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हिंदी/उर्दू कविताएँ

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हिंदी/उर्दू कविताएँ (Hindi)

यदि आप कविता, शायरी और ग़जलों के सुन्दर संग्रह का आनंद लेना चाहते हैं, तो हमारा Telegram चैनल "हिंदी/उर्दू कविताएँ" आपके लिए है। यहा पर आपको हिंदी और उर्दू भाषा में शानदार कविताएँ मिलेंगी जो आपके दिल को छू जाएंगी। इस संग्रहालय में आपको अनेक विभिन्न प्रकार के कविताओं का आनंद लेने को मिलेगा।

यह चैनल "हिंदी/उर्दू कविताएँ" का उपयोग करके आप खुद को कविता की दुनिया में खो सकते हैं और कला के इस सर्वोत्तम रूप का आनंद उठा सकते हैं। चाहे आप कविता के शौकीन हों या फिर बस इस अद्भुत कला का आनंद लेना चाहते हों, हमारा चैनल आपके लिए सही स्थान है।

इस चैनल का स्थापना किया गया है श्री @IronFist04 द्वारा, जो कविता की दुनिया में अपने अनुभवों को साझा करने के लिए एक साथ हैं। वे एक प्रमुख कवि हैं और अपने अद्भुत कविताओं के माध्यम से लोगों को मंत्रमुग्ध कर देते हैं।

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तो आइए, अब हमारे Telegram चैनल "हिंदी/उर्दू कविताएँ" में शामिल होकर कविता की दुनिया में एक नए सफर की शुरुआत करें और इस कला के सुंदरीकरण का आनंद लें।

हिंदी/उर्दू कविताएँ

31 Oct, 15:53


शुभ दीपावली 🪔

हिंदी/उर्दू कविताएँ

27 Oct, 14:38


https://youtu.be/b1zRm6dvnkc?si=FxD4Tr3iY1cbXwRK

हिंदी/उर्दू कविताएँ

14 Sep, 06:09


हिन्दी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ 🇮🇳

हिंदी/उर्दू कविताएँ

15 Aug, 13:29


धन्य सुभग स्वर्णिम दिन तुमको
धन्य तुम्हारी शुभ घड़ियां
जिनमें पराधीन भारत मां
की खुल पाईं हथकड़ियां

भौतिक बल के दृढ़-विश्वासी
झुके आत्मबल के आगे
सत्य-अहिंसा के सम्बल से
भाग्य हमारे फिर जागे

उस बूढ़े तापस के तप का
जग में प्रकट प्रभाव हुआ
फिर स्वतन्त्रता देवी का
इस भू पर प्रादुर्भाव हुआ

नव सुषमा-युत कमला ने
सब स्वागत का सामान किया
कवि के मुख से स्वयं शारदा
ने था मंगल-गान किया

जय-जय की ध्वनि से गुंजित
नभ-मंडल भी था डोल उठा
नव जीवन पाकर भूतल का
कण-कण भी था बोल उठा

श्रद्धा से शत-शत प्रणाम
उन देश प्रेम-दीवानों को
अमर शहीद हुए जो कर
न्यौछावर अपने प्राणों को

कितने ही नवयुवक स्वत्व
समरांगण में खुलकर खेले
अत्याचारी उस डायर के
वार छातियों पर झेले

कितनों ने कारागृह में ही
जीवन का अवसान किया
अपने पावनतम सुध्येय पर
सुख से सब कुछ वार दिया

कितनों ने हंस कर फांसी को
चूमा, मुख से आह न की
सन्मुख अपने निश्चित पथ के
प्राणों की परवाह न की

अगणित मां के लाल हुए
बलिदान देश बलिवेदी पर
तब भारत माँ ने पाया
ये दिवस आज का अति सुखकर

पन्द्रह अगस्त का यह शुभ दिन
कभी न भूला जायेगा
स्वर्णाक्षर में अंकित होगा
उच्च अमर पद पायेगा

15 अगस्त / महावीर प्रसाद ‘मधुप’

हिंदी/उर्दू कविताएँ

25 Mar, 05:57


होली की हार्दिक शुभकामनाएँ 🙏🏽

हिंदी/उर्दू कविताएँ

22 Jan, 08:39


We believed for 500 Years 🧡🥹..

Finally Lord Rama placed at his Birth place Ayodhya 🧡🚩..

Historic moment , Jai Shreeram 🧡🧎🙏

हिंदी/उर्दू कविताएँ

01 Jan, 05:32


सर्वस्तरतु दुर्गाणि सर्वो भद्राणि पश्यतु। सर्वः कामानवाप्नोतु सर्वः सर्वत्र नन्दतु।।

भावार्थः सब लोग कठिनाइयों को पार करें, कल्याण ही कल्याण देखें, सभी की मनोकामना पूर्ण हो, सभी हर परिस्थिती में आनंदित हो।

नववर्ष की हार्दिक शुभकामनायें!

हिंदी/उर्दू कविताएँ

26 Dec, 13:21


राह जहा तक जाएगी. राहगीर वहा तक जाएगा।
तुम दरिया से क्या पूछ रहे हो. नीर कहा तक जाएगा।
खींच धनुष की डोर. साध निशाना अपने मंजिल का. बाद में देखेंगे तीर कहा तक जाएगा।

हिंदी/उर्दू कविताएँ

12 Nov, 01:32


Happy Diwali everyone! 🇮🇳

May this Diwali bring you happiness, prosperity, and success in all your endeavors!

हिंदी/उर्दू कविताएँ

24 Oct, 03:56


Happy Dussehra 🙏🏽

हिंदी/उर्दू कविताएँ

06 Sep, 23:13


Happy Janmashtami to all of you 🙏🌺🌺

जन्माष्टमी
जय हो राधा रानी की
जय श्री कृष्ण

हिंदी/उर्दू कविताएँ

15 Aug, 00:58


Wish you all a very happy independence day 🇮🇳❤️

हिंदी/उर्दू कविताएँ

29 Jun, 08:16


जहाँ अभिषेक-अम्बुद छा रहे थे,
मयूरों-से सभी मुद पा रहे थे,
वहाँ परिणाम में पत्थर पड़े यों,
खड़े ही रह गये सब थे खड़े ज्यों।
करें कब क्या, इसे बस राम जानें,
वही अपने अलौकिक काम जानें।
कहाँ है कल्पने! तू देख आकर,
स्वयं ही सत्य हो यह गीत गाकर।
बिदा होकर प्रिया से वीर लक्ष्मण--
हुए नत राम के आगे उसी क्षण।
हृदय से राम ने उनको लगाया,
कहा--"प्रत्यक्ष यह साम्राज्य पाया।"
हुआ सौमित्रि को संकोच सुन के
नयन नीचे हुए तत्काल उनके।
न वे कुछ कह सके प्रतिवाद-भय से,
समझते भाग्य थे अपना हृदय से।
कहा आनन्दपूर्वक राम ने तब--
"चलो, पितृ-वन्दना करने चलें अब।"
हुए सौमित्रि पीछे, राम आगे--
चले तो भूमि के भी भाग्य जागे।
अयोध्या के अजिर को व्योम जानों
उदित उसमें हुए सुरवैद्य मानों।
कमल-दल-से बिछाते भूमितल में,
गये दोनों विमाता के महल में।
पिता ने उस समय ही चेत पाकर,
कहा--"हा राम, हा सुत, हा गुणाकर!"
सुना करुणा-भरा निज नाम ज्यों ही,
चकित होकर बढ़े झट राम त्यों ही।

- साकेत (मैथिलीशरण गुप्त) 

हिंदी/उर्दू कविताएँ

28 Mar, 09:26


कौन बचा है जिसके आगे
इन हाथों को नहीं पसारा
यह अनाज जो बदल रक्त में
टहल रहा है तन के कोने-कोने
यह क़मीज़ जो ढाल बनी है
बारिश सर्दी लू में
सब उधार का, माँगा-चाहा
नमक-तेल, हींग-हल्दी तक
सब क़र्ज़े का
यह शरीर भी उनका बंधक
अपना क्या है इस जीवन में
सब तो लिया उधार
सारा लोहा उन लोगों का
अपनी केवल धार|

- अरुण कमल जी

हिंदी/उर्दू कविताएँ

28 Mar, 09:23


मेरा मुझमें कुछ नहीं, जो कुछ है सो तोर ।
तेरा तुझकौं सौंपता, क्या लागै है मोर ॥1॥

भावार्थ - मेरे साईं, मुझमें मेरा तो कुछ भी नहीं,जो कुछ भी है, वह सब तेरा ही । तब, तेरी ही वस्तु तुझे सौंपते मेरा क्या लगता है, क्या आपत्ति हो सकती है मुझे ?

-संत कबीर दास

हिंदी/उर्दू कविताएँ

27 Mar, 05:26


बहुत दिनों तक हुई परीक्षा
अब रूखा व्यवहार न हो।
अजी, बोल तो लिया करो तुम
चाहे मुझ पर प्यार न हो॥

जरा जरा सी बातों पर
मत रूठो मेरे अभिमानी।
लो प्रसन्न हो जाओ
गलती मैंने अपनी सब मानी॥

मैं भूलों की भरी पिटारी
और दया के तुम आगार।
सदा दिखाई दो तुम हँसते
चाहे मुझ से करो न प्यार॥

- सुभद्रा कुमारी चौहान

हिंदी/उर्दू कविताएँ

25 Mar, 08:20


हारा वही जो लड़ा नहीं 💜

हिंदी/उर्दू कविताएँ

08 Mar, 04:49


होली के पावन पर्व की आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं। 🙏🏽

हिंदी/उर्दू कविताएँ

26 Feb, 04:58


जो बीत गया वो खत्म हुआ
समय की आग से भस्म हुआ
वो सोच पर हावी हो सकता है
पर रोक नही सकता तुमको
अगर ठान लिया आगे बढ़ना है
वो मोड़ नही सकता तुमको
कमजोर है वो बलवान नही
भूत है वो कोई आज नही
खुद से पूछो क्या करना है
जीवन एक नया अब रचना है
घावो से तुम गुणवान बनो
कर्मो से तुम बलवान बनो
चलना अभी बहुत है तुम्हे
सर उठाओ आशावान बनो
तुम हवा बनो बहते जाओ
सुने जग में तुम प्राण भरो
पीछे को नीचे रख दो अब
मुक्त होकर नई उड़ान भरो

        

हिंदी/उर्दू कविताएँ

31 Dec, 19:27


Wishing you all a very Happy New Year!

2022 has been a year of challenges but also of hope & renewal. I pray that the coming year brings good health & prosperity to us all.

May this year bless us and our families in plenty.

हिंदी/उर्दू कविताएँ

23 Nov, 06:23


प्रार्थना की एक अनदेखी कड़ी
बाँध देती है, तुम्हारा मन, हमारा मन,
फिर किसी अनजान आशीर्वाद में-डूबकर
मिलती मुझे राहत बड़ी!

प्रात सद्य:स्नात कन्धों पर बिखेरे केश
आँसुओं में ज्यों धुला वैराग्य का सन्देश
चूमती रह-रह बदन को अर्चना की धूप
यह सरल निष्काम पूजा-सा तुम्हारा रूप
जी सकूँगा सौ जनम अँधियारियों में,
यदि मुझे मिलती रहे
काले तमस की छाँह में
ज्योति की यह एक अति पावन घड़ी!
प्रार्थना की एक अनदेखी कड़ी!

चरण वे जो लक्ष्य तक चलने नहीं पाये
वे समर्पण जो न होठों तक कभी आये
कामनाएँ वे नहीं जो हो सकीं पूरी-
घुटन, अकुलाहट, विवशता, दर्द, मजबूरी-
जन्म-जन्मों की अधूरी साधना,
पूर्ण होती है किसी मधु-देवता की बाँह में!
ज़िन्दगी में जो सदा झूठी पड़ी-
प्रार्थना की एक अनदेखी कड़ी!


धरमवीर भारती

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