भीमवादियों के लिए भगवान बुद्ध ने पहले ही बता दिया था आप गुण मिलाकर देख लो
भगवान बुद्ध के समय जो लोग भिक्षुक बनते थे इनमें 2 प्रकार के व्येक्ति थे एक तो वो जो वैराग्य की भावना से मोक्ष निर्वाण की खोज में भिक्षु बनते ओर दूसरे वो जो घर से फालतू थे इन्हे वैराग्य मोक्ष से कोई लेना देना नही था इन्हे तो सम्मान चाहिए था
ये जो दूसरे किस्म के लोग थे इन्हे भगवान बुद्ध अच्छे से जानते थे और इनकी पहचान करने और इन्हे संघ से बाहर निकालने के लिए भगवान बुद्ध ने कुछ नियम बनाए थे इन नियमो को पढ़ कर कोई भी इन धूर्तों को आसानी से पहचान सकता था
देखिये भगवान बुद्ध सुत्निपात के धम्मचरित सूत में क्या बता रहे हैं
इस सूत्र में भिक्षुओं के लिए उपदेश हैं। इसमें यह आदेश है कि बुरे भिक्षुओं को संघ से निकाल कर अच्छे भिक्षुओं को निर्वाण के लिए प्रयत्न करना चाहिए ।
धार्मिक तथा श्रेष्ठ आचरण ही उत्तम है। जो घर से बेघर हो प्रव्रजित हो कर भी मुँहफट (भीमवादी नवबोधो में ये गुण खूब भरा हुआ है) ओर, पशु की तरह, दूसरों को सतानेवाला है उसका जीवन पापी है। वह अपने मल को बढाता है ॥ १-२॥ है
जो भिक्षु झगडालु हे और मोह से भरा है, वह बुद्ध के बताये धर्म को समझाने पर भी नहीं समझता ३
जो अविद्या के वशीभूत हो सन्तो को सताता है, वह नहीं जानता कि यह पाप नरक को ले जानेवाला मार्ग है ॥ ४ ॥ (भीमवादी आज यही कार्य तो खूब करते हैं)
ऐसा भिक्षु मृत्यु के बाद नरक में पड़ता है और वह एक जन्म से दूसरे जन्म को और अन्धकार से अन्धकार को प्राप्त हो परलोक में दुःख भोगता है ॥ ५ ॥ ऐसे पापी मनुष्य को शुद्ध करना वैसा ही कठिन है जैसा कि भरे हुए कई वर्ष पुराने गूथ कूप ( = संडास ) को ॥ ६ ॥
भिक्षुओ ! पापी इच्छा, पापी विचार, पापी आचार और पापी सगतिवाले किसी को जानो तो सब मिल कर उसे निकाल दो, कचरे की तरह उसे दो, कूडे की तरह उसे हटा दो ॥ ७-८ ॥ दूर कर
पापी इच्छा, पापी आचार और पापी सगतिवाले को निकालने के बाद उन तुच्छो को बाहर कर दो जो अभ्रमण हो श्रमण वेष धारण करते हैं ॥ ९ ॥ जागरूक हो शुद्ध पुरुष शुद्ध पुरुषों की संगति करें। इस प्रकार बुद्धिमान् -मेल से हट कर दु ख का अन्त कर सकेंगे ॥ १० ॥ (आज भीमवादी भिक्षु का वेश बनाते हैं ओर हिंदुओ को कोसने में ही लगे रहते हैं)
नोट: जब कोई भीमवादी भिक्षु बनता है तो वो नफरत को मन में रखकरके भिक्षु बनता है उसे निर्वाण वैराग्य से कोई लेना देना नही आप इन नवबोध भिक्षुओं के भाषणों में ये दूसरे दर्जे के भिक्षुक के रूप देख सकते हैं परंतु दुख है की आज दुनिया का कोई भी बुद्ध को मानने वाला इस गंदगी को साफ करने के लिए इस विषय में नही बोलता जानते हो क्यों क्युकी उन्हे भारत में बुद्ध के श्रेष्ठ विचार नही बल्कि भीम वादियों की घृणित मानसिकता के सहारे भारत में बौद्ध संप्रदाय को फैलाने की असीम संभावना दिखती है
क्या होगा इन संप्रदायों से एक और नया विवाद द्वेष ही उत्पन होगा
जानते हो भगवान बुद्ध ने कोई संप्रदाय नहीं चलाया बुद्ध ने तो शुद्ध धर्म की बात कही यानी की अहिंसा ,करुणा, राग द्वेष से दूर, चोरी ना करना, इंद्रियों का स्वामी बनना, जब भगवान बुद्ध जीवित थे तो उनके साथ लाखो व्यक्ति जुड़े थे बुद्ध ने उस समय के जन्मजात पंडो के पाखंड का विरोध किया जीव हत्या का विरोध कीया ओर आप आज देखलो बुद्ध को मानने वाले कई देशों के लोग खूब मासाहारी हैं इसिको तो अधर्म पाप संप्रदाय बोलते हैं
भगवान बुद्ध वेद का सम्मान करते थे हवन यज्ञ गायत्री की प्रशंसा करते थे, ओर आजके भीमवादी केवल द्वेष इसीलिए बुद्ध के कहे अनुसार भीमवादी घोर नरक में जाएंगे
नमस्ते जी 🙏 ईश्वर हम सबको सद्बुद्धि दे और दुनिया के सभी संप्रदाय समाप्त हो जाए और केवल शुद्ध धर्म ही बचे तो यह धरती सच में स्वर्ग हो जाएगी