दिल से दिल तक ❤️ @shayariidilse Channel on Telegram

दिल से दिल तक ❤️

@shayariidilse


हम तो बस कलम से दिल का हाल लिखते है,

और लोग कहते है कि आप कमाल लिखते है..!!💞



ᴏʀɪɢɪɴᴀʟ ᴄᴏɴᴛᴇɴᴛ ɴᴏ ᴄᴏᴘʏ ᴘᴀꜱᴛᴇ💞



Buy ads :- https://telega.io/c/shayariidilse

Buy me a Coffee - https://buymeacoffee.com/anmolgupta_11

दिल से दिल तक ❤️ (Hindi)

शायरी, कविताएं और लव वाली बातें सभी के दिलों में छू जाती हैं। अगर आप भी इन खूबसूरत अनुभावों का आनंद लेना चाहते हैं तो 'दिल से दिल तक ❤️' नामक टेलीग्राम चैनल आपके लिए बनाया गया है। यहाँ आपको मिलेगी बेहतरीन शायरी, कविताएं और लव वाली बातें। 'दिल से दिल तक ❤️' नामक चैनल के माध्यम से आप अपने दिल की भावनाओं को शब्दों में पिरो सकते हैं और अपनी भावनाओं को अभिव्यक्ति कर सकते हैं। यहाँ आपको मिलेगा ओरिजिनल कंटेंट, कोपी-पेस्ट नहीं। इस चैनल के माध्यम से आप अपनी शायरी को दुनिया के साथ साझा कर सकते हैं और अपने दिल की बातें दूसरों तक पहुंचा सकते हैं। 'दिल से दिल तक ❤️' नामक चैनल में आपको मिलेगी एक नई दुनिया, एक नया अनुभव। इस चैनल का सदस्य बनने के लिए हमारे 'Buy ads' लिंक पर क्लिक कर सकते हैं और हमें एक कॉफी भी खिला सकते हैं। आइए, इस रोमांचक यात्रा में शामिल होकर 'दिल से दिल तक ❤️' का आनंद उठाएं।

दिल से दिल तक ❤️

11 Jan, 18:06


सुनो!
तुम्हारी याद
जुगनू की तरह चमकती है ,

_

की खुली आंखों से
झांकता मन रात भर उसे निहारता है
और देह में लिपटी बेचैनी करवट बदलती है ।।

👅👅

दिल से दिल तक ❤️

07 Jan, 17:44


घर से चला तो दिल के सिवा पास कुछ न था ,
क्या मुझ से खो गया है मुझे क्या मलाल है।

💗💞🌹

दिल से दिल तक ❤️

03 Jan, 18:35


ख़ामोशी खा गई जज़्बात मेरे ,
शोर पूछता रहा माजरा क्या है ...

💗💗

दिल से दिल तक ❤️

01 Jan, 09:50


इतना तमासा क्यों?
जब पता है साल हर साल बदलता है !!

🌹💗🌹

दिल से दिल तक ❤️

31 Dec, 09:33


जब मैं अपने पिता की ओर देखता हूँ
तो मुझे अहसास होता है
कि यह आदमी
बहुत कुछ पाने का हक़दार है
और मैंने उसके लिए कुछ नहीं किया है।

🥹🥹

दिल से दिल तक ❤️

30 Dec, 12:37


साल का आखरी दिन है..

चलो ये साल भी बीत गया.. जानते हो दिसंबर  जब जनवरी आई थी न तो लोग तुम्हारे जाने का जश्न मना रहे थे। सब उत्साहित थे.. बड़े बड़े वादे कर रह रहे थे.. खुद से और दूसरो से भी.. तुम जानते हो तुम में और जनवरी में फर्क क्या है? जनवरी ख्याली दुनिया में ले जाती है.. और तुम उनको हकीकत दिखा देते हो.. शायद इसीलिए लोग तुम्हे पसन्द नही करते.. तुम्हारे गुजर जानें का इंतजार करते हैं। कोई बात नही दोस्त ये समाज ऐसा ही है यहां हर उस चीज को ज्यादा महत्व दिया जाता है जो हमे सपने दिखाए.. चाहे प्रेमी/प्रेमिका हो या आता हुआ कोई महीना.. भले वह सपने हकीकत बने या नहीं। दिसंबर तुम सही हो.. तुम वही दिखाते हो जो हम हैं हमारी औकात..
अब तुम जा रहें हो.. मैं सच में दुखी हूं तुम्हारे लिए मैं भी शायद उन लोगो में से हूं जिन्होंने जनवरी से कई वादे किए थे और तुमने वास्तविकता से परिचय करवाया... लेकिन कोई बात नहीं
सब वादा करते हैं न जनवरी से.. चलो एक वादा मेरा तुमसे रहा .. अगली बार जब मिलेंगे न.. तुम मुझे बिल्कुल बदला हुआ पाओगे तब हम साथ बैठ कर देखेंगे .. एक और झुठी जनवरी का खेल..


~Anmol🫰✍️

दिल से दिल तक ❤️

29 Dec, 15:40


दौलत की शौकीन औरते और
औरतो के शौकीन मर्द,

कभी वफ़ादार नहीं हो सकते ...

🌹💗🌹🌹

दिल से दिल तक ❤️

29 Dec, 15:36


नुक़्स इतने न निकालें जनाब लोगों में,

कुछ तो अच्छा भी होगा खराब लोगों में !!

🌹💗🌹💗

दिल से दिल तक ❤️

29 Dec, 10:30


Uh know that feeling? When December rolls in, nd suddenly, the entire world starts buzzing about the "countdown"? "New year, new me!" They chant like it's some magic spell. Resolutions get scribbled down in fresh notebooks, gym memberships skyrocket, nd people swear this time they'll stick to their plans. It's like the countdown is supposed to be this massive RESET button, as if January 1st has the power to wipe away all the chaos of the past year.

But let's be real for a second - how often does it actually work??

The year-end feeling is... complicated. On one hand, uh feel hopeful..like the universe is handing uh a second chance. But on the other hand, there's that nagging little voice whispering, "Another year gone, nd what did uh even do?" Uh scroll through social media, seeing people flaunting their "a compliments", nd all uh can think is "uff, why didn't I do that?"

Remember those resolutions uh made last year? The ones uh promised you'd stick to? Yeah, they're still sitting there. January 1 turned into February 1, then March nd suddenly, boooom - December again. Every time uh tell urself, "It's okay, I'll start fresh next week," but that "next week" keep moving, like some invisible finish line uh can never cross.

And then the countdown begins again. It's a weird mix of hope nd guilt. Like uh want to believe things will change, but deep down, uh know - you've been here before.

So what's the solution? How to uh break this cycle?

First, stop waiting for January 1 like it's some magical portal to be a better version of uh. That date doesn't hold power - "YOU" do. Instead of aiming for big, dramatic changes, start small. Like, really small. Uh want to work out? Don't plan a two-hour gym session - start with 10 mins at home. Uh want to read more? Pick a single page. Make it "too small to fail."

And for the love of God, don't wait for "perfect time." There is no perfect time. Life will always be messy, nd things will always get in the way. Start where uh are, with what uh have, even if it's just a silver of motivation.

Also here's a pro tip - ditch the word "resolution", call them "habits" instead. Resolutions sound rigid, like they'll break the second uh mess up. Habits? They grow slowly, step by step, day by day.

And most importantly, FORGIVE YOURSELF. If uh stumble, it's fine. If uh didn't finish everything uh wanted this year, that's okay too. Life isn't a race. The real win is showing up for urself, even in the smallest ways.

Now, when the next countdown begins... don't look at it as a reset button. Look at it as a reminder - a reminder that every single day, not just January 1, is a chance to start again.

दिल से दिल तक ❤️

24 Dec, 03:34


https://www.youtube.com/live/Wmywcp3GWlM?si=JZqOOSkb7X2wBbgH

दिल से दिल तक ❤️

22 Dec, 18:05


ज़ख़्म बाहर से तो नहीं दिखता
कोई गुमचोट सी लगी है मुझे,

अब किसी दर्द से नहीं शिकवा,
सबकी आदत सी हो गई हे मुझे!!

❣️

दिल से दिल तक ❤️

20 Dec, 15:28


खुदको जख्मी कर आया हु
मरोड़ आत्मा को अपनी मैं
दिल को निचोड़ लाया हूँ__
बुद्ध आएंगे, आयेंगे बुद्ध, मैं
खुदको समझा आया हूँ
बोध वृक्ष की छत्रछाया में मैं
समाधि लेने आया हूँ
हे ईश्वर मेरी राह तकना,मैं
तुझमें समाने आया हूँ
ब्रह्मांड के कण कण में मैं
विलीन होने आया हूँ...
🥹❣️

दिल से दिल तक ❤️

20 Dec, 15:16


KABHI YAH MAT SOCHANA...

KI UNPE KISI BHI TARHA KI RESTRICTION LAGANE SE TUM UNKI LOYALTY KO CONTROL KAR LOGE....

AISA KBHI NHI HO SAKHTA...

JO SHAQS LOYAL HAI...

WO LOYAL RAHEGA...

BINA KISI RESTRICTION KE BHI...

AUR JIS INSAAN KI NIYAT SAAF NHI...

USPE TUM KITNI HI RESTRICTION KYUN NA LAGA LO KITNI HI NAZAR KYUN NA RAKH LO...

USEY DHOKA DENA HOGA WO DEDEGA AUR AKSAR WO LOG ZYADA DHOKA DETE HAIN...

JO BANDHE HUE HOTE HAIN...

KISI INSAAN KI LOYALTY AGAR DEKHNI HAI TO WO BAANDH KE NAHI...

KHULA CHHOD KE DEKHI JAATI HAI...

UNDE DO UNHEIN KHULI HAWA ME...

AUR FIR DEKHO...

KI WO KITNE LOYAL HAIN AUR KITNE DHOKEBAAZ...

AGAR WO KISI AUR KE CHAKKAR ME PADE TO WO ATLEAST YE TO PROOF KAR HI DEGA KI AAP EK GALAT INSAAN KE SAATH AAPNA...

WAQT ZAYA KAR RAHE THE...

दिल से दिल तक ❤️

20 Dec, 15:13


नेताओं के वादे झूठे होते है ;

😭👀

दिल से दिल तक ❤️

20 Dec, 02:06


तानाशाह बनते ही
मैं करवा दूँगा बिछड़े प्रेमियों की शादियाँ।

हरेक को करना होगा प्रेम
और बिछड़ना अवैध माना जाएगा।

जन्मना ज़रूरी नहीं होगा
पर जन्मने के बाद भी
न जीने पर देना होगा जज़िया।

मेरी यात्राओं से पहले
शहरों में रोपे जाएँगे गुलमोहर
और गाए जाएँगे उदास गीत।

नौकरी माँगने वालों से माँगा जाएगा
भरपूर नींद लेने का प्रमाण-पत्र
और नौकरी देने वालों को तनख़्वाह के अलावा
देनी होगी रोटी और खीर।

मैं जानता हूँ कि
तुम इसे बेवक़ूफ़ी कहते हो
पर मैं इसे कहता हूँ ख़्वाब
और माँगता हूँ वोट
मुझे एक दिन के लिए तानाशाह चुन लो।

रोहित ❣️

दिल से दिल तक ❤️

19 Dec, 09:41


मैं जा रही हूँ – उसने कहा
जाओ – मैंने उत्तर दिया
यह जानते हुए कि जाना
हिंदी की सबसे खौफनाक क्रिया है।

- केदारनाथ सिंह
❣️❣️

दिल से दिल तक ❤️

19 Dec, 04:12


मोहब्बत में नशा है ये कहना गलत होगा
नशे से मोहब्बत का दौर चल रहा है

और सच्चे आशिक मिलते कोठे पे आजकल
क्योंकि सड़को पर उनकी मोहब्बत के साथ कोई और चल रहा है...... !!

💞❣️🌹💗

दिल से दिल तक ❤️

18 Dec, 20:06


हमें मिलने के लिए थोड़ा इंतजार करना होगा ,

बस अगली बार मुझे थोड़ी हिम्मत की जरूरत होगी और तुम्हे थोड़ी फुर्सत की..!
❣️💞🌹
......

दिल से दिल तक ❤️

20 Nov, 15:41


Jindagi jeene ke liye bhot bhot majbut hona padta hai..
Ye choti choti baaton pe himmat haroge to tufan se kese ladoge..
Yaad rkhna ye muskile tumhra hausla aajmayegi..
Jindagi ki uljhano se rubaru bhi krayegi,
Gir gir ke tumhe khud hi sambhalna hoga..
Har raste pe bekhauf chalna hoga,
Ye takleef tumhe bahadur banayegi..
Or ye thokre hi to tumhe chalna seekhayegi !

दिल से दिल तक ❤️

20 Nov, 00:10


क्यों ही तकलीफ़ दें लफ़्ज़ो को
जब आँखो से ही बातें हो जाया करतीं हैं- मोदी जी

दिल से दिल तक ❤️

14 Nov, 12:36


हर कोई महलो का मोहताज नहीं होता
शहजादियाँ भी सुकून के लिए मोहब्बत करती है

दिल से दिल तक ❤️

11 Nov, 05:41


Happy birthday, भ्राता श्री 🌺

On this special day, I wanted to take a moment to celebrate you and the incredible person you are. You bring so much joy, laughter, and positivity into my life, and I am truly grateful to have you as a friend.
😄
This birthday is a reminder of all the amazing things you have achieved and the limitless potential that lies ahead. I wish you success in your endeavors, fulfillment in your passions, and endless opportunities for growth and happiness.
Thank you for being the incredible person you are and for the beautiful friendship we share. Cheers to another year of laughter, adventure, and unforgettable memories
❤️😄

Happy Birthday Anmol bro



From ~ shukla 🌟

दिल से दिल तक ❤️

10 Nov, 18:41


Happy birthday to me🎁🎂

दिल से दिल तक ❤️

09 Nov, 06:19


I wonder...
Would all these lil dreams we are sewing,
Placing them in a paper boat in a huge ocean,
Would they ever find their shore !

दिल से दिल तक ❤️

07 Nov, 04:49


फलानी इजाज़त हो तो तुम्हारे चेहरे को जी भर के देख लूँ..
एक मुद्दत हो गयी है मेने चुड़ैल नहीं देखी😜

दिल से दिल तक ❤️

05 Nov, 09:10


Vo points jo Ap smjhte hai :_

1. Dont Understand
2. Dont care about me
3. Dont think about my future
4. She is kid
5. She is immature
6. Nil in my expectations
7. What i think or what i got
8. I need a mature Understanding girl
9. Always fight even 25 fights in 30 days
10. I need peace
11. I cant more fight
12. She will not change herself
13. She is taking my freedom...



Should a man leave her?

दिल से दिल तक ❤️

28 Oct, 11:56


t.me/Tomarket_ai_bot/app?startapp=0000E6Y1

Farm TOMATO with me and secure your token allocation through Tomarket.ai!

I've prepared a warm welcome meal just for you! 🍅

Use my link to get 2,000 TOMATO! Limited time offer.


Listing tommorow

दिल से दिल तक ❤️

28 Oct, 02:38


सफल पुरुष आते हैं पत्नी के हिस्से..

आवारा रहें जब तक प्रेमिका ने संभाला..

दिल से दिल तक ❤️

25 Oct, 14:21


Life is strange, isn't it? When we're kids we have so many dreams nd our parents re like heroes to us. Everything they say feels right..it's like they hold all the answers. Their beliefs, what's right nd wrong, everything feels like they just know it all. We trust them completely !

But as we grow up, things start to shift... suddenly, we start having our own opinions, own thoughts, nd uh know it feels so odd. The people we looked up to don't always seem right anymore. They aren't wrong, they just have their own past nd experiences guiding them. But sometimes I wish they would try to understand us too....

They think no one can understand their child better than them, yet sometimes...it feels like they don't really know us at all. It's confusing, being stuck between wanting to be close to them and yet feeling misunderstood. I don't want to say they're wrong or something but all of this makes me anxious nd somehow I'm just left wondering - what is this feeling?

It's like a bridge uh know..a bridge between their world nd mine. But I wish there were a way to blend both worlds - where they could accept the person I'm becoming, without letting go of the child they raised.. I just wish they'd ask about my dreams, my dears, not just to guide me but to truly know me. Maybe then....this confusion, this heaviness would lift nd I'd feel less like I'm caught between.

दिल से दिल तक ❤️

22 Oct, 16:01


Kuku fm yearly premium available only at 100 rs ( original price 899 rs hai)

दिल से दिल तक ❤️

20 Oct, 01:08


आज वो लोग भी करवा चौथ मनाएगी ,

जिनका हर साल चांद बदलता है 💃🙂

दिल से दिल तक ❤️

19 Oct, 04:14


भाड़ में जाये जुल्फे तेरी

अपने भी बाल मस्त है
🆒

दिल से दिल तक ❤️

17 Oct, 05:05


मैं लड़कियों से बहस नहीं करता

और उनसे तो बिल्कुल भी नहीं जिन्हें इंग्लिश आती हो😂

दिल से दिल तक ❤️

15 Oct, 00:52


😭 Sorry To Say Guys But...

😏 I AM BATMAN 👹

दिल से दिल तक ❤️

12 Oct, 17:21


चाहता हूँ मन का कुछ हो,
पर मन का कुछ हो, तब न मन का कुछ हो।
मन का न हुआ तो  कारण मन हुआ,
मन हारा अगर,तो मन प्रसन्न हुआ।
अच्छा, बुरा, मन के कारण सब हुआ,
जो हुआ, मन का चाहा कब हुआ ?

छोड़ जो हुआ,सो हुआ
मन एक मरीचिका है, जैसे काला धुआँ ।
छोड़ दे, ये छलावे मन के जाल है।
तू है कृष्ण का अंश..
तू आदि है ,तू अनंत है, तू विकराल है।

आज नहीं तो कल मन पर वश होगा,
फिर मन पर मन का कश होगा ।
फिर वो होगा जो मन चाहेगा,
मन फिर मन के सामने कहाँ टिक पाएगा ।
~ Anmol ❤️

दिल से दिल तक ❤️

10 Oct, 02:08


दुनिया में एक मात्र ऐसा संबंध है जिसमें न जाति देखी जाती है, न धर्म , न अमीर , न गरीब, न ऊंच , न नीच और न लिहाज। और वह संबंध है - अवैध शारीरिक संबंध ।

दिल से दिल तक ❤️

08 Oct, 04:17


अच्छे लड़के मोटी तनख्वाह की नौकरी करते हैं.. और अच्छी लड़कियां सुंदर होती हैं..

इससे अधिक और इससे परे हमारा समाज अच्छे होने को परिभाषित न कर पाया..☺️

दिल से दिल तक ❤️

04 Oct, 12:36


!नजरें तलाशती है जिसको वो प्यारा सा ख्वाब हो तुम..
मिलती है दुनिया सारी .. ना मिलकर भी लाजवाब हो तुम।❤️

दिल से दिल तक ❤️

30 Sep, 03:33


मतलब बात तब बिगड़ी जब मैने उससे कहा,

गर्दन पर भी फाउंडेशन लगा लिया करो.😢

दिल से दिल तक ❤️

29 Sep, 15:37


क्या कहा? तुम्हारा आशिक शराब 🍷पीता है?

अरे! धिक्कार है तुम्हारे होठों पर ...😒

दिल से दिल तक ❤️

29 Sep, 09:15


गलत की भीड़ में
सही तराशने निकली हूं...
मिल जाऊँ मुझको मैं ,,
किसी आईने में ...
इस सोच से सोच समझाने निकली हूं
रास्ते.,तरीके
सब गलत है मेरे
खाली नियत और सोच से
सब बताने निकली हूं
जानती हूं कि
0.0000000000000000001
Percent चांस भी नहीं सही मिलने का..
लेकिन फिर भी उसी भीड़ में
उस एक को ढूँढने निकली हूं...
चलो अगर कोई मिल भी जाये
तो. साबित कैसे करुँगी सच....
जिस गलत रास्तों सेमुलाकात मिलाकर निकली हूं..
कैसे कहूँगी
कि
मैं नहीं हूं वो ,,,
जो गलत तरीकों से गलत दोहराने निकली हूं

नहीं समझेगा कोई
सिवाए मुझे समझाने के
और आखिर में खुद वो ही समझा देगा
कि तुम
गलत रास्तों मेँ सही को पाने निकली हूं
आखिर में
रह जाएगा मेरा सच मुझमें ही ...,,,,
भूल जाती हूँ कि
मैं किताब खुली रख कर
कवर पसन्द करने वालों को पढ़ाने निकली हूं...
शायद सही भी है..
शुरुआत से शुरुआत करने वालों को
सीधी ,सरल भाषा में..सिखाने निकली हूं
शायद! गलत रास्ते थे मिलने के उससे,,,
शायद! अंधेरों में किरण हो उससे
लेकिन शायद वो समझेंगे
कि
मैं सूरज को पाने निकली हूं
शायद नहीं ढक पाऊँगी खुद को formalities की चादर में .,,,
मैं जैसी हूं ,जिस हाल में हूं
वैसे ही खुद को सुलझाने निकली हूं ..,,,,
शायद
अब वो सब्र नहीं पहले जैसा मुझमें
मैं सब्र से शुरुआत और अंत को लिखवाने निकली हूं
...,,,



आखिर में जानती हूं
कि
कोई सलाह देगा
कोई समझा देगा
पर मैं शायद कुछ बोल ही नहीं पाऊँगी
शब्द बहुत फीके है
जिनसे में अपने मन की सुनाने निकली हूं...
आखिर में फिर भी
Hope से गलत से रास्तों में
सही पाने निकली हूं   ।।।

                                            ✍️✍️✍️ Ritu

दिल से दिल तक ❤️

26 Sep, 18:31


कभी बेपनाह बरसी, तो कभी गुम सी हैं...

ये बारिशें भी कुछ कुछ तुम सी हैं☺️