर किसकी बाजार लगी है?
लगता है कि यह प्रेम संसार में सिर्फ पैसों की कीमत बची है।

सब संभव है,  बिन इंसानियत के पशु को इंसान कहा जाता है।
अमीरों का मानना है गरीबों के तालाब में सुंदर जीव मर जाता है।
प्रेम की कीमत  शक्ल और औकात के अनुसार तोली जाती है।
पैसों के दम पर बनी इमारत को प्रेम की निशानी बोली जाती है।

--- अभय कुमार "वर्मा"
#review

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𝗕𝗢𝗢𝗦𝗧

Hindi/Urdu Poems

18 Nov, 15:35


व्यावसायिक प्रेम: सोना या सोने की कीमत?

कभी पढ़ो आधुनिक समय के विदेशों की प्रेम कहनियां,
वहाँ भारत के जैसा दुःख-दर्द और तड़पन होता ही नहीं है।
ऐसा भी नहीं कि विकसित देशों में प्यार और धोखा नहीं है।
सदा अच्छे लगे तो ठीक, वरना तलाक के साथ जिंदगी सही है।

विज्ञान अनुयायियों द्वारा विश्वास करना उनके समझ में नहीं है।
लेकिन  उनके नज़र में काल्पनिक एंजेल को मानना सही है।
वहां सिर्फ  तन और उत्सुकता को जोड़ने की सिद्धांत रही हैं।
इस अनुसार लव का परिभाषा  एकदम सूर्य की तरह सही है।

यह बात सच्चे आशिक को समझा लो, पर समझता ही नहीं है।
प्रेम का अवधारणा को क्यों बदलने की आवश्यकता पड़ी है?
मैं पूछना चाहता हूँ, प्रेम के नाम पर किसकी बाजार लगी है?
लगता है कि यह प्रेम संसार में सिर्फ पैसों की कीमत बची है।

सब संभव है,  बिन इंसानियत के पशु को इंसान कहा जाता है।
अमीरों का मानना है गरीबों के तालाब में सुंदर जीव मर जाता है।
प्रेम की कीमत  शक्ल और औकात के अनुसार तोली जाती है।
पैसों के दम पर बनी इमारत को प्रेम की निशानी बोली जाती है।

--- अभय कुमार "वर्मा"
#review

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Hindi/Urdu Poems

18 Nov, 14:42


हैरत नहीं कि उसे मेरे रूठने की भी परवाह नहीं
हैरत है के मैं उस से रूठ कर भी उस की परवाह करता हूं ।

हसरत 💌

#review

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𝗕𝗢𝗢𝗦𝗧

Hindi/Urdu Poems

18 Nov, 14:33


हरे कृष्णा।।

#review

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𝗕𝗢𝗢𝗦𝗧

Hindi/Urdu Poems

17 Nov, 14:25


हैरत नहीं कि उसे मेरे रूठने की भी परवाह नहीं
हैरत है के मैं उस से रूठ कर भी उस की परवाह करता हूं ।

हसरत 💌

#review

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𝗕𝗢𝗢𝗦𝗧

Hindi/Urdu Poems

17 Nov, 10:34


किसीने खाई वो कमाके
किसीने खाई वो छिनके
तो किसीको मिली भीखमें ..
जो रोटी हमें मिली बड़ी आसानी से....

#Krushnakant
#review

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𝗕𝗢𝗢𝗦𝗧

Hindi/Urdu Poems

17 Nov, 08:57


बाल्यकाल में एक सपना देखा
देश को मैने अपना देखा
कह रही थी हाथों की रेखा
नहीं किसी ने तुम को रोका

बीच में फिर सामाज आया
मेरे पुत्र ने करके दिखाया
आ कर सबको मिठाई खिलाया
सब में उसने नाम कमाया

फेंक दिए मेरे सपने सारे
तुम चलो अब हमारे इशारे
कह दिए ये घर के सारे
किताबें थी बस बीच हमारे

पढ़ते पढ़ते पड़ गया छाला
आंखो से न एक बूंद निकाला
हुए मुझसे फिर ढेर सवाल
इसने तो न एक परीक्षा निकाला

अंदर अंदर जल रहा था
मन में मेरे कुछ चल रहा था
सोचा सब कुछ त्याग दू
समेटू बिखरे सपने अपने
और दीवार फांद दूं

फिर सोचा क्या मैं इतना बुजदिल हूं
हसता गाता खुशदिल हूं
खुद पर मैं तो काम करूंगा
अपना सपना साकार करूंगा

सब कुछ छोड़ कर चल रहा हूं
खुद पर काम मैं कर रहा हूं
सबसे ऊंचा ओहदा लाऊंगा
नाम मैं भी कमाऊंगा
:- आदर्श कुमार


#review
@Eloquentman01

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𝗕𝗢𝗢𝗦𝗧

Hindi/Urdu Poems

04 Nov, 05:10


.
कुछ जिंदगी जीने के तरीके होते हैं,
कुछ पहाड़ और कुछ सरीके होते हैं,
फिर भी उच्च और नीच लोग कहते,
जिंदगी जीने के कुछ तरीके होते हैं।


---अभय कुमार वर्मा ✍️"
#review

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𝗕𝗢𝗢𝗦𝗧

Hindi/Urdu Poems

04 Nov, 02:06


सोचा नहीं अच्छा बुरा देखा सुना कुछ भी नहीं
माँगा ख़ुदा से रात दिन तेरे सिवा कुछ भी नहीं

सोचा तुझे देखा तुझे चाहा तुझे पूजा तुझे
मेरी ख़ता मेरी वफ़ा तेरी ख़ता कुछ भी नहीं

जिस पर हमारी आँख ने मोती बिछाए रात भर
भेजा वही काग़ज़ उसे हम ने लिखा कुछ भी नहीं

इक शाम के साए तले बैठे रहे वो देर तक
आँखों से की बातें बहुत मुँह से कहा कुछ भी नहीं

एहसास की ख़ुशबू कहाँ आवाज़ के जुगनू कहाँ
ख़ामोश यादों के सिवा घर में रहा कुछ भी नहीं

दो-चार दिन की बात है दिल ख़ाक में मिल जाएगा
जब आग पर काग़ज़ रखा बाक़ी बचा कुछ भी नहीं
~Bashir Badr
#review

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𝗕𝗢𝗢𝗦𝗧

Hindi/Urdu Poems

03 Nov, 16:49


घर - वनवास


भाग १

कुछ आठ महीने बाद घर पहुँचा था रविन्द्र !
तड़के आया था तो आकर सीधा सो गया था, जब उठा तो घर में त्योहार के काम-काज में लगी हुई मां,इधर उधर हुए जा रही थी, पापा अखबार में व्यस्त थे और छोटा भाई अब भी सो रहा था।

जब वो सीढ़ियों से नीचे आ रहा था पड़ोस के घर में नजर डाली, मानों आँखें मुआयना कर रही हो की क्या क्या बदला है इतने दिनों में और यकीनन 15 सीढ़ियों का सफर काफी नहीं था उस बदलाव को पढ़ पाने के लिए उसे।
पर फिर भी उस की नजर जितना देख पाई वो एक खाली जगह उस की आंखों में भर गई, उस के जहन में वो स्थान आखिरी बार कब रिक्त था उसे याद नहीं, वो लगातार अपनी यादाश्त में कुछ खोज रहा था, पुरजोर कोशिश के बाद भी उसे वह स्थान आखिरी बार कब खाली मिला था इन 15 सीढ़ियों के सफर में दिन के इस पहर में उसे याद नहीं आया।

"मम्मी, यह पड़ोस वाली अम्मा कहां है? दिखी नहीं!"
इंसान परिवर्तन को अपनी आंखों से देखता है तो वह उसे जी रहा होता है लेकिन अगर उसे किसी परिवर्तन को आत्मसात करने के लिए कहा जाए तो वह उस में अपने पुराने निशान ढूंढता है।

"अम्मा तो अभी राखी पर चल बसी, उम्र हो गई थी उन की, देखने वाला भी कोई नहीं था।"
मां बड़े सहज ही बोल गई और रविन्द्र को भी शायद कोई खासा फर्क नहीं पड़ा, उस के एहसास अम्मा से बस राम -राम तक ही तो जुड़े थे, हाँ जो कुछ उसे थोड़ा बहुत तंग कर रहा था, वह खाली स्थान, जो उस की आंखों में चुभ रहा था।

'सुनिए जी'! मां ने आवाज लगाई,
'यह ऊपर से ओवन उतर देंगे, आज बाटि बना लेते हैं।'
पापा बड़ी सहजता से उठे और जाने लगे! रविन्द्र को एक धक्का सा लगा, उसे याद नहीं कि कब आखिरी बार दोनों भाइयों के होते हुए पापा को उठ कर जाना पड़ा हो, उन्होंने ओवन की बाटियों का कोई विरोध भी नहीं किया, कंडे की बाटी का कोई जिक्र नहीं किया।
रविन्द्र समझ नहीं पा रहा था कि यह उन की अनुपस्थिति ने उस के माता पिता को आत्मनिर्भर बना दिया है या लाचार :
अगले पल जब उसने पापा को किचन प्लेटफॉर्म पर चढ़ कर हाथ ऊपर कर के ओवन उतारते हुए देखा तो उस की सोच थम गई, वह भी थम गया :
उस की पूरी जवानी हताहत हो गई उस एक लम्हे में!

जब पापा ने हाथ ऊपर बढ़ाया तो उन की बाजूएं झूल चुकी है, चमड़ी हड्डियों पर तैर रही थी: निसंदेह यह एक दिन में नहीं हुआ होगा लेकिन अपने पिता के बूढ़े होने का एहसास उस की जवानी छीन रहा था उससे।
वह समझने की कोशिश कर रहा था कि जितने वक्त वह घर से दूर था तब क्या जिंदगी दोगुनी तेजी से चल रही थी ?

अपने बच्चों का साथ नहीं होने का एहसास उन्हें ज्यादा जल्दी वृद्ध बना रहा था?
बैसाखी से चलने वाले से अगर बैसाखी छीन ली जाए तो वह गिर पड़ता है और व्हीलचेयर पर आ जाता है या फिर कोई चमत्कार हो जाए तो अपने पैरों पर:
रविन्द्र के लिए शायद इतना मुश्किल नहीं था समझना कि पापा की उम्र पैरों पर खड़े होने वाली तो नहीं है !

#review

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𝗕𝗢𝗢𝗦𝗧

Hindi/Urdu Poems

03 Nov, 14:37


शीर्षक : मैं ही हूं, मैं ही कहानी

मैं अपनी कहानी का वह किरदार हूं,
देखकर नहीं पहचान पाओगे,
क्योंकि छुपाने में बेशुमार हूं।
धारयुक्त, खुद मूढा हुआ तलवार हूं,
जीवन की लड़ाई में खड़ा हूं।

कहानी में तो हथियार लिया था,
पर मैं खुद ही हथियार हूं,
रंगमंच का कलाकार हूं,
अपने जीवन का संग्राम हूं।

सब कहानी का सिर्फ नाम है,
जिसको पहचानने की बस में नहीं,
खून से लटपट, घायल प्यार हूं।
सामने देखो, तेरा वही यार हूं।

मैं खुद कहानियों का भरमार हूं,
और कहानी का भी किरदार हूं।
दरबारी भी हूं, खुद दरबार भी हूं,
बिन जनता का सरकार हूं।

जिसका पसंद नहीं मालूम तुम्हें,
तुम्हारा वह एक मामूली सा यार हूं।
मेरी गहराई को नहीं समझ पाओगे,
अनेक में एक, एक में हजार हूं।

--- अभय कुमार वर्मा ✍️ "
#review

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𝗕𝗢𝗢𝗦𝗧

Hindi/Urdu Poems

03 Nov, 13:40


मैं, तुम और धृतराष्ट्र  !


प्रिय तुम !

कैसी हो

वक्त ने सहज ही बहुत कुछ बदला होगा :
शायद बदलाव की प्रवृत्ति ही है, कि वह हर किसी को छू कर गुजरता है पर फिर भी कुछ भाव जो निष्क्रिय होते हैं, पर अडिग होते है या नहीं यह एक चर्चा है; या तो वहां विचार पूज्नीय हो जाते हैं या पड़े पड़े सड़ने लगते हैं और उन से आती दुर्गंध पूरे जीवन को मैला कर देती है।
                               वक्त इतना निर्दयी होता है की उन भावों की हत्या भी नही करता : बस वह रह जाते हैं वहां :
जैसे रह गया है हमारे मध्य वो एक भाव जो कभी कहीं नही जायेगा, पनपेगा भी नही, उसका पल्लवन शायद प्रकृति के विरुद्ध है और निःसंदेह उसे वक्त नोच नोच कर खा रहा है।

मैं पीड़ा से भयभीत या पराजित नहीं हूँ, पर अगर कल को इन भावों की कुंठा की बू को मेरा बाहरी आवरण नही ढक पाया तो!
मेरे चरित्र से उठने वाली दुर्गंध ने अगर मेरे इर्दगिर्द सभी की स्वसों को दूभर कर दिया तो?

      जब भाव और कुंठा का संसर्ग होता तब उत्पन्न होती धृतराष्ट्र सी विवशता : क्योंकि व्यक्ति धूर्त नही होता भाव होते हैं, पर धूर्तता व्यक्ति का लक्षण बन जाती हैं।
तुम और मैं या अंधा धृतराष्ट्र : तीनों  विवशता के नाम पर उस विनाश के भागी बने जो हमारे हिस्से था ही नही। तुम्हारी और मेरी विवशता के मध्य एक समय पर जो मौन था, आज वह चीखता है और उस की चीखें आज भी मेरी रातों की नीद उड़ा देती हैं।

तुम और मैं अगर दोनो को एक दुसरे के सामने कटघरे में खड़ा कर दिया जाए तो दोनो ही भावों की विवशता को दोषी ठहरा कर आंखें चुरा लेंगे : क्योंकि हमारे भीतर कुंठित होते भावों को वक्त ने भी ना छुआ और दोनो ही निहारते रहेंगे इस विभत्स, शर्मनाक दृश्य को : जैसे धृतराष्ट्र ने देखा था द्रौपदी चीर हरण, जैसे 
व्यक्ति जब देख कर आंखें बंद करता है तब वह अंधा नही होता, वह उस सर्वनाश का भागी होता है।


अंधा धृतराष्ट्र उस दिव्यदृष्टि को अस्वीकार अपने पुत्रों की मृत्यु को देखने के भय से नही बल्कि अपने अंदर सड़ती अपनी चेतना को देखने के भय से करता है। धृतराष्ट्र के समक्ष ला कर रख दिया जाता भीम और दुर्योधन का शव, तो क्या वह पहचान पाता?

अपने भावों की कुंठा में अंधा व्यक्ति उस व्याधि को आमंत्रित करता है जो काल चक्र में उस के नाम का पर्याय बन जाती है :

जैसे धृतराष्ट्र, तुम या मैं !


हसरत💌
#review

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𝗕𝗢𝗢𝗦𝗧

Hindi/Urdu Poems

03 Nov, 13:40


...☺️

"कुछ बातें होती हैं जो दिल से गुजरते हुए मन में बस जाती हैं। कितना भी प्रयास करो, भूलने की कोशिश करो, फिर भी वही यादें सामने आती हैं।"

....😐
#review

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𝗕𝗢𝗢𝗦𝗧

Hindi/Urdu Poems

03 Nov, 13:22


हसरत इक तेरा ख़्याल है के जाता नहीं है
जमाना कहता है मुझे जीना आता नहीं है ।


हसरत💌
#review

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𝗕𝗢𝗢𝗦𝗧

Hindi/Urdu Poems

03 Nov, 10:54


शीर्षक : मेरी जिंदगी, मेरी महफिल

इतना भ्रम में मत रहो,
मैं अपने को बहुत छुपाता हूं।
कभी मेरे महफिल में आकर देखो,
प्रेम करना हूं, फिर भी दूर से पुकारता हूं।

मैं शांत हवाओं के साथ शांति से रहता हूं,
मेरी शांति को देखकर हवा न बहाओ।
तेज तूफान में भी शांत रह जाता हूं,
जैसा भी परिवेश हो, अपने अनुसार अपनाता हूं।

मेरे कदम छोटे-छोटे हैं,
पर ऊंची छलांग भी लगता हूं।
लोगों के साथ नाव पार करने में घबराता हूं,
पर तूफानों में भी मझधार को पार कर जाता हूं।

मानो तो घमंड नहीं, शांति से रहता हूं,
अगर अत हुआ तो अत की सीमा से टकराता हूं।
मैं खुद को संतुष्ट कर दिखाता हूं,
छोटी छोटी बातों पर बहुत मुस्कुराता हूं।

नदी सा बन नीचे की तरफ बहते जाता हूं,
दूसरों के मझधार साथ आसानी से आ जाता हूं।
पर समुद्र में भी एक छोटी इलाका चाहिए,
जहां कोई दस्तक देने नहीं आना चाहिए।

मैं झूठ बोलना नहीं, झूठे मजाक कर जाता हूं,
बेवफाओं के महफिल में भी बहुत मुस्कुराता हूं।
तुम कभी आओ मेरे महफिल में,
तुमको अपने गम के पुर्जे को दिखाता हूं।

मैं नाम के तुमसे खुद को मिलवाता हूं,
मेरी महफिल बड़ी नहीं, सिर्फ एक लोग आ पाते हैं।
थोड़ा संभलकर आना, यहां आने में सब डर जाते हैं,
महफिल है दूर, थोड़े रास्ते तक भी नहीं आ पाते हैं।

आओ महफिल में, खुद के लिए जीना सिखलाते हैं,
मैं तुमको अपने दिल की गहराई में दिखाता हूं।

--- अभय कुमार वर्मा ✍️ "
#review

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𝗕𝗢𝗢𝗦𝗧

Hindi/Urdu Poems

02 Nov, 04:35


दो जहाँ के बिच
फर्क सिर्फ सांस का है

चल रही है तो यहाँ
रुक गयी तो वहाँ

#review
#Banarasiya 🥀

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𝗕𝗢𝗢𝗦𝗧

Hindi/Urdu Poems

01 Nov, 16:42


लोग कहते है तुम संघर्ष करो
हम तुम्हारे साथ खड़े है
अगर वाकई में हर व्यक्ति साथ खड़ा होता तो संघर्ष की जरूरत ही नहीं पड़ती!
#review
#lafzshaalabygaurisharma
#GauriSharma

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Hindi/Urdu Poems

01 Nov, 14:52


बहुत कुछ लिखना चाहता हूंँ
किसी को दिखाने के लिए नहीं
बस ख़ुद के लिए
पर समय का चक्र
जैसे कुछ और ही मुझसे चाह रहा
मन को इतना उलझा बैठा है ये समय
की मेरा ही मन मुझ को अब खा रहा
अंतर्मन का भीतरी युद्ध कुछ यूंँ है चल रहा
मन के अंदर मेरा ही मन कांँप रहा
हल्का फुल्का ही सही
मुझे लिखना तो आता है
टूटा बिखरा ही सही
मुझे शब्दो को पिरोना तो आता है
फिर भी मैं ओजपूर्ण शब्द
क्यों नही ढूंँढ पा रहा
कैसा शब्दो का खेल है ये
कविताएंँ मैं ख़ुद लिखता
और कविताओं को पढ़ने से
अब क्यों मैं डर रहा
जिन शब्दों को पढ़ के मैं
कभी मग्न हो जाता था
आज उन्हीं शब्दों को देख के
मैं क्यों आंँसू बहा रहा
सर्द मौसम है
फिर क्यों पसीना बह रहा
ये गर्माहट है मौसमी
या अंतर्मन तेरा जल रहा
इतना भयभीत क्यों है तेरा मन
बता तो जरा आखिर
तेरे मन में क्या है चल रहा
लिखने को आतुर है क़लम तेरी
फिर क्यों स्याही तू फेंक रहा
भीड़ में भी खड़ा है तू तन्हा
बता ऐसा क्यों कर रहा
बारिशों का तो ये मौसम नहीं
न छत में तेरी कोई छेद है
सुबह उठता है तू जागा हुआ
बता तू बिन बारिश के
ये तकिया कैसे गीला कर रहा
उम्मीदों की दीवार थी
कल्पनाओं का था महल
रेत सा फिसल के टूट गया
तो तू क्यों इतना शोक मना रहा
दुनिया में एक ही तो महल नहीं
तू क्यों उस महल के लिए
बार बार टूट रहा
रेत से क्या उम्मीद रखना
तू क्यों पत्थरों का महल
अब बना नही रहा
जो रेत फिसल गई है
उसे फिसल जाने दे
जो बह गया है अश्कों की बाढ़ में
उसे बह जाने दे
बिखरा बिखरा सा है सब
इसे और बिखर जाने दे
रेत का महल दुबारा न बना
इसे अब ढह जाने दे...

Old
#अB
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Hindi/Urdu Poems

01 Nov, 14:40


हाइकु शीर्षक : वो मुस्कुराई .....

साफ रात में
चांद की रोशनी में
वो मुस्कुराई ।

प्रकृति जगी
शांत वायु बनके
कहने आई ।


अनोखा रत्न
तुमने ऐसा पाया
मोती शर्माई।

इसकी चांद
दे रहा है गवाही
दिया सुनाई।

अपनी बाल
खोलके रेशम का
जीव बुलाई।

पूछते सभी
वो देवी को तुमने
कहां से पाई ।

---अभय कुमार वर्मा  ✍️  "
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Hindi/Urdu Poems

01 Nov, 13:27


हाइकु शीर्षक : वो मुस्कुराई .....

साफ रात में
चांद की रोशनी में
वो मुस्कुराई ।

प्रकृति जगी
शांत वायु बनके
कहने आई ।


अनोखा रत्न
तुमने ऐसा पाया
मोती शर्माई।

इसकी चांद
दे रहा है गवाही
दिया सुनाई।

अपनी बाल
खोलके रेशम का
जीव बुलाई।

पूछते सभी
वो देवी को तुमने
कहां से पाई ।

---अभय कुमार वर्मा  ✍️  "
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Hindi/Urdu Poems

01 Nov, 12:51


शीर्षक : तुम्हारे साथ हर पल

तुम्हारे मैयत तक इंतेज़ार नहीं,
हम तुम्हारे साथ चलेंगे,
दुनिया से दूर चलेंगे,
जहां भी रहेंगे, साथ रहेंगे।

तुमसा नहीं,
तुम्हारा इंतेजार करेंगे,
हर पल, हर दम,
तुम्हारी यादों में ख्याल करेंगे।

तुम्हें पाने के लिए,
तुम्हारी मुस्कराहट के लिए,
तुम्हारी आवाज़ के लिए,
हम तुम्हारे साथ चलेंगे।

तुम्हारी आँखों में बसेंगे,
तुम्हारे दिल में रहेंगे,
तुम्हारी साँसों में जिएंगे,
तुम्हारे साथ ही मरेंगे।

तुमसा नहीं,
तुम्हारा इंतेजार करेंगे,
इस दुनिया में जहां भी रहोगे,
तुम्हारे साथ रहेंगे।


--- अभय कुमार वर्मा ✍️ "
#review

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Hindi/Urdu Poems

01 Nov, 12:43


शीर्षक:तुम्हारे साथ हर पल

तुम्हारे मैयत तक इंतेज़ार नहीं,
हम तुम्हारे साथ चलेंगे,
दुनिया से दूर चलेंगे,
जहां भी रहेंगे, साथ रहेंगे।

तुमसा नहीं,
तुम्हारा इंतेजार करेंगे,
हर पल, हर दम,
तुम्हारी यादों में ख्याल करेंगे।

तुम्हें पाने के लिए,
तुम्हारी मुस्कराहट के लिए,
तुम्हारी आवाज़ के लिए,
हम तुम्हारे साथ चलेंगे।

तुम्हारी आँखों में बसेंगे,
तुम्हारे दिल में रहेंगे,
तुम्हारी साँसों में जिएंगे,
तुम्हारे साथ ही मरेंगे।

तुमसा नहीं,
तुम्हारा इंतेजार करेंगे,
इस दुनिया में जहां भी रहोगे,
तुम्हारे साथ रहेंगे।


--- अभय कुमार वर्मा ✍️ "
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Hindi/Urdu Poems

01 Nov, 11:08


.....

नाराजगी और उदासी में अंतर की बात,
दुःख-दर्द का कारण स्वीकार है मूल मंत्र।
नाराजगी में कारण है, प्रतिक्रिया है तीव्र,
उदासी में निराशा है, असहायता की गहराई।

नाराजगी = दुःख + कारण + प्रतिक्रिया
उदासी = दुःख + निराशा + असहायता


---अभय कुमार " वर्मा "
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Hindi/Urdu Poems

01 Nov, 05:19


शीर्षक: इश्क, शराब और जिंदगी का जाल

इश्क, शराब और जिंदगी का जाल,
लफ्जों से चढ़ी नशा नहीं मिल पाती,
तब शराब ही अंतिम सहारा बन जाती है,
इश्क की नशा उतार, रूह में समाती है.

मेरे दुःख, दर्द, बेचैनी सभी को अपनाती है,
गहरे यादों से दिल को राहत दिलाती है,
कितना कहूं, क्या कहूं, कैसे आहे भरू?
शराब की बूंदे मेरे दिल को भिगोती हैं,
इश्क की यादें मेरे दिल में समाती हैं ।

कुछ मस्ती के लिए पीते, कुछ गम के लिए,
हम जो इश्क के नशा को उतरने लिए पीते,
अपने दर्दों को बहुत से कोरे कागज पर लिखे,
राहत नहीं मिली इसीलिए जीने के लिए पीते।

क्या यही है जिंदगी और जीवन की सच्चाई?
क्या यही है इश्क या फ़साना का हकीकत?
सभी चिंता छोड़ शराब की दुनिया में खो जाना,
इश्क की दुनिया में नम आंखों साथ डूब जाना।

जो हमारे हक में है वो हो जाए हमारा,
या खुशियां छोड़ परवाने में खो जाए,
नशा है इश्क का, शराब है सहारा,
इतनी शौक है तो जंग हो जाए दुबारा।

---अभय कुमार वर्मा ✍️"
#review

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Hindi/Urdu Poems

01 Nov, 05:16


कॉपी के पीछे पेज पर कुछ खास लिखा है इस कदर हमारा इश्क का इतिहास लिखा है
दुनिया में तुम कितने भी दूर हो पर मैंने तुझे अपनी डायरी में पास लिखा है

#Urmila
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Hindi/Urdu Poems

01 Nov, 04:31


..

जो हमारे हक में है वो हो जाए हमारा,
या खुशियां छोड़ परवाने में खो जाए,
नशा है इश्क का, शराब है सहारा,
इतनी शौक है तो जंग हो जाए दुबारा।"

---अभय कुमार वर्मा ✍️ "
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Hindi/Urdu Poems

01 Nov, 04:13


कॉपी के पीछे पेज पर कुछ खास लिखा है इस कदर हमारा इश्क का इतिहास लिखा है
दुनिया में तुम कितने भी दूर हो पर मैंने तुझे अपनी डायरी में पास लिखा है

#Urmila
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Hindi/Urdu Poems

31 Oct, 15:19


शीर्षक: मेरी लक्ष्मी की दिवाली

सज धज के वो आज दिवाली मनाएगी,
नादान है वह पटाखों से दुप्पटा जलाएगी।
घर और रंगोली को दीयों से सजाएगी,
चमकते दिए, रंग-बिरंगे फूल चढ़ाएगी।

अपनी सखियों संग फूलझड़ी जलाएगी,
एक-एक पल के हजार फोटो खिंचवाएगी।
मानो तो रानियों जैसी स्टेटस में दिखाएगी,
ऐसे दिवाली की रात को यादगार बनाएंगी।

मेरे पास इस लक्ष्मी का आने का पता नहीं,
पर श्रीलक्ष्मी की लक्ष्मी रूप में आएगी।
अंधेकार मिटाते हुए,उजाले में समाए,
मेरे तरफ से दीपावली की शुभकामनाएं।


---अभय कुमार वर्मा ✍️ "
#review

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Hindi/Urdu Poems

31 Oct, 14:32


शीर्षक: मेरी लक्ष्मी की दिवाली

सज धज के वो आज दिवाली मनाएगी,
नादान है वह पटाखों से दुप्पटा जलाएगी।
घर और रंगोली को दीयों से सजाएगी,
चमकते दिए, रंग-बिरंगे फूल चढ़ाएगी।

अपनी सखियों संग फूलझड़ी जलाएगी,
एक-एक पल के हजार फोटो खिंचवाएगी।
मानो तो रानियों जैसी स्टेटस में दिखाएगी,
ऐसे दिवाली की रात को यादगार बनाएंगी।

मेरे पास इस लक्ष्मी का आने का पता नहीं,
पर श्रीलक्ष्मी की लक्ष्मी रूप में आएगी।
अंधेकार मिटाते हुए,उजाले में समाए,
मेरे तरफ से दीपावली की शुभकामनाएं।


---अभय कुमार वर्मा ✍️ "
#review

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Hindi/Urdu Poems

31 Oct, 13:10


अमीर ही तो था मैं जब-जब बाप के साथ बाज़ार में गया,
हाथ रखूँ जिस चीज पर वो मेरा हो गया,

आज समझा मुझे पापा ने कभी खुद के लिए दिवाली में एक क़मीज़ क्यूँ नहीं लिया,

मिल गया जवाब सवाल का जो मैंने बचपन में था किया,
दिवाली के दिन भी बाप मेरा काम पर क्यूँ था गया?

#Krushnakant
#review

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𝗕𝗢𝗢𝗦𝗧

Hindi/Urdu Poems

31 Oct, 08:13


A reminder 😊

कुछ लोग निराले होते हैं
वो भूख के पाले होते हैं
दिन भर भागा करते हैं
रातों को जागा करते हैं
वो चाँद निहारा करते हैं
पानी पी गुज़ारा करते हैं
फिर भी मेहनत करते हैं
खुद की इज्जत करते हैं
उनकी भी दीवाली है देखो
कुटिया न उजाली है देखो
फिर भी मुख पर मुस्कान लिए
तुम्हें देख रहे अरमान लिए
तुम उनको दान नहीं करना
उनका अपमान नहीं करना
ऊँची दुकानों से ही सब
मत ले आना दीवाली मे
उनके घर को न भूलना तुम
अपने घर की खुशहाली मे
वो दीपक सस्ते बेचते हैं
वो झालर अच्छे बेचते हैं
कुछ बूढ़ी औरतें बैठी हैं
कुछ छोटे बच्चे बेचते हैं
जो मन न भाये तब भी तुम
प्यार से आगे बढ़ जाना
उनको उनकी मेहनत की
कीमत तुम न बतलाना
फिर देखना सस्ती चीजों से
कैसी उजियाली होती है
वो जो सड़को पर बैठे हैं
उनकी भी दीवाली होती है

#Hriday
#review

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𝗕𝗢𝗢𝗦𝗧

Hindi/Urdu Poems

31 Oct, 07:14


बिखरे फूलों को पलकों से उठाने को कहो
ये जो नाराज़ हो तो, खुशबू बिखर जाएंगे,

जाम इन होंठो से और पिलाने को कहो
होश आया तो, फिर नशा उतर जायेंगे ।

#Parveen
#review

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Hindi/Urdu Poems

31 Oct, 05:26


पतवार छेठे गंगा तो नौका पार लगे

उ जो छेठे डमरू तो दरिया पार लगे

#review
#Banarasiya 🥀

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Hindi/Urdu Poems

31 Oct, 05:20


पतवार छेठे गंगा तो नौका पार लगे

उ जो छेठे डमरू तो दरिया पार लगे

#review
#Banarasiya 🥀

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Hindi/Urdu Poems

31 Oct, 02:57


कैसे कैसे दिन देखे हैं हमने तेरी यारी में..
उम्र सारी बिता दी गम की चार दिवारी में।

रोना रातों को और मुस्कुराना दिन को..
ऐसे ऐसे ढोंग किए हैं हमने दुनिया दारी में।

न आखों में आसू न गई हसी होठों से..
न छुपा पाया कोई गम हमको तेरी सरदारी में।

फिर तुम ऐसे गए जिंदगी से मेरी जैसी कोई..
चला जाता है छोड़कर किसी को बेकारी में।

आज फिर उदास कर गई तेरी याद हमको..
पढ़े जब खत जो छुपा के रखे थे अलमारी में।

#ᴀʟᴏɴᴇ ᴡᴀʟᴋᴇʀ
#review

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Hindi/Urdu Poems

27 Oct, 13:06


वो मेरे घर नहीं आता मैं उस के घर नहीं जाता
मगर इन एहतियातों से तअ'ल्लुक़ मर नहीं जाता

बुरे अच्छे हों जैसे भी हों सब रिश्ते यहीं के हैं
किसी को साथ दुनिया से कोई ले कर नहीं जाता

घरों की तर्बियत क्या आ गई टी-वी के हाथों में
कोई बच्चा अब अपने बाप के ऊपर नहीं जाता

खुले थे शहर में सौ दर मगर इक हद के अंदर ही
कहाँ जाता अगर मैं लौट के फिर घर नहीं जाता

मोहब्बत के ये आँसू हैं उन्हें आँखों में रहने दो
शरीफ़ों के घरों का मसअला बाहर नहीं जाता

'वसीम' उस से कहो दुनिया बहुत महदूद है मेरी
किसी दर का जो हो जाए वो फिर दर दर नहीं जाता.

~Waseem Barelwi
#review

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Hindi/Urdu Poems

26 Oct, 16:13


मेरे प्रियतम, तुम निराकार हो, तथापि तत्पश्चात सहस्रों रूपों में तुम स्वयं को व्याप्त कर लेते हो। हे प्रेमपुंज, तर्कों के जाल में न उलझो, आगे बढ़कर उसे सर्वत्र देखो। वह प्रेम और तड़प की जटिल गाथा को बुनने वाला अदृश्य तंतु है, जो वायु की वाणी, पत्तों की सरसराहट, और आत्मा के तट पर तरंगों की मृदु लहरी है।

वह एक कुशल शिल्पकार है, जो सहस्रों रूपों में स्वयं को ढालता है - प्रकाशमय सूर्य, मृदु चंद्रमा, और रात के मखमली आकाश में चमकते हीरे जैसे तारे - वह सब है। वह गुलाब की सुगंध, मधु की मिठास, और ग्रीष्म की हवा का कोमल स्पर्श है। वन के केंद्र में, वह प्राचीन वृक्ष है, जिसकी जड़ें भूमि में गहराई तक जाती हैं, और शाखाएँ आकाश की ओर बढ़ती हैं।

उसकी वाणी मधुमक्षिका की गुंजार, पक्षी की मृदु चहचहाहट है। तुम उसे तर्क के दर्पण में न ढूंढो, क्योंकि वह प्रतिबिंब की सीमा से परे निवास करता है। उसका निवास हृदय में है, जहाँ प्रेम उसकी उपस्थिति को खोलने वाली कुंजी है।

हे प्रिय, रहस्य में समर्पित हो जाओ, और अपनी आत्मा की गहराइयों में उसे खोजो। उसके प्रेम के अनंत विस्तार में, तुम कमल हो, जो खिलता है, नदी हो, जो बहती है, और समुद्र हो, जो आनंद से उबल पड़ता है। मौन में, उसकी सुगंभीर वाणी सुनो, "मैं सर्वत्र हूँ, और तुम मेरे हो"।

जब जगत का शोर और ध्वनि शांत हो जाए, तुम उसके प्रेम की मधुर लहरी सुनोगे, जो तुम्हें अनंत के तट पर आदिकाल से बुला रही है, जहाँ विभाजन की तरंगें एकता के समुद्र में विलीन हो जाती हैं। तब, हे प्रिय, तुम जानोगे कि वह केवल प्रियतम नहीं, बल्कि तुम्हारे अस्तित्व का सार है - तुम्हारी साँस, तुम्हारी धड़कन, और है तुम्हारी आत्मा।

अध्यात्म सिंह
#adhyatm
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Hindi/Urdu Poems

26 Oct, 05:31


भूल  ना  जाऊं  राबता  कहीं सांसों से
फिर मैंने उस की तस्वीर को चूम लिया  ।


हसरत💌

#review

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Hindi/Urdu Poems

26 Oct, 05:02


महिला की मजबूती व संवेदनशीलता की बात


महिलाएं हार नहीं मानतीं, वे मजबूती की प्रतीक हैं।
हर चुनौती का सामना वे सिर उठाकर करती हैं।

कड़वी सच्चाई यह है कि प्यार में भी दर्द होता है।
लेकिन वे हार नहीं मानतीं, अपना रास्ता खुद बनाती हैं।

औरत का दिल बचकाना है, लेकिन संवेदनशील भी है।
वे दुख को साझा नहीं करतीं, लेकिन प्यार को समझती हैं।

महिलाएं सशक्त हैं, वे अपनी पहचान बनाती हैं।
कुछ बातों को समझाती है , खुद भी समझती है।

अपने बच्चे को देती ज्ञान , सिर्फ एक होना है अभिमान।
उनकी मजबूती को सलाम, उनकी सुंदरता को प्रणाम।

--- अभय कुमार वर्मा
#review

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Hindi/Urdu Poems

25 Oct, 14:46


kya kaha nakam ho gaye ho
apne aap se Anjan ho gaye ho

kitni chijen Hain ek bhi kam ki nahin
tum koi Khali pada saman ho gaye ho

bahut naam hai tumhara Sheher mein
to kya usse pahle Badnaam Ho Gaye Ho

sab dekh liye ek bhi pura nahin kiya
tabhi to Apne khwabon se pareshan ho gaye ho

kyon tumhare liye ladta nahin koi adeeb
kisi per lagaya hua ilzaam ho gaye ho

#adeeb
#review

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𝗕𝗢𝗢𝗦𝗧

Hindi/Urdu Poems

25 Oct, 14:19


तुम हमसे यू नजरे चुराके ,
इस तरह बेवफा न हो जाना ..

मेरी इन आँखों में डूब के ,
तुम मुझसे प्यार कर लेना ..

झूठ है कि तुम मुझसे दूर हो,
सच है कि तुम इस दिल में हो ..

तुम सबसे बढकर हो मेरे लिए ,
ये किसी को बताके मत आना ..

ये दुनियाँ बडी जालीम है,
हम दोनो को एक दुजेसे दूर कर देगी ..

#Poetry girl
#review

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Hindi/Urdu Poems

25 Oct, 13:59


kya kaha nakam ho gaye ho
apne aap se Anjan ho gaye ho

kitni chijen Hain ek bhi kam ki nahin
tum koi Khali pada saman ho gaye ho

bahut naam hai tumhara Sheher mein
to kya usse pahle Badnaam Ho Gaye Ho

sab dekh liye ek bhi pura nahin kiya
tabhi to Apne khwabon se pareshan ho gaye ho

kyon tumhare liye ladta nahin koi adeeb
kisi per lagaya hua ilzaam ho gaye ho

#adeeb
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25 Oct, 13:44


.......🌼🍂🍁🌿

♥️ शीर्षक : सकारात्मकता की राह 🌼

लोगों को त्यागना है, झूठे आशा के दाताओं को,
अपमानजनक लोगों से दूर रहना है हर पल को।

हार मानना एक हथियार है, मानसिक स्वतंत्रता का,
यही एक सहारा है ,नकारात्मकता से मुक्ति का।

अकेलापन पसंद करो, समान स्वभाव वालों के साथ रहो,
जीवन मुक्त हो जाएगा, खुशियों से भर जाएगा।

झूठे लोगों को अलविदा कहो, सकारात्मकता को अपनाओ,
जीवन को स्वच्छ बनाओ, खुशियों को मनाओ।

अपने आप को महत्व दो, दूसरों की बातों से न घबराओ,
जीवन में स्वतंत्रता और खुशी के लिए सही लोगों को अपनाओ।

.........🌹🌺🌸💐
#review

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Hindi/Urdu Poems

25 Oct, 12:20


.......🌼🍂🍁🌿

♥️ शीर्षक : सकारात्मकता की राह 🌼

लोगों को त्यागना है, झूठे आशा के दाताओं को,
अपमानजनक लोगों से दूर रहना है हर पल को।

हार मानना एक हथियार है, मानसिक स्वतंत्रता का,
यही एक सहारा है ,नकारात्मकता से मुक्ति का।

अकेलापन पसंद करो, समान स्वभाव वालों के साथ रहो,
जीवन मुक्त हो जाएगा, खुशियों से भर जाएगा।

झूठे लोगों को अलविदा कहो, सकारात्मकता को अपनाओ,
जीवन को स्वच्छ बनाओ, खुशियों को मनाओ।

अपने आप को महत्व दो, दूसरों की बातों से न घबराओ,
जीवन में स्वतंत्रता और खुशी के लिए सही लोगों को अपनाओ।

.........🌹🌺🌸💐
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25 Oct, 11:49


मैं बहुत डरी हुई हूँ तुम प्लीज मेरा साथ कभी मत छोड़ना तुम नहीं जानते मैं बहुत डरती हूँ घर से निकलते ही मुझे ये लड़के ऐसी नज़रों से देखते है मुझे बहुत डर लगता है एक शाम मैं घर से बाहर कुछ सामान लाने गयी अंधेरा हो गया था किसी ने बहुत तेज से मेरा नाम बुलाया मैंने डरते हुए पीछे देखा कोई नहीं दिखा ऐसा कई बार हो चुका है ये सामने वाले लड़के ग्रुप में खड़े होकर मुझे घूरते है और गन्दी नज़रो से देखते है छोटे बच्चों को पेपर में नंबर लिख कर मुझे देने के लिए बोलते है मुझे उस छोटे से बच्चे ने बताया दीदी वो लड़के आपके बारे में गंदी गंदी बात करते है आखिर मैंने क्या बिगाड़ा है इनलोगो का क्या मैं लड़की के रूप में आयी हूँ उसका खामियाजा भुगत रही हूँ या मैंने कौन से गलत काम किये हैं जो रास्ते चलते ये लड़के मुझे देख के चिल्लाने लगते है शर्म से मेरी नज़रे झुक जाती है मुझे लड़को से बहुत डर लगने लगा है ग्रुप में रह कर ये सब कुत्तो की तरह भौकते है क्या इनकी बहन को कोई ऐसे परेशान करेगा तो ये हॅसगे या उनका विरोध करेगे ये सब कब सुधर पायेगा तुम जवाब दो मुझे, इनकी नज़र में परिवर्तन कब आएगा जब मैं सेफ फील करुँगी कभी कभी लगता है मैं इस दुनिया पर बोझ बन गयी हूँ घर के काम पढाई का भी ध्यान और बाहर की ये दिक़्क़त झेलना आखिर सब हम लड़कियो को ही झेलना पड़ता है और भी बहुत सारी दिक़्क़त है जिन्हे हम शेयर भी नहीं कर सकते ये दुनिया कब समझेगी ...
(ऐसे कई विचार एक लड़की के मन में उठते है जिन्हे वो किसी से बता नहीं सकती है कृपया इज़्ज़त करे व दूसरों की सहायता करे गरीबो की मदद करे)

#MISHRA
#review

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Hindi/Urdu Poems

25 Oct, 11:37


~अब निकल रही हूँ बाहर तो निकल जाने दो मुझे ,
ना आओ तुम याद ना आने दो मुझे,
मै ये नही कहती की मिलूंगी नही तुमसे,
बस कुछ वक़्त खुद को खुद से अपनाने दो मुझे,
और तुम न कहते थे-
और तुम न कहते थे- यूँ रोज रोज न मिला करो मुझसे ,
तो अब न आती तो जाने दो मुझे ,
की अब निकल रही हूँ बाहर तो निकल जाने दो मुझे ,
ना आओ तुम याद ना आने दो मुझे ।

#Rose
#review

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25 Oct, 03:08


~अब निकल रही हूँ बाहर तो निकल जाने दो मुझे ,
ना आओ तुम याद ना आने दो मुझे,
मै ये नही कहती की मिलूंगी नही तुमसे,
बस कुछ वक़्त खुद को खुद से अपनाने दो मुझे,
और तुम न कहते थे-
और तुम न कहते थे- यूँ रोज रोज न मिला करो मुझसे ,
तो अब न आती तो जाने दो मुझे ,
की अब निकल रही हूँ बाहर तो निकल जाने दो मुझे ,
ना आओ तुम याद ना आने दो मुझे ।

#Rose
#review

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25 Oct, 03:05


~अब निकल रही हूँ बाहर तो निकल जाने दो मुझे
ना आओ तुम याद ना आने दो मुझे
मै ये नही कहती की मिलूंगी नही तुमसे
बस कुछ वक़्त खुद को खुद से अपनाने दो मुझे
और तुम न कहते थे
और तुम न कहते थे यूँ रोज रोज न मिला करो मुझसे
तो अब न आती तो जाने दो मुझे
की अब निकल रही हूँ बाहर तो निकल जाने दो मुझे
ना आओ तुम याद ना आने दो मुझे ।

#Rose
#review

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Hindi/Urdu Poems

24 Oct, 14:13


लफ्ज तो कुछ भी कह देंगे,
आँखे बंद कर तुम सुनते रहे ,
उसकी हर एक बात मानते गये ,
तो क्या वो सच में तुम्हारा हो जायेगा ?

समझो वो सच में तुम्हारा होगा तो गलत कहेगा नही,
तुम्हें हर्ट हो ऐसी बाते वो कभी भी करेगा नही ,
तुम्हारा भरोसा तुटे ऐसा कुछ भी वो चाहेगा नहीं,
तुम सही ही तो तुम्हें वो कभी रोकेगा नही ..

गलत राह पे तुम गये तो तुम्हें वो बतायेगा ,
उस राह से तुम्हारा मुह वो मोड देगा ,
तुम्हारा हर मोड पे वो साथ रहेगा ,
तुम रहो या ना रहो वो सदा तुम्हारा बनेगा ...

#Poetry girl
#review

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24 Oct, 08:32


अच्छी नौकरी लग जाए
और साथ रहें सब अपने
हाय रे ये बेरोजगारी
और महंगे महंगे सपने

#Hriday
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23 Oct, 18:37


गर हो शब-ए-वस्ल की रात, तो नही किया करते शब-ए-हिज्र की बाते

जो लेकर आए एक-आद बात का बहाना, कर लिजिए उनसे दुनिया-जहान की बाते

तारे उन आशिकों को देखकर हसते होंगे, जो करते थे तारे तोड़ लाने की बाते

आस्मां से कोई आवाज़ नही आता, चांद तारे नही करते कभी एक-दूजे से बाते

अफ़ीम के तरह होती है मोहब्बत, इसे खाने वाले युही नही करते मुस्कराकर बाते

हमारा हाल जानना हो तो आइए हमारे घर और करिए उन चार दीवारो से बाते

आपसे अच्छी आपकी यादे है, रोज वक्त पर आती है करने आप ही की बाते

धड़कने युही नही धड़कती मेरी जां, इक दिल इसी जरिए करता है दूसरे दिल से बाते

जिसे भी शिकायत हो खुद से, वो खड़े हो आईने के सामने और सुने आईने की बाते

उनसे कहिये जब तक 'बनारसिया' जिंदा है कर लिया करे बात, मुर्दे नही किया करते बाते

#review
#Banarasiya 🥀

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𝗕𝗢𝗢𝗦𝗧

Hindi/Urdu Poems

23 Oct, 17:28


गर हो शब-ए-वस्ल की रात, तो नही किया करते शब-ए-हिज्र की बाते

जो लेकर आए एक-आद बात का बहाना, कर लिजिए उनसे दुनिया-जहान की बाते

तारे उन आशिकों को देखकर हसते होंगे, जो करते थे तारे तोड़ लाने की बाते

आस्मां से कोई आवाज़ नही आता, चांद तारे नही करते कभी एक-दूजे से बाते

अफ़ीम के तरह होती है मोहब्बत, इसे खाने वाले युही नही करते मुस्कराकर बाते

हमारा हाल जानना हो तो आइए हमारे घर और करिए उन चार दीवारो से बाते

आपसे अच्छी आपकी यादे है, रोज वक्त पर आती है करने आप ही की बाते

धड़कने युही नही धड़कती मेरी जां, इक दिल इसी जरिए करता है दूसरे दिल से बाते

जिसे भी शिकायत हो खुद से, वो खड़े हो आईने के सामने और सुने आईने की बाते

उनसे कहिये जब तक 'बनारसिया' जिंदा है कर लिया करे बात, मुर्दे नही किया करते बाते

#review
#Banarasiya 🥀

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𝗕𝗢𝗢𝗦𝗧

Hindi/Urdu Poems

23 Oct, 12:08


वो पूछते हैं जाति
क्योंकि उनका अधिकार है
नहीं ऐसा उनका भाग्य नहीं है
वो पुछते है जाति
हमें सम्मान देने के लिए ?
हमारा अपमान करने के लिए?
नहीं जनाब !
उनका ऐसा कोई इरादा नहीं है
वो पूछते हैं जाति
हमें हमारी जाति याद दिलाने के लिए
हमें अस्पृश्यता सिखाने के लिए
#Bhagyashree
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𝗕𝗢𝗢𝗦𝗧

Hindi/Urdu Poems

23 Oct, 01:44


शीर्षक : विलेन की अनसुनी दर्दनाक कहानी

विलेन की कहानी, काव्य से इसलिए कह",
ताकि जो सिर्फ पढ़ते हैं, आगे बढ़ जाते;
जो गहराई समझते हैं, वही ठहर जाते हैं.
भावनाएं सहेज ली जाती, सब आनंद उठाते,
लिखने से पूरे दर्द, रूह से बाहर निकल जाते।

आप सिर्फ अपनी बातों का तवज्जो दे रहे हैं,
मेरा पक्ष न सुनते, न ही सुनना चाह रहे हो.
हीरो की तरह अपनी बात मनाने पर तुले हुए हो,
यहां मेरी गलती का कारण भी नहीं पूछा है?

सिर्फ अपनी कहानी कहते, दर्द बताते,
खामोश होने वाले का कारण तक पूछते?
ऐसे कर रहे बात जैसे मैं सब जानता हूं,
मैं स्वीकार करता हूं, मैं गलत था, विलेन हूं."

हीरो जो अपने न्याय के लिए खुद लड़ता है,
आप वही हैं मेरी पुकार के कारण न पूछे.
यह बताए आदर्श हीरो, आप कहां सही हैं?
आप अपनी महत्त्व के लिए लड़े, कर्म यही है?

हीरो के कहानी सुनिए,विलेन के वक्त मजा आता है।
कमजोर नहीं होता, पर आसानी से मारा जाता है।
सबकी कहानी और किरदार में विलेन होता है,
यह फर्क नहीं पड़ता , वो किसके साथ होता है.

विलेन इस कारण न होता कि विलेन ही है,
न ही उसको विलेन बनने की चाहत रही है।
उस बेरहम का आंखों के पर्दा पीछे आंसु बही है,
पत्थर बन जाता, यहां भावना की कीमत नहीं है।

न्याय यह हैं, पहले गलती को सुनी जाती है,
फिर गलत को गलत साबित की जाती है.
उसके बाद अपनी बात और पक्ष रखी जाए,
तब किसी को समझ आई तो फैसला पाए.

अपनी बात कह दिया, इतना कौन इंतेजार करे?
अब दर्द सहने वाला खुद ही बेमर्द क्यों कहे?
विलेन की कहानी, सबको समझ नहीं आती,
शांत दिखाने वाला, सह रहा ज्वाला और आंधी।

---अभय कुमार वर्मा ✍️ "

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Hindi/Urdu Poems

23 Oct, 00:35


शीर्षक : विलेन की अनसुनी दर्दनाक कहानी

विलेन की कहानी, काव्य से इसलिए कह",
ताकि जो सिर्फ पढ़ते हैं, आगे बढ़ जाते;
जो गहराई समझते हैं, वही ठहर जाते हैं.
भावनाएं सहेज ली जाती, सब आनंद उठाते,
लिखने से पूरे दर्द, रूह से बाहर निकल जाते।

आप सिर्फ अपनी बातों का तवज्जो दे रहे हैं,
मेरा पक्ष न सुनते, न ही सुनना चाह रहे हो.
हीरो की तरह अपनी बात मनाने पर तुले हुए हो,
यहां मेरी गलती का कारण भी नहीं पूछा है?

सिर्फ अपनी कहानी कहते, दर्द बताते,
खामोश होने वाले का कारण तक पूछते?
ऐसे कर रहे बात जैसे मैं सब जानता हूं,
मैं स्वीकार करता हूं, मैं गलत था, विलेन हूं."

हीरो जो अपने न्याय के लिए खुद लड़ता है,
आप वही हैं मेरी पुकार के कारण न पूछे.
यह बताए आदर्श हीरो, आप कहां सही हैं?
आप अपनी महत्त्व के लिए लड़े, कर्म यही है?

हीरो के कहानी सुनिए,विलेन के वक्त मजा आता है।
कमजोर नहीं होता, पर आसानी से मारा जाता है।
सबकी कहानी और किरदार में विलेन होता है,
यह फर्क नहीं पड़ता , वो किसके साथ होता है.

विलेन इस कारण न होता कि विलेन ही है,
न ही उसको विलेन बनने की चाहत रही है।
उस बेरहम का आंखों के पर्दा पीछे आंसु बही है,
पत्थर बन जाता, यहां भावना की कीमत नहीं है।

न्याय यह हैं, पहले गलती को सुनी जाती है,
फिर गलत को गलत साबित की जाती है.
उसके बाद अपनी बात और पक्ष रखी जाए,
तब किसी को समझ आई तो फैसला पाए.

अपनी बात कह दिया, इतना कौन इंतेजार करे?
अब दर्द सहने वाला खुद ही बेमर्द क्यों कहे?
विलेन की कहानी, सबको समझ नहीं आती,
शांत दिखाने वाला, सह रहा ज्वाला और आंधी।

---अभय कुमार वर्मा ✍️ "

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Hindi/Urdu Poems

22 Oct, 15:31


लिखना तो कितना आसान काम है ना
हर कोई अपनी शिकायतों, आंसूओं, गमों आदि
से पन्नों को भर देता होगा ना लेकिन उसको भी
पढ़ना उतना जरुरी है जो धन्यवाद, प्रार्थनाओं से
प्रत्येक पृष्ठों को खुशियों से भर देता है !
कहना तो कितना आसान काम है ना
सब अपने प्रियतम से दिल खोल बातें करते और
घंटों संवाद करते होगे ना लेकिन वो सब का क्या
जो मूक मौन हो कहे जा रहे है सब कुछ लेकिन
वैसा समझता क्या कोई भी उनको होगा क्या ?

~साक्षी
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