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Gulzar poetry (गुलज़ार कविता)

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︎ शायरियां ऐसी जो दिल छू जाए !!

.कविता, शेर, नज्म, गजल, और दिलचस्प कहानियाँ.

आपके दिल के एहसास हमारी शायरी में। ♥️💕


Est: 08-08-2021



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Gulzar poetry (गुलज़ार कविता) (Hindi)

गुलज़ार कविता चैनल में आपका स्वागत है! यहाँ पर आपको उन शायरियों की ख़ूबसूरत दुनिया मिलेगी जो आपके दिल को छू जाएंगी। इस चैनल में हम लेकर आए हैं कविताएं, शेर, नज्म, गजल और दिलचस्प कहानियाँ जो आपके दिल के एहसास को छू जाएंगी। आपके लिए हमारे शायरी की दुनिया में आना बिल्कुल नया अनुभव होगा। इस चैनल की स्थापना 08-08-2021 को हुई थी और यहाँ पर आपको रोजाना नए शेर, कविताएं और कहानियाँ मिलेंगी। तो आइए, शायरी की इस दुनिया में साथ चलें और हमें बताएं कि आपको कौनसी कविता सबसे ज्यादा पसंद आई।

Gulzar poetry (गुलज़ार कविता)

22 Nov, 08:23


*​╭•┄┅════❁*🌷🌷❁════┅┄•╮
*किसी के दिल में बसना कुछ बुरा तो नहीं,*

*किसी को दिल में बसाना कोई खता तो नहीं,*

*गुनाह हो यह ज़माने की नज़र में तो क्या,*

*ज़माने वाले कोई खुदा तो नहीं।*
╰•┄┅════❁🌷🌷 *❁════┅┄•╯​*

Gulzar poetry (गुलज़ार कविता)

22 Nov, 06:34


Gulzar poetry (गुलज़ार कविता) pinned «»

Gulzar poetry (गुलज़ार कविता)

22 Nov, 06:29


कौन कहता है "कफ़न सफेद" होता है...

मैंने "लाल जोड़े" में भी जाने कितने "ख़्वाब दफन" होते देखे हैं...!!!

~ शिवांशी

💔

Gulzar poetry (गुलज़ार कविता)

21 Nov, 16:20


💔

Gulzar poetry (गुलज़ार कविता)

21 Nov, 13:11


चुपके से आकर इस दिल में उतर जाते हो,
सांसों में मेरी खुशबू बन कर बिखर जाते हो।

कुछ यूं चला है तेरे इश्क का जादू
सोते जागते बस तुम ही नजर आते हो

-

Gulzar poetry (गुलज़ार कविता)

21 Nov, 09:29


कैसे ना हो इश्क़, उनकी सादगी पर ए खुदा

खफ़ा है हमसे, मगर दिल के करीब बैठे है

-💎

Gulzar poetry (गुलज़ार कविता)

21 Nov, 09:26


जुगनूओ को हाल सुनाता रहा रातभर
वह हसीं ख्वाबों में आता रहा रात भर

इक सुरूर था उसके आँखों में इस कदर
मैं उसके बातों में आता रहा रात भर

-💎

Gulzar poetry (गुलज़ार कविता)

21 Nov, 05:08


कोई हालात को नहीं समझ पाता...
तो कोई जज़्बात को नहीं समझ पाता,

कोई कोरा कागज़ भी पढ़ लेता है...
तो कोई पूरी किताब नहीं समझ पाता,

ये तो बस अपनी-अपनी समझ है..
कोई चेहरे पर मुस्कान देखकर
दिल का दर्द समझ लेता है...

तो कोई आँखों का पानी देख कर
दर्द-ए-दिल  नहीं समझ पाता...!!

-

Gulzar poetry (गुलज़ार कविता)

20 Nov, 09:15


परवाह करते हैं तुम्हारी
बस जताते नहीं हैं.....

जरूरी हो तुम बहूत
बस बताते नहीं हैं....

ख्याल रखते हैं तुम्हारा
बस दिखाते नहीं हैं....

रोज देख लेते हैं तुम्हें
नजर आते नहीं है.


रोशनी समझ जाया करो मुझे
हम समझा पाते नहीं....,.🌹

~ शिवांशी✍️

Gulzar poetry (गुलज़ार कविता)

20 Nov, 09:08


ना तसवीर है तुम्हारी,,
जो दीदार किया जाये..!! ❤️
ना ही तुम पास हो मेरे,
जो _प्यार किया जाये..!! ❤️

ये कौन सा दर्द दिया है,,
तुमने ऐ संगदिल सनम..!! ❤️
ना कुछ कहा जाये,,
ना तुम बिन रहा जाये...!!! ❤️

Gulzar poetry (गुलज़ार कविता)

19 Nov, 06:32


ये जो तुम्हारी मोहब्बत है
इसे अपनी मैं आदत बना लू...

तुझे छुपा लूं अपने दिल में
इस दुनिया की नज़र से चुरा लूं..

कर लूं तुम्हें कैद अपनी निगाहों में
तुम्हें अपनी रूह में बसा लूं

लूटा दु अपनी सारी महोब्बत तुम पर
तुम्हें अपना हमसफ़र बना लूं

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