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Hindu Order : The Rise of Dharma

लक्ष्य- जगद्गुरु शंकराचार्य पुरीपीठाधीश्वर महाराज के समर्थ मार्गदर्शन में भारत को निकट भविष्यमें अखण्ड हिन्दुराष्ट्र के रूपमें उद्भासित करना।

The Hindu Order (Hindi)

हिन्दू आदेश: धर्म के उदय
"हिन्दू आदेश" एक टेलीग्राम चैनल है जो भारत के निकट भविष्य में अखण्ड हिन्दू राष्ट्र की उत्थान की दिशा में काम कर रहा है। इस चैनल का लक्ष्य है कि उन्हें पूरी शंकराचार्य जी के मार्गदर्शन में भारत को एक समृद्ध और सामर्थ्य योग्य राष्ट्र बनाने में मदद मिले। यहां आपको हिन्दू धर्म, संस्कृति, इतिहास और ज्योतिष के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी मिलेगी जो आपको अपने धार्मिक और सामाजिक जीवन में मार्गदर्शन प्रदान करेगी। इस चैनल के माध्यम से आप अपने आध्यात्मिक और सांस्कृतिक ज्ञान को बढ़ा सकते हैं और हिन्दू धर्म की महत्वपूर्ण बातों का समय समय पर लाभ उठा सकते हैं। इस चैनल को ज्वाइन करें और अपने आत्मा के उद्दीपन के साथ हिन्दू धर्म के उत्थान में भागीदार बनें।

The Hindu Order

28 Nov, 17:16


https://youtu.be/xsrddnlZwlI?si=t2PEmJQGCU5s0NZb

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25 Nov, 14:15


करुणानिधान 🙇🏻🥹

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23 Nov, 13:54


https://youtu.be/BtwkvEEyG8I?si=N5K5JqctVd1kO7YK
|| MUST WATCH ||

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21 Nov, 18:07


Unite against blasphemy!
Raitas' malicious & cheap attacks in comment section against HH Jagadguru Shankaracharya Bhagwan won't go unchallenged. Flood the comments with love, support, and positivity!

First of all like & share the video. On top of that like and support the positive comments while reporting and disliking negative comments. Join this movement, let's defend Jagadguru's dignity and Varnashrama Dharma together! 🚩

The Hindu Order

18 Nov, 18:41


🔥 शिवलिङ्गोद्भव महामहोत्सव 🔥

यत्पुनः स्तम्भरूपेण स्वाविरासमहं पुरा।
स कालो मार्गशीर्षे तु स्यादार्द्राऋक्षमर्भकौ॥
आर्द्रायां मार्गशीर्षे तु यः पश्येन्मामुमासखम्।
मद्वेरमपि वा लिङ्गं स गुहादपि मे प्रियः॥
अलं दर्शनमात्रेण फल तस्मिन् दिने शुभे।
अभ्यर्चनं चेधिकं फलं वाचामगोचरम्॥

(श्रीशिवमहापुराण, विद्येश्वरसंहिता, अध्याय ९, श्लोक १४-१६)

हे वत्सो ! पहले मैं जब ज्योतिर्मय ज्वालामालासहस्राढ्य स्तम्भाकार शिवलिङ्गरूपसे प्रकट हुआ था, उस समय मार्गशीर्षमासमें आर्द्रा नक्षत्र था। अतः जो पुरुष मार्गशीर्षमासमें आर्द्रा नक्षत्र होनेपर मुझ उमापतिका दर्शन करता है अथवा मेरी मूर्ति या लिङ्गकी ही झाँकीका दर्शन करता है, वह मेरे लिये कार्तिकेयसे भी अधिक प्रिय है। उस शुभ दिन मेरे दर्शनमात्रसे पूरा फल प्राप्त होता है। यदि [दर्शनके साथ-साथ] मेरा पूजन भी किया जाय तो उसका अधिक फल प्राप्त होता है, जिसका वाणीद्वारा वर्णन नहीं हो सकता॥१५-१७॥

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यह नक्षत्र — मंगलवार (19-11-2024) को है।
मङ्गलवार को सम्पूर्ण दिवस।

विशेष- रुद्राभिषेक, शिवलिङ्गार्चन, पार्थिवेश्वरपूजन, शिवलिङ्ग दर्शन आदि करें।

The Hindu Order

02 Nov, 07:29


🌸 सभी सनातनधर्मावलम्बी धर्मप्रेमीसज्जनों!!
आज आप सभी उपर्युक्तविधिसे सवत्स भगवती वेदलक्षणा गोमाता का पूजन सम्पन्न करें।

🍃 पूजनके अनन्तर भारतवर्षके समस्त धर्मानुरागी बन्धुओं के परस्पर उत्साहवर्धन हेतु अपने द्वारा पूजित वेदलक्षणा गोमाता का चित्र भी कमेन्ट रूप में अवश्य ही प्रेषित करें!! @Dharmveer_Dal

गोमाताकी जय हो! गोहत्या बन्द हो!!

The Hindu Order

02 Nov, 07:29


अतिसंक्षिप्तगोपूजनम्

(पूजनकर्त्ता कृतनित्यक्रियः सर्वपूजनसाधारर्णी व्यवस्थां सम्पाद्य संकल्पपूर्वकं यथोपचारैः सवत्सां गां पूजयेत्।)

संकल्पः-
अद्येत्यादि देशकालौ संकीर्त्य अमुकोऽहं सवत्सगोपूजनं करिष्ये। (अमुक के स्थान पर अपना-अपना नाम लें)

ध्यानम्-
यया सर्वमिदं व्याप्तं जगत्स्थावरजंगमम्।
तां धेनुं शिरसा वन्दे भूतभव्यस्य मातरम्॥
औं सवत्सगव्यै नमः ध्यानं समर्पयामि।


आवाहनम्-
औं सवत्सगव्यै नमः आवाहनं समर्पयामि।

आसनम्-
औं सवत्सगव्यै नमः आसनं समर्पयामि।

जलम्-
औं सवत्सगव्यै नमः पाद्यार्घाचमनीयस्नानीयपुनराचमनीयानि समर्पयामि।

चन्दनम्-
औं सवत्सगव्यै नमः इदमनुलेपनं समर्पयामि।

अक्षताः-
औं सवत्सगव्यै नमः अक्षतान् समर्पयामि।

पुष्पम्-
औं सवत्सगव्यै नमः पुष्यं पुष्पमाल्यं च समर्पयामि।

धूपः-
औं सवत्सगव्यै नमः धूपमाघ्घ्रापयामि।

दीपः-
औं सवत्सगव्यै नमः दीपं दर्शयामि।

नैवेद्यम्
औं सवत्सगव्यै नमः नैवेद्यं निवेदयामि।

आचमनम्-
औं सवत्सगव्यै नमः आचमनीयं समर्पयामि।

दक्षिणादव्यम्-
औं सवत्सगव्यै नमः दक्षिणाद्रव्यं समर्पयामि।

पुष्पांजलिः-
औं सवत्सगव्यै नमः पुष्पांजलिं समर्पयामि।

प्रदक्षिणा-
औं सवत्सगव्यै नमः प्रदक्षिणां समर्पयामि।

नमस्कारः-
गावो ममाग्रतः सन्तु गावो मे सन्तु पृष्ठतः।
गावो मे हृदये सन्तु गवां मध्ये वसाम्यहम्॥
औं सवत्सगव्यै नमः नमस्कारं निवेदयामि।

(इससे भी कम समय में पूजन के लिये गन्ध, पुष्प, धूप, दीप और नैवेद्य से पंचोपचार पूजन कर ले।)

अनेन यथालब्धोपचारपूजनेन गोमाता प्रीयतां न मम।

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02 Nov, 05:33


समस्त गोभक्त सनातनधर्मावलम्बियों को
गोनवरात्र महोत्सव की मङ्गलमय शुभकामनाएँ।


भगवती गोमाता सबका मङ्गल करें। 🌺

The Hindu Order

30 Oct, 14:10


भारत के लगभग समस्त प्रान्तोंमें दीपावली कल गुरुवार, ३१/१०/२०२४ को ही मनाई जाएगी।

आर्षपक्ष में शास्त्रीय सूर्यसिद्धान्तीय पञ्चाङ्गों द्वारा यही निर्णीत है। सूर्यसिद्धान्तीय गणितपद्धति का अनुगमन करने वाले काशी के हृषीकेश पञ्चाङ्ग, विश्व पञ्चाङ्ग; बिहार के विद्यापति पञ्चाङ्ग और विश्वविद्यालय पञ्चाङ्ग; राजस्थान के श्रीसर्वेश्वर जयादित्य पञ्चाङ्ग; महाराष्ट्र के देशपाण्डे पञ्चाङ्ग; दक्षिण भारत के शृङ्गेरीपीठसे प्रकाशित पञ्चाङ्ग, मध्वमठ से प्रकाशित पञ्चाङ्ग; श्रीकाशीविद्वत्परिषद्; अखिलभारतीयविद्वत्परिषद्; केन्द्रीयसंस्कृतविश्वविद्यालय इत्यादि सभी ने एक स्वरमें कल- गुरुवार, ३१/१०/२०२४ को ही दीपावली एवं प्रदोषकालमें लक्ष्मीपूजन का निर्णय किया है।

स्मरण रहे, शास्त्रीय सूर्यसिद्धान्तीय पञ्चाङ्गों के अतिरिक्त, दो बहुश्रुत दृग्गणितीय पद्धति का अनुगमन करने वाले पञ्चाङ्ग १) जगन्नाथ पञ्चाङ्ग एवं २) सम्पूर्णानन्दसंस्कृतविश्वविद्यालय द्वारा प्रकाशित उत्तरप्रदेशशासनद्वारा संरक्षित श्रीबापूदेशास्त्रीद्वारा प्रवर्तित पञ्चाङ्ग में भी दीपावली कल गुरुवार ३१/१०/२०२४ को ही लिखी है।

आर्ष सूर्यसिद्धान्तीय पक्ष श्रीवेदव्यास, श्रीविद्यारण्यस्वामि आदि पूर्वाचार्यों द्वारा मान्य है। धर्मसम्राट् स्वामी श्रीकरपात्रीजी महाराज, पुरीपीठ के १४४वें पीठाधीश्वर पूर्वाचार्य स्वामी श्रीनिरञ्जनदेवतीर्थजी महाराज, वर्तमान शृङ्गेरीपीठाधीश्वर जगद्गुरु स्वामी श्रीभारतीतीर्थ जी महाराज एवं शृङ्गेरीपीठकी विद्वत् मण्डली एवं वर्तमान पुरीपीठाधीश्वर जगद्गुरु स्वामी श्रीनिश्चलानन्दसरस्वतीजी महाराज एवं उनकी सच्छिष्यमण्डली द्वारा सूर्यसिद्धान्तीय पक्ष ही मान्य है।

सुतरां- शास्त्रीयपक्ष के अनुसार दीपावली कल (गुरुवार तदनुसार ३१/१०/२०२४ को) ही है।

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29 Oct, 03:50


सर्वोपयोगी सामग्री 👆🏻

विशेषकर युवाओं हेतु।

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29 Oct, 03:50


ब्रह्मचर्य —रक्षाके उपाय और फल,
स्वामी श्रीअखण्डानन्दसरस्वतीजी महाराज

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29 Oct, 03:45


द्रव्यज्ञानक्रियात्मिका त्रिगुणमयी प्रकृति भगवान् की शक्ति

श्रीमज्जगद्गुरु शङ्कराचार्य
श्रीपुरुषोत्तमपुरीक्षेत्रस्थ-श्रीगोवर्द्धनमठ-उड्ड्याणपीठाधीश्वर
स्वामी श्रीनिश्चलानन्दसरस्वतीजी महाराज

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29 Oct, 03:42


https://youtu.be/Y3zJDbr-VPY

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28 Oct, 03:25


मायाको बाधयोग्य अनादिसान्त मानने के कारण भगवत्पाद श्रीशिवावतारशङ्कराचार्यमहाभाग वस्तुतः 'मायावादके उच्छेदक' थे।

अतः उनके सिद्धान्तको मायावाद और उन्हें मायावादी कहना शिवापराध है, शिवनिन्दातुल्य महापाप है।

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