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स्वामी रामसुखदासजी Swami RamsukhdasJi

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Ram. Teachings and Sermons of Swami RamsukhdasJi.
राम। स्वामी रामसुखदासजी के प्रवचन और सिद्धांत।

स्वामी रामसुखदासजी Swami RamsukhdasJi (Hindi)

स्वामी रामसुखदासजी Swami RamsukhdasJi एक शांतिप्रिय और और्ध्ववादी संत थे, जिन्होंने अपने जीवन काल में भगवान राम के प्रेम और भक्ति का संदेश लोगों तक पहुंचाने का काम किया। इनके प्रवचन और सिद्धांतों में अत्यंत सरलता और गहराई होती है। इस टेलीग्राम चैनल पर आप स्वामी रामसुखदासजी के शिक्षाओं और प्रवचनों का आनंद ले सकते हैं। यहाँ उनकी अमूल्य बातें सुनकर आपका मन और आत्मा प्रकाशित होगा, और आपके जीवन में नई प्रेरणा का स्रोत मिलेगा। तो आइये, इस चैनल में जुड़ें और स्वामी रामसुखदासजी के दिव्य संदेश का लाभ उठाएं।

स्वामी रामसुखदासजी Swami RamsukhdasJi

23 Nov, 04:32


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स्वामी रामसुखदासजी Swami RamsukhdasJi

22 Nov, 07:40


https://youtu.be/0WH-QGYn64s?si=aicz-lGDQH6bgrvc

स्वामी रामसुखदासजी Swami RamsukhdasJi

22 Nov, 04:46


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21 Nov, 06:46


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19 Nov, 07:13


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19 Nov, 04:30


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19 Nov, 04:26


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19 Nov, 04:04


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18 Nov, 06:36


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स्वामी रामसुखदासजी Swami RamsukhdasJi

18 Nov, 03:44


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18 Nov, 03:33


*ॐ श्री परमात्मने नमः*
 
*_प्रश्‍न‒जब अहम् भी वासुदेव है, तो फिर भोगोंका आकर्षण क्यों होता है ? वह आकर्षण कैसे छूटे ?_*
 
*स्वामीजी‒* आकर्षण छोड़नेका सबसे बढ़िया उपाय है‒‘मद्रुप उभयं त्यजेत्’ (श्रीमद्भा॰ ११ । १३ । २६) ‘दोनों (मन और विषयों)-को अपने वास्तविक स्वरूपसे अभिन्‍न मुझ परमात्मामें स्थित होकर त्याग दे’ । अहम्‌, मन और विषय‒तीनोंको छोड़ दे । अहम् भी एक प्रकाशमें दीखता है । अहम् नहीं है, पर प्रकाश है । भोगोंके आकर्षणका विरोध न करे । विरोध करनेसे भोगोंकी सत्ता दृढ़ होगी । जिसको आकर्षणका ज्ञान होता है, उसमें आकर्षण नहीं है ।
 
सुषुप्‍तिमें अहम् अर्थात् ‘मैं’ नहीं रहता, पर अपनी सत्ता रहती है । जो कभी है और कभी नहीं है, वह कभी भी नहीं है ! अतः ‘मैं’ नहीं है, प्रत्युत ‘है’ है । ‘है’ में ‘मैं’ नहीं है ।
 
आकर्षणको मिटाना भी नहीं है । उसकी सत्ता हो तो मिटाये ! सत्ता ही नहीं तो मिटायें क्या ? मैं कहूँ कि ‘यहाँसे घड़ा उठाओ’ तो जब यहाँ घड़ा है ही नहीं तो उठायें क्या ? मिटानेकी चेष्‍टा करना तो उसको सत्ता देना है । आकर्षण तो है ही नहीं !
 
मन प्रकृतिका अंश है; अतः मनका प्रकृतिमें आकर्षण होगा ही ! नेत्रोंका रूपमें आकर्षण होगा । सभी इन्द्रियाँ अपने-अपने विषयको ग्रहण करती हैं । अतः ‘मद्रुप उभय त्यजेत्’ ।
 
*_प्रश्‍न‒आपके प्रवचनमें एक बात यह आयी कि  ‘वासुदेवः सर्वम्’ में सन्देह नहीं होना चाहिये, और दूसरी बात आयी कि सन्देह भी भगवान्‌का स्वरूप है, दोनों बातें कैसे ?_*
 
*स्वामीजी‒* सन्देहरहित होनेपर ही यह ज्ञान होगा कि सन्देह, शंका, समाधान आदि भी भगवान्‌के ही स्वरूप हैं !
 
*_प्रश्‍न‒जब सब कुछ वासुदेव ही है तो फिर देवता, भूत-प्रेत आदि योनियोंमें स्वभावभेद कहाँसे आया ?_*
 
*स्वामीजी‒* सभीका स्वभावभेद मनुष्यकृत ही है । स्वभावको मनुष्यने बिगाड़ा है । सब योनियाँ अनादिकालसे चली आ रही हैं । सब योनियोंका एक ही बीज (परमात्मा) है‒‘यच्‍चापि सर्वभूतानां बीजं तदहमर्जुन’ (गीता १० । ३९) ‘हे अर्जुन ! सम्पूर्ण प्राणियोंका जो बीज (मूल कारण) है, वह बीज भी मैं ही हूँ’ ।
 
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*श्रद्धेय स्वामीजी श्रीरामसुखदासजी महाराज*
_(‘रहस्यमयी वार्ता’ पुस्तकसे)_
 
*VISIT WEBSITE*
 
*www.swamiramsukhdasji.net*
 
*BLOG*
 
*http://satcharcha.blogspot.com*
 
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स्वामी रामसुखदासजी Swami RamsukhdasJi

18 Nov, 03:22


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17 Nov, 16:10


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17 Nov, 15:56


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14 Nov, 07:51


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14 Nov, 04:44


https://youtu.be/yqigSb5Ue7U?si=YRyIceUnORPMKY01

स्वामी रामसुखदासजी Swami RamsukhdasJi

14 Nov, 04:06


राम ! राम !! राम !!! राम !!!!

भगवान् ने सृष्टि की रचना जीवों के लिए की है, क्योंकि जीव भोग चाहते हैं, जैसे पिता बालक के लिए खिलौना खरीद कर देता है । सृष्टि की रचना मनुष्यों के लिए और मनुष्यों की रचना अपने लिए की है ।

*परम श्रद्धेय स्वामी जी श्री रामसुखदास जी महाराज जी द्वारा विरचित ग्रंथ गीता प्रकाशन गोरखपुर से प्रकाशित स्वाति की बूंदें पृष्ठ संख्या ४२*

*राम ! राम !! राम !!! राम !!!!*
👏👏

स्वामी रामसुखदासजी Swami RamsukhdasJi

14 Nov, 03:46


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14 Nov, 03:38


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14 Nov, 03:37


*ॐ श्री परमात्मने नमः*
 
*_प्रश्‍न‒हमारे कर्मोंसे हमें वस्तु मिली है तो वह हमारी ही तो हुई, दूसरेकी कैसे हुई ?_*
 
*स्वामीजी‒* प्रारब्धसे वस्तु मिली है तो वह भी देने (सेवा)-के लिये है, अपने सुखभोगके लिये नहीं । आने-जानेवाली चीज हमारी कैसे हो सकती है ? वस्तु मिली है और बिछुड़नेवाली है‒यह निश्‍चित बात है ।
 
क्रियाशक्‍ति भी हमारी नहीं है । लकवा मार जाय, कमजोरी आ जाय तो हम क्या कर सकते हैं ? कर्मफलका भोग भी बेईमानी है‒‘फले सक्तो निबध्यते’ (गीता ५ । १२) । कर्म, कर्म-सामग्री, करनेकी योग्यता, बल आदि कुछ भी अपना नहीं है । कर्म करनेका विवेक भी अपना नहीं है, प्रत्युत मिला हुआ है ।
 
प्राप्‍त वस्तु कर्मोंका फल है‒यह तो बहुत स्थूल बात है । वास्तवमें सब कुछ भगवान्‌का है, भगवान् मेरे हैं । एक भगवान्‌के सिवाय कुछ भी अपना नहीं है । परन्तु भगवान्‌से भी कुछ नहीं लेना है, सुख नहीं लेना है, उनसे अपनी मनचाही नहीं करनी है ।
 
वस्तुओंको चाहे संसारकी मान लो (कर्मयोग), चाहे प्रकृतिकी मान लो (ज्ञानयोग) और चाहे भगवान्‌की मान लो (भक्‍तियोग) । अपनी मानोगे तो जन्ममरणयोग होगा ! जितनी ममता करोगे, उतना ही दुःख होगा‒यह थर्मामीटर है !
 
*_प्रश्‍न‒आप कहते हैं कि पदार्थ ‘मेरे’ भी नहीं हैं और ‘मेरे लिये’ भी नहीं हैं, तो वे ‘मेरे लिये’ क्यों नहीं ?_*
 
*स्वामीजी‒* क्योंकि जड़के द्वारा चेतनकी प्राप्‍ति कैसे होगी ? जड़ चेतनका उपकारक कैसे होगा ?
 
*_प्रश्‍न‒आपने कहा कि लोभके कारण आवश्यक वस्तुकी प्राप्‍ति नहीं होती, तो लोभ न होनेसे आवश्यक वस्तु मिलती है या प्रारब्ध होनेसे मिलती है ?_*
 
*स्वामीजी‒* लोभ न होनेसे नया प्रारब्ध बन जायगा !
 
*_प्रश्‍न‒वस्तु प्रारब्धसे मिलती है या भगवान्‌की कृपासे ? भगवान् प्रारब्धके अनुसार ही तो देंगे !_*
 
*स्वामीजी‒* अगर भगवान् प्रारब्धके अनुसार ही दें तो उनकी दया क्या काम आयी ? अतः वस्तु प्रारब्धके बिना भी भगवान्‌की दयासे मिल सकती है ।
 
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*श्रद्धेय स्वामीजी श्रीरामसुखदासजी महाराज*
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13 Nov, 04:05


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13 Nov, 03:57


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12 Nov, 07:51


https://youtu.be/TMQvc8MdaZQ?si=nx0TB881wipT-AO6

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12 Nov, 07:23


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12 Nov, 05:18


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11 Nov, 03:45


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11 Nov, 03:33


*ॐ श्री परमात्मने नमः*
 
*_प्रश्‍न‒बीमारीकी अवस्थामें अशुद्ध दवा लेना और दूसरेका खून चढ़वाना‒दोनों एक ही हैं या दोनोंमें फर्क है ?_*
 
*स्वामीजी‒* दोनोंमें फर्क है । अशुद्ध दवा लेना दोष है, पर रक्त लेना दोष नहीं है । कारण कि रक्तको दूसरा व्यक्‍ति अपनी इच्छासे, प्रसन्‍नतासे अपनेमेंसे देता है, जबकि दवा अपनेसे अलग है । जैसे, भोजन वही बढ़िया होता है, जिसमें खानेवालेसे अधिक खिलानेवालेको प्रसन्‍नता होती है । दूसरी बात, अशुद्ध दवामें पशुके रक्त आदि पदार्थ उसकी इच्छाके बिना जबर्दस्ती लिये जाते हैं ।
 
*_प्रश्‍न‒जिसका रक्त लिया जाय, उस आदमीके संस्कार, उसका स्वभाव क्या अपनेमें नहीं आता ?_*
 
*स्वामीजी‒* नहीं आता ।
 
*_प्रश्‍न‒दवा लेनेसे रोगके कीटाणु मरते हैं तो क्या उनकी हिंसा नहीं लगती ?_*
 
*स्वामीजी‒* उद्देश्य मारनेका नहीं होना चाहिये । रोग कीटाणुसे होता है‒इसमें मतभेद भी है । आयुर्वेदकी दृष्‍टिसे वात-कफ-पित्त कुपित होनेसे रोग होते हैं ।
 
*_प्रश्‍न‒शरणानन्दजी महाराज कहते हैं कि रोगका कारण ‘राग’ है । परन्तु रागरहित महापुरुषोंके शरीरमें भी रोग होता है ?_*
 
*स्वामीजी‒* हाँ, रागरहित महापुरुषोंके शरीरमें भी रोग हो सकता है, पर वह रोग दुःखदायी नहीं होता ।
 
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*श्रद्धेय स्वामीजी श्रीरामसुखदासजी महाराज*
_(‘रहस्यमयी वार्ता’ पुस्तकसे)_
 
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स्वामी रामसुखदासजी Swami RamsukhdasJi

11 Nov, 03:30


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10 Nov, 19:46


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10 Nov, 19:09


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03 Nov, 15:46


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03 Nov, 07:31


https://youtu.be/0ZYWXjqCT1M?si=pTGYz8lCeMMlquM9

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03 Nov, 07:22


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03 Nov, 07:17


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02 Nov, 16:33


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02 Nov, 16:26


राम ! राम !! राम !!! राम !!!!


प्रत्यक्ष प्रणाम करने में कठिनाई हो तो मन से प्रणाम करो । एक भी भाई - बहन बिना प्रणाम किए न जाए ।


*परम श्रद्धेय स्वामी जी श्री रामसुखदास जी महाराज जी द्वारा विरचित ग्रंथ गीता प्रकाशन गोरखपुर से प्रकाशित स्वाति की बूंदें पृष्ठ संख्या ३९*

*राम ! राम !! राम !!! राम !!!!*
👏👏

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02 Nov, 14:30


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01 Nov, 04:54


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01 Nov, 04:50


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01 Nov, 03:40


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31 Oct, 14:14


राम ! राम !! राम !!! राम !!!!

आप सच्चे हृदय से भगवान् के शरण हो जाएं । जिसमें मन लगे, उस मंत्र का जप करें । परंतु दूसरे मत का खंडन, निंदा, तिरस्कार मत करें ।

*परम श्रद्धेय स्वामी जी श्री रामसुखदास जी महाराज जी द्वारा विरचित ग्रंथ गीता प्रकाशन गोरखपुर से प्रकाशित स्वाति की बूंदें पृष्ठ संख्या ३८*

*राम ! राम !! राम !!! राम !!!!*
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स्वामी रामसुखदासजी Swami RamsukhdasJi

31 Oct, 03:29


https://youtu.be/EYlFoNb9VAE?si=TdQBPdPiN5-4mCtd

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31 Oct, 03:20


https://youtu.be/Brh8Col_bQo?si=ZcBxnMThoaTLcNqD

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30 Oct, 12:35


राम ! राम !! राम !!! राम !!!!

सिद्ध भक्तों के लक्षणों में श्रद्धा, विश्वास आदि शब्द नहीं आते । ये शब्द साधकों के लक्षणों में आते हैं, जैसे -' *अश्रद्धाना मत्परमा भक्ता:'* (गीता १२/२०) ।

*परम श्रद्धेय स्वामी जी श्री रामसुखदास जी महाराज जी द्वारा विरचित ग्रंथ गीता प्रकाशन गोरखपुर से प्रकाशित स्वाति की बूंदें पृष्ठ संख्या ३८*

*राम ! राम !! राम !!! राम !!!!*
👏👏

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30 Oct, 12:19


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30 Oct, 03:46


https://youtu.be/gpdINzdJQBY?si=3CAPpjUaU_vr9ZU2

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29 Oct, 06:32


https://youtu.be/tz9vWnZ5ZB4?si=VtgxoiLaqnKu2gSG

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29 Oct, 04:04


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28 Oct, 05:34


राम ! राम !! राम !!! राम !!!!

*जो सच्चे हृदय से साधु हो जाता है, उसकी जाति नहीं रहती ।* वह ब्राह्मण, क्षत्रिय आदि नहीं रहता । वह तो अच्युत गोत्र हो जाता है ।

*परम श्रद्धेय स्वामी जी श्री रामसुखदास जी महाराज जी द्वारा विरचित ग्रंथ गीता प्रकाशन गोरखपुर से प्रकाशित स्वाति की बूंदें पृष्ठ संख्या ३७*

*राम ! राम !! राम !!! राम !!!!*
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28 Oct, 05:32


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28 Oct, 05:26


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27 Oct, 16:12


https://youtu.be/XVDLMFxTPQs?si=y9JEJ_Sq9n70R7In

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27 Oct, 04:13


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27 Oct, 03:03


https://youtu.be/2hVK0Y24vF8?si=0p64E7J7MVthD7gb

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27 Oct, 02:57


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26 Oct, 09:50


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26 Oct, 04:19


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26 Oct, 04:14


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25 Oct, 17:54


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25 Oct, 17:53


।॥राम॥
 
ऑनलाइन सत्संग सूचना

वि.सं. २०८१ कार्तिक कृ० ०९ शनि 26 अक्टूबर 24

प्रात: 4:30 गीता-पाठ
प्रातः 5 प्रार्थना प्रवचन व सत्संग- संवाद
(गीता १४/११-२०)

भगवत्प्राप्ति अपने घर जाना है
(श्रद्धेय स्वामीजी श्रीरामसुखदास जी महाराज 06.11.2004 प्रातः5 गीताभवन ऋषिकेश)
प्रार्थना प्रवचन व सत्संग-संवाद
गीता-दर्पण
गीता प्रबोधनी अर्थ सहित पाठ
गीता- साधक- संजीवनी

दोपहर 3 गीता-अभ्यास, रामायण

रात्रि 7 गीता-साधक-संजीवनी

हार्दिक निवेदन है कि हम सभी मिलकर लाभ लेवें                                                           
Join Zoom Meeting
https://us06web.zoom.us/j/84470962486?pwd=MjRnRHViT01Dd3UwaFBlQUgzdTM5QT09
Meeting ID: 844 7096 2486
Passcode: ramram

हमारी रोज वाली जूम मीटिंग में 100 लोगों की लिमिट है अगर आप जूम मीटिंग नहीं जुड़ पाते हैं तो इस नई आईडी में जुड़ सकते हैं ।

Join Zoom Meeting
https://us06web.zoom.us/j/77196604075?pwd=SGZGekJhWERZSGg0alBaeUdkVDVxQT09
Meeting ID: 771 9660 4075
Passcode: narayan

 

स्वामी रामसुखदासजी Swami RamsukhdasJi

25 Oct, 04:06


राम ! राम !! राम !!! राम !!!!

जिससे ज्ञान मिले वह गुरु हो जाता है, चाहे हम उसे गुरु मानें या न मानें । न मानें तो कोई दोष नहीं ।

*परम श्रद्धेय स्वामी जी श्री रामसुखदास जी महाराज जी द्वारा विरचित ग्रंथ गीता प्रकाशन गोरखपुर से प्रकाशित स्वाति की बूंदें पृष्ठ संख्या ३७*

*राम ! राम !! राम !!! राम !!!!*
👏👏

स्वामी रामसुखदासजी Swami RamsukhdasJi

25 Oct, 03:06


https://youtu.be/koFg5FAyH-M?si=MQZ17RP2F4treulB

स्वामी रामसुखदासजी Swami RamsukhdasJi

25 Oct, 02:56


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24 Oct, 03:13


https://youtu.be/njCKvQKDEe4?si=zvYh7w4ydRzMt3oD

स्वामी रामसुखदासजी Swami RamsukhdasJi

24 Oct, 03:08


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24 Oct, 03:01


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स्वामी रामसुखदासजी Swami RamsukhdasJi

23 Oct, 17:31


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स्वामी रामसुखदासजी Swami RamsukhdasJi

23 Oct, 17:30


।॥राम॥
 
ऑनलाइन सत्संग सूचना

वि.सं. २०८१ कार्तिक कृ० ०८ गुरु 24 अक्टूबर 24

प्रात: 4:30 गीता-पाठ
प्रातः 5 प्रार्थना प्रवचन व सत्संग- संवाद
(गीता १३/२३-३४)

कामना का सर्वथा त्याग
(श्रद्धेय स्वामीजी श्रीरामसुखदास जी महाराज 04.11.2004 प्रातः5 गीताभवन ऋषिकेश)
प्रार्थना प्रवचन व सत्संग-संवाद
गीता प्रबोधनी अर्थ सहित पाठ
गीता- साधक- संजीवनी

दोपहर 3 गीता-अभ्यास, रामायण

रात्रि 7 गीता-साधक-संजीवनी

हार्दिक निवेदन है कि हम सभी मिलकर लाभ लेवें                                                           
Join Zoom Meeting
https://us06web.zoom.us/j/84470962486?pwd=MjRnRHViT01Dd3UwaFBlQUgzdTM5QT09
Meeting ID: 844 7096 2486
Passcode: ramram

हमारी रोज वाली जूम मीटिंग में 100 लोगों की लिमिट है अगर आप जूम मीटिंग नहीं जुड़ पाते हैं तो इस नई आईडी में जुड़ सकते हैं ।

Join Zoom Meeting
https://us06web.zoom.us/j/77196604075?pwd=SGZGekJhWERZSGg0alBaeUdkVDVxQT09
Meeting ID: 771 9660 4075
Passcode: narayan

 

स्वामी रामसुखदासजी Swami RamsukhdasJi

22 Oct, 04:51


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22 Oct, 03:54


https://youtu.be/kNk1FP-EpKg?si=qwWG1gWgX3si0b82

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22 Oct, 03:46


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22 Oct, 03:44


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स्वामी रामसुखदासजी Swami RamsukhdasJi

22 Oct, 02:24


राम ! राम !! राम !!! राम !!!!

*गुरु के दिए मंत्र में शक्ति तभी आएगी, जब गुरु में शक्ति हो, वह जीवन्मुक्त हो ।*

*परम श्रद्धेय स्वामी जी श्री रामसुखदास जी महाराज जी द्वारा विरचित ग्रंथ गीता प्रकाशन गोरखपुर से प्रकाशित स्वाति की बूंदें पृष्ठ संख्या ३६*

*राम ! राम !! राम !!! राम !!!!*
👏👏

स्वामी रामसुखदासजी Swami RamsukhdasJi

21 Oct, 04:11


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21 Oct, 02:33


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स्वामी रामसुखदासजी Swami RamsukhdasJi

20 Oct, 13:17


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20 Oct, 03:50


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स्वामी रामसुखदासजी Swami RamsukhdasJi

20 Oct, 03:47


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स्वामी रामसुखदासजी Swami RamsukhdasJi

19 Oct, 21:40


।॥राम॥
 
ऑनलाइन सत्संग सूचना

वि.सं. २०८१ कार्तिक कृ० ०३/०४ रवि 20 अक्टूबर 24

प्रात: 4:30 गीता-पाठ
प्रातः 5 प्रार्थना प्रवचन व सत्संग- संवाद
(गीता १२/०१-१०)

भगवान और भक्त के पास कुछ नहीं
(श्रद्धेय स्वामीजी श्रीरामसुखदास जी महाराज 31.10.2004 प्रातः5 गीताभवन ऋषिकेश)
प्रार्थना प्रवचन व सत्संग-संवाद
गीता प्रबोधनी अर्थ सहित पाठ
गीता- साधक- संजीवनी

दोपहर 3 गीता-अभ्यास, रामायण

रात्रि 7 गीता-साधक-संजीवनी

हार्दिक निवेदन है कि हम सभी मिलकर लाभ लेवें                                                           
Join Zoom Meeting
https://us06web.zoom.us/j/84470962486?pwd=MjRnRHViT01Dd3UwaFBlQUgzdTM5QT09
Meeting ID: 844 7096 2486
Passcode: ramram

हमारी रोज वाली जूम मीटिंग में 100 लोगों की लिमिट है अगर आप जूम मीटिंग नहीं जुड़ पाते हैं तो इस नई आईडी में जुड़ सकते हैं ।

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Meeting ID: 771 9660 4075
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स्वामी रामसुखदासजी Swami RamsukhdasJi

19 Oct, 21:09


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स्वामी रामसुखदासजी Swami RamsukhdasJi

19 Oct, 21:09


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स्वामी रामसुखदासजी Swami RamsukhdasJi

19 Oct, 18:41


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स्वामी रामसुखदासजी Swami RamsukhdasJi

19 Oct, 06:18


https://youtu.be/mXcn4azYwqU?si=eStwhIq6AN5oQdHx

स्वामी रामसुखदासजी Swami RamsukhdasJi

19 Oct, 06:14


राम ! राम !! राम !!! राम !!!!

संसार के साथ हमारा संबंध कृत्रिम है । परमात्मा के साथ हमारा संबंध सहज है । अतः सहजावस्था स्वाभाविक है । संसार की निवृत्ति और परमात्मा की प्राप्ति - दोनों ही सहज हैं ।

*परम श्रद्धेय स्वामी जी श्री रामसुखदास जी महाराज जी द्वारा विरचित ग्रंथ गीता प्रकाशन गोरखपुर से प्रकाशित स्वाति की बूंदें पृष्ठ संख्या ३५*

*राम ! राम !! राम !!! राम !!!!*
👏👏

स्वामी रामसुखदासजी Swami RamsukhdasJi

19 Oct, 04:30


https://youtu.be/NqGMy9e-CDo?si=hAW1iLA05pGHeXse

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