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इस चैनल का उद्देश्य वैदिक मत का मंडन करना है और अवैदिक मतों का खंडन करना है।
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वैदिक मार्ग (#प्रचार) (Hindi)

वैदिक मार्ग (#प्रचार) टेलीग्राम चैनल आपका स्वागत करता है! यह एक मंच है जो वैदिक संस्कृति, धर्म, और दर्शन को बढ़ावा देने के लिए समर्पित है। यहाँ आप पुराण, वेद, उपनिषद, गीता, और अन्य वैदिक ग्रंथों से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। पुराणों के किसी विशेष विषय पर चर्चा, धार्मिक विचार और टिप्स, पौराणिक कथाएँ, और वैदिक ज्योतिष आपको इस चैनल पर मिलेंगे। nnचैनल के माध्यम से आप अपनी आध्यात्मिक जिज्ञासा को संतुष्ट कर सकते हैं और वैदिक संस्कृति के माध्यम से जीवन में सकारात्मक परिवर्तन ला सकते हैं। साथ ही, आप वैदिक धर्म और साहित्य के प्रति अपनी जागरूकता भी बढ़ा सकते हैं।nnइस चैनल में सदस्य बनने के लिए इसे ज्वाइन करें और सभी वैदिक मार्ग संबंधित अपडेट और जानकारी सीधे अपने फोन पर प्राप्त करें! यहाँ आपको महाकाव्यों से जुड़ी रोचक बातें, धार्मिक संदेश, और वैदिक ज्ञान का एक समृद्ध स्रोत मिलेगा। तो आज ही ज्वाइन करें और वैदिक संस्कृति का आनंद लें!

𝐀ṅ𝐠𝐢𝐫ā 𝐒𝐚𝐦ā𝐣 𝐂𝐡𝐚𝐦𝐛𝐞𝐫

06 Feb, 12:39


मुक्ति जन्म-मृत्यु के सदृश नहीं है

~सांख्यवादी

𝐀ṅ𝐠𝐢𝐫ā 𝐒𝐚𝐦ā𝐣 𝐂𝐡𝐚𝐦𝐛𝐞𝐫

05 Feb, 10:18


ऋतं च स्वाध्यायप्रवचने च। सत्यं च स्वा० । तपश्च स्वा० । दमश्च स्वा० । शमश्च
स्वा०। अग्नयश्च स्वा० । अग्निहोत्रं च स्वा० । अतिथयश्च स्वा० । मानुषं च स्वा० । प्रजा च स्वा०। प्रजनश्च स्वा० । प्रजातिश्च स्वा० । सत्यमिति सत्यवचा राथीतरः । तप इति तपोनित्यः पौरुशिष्टिः। स्वाध्यायप्रवचने एवेति नाको मौद्गल्यः । तद्धि तपस्तद्धि तपः॥ ~तैत्तिरीय आरण्यक

ऋत से लेके प्रजाति पर्यन्त धर्म के जो बारह लक्षण होते हैं, उन सब के साथ स्वाध्याय जो
पढ़ना और प्रवचन जो पढ़ाने का उपदेश किया है, सो इसलिए है कि पूर्वोक्त जो धर्म के लक्षण हैं, वे तब प्राप्त हो सकते हैं कि जब मनुष्य लोग सत्यविद्या को पढ़ें, और तभी सदा सुख में रहेंगे क्योंकि सब गुणों में विद्या ही उत्तम गुण है। इसलिये सब धर्मलक्षणों के साथ स्वाध्याय और प्रवचन का ग्रहण किया है। सो इन का त्याग करना कभी न चाहिए। ( सत्यमिति० ) हे मनुष्य लोगो! तुम सब दिन सत्यवचन ही बोलो। (तप इति०) धर्म और ईश्वर की प्राप्ति करने के लिये नित्य विद्या ग्रहण करो, अर्थात् विद्या का जो पढ़ना पढ़ाना है, यही सब से उत्तम है।

~महर्षि दयानन्द

𝐀ṅ𝐠𝐢𝐫ā 𝐒𝐚𝐦ā𝐣 𝐂𝐡𝐚𝐦𝐛𝐞𝐫

04 Feb, 10:42


https://youtu.be/_R5cy-2Z09I?si=TCFtn3pmV-SwEIOj

𝐀ṅ𝐠𝐢𝐫ā 𝐒𝐚𝐦ā𝐣 𝐂𝐡𝐚𝐦𝐛𝐞𝐫

02 Feb, 06:11


🦚𝗧𝗵𝗲 𝗔𝘂𝗿𝗮 𝗢𝗳 𝗟𝗼𝗿𝗱 𝗞𝗿𝗶𝘀𝗵𝗻𝗮


♾️ >>> 🗿

#LordKrishna

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𝐀ṅ𝐠𝐢𝐫ā 𝐒𝐚𝐦ā𝐣 𝐂𝐡𝐚𝐦𝐛𝐞𝐫

01 Feb, 13:14


𝐀ṅ𝐠𝐢𝐫ā 𝐒𝐚𝐦ā𝐣 𝐂𝐡𝐚𝐦𝐛𝐞𝐫 pinned «https://youtu.be/iNjZqd8N2zE?si=K-n316NZuq_c-HqH Video out Now...#mahakumbh»

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01 Feb, 13:14


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01 Feb, 09:50


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𝐀ṅ𝐠𝐢𝐫ā 𝐒𝐚𝐦ā𝐣 𝐂𝐡𝐚𝐦𝐛𝐞𝐫

31 Jan, 06:33


महाकुंभ में धर्म एवं पाखंड की समीक्षा पर video इस शनिवार आयेगा।। जिसमें हम तंत्र, अघोर् एवं ऋषि दयानंद की पाखंड खंडिनी पताका पर बात करेंगे...

Part -1 - https://youtu.be/iNjZqd8N2zE?si=U506yDBsv6Hi2s_G

Video दो भाग में आयेगा.. दूसरा भाग अगले week upload होगा...

#mahakumbh2025prayagraj #shiv #डॉ_विवेक_आर्य #aryasamaj

𝐀ṅ𝐠𝐢𝐫ā 𝐒𝐚𝐦ā𝐣 𝐂𝐡𝐚𝐦𝐛𝐞𝐫

28 Jan, 12:34


https://youtube.com/shorts/NMLb_xI5qWw?si=Cgd9yP0lKfXMcMrp

𝐀ṅ𝐠𝐢𝐫ā 𝐒𝐚𝐦ā𝐣 𝐂𝐡𝐚𝐦𝐛𝐞𝐫

27 Jan, 15:39


पुस्तक:- लक्ष्मीसूक्त(श्रीसूक्त) {ऋग्वेद परिषिष्ट सूक्त}

भाष्यकार:- महर्षि दयानन्द सरस्वती

सम्पादक:- पण्डित युद्धिष्ठिर मीमांसक

पृष्ठ:- १०

संस्कर्त्ता:- वैदिक मीमांसक

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𝐀ṅ𝐠𝐢𝐫ā 𝐒𝐚𝐦ā𝐣 𝐂𝐡𝐚𝐦𝐛𝐞𝐫

27 Jan, 09:44


सर्पराज्ञी कद्रु क्या एक सांप थी?

मुठल मूर्खों का आक्षेप है की सर्पराज्ञी कद्रु एक सांप के नाम है।

जबकि बृहद्देवता के दूसरे अध्याय में वेदों के ऋषिकाओं का जो सूची आया है उसमे ऋषिका सर्पराज्ञी कद्रु को भी ब्रह्मवादिनी कहा गया है। बृहदारण्यक उपनिषद (४/५/१) के अनुसार स्त्री दो प्रकार के होते हैं एक हैं ब्रह्म संबंधी उपदेश करने वाली ब्रह्मवादिनी और दूसरे हैं साधारण स्त्री बुद्धि वाली जो गृहस्थ आदि के ज्ञान रखती हो यह मनुष्य स्त्रीयों के ही दो प्रकार बताया गया है।

सर्पराज्ञी का क्या अर्थ है।

ऐतरेय ब्राह्मण में आचार्य सायण ने सर्पराज्ञी का अर्थ करते हुए लिखते हैं "सञ्चरतो जङ्गमस्य मनुष्यादे 'राज्ञी' स्वामिनी" अर्थात भ्रमणशील मनुष्य आदि के रानी होने से सर्पराज्ञी कहा जाता है न की कोई नागिन को🤣🤣 यह शब्द ब्राह्मण ग्रंथों में मुख्य रूप से पृथ्वी के लिए प्रयोग हुआ है और ऋषिका कद्रू भी वेद में पृथ्वी विषयक मंत्र के दृष्टा होने से उनको सर्पराज्ञी का उपाधि दिया गया है ।
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𝐀ṅ𝐠𝐢𝐫ā 𝐒𝐚𝐦ā𝐣 𝐂𝐡𝐚𝐦𝐛𝐞𝐫

26 Jan, 11:55


Live stream finished (47 minutes)

𝐀ṅ𝐠𝐢𝐫ā 𝐒𝐚𝐦ā𝐣 𝐂𝐡𝐚𝐦𝐛𝐞𝐫

26 Jan, 11:08


Live stream started

𝐀ṅ𝐠𝐢𝐫ā 𝐒𝐚𝐦ā𝐣 𝐂𝐡𝐚𝐦𝐛𝐞𝐫

26 Jan, 09:09


🦚•ll वैदिक राष्ट्रगान ll•🦚

🌷 यजुर्वेद २२:२२ 🌷


चलिए इस गणतंत्र दिवस पर आप सभी को वैदिक राष्ट्रगान से अवगत करवाते हैं

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𝐀ṅ𝐠𝐢𝐫ā 𝐒𝐚𝐦ā𝐣 𝐂𝐡𝐚𝐦𝐛𝐞𝐫

26 Jan, 08:56


पुस्तक:- पञ्चशिखाचार्य उपदेशामृत

पृष्ठ:- १३

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𝐀ṅ𝐠𝐢𝐫ā 𝐒𝐚𝐦ā𝐣 𝐂𝐡𝐚𝐦𝐛𝐞𝐫

25 Jan, 14:01


पौराणिक

𝐀ṅ𝐠𝐢𝐫ā 𝐒𝐚𝐦ā𝐣 𝐂𝐡𝐚𝐦𝐛𝐞𝐫

25 Jan, 09:15


#new_panjiri

𝐀ṅ𝐠𝐢𝐫ā 𝐒𝐚𝐦ā𝐣 𝐂𝐡𝐚𝐦𝐛𝐞𝐫

25 Jan, 09:15


स्त्रियों के वैदिक मंत्र उच्चारण तथा वैदिक शिक्षा के पुरातात्विक प्रमाण :

यह महाराष्ट्र का एक शिलालेख है जो 1st century BCE -AD, जिसमें ऋग्वेदिक पाठ के संरक्षण और ब्राह्मण महिला की वैदिक शिक्षा का उल्लेख है।
यह उन लोगों के लिए एक सख्त ऐतिहासिक खंडन भी है जो दावा करते हैं कि महिलाएँ वेद नहीं पढ़ सकतीं।😁😁

Source - Junnar Inscriptions - Shobhana Gokhale
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𝐀ṅ𝐠𝐢𝐫ā 𝐒𝐚𝐦ā𝐣𝐢 𝐂𝐡𝐚𝐧𝐧𝐞𝐥

10 Jan, 12:29


आदि ऋषि अंग्नि, वायु, अंगिरा आदि से दयानंद पर्यंत ऋषिओं का मत जानने के लिए इस समूह से जुड़े।

https://t.me/mimansak_arsh_anusandhan_kendra

𝐀ṅ𝐠𝐢𝐫ā 𝐒𝐚𝐦ā𝐣𝐢 𝐂𝐡𝐚𝐧𝐧𝐞𝐥

09 Jan, 14:41


#dayanand200 #aryasamaj #mahakumbh

𝐀ṅ𝐠𝐢𝐫ā 𝐒𝐚𝐦ā𝐣𝐢 𝐂𝐡𝐚𝐧𝐧𝐞𝐥

09 Jan, 09:30


https://t.me/Mimansak_Aarsh_Anusandhan_Kendra

अंगिरा समाज के इस चैनल को भी ज्वाइन करें।

𝐀ṅ𝐠𝐢𝐫ā 𝐒𝐚𝐦ā𝐣𝐢 𝐂𝐡𝐚𝐧𝐧𝐞𝐥

09 Jan, 09:26


धर्मसम्राट जी के महाभारत पे किए गए 100 में से 75% पोस्ट भ्रामक है तथा आर्य विद्वानों के मान्यता के विरुद्ध है एवं महर्षि दयानंद के विरुद्ध है।

उनकी हर उस पोस्ट का खंडन समय आने पर किया जाएगा।

From अंगिरा समाजी

𝐀ṅ𝐠𝐢𝐫ā 𝐒𝐚𝐦ā𝐣𝐢 𝐂𝐡𝐚𝐧𝐧𝐞𝐥

09 Jan, 09:16


Owner बदल गया है
पुनः वैदिक AK हिंदुत्ववादी इस ग्रुप के owner हैं।

अतः यहां पर अंगिरा समाजियों की ही बात होगी।

𝐀ṅ𝐠𝐢𝐫ā 𝐒𝐚𝐦ā𝐣𝐢 𝐂𝐡𝐚𝐧𝐧𝐞𝐥

09 Jan, 04:26


https://www.youtube.com/watch?v=j5L8zUDFYv8

𝐀ṅ𝐠𝐢𝐫ā 𝐒𝐚𝐦ā𝐣𝐢 𝐂𝐡𝐚𝐧𝐧𝐞𝐥

08 Jan, 12:38


https://youtube.com/shorts/eaDLUeJ7SDc?si=LbdBfe71cDEPHj0F

𝐀ṅ𝐠𝐢𝐫ā 𝐒𝐚𝐦ā𝐣𝐢 𝐂𝐡𝐚𝐧𝐧𝐞𝐥

08 Jan, 11:58


Krishna and Narad

पद्म पुराण पाताल खण्ड 75.24-45

नारद जी वृन्दावन का रहस्य जानना चाहते थे क्या पहले वह ब्रह्मा के पास गए फिर वे दोनों महा विष्णु के पास गए महा विष्णु की आज्ञा से नारद जी को ब्रह्मा ने अमृत नामक सरोवर मे स्नान कराया

सरोवर के पार वह स्त्रियों के समीप चले गए वह स्त्री बन चुके थे 😂 नारद जी उनके साथ वहां गए जहां कृष्ण थे

श्री कृष्ण बार-बार कह रहे थे मुझे गले लगाओ और वहां एक साल तक नारद जी के साथ 1 साल तक भोग किया 😁

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04 Jan, 12:12


आगे कुछ कुछ ऐसी यज्ञ वेदियां भी प्राप्त होती है जिनकी बहुत ही खराब स्थिति है कारण नालों के बाद उनका खराब होना नालों से उसका काफी नुकसान हुआ जिससे अन्य केंद्र स्तंभ भी गिर गए



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04 Jan, 12:12


और टेराकोटा 'केक' के टुकड़े पाए गए इन 'वेदियों' के ठीक दक्षिण में, एक बर्तन का निचला आधा हिस्सा ज़मीन में धँसा हुआ पाया गया। इसमें राख और लकड़ी का कोयला था, जो इस बात का सबूत देता है कि संभवतः अनुष्ठान के लिए आग तैयार रखी गई थी।


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04 Jan, 12:12


इन वेदियों के पास एक कुआं और स्नान के लिए नाली के साथ एक फुटपाथ था, जो दर्शाता है कि जो कोई भी अनुष्ठान करता था, उससे स्नान करने की अपेक्षा की जाती थी। इन 'वेदियों' के बारे में एक और दिलचस्प बात है उनकी पंक्ति उत्तर-दक्षिण की ओर चलती थी और पंक्ति के ठीक पीछे एक दीवार थी,


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04 Jan, 12:12


जो उत्तर-दक्षिण की ओर चलती थी। इस प्रकार, पूजा करने वाले किसी भी व्यक्ति को पूर्व की ओर मुंह करना पड़ता था, जो अनुष्ठान का एक उल्लेखनीय पहलू है


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04 Jan, 12:12


यह यज्ञ वेदों को लेकर गलत भ्रांतियां फैलने से हुवे थे परन्तु उस काल में इसे वैदिक मान्यता के अंतर्गत रख के ही प्रचारित कर दिया गया था इसके विषय में चरक संहिता देखे
Now to the topic
गढ़ के दक्षिणी आधे भाग में एक अन्य मंच पर एक गड्ढा मिला, जिसका आंतरिक माप लगभग



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04 Jan, 12:12


मुहरों पर चित्रित कुछ दृश्यों से मिलता है, बल्कि कालीबंगन में पाए गए टेराकोटा 'केक' पर उत्कीर्णन से भी मिलता है (चित्र 21.69 और 21.69 (ए))। इसके एक तरफ एक मानव आकृति को दर्शाया गया है जो एक जानवर को रस्सी से आगे खींच रही है जिसे उसके गले में बाँधा गया था। दूसरी ओर एक देवता है



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04 Jan, 12:12


लगभग 1.3 मीटर x 0.9 मीटर था और जो भट्टी में पकी ईंटों से बना था। इसमें राख और कोयले के अलावा गाय की हड्डियाँ और सींग मिले थे, जो किसी प्रकार के पशु बलि का संकेत देते हैं (चित्र 5.38 - 5.40)। हड़प्पा के रीति-रिवाजों में पशु-बलि का एक हिस्सा होने का संकेत न केवल हड़प्पा की



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03 Jan, 11:01


बहुत लोग दावा करते है संस्कृत भारत तक ही सीमित थी दशवी शताब्दी में आई परन्तु यह चाइना मैं उस समय में ही मौजूद थी

Uighur script में एक पांडुलिपि प्राप्त हुई जो 10-1227 ad की है ऊपर मैं इसकी मूल भाषा में संस्कृत का निर्वाण शब्द साफ साफ प्राप्त होता है ये किसी बौद्ध सूत्र का अंश है तो आप यहां संस्कृत का एक विश्व व्यापी रूप देख सकते हो


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03 Jan, 10:41


कुछ चिमटे मीमटे लोग बोलते हैं की मनुस्मृति में लिखा है स्त्री कभी स्वतंत्र नहीं होती वह विवाह से पूर्व पिता के, विवाह के बाद पति के और वृद्ध अवस्था में पुत्र के रक्षण में रहना चाहिए। इसलिए मनुस्मृति स्त्री विरोधी है।

जब की यह नियम केवल स्त्रीयों के लिए नहीं है अपितु महाभारत (12/266/11) में पुत्रों के लिए भी आया है की पुत्र कभी स्वतंत्र नहीं होता वो सदैव ही माता पिता की इच्छा के अधीन होता है।

सामाजिक वास्तविकता यही है की कोई भी व्यक्ति का स्वानंत्रता कभी निरंकुश नही हो सकता चाहे स्त्री हो या पुरुष उनके स्वतंत्रता हमेशा लिमिटेड ही होता है। देश के द्वारा नागरिक को दिया हुआ मौलिक अधिकार भी निरंकुश नहीं होता।

Credit: Mystical Garuda bhoi
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02 Jan, 13:47


यजुर्वेद (३/६०) में आए महा मृत्युंजय मंत्र के साथ महा पतिवेदन मंत्र में हमे बाल विवाह का स्पष्ट खण्डन मिलता है।

ब्राह्मण गंथों में भी कुमारी कन्याओं को यह मंत्र पाठ करने को बोला गया है। इसमें स्पष्ट लिखा है "उ॒र्वा॒रु॒कमि॑व॒ बन्ध॑नादि॒तो मु॑क्षीय॒ मामुत॑:" अर्थात- जिस प्रकार कोई फल पकने पर वृक्ष से अलग हो जाती है उसी प्रकार कुमारी कन्या भी पिता कुल से अलग हो कर पति कुल को प्राप्त हों यहां ध्यान देने वाली बात यह है की कुमारी कन्या के विवाह के लिए पके हुए फल का उपमा दिया गया है जो छोटा फल होते हैं वह जब बड़े हो जाते है तो पक जाते है उस प्रकार जब कुमारी कन्या पके हुए फल के समान बड़ी हो जाती है अर्थात उभय शारीरिक और मानसिक रूप में परिपक्व (Mature) हो जाती है तब वह पिता कुल से अलग हो कर पति को प्राप्त करती है।
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02 Jan, 06:55


क्या गौ: पद का अर्थ पृथ्वी लोक नहीं हो सकता?

कुछ मूर्ख नास्तिक जिनको व्याकरण का घंटा ज्ञान नहीं है वह लोग आज ज्ञान दे रहे की गौ: नाम पृथ्वी के लिए आ सकता है पर पृथ्वी लोक के अर्थ में नहीं आ सकता।

अब ऐसे मूर्खों से मेरा प्रश्न है की यह नियम कहां लिखा है की गौ: पृथ्वी लोक के अर्थ में नहीं लिया जा सकता ?
अगर ऐसा बोलें की निघंटू (१/१) में जो गौ आदि २१ पृथ्वी के नाम दिया गया है वहां पृथ्वी के नाम है ऐसा लिखा है पर पृथ्वी लोक के नाम है ऐसा नहीं लिखा तो यह पूरी तरह से गलत है।

क्यों की निघंटु में गौ: नाम के तरह पृथ्वी के एक और नाम भी दिया गया है भू: और तैत्तिरीयोपनिषद (१/५) में भू: शब्द का अर्थ दिया गया है की "भूरिति वा अयं लोकः" अर्थात भू: यह पृथ्वी लोक को बोलते हैं। भू: शब्द जो की निघंटु में पृथ्वी नाम में पढ़ा गया उसका अर्थ अगर पृथ्वी लोक से लिया जा सकता है तो गौ: पद का अर्थ पुलिंग में पृथ्वी लोक क्यू नहीं हो सकता ??😂😂
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01 Jan, 17:10


वैदिक तोप की कहानी आर्य समाज की जुबानी 👇https://youtu.be/8ju_QvRM8h8?si=5io--RwcSpd9cAUG

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01 Jan, 08:05


बाल्मिकी रामायण (४/१६/११-१२) : तारा देवी द्वारा अपनी पति के मंगल कामना के लिए स्वस्ति वाचन के मंत्रों का उच्चारण करना। वह मन्त्रविद् थी उनको मंत्रों के ज्ञान थी।

ठुल्ला: पर यह कैसे संभव है ब्रो स्त्रीयों का मंत्र पढ़ना तो एक अपवाद है न ब्रो प्लीज ब्रो ट्रस्ट Me ब्रो 😭😭

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