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ब्रह्मचर्य

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ब्रह्मचर्य ही जीवन है 🙏🏻

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ब्रह्मचर्य (Hindi)

ब्रह्मचर्य जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह समूह एक स्वास्थ्यप्रद और मानसिक उन्नति के लिए सभी आयुर्वेद, योग, मोटिवेशन, वेद, अध्यात्म, सनातन धर्म, ध्यान, साधना उपासना और ज्ञान से जुड़े टिप्स और जानकारी साझा करता है। यदि आप अपने जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाना चाहते हैं और एक स्वस्थ और सुखी जीवन जीना चाहते हैं, तो इस समूह में शामिल होना आपके लिए बहुत फायदेमंद साबित हो सकता है। यहाँ पूर्वजों के ज्ञान, विचार, और अनुभव से भरपूर गुरुवचन और संदेश हैं जो आपके जीवन को सकारात्मक दिशा में बदल सकते हैं। वेद, अध्यात्म, और योग से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी के साथ, इस समूह में सदस्यता लेकर आप अपने आप को और भले समझने में मदद पा सकते हैं। तो अब ही जुड़ें @brahmacharya1 और एक नया स्वस्थ और खुशहाल जीवन आरंभ करें! #ब्रह्मचर्य #आयुर्वेद #योग #मोटिवेशन #वेद #अध्यात्म #सनातन #ध्यान #साधना_उपासना #ज्ञान #धर्म

ब्रह्मचर्य

18 Nov, 16:15


सभी को सादर नमस्ते जी 🙏🏻
पहले तो मै आप सबसे क्षमा चाहता हूं कि आपको इस प्रकार के Ad दिखते हैं चैनल में , लेकिन यह हम नहीं भेजते ये स्वयं से आता है और हम इसे हटा भी नहीं सकते (इसका प्रमाण नीचे भेजता हूं)

और आपको यह बता देता हूं इनसे मुझे अभी तक तो कोई धन मिला नहीं है , अगर भविष्य में मिलता है तो उसका प्रयोग मै कभी भी अपने लिए नहीं करूंगा , उसको दान दे दूंगा कहीं या धर्म प्रचार में लगाऊंगा 🙏🏻

ब्रह्मचर्य

16 Nov, 06:12


भारतीय सभ्यता और संस्कृति में माता को इतना पवित्र स्थान दिया गया है कि यह मातृ भाव मनुष्य को पतित होते होते बचा लेता है

जब भी मन में काम आए तब मातृ भाव रखे इससे विकार के जाल से बच जाएंगे

पराई स्त्री को माता के समान और पराए धन को मिट्टी के ढेले के समान जानो ।

@Brahmacharyalife

ब्रह्मचर्य

16 Nov, 01:08


जागो जागो जागो

@vaidic_bhajan

ब्रह्मचर्य

15 Nov, 09:06


जैसा साहित्य हम पढ़ते है ,वैसे ही विचार मन के भीतर चलते रहते है और उन्हीं से हमारा सारा व्यवहार प्रभावित होता है,

जो लोग कुत्सित ,विकारी और कामोत्तेजक साहित्य पढ़ते हैं वे कभी उपर नहीं उठ सकते , वो वीर्य रक्षा करने में असमर्थ होते है l

@Brahmacharyalife

ब्रह्मचर्य

15 Nov, 04:16


प्र. १९९. क्या मांस या अण्डा खाने वाले को पाप लगेगा ?

उत्तर : हाँ, मांस हो या अण्डा हो, दोनों के खानेवाले को पाप लगेगा। क्योकि इससे प्राणियों की हिंसा होती है। शास्त्र में भी इसका निषेध किया है ।

@vaidic_gyan

ब्रह्मचर्य

14 Nov, 01:27


पुस्तक का नाम ➦ शरीर की वास्तविकता

संपादक का नाम ➛ स्वामी ध्रुवदेव परिव्राजक

पुस्तक की भाषा ➛हिन्दी, संस्कृत

पुस्तक में पृष्ठ ➛ 13

प्रकाशक➛दर्शन योग महाविद्यालय ट्रस्ट

Pdf size ➛2.8MB

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आज ही जुड़े 🔜
@brahmacharya1
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@brahmacharyalife

ब्रह्मचर्य

13 Nov, 23:12


ब्रह्मचर्य

ब्रह्मचर्य

11 Nov, 15:45


@Brahmacharyalife

ब्रह्मचर्य

10 Nov, 07:27


🙏

[ब्रह्मचर्य-महिमा]:-

ब्रह्मचर्य नष्ट कर डाला, कैसा हुआ देश मतवाला।
पवन-पुत्र हनुमान बली ने कैसा बल दिखलाया था,
ब्रह्मचर्य के प्रताप से लंका को जाय जलाया था,
रावण-दल में अंगद का नहीं पैर टला था टाला।।ब्रह्म०।।१

'शक्ति' खाय उठे लक्ष्मण जी भारी युद्ध मचाया था,
मेघनाथ से शूरवीर को पल में मार गिराया था, रामायण को पढ़कर देखो है इतिहास निराला।।ब्रह्म०।।२

परशुराम के भी कुठार का जग मशहूर फिसाना है, बाल ब्रहमचारी 'भीषम' को जाने सभी जमाना है,
काॅंपे था जग इनके डर से पड़ न जाय कहीं पाला।।ब्रह्म०।।३

चालीस मन के पत्थर को रख छाती पर तुड़वाता था,
लोहे की जंजीरों के वह टुकडे मित्र उड़ाता था, राममूर्ति मोटर रौके था, है प्रत्यक्ष हवाला।।ब्रह्म०।।४

डेढ़ अरब के मुकाबिले में इकला बीर दाहाड़ा था, जिसने आकर किया सामना पल में उसे पछाड़ा था,
जिसका नाम सकल दुनियाॅं में "दयानन्द" ऋषि आला।।ब्रह्म०।।५

ब्रह्मचर्य को धारो भाइयों ये एक दवा अनूठी है,
मुर्दे से जिन्दा करने की यह सञ्जीवनी बूटी है,
'इन्द्र' कहै कमजोरी को अब दे दो देश निकाला।।ब्रह्म०।।६। (श्री इंद्र वर्मा जी)
-(ब्रह्मचर्य ट्रैक्टमाला, पं० गंगा प्रसाद उपाध्याय)

ब्रह्मचर्य

10 Nov, 04:39


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ब्रह्मचर्य

09 Nov, 14:43


👌

ब्रह्मचर्य

09 Nov, 11:10


🙏

बुराई को छोड़ने की तीव्र इच्छा और अच्छाई को धारण करने की तीव्र इच्छा उत्पन्न करके संकल्प करें। तीव्र इच्छा उस विषय में निरंतर स्वाध्याय करने से उसे विषय के महत्व और लाभों को जानने से उत्पन्न होती है।

ब्रह्मचर्य

09 Nov, 02:41


https://t.me/vaidic_gyan/3272

ब्रह्मचर्य

08 Nov, 13:47


📚
ब्रह्मचर्य पालन हेतु स्वाध्याय की अनिवार्यता👇

🎯गंभीर रूप से पढ़े यह लेख

🌟मन का स्वभाव है अधोगमन करना यह कभी अपना उत्थान नहीं चाहता

🌟मन को थोड़ी देर का अवसर रिक्त मिल जाए फिर यह आत्मा के अज्ञान के कारण विषय विकारों की तरफ वेग से दौड़ता है क्योंकि मन प्राकृत है चेतन नहीं है यह जड़ पदार्थ है

🌟आत्मा चेतन है वह अपने सत्य स्वरूप को पाना चाहता है जब विद्या की प्राप्ति हो जाती है फिर यह अविद्या से मुक्त हो जाता है

🌟मिथ्या ज्ञान के कारण मन जहर से अमृत लेना चाहता है भोगों से आनंदित होना चाहता है यह असम्भव है

🌟विद्या प्राप्ति के लिए स्वाध्याय नियमित रूप से सेवन करना अति आवश्यकता है

🌟ब्रह्मचर्य पालन के लिए प्रतिदिन स्वाध्याय करे अन्यथा कामदेव आपको छोड़ेगा नहीं उसे मोका न दे।
🌟नियम ले स्वाध्याय का इससे आपका ब्रह्मचर्य पालन होता रहेगा आपको काम वासना सताएगी नहीं

🌟स्वाध्याय के अभाव में अज्ञान बड़ जाता है और हम काम वृत्ति से जुड़ कर अपना नाश कर लेते है

🌟निरंतर जागरूक बने

🌟सावधानी ही साधना है

🌟आत्म निरीक्षण ब्रह्मचर्य पालन के लिए हितकारी है बहुत सहयोग मिलता है

🌟आत्म निरीक्षण के द्वारा प्रत्येक दिन अपनी दिनचर्या का अवलोकन के

🌟इसे करने की विधि यह है
मन वाणी और शरीर के तल पर निरीक्षण करे

🌟क्या दोष आए और क्या गुण आ रहे है
दोनों को देखे

🌟फिर दोषों को जानकर हटाए

🌟आत्म निरीक्षण प्रत्येक क्षेत्र में बहुत उपयोगी है

🌟स्वाध्याय और आत्म निरीक्षण दोनों की अनिवार्यता है

ब्रह्मचर्य

08 Nov, 06:22


🙏जिस तरह🔥 अग्नि में घी की आहुति देने से अग्नि और अधिक बड़ जाती है उसी प्रकार कामवासना 🫣को भोगने से अधिक बढ़ती है उस समय विवेक 🧠के द्वारा उससे अपने को सुरक्षित रखे 🙏

ब्रह्मचर्य

08 Nov, 06:18


सावधान 🚫🚫🚫🚫⚠️⚠️⚠️⚠️

ब्रह्मचर्य

05 Nov, 02:50


ब्रह्मचर्य नाश करने वाला व्यक्ति क्रोधी क्यों होता है?

मूल श्लोकः
ध्यायतो विषयान्पुंसः सङ्गस्तेषूपजायते।

सङ्गात् संजायते कामः कामात्क्रोधोऽभिजायते।।2.62।।
 
।।2.62 -- 2.63।। विषयोंका चिन्तन करनेवाले मनुष्यकी उन विषयोंमें आसक्ति पैदा हो जाती है। आसक्तिसे कामना पैदा होती है। कामनासे क्रोध पैदा होता है। क्रोध होनेपर सम्मोह (मूढ़भाव) हो जाता है। सम्मोहसे स्मृति भ्रष्ट हो जाती है। स्मृति भ्रष्ट होनेपर बुद्धिका नाश हो जाता है। बुद्धिका नाश होनेपर मनुष्यका पतन हो जाता है।
 

।।2.62।। विषयों का चिन्तन करने वाले पुरुष की उसमें आसक्ति हो जाती है? आसक्ति से इच्छा और इच्छा से क्रोध उत्पन्न होता है।।

ब्रह्मचर्य

03 Nov, 06:51


अच्छा लगे तो शेयर करे धन्यवाद मित्रो

ब्रह्मचर्य

03 Nov, 06:50


🙏
ब्रह्मचर्य पर ऋषि मुनियों के दिव्य प्रेरणादायक विचार

ऋषिवर! ब्रह्मचारी पुरुष मुझे परम प्रिय जान पड़ता है। ब्रह्मचर्य से ही मेरा निर्भय पद प्राप्त हो सकता है।
मुनिवर! तुम्हारा शाप अंगीकार करता हूँ। विवाह करने से तुम्हारा ब्रह्मचर्य व्रत खण्डित हो जाता और लोक-कल्याण में बाधा उपस्थित होती। इसलिए माया करनी पड़ी। -भगवान
देव, मनुष्य और असुर- सबके लिए ब्रह्मचर्य अमृत रूप है। जो वरदान चाहे वह ब्रह्मनिष्ठा से प्राप्त हो सकता है। -पितामह ब्रह्मा
ब्रह्मचर्य से ब्रह्मतेज का संचय होता है। पूर्ण तपस्वी अपना तप इसी के बल पर साध सकता है। जो अप्सरा महर्षि विश्वामित्र का तपोभंग कर, मुझे निर्भय करेगी, उसे मेरा सदा सम्मान प्राप्त होगा।
- देवराज इन्द्र
हे जीव! ब्रह्मचर्य रूपी सुधा निधि तेरे पास है। उसकी प्रतिष्ठा से अमर बन। निराश मत हो। मनुष्यता को सार्थक बनाने का उद्योग कर। -श्रुति
ब्रह्मचर्य व्रत का पालन करते हुए, वेदादि शास्त्रों का अध्ययन योग्य है। अधिकारी पुरुष ही अपनी सम्पत्ति की रक्षा कर सकता है। -महर्षि अंगिरा
हे निष्पाप! ब्रह्मचर्य से ही संसार की स्थिति है। मूलाधार के नष्ट होने पर ही पदार्थ का नाश होता है। अन्यथा नहीं। -महर्षि वशिष्ठ
ब्रह्मचर्य का पालन ब्रह्मपद का मूल है। जो अक्षय पुण्य को पाना चाहता है, वह निष्ठा से जीवन व्यतीत करे। -देवर्षि नारद
मोक्ष का दृढ़ सोपान ब्रह्मचर्य है। ब्रह्मचर्य श्रम के सुधरने से सब क्रियाएं सफल होती हैं।
-महामुनि दक्ष
ब्रह्मचर्य से ही ब्रह्मस्वरूप के दर्शन होते हैं। हे प्रभो! निष्कामता ही प्रदान कर दास को कृतार्थ करें।
-मुनिवर भारद्वाज
ब्रह्मचर्य से मनुष्य दिव्यता को प्राप्त होता है। शरीर के त्यागने पर सद्गति मिलती है।
-मुनीन्द्र गर्ग
ब्रह्मचर्य के संरक्षण से मनुष्य को सब लोकों में सुख देने वाली सिद्धियाँ प्राप्त होती हैं।
-मुनिराज अत्रि
जीवात्मा ब्रह्मचर्य से ही परमात्मा में लीन होता है। आत्म धर्म ही चारों फल की प्राप्ति का साधन है।
-महर्षि व्यास
ब्रह्मचर्य व्रत के पालन से मनुष्य के अशुभ लक्षण भी नष्ट हो जाते हैं।
जो उत्तम धर्म का पालन करना चाहे, वह इस संसार में ब्रह्मचर्य का पालन करें।
-पीयूषपाणि धन्वन्तरि
हे राजन! ब्रह्मचारी को कहीं भी दुःख नहीं होता, उसे सब कुछ प्राप्त है। ब्रह्मचर्य के प्रभाव से हम अनेक ऋषि ब्रह्मलोक में स्थित हैं।
-देवव्रत भीष्म
ब्रह्मचारी को सब कुछ सम्भव है। उत्साह से ही सब कार्य सिद्ध होते हैं। वे ही पुरुष रत्न हैं, जो अपने व्रत का सदा पालन करते हैं।
- महावीर हनुमान
ब्रह्मचर्य का पालन कर लेने पर मनुष्य किसी भी आश्रम (गृहस्थ, वानप्रस्थ और संन्यास) में प्रविष्ट हो सकता है। -ऋषीश जाबाल
ब्रह्मचर्य से ही ब्रह्मज्ञान प्राप्त करने की योग्यता प्राप्त होती है। -ऋषिवर पिप्पलाद
ब्रह्मचारी रहकर नियमित रूप से अध्ययन करना चाहिए। विधि रहित अध्ययन करने से स्वाध्याय का फल नहीं मिलता।
-महामान्य हारीत
हे जनक जी! जिसने ब्रह्मचर्य से चित्त की शुद्धि की है, उसी को अन्य आश्रमों (गृहस्थ, वानप्रस्थ, और संन्यास) में आनन्द मिलता है।
-बाल-ब्रह्मचारी शुकदेव
बिना ब्रह्मचर्य के (विषय भोगों से) आयुष्य, तेज, बल, वीर्य, बुद्धि लक्ष्मी, महत्त्वाकांक्षा, पुण्य, तप और स्वाभिमान का नाश हो जाता है।
-स्मृतिकार गौतम मुनि
इच्छा से वीर्य का नाश करने वाला ब्रह्मचारी निश्चय पूर्वक अपने व्रत (ब्रह्मचर्य) का नाश कर देता है। -महामति मनु
ब्रह्मचर्य और अहिंसा शारीरिक तप हैं।
-योगिराज कृष्ण
ब्रह्मचर्य के पालन से आत्मबल प्राप्त होता है।
-योगाचार्य पतंजलि
ब्रह्मचर्य के बल से ही मनुष्य ऋषिलोक को जाता है। -कपिल मुनि
ब्रह्मचर्य व्रत धारण करने वालो को मोक्ष मिलता है। -सनत्सुजात मुनि
वीर्य ही सारे शरीर का सार है।
मनुष्य का बल वीर्य के अधीन है।
ओज ही शरीर की धातुओं का तेज है।
-वैधक
अखण्ड ब्रह्मचर्य का पालन कर लेने पर, सुलक्षण स्त्री से विवाह करना चाहिए।
-मिताक्षरा
जो मनुष्य ब्रह्मचारी नहीं उसको कभी सिद्धि नहीं होती। वह जन्म मरणादि क्लेशों को बार-बार भोगता रहता है। -अमृतसिद्धि
ब्रह्मचर्य से पाप इस प्रकार कटता है। जिस प्रकार सुर्योदय से अंधकार का नाश होता है।*
-धर्म संग्रह

ब्रह्मचर्य

03 Nov, 06:38


सभी को सादर नमस्ते जी🙏

ब्रह्मचर्य

02 Nov, 04:51


ब्रह्मचर्य: जीवन का अनमोल रहस्य

ब्रह्मचर्य केवल एक शब्द नहीं, बल्कि एक जीवनशैली है। यह आत्मसंयम, मानसिक स्पष्टता और आध्यात्मिक विकास की कुंजी है।

जब हम ब्रह्मचर्य का पालन करते हैं, तो हम अपनी ऊर्जा को सही दिशा में लगाते हैं। इससे न केवल शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार होता है, बल्कि आत्म-विश्वास और मानसिक स्थिरता भी मिलती है।

इस मार्ग पर चलकर हम अपनी इच्छाओं को नियंत्रित कर सकते हैं, जो हमें अपने लक्ष्यों की ओर और अधिक केंद्रित बनाता है।

आज ही इस महान सिद्धांत को अपनाएं और अपने जीवन को नई ऊंचाइयों पर ले जाएं!

ब्रह्मचर्य

02 Nov, 04:50


https://t.me/vaidic_gyan/3259

ब्रह्मचर्य

01 Nov, 04:02


ब्रह्मचर्य के माध्यम से मन की एकाग्रता और आत्म-साक्षात्कार की ओर अग्रसर होना संभव है।

ब्रह्मचर्य

31 Oct, 14:20


https://t.me/no_fap_celibacy

ब्रह्मचर्य

31 Oct, 12:45


ब्रह्मचर्य अंग्रेजी चैनल लिंक

ब्रह्मचर्य

30 Oct, 10:07


ब्रह्मचर्य का अर्थ केवल संयम नहीं, बल्कि आत्मा की शुद्धता और उच्च विचारों की प्राप्ति भी है।

ब्रह्मचर्य

30 Oct, 04:16


स्वेदज = पसीने से उत्पन्न
अण्डज = अण्डे से उत्पन्न
उद्भिज्ज = भूमि से उत्पन्न
जरायुज = शरीर से उत्पन्न

ब्रह्मचर्य

29 Oct, 12:56


ब्रह्मचर्य वह साधना है, जो व्यक्ति को अपने भीतर की शक्ति को पहचानने और उसे साधित करने में मदद करती है।

ब्रह्मचर्य

29 Oct, 08:48


https://t.me/swadeshiandolanrajivdixit/2394?single

ब्रह्मचर्य

28 Oct, 02:27


ब्रह्मचर्य से व्यक्ति की ऊर्जा, मानसिक स्पष्टता और आत्मिक उन्नति में वृद्धि होती है।

ब्रह्मचर्य

27 Oct, 03:51


ब्रह्मचर्य का पालन आत्म-नियंत्रण और स्वाधीनता का मार्ग है, जो मनुष्य को अपने लक्ष्यों की प्राप्ति में सक्षम बनाता है।

ब्रह्मचर्य

27 Oct, 03:43


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ब्रह्मचर्य

23 Oct, 12:14


[महर्षि दयानन्द जी के ब्रह्मचर्य विषयक व्याख्यान]

स्वामी जी ने कहा कि पुरुषों को वीर्यरक्षा करनी चाहिये, परन्तु वे नहीं करते हैं। वीर्यरक्षणविद्या भूल जाने से मनुष्य पशुओं से भी नीचे गिर गया है। तात्पर्य यह है कि पशु निश्चितकाल में वीर्यदान करता है, परन्तु मनुष्य दिन अथवा रात, ऋतुकाल अथवा अऋतुकाल इन बातों पर बिल्कुल ध्यान नहीं देता। पुरुषों और स्त्रियों को पहले वेदाज्ञा के अनुसार ब्रह्मचर्यव्रत का पालन करके वीर्य सुदृढ़ तथा परिपक्व करना चाहिये। परन्तु ऐसा वे नहीं करते। उल्टा अयोग्य समय में बालविवाह करके कच्चे वीर्य को नष्ट भ्रष्ट करके अपना शरीर तथा बुद्धिबल छिन्न-भिन्न करते हैं। कितने ही व्यभिचार में डूबकर वेश्यागमन तथा परस्त्री गमन करते हैं। स्त्रियां भी पतिव्रत भंग करके परपुरुष गमन करती हैं। इस प्रकार ये स्त्री पुरुष अपने शरीर तथा बुद्धि को निर्बल कर रहे हैं। इनकी सन्तान भी अल्पवीर्यवान् तथा अल्पायुषी होती हैं। फलस्वरूप इन लोगों को सदैव वैद्यों के यहां दौड़ लगानी पड़ती है। ऐसे लोगों से कोई महान् कार्य नहीं होता। क्योंकि इनके नष्टवीर्य होने से इनमें शौर्य अथवा धैर्य होता ही नहीं। बलहीन होने से नपुंसक जैसे हो जाते हैं। -(पृ. ७२)

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