मेरी बस इतनी सी आफ़त है..
वरना तुम्हें कभी इल्म ना होता,
की कब मुझे शिकायत है,
वरना तुम्हें कभी खबर ना होती,
की मेरी क्या चाहत है,
वरना तुम्हें कभी एहसास ना होता,
की तुम्हें खुश देखना मेरी इबादत है,
और तुम्हें कभी मालूम ना होता,
की हाँ मुझे मोहब्बत है,
पर मेरी आँखें पढ़ लेते हो तुम…