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Gulzar poetry (गुलज़ार कविता)

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︎ शायरियां ऐसी जो दिल छू जाए !!

.कविता, शेर, नज्म, गजल, और दिलचस्प कहानियाँ.

आपके दिल के एहसास हमारी शायरी में। ♥️💕


Est: 08-08-2021



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ˡᶦᵏᵉ ᶜᵒᵐᵐᵉⁿᵗ ˢᵃᵛᵉ ˢʰᵃʳᵉ

Gulzar poetry (गुलज़ार कविता) (Hindi)

गुलज़ार कविता चैनल में आपका स्वागत है! यहाँ पर आपको उन शायरियों की ख़ूबसूरत दुनिया मिलेगी जो आपके दिल को छू जाएंगी। इस चैनल में हम लेकर आए हैं कविताएं, शेर, नज्म, गजल और दिलचस्प कहानियाँ जो आपके दिल के एहसास को छू जाएंगी। आपके लिए हमारे शायरी की दुनिया में आना बिल्कुल नया अनुभव होगा। इस चैनल की स्थापना 08-08-2021 को हुई थी और यहाँ पर आपको रोजाना नए शेर, कविताएं और कहानियाँ मिलेंगी। तो आइए, शायरी की इस दुनिया में साथ चलें और हमें बताएं कि आपको कौनसी कविता सबसे ज्यादा पसंद आई।

Gulzar poetry (गुलज़ार कविता)

21 Jan, 04:58


😂

Gulzar poetry (गुलज़ार कविता)

21 Jan, 02:24


मनुज दुग्ध से , दनुज रुधिर से
अमर सुधा से जीते हैं

किन्तु हलाहल भव सागर का
शिव शंकर जी ही पीते हैं..

🌺❤️

हर हर महादेव ❤️

Gulzar poetry (गुलज़ार कविता)

20 Jan, 13:45


क्या हुआ , क्या न‌ हुआ...क्यों बताऊं तुझे

मैं बस मजाक हूं , मिलकर उड़ाओ मुझे..

🖤
🙃

Gulzar poetry (गुलज़ार कविता)

19 Jan, 06:47


कैसे कोई भूल सकता है किसी को😘

जब किसी को किसी की आदत पड़ जाये..!!❤️

Gulzar poetry (गुलज़ार कविता)

19 Jan, 05:51


सारी उम्र बस एक ही,
"सबक" याद रखना....

"दोस्ती"और "दुवा"में,
बस नियत साफ़ रखना..!!

Gulzar poetry (गुलज़ार कविता)

19 Jan, 04:14


सीता राम , सीता राम कहिए

जाहि विधि राखे राम , वाही विधि रहिए..❤️🌺

𝐉𝐀𝐈 𝐒𝐇𝐑𝐄𝐄 𝐑𝐀𝐌 🚩

Gulzar poetry (गुलज़ार कविता)

12 Jan, 18:21


मिलेगी शिकन तक ना तुम्हें मेरे चेहरे पर

अंदर से सुलगना भी अपने आप में एक हूनर हैं..😌

Gulzar poetry (गुलज़ार कविता)

12 Jan, 17:28


हाथ छूटें भी तो रिश्ते नहीं छोड़ा करते,

वक़्त की शाख़ से लम्हे नहीं तोड़ा करते

-

Gulzar poetry (गुलज़ार कविता)

12 Jan, 14:06


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Gulzar poetry (गुलज़ार कविता)

12 Jan, 13:57


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Gulzar poetry (गुलज़ार कविता)

12 Jan, 11:30


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Gulzar poetry (गुलज़ार कविता)

12 Jan, 08:50


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Gulzar poetry (गुलज़ार कविता)

12 Jan, 08:16


Dal kr adat bepanah mohabbat ki .....
Ab wo kehte h ki smjha kro waqt Nhi h .....
🙂🤌🏻

~Afreen 🥀

Gulzar poetry (गुलज़ार कविता)

12 Jan, 08:06


मैं सफाईयाँ देने के बिल्कुल हक़ में नही हूँ

अगर मुझसे ताल्लुक़ निभाना हैं
तो आँखें बंद कीजिए..😌

Gulzar poetry (गुलज़ार कविता)

12 Jan, 07:57


Wo laut kr aya h manane ko....
Shyd azma kr aya h zamane ko....
🙂🤌🏻

~Afreen 🥀

Gulzar poetry (गुलज़ार कविता)

12 Jan, 03:22


हम उगते हुए सूरज से निगाहें मिलाते हैं

गुजरी हुई रातों का मातम नहीं मनाते..😌

Good Morning 🌞

Gulzar poetry (गुलज़ार कविता)

12 Jan, 01:40


Good morning everyone 🌄

Gulzar poetry (गुलज़ार कविता)

12 Jan, 01:27


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Gulzar poetry (गुलज़ार कविता)

11 Jan, 18:26


तू नहीं हैं मेरे मुकद्दर में

कौन कहता हैं रब से गलतिया नहीं होती..🙃

Gulzar poetry (गुलज़ार कविता)

11 Jan, 17:16


Bade jalim h tere shr ke log.....
Qatal kr ke puchte h janaza kiska h .....
🤧🤌🏻

~ Afreen 🥀

Gulzar poetry (गुलज़ार कविता)

11 Jan, 17:02


Good night everyone 💤

Gulzar poetry (गुलज़ार कविता)

08 Jan, 01:19


दिल अगर दुखा है तो ग़म न कर,
ये तो मोहब्बत की निशानी है।

जो दर्द में भी मुस्कुरा दे,
वही तो मोहब्बत की कहानी है।

-

Gulzar poetry (गुलज़ार कविता)

08 Jan, 00:46


मैं गुलाब...

रस, सुगंध, पराग,
मैं इत्र गुलाब।
स्मृति का संग, इकरार और इजहार,
सौंदर्य की उपमा, हर दिल का अधिकार।
मैं कांटों के संग भी उपहार,
मैं हूँ सजीव गुलाब।
जेब की शोभा, केशों का हार,
सैया का साथी, सेज का श्रृंगार।
हर कोने में लाऊं प्रेम का एहसास,
मैं महकता गुलाब।
पूजा की थाली, आरती का दीप,
प्रेमियों के वचन, आशीषों का संगी।
जहाँ भी जाऊं, फैलाऊं उजास,
मैं खुशबू भरा गुलाब।
आंधी, तूफान या धूप की धार,
हर मौसम में खिलूं मैं बार-बार।
चीर के मिट्टी, बनूं बहार,
मैं जीवन का आधार, मैं गुलाब।
फूलों की भाषा, भावों की जान,
हर दिल का सपना, हर बगिया का मान।
मैं हूँ अमर, मैं हूँ अनमोल,
मैं हर युग के प्रेमियों का..
महकता गुलाब।...

Gulzar poetry (गुलज़ार कविता)

07 Jan, 23:59


Good morning 🌄

Gulzar poetry (गुलज़ार कविता)

07 Jan, 17:54


"शाम से आँख में नमी सी है,
आज फिर आप की कमी सी है।

दफ़्न कर दो हमें कि साँस मिले,
नब्ज़ कुछ देर से थमी सी है।"

-

Gulzar poetry (गुलज़ार कविता)

07 Jan, 17:51


मेरे होंठो पर लफ्ज़ भी अब तेरी तलब लेकर आते हैं, तेरे

जिक्र से महकते हैं तेरे सजदे में बिखर जाते हैं।

~ शिवांशी पांडेय

😜

Gulzar poetry (गुलज़ार कविता)

07 Jan, 17:38


💔

Gulzar poetry (गुलज़ार कविता)

07 Jan, 16:02


तुझमें और मुझमें फर्क सिर्फ़ इतना सा है
तेरा कुछ-कुछ हूँ मैं और मेरा सब-कुछ है तूँ

~ शिवम आर्या

#cvmwrites
@poetrygulzarki

Gulzar poetry (गुलज़ार कविता)

07 Jan, 15:59


मगरूर हूँ मैं भी अपने ही किरदार पर

कोई तुम-सा नहीं तो
कोई मुझ-सा भी कहाँ हैं..😌

Gulzar poetry (गुलज़ार कविता)

07 Jan, 15:31


सर्दियों सा इश्क है तुम्हारा
आसमान से गिरते कोहरे जैसा
तकलीफ़ भी बहुत देता और प्यारा भी है...

Gulzar poetry (गुलज़ार कविता)

07 Jan, 14:40


शायरी उसी के लबों पे सजती है साहेब
जिसकी आँखों में इश्क़ रोता हो !!

~ शिवम आर्या

#cvmwrites@poetrygulzarki

Gulzar poetry (गुलज़ार कविता)

07 Jan, 14:29


चलिए बहुत वक़्त हुआ.

आइए दुबारा आप ही से इश्क़ करके देखते हैं...!!

~ शिवांशी पांडेय


😜

Gulzar poetry (गुलज़ार कविता)

07 Jan, 13:50


क़िस्मत से मिलने वालो का बिछड़ना
क़िस्मत पहले ही लिख चुकी होती है ।।

Gulzar poetry (गुलज़ार कविता)

07 Jan, 13:00


कुछ तो अच्छाईयाँ होंगी यार मुझमे भी

मैंने सुना हैं

इंसान सारा का सारा बुरा नहीं होता..🥀

Gulzar poetry (गुलज़ार कविता)

22 Nov, 08:23


*​╭•┄┅════❁*🌷🌷❁════┅┄•╮
*किसी के दिल में बसना कुछ बुरा तो नहीं,*

*किसी को दिल में बसाना कोई खता तो नहीं,*

*गुनाह हो यह ज़माने की नज़र में तो क्या,*

*ज़माने वाले कोई खुदा तो नहीं।*
╰•┄┅════❁🌷🌷 *❁════┅┄•╯​*

Gulzar poetry (गुलज़ार कविता)

22 Nov, 06:34


Gulzar poetry (गुलज़ार कविता) pinned «»

Gulzar poetry (गुलज़ार कविता)

22 Nov, 06:29


कौन कहता है "कफ़न सफेद" होता है...

मैंने "लाल जोड़े" में भी जाने कितने "ख़्वाब दफन" होते देखे हैं...!!!

~ शिवांशी

💔

Gulzar poetry (गुलज़ार कविता)

21 Nov, 16:20


💔

Gulzar poetry (गुलज़ार कविता)

21 Nov, 13:11


चुपके से आकर इस दिल में उतर जाते हो,
सांसों में मेरी खुशबू बन कर बिखर जाते हो।

कुछ यूं चला है तेरे इश्क का जादू
सोते जागते बस तुम ही नजर आते हो

-

Gulzar poetry (गुलज़ार कविता)

21 Nov, 09:29


कैसे ना हो इश्क़, उनकी सादगी पर ए खुदा

खफ़ा है हमसे, मगर दिल के करीब बैठे है

-💎

Gulzar poetry (गुलज़ार कविता)

21 Nov, 09:26


जुगनूओ को हाल सुनाता रहा रातभर
वह हसीं ख्वाबों में आता रहा रात भर

इक सुरूर था उसके आँखों में इस कदर
मैं उसके बातों में आता रहा रात भर

-💎

Gulzar poetry (गुलज़ार कविता)

21 Nov, 05:08


कोई हालात को नहीं समझ पाता...
तो कोई जज़्बात को नहीं समझ पाता,

कोई कोरा कागज़ भी पढ़ लेता है...
तो कोई पूरी किताब नहीं समझ पाता,

ये तो बस अपनी-अपनी समझ है..
कोई चेहरे पर मुस्कान देखकर
दिल का दर्द समझ लेता है...

तो कोई आँखों का पानी देख कर
दर्द-ए-दिल  नहीं समझ पाता...!!

-

Gulzar poetry (गुलज़ार कविता)

20 Nov, 09:15


परवाह करते हैं तुम्हारी
बस जताते नहीं हैं.....

जरूरी हो तुम बहूत
बस बताते नहीं हैं....

ख्याल रखते हैं तुम्हारा
बस दिखाते नहीं हैं....

रोज देख लेते हैं तुम्हें
नजर आते नहीं है.


रोशनी समझ जाया करो मुझे
हम समझा पाते नहीं....,.🌹

~ शिवांशी✍️

Gulzar poetry (गुलज़ार कविता)

20 Nov, 09:08


ना तसवीर है तुम्हारी,,
जो दीदार किया जाये..!! ❤️
ना ही तुम पास हो मेरे,
जो _प्यार किया जाये..!! ❤️

ये कौन सा दर्द दिया है,,
तुमने ऐ संगदिल सनम..!! ❤️
ना कुछ कहा जाये,,
ना तुम बिन रहा जाये...!!! ❤️

Gulzar poetry (गुलज़ार कविता)

19 Nov, 06:32


ये जो तुम्हारी मोहब्बत है
इसे अपनी मैं आदत बना लू...

तुझे छुपा लूं अपने दिल में
इस दुनिया की नज़र से चुरा लूं..

कर लूं तुम्हें कैद अपनी निगाहों में
तुम्हें अपनी रूह में बसा लूं

लूटा दु अपनी सारी महोब्बत तुम पर
तुम्हें अपना हमसफ़र बना लूं

-

Gulzar poetry (गुलज़ार कविता)

14 Nov, 14:57


एक शख्स का सहारा चाहिए था,
एक वक्त का गुजारा चाहिए था,

एक प्यार मै हो गए इतने पागल,
एक दर्द भी दोबारा चाहिए था,

मैं जानती थीं चलते बनना और,
उसे इश्क का कोई मारा चहिए था,

और मैने उसे भी सही ठहरा दिया
जिसे जवाब मुझसे करारा चहिए था।

-💫

Gulzar poetry (गुलज़ार कविता)

12 Nov, 07:15


फ़र्क पड़ता है तेरे न होने से,
फ़र्क पड़ता है तुझे खोने से

फ़र्क पड़ता है तेरे पास होने से
फ़र्क पड़ता है तुझे सोच रोने से

फ़र्क पड़ता है तेरी नज़दीकियों से
फ़र्क पड़ता है तेरी दूरियों से

फ़र्क पड़ता है तेरी गलतियों से
फ़र्क पड़ता है उठती उंगलियों से

फ़र्क नहीं पड़ता ज़माने की बंदिशो से
फ़र्क पड़ता है सिर्फ तेरी खुशियों से

-

Gulzar poetry (गुलज़ार कविता)

11 Nov, 13:33


🌺🌿कर्मो का फल सीधा है छल का फल छल
आज नही तो कल 🍂☘️

Gulzar poetry (गुलज़ार कविता)

11 Nov, 11:50


दिल की खामोशी में छुप रही थी मै,
खुद को खुद से ही दूर कर रही थी मै।

Gulzar poetry (गुलज़ार कविता)

11 Nov, 11:27


हज़ार बाते दिल मे दफ़न करके,
अब खामोश रहना पसंद है मुझे...

Gulzar poetry (गुलज़ार कविता)

10 Nov, 15:08


झूठ भी बोलना पड़ता हैं,सच भी
छुपाना पड़ता है…
ज़िन्दगी जीने के लिए हर रास्ता
अपनाना पड़ता है..
शरीफ लोगों को जीने कहा
देते हैं,कभी कभी बुरा भी बन जाना
पड़ता है…
ये ज़िन्दगी हैं साहब…
यहाँ दर्द छुँपाकर भी मुस्कुराना
पड़ता है…

~ दिल से दिल तक

#cvmwrites
@poetrygulzarki

Gulzar poetry (गुलज़ार कविता)

10 Nov, 12:12


बताने की बात तो नही है,
पर बताने दोगे क्या,
इश्क बेपनाह है तुमसे,
मुझे हक जताने दोगे क्या,

~ शिवम आर्या


#cvmwrites

Gulzar poetry (गुलज़ार कविता)

10 Nov, 09:12


ज़ख़्म झेले दाग़ भी खाए बहुत,,

दिल लगा कर हम तो पछताए बहुत......

Gulzar poetry (गुलज़ार कविता)

10 Nov, 08:10


ये मोहब्बत के हादसे अक्सर दिलों को तोड़ देते हैं।

तुम मंजिल की बात करते हो लोग राहों में ही साथ छोड़ देते हैं।।

Gulzar poetry (गुलज़ार कविता)

09 Nov, 16:51


दिल और दिमाग की जंग में दिल हमेशा हार गया,
जिसको सीने से लगाया वो पीठ में खंज़र मार गया!!
@cvmarya

Gulzar poetry (गुलज़ार कविता)

09 Nov, 15:37


ᴍʏ Ғᴏᴠʀᴏᴜʀɪᴛᴇ ʟɪɴᴇ

👇

जिंदगी गुजरनी लगी है, किस्तो पर।
कुछ ग्राम का मोबाइल भारी पड़ गया है, रिस्तो पर।
शुभ रात्रि
🙏

Gulzar poetry (गुलज़ार कविता)

09 Nov, 12:32


ज़ख़्म जब मेरे सीने के भर जाएँगे,
आँसू भी मोती बनकर बिखर जाएँगे,
ये मत पूछना किस किस ने धोखा दिया,
वरना कुछ अपनो के चेहरे उतर जाएँगे।

~ शिवम आर्या

#cvmwrites

Gulzar poetry (गुलज़ार कविता)

09 Nov, 10:38


मुझ में अब मेरा कुच भी नहीं
मेने खुद को तेरे हवाले कर दिया

ये आसमान ये नजारे
ये चांद ये सितारे सब फीके हे
मेने अपनी आंखों में बस तेरा चेहरा भर लिया

रख ले मुझे अपनी बाहों में तू
अब मुझे दुनिया अच्छी नहीं लगती

ये जिस्म ये धड़कन तो कुच भी नहीं
मेने अपनी रूह तक को तेरे हवाले कर दिया

-

Gulzar poetry (गुलज़ार कविता)

06 Nov, 14:54


बहुत अजीब रहा ये साल..
किसी ने रंग बदला..
किसी ने स्वभाव..
किसी ने पसंद बदली..
और किसी ने मुझे ही बदल दिया..!

-🤍

Gulzar poetry (गुलज़ार कविता)

06 Nov, 08:00


मोहब्बत जब किसी के दिल में बस के भी न टिक पाए,
तो ऐसी बे-सुकून रूह से फिर तकरार क्या करना।

जो आँसू पी चुका हो उम्र भर की तिश्नगी लेकर,
उसे ख़्वाबों के दरिया का फिर इज़हार क्या करना।

हर दिल के राज़ को हर एक नज़र समझ नहीं सकती,
जो चुप में भी सुलगता हो, उस पर इकरार क्या करना।

ज़िंदगी उसकी राहों में पहले ही ख़ाक हो जाए,
तो टूटे शीशों में कोई नया संसार क्या करना।

-

Gulzar poetry (गुलज़ार कविता)

05 Nov, 08:12


Gulzar poetry (गुलज़ार कविता) pinned «मिले तो हम आज भी हैं लेकिन न मेरे दिल में वो तिश्नगी थी कि तुझ से मिल कर कभी न बिछड़ूँ न आज तुझ में वो ज़िंदगी थी कि जिस्म-ओ-जाँ में उबाल आए न ख़्वाब-ज़ारों में रौशनी थी न मेरी आँखें चराग़ की लौ न तुझ में ही ख़ुद-सुपुर्दगी थी न बात करने की कोई…»

Gulzar poetry (गुलज़ार कविता)

05 Nov, 08:11


मिले तो हम आज भी हैं लेकिन
न मेरे दिल में वो तिश्नगी थी

कि तुझ से मिल कर कभी न बिछड़ूँ
न आज तुझ में वो ज़िंदगी थी

कि जिस्म-ओ-जाँ में उबाल आए
न ख़्वाब-ज़ारों में रौशनी थी

न मेरी आँखें चराग़ की लौ
न तुझ में ही ख़ुद-सुपुर्दगी थी

न बात करने की कोई ख़्वाहिश
न चुप ही में ख़ूब-सूरती थी

मुजस्समों की तरह थे दोनों
न दोस्ती थी न दुश्मनी थी

मुझे तो कुछ यूँ लगा है जैसे
वो साअ'तें भी गुज़र गई हैं

कि जिन को हम ला-ज़वाल समझे
वो ख़्वाहिशें भी तो मर गई हैं

जो तेरे मेरे लहू की हिद्दत
को आख़िरश बर्फ़ कर गई हैं

मोहब्बतें शौक़ की चटानों
से घाटियों में उतर गई हैं
वो क़ुर्बतें वो जुदाइयाँ सब
ग़ुबार बन कर बिखर गई हैं

अगर ये सब कुछ नहीं तो बतला
वो चाहतें अब किधर गई हैं


Gulzar poetry (गुलज़ार कविता)

04 Nov, 08:57


शाम है ,तो रंगीन आशमां भी होगा....
दिल में जख्म है ,तो इंसान खफा भी होगा.... होगी सब चीजों की कीमत...
आखिर खुशी के पल है तो गम का दास्तां भी होगा❤️

Gulzar poetry (गुलज़ार कविता)

04 Nov, 03:39


अजीब बात करती है वो भी
प्यार नही करती पर हक़ पूरा जताती है।

Gulzar poetry (गुलज़ार कविता)

03 Nov, 14:32


अगर प्यार न मिल रहा हो
तो प्यार के पास खुद चले जाओ
जीवन तुम्हारे प्यार का भूखा है
जाओ जितना मन उतना प्यार लुटाओ॥❤️

Gulzar poetry (गुलज़ार कविता)

03 Nov, 12:20


खैरियत नहीं पूछता, मगर खबर रखता है
सामने आकर चुप रहता है
जरा सूंचो वो कितना सबर रखता है.

Gulzar poetry (गुलज़ार कविता)

03 Nov, 08:41


😁गर्मजोशी से मिलो यारो
कभी तो खुशी में डुबू
आते जाते रहेंगे जिंदगी के मसले
..एक ही जिंदगी है गर्मजोशी से मिलो😁

Gulzar poetry (गुलज़ार कविता)

03 Nov, 06:34


खामोशियों से भी नेक काम होते है
गूगें होते हैं जो उनके भी नाम होते हैं,,

जिंन्दगी की शतरंज बड़ी पेचीदी
दिल से जुड़े रिश्ते बेनाम होते हैं,,

नज़रों से जाम पीने को मना है तो,
महफिल में हाथों में जाम होते हैं,,

जाने नहीं देता है गुल से परे आज,
हुश्न की धड़कनों में मकाम होते हैं,,

सखी यकीं कैसे करू बोलो उस का,
एक मुस्कुराहट के भी दाम होते हैं

-

Gulzar poetry (गुलज़ार कविता)

02 Nov, 18:03


वो देखेने मे कुछ और
सामने कुछ और
कुछ मुलाकाते हुई
और जमाने बदल गए हमारे
उन्ही अफ़सानो में जी रहे अब हम||

Gulzar poetry (गुलज़ार कविता)

02 Nov, 17:28


बंद आँखों से उज़ाले अंधेंरे नज़र आएंगें,
नज़रिया बदलो नज़ारे बदल जाएंगें,

बैठे रहो अपनी अना ओढ़ अंधेंरे कमरे में,
हम तो खुशबू है फिज़ाओं में बिखर जाएंगें,

जहन में झांकने से हम दिख जायेंगे,
ढूँढना मत मुझे तुम्हारी आँखों में नज़र आएंगें।।

-

Gulzar poetry (गुलज़ार कविता)

02 Nov, 13:10


एहसास करा देती है रूह जिनकी बातें नहीं होती !

इश्क वो भी करते है जिनकी मुलाकातें नहीं होती....!💕

~ शिवम आर्या🍁

Gulzar poetry (गुलज़ार कविता)

02 Nov, 12:49


चेहरे पे मेरे जुल्फों को फैलाओ किसी दिन,
क्यूँ रोज गरजते हो बरस जाओ किसी दिन,
खुशबु की तरह गुजरो मेरी दिल की गली से,
फूलों की तरह मुझपे बिखर जाओ किसी दिन,

~ शिवम आर्या

#cvmwrites

Gulzar poetry (गुलज़ार कविता)

02 Nov, 10:48


सौ दिल अगर हमारे होते
खुदा कसम सब के सब तुम्हारे होते.!!🌹

~ शिवम आर्या

Gulzar poetry (गुलज़ार कविता)

01 Nov, 16:16


बताने की बात तो नही है,
पर बताने दोगे क्या,
इश्क बेपनाह है तुमसे,
मुझे हक जताने दोगे क्या,

~ शिवम आर्या


#cvmwrites

Gulzar poetry (गुलज़ार कविता)

01 Nov, 14:31


मेरी सांसों में उतरकर
मेरे सीने से सिमटकर
यह जो तुम
सुकून पा जाते हो
मेरी आंखों का
इंतजार बस यहीं तक है
मेरी धड़कनों का
करार बस यही एक है
मेरे जिंदगी की
कहानी बस तुमसे तुमतक है

Gulzar poetry (गुलज़ार कविता)

01 Nov, 12:30


"प्रेम को समझने के लिए दिल चाहिए"

"निभाने के लिए धैर्य चाहिए और पाने के लिए भाग्य"

Re-Write

Gulzar poetry (गुलज़ार कविता)

31 Oct, 17:16


uski chand pasandida cheezo ki soochi mein, kabhi mera bhi zikr hua karta tha...

aaj kal mayusi ke daman mein hu magar, ye sab mai pehle bataya nahi karta tha...

uska gussa uske taane meri galti uski maafi, hamare jhagde main bhi pyaar hua karta tha...

woh daur bhi kya khoobsurat tha yaaron, jab mai uska pasandeeda hua karta tha...

ye raatein joh mujhe kaatne daudti hai aaj, uske khwaabon mein sukoon se soya karta tha...

ek aandhi ne dagmagaya mera hausla hai aaj, varna mai zameen par  mohabbat boya karta tha...

jee nahi skungi bagair tere vagerah vagerah,in jhuthi daleelo mein yakeen kiya karta tha...

woh daur bhi kya khoobsurat tha yaaron, jab mai uska pasandeeda hua karta tha...

:-🤍

Gulzar poetry (गुलज़ार कविता)

28 Oct, 17:21


अब भी एक शोर सा उठा हैं कहीं
कोई ख़ामोश हो गया हैं कहीं,

तुझ को क्या हो गया है कि
चीजों को कहीं रखता हैं ढूंढता है कहीं,

तू मुझे ढूंढ मैं तुझे ढूंढूं
कोई हम में से रह गया है कहीं.....!

-

Gulzar poetry (गुलज़ार कविता)

28 Oct, 08:15


आज यूं करो ...!!

जज़्बातों को रहने दो...

तुम निग़ाहों से सुनो....!!


- 💎

Gulzar poetry (गुलज़ार कविता)

27 Oct, 13:43


फ़ासले उन्हें क्या जुदा करेंगे,

जो बसते ही एक दूसरे में हैं !!

~ शिवंशी

Gulzar poetry (गुलज़ार कविता)

27 Oct, 09:07


साथ
कहने को सब साथ है,
पर कोई साथ है नहीं।
हार जीत की जंग में
लगे लगी है दुनिया सारी
कहने को सब साथ है,
पर कोई साथ है नहीं।
दिल दिमाग खो रहा है संतुलुन,
देखकर कश्मकश जिंदगी की
यूं नही मिलती फुरसत
गजलें सबको सुनाने की,
कहने को सब साथ है
पर कोई साथ है नहीं
रूठे है सपने मेरे
छुपी है हसीं मेरी,
जीत के कसौटी के किसों की
ना देखा हाल अपना
हुआ बेजुबान इतना
काले बादलों से हटकर कभी तो
होगा सवेरा नया।
सूरज सा चमकेगा
कहता है कोई अपना मेरा।
कहने को सब साथ है
पर कोई साथ है नहीं।

स्मृति मल्होत्रा🍂

Gulzar poetry (गुलज़ार कविता)

25 Oct, 07:19


मैं पसंद नहीं अगर
तो इतना वक्त क्यों बिताते हो,

मैं औरों से अलग नहीं
तो सिर्फ़ मुझको क्यों सताते हो,

रिश्तों में नहीं बंधना अगर
तो इतना हक़ क्यों जताते हो,

फर्क नहीं पड़ता मेरे फैसलों से
तो मुझसे उम्मीद क्यों लगाते हो,

डरते नहीं मुझे खोने से अगर
तो बेवजह फ़िक्र क्यों दिखाते हो।

-

Gulzar poetry (गुलज़ार कविता)

25 Oct, 03:19


You can t always
control circumstances.
But you can control
your own thoughts.
— Charles Popplestone

ᴘᴏᴡᴇʀғᴜʟ ᴏ̨ᴜᴏᴛᴇ ᴏғ ᴛʜɪs ʙᴏᴏᴋ
ᴍᴜsᴛ ʀᴇᴀᴅ ɪᴛ.
ᴀᴘᴋᴏ ᴘᴏsᴛɪᴠᴇ ᴠɪʙᴇs ᴍɪʟᴇɴɢɪ.
👍❤️

Gulzar poetry (गुलज़ार कविता)

20 Oct, 08:34


🍁

गुलाब चाँदनी-रातों पे वार आए हम
तुम्हारे होंटों का सदक़ा उतार आए हम

वो एक झील थी शफ़्फ़ाफ़ नील पानी की
और उस में डूब के ख़ुद को निखार आए हम

तिरे ही लम्स से उन का ख़िराज मुमकिन है
तिरे बग़ैर जो उम्रें गुज़ार आए हम

फिर उस गली से गुज़रना पड़ा तिरी ख़ातिर
फिर उस गली से बहुत बे-क़रार आए हम

ये क्या सितम है कि इस नश्शा-ए-मोहब्बत में
तिरे सिवा भी किसी को पुकार आए हम

~अज़हर इक़बाल

🍁

Gulzar poetry (गुलज़ार कविता)

20 Oct, 06:33


😝

Gulzar poetry (गुलज़ार कविता)

20 Oct, 03:32


😂

Gulzar poetry (गुलज़ार कविता)

20 Oct, 03:26


हमें मालूम है इश्क़ की आख़िरी हद
फिर भी इस दिल से बगावत है तो है..

इश्क़ में ज़रूरी तो नहीं तुम मंज़िल हो मेरी
तुमसे इस दिल को राहत है तो है..

तेरे ख़ातिर लिखता हूँ मोहब्बत की लकीरें
तू मेरे इश्क़ की लिखावट है तो है..

Gulzar poetry (गुलज़ार कविता)

17 Oct, 16:30


कभी तो आसमाँ से चाँद उतरे जाम हो जाए
तुम्हारे नाम की इक ख़ूब-सूरत शाम हो जाए

गुलज़ार (Gulzar)


Gulzar poetry (गुलज़ार कविता)

17 Oct, 16:25


चाँद होता न आसमाँ पे अगर
हम किसे आप सा हसीं कहते

गुलज़ार (Gulzar)

Gulzar poetry (गुलज़ार कविता)

17 Oct, 15:41


बे-सबब मुस्कुरा रहा है चाँद
कोई साज़िश छुपा रहा है चाँद

गुलज़ार (Gulzar)

Gulzar poetry (गुलज़ार कविता)

16 Oct, 08:13


क्यों देख रहे हो मुझे गैरों की तरहा
क्या मैं ने नहीं चाहा अपनों की तरहा

क्यों छोड़ गए हो बता ओ तो ज़रा
क्या मैं ने नहीं देखा सपनों की तरहा

क्या कमी रह गई थी मोहब्बत मेरी
क्या मैं ने नहीं चाहा अपनों की तरहा

क्या था कसूर मेरा बता ओ तो ज़रा
क्यों छोड़ गए हो मुझे गैरों की तरहा

-

Gulzar poetry (गुलज़ार कविता)

14 Oct, 07:07


मेरे अल्फाज़ तेरे
एहसास से होकर गुजरे हैं,

जैसे मेरी सांसे
तेरी सांसों से होकर गुजरी हों,

पढ़ना मेरी मोहब्बत
की शायरी का अफसाना जरा तुम ध्यान से,

लिखे एक-एक शब्द
के लफ्ज़ मेरे जज़्बात से होकर गुजरे हैं।

-

Gulzar poetry (गुलज़ार कविता)

12 Oct, 10:50


कमजोरिया
मत खोज
मुझ में..
मेरे दोस्त...
एक तु भी..
शामिल है...
मेरी
कमजोरी में....

Gulzar poetry (गुलज़ार कविता)

12 Oct, 10:45


दोस्त में दोस्त, खुदा होता हैं
मेहसुस तब होता है, जब वो जुदा होता है!!!

@YuvrajKakad24

Gulzar poetry (गुलज़ार कविता)

12 Oct, 07:12


मलाल है मगर इतना मलाल थोड़ी है
ये आंख रोने की शिद्दत से लाल थोड़ी है

बस अपने वास्ते ही फ़िक़्रमंद हैं सब लोग
यहां किसी को किसी का ख़याल थोड़ी है

परों को काट दिया है उड़ान से पहले
ये ख़ौफ़ ए हिज्र है शौक़ ए विसाल थोड़ी है...

मज़ा तो तब है कि हम हार के भी हंसते रहें
हमेशा जीत ही जाना कमाल थोड़ी है...

लगानी पड़ती है डुबकी उभरने से पहले
ग़ुरूब होने का मतलब ज़वाल थोड़ी है...!!!

By kanchan yuvraj

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