जिसे सुनकर दिल को थोड़ी राहत मिलती है, मगर हकीकत नहीं बन पाती।
मुझे यह भी पता था कि हमारे रिश्ते में तुम्हारा वजूद बस एक खुशबू की तरह है,
जो कभी नज़र तो नहीं आता, पर उसकी मौजूदगी का एहसास हमेशा रहता है।
मुझे अहसास था कि तुम एक सफर जैसे हो,
जिसकी राहें खूबसूरत हैं, मगर जिसकी कोई मंज़िल नहीं है।
तुम एक अधूरी कविता की तरह हो, जिसे हर बार लिखना चाहूं,
पर वह कभी मुकम्मल नहीं हो सकती।
मुझे मालूम था कि तुम मेरी हंसी की वजह तो बन सकते हो,
मगर पूरी ज़िंदगी नहीं।
तुम्हारी सोच किसी जादू जैसी है, जिससे खुशियों का समां बंध जाता है।
मैं जानती थी कि मेरी तन्हाई को सिर्फ तुम ही मिटा सकते हो,
साथ भले न हो, लेकिन एहसास हमेशा रहेगा।
सब कुछ पता होते हुए भी,
इश्क़ को रोकना कहां मुमकिन होता है।
जानते हुए कि तुम मेरे कभी नहीं हो सकोगे ,
फिर भी, मैं तुम्हारी हो गई ।
कभी-कभी, सब कुछ जानते हुए भी,
दिल बस...
इश्क़ कर बैठता है
तभी तो दिल को पागल कहा गया है।