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Hindi Kavita/Poems (Hindi Kavitayen)

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•हिंदी कविता• समर्पित है हिंदी भाषा में लिखी गई कविताओं को एवं हिंदी कवियों को। हमारी कोशिश है कि हिंदी कविताएँ तथा उनका पढ़ा जाना इस दौर में और लोकप्रिय हो।

Hindi Kavita/Poems (हिंदी कविताएँ Poetries)

Hindi Kavita/Poems (Hindi Kavitayen) (Hindi)

हिंदी कविता/पद्य (हिंदी कविताएँ) टेलीग्राम चैनल आपके लिए एक अद्वितीय स्थान है जहाँ आप हिंदी भाषा में लिखी गई अद्भुत कविताओं का आनंद ले सकते हैं। यह चैनल 'hindi_poems' के तहत विज्ञापित हो रहा है और इसकी मिशन है हिंदी कविताओं को लोकप्रिय और प्रसिद्ध बनाना।nnचैनल में आपको हिंदी कविताएँ और पद्य दिए जाते हैं, जो हिंदी कविताओं के प्रशंसकों के लिए स्वर्ग से कम नहीं है। इस चैनल का लक्ष्य है कि हर एक व्यक्ति जो हिंदी भाषा में साहित्य का आनंद लेता है, उसे यहाँ अपनी पसंदीदा कविताएँ मिलें।nnचैनल में आपको अनेक विभिन्न कविताएँ मिलेंगी जैसे देशभक्ति कविताएँ, प्रेरणादायक कविताएँ, प्रेम कविताएँ और भी अन्य विषयों पर लिखी गई कविताएँ। यहाँ आपको हिंदी के जाने-माने कवि का काम भी देखने को मिलेगा।nnअगर आप भी हिंदी साहित्य के प्रशंसक हैं और अच्छी कविताओं का आनंद लेना चाहते हैं, तो 'Hindi Kavita/Poems (हिंदी कविताएँ)' चैनल जरूर जुड़ें और हर रोज़ एक नया अनुभव प्राप्त करें।

Hindi Kavita/Poems (Hindi Kavitayen)

18 Jan, 06:42


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18 Jan, 05:17


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17 Jan, 05:24


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17 Jan, 04:17


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09 Jan, 13:39


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Hindi Kavita/Poems (Hindi Kavitayen)

05 Jan, 09:12


विवाह को आसान करो क्योंकि लोग आएँगे, खाएँगे, जाएँगे और आप कर्ज चुकाते चुकाते श्मशान में पहुँच जाएँगे।

~ अज्ञात

Hindi Kavita/Poems (Hindi Kavitayen)

31 Dec, 19:30


कांवड़ ढोते तो सरकार भी फूल बरसाती…

रोज़गार माँगकर देश के विकास में बाधक बनने वालों का यही हाल होना चाहिए.

#BPSC

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14 Dec, 19:34


अपने सब यार काम कर रहे हैं
और हम हैं कि नाम कर रहे हैं

- जौन एलिया

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11 Dec, 02:52


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05 Nov, 04:02


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20 Oct, 06:59


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04 Sep, 13:50


सीढ़ियाँ
चढ़ते हुए
जो उतरना
भूल जाते हैं

वे घर नहीं
लौट पाते
क्योंकि सीढ़ियाँ
कभी ख़त्म नहीं होतीं

नरेश सक्सेना

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01 Sep, 08:12


BHU गैंगरेप के आरोपी जमानत पर बाहर आये हैं.

केक काटकर स्वागत किया गया.

उनके यहाँ कल्चर है.

और आप..! आप अपनी बेटी बचाइए!

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28 Aug, 09:05


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25 Aug, 13:35


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21 Aug, 15:27


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15 Aug, 12:29


देश में असली आज़ादी का मजा तो सिर्फ बलात्कारी , भ्रष्टाचारी , पेपर लीक माफिया , भूमाफिया , खनन माफिया , अधिकारी और नेता मार रहें हैं,

जनता तो भेड़ की तरह है , उसको केवल एहसास दिलाया गया है कि तुम आजाद हो , हर साल टैक्स के रूप में उसकी ऊन निकाल ली जाती है । फिर भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित रखा जाता है , भारत देश की जनता 1947 से पहले भी भगवान और भाग्य के भरोसे थी और 1947 के बाद भी ।

1947 के बाद बस इतना हुआ कि गोरे अंग्रेज चले गए और भूरे अंग्रेजों ने उनकी जगह ले ली।

#IndependenceDay2024

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15 Aug, 03:56


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12 Aug, 16:37


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01 Aug, 18:33


फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
आर्ट : रूपांकन

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25 Feb, 17:12


सारे इल्ज़ाम अपने सर ले कर,

हम ने किस्मत को माफ़ कर डाला....!!

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23 Feb, 16:10


"छात्रों के कमरों ने देखा है दुनिया का सबसे बड़ा संघर्ष" ~ कविराज

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19 Feb, 11:53


कोई फ़र्क़ नहीं
सब कुछ जीत लेने में
और अंत तक हिम्मत न हारने में

कुँवर नारायण

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18 Feb, 11:36


औरत बेवा हो जाती है
तो उसकी चूड़ियाँ तोड़ देते हैं

मर्द की घड़ी या ऐनक या हुक्का तोड़ने का
कभी किसी को ख़्याल न आया।

~ इस्मत चुग़ताई

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Hindi Kavita/Poems (Hindi Kavitayen)

30 Jan, 08:29


सबसे भारी क्या है ?
पर्वत पहाड़ या दर्द से भारी मन,

नहीं !
सबसे भारी है माथे का वो घूंघट
जिसमें संस्करों के नाम पर
पिघल जाती है कितनी ही
कलाएँ,योग्यताएं और प्रतिभा ।

सबसे ऊंचा क्या है ?
गगन चुम्बी ईमारतें,चीन की दिवार
या महापुरुषों की प्रतिष्ठा ,

नहीं !
सबसे ऊंची होती है वो दहलीज
जिसे पार करने में खप जाता है
किसी स्त्री का पूरा जीवन
जिसके नीचे रह जाती है
कितनी ही सर्वश्रेष्ठ धावक,
जो दौड़ कर दहलीज तक
पार नहीं कर पाती।

सबसे उजला क्या है?
नेताजी की कमीज ,
दोपहरी का तड़का
या सत्य और ईमान ,

नहीं !
सबसे उजला होता है
विधवा का दामन
जिसकी चकाचौंध में आँखें मलती
कितनी ही स्त्रिया कभी नहीं देख पाती
प्रकाश का परावर्तन,
वो सतरंगी आँखे ओढ़ कर
श्वेत खादी हो जाती है
रंग हीन उजली और सफेद।

सबसे नुकीला क्या है?
हथियार , देवी का त्रिशूल
या तिरस्कार और टीस ,

नहीं !
सबसे नुकीला होता है वो स्पर्श
जो होता है इच्छा के विरुद्ध
वो स्पर्ष जो खा जाता हैं हृदय की सारी कोमलता
जो निगल जाता है साहस
और कराता है आभास
पुरुष प्रधान समाज में स्त्री होने का।

- निशिका सिंह

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14 Jan, 14:30


ये जिंदगी सिर्फ तब तक हल्की है
जब तक सारे बोझ मां बाप ने उठाएं होते है ..!!

Hindi Kavita/Poems (Hindi Kavitayen)

31 Dec, 05:23


हम बहुत आम जगहों से आए थे
बहुत आम जगहों पर रहे
बहुत आम जगहों पर पढ़े
और बेहद आम जगहों पर खाया
जब अमीर लोग बड़े नोट निकाला करते थे
हमारी जेब में कुछ सिक्के खनकते थे

हम सब एक जैसे नहीं थे
फिर भी हम शामिल थे रेस में
एक ऐसे घोड़े की तरह
जिसकी टाँगों पर
पूरे खानदान की उम्मीदों का बोझ टिका था
और वह बोझ इतना था कि
थोड़ा और बढ़ते ही
हम चटक सकते थे
टूट सकते थे, बिखर सकते थे।

हमारे पास खोने को नींदें थीं
औ‌र‌ बेचने को सपने
इसके अलावा कुछ और नहीं
जिसे दाव पर लगा सकते।
हमने पढ़ीं रात भर किताबें
और लड़े सपनों के लिए
कितना कुछ और था‌ जो हम कर सकते थे
पर मारे गए दूसरों की उम्मीदों पर ख़रा उतरते हुए।

- अंकुश कुमार

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