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Hindu Panchang Daily हिन्दू पंचांग 🚩 (Hindi)

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Hindu Panchang Daily हिन्दू पंचांग 🚩

24 Nov, 17:31


*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*दिनांक - 25 नवम्बर 2024*
*दिन - सोमवार*
*विक्रम संवत् - 2081*
*अयन - दक्षिणायन*
*ऋतु - हेमन्त*
*मास - मार्गशीर्ष*
*पक्ष - कृष्ण*
*तिथि - दशमी रात्रि 01:01 नवम्बर 26 तक तत्पश्चात एकादशी*
*नक्षत्र - उत्तराफाल्गुनी रात्रि 01:24 नवम्बर 26 तक तत्पश्चात हस्त*
*योग - विषकम्भ दोपहर 01:12 तक तत्पश्चात प्रीति*
*राहु काल - प्रातः 08:22 से प्रातः 09:43 तक*
*सूर्योदय - 07:04*
*सूर्यास्त - 05:49*
*दिशा शूल - पूर्व दिशा में*
*ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:15 से 06:08 तक*
*अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:05 से दोपहर 12:48 तक*
*निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:01 नवम्बर 26 से रात्रि 12:53 नवम्बर 26 तक*
*विशेष - दशमी को कलंबी शाक खाना त्याज्य है | (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*🔹सावधानी से स्वास्थ्य 🔹*

*🔹किसी को वायु और गैस की तकलीफ ज्यादा हो तो उसे आलु, चावल और चने की दाल आदि का परहेज रखना चाहिए । ये वायु करते हैं । वायु का रोगी दूध पिये तो एक-दो काली मिर्च डालकर पियें ।*

*🔹सामान्य रूप से भी चावल, आलू आदि ज्यादा न खाएं नहीं तो आगे जाकर बुढ़ापे में जोड़ों का दर्द पकड़ लेगा । जो बीमारी होने वाली है, उससे बचने के लिए पहले से ही सावधान रहें ।*

*🔹चाय-कॉफी, कोल्डड्रिंक्स आदि नशीली वस्तुओं से बचना चाहिए । आहार ऐसा हो कि आपका शरीर तंदुरुस्त रहे । विचार ऐसे करो कि मन  पवित्र रहे ।*

*🔹एक गिलास गुनगुने पानी में थोड़ा संतकृपा चूर्ण एवं शहद डाल दें । मुँह में अदरक का टुकड़ा चबाएं, ऊपर से यह शहदवाला पानी पी जायें और थोड़ा घूमें । इससे शरीर का वजन नियंत्रित हो जायेगा ।*

*🔹जिनकी उम्र 40 साल से ज्यादा है उनकी रोग प्रतिकारक शक्ति बनी रहे इसके लिए ‘रसायन चूर्ण’ का सेवन करना चाहिए । आँवला, गोखरू एवं दूसरी तीन-चार चीजें मिलाकर रसायन चूर्ण बनता है ।*
*ऋषि प्रसाद, जनवरी 2002*

*(‘रसायन चूर्ण’ संत श्री आशारामजी आश्रमों, समितियों के सत्साहित्य सेवा केन्द्रों तथा आश्रम E-store :
https://www.ashramestore.com/ से प्राप्त कर सकते हैं ।)*

Hindu Panchang Daily हिन्दू पंचांग 🚩

24 Nov, 02:22


*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*दिनांक - 24 नवम्बर 2024*
*दिन - रविवार*
*विक्रम संवत् - 2081*
*अयन - दक्षिणायन*
*ऋतु - हेमन्त*
*मास - मार्गशीर्ष*
*पक्ष - कृष्ण*
*तिथि - नवमी रात्रि 10:19 तक तत्पश्चात दशमी*
*नक्षत्र - पूर्वाफाल्गुनी रात्रि 10:16 तक तत्पश्चात उत्तराफाल्गुनी*
*योग - वैधृति दोपहर 12:18 तक तत्पश्चात विषकम्भ*
*राहु काल - शाम 04:32 से शाम 05:53 तक*
*सूर्योदय - 07:03*
*सूर्यास्त - 05:49*
*दिशा शूल - पश्चिम दिशा में*
*ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:15 से 06:07 तक*
*अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:05 से दोपहर 12:48 तक*
*निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:01 नवम्बर 25 से रात्रि 12:53 नवम्बर 25 तक*
*व्रत पर्व विवरण - गुरु तेग बहादुरजी शहीदी दिवस, सर्वार्थसिद्धि योग (रात्रि 10:16 नवम्बर 24 से प्रातः 07:00 नवम्बर 25 तक)*
*विशेष - नवमी को लौकी खाना गौमाँस के समान त्याज्य है | (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*🔹शास्त्रीय, वैज्ञानिक भारतीय व्यवस्था का एक प्रमाण : गोबर-लेपन*

*🔹देशी गाय का गोबर शुद्धिकारक, पवित्र व मंगलकारी है । यह दुर्गंधनाशक एवं सात्त्विकता व कांति वर्धक है । भारत में अनादि काल से गौ-गोबर का लेपन यज्ञ-मंडप, मंदिर आदि धार्मिक स्थलों पर तथा घरों में भी किया जाता रहा है ।*

*भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं :*
*सभा प्रपा गृहाश्चापि देवतायतनानि च ।*
*शुध्यन्ति शकृता यासां किं भूतमधिकं तत: ।।*

*🔹‘जिनके गोबर से लीपने पर सभा-भवन, पौसले (प्याउएँ), घर और देव-मंदिर भी शुद्ध हो जाते हैं, उन गौओं से बढ़कर पवित्र और कौन प्राणी हो सकता है ?’ (महाभारत, आश्वमेधिक पर्व)*

*🔹मरणासन्न व्यक्ति को गोबर-लेपित भूमि पर लिटाने का रहस्य !*
                                  
*🔹मरणासन्न व्यक्ति को गोबर-लेपित भूमि पर लिटाये जाने की परम्परा हमारे भारतीय समाज में आपने-हमने देखी ही होगी । क्या आप जानते हैं कि इसका क्या कारण हैं ?*

*🔹गरुड़ पुराण के अनुसार ‘गोबर से बिना लिपी हुई भूमि पर सुलाये गये मरणासन्न व्यक्ति में यक्ष, पिशाच एवं राक्षस कोटि के क्रूरकर्मी दुष्ट प्रविष्ट हो जाते हैं ।’*

*🔹वैज्ञानिकों द्वारा किये गये अनुसंधानों का निष्कर्ष भी इस भारतीय परम्परा को स्वीकार करता है । अनुसंधानों के अनुसार गोबर में फॉस्फोरस पाया जाता है, जो अनेक संक्रामक रोगों के कीटाणुओं को नष्ट कर देता है । मृत शरीर में कई प्रकार के संक्रामक रोगों के कीटाणु होते हैं । अत: उसके पास उपस्थित लोगों के स्वास्थ्य-संरक्षण हेतु भूमि पर गोबर-लेपन करना अनिवार्य माना गया है ।*

*🔹हानिकारक विकिरणों से रक्षा का उपाय :*
*वर्तमान समय में वातावरण में हानिकारक विकिरण (radiations) फेंकनेवाले उपकरणों का इस्तेमाल तेजी से बढ़ता जा रहा है । इन विकिरणों तथा आणविक प्रकल्पों व कारखानों एवं परमाणु हथियारों के प्रयोग से निकलनेवाले विकिरणों से सुरक्षित रहने का सहज व सरल उपाय भारतीय ऋषि-परम्परा के अंतर्गत चलनेवाली सामाजिक व्यवस्था में हर किसीको देखने को मिल सकता है ।*

*🔹इस बात को स्पष्ट करते हुए डॉ. उत्तम माहेश्वरी कहते हैं : “घर की बाहरी दीवार पर गोबर की मोटी पर्त का लेपन किया जाय तो वह पर्त हानिकारक विकिरणों को सोख लेती है, जिससे लोगों का शरीरिक-मानसिक स्वास्थ्य सुरक्षित रखने में मदद मिल सकती है  ”*

*🔹भारतीय सामजिक व्यवस्था संतो-महापुरुषों के सिद्धांतों के अनुसार स्थापित व प्रचलित होने से इसके हर एक क्रियाकलाप के पीछे सूक्ष्मातिसूक्ष्म रहस्य व उन महापुरुषों की व्यापक हित की भावना छुपी रहती है । विज्ञान तो उनकी सत्यता और महत्ता बाद में व धीमे-धीमे सिद्ध करता जायेगा और पूरी तो कभी जान ही नहीं पायेगा । इसलिए हमारे सूक्ष्मद्रष्टा, दिव्यद्रष्टा महापुरुषों के वचनों पर, उनके रचित शास्त्रों-संहिताओं पर श्रद्धा करके स्वयं उनका अनुभव करना, लाभ उठाना ही हितकारी है ।*

*📖 लोक कल्याण सेतु – जनवरी २०१९ से*

Hindu Panchang Daily हिन्दू पंचांग 🚩

21 Nov, 14:57


*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*दिनांक - 22 नवम्बर 2024*
*दिन - शुक्रवार*
*विक्रम संवत् - 2081*
*अयन - दक्षिणायन*
*ऋतु - हेमन्त*
*मास - मार्गशीर्ष*
*पक्ष - कृष्ण*
*तिथि - सप्तमी शाम 06:07 तक तत्पश्चात अष्टमी*
*नक्षत्र - अश्लेषा शाम 05:10 तक तत्पश्चात मघा*
*योग - ब्रह्म सुबह 11:34 तक तत्पश्चात इन्द्र*
*राहु काल - सुबह 11:04 से दोपहर 12:26 तक*
*सूर्योदय - 06:58*
*सूर्यास्त - 05:50*
*दिशा शूल - पश्चिम दिशा में*
*ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:13 से 06:06 तक*
*अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:04 से दोपहर 12:48 तक*
*निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:00 नवम्बर 22 से रात्रि 12:52 नवम्बर 23 तक*
*व्रत पर्व विवरण - काल भैरव जयंती, कालाष्टमी, मासिक कृष्ण जन्माष्टमी*
*विशेष - सप्तमी को ताड़ का फल खाने से रोग बढ़ता है व शरीर का नाश होता है | (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*🔹पथरी व पेशाब की समस्याओं के लिए🔹*

*🔹चाहे मूत्राशय में पथरी हो, चाहे गुद्दे (kidney) में हो, चाहे पित्ताशय में हो–कहीं भी पथरी हो, भूलकर भी ऑपरेशन नहीं करना । पत्थरचट्टा पोधे के २-२ पत्ते रोज खाओ, इससे कुछ ही दिनों में पथरी चट हो जाती है । यह पथरी के लिए अक्सीर इलाज है । जिनको मैंने यह प्रयोग बताया और उन्होंने किया तो उनकी पथरी निकल गयी । उन्होंने मेरे पास आ के धन्यवाद दिया, खुशी व्यक्त की । - पूज्य बापूजी*

*🔹सुबह खाली पेट खायें तो आच्छा है । कहीं सुजन हो, छोटा–मोटा घुटने का दर्द हो, मोच आ रही हो तो इसके पत्ते को रगड़ के रस निकालकर लगाने से लाभ होता है, और भी छोटे-मोटे बहुत सारे फायदे होते हैं ।*

*🔹पत्थरचट्टा का १ पत्ता बीच में से चीर के २ टुकड़े करो । चिरा हुआ भाग जमीन में गाड़ दो तो उसमे से दुसरे पौधे हो जायेंगे ।*

*🔹(गुर्दे – संबंधी रोगों की यह श्रेष्ठ गुणकारी औषधि है । रुक-रूककर पेशाब होने की समस्या में प्रतिदिन इसके २-३ पत्तों का सेवन करने से पेशाब खुल के होने लगता है ।)*
*📖 ऋषि प्रसाद – सितम्बर २०२० से*

Hindu Panchang Daily हिन्दू पंचांग 🚩

20 Nov, 17:07


*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*दिनांक - 21 नवम्बर 2024*
*दिन - गुरुवार*
*विक्रम संवत् - 2081*
*अयन - दक्षिणायन*
*ऋतु - हेमन्त*
*मास - मार्गशीर्ष*
*पक्ष - कृष्ण*
*तिथि - षष्ठी शाम 05:03 तक तत्पश्चात सप्तमी*
*नक्षत्र - पुष्य दोपहर 03:35 तक तत्पश्चात अश्लेषा*
*योग - शुक्ल दोपहर 12:01 तक तत्पश्चात ब्रह्म*
*राहु काल - दोपहर 01:48 से दोपहर 03:10 तक*
*सूर्योदय - 06:58*
*सूर्यास्त - 05:50*
*दिशा शूल - दक्षिण दिशा में*
*ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:13 से 06:05 तक*
*अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:04 से दोपहर 12:47 तक*
*निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:00 नवम्बर 21 से रात्रि 12:52 नवम्बर 22 तक*
*व्रत पर्व विवरण - गुरुपुष्यामृत योग, सर्वार्थसिद्धि योग, अमृतसिद्धि योग (सूर्योदय से दोपहर 03:35 तक)*
*विशेष - षष्ठी को नीम की पत्ती, फल या दातुन मुँह में डालने से नीच योनियों की प्राप्ति होती है | (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*


*🔹 21 नवम्बर 2024 : गुरुपुष्यामृत योग 🔹*

*🔸पुष्य नक्षत्र का गुरुवार से योग होने पर वह अति दुर्लभ ‘गुरुपुष्यामृत योग' कहलाता है ।*

*🔸गुरुपुष्यामृत योग व्यापारिक कार्यों के लिए तो विशेष लाभदायी माना गया है ।*

*🔸 गुरुपुष्यामृत योग में किया गया जप, ध्यान, दान, पुण्य महाफलदायी होता है ।*

*🔸गुरुपुष्यामृत योग में विद्या एवं धार्मिक अनुष्ठान प्रारम्भ करना, आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त करना सुलभ होता है ।*

*🔸गुरुपुष्यामृत योग में विवाह व उससे संबंधित सभी मांगलिक कार्य वर्जित है ।*

*🔹घर मे सुख शांति के लिए🔹*

*🔸झाड़ू और पोंछा ऐसी जगह पर नहीं रखने चाहिए कि बार-बार नजरों में आयें । भोजन के समय भी यथासंभव न दिखें, ऐसी सावधानी रखें ।*

*🔸घर में टूटी-फूटी अथवा अग्नि से जली हुई प्रतिमा की पूजा नहीं करनी चाहिए । ऐसी मूर्ति की पूजा करने से गृहस्वामी के मन में उद्वेग या घर-परिवार में अनिष्ट होता है । (वराह पुराण : १८६.४३)*

*🔸५० ग्राम फिटकरी का टुकड़ा घर के प्रत्येक कमरे में तथा कार्यालय के किसी कोने में अवश्य रखना चाहिए । इससे वास्तुदोषों से रक्षा होती है।*

*🔹गुरुवार विशेष 🔹*

*🔸हर गुरुवार को तुलसी के पौधे में शुद्ध कच्चा दूध गाय का थोड़ा-सा ही डाले तो, उस घर में लक्ष्मी स्थायी होती है और गुरूवार को व्रत उपवास करके गुरु की पूजा करने वाले के दिल में गुरु की भक्ति स्थायी हो जाती है ।*

*🔸गुरुवार के दिन देवगुरु बृहस्पति के प्रतीक आम के पेड़ की निम्न प्रकार से पूजा करें :*

*🔸एक लोटा जल लेकर उसमें चने की दाल, गुड़, कुमकुम, हल्दी व चावल डालकर निम्नलिखित मंत्र बोलते हुए आम के पेड़ की जड़ में चढ़ाएं ।*
 
*ॐ ऐं क्लीं बृहस्पतये नमः ।*

*फिर उपरोक्त मंत्र बोलते हुए आम के वृक्ष की पांच परिक्रमा करें और गुरुभक्ति, गुरुप्रीति बढ़े ऐसी प्रार्थना करें । थोड़ा सा गुड़ या बेसन की मिठाई चींटियों को डाल दें ।*

*( लोक कल्याण सेतु , अंक - ११६ )*

*🔸गुरुवार को बाल कटवाने से लक्ष्मी और मान की हानि होती है ।*

*🔸गुरुवार के दिन तेल मालिश हानि करती है । यदि निषिद्ध दिनों में मालिश करनी ही है तो ऋषियों ने उसकी भी व्यवस्था दी है । तेल में दूर्वा डाल के मालिश करें तो वह दोष चला जायेगा ।*

Hindu Panchang Daily हिन्दू पंचांग 🚩

19 Nov, 19:18


*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*दिनांक - 20 नवम्बर 2024*
*दिन - बुधवार*
*विक्रम संवत् - 2081*
*अयन - दक्षिणायन*
*ऋतु - हेमन्त*
*मास - मार्गशीर्ष*
*पक्ष - कृष्ण*
*तिथि - पञ्चमी शाम 04:49 तक तत्पश्चात षष्ठी*
*नक्षत्र - पुनर्वसु दोपहर 02:50 तक तत्पश्चात पुष्य*
*योग - शुभ दोपहर 01:08 तक तत्पश्चात शुक्ल*
*राहु काल - दोपहर 12:25 से दोपहर 01:47 तक*
*सूर्योदय - 06:58*
*सूर्यास्त - 05:50*
*दिशा शूल - उत्तर दिशा में*
*ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:12 से 06:04 तक*
*अभिजीत मुहूर्त - कोई नही*
*निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:00 नवम्बर 20 से रात्रि 12:54 नवम्बर 21 तक*
*विशेष - पञ्चमी को बेल फल खाने से कलंक लगता है | (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*🔹गीर गायों का स्वर्णक्षारयुक्त बिलोना शुद्ध देशी घी*🔹

*🔹वर्तमान में देशी गाय का विश्वसनीय शुद्ध घी प्राप्त करना कठिन है । उसमें भी शुद्ध जल-वायु एवं जैविक खेती द्वारा उगाये गये उत्तम आहार द्रव्यों का सेवन करनेवाली तथा प्रदूषणरहित प्राकृतिक वातावरण में रहनेवाली देशी गीर गायों का घी प्राप्त होना तो दुर्लभ ही है । परंतु पूज्य संत श्री आशारामजी बापू की लोकहितकारी विभिन्न सेवाओं में से एक गौ पालन एवं संवर्धन के कारण यह धरती का दुर्लभ अमृत समाज को उपलब्ध हो रहा है ।*

*🌹पूज्य बापूजी की चरणरज से पावन हुई श्योपुर आश्रम की भूमि पर रहनेवाली उत्तम गीर नस्ल की ये गायें आश्रम की जैविक खेती के माध्यम से भक्तों द्वारा गौ-खाद से उगाये गये चारे से पुष्ट होती हैं । आश्रम के पावन वातावरण में रहनेवाली इन पवित्र गौ-माताओं से प्राप्त दूध से पारम्परिक पद्धति से बनाया गया बिलोना घी केवल शारीरिक स्वास्थ्य ही नहीं अपितु मानसिक बौद्धिक व आध्यात्मिक उन्नतिकारक भी है । इस घी की सात्त्विकता, गुणवत्ता व लाभों का पूरा वर्णन नहीं किया जा सकता ।*

*🔹देशी गोघृत-सेवन के लाभ :*🔹

🔹 *(१) हृदय स्वस्थ व बलवान होता है । रक्तदाब नियंत्रित रहता है । हृदय की रक्तवाहिनियों की धमनी प्रतिचय (atherosclerosis) से रक्षा करता है । अतः हृदयरोग से रक्षा हेतु तथा हृदय रोगियों के लिए यह घी अत्यंत लाभदायी है ।*

🔹 *(२) इससे ओज की वृद्धि व दीर्घायुष्य की प्राप्ति होती है ।*

🔹 *(३) मस्तिष्क की कोशिकाएँ (neurons) पुष्ट हो जाती हैं, जिससे बुद्धि व इन्द्रियों की कार्यक्षमता विकसित होती है । बुद्धि, धारणाशक्ति एवं स्मृति की वृद्धि होती है ।*

🔹 *(४) मन का सत्व गुण विकसित होकर चिंता, तनाव, चिड़चिड़ापन, क्रोध आदि दूर होने में मदद मिलती है । मन की एकाग्रता बढ़ती है । साधना में उन्नति होती है ।*

🔹 *(५) नेत्रज्योति बढ़ती है । चश्मा, मोतियाबिंद (cataract), काँचबिंदु (glaucoma) व आँखों की अन्य समस्याओं से रक्षा होती है ।*

🔹 *(६) हड्डियाँ व स्नायु सशक्त होते हैं । संधिस्थान (joints) लचीले व मजबूत बनते हैं ।*

🔹 *(७) कैंसर से लड़ने व उसकी रोकथाम की आश्चर्यजनक क्षमता प्राप्त होती है ।*

🔹 *(८) रोगप्रतिरोधक शक्ति (immunity power) बढ़कर घातक विषाणुजन्य संक्रमणों (viral infections) से प्रतिकार करने की शक्ति मिलती है ।*

🔹 *(९) जठराग्नि तीव्र व पाचन-संस्थान सशक्त होता है । मोटापा नहीं आता, वजन नियंत्रित रहता है । वीर्य पुष्ट होता है । यौवन दीर्घकाल तक बना रहता है ।*

🔹 *(१०) चेहरे की सौम्यता, तेज एवं सुंदरता बढ़ती है । स्वर उत्तम होता है एवं रंग निखरता है । बाल घने, मुलायम व लम्बे होते हैं ।*

🔹 *(११) गर्भवती माँ द्वारा सेवन करने पर गर्भस्थ शिशु बलवान, पुष्ट और बुद्धिमान बनता है ।*

🔹 *इनके अतिरिक्त असंख्य लाभ प्राप्त होते हैं ।*

*🔹यह घी संत श्री आशारामजी आश्रमों में सत्साहित्य सेवा केन्द्रों से व समितियों से प्राप्त हो सकता है ।*

Hindu Panchang Daily हिन्दू पंचांग 🚩

18 Nov, 18:18


*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*दिनांक - 19 नवम्बर 2024*
*दिन - मंगलवार*
*विक्रम संवत् - 2081*
*अयन - दक्षिणायन*
*ऋतु - हेमन्त*
*मास - मार्गशीर्ष*
*पक्ष - कृष्ण*
*तिथि - चतुर्थी शाम 05:28 तक तत्पश्चात पञ्चमी*
*नक्षत्र - आर्द्रा दोपहर 02:56 तक तत्पश्चात पुनर्वसु*
*योग - साध्य दोपहर 02:56 तक तत्पश्चात शुभ*
*राहु काल - दोपहर 03:10 से शाम 04:32 तक*
*सूर्योदय - 06:58*
*सूर्यास्त - 05:50*
*दिशा शूल - उत्तर दिशा में*
*ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:12 से 06:04 तक*
*अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:03 से दोपहर 12:47 तक*
*निशिता मुहूर्त- रात्रि 11:59 नवम्बर 19 से रात्रि 12:51 नवम्बर 20 तक*
*व्रत पर्व विवरण - मंगलवारी चतुर्थी (सूर्योदय से शाम 05.28 तक)*
*विशेष - चतुर्थी को मूली खाने से धन-नाश होता है | (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*🔹आरती को कैसे व कितनी बार घुमायें ?*🔹

*🌹पूज्य बापूजी के सत्संग–वचनामृत में आता है : जो भी देव हैं उनका एक बीजमन्त्र होता है । आरती करते हैं तो उनके बीजमन्त्र के अनुसार आकृति बनाते हैं ताकि उन देव कि ऊर्जा, स्वभाव हममें आयें और उनकी आभा में हमारी आभा का तालमेल हो और हमारी आभा देवत्व को उपलब्ध हो । इसलिए देवता, सद्गुरु, भगवान् कि आरती की जाती है ।*

*🔹जिस देवता का जो बीजमन्त्र होता है, आरती की थाली से उस प्रकार कि आकृति बना के आरती करते हैं तो ज्यादा लाभ होता है, जैसे आप रामजी कि आरती करते हैं तो उनका ‘रां’ बीजमन्त्र है तो ‘रां’ शब्द आरती में बनाना ज्यादा लाभ करेगा । देवी की आरती करते हैं तो सरस्वतीजी का ‘ऐं’ अथवा लक्ष्मीजी का ‘श्रीं’ बना दें । गणपतिजी का बीजमंत्र है ‘गं’ तो थाली से उस प्रकार कि आकृति बना दें । अब कौन-से देव का कौन-सा बीजमन्त्र है यह पता नहीं है तो सब बीजमन्त्रो का एक मुख्य बीजमन्त्र है ‘ॐ’कार । आरती घुमाते–घुमाते आप ॐकार बना दें । सभी देवी-देवताओं के अंदर जो परब्रह्म-परमात्मा है उसकी स्वाभाविक ध्वनि ॐ है ।*

*🔹तो ‘ॐ’ बनायें अथवा देव के चरणों से घुटनों तक ( ४ बार) फिर नाभि के सामने (२ बार) फिर मुखारविंद के सामने (१ बार) फिर एक साथ सभी अंगो में (७ बार) आरती घुमाये । इससे देव के गुण व स्वभाव आरती घुमानेवाले के स्वभाव में थोड़े थोड़े आने लगते हैं ।*

*🔹आरती का वैज्ञानिक आधार*🔹

*🔹अभी तो बिज्ञानी भी दंग रह गये कि भारत की इस पूजा-पद्धति से कितना सारा लाभ होता है ! उनको भी आश्चर्यकारक परिणाम प्राप्त हुए । अब विज्ञानी बोलते हैं कि आरती करने से अगर विशेष व्यक्ति है तो उसकी विशेष ओरा और सामान्य व्यक्ति कि ओरा एकाकार होने लगती है । वैज्ञानिकों की दृष्टि में केवल आभा है तो भी धन्यवाद ! किन्तु आभा के साथ-साथ विचार भी समान होते हैं, साथ ही हमारे और सामनेवाले के शरीर से निकलनेवाली तरंगो का विपरीत स्वभाव मिटकर हमारे जीवन में प्रकाश का भाव पैदा होता है ।*

*🔹जैसे घी, पेट्रोल और फूलों आदि की अपनी अलग-अलग गंध होती है, ऐसे ही हर मनुष्य की अपनी आभा होती है । अभी तो किर्लियन फोटोग्राफी द्वारा उस आभा का फोटो भी लिया जा सकता है । जब देवता या सद्गुरु के आगे आरती करते हैं तो उनकी आभा को अपनी आभा के साथ एकाकार करने की प्रक्रिया में दीपक उत्प्रेरक (catalytic agent) का काम करता है ।*

*🔹आयु-आरोग्य प्राप्ति व शत्रुवृद्धि शमन हेतु🔹*

*🔹आरती करने से इतने सारे लाभ होते हैं और आरती देखने से भी लाभ होता है : गुरुद्वार पर कि हुई आरती के दर्शन करने से आपके ऊपर शत्रुओं की डाल नही गलती । दीपज्योती आयु-आरोग्य प्रदायक और शत्रुओ कि वृद्धि का शमन करनेवाली है । पड़ोसी या प्रतिस्पर्धी एक-दूसरे के इतने शत्रु नहीं होते जितने मनुष्य जीवन में काम, क्रोध, लोभ आदि शत्रु हैं । तो आरती के दर्शन करने से शत्रुओ कि वृद्धि का शमन होता ।*

*🔹शास्त्रों के अनुसार जो धूप व आरती को देखता है और दोनों हाथों से आरती को लेता है वह अपनी अनेक पीढ़ियों का उद्धार करता है तथा भगवान विष्णु के परम पद को प्राप्त होता है ।*

*📖 ऋषि प्रसाद – दिसम्बर २०२१ से*

Hindu Panchang Daily हिन्दू पंचांग 🚩

17 Nov, 16:48


*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*दिनांक - 18 नवम्बर 2024*
*दिन - सोमवार*
*विक्रम संवत् - 2081*
*अयन - दक्षिणायन*
*ऋतु - हेमन्त*
*मास - मार्गशीर्ष*
*पक्ष - कृष्ण*
*तिथि - तृतीया शाम 06:55 तक तत्पश्चात चतुर्थी*
*नक्षत्र - मॄगशिरा दोपहर 03:49 तक तत्पश्चात आर्द्रा*
*योग - सिद्ध शाम 05:22  तक तत्पश्चात साध्य*
*राहु काल - प्रातः 08:18 से प्रातः 09:40 तक*
*सूर्योदय - 06:58*
*सूर्यास्त - 05:50*
*दिशा शूल - पूर्व दिशा में*
*ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:11 से 06:03 तक*
*अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:03 से दोपहर 12:47 तक*
*निशिता मुहूर्त- रात्रि 11:59 नवम्बर 18 से रात्रि 12:51 नवम्बर 19 तक*
* व्रत पर्व विवरण - गणाधिप संकष्टी चतुर्थी, सर्वार्थ सिद्धि योग, अमृत सिद्धि योग (प्रातः 06:55 से दोपहर 03:49 तक)*
*विशेष - तृतीया को परवल खाना शत्रु वृद्धि करता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

🔹 *बरकत लाने की सरल कुंजियाँ* 🔹
🔸  *बाजार भाव अचानक बढ़ने-घटने से, मंदी की वजह से या अन्य कारणों से कईयों का धंधा बढ़ नहीं पाता । ऐसे में आपके काम-धंधे में बरकत का खयाल रखते हुए कुछ सरल उपाय प्रस्तुत कर रहे हैं ।*
🔸 *१] ईशान कोण में तुलसी का पौधा लगाने व पूजा- स्थान पर गंगाजल रखने से बरकत होती है ।*
🔸 *२] दुकान में बिक्री कम होती हो तो कनेर का फूल घिस के उसका ललाट पर तिलक करके दुकान पर जायें तो ग्राहकी बढ़ेगी ।*
🔸 *३] रोज भोजन से पूर्व गोग्रास निकालकर गाय को खिलाने से सुख-समृद्धि व मान-सम्मान की वृद्धि होती है ।*
🔸 *४] ईमानदारी से व्यवहार करें । ईमानदारी से उपार्जित किया हुआ धन स्थायी रहता है ।*
*📖 ऋषि प्रसाद – मार्च २०१८ से*

*🔹मास - अनुसार त्रिफला का अनुपान🔹*

*🔸मासों के अनुसार त्रिफला के साथ उसमें उसकी मात्रा के छठे भाग बराबर निम्नलिखित द्रव्यों को मिला के सेवन करने से उसकी उपयोगिता और भी बढ़ जाती है ।*

*(१) श्रावण और भाद्रपद - सेंधा नमक*
*(२) आश्विन और कार्तिक - शर्करा (मिश्री या खाँड़ अर्थात् अपरिष्कृत शक्कर)*
*(३) मार्गशीर्ष और पौष - सोंठ चूर्ण*
*(४) माघ तथा फाल्गुन - पीपर का चूर्ण*
*(५) चैत्र और वैशाख - शहद*
*(६) ज्येष्ठ तथा आषाढ़ - पुराना गुड़*

*🔹इस प्रकार त्रिफला शारीरिक, मानसिक व बौद्धिक विकास के साथ-साथ आध्यात्मिक लाभ प्राप्त करने में सहायक व प्रसादरूप है ।*
*📖 ऋषि प्रसाद - सितम्बर 2021*

Hindu Panchang Daily हिन्दू पंचांग 🚩

16 Nov, 18:12


*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*दिनांक - 17 नवम्बर 2024*
*दिन - रविवार*
*विक्रम संवत् - 2081*
*अयन - दक्षिणायन*
*ऋतु - हेमन्त*
*मास - मार्गशीर्ष*
*पक्ष - कृष्ण*
*तिथि - द्वितीया रात्रि 09:06 तक तत्पश्चात तृतीया*
*नक्षत्र - रोहिणी शाम 05:22 तक तत्पश्चात मॄगशिरा*
*योग - शिव रात्रि 08:21 तक तत्पश्चात सिद्ध*
*राहु काल - शाम 04:32 से शाम 05:55 तक*
*सूर्योदय - 06:58*
*सूर्यास्त - 05:50*
*दिशा शूल - पश्चिम दिशा में*
*ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:11 से 06:03 तक*
*अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:03 से दोपहर 12:47 तक*
*निशिता मुहूर्त- रात्रि 11:59 नवम्बर 17 से रात्रि 12:51 नवम्बर 18 तक*
* व्रत पर्व विवरण -  रोहिणी व्रत, द्विपुष्कर योग (शाम 05:22 से रात्रि 09:06 तक)*
*विशेष - द्वितीया को बृहती (छोटा  बैगन या कटेहरी) खाना निषिद्ध है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*🔹'बुफे सिस्टम’ नहीं, भारतीय भोजन पद्धति है लाभप्रद*🔹

*आजकल सभी जगह शादी-पार्टियों में खड़े होकर भोजन करने का रिवाज चल पडा है लेकिन हमारे शास्त्र कहते हैं कि हमें नीचे बैठकर ही भोजन करना चाहिए । खड़े होकर भोजन करने से हानियाँ तथा पंगत में बैठकर भोजन करने से जो लाभ होते हैं वे निम्नानुसार हैं : *

🔹 *खड़े होकर भोजन करने से हानियाँ*  🔹

*🔸(१) यह आदत असुरों की है । इसलिए इसे ‘राक्षसी भोजन पद्धति’ कहा जाता है ।*

🔸 *(२) इसमें पेट, पैर व आँतों पर तनाव पड़ता है, जिससे गैस, कब्ज, मंदाग्नि, अपचन जैसे अनेक उदर-विकार व घुटनों का दर्द, कमरदर्द आदि उत्पन्न होते हैं । कब्ज अधिकतर बीमारियों का मूल है ।*

🔸 *(३) इससे जठराग्नि मंद हो जाती है, जिससे अन्न का सम्यक् पाचन न होकर अजीर्णजन्य कई रोग उत्पन्न होते हैं ।*

🔸 *(४) इससे हृदय पर अतिरिक्त भार पड़ता है, जिससे हृदयरोगों की सम्भावनाएँ बढ़ती हैं ।*

🔸 *(५) पैरों में जूते-चप्पल होने से पैर गरम रहते हैं । इससे शरीर की पूरी गर्मी जठराग्नि को प्रदीप्त करने में नहीं लग पाती ।*

🔸 *(६) बार-बार कतार में लगने से बचने के लिए थाली में अधिक भोजन भर लिया जाता है, फिर या तो उसे जबरदस्ती ठूँस-ठूँसकर खाया जाता है जो अनेक रोगों का कारण बन जाता है अथवा अन्न का अपमान करते हुए फेंक दिया जाता है ।*

🔸 *(७) जिस पात्र में भोजन रखा जाता है, वह सदैव पवित्र होना चाहिए लेकिन इस परम्परा में जूठे हाथों के लगने से अन्न के पात्र अपवित्र हो जाते हैं । इससे खिलानेवाले के पुण्य नाश होते हैं और खानेवालों का मन भी खिन्न-उद्विग्न रहता है ।*

🔸 *(८) हो-हल्ले के वातावरण में खड़े होकर भोजन करने से बाद में थकान और उबान महसूस होती है । मन में भी वैसे ही शोर-शराबे के संस्कार भर जाते हैं ।*

 🔹 *बैठकर (या पंगत में) भोजन करने से लाभ* 🔹

🔸 *(१) इसे ‘दैवी भोजन पद्धति’ कहा जाता है ।*

🔸 *(२) इसमें पैर, पेट व आँतों की उचित स्थिति होने से उन पर तनाव नहीं पड़ता ।*

🔸 *(३) इससे जठराग्नि प्रदीप्त होती है, अन्न का पाचन सुलभता से होता है ।*

🔸 *(४) हृदय पर भार नहीं पड़ता ।*

🔸 *(५) आयुर्वेद के अनुसार भोजन करते समय पैर ठंडे रहने चाहिए । इससे जठराग्नि प्रदीप्त होने में मदद मिलती है । इसीलिए हमारे देश में भोजन करने से पहले हाथ-पैर धोने की परम्परा है ।*

🔸 *(६) पंगत में एक परोसनेवाला होता है, जिससे व्यक्ति अपनी जरूरत के अनुसार भोजन लेता है । उचित मात्रा में भोजन लेने से व्यक्ति स्वस्थ रहता है व भोजन का भी अपमान नहीं होता ।*

🔸 *(७) भोजन परोसनेवाले अलग होते हैं, जिससे भोजनपात्रों को जूठे हाथ नहीं लगते । भोजन तो पवित्र रहता ही है, साथ ही खाने-खिलानेवाले दोनों का मन आनंदित रहता है ।*

🔸 *(८) शांतिपूर्वक पंगत में बैठकर भोजन करने से मन में शांति बनी रहती है, थकान-उबान भी महसूस नहीं होती ।*
*- 📖 ऋषि प्रसाद, अप्रैल 2014*

Hindu Panchang Daily हिन्दू पंचांग 🚩

15 Nov, 18:29


*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*दिनांक - 16 नवम्बर 2024*
*दिन - शनिवार*
*विक्रम संवत् - 2081*
*अयन - दक्षिणायन*
*ऋतु - हेमन्त*
*मास - मार्गशीर्ष*
*पक्ष - कृष्ण*
*तिथि -  प्रतिपदा रात्रि 11:50 तक तत्पश्चात द्वितीया*
*नक्षत्र - कृत्तिका शाम 07:28 तक तत्पश्चात रोहिणी*
*योग - परिघ रात्रि 11:48 तक तत्पश्चात शिव*
*राहु काल -प्रातः 09:39 से प्रातः 11:02 से तक*
*सूर्योदय - 06:56*
*सूर्यास्त - 05:51*
*दिशा शूल - पूर्व दिशा में*
*ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:10 से 06:02 तक*
*अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:02 से दोपहर 12:46 तक*
*निशिता मुहूर्त- रात्रि 11:59 नवम्बर 16 से रात्रि 12:51 नवम्बर 17 तक*
* व्रत पर्व विवरण - वृश्चिक संक्रान्ति, विष्णुपदी संक्रांति (पुण्यकाल सूर्योदय से  प्रातः 07:41), सर्वार्थ सिद्धि योग, अमृत सिद्धि योग (शाम 07:28 नवम्बर 16 से प्रातः 06:55 नवम्बर 17 तक)*
*विशेष - प्रतिपदा को कुष्मांड (कुम्हड़ा, पेठा) न खायें क्योंकि यह धन का नाश करनेवाला है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*🔹 उत्तम स्वास्थ्य के लिए महत्त्वपूर्ण बातें 🔹*

*🔹 प्रतिदिन बच्चों को प्यार से जगायें व उन्हें बासी मुँह पानी पीने की आदत डालें ।*

*🔹 चाय की जगह ताजा दूध उबालें व गुनगुना होने पर बच्चों को दें । दूध से प्राप्त प्रोटीन्स व कैल्शियम शारीरिक विकास के लिए अति महत्त्वपूर्ण होते हैं ।*

*🔹 सुबह नाश्ते में तले हुए पदार्थों की जगह उबले चने, अंकुरित मूँग, मोठ व चने की चाट बनायें । इसमें हरा धनिया, खोपरा, टमाटर, हलका - सा नमक व जीरा डालें । ऊपर से नीबूं निचोड़कर बच्चों को दें । यह ‘विटामिन ई’ से भरपूर है, जो चेहरे की चमक बढाकर ऊर्जावान बनायेगा ।*

*🔹 सब्जियों का उपयोग करने से पहले उन्हें २–३ बार पानी से धो लें । छीलते समय पतला छिलका ही उतारें क्योंकि छिलके व गुदे के बीच की पतली परत ‘विटामिन बी’ से भरपूर होती है ।*

*🔹 सब्जियों को जरूरत से अधिक देर तक न पकायें, नहीं तो उनके पोषक तत्त्व नष्ट हो जायेंगे । पत्तेदार हरि सब्जियों से मिलनेवाले लौह (आयरन) तथा खनिज लवणों (मिनरल साँल्ट्स) की कमी को कैप्सूल व दवाईयों के रूप से पूर्ति करने से बेहतर है कि इनको अपने भोजन में शामिल करें ।*

*🔹 सप्ताह में १–२ दिन पत्तेदार हरि सब्जियाँ जैसे पालक, मेथी, मूली के पत्ते, चौलाई आदि की सब्जी जरुर खायें । इस सब्जियों को छिलकेवाली दलों के साथ भी बना सकते हैं क्योंकि दालें प्रोटीन का एक बड़ा स्त्रोत हैं ।*

*🔹 चावल बनाते समय माँड न निकालें ।*

*🔹 चोकरयुक्त रोटी साधारण रोटी की तुलना में अधिक ऊर्जावान होती है । आटा हमेशा बड़े छेदवाली छन्नी से ही छानें ।*

*🔹 दाल व सब्जी में मिठास लानी हो तो शक्कर की जगह गुड डालें क्योंकि गुड़ में ग्लुकोज, लौह-तत्त्व, कैल्सियम व केरोटिन होता है । यह खून की मात्रा बढ़ाने के साथ–साथ हड्डियों को भी मजबूत बनाता है ।*

*🔹 जहाँ तक सम्भव हो सभी खट्टे फल कच्चे ही खायें व खिलायें क्योंकि आँवले को छोडकर सभी खट्टे फलों व सब्जियों का ‘विटामिन सी’ गर्म करने पर नष्ट हो जाता है ।*

*🔹 भोजन के साथ सलाद के रूप में ककड़ी, टमाटर, गाजर, मूली, पालक, चुकंदर, पत्ता गोभी आदि खाने की आदत डालें । ये आँतों की गति को नियमित रखकर रोगों की जड़ कब्जियत से बचायेंगे ।*

*🔹 दिनभर में डेढ़ से दो लीटर पानी पियें ।*

*🔹 बच्चों को चाँकलेट, बिस्कुट की जगह गुड़, मूँगफली तथा तिल की चिक्की बनाकर दें । गुड़ की मीठी व नमकीन पूरी बनाकर भी दे सकते है ।*

*🔹 जहाँ तक हो सके परिवार के सदस्य एक साथ बैठकर भोजन करें । कम-से-कम शाम को तो सभी एक साथ बैठकर भोजन कर ही सकते हैं । साथ में भोजन करने से पुरे परिवार में आपसी प्रेम व सौहार्द की वृद्धि तथा समय की बचत होती है ।*

*👉🏻 उपरोक्त बातें भले ही सामान्य और छोटी-छोटी है लेकिन इन्हें अपनायें, ये बड़े काम की हैं ।*

*📖 लोक कल्याण सेतु – मार्च २०१४ से*

Hindu Panchang Daily हिन्दू पंचांग 🚩

14 Nov, 16:58


*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*दिनांक - 15 नवम्बर 2024*
*दिन - शुक्रवार*
*विक्रम संवत् - 2081*
*अयन - दक्षिणायन*
*ऋतु - हेमन्त*
*मास - कार्तिक*
*पक्ष - शुक्ल*
*तिथि - पूर्णिमा रात्रि 02:58 नवम्बर 16 तक तत्पश्चात प्रतिपदा*
*नक्षत्र - भरणी रात्रि 09:55 तक तत्पश्चात कृत्तिका*
*योग - व्यतीपात प्रातः 07:30 तक तत्पश्चात वरीयान् प्रातः 03:33 नवम्बर 16 तक तत्पश्चात परिघ*
*राहु काल - प्रातः 11:01 से दोपहर 12:24 तक*
*सूर्योदय - 06:57*
*सूर्यास्त - 05:51*
*दिशा शूल - पश्चिम दिशा में*
*ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:10 से 06:01 तक*
*अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:02 से दोपहर 12:46 तक*
*निशिता मुहूर्त- रात्रि 11:59 नवम्बर 15 से रात्रि 12:50 नवम्बर 16 तक*
* व्रत पर्व विवरण - कार्तिक पूर्णिमा, मणिकर्णिका स्नान, देव दीवाली, भीष्म पञ्चक समाप्त, गुरु नानक जयन्ती, पुष्कर स्नान, कार्तिक रथ यात्रा*
*विशेष - पूर्णिमा के दिन स्त्री-सहवास और तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*🔹व्रत एवं उपवास का महत्त्व🔹*

*🔹भारतीय जीवनचर्या में व्रत एवं उपवास का विशेष महत्त्व है । इनका अनुपालन धार्मिक दृष्टि से किया जाता है परन्तु व्रतोपवास करने से शरीर भी स्वस्थ रहता है ।*

*‘उप’ यानी समीप और ‘वास’ यानी रहना । उपवास का सही अर्थ होता है – ब्रह्म, परमात्मा के निकट रहना । उपवास का व्यावहारिक अर्थ है – निराहार रहना । निराहार रहने से भगवद भजन और आत्मचिंतन में मदद मिलती है । वृत्ति अंतर्मुख होने लगती है । उपवास पुण्यदायी, आमदोषहर, अग्निप्रदीपक, स्फूर्तिदायक तथा इंद्रियों को प्रसन्नता देने वाला माना गया है । अतः यथाकाल, यथाविधि उपवास करके धर्म तथा स्वास्थ्य लाभ करना चाहिए ।*
*आहारं पचति शिखी दोषान् आहारवर्जितः।*

*🔹अर्थात् पेट की अग्नि आहार को पचाती है और उपवास दोषों को पचाता है । उपवास से पाचन शक्ति बढ़ती है । उपवास काल में रोगी शरीर में नया मल उत्पन्न नहीं होता है और जीवनशक्ति को पुराना मल निकालने का अवसर मिलता है । मल-मूत्र विसर्जन सम्यक होने लगता है, शरीर से हलकापन आता है तथा अतिनिद्रा-तंद्रा का नाश होता है ।*

*🔹उपवास की महत्ता के कारण भारतवर्ष के सनातन धर्मावलम्बी प्रायः एकादशी, अमावस्या, पूर्णिमा या पर्वों पर व्रत किया करते हैं क्योंकि उन दिनों सहज ही प्राणों का ऊर्ध्वगमन होता है और जठराग्नि मंद होती है । शरीर-शोधन के लिए चैत्र, श्रावण एवं भाद्रपद महीने अधिक महत्त्वपूर्ण होते हैं । नवरात्रियों के नव दिनों में भी व्रत करने का बहुत प्रचलन है । यह अनुभव से जाना गया है कि एकादशी से पूर्णिमा तथा एकादशी से अमावस्या तक का काल रोग की उग्रता में भी सहायक होता है, क्योंकि जैसे सूर्य एवं चन्द्रमा के परिभ्रमण के परिणामस्वरूप समुद्र में उक्त तिथियों के दिनों में विशेष उतार-चढ़ाव होता है उसी प्रकार उक्त क्रिया के परिणामस्वरूप हमारे शरीर में रोगों की वृद्धि होती है । इसीलिए इन चार तिथियों में उपवास का विशेष महत्त्व है ।*

*🔹रोगों में लाभकारी : आयुर्वेद की दृष्टि से शारीरिक एवं मानसिक रोगों में उपवास का विधान हितकारी माना गया है ।*

*🔹शारीरिक विकारः अजीर्ण, उल्टी, मंदाग्नि, शरीर में भारीपन, सिरदर्द, बुखार, यकृत-विकार, श्वासरोग, मोटापा, संधिवात, सम्पूर्ण शरीर में सूजन, खाँसी, दस्त  लगना, कब्जियत, पेटदर्द, मुँह में छाले, चमड़ी के रोग, किडनी के विकार, पक्षाघात आदि व्याधियों में छोटे या बड़े रूप में रोग के अनुसार उपवास करना लाभकारी होता है ।*

*🔹मानसिक विकार : मन पर भी उपवास का बहुमुखी प्रभाव पड़ता है । उपवास से चित्त की वृत्तियाँ रुकती हैं और मनुष्य जब अपनी चित्त की वृत्तियों को रोकने लग जाता है, तब देह के रहते हुए भी सुख-दुःख, हर्ष-विषाद पैदा नहीं होते । उपवास से सात्त्विक भाव बढ़ता है, राजस और तामस भाव का नाश होने लगता है, मनोबल तथा आत्मबल में वृद्धि होने लगती है । अतः अतिनिद्रा, तन्द्रा, उन्माद (पागलपन), बेचैनी, घबराहट, भयभीत या शोकातुर रहना, मन की दीनता, अप्रसन्नता, दुःख, क्रोध, शोक, ईर्ष्या आदि मानसिक रोगों में औषधोपचार सफल न होने पर उपवास विशेष लाभ देता है । इतना ही नहीं अपितु नियमित उपवास के द्वारा मानसिक विकारों की उत्पत्ति भी रोकी जा सकती है ।*

*🔹उपवास पद्धतिः पहले जो शक्ति खाना हजम करने में लगती थी उपवास के दिनों में वह विजातीय द्रव्यों के निष्कासन में लग जाती है । इस शारीरिक ऊर्जा का उपयोग केवल शरीर की सफाई के लिए ही हो इसलिए इन दिनों में पूर्ण विश्राम लेना चाहिए । मौन रह सके तो उत्तम । उपवास में हमेशा पहले एक-दो दिन ही कठिन लगते हैं । कड़क उपवास एक दो बार ही कठिन लगता है फिर तो मन और शरीर दोनों की औपचारिक स्थिति का अभ्यास हो जाता है और उसमें आनन्द आने लगता है ।*

Hindu Panchang Daily हिन्दू पंचांग 🚩

14 Nov, 16:58


*🔹सामान्यतः तीन प्रकार के उपवास प्रचलित हैं- निराहार, फलाहार, दुग्धाहार ।*

*🔹निराहारः निराहार व्रत श्रेष्ठ है । यह दो प्रकार का होता है-निर्जल एवं सजल । निर्जल व्रत में पानी का भी सेवन नहीं किया जाता । सजल व्रत में गुनगुना पानी अथवा गुनगुने पानी में नींबू का रस मिलाकर ले सकते हैं । इससे पेट में गैस नहीं बन पाती । ऐसा उपवास दो या तीन दिन रख सकते हैं । अधिक करना हो तो चिकित्सक की देख-रेख में ही करना चाहिए । शरीर में कहीं भी दर्द हो तो नींबू का सेवन न करें ।*

*🔹फलाहार : इसमें केवल फल और फलों के रस पर ही निर्वाह किया जाता है । उपवास के लिए अनार, अंगूर, सेवफल और पपीता ठीक हैं । इसके साथ गुनगुने पानी में नींबू का रस मिलाकर ले सकते हैं । नींबू से पाचन तंत्र की सफाई में सहायता मिलती है । ऐसा उपवास 6-7 दिन से ज्यादा नहीं करना चाहिए ।*

*🔹दुग्धाहारः ऐसे उपवास में दिन में 3 से 8 बार मलाई विहीन दूध 250 से 500 मि.ली. मात्रा में लिया जाता है । गाय का दूध उत्तम आहार है । मनुष्य को स्वस्थ व दीर्घजीवी बनाने वाला गाय के दूध जैसा दूसरा कोई श्रेष्ठ पदार्थ नहीं है ।*

*🔹गाय का दूध जीर्णज्वर, ग्रहणी, पांडुरोग, यकृत के रोग, प्लीहा के रोग, दाह, हृदयरोग, रक्तपित्त आदि में श्रेष्ठ है । श्वास, टी.बी. तथा पुरानी सर्दी के लिए बकरी का दूध उत्तम है ।*

*🔹रूढ़िगत उपवासः 24 घण्टों में एक बार सादा, हल्का, नमक, चीनी व चिकनाई रहति भोजन करें । इस एक बार के भोजन के अतिरिक्त किसी भी पदार्थ के सेवन न करें । केवल सादा पानी अथवा गुनगुने पानी में नींबू ले सकते हैं ।*

*🔹सावधानीः जिन लोगों को हमेशा कफ, जुकाम, दमा, सूजन, जोड़ों में दर्द, निम्न रक्तचाप रहता हो वो नींबू के रस का उपयोग न करें ।*

*🔹उपरोक्त उपवासों में केवल एक बात का ही ध्यान रखना आवश्यक है कि मल-मूत्र व पसीने का निष्कासन ठीक तरह होता रहे अन्यथा शरीर के अंगों से निकली हुई गन्दगी फिर से रक्तप्रवाह में मिल सकती है । आवश्यक हो तो एनिमा का प्रयोग करें ।*

*🔹लोग उपवास तो कर लेते हैं, लेकिन उपवास छोड़ने पर क्या खाना चाहिए ? इस पर ध्यान नहीं देते, इसीलिए अधिक लाभ नहीं होता । जितने दिन उपवास करें, उपवास छोड़ने पर उतने ही दिन मूँग का पानी लेना चाहिए तथा उसके दोगुने दिन तक मूँग उबालकर लेना चाहिए । तत्पश्चात खिचड़ी, चावल आदि तथा अंत में सामान्य भोजन करना चाहिए ।*

*🔹उपवास के नाम पर व्रत के दिन आलू, अरबी, सांग, केला, सिंघाड़े आदि का हलवा, खीर, पेड़े, बर्फी आदि गरिष्ठ भोजन भरपेट करने से रोग की वृद्धि ही होती है । अतः इनका सेवन न करें ।*

*🔶 सावधानीः गर्भवती स्त्री, क्षय रोगी, अल्सर व मिर्गी(हिस्टीरिया) के रोगियों को व अति कमजोर व्यक्तियों को उपवास नहीं करना चाहिए । मधुमेह (डायबिटीज़) के मरीजों को वैद्यकीय सलाह से ही उपवास करने चाहिए ।*

*📖 ऋषि प्रसाद, जून 2001, पृष्ठ संख्या 27,28 अंक 102*

Hindu Panchang Daily हिन्दू पंचांग 🚩

13 Nov, 17:13


*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*दिनांक - 14 नवम्बर 2024*
*दिन - गुरुवार*
*विक्रम संवत् - 2081*
*अयन - दक्षिणायन*
*ऋतु - हेमन्त*
*मास - कार्तिक*
*पक्ष - शुक्ल*
*तिथि - त्रयोदशी प्रातः 09:43 तक तत्पश्चात चतुर्दशी प्रातः 06:19 नवम्बर 15 तक, तत्पश्चात पूर्णिमा*
*नक्षत्र - अश्विनी रात्रि 12:33 नवम्बर 15 तक तत्पश्चात भरणी*
*योग - सिद्धि प्रातः 11:30 तक तत्पश्चात व्यतीपात*
*राहु काल - दोपहर 01:47 से दोपहर 03:10 तक*
*सूर्योदय - 06:56*
*सूर्यास्त - 05:51*
*दिशा शूल - दक्षिण दिशा में*
*ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:09 से 06:01 तक*
*अभिजीत मुहूर्त -  दोपहर 12:02 से दोपहर 12:46 तक*
*निशिता मुहूर्त- रात्रि 11:58 नवम्बर 14 से रात्रि 12:50 नवम्बर 15 तक*
* व्रत पर्व विवरण - वैकुण्ठ चतुर्दशी, विश्वेश्वर व्रत, व्यतीपात योग, सर्वार्थ सिद्धि योग (प्रातः 06:53 से रात्रि 12:33 नवम्बर 15 तक)*
*विशेष - त्रयोदशी को बैंगन खाने से पुत्र का नाश होता है व चतुर्दशी के दिन स्त्री-सहवास और तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*🔹सुखमय जीवन की अनमोल कुंजियाँ*🔹

*🔹यदि दुकान अथवा व्यवसाय-स्थल पर आपका मन नहीं लगता है तो इसके लिए आप जिस स्थान पर बैठते हैं वहाँ थोड़ा-सा कपूर जलायें, अपनी पसंद के पुष्प रखें और स्वस्तिक या ॐकार को अपलक नेत्रों से देखते हुए कम-से-कम ५-७ बार ॐकार का दीर्घ उच्चारण करें । अपने पीछे दीवाल पर ऊपर ऐसा चित्र लगायें जिसमें प्राकृतिक सौंदर्य हो, ऊँचे-ऊँचे पहाड़ हों परंतु वे नुकीले न हों और न ही उस चित्र में जल हो अथवा यथायोग्य किसी स्थान पर आत्मज्ञानी महापुरुषों, देवी-देवताओं के चित्र लगायें । इससे आपका मन लगने लगेगा ।*
*📖 ऋषि प्रसाद, जुलाई 2020*

*🔹 आचमन तीन बार क्यों ?*🔹

🔹 *प्राय: प्रत्येक धर्मानुष्ठान के आरम्भ में और विशेषरूप से संध्योपासना में ३ बार आचमन करने का शास्त्रीय विधान है । धर्मग्रंथों में कहा गया है कि ३ बार जल का आचमन करने से तीनों वेद अर्थात ऋग्वेद, यजुर्वेद व सामवेद प्रसन्न होकर सभी मनोकामनाएँ पूर्ण करते हैं । मनु महाराज ने भी कहा है : त्रिराचमेद्प: पूर्वम । (मनुस्मृति :२.६०)*

*🔹अर्थात सबसे पहले ३ बार जल से आचमन करना चाहिए । इससे जहाँ कायिक, मानसिक एवं वाचिक–त्रिविध पापों की निवृत्ति होती है वहीँ कंठशोष ( कंठ की शुष्कता) दूर होने और कफ-निवृत्ति  होने से श्वास-प्रश्वास क्रिया में मंत्रादि के शुद्ध उच्चारण में भी मदद मिलती है । प्राणायाम करते समय प्राणनिरोध से स्वभावतः शरीर में ऊष्मा बढ़ जाती है, कभी-कभी तो ऋतू के तारतम्य से तालू सूख जाने से हिचकी तक आने लग जाती है । आचमन करते ही यह सब ठीक हो जाता है ।*

*🔹बोधायन सूत्र के अनुसार आचमन-विधि :🔹*

*🔹(दायें) हाथ की हथेली को गाय के कान की तरह आकृति प्रदान कर उससे ३ बार जल पीना चाहिए ।*

*🔹शास्त्र-रीति के अनुसार आचमन में चुल्लू जितना जल नहीं पिया जाता बल्कि उतने ही प्रमाण में जल ग्रहण करने की विधि है जितना कि कंठ व तालू को स्पर्श करता हुआ हृदयचक्र की सीमा तक ही समाप्त हो जाय ।*

*🔹पूज्य बापूजी के सत्संग-अमृत में आता है : संध्या में आचमन किया जाता है । इस आचमन से कफ-संबंधी दोषों का शमन होता है, नाड़ियों के शोधन में व ध्यान-भजन में कुछ मदद मिलती है ।*

🔹 *ध्यान-भजन में बैठे तो पहले तीन आचमन कर लेने चाहिए, नहीं तो सिर में वायु चढ़ जाती है, ध्यान नहीं लगता, आलस्य आता है, मनोराज चलता है, कल्पना चलती है । आचमन से प्राणवायु का संतुलन हो जाता है ।*

*🔹आचमन से मिले शान्ति व पुण्याई🔹*

🔹 *'ॐ केशवाय नम: । ॐ नारायणाय नम: । ॐ माधवाय नम: ।'  कहकर जल के ३ आचमन लेते हैं तो जल में जो यह भगवदभाव, आदरभाव है इससे शांति, पुण्याई होती है ।*

*🔹इससे भी हो जाती है शुद्धि*🔹

*🔹जप करने के लिए आसन पर बैठकर सबसे पहले शुद्धि की भावना के साथ हाथ धो के पानी के ३ आचमन ले लो । जप करते हुए छींक, जम्हाई या खाँसी आ जाय, अपानवायु छूटे तो यह अशुद्धि है । वह माला नियत संख्या में नहीं गिननी चाहिए । आचमन करके शुद्ध होने के बाद वह माला फिर से करनी चाहिए । आचमन के बदले ‘ॐ’ सम्पुट के साथ गुरुमंत्र ७ बार दुहरा दिया जाय तो भी शुद्धि हो जायेगी । जैसे, मन्त्र है ‘नम: शिवाय’ तो ७ बार ‘ॐ नम:शिवाय ॐ’ दुहरा देने से पड़ा हुआ विघ्न निवृत्त हो जायेगा ।*

*📖 ऋषि प्रसाद – दिसम्बर २०२० से*

Hindu Panchang Daily हिन्दू पंचांग 🚩

13 Nov, 17:13


*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*दिनांक - 13 नवम्बर 2024*
*दिन - बुधवार*
*विक्रम संवत् - 2081*
*अयन - दक्षिणायन*
*ऋतु - हेमन्त*
*मास - कार्तिक*
*पक्ष - शुक्ल*
*तिथि - द्वादशी दोपहर 01:01 तक तत्पश्चात त्रयोदशी*
*नक्षत्र - रेवती रात्रि 03:11 नवम्बर 14 तक तत्पश्चात अश्विनी*
*योग - वज्र दोपहर 03:26 तक तत्पश्चात सिद्धि*
*राहु काल - दोपहर 12:24 से दोपहर  01:47 तक*
*सूर्योदय - 06:56*
*सूर्यास्त - 05:51*
*दिशा शूल - उत्तर दिशा में*
*ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:08 से 06:00 तक*
*अभिजीत मुहूर्त - कोई नहीं*
*निशिता मुहूर्त- रात्रि 11:58 नवम्बर 13 से रात्रि 12:50 नवम्बर 14 तक*
* व्रत पर्व विवरण - तुलसी विवाह, प्रदोष व्रत*
*विशेष - द्वादशी को पूतिका (पोई) खाने से पुत्र का नाश होता है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*🔹 विद्यार्थियों की बुद्धिशक्ति बढ़ाने की युक्ति 🔹*

*🔹 भूमध्य को अनामिका से हलका रगड़ते हुए ॐ गं गणपतये नमः । ॐ श्री गुरुभ्यो नमः । करके तिलक करें ।*

*🔹 फिर २-३ मिनट प्रणाम की मुद्रा में (शशकासन करते हुए दोनों हाथ आगे जोड़कर) सिर जमीन पर लगा के रखें । इससे निर्णयशक्ति, बौद्धिकशक्ति में जादुई लाभ होता है । क्रोध, आवेश, वैर पर नियंत्रण पाने वाले रसों का भीतर विकास होता है ।*

*🔹 सूर्योदय के समय ताँबे के पात्र में जल ले के उसमें लाल फूल, कुमकुम डालकर सूर्यनारायण को अर्घ्य दें । जहाँ अर्घ्य का जल गिरे वहाँ की गीली मिट्टी का तिलक करें तो विद्यार्थी की बुद्धि बढ़ने में मदद मिलती है ।*
      *🌹- पूज्य बापूजी🌹*

*🔹 विटामिन बी-१२ का सस्ता, सर्वसुलभ एवं उत्तम स्रोत*

*🔹 'आम के आम गुठलियों के दाम' यह कहावत यथार्थ ही है गुठली में जो गिरी रहती है वह विभिन्न प्रकार के पोषक तत्वों से भरपूर है, जो कि शारीरिक एवं मानसिक विकास के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है ।*

*🔹 आधुनिक वैज्ञानिकों ने भी अनेक अनुसंधानों से आम की गुठली की मींगी में पाये जानेवाले पोषक तत्त्वों का अध्ययन करके पाया है कि 'आम की गुठली की 100 ग्राम मींगी में आम के 2 किलो गूदे से ज्यादा पोषक तत्व पाये जाते हैं और आम के गूदे से २० गुना ज्यादा प्रोटीन, ५० गुना ज्यादा स्नेहांश यानी फैट और ४ गुना ज्यादा कार्बोहाइड्रेट पाया जाता है ।*

*🔹विटामिन बी-१२ शरीर में रक्तकणों के उत्पादन में एवं तंत्रिका तंत्र (Nervous System) को स्वस्थ रखने में अत्यंत महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है । शाकाहारी लोगों में विटामिन बी-१२ की कमी होने का खतरा अधिक रहता है। एक शोध के अनुसार कम-से-कम ४७% भारत के लोगों में अर्थात् लगभग हर २ व्यक्तियों में से १ व्यक्ति में विटामिन बी-१२ की कमी है ।*

*🔹विटामिन बी-१२ की कमी के लक्षण🔹*

*🔹विटामिन बी-१२ की कमी होने पर खून की कमी होकर थकान, कमजोरी एवं आलस्य बना रहता है, साथ ही मुँह के छाले, हाथ-पैरों में सुन्नपन आना, आँखों की रोशनी कम होना आदि लक्षण दिखते हैं । यदि ध्यान न दिया जाय तो चलते समय शरीर का संतुलन बनाने में समस्या आना, सोचने-समझने की शक्ति में कमी होना, चिड़चिड़ापन आना आदि के साथ मस्तिष्क एवं स्नायु-तंत्र को गम्भीर क्षति पहुँचती है । यहाँ तक कि हृदय की निष्क्रियता जैसे गम्भीर उपद्रव भी हो सकते हैं ।*

*🔹बी-१२ की दैनिक जरूरत व मींगी में मात्रा🔹*

*🔹एक वयस्क व्यक्ति के लिए लगभग १ माइक्रोग्राम विटामिन बी-१२ की दैनिक जरूरत होती है । सगर्भावस्था में एवं स्तनपान करानेवाली महिलाओं में यह मात्रा १.२ से १.५ माइक्रोग्राम तक होती है । १०० ग्राम मींगी में लगभग १२० माइक्रोग्राम विटामिन बी-१२ पाया जाता है अर्थात् दैनिक जरूरत से १२० गुना ज्यादा !*

Hindu Panchang Daily हिन्दू पंचांग 🚩

11 Nov, 17:44


*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*दिनांक - 12 नवम्बर 2024*
*दिन - मंगलवार*
*विक्रम संवत् - 2081*
*अयन - दक्षिणायन*
*ऋतु - हेमन्त*
*मास - कार्तिक*
*पक्ष - शुक्ल*
*तिथि - एकादशी शाम 04:04 तक तत्पश्चात द्वादशी*
*नक्षत्र - पूर्व भाद्रपद प्रातः 07:52 तक तत्पश्चात उत्तर भाद्रपद प्रातः 05:40 नवम्बर 13 तक तत्पश्चात रेवती*
*योग - हर्षण शाम 07:10 तक तत्पश्चात वज्र*
*राहु काल - दोपहर 03:10 से शाम 04:33 तक*
*सूर्योदय - 06:54*
*सूर्यास्त - 05:52*
*दिशा शूल - उत्तर दिशा में*
*ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:08 से 06:00 तक*
*अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:02 से दोपहर 12:46 तक*
*निशिता मुहूर्त- रात्रि 11:58 नवम्बर 12 से रात्रि 12:50 नवम्बर 13 तक*
*व्रत पर्व विवरण - देवउठी एकादशी, योगेश्वर द्वादशी, चातुर्मास समाप्त, सर्वार्थ सिद्धि योग (प्रातः 07:52 से प्रातः 05:40 नवम्बर 13 तक)*
*विशेष - एकादशी को सिम्बी (सेम) खाने से पुत्र का नाश होता है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*🔹एकादशी में क्या करें, क्या न करें ?🔹*

*🌹1. एकादशी को लकड़ी का दातुन तथा पेस्ट का उपयोग न करें । नींबू, जामुन या आम के पत्ते लेकर चबा लें और उँगली से कंठ शुद्ध कर लें । वृक्ष से पत्ता तोड़ना भी वर्जित है, अत: स्वयं गिरे हुए पत्ते का सेवन करें ।*

*🌹2. स्नानादि कर के गीता पाठ करें, विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें ।*

*🌹हर एकादशी को श्री विष्णु सहस्रनाम का पाठ करने से घर में सुख शांति बनी रहती है l*

*🌹राम रामेति रामेति । रमे रामे मनोरमे ।। सहस्त्र नाम त तुल्यं । राम नाम वरानने ।।*

*एकादशी के दिन इस मंत्र के पाठ से श्री विष्णु सहस्रनाम के जप के समान पुण्य प्राप्त होता है l*

*🌹3. `ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ इस द्वादश अक्षर मंत्र अथवा गुरुमंत्र का जप करना चाहिए ।*

*🌹4. चोर, पाखण्डी और दुराचारी मनुष्य से बात नहीं करना चाहिए, यथा संभव मौन रहें ।*

*🌹5. एकदशी के दिन भूल कर भी चावल नहीं खाना चाहिए न ही किसी को खिलाना चाहिए । इस दिन फलाहार अथवा घर में निकाला हुआ फल का रस अथवा दूध या जल पर रहना लाभदायक है ।*

*🌹6. व्रत के ( दशमी, एकादशी और द्वादशी ) - इन तीन दिनों में काँसे के बर्तन, मांस, प्याज, लहसुन, मसूर, उड़द, चने, कोदो (एक प्रकार का धान), शाक, शहद, तेल और अत्यम्बुपान (अधिक जल का सेवन) - का सेवन न करें ।*

*🌹7. फलाहारी को गोभी, गाजर, शलजम, पालक, कुलफा का साग इत्यादि सेवन नहीं करना चाहिए ।आम, अंगूर, केला, बादाम, पिस्ता इत्यादि अमृत फलों का सेवन करना चाहिए ।*

*🌹8. जुआ, निद्रा, पान, परायी निन्दा, चुगली, चोरी, हिंसा, मैथुन, क्रोध तथा झूठ, कपटादि अन्य कुकर्मों से नितान्त दूर रहना चाहिए ।*

*🌹9. भूलवश किसी निन्दक से बात हो जाय तो इस दोष को दूर करने के लिए भगवान सूर्य के दर्शन तथा धूप-दीप से श्रीहरि की पूजा कर क्षमा माँग लेनी चाहिए ।*

*🌹10. एकादशी के दिन घर में झाड़ू नहीं लगाएं । इससे चींटी आदि सूक्ष्म जीवों की मृत्यु का भय रहता है ।*

*🌹11. इस दिन बाल नहीं कटवाने चाहिए ।*

*🌹12. इस दिन यथाशक्ति अन्नदान करें किन्तु स्वयं किसीका दिया हुआ अन्न कदापि ग्रहण न करें ।*

*🌹13. एकादशी की रात में भगवान विष्णु के आगे जागरण करना चाहिए (जागरण रात्र 1 बजे तक) ।*

*🌹14. जो श्रीहरि के समीप जागरण करते समय रात में दीपक जलाता है, उसका पुण्य सौ कल्पों में भी नष्ट नहीं होता है ।*

*🔹 इस विधि से व्रत करनेवाला उत्तम फल को प्राप्त करता है ।*

Hindu Panchang Daily हिन्दू पंचांग 🚩

10 Nov, 17:59


*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*दिनांक - 11 नवम्बर 2024*
*दिन - सोमवार*
*विक्रम संवत् - 2081*
*अयन - दक्षिणायन*
*ऋतु - हेमन्त*
*मास - कार्तिक*
*पक्ष - शुक्ल*
*तिथि - दशमी शाम 06:46 तक तत्पश्चात एकादशी*
*नक्षत्र - शतभिषा प्रातः 09:40 तक तत्पश्चात पूर्व भाद्रपद*
*योग - व्याघात रात्रि 10:36 तक तत्पश्चात हर्षण*
*राहु काल - प्रातः 08:14 से प्रातः 09:37 तक*
*सूर्योदय - 06:51*
*सूर्यास्त - 05:56*
*दिशा शूल - पूर्व दिशा में*
*ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:07 से 05:59 तक*
*अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:01 से दोपहर 12:46 तक*
*निशिता मुहूर्त- रात्रि 11:58 नवम्बर 11 से रात्रि 12:50 नवम्बर 12 तक*
* व्रत पर्व विवरण - भीष्म पञ्चक प्रारम्भ*
*विशेष - दशमी को कलंबी शाक त्याज्य है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*🔹लोकोपयोगी प्रयोग🔹*

*🔸 घर के मध्य में तुलसी का पौधा होने से घर में प्रेम के साथ-साथ सुख-समृद्धि की भी सदैव वृद्धि होती रहती है ।*

*🔸 किसी भी नयी मूल्यवान वस्तु का उपयोग शुरू करने से पहले हल्दी को गंगाजल में मिलाकर उस पर छींटें देने से वह वस्तु अधिक समय तक चलती है ।*
*📖 ऋषि प्रसाद - जुलाई 2012*

*🔹मोटापा से राहत पाने के लिए🔹*

*🔹क्या करें ? ()*

*🔸1.भोजन नियमित समय पर (सुबह 09:00 से 11:00 बजे तथा शाम को 05:00 से 07:00 के बीच) सीमित मात्रा में पचने में हल्का रुक्ष करें । सलाद व सब्जियों का उपोयोग अधिक करें । गेहूँ का उपयोग कम करें । जौ, ज्वार या बाजरे की रोटी लें ।*

*🔸2. प्राणायाम, आसन, तेजी से चलना, दौड़ना, तैरना आदि शारीरिक श्रम नियमित करें । सप्ताह में 1 दिन उपवास जरूर करें ।*

*🔸3. तखत पर पतला बिस्तर बिछाकर सोना, तिल या सरसों के तेल से मालिश करना सामान्यतया लम्बे-गहरे श्वास लेना लाभकारी है ।*

*🔸4. प्रात:काल गुनगुने पानी में शहद तथा नींबू का रस मिलाकर लें । गर्म-गर्म अन्न, गर्म पानी, चावल के माँड का सेवन करें ।*

*🔸5. शहद, आँवला चूर्ण, गोमूत्र अर्क, त्रिफला चूर्ण शुद्ध शिलाजीत तथा सोंठ अदि का सेवन  हितकारी है ।*

*🔹क्या न करें *

*🔸1. पचने में भारी मधुर व शीतल आहार का सेवन, अधिक मात्रा में भोजन व निद्रा तथा व्यायाम व परिश्रम का अभाव आदि कारणों से शरीर स्थूल होता है । अतः इनसे बचें ।*

*🔸2. दिन में सोना, लगातार बैठे रहना, देर रात को भोजन करना, भोजन में नमक का अधिक प्रयोग, गद्दों तथा ए.सी. या कूलर की हवा में सोना, आराम प्रियता आदि का त्याग करें ।*

*🔸3. कार्बोहाइड्रेट की अधिक मात्रा वाले पदार्थ जैसे चावल, शक्कर, गुड़, आलू, शकरकंद व इनसे बने हूए व्यंजन, स्निग्ध पदार्थ जैसे घी, तेल व इन से बने पदार्थ एवं दही, दूध से बने खोया, मिठाई आदि व्यंजन और सूखे मेवे व फास्ट फूड के सेवन से बचें ।*

*🔸4. अधिक तनाव भी अति स्थूलता का कारण हो सकता है, अतः इससे बचें । इसके लिए सत्संग, ध्यान, हरि का आश्रय लें ।*

*🔸5. बार-बार खाने तथा भोजन के बाद तुरंत नींद लेने या स्नान करने से बचें ।*

Hindu Panchang Daily हिन्दू पंचांग 🚩

09 Nov, 17:35


*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*दिनांक - 10 नवम्बर 2024*
*दिन - रविवार*
*विक्रम संवत् - 2081*
*अयन - दक्षिणायन*
*ऋतु - हेमन्त*
*मास - कार्तिक*
*पक्ष - शुक्ल*
*तिथि - नवमी रात्रि 09:01 तक तत्पश्चात दशमी*
*नक्षत्र - धनिष्ठा प्रातः 10:59 तक तत्पश्चात शतभिषा*
*योग - ध्रुव रात्रि 01:42 नवम्बर 11 तक तत्पश्चात व्याघात*
*राहु काल - शाम 04:34 से शाम 05:57 तक*
*सूर्योदय - 06:49*
*सूर्यास्त - 05:57*
*दिशा शूल - पश्चिम दिशा में*
*ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:07 से 05:59 तक*
*अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:01 से दोपहर 12:46 तक*
*निशिता मुहूर्त- रात्रि 11:58 नवम्बर 10 से रात्रि 12:50 नवम्बर 11 तक*
* व्रत पर्व विवरण - अक्षय नवमी, आँवला नवमी, जगद्धात्री पूजा, साईं श्री लीलाशाहजी महाराज का महानिर्वाण दिवस*
*विशेष - नवमी को लौकी खाना गौमाँस के सामान त्याज्य है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*🔹आँवला नवमी विशेष🔹*


*🌱 हमारे पूजनीय वृक्ष - आँवला 🌱*

*🔸 आँवला खाने से आयु बढ़ती है । इसका रस पीने से धर्म का संचय होता है और रस को शरीर पर लगाकर स्नान करने से दरिद्रता दूर होकर ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है ।*

*🔸 जो दोनों पक्षों की एकादशियों को आँवले के रस का प्रयोग कर स्नान करते हैं, उनके पाप नष्ट हो जाते हैं ।*

*🔸 मृत व्यक्ति की हड्डियाँ आँवले के रस से धोकर किसी भी नदी में प्रवाहित करने से उसकी सद्गति होती है ।*
*(स्कंद पुराण, वैष्णव खंड, का.मा. 12.75)*

*🔸प्रत्येक रविवार, विशेषतः सप्तमी को आँवले का फल त्याग देना चाहिए । शुक्रवार, प्रतिपदा, षष्ठी, नवमी, अमावस्या और सक्रान्ति को आँवले का सेवन नहीं करना चाहिए ।*

*🔸आँवला सेवन के बाद 2 घंटे तक दूध नहीं पीना चाहिए ।*

*🔹आँवला के औषधीय प्रयोग 🔹*

*🔸१] जिन्हें भोजन में अरुचि हो या भूख कम लगती हो उन्हें भोजन से पहले २ चम्मच आँवला रस में १ चम्मच शहद मिलाकर लेना लाभकारी है ।*

*🔸२] नाक, मूत्रमार्ग, गुदामार्ग से रक्तस्राव, योनिमार्ग में जलन व अतिरिक्त रक्तस्राव, पेशाब में जलन, रक्तप्रदर, त्वचा-विकार आदि समस्याओं में आँवला रस अथवा आँवला चूर्ण दिन में दो बार लेना लाभदायी है ।*

*🔸३] आँवला रस में ४ चुटकी हल्दी मिलाकर दिन में दो बार लें । यह सभी प्रकार के प्रमेहों में श्रेष्ठ औषधि है ।*

*🔸४] अम्लपित्त, सिरदर्द, सिर चकराना, आँखों के सामने अँधेरा छाना, उलटी होना आदि में आँवला रस या चूर्ण मिश्री मिलाकर लेना फायदेमंद है ।*

*🔸५] रक्ताप्लता या पीलिया जैसे विकारों में आँवला चूर्ण का दिन में २ बार उपयोग करने से रस-रक्त का पोषण होकर इन विकारों में लाभ होता है ।*

*🔸६] आँवला एवं मिश्री का मिश्रण घी के साथ प्रतिदिन सुबह लेने से असमय बालों का सफेद होना व झड़ना बंद हो जाता है तथा सभी ज्ञानेन्द्रियों की कार्यक्षमता बढ़ती है ।*

*🔸सेवन- मात्रा : आँवला चूर्ण – २ से ५ ग्राम, आँवला रस – १५ से २० मि.ली.*

*🔹ध्यान दें : रविवार व शुक्रवार को आँवले का सेवन वर्जित है ।*

Hindu Panchang Daily हिन्दू पंचांग 🚩

08 Nov, 17:06


*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*दिनांक - 09 नवम्बर 2024*
*दिन - शनिवार*
*विक्रम संवत् - 2081*
*अयन - दक्षिणायन*
*ऋतु - हेमन्त*
*मास - कार्तिक*
*पक्ष - शुक्ल*
*तिथि - अष्टमी रात्रि 10:45 तक तत्पश्चात नवमी*
*नक्षत्र - श्रवण प्रातः 11:47 तक तत्पश्चात धनिष्ठा*
*योग - वृद्धि प्रातः 04:23 नवम्बर 10 तक तत्पश्चात ध्रुव*
*राहु काल - प्रातः 09:36 से प्रातः 11:00 तक*
*सूर्योदय - 06:53*
*सूर्यास्त - 05:53*
*दिशा शूल - पूर्व दिशा में*
*ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:07 से 05:58 तक*
*अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:01 से दोपहर 12:46 तक*
*निशिता मुहूर्त- रात्रि 11:58 नवम्बर 09 से रात्रि 12:49 नवम्बर 10 तक*
* व्रत पर्व विवरण - गोपाष्टमी, मासिक दुर्गाष्टमी, सर्वार्थ सिद्धि योग (प्रातः 06:49 से प्रातः 11:47 तक)*
*विशेष - अष्टमी को नारियल का फल खाने से बुद्धि का नाश होता है | इस दिन स्त्री-सहवास और तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*🔹अशुभ क्या है एवं शुभ क्या है ?🔹*

*🔸 बिल्ली की धूलि शुभ प्रारब्ध का हरण करती है । (नारद पुराण, पूर्व भाग : 26.32)*

*🔸 कुत्ता रखने वालों के लिए स्वर्गलोक में स्थान नहीं है । उनका पुण्य क्रोधवश नामक राक्षस हर लेते हैं । (महाभारत, महाप्रयाण पर्व : 3.10)*

*🔸 'महाभारत' में यह भी आया है कि 'घर में टूटा-फूटा बर्तन, सामान (फर्नीचर), मुर्गा, कुत्ता, बिल्ली होना अच्छा नहीं है । ये शुभ गुणों को हरते हैं ।'*

*🔸 दूसरे का अन्न, दूसरे का वस्त्र, दूसरे का धन, दूसरे की शय्या, दूसरे की गाड़ी, दूसरे की स्त्री का सेवन और दूसरे के घर में वास – ये इन्द्र के भी ऐश्वर्य को नष्ट कर देते हैं । (शंखलिखित स्मृति : 17)*

*🔸 जिस तरह शरीर में जीवन न हो तो वह मुर्दा शरीर अशुभ माना जाता है । इसी तरह खाली कलश भी अशुभ है । दूध, घी, पानी अथवा अनाज से भरा हुआ कलश कल्याणकारी माना जाता है । भरा हुआ घड़ा मांगलिकता का प्रतीक है ।*

*🔸 वास्तुशास्त्र के अनुसार घर की पश्चिम दिशा में पीपल का वृक्ष होना शुभ है । इसके विपरीत पूर्व दिशा में होना विशेष अशुभ है ।*

*🔸 आँवला, बिल्व, नारियल, तुलसी और चमेली सभी दिशाओं में शुभ हैं । कुछ अन्य वृक्षों के लिए शुभ दिशाओं की सूचिः*

*जामुन – दक्षिण, पूर्व, उत्तर*
*अनार – आग्नेय, नैर्ऋत्य कोण*
*केला – तुलसी के साथ सभी दिशाओं में*
*चंदन – पश्चिम, दक्षिण (पूर्व विशेष अशुभ)*
*बड़  -  पूर्व (पश्चिम विशेष अशुभ)*
*कनेर – पूर्व, उत्तर (पश्चिम विशेष अशुभ)*
*नीम – वायव्य कोण (आग्नेय विशेष अशुभ)*

*🔸 घर में बाँस, बेर, पपीता, पलाश और बबूल के वृक्ष सभी दिशाओं में अशुभ माने जाते हैं । आम पूर्व में, सीताफल व गुलाब ईशान कोण में विशेष अशुभ हैं ।*

*🔸 अशुभ वस्तुएँ जैसे कि मांस, दुर्घटना का दृश्य, मृतक जीव-जन्तु दिखायी देने पर उसी समय सूर्यनारायण के दर्शन कर लेने चाहिए ।*

Hindu Panchang Daily हिन्दू पंचांग 🚩

07 Nov, 17:44


*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*दिनांक - 08 नवम्बर 2024*
*दिन - शुक्रवार*
*विक्रम संवत् - 2081*
*अयन - दक्षिणायन*
*ऋतु - हेमन्त*
*मास - कार्तिक*
*पक्ष - शुक्ल*
*तिथि - सप्तमी रात्रि 11:56 तक तत्पश्चात अष्टमी*
*नक्षत्र - उत्तराषाढा दोपहर 12:03 तक तत्पश्चात श्रवण*
*योग - शूल प्रातः 08:28 तक तत्पश्चात गण्ड प्रातः 06:39 नवम्बर 09 तक तत्पश्चात वृद्धि*
*राहु काल - प्रातः 11:00 से दोपहर 12:23 तक*
*सूर्योदय - 06:52*
*सूर्यास्त - 05:53*
*दिशा शूल - पश्चिम दिशा में*
*ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:06 से 05:57 तक*
*अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:01 से दोपहर 12:46 तक*
*निशिता मुहूर्त- रात्रि 11:58 नवम्बर 08 से रात्रि 12:49 नवम्बर 09 तक*
* व्रत पर्व विवरण - जलाराम बापा जयन्ती, कार्तिक अष्टाह्निका विधान प्रारम्भ, सर्वार्थ सिद्धि योग ( दोपहर 12:03 से प्रातः 06:49 नवम्बर 09 तक)*
*विशेष - सप्तमी को ताड़ का फल खाने से रोग बढ़ते हैं और शरीर का नाश होता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*🔹सर्वांगीण विकास की कुंजियाँ🔹*

*🔹यादशक्ति बढ़ाने हेतु🔹*

*🔸 (१) प्रतिदिन १५ से २० मि.ली. तुलसी रस, एक चम्मच च्यवनप्राश व थोड़ी-सी किशमिश का घोल बना के सारस्वत्य मंत्र अथवा गुरुमंत्र जपकर पीयें । ४० दिन में चमत्कारिक फायदा होगा ।*

*🔸 (२) भोजन के बाद तिल का एक लड्डू चबा-चबाकर खायें ।*

*🔸 (३) १०० ग्राम सौंफ, १०० ग्राम बादाम व २०० ग्राम मिश्री तीनों को कूटकर मिला लें । सुबह ३ से ५ ग्राम यह मिश्रण चबा-चबाकर खायें, ऊपर से दूध पी लें । दूध के साथ भी ले सकते हैं । इससे भी यादशक्ति बढ़ेगी ।*

*🔹पढ़ा हुआ याद रहे, इस हेतु :🔹*

*🔸 (१) अध्ययन के समय पूर्व या उत्तर की ओर मुंह करके सीधे बैठें ।*

*🔸 (२) सारस्वत्य मंत्र का जप कर के जीभ की नोक को तालू में लगाकर पढ़ें ।*

*🔸 (३) अध्ययन के बीच-बीच में व अंत में शांत हों और पढ़े हुए का मनन करें । भगवद्सुमिरण कर के शांत हों ।*

*🔹कद बढ़ाने हेतु🔹*

*🔸 प्रातःकाल दौड़ लगायें, पुल-अप्स व ताड़ासन करें तथा २ काली मिर्च के टुकड़े करके मक्खन में मिलाकर निगल जायें । देशी गाय का दूध कदवृद्धि में विशेष सहायक है ।*

*🔹शरीरपुष्टि हेतु:🔹*

*🔸 (१) भोजन से पहले हरड़ चूसें व भोजन के साथ भी खायें  ।*
*🔸 (२) रात्रि में एक गिलास पानी में एक नींबू निचोड़कर उसमें दो किशमिश भिगो दें । सुबह पानी छानकर पी जायें व किशमिश चबाकर खा लें ।*

Hindu Panchang Daily हिन्दू पंचांग 🚩

06 Nov, 16:09


*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*दिनांक - 07 नवम्बर 2024*
*दिन - गुरुवार*
*विक्रम संवत् - 2081*
*अयन - दक्षिणायन*
*ऋतु - हेमन्त*
*मास - कार्तिक*
*पक्ष - शुक्ल*
*तिथि - षष्ठी रात्रि 12:34 नवम्बर 08 तक तत्पश्चात सप्तमी*
*नक्षत्र - पूर्वाषाढा प्रातः 11:47 तक तत्पश्चात उत्तराषाढा*
*योग - धृति प्रातः 09:52 तक तत्पश्चात शूल*
*राहु काल - दोपहर 01:47 से दोपहर 03:11 तक*
*सूर्योदय - 06:52*
*सूर्यास्त - 05:54*
*दिशा शूल - दक्षिण दिशा में*
*ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:06 से 05:57 तक*
*अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:01 से दोपहर 12:46 तक*
*निशिता मुहूर्त- रात्रि 11:58 नवम्बर 07 से रात्रि 12:49 नवम्बर 08 तक*
* व्रत पर्व विवरण -  सूर सम्हारम, छठ पूजा, स्कन्द षष्ठी*
*विशेष - षष्ठी को नीम-भक्षण (पत्ती फल खाने या दातुन मुंह में डालने) से नीच योनियों की प्राप्ति होती है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*🔹प्रकृति अनुसार विहार🔹*

*🔹वात प्रकृति🔹*

*🔹त्याज्य : अति परिश्रम, अति व्यायाम, सतत अध्ययन, अधिक बोलना, अधिक पैदल चलना अथवा वाहनों में घूमना, तैरना, अति उपवास, रात्रि जागरण, भय, शोक, चिंता, मल-मूत्र आदि वेगों को रोकना, पश्चिम दिशा से आनेवाली हवा का सेवन ।*

*🔹हितकर : सर्वांग मालिश (विशेषतः सिर व पैर की), कान-नाक में तेल डालना, आराम, सुखशीलता, निश्चिंतता व शांत निद्रा ।*

*🔹पित्त प्रकृति 🔹*

*🔹त्याज्यः तेज धूप में घूमना, अग्नि के निकट रहना, रात्रि जागरण, अति परिश्रम, अति उपवास, क्रोध, शोक, भय ।*
*🔹हितकर : शीत, सुगंधित द्रव्यों (जैसे चंदन, अगरु) का लेप, शीत तेलों से मालिश ।*

*🔹कफ प्रकृति🔹*

*🔹त्याज्य : दिन में शयन, आरामप्रियता, आलस्य ।*
*🔹हितकर : घूमना-फिरना, दौड़ना, तैरना, व्यायाम, आसन, प्राणायाम ।*
*( त्रिदोष सिद्धांत पृ.क्र. ४)*

*🔹सुख-शांतिप्रदायक ईशान-स्थल🔹*
*🔹सुख-शांति और कल्याण चाहनेवाले बुद्धिमानों को अपने घर, दुकान या कार्यालय में ईशान-स्थल पर अपने इष्टदेव, सदगुरु का श्रीचित्र लगा के वहाँ धूप-दीप, मंत्रोच्चार तथा साधना-ध्यान पूर्व अथवा उत्तर की ओर मुख करके करना चाहिए । यह विशेष सुख-शांतिदायक है ।*

*🔹ज्ञानार्जन में सहायता व सत्प्रेरणा हेतु🔹*
*🔹विद्यार्थियों के लिए भी ईशान कोण बड़े महत्त्व का है । पूर्व एवं उत्तर दिशाएँ ज्ञानवर्धक दिशाएँ तथा ईशान-स्थल ज्ञानवर्धक स्थल है । जो विद्यार्थी ईशान-स्थल पर बैठ के पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके पढ़ता है, उसे ज्ञानार्जन में विशेष सहायता मिलती है । पूर्व की ओर मुख करने से विशेष लाभ होता है । अध्ययन-कक्ष में सदगुरु या ब्रह्मज्ञानी महापुरुषों के श्रीचित्र लगाने चाहिए, इससे सत्प्रेरणा मिलती है ।*

- *📖 ऋषि प्रसाद – सितम्बर २०१८*

Hindu Panchang Daily हिन्दू पंचांग 🚩

06 Nov, 04:11


*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*दिनांक - 06 नवम्बर 2024*
*दिन - बुधवार*
*विक्रम संवत् - 2081*
*अयन - दक्षिणायन*
*ऋतु - हेमन्त*
*मास - कार्तिक*
*पक्ष - शुक्ल*
*तिथि - पञ्चमी रात्रि 12:41 नवम्बर 07 तक तत्पश्चात षष्ठी*
*नक्षत्र - मूल प्रातः 11:00 तक तत्पश्चात पूर्वाषाढा*
*योग -  सुकर्मा प्रातः 10:51 तक तत्पश्चात धृति*
*राहु काल - दोपहर 12:23 से दोपहर 01:47 तक*
*सूर्योदय - 06:48*
*सूर्यास्त - 05:59*
*दिशा शूल - उत्तर दिशा में*
*ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:05 से 05:56 तक*
*अभिजीत मुहूर्त - कोई नहीं*
*निशिता मुहूर्त- रात्रि 11:58 नवम्बर 06 से रात्रि 12:49 नवम्बर 07 तक*
* व्रत पर्व विवरण - लाभ पञ्चमी*
*विशेष - पंचमी को बेल खाने से कलंक लगता है | (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*🔹जैविक घड़ी पर आधारित दिनचर्या🔹*
*(Biological Clock Based on Routine)*

*🔹प्रातः ३ से ५ - (जीवनी शक्ति विशेषरूप से फेफडों में होती है)🔹*
*🔹थोड़ा गुनगुना पानी पीकर खुली हवा में घूमना एवं प्राणायाम करना । शरीर स्वस्थ व स्फूर्तिमान होता है । ब्राह्ममुहूर्त में उठनेवाले लोग बुद्धिमान व उत्साही होते हैं और सोते रहनेवालों का जीवन निस्तेज हो जाता है ।*

*🔹प्रातः ५ से ७ - (बड़ी आँत में)🔹*
*प्रातः जागरण से लेकर सुबह ७ बजे के बीच मल-त्याग एवं स्नान कर लेना चाहिए । सुबह ७ बजे के बाद जो मल-त्याग करते हैं उन्हें अनेक बीमारियाँ होती हैं ।*

*🔹सुबह ७ से ९ - (अमाशय यानी जठर में)🔹*
*इस समय (भोजन के २ घंटे पूर्व) दूध अथवा फलों का रस या कोई पेय पदार्थ ले सकते हैं ।*

*🔹९ से ११ - (अग्न्याशय व प्लीहा में)🔹*
*यह समय भोजन के लिए उपयुक्त है । भोजन के बीच-बीच में गुनगुना पानी (अनुकूलता अनुसार) घूँट-घूँट पियें ।*

*🔹दोपहर ११ से १ - (हृदय में)🔹*
*दोपहर १२ बजे के आसपास मध्याङ्घ-संध्या करने का हमारी संस्कृति में विधान है । भोजन वर्जित ।*

*🔹दोपहर १ से ३ - (छोटी आँत में)🔹*
*भोजन के करीब २ घंटे बाद प्यास-अनुरूप पानी पीना चाहिए । इस समय भोजन करने अथवा सोने से पोषक आहार-रस के शोषण में अवरोध उत्पन्न होता है व शरीर रोगी तथा दुर्बल हो जाता है ।*

*🔹दोप. ३ से ५ - (मूत्राशय में)🔹*
*२-४ घंटे पहले पिये पानी से इस समय मूत्र-त्याग की प्रवृत्ति होगी ।*

*🔹शाम ५ से ७ - (गुर्दे में)🔹*
*इस समय हलका भोजन कर लेना चाहिए । सूर्यास्त के १० मिनट पहले से १० मिनट बाद तक (संध्याकाल में) भोजन न करें । शाम को भोजन के तीन घंटे बाद दूध पी सकते हैं ।*

*🔹रात्रि ७ से ९ - (मस्तिष्क में)🔹*
*इस समय मस्तिष्क विशेष रूप से सक्रिय रहता है । अतः प्रातःकाल के अलावा इस काल में पढ़ा हुआ पाठ जल्दी याद रह जाता है ।*

*🔹रात्रि ९ से ११ - (रीढ़ की हड्डी में स्थित मेरुरज्जू में)🔹*
*इस समय की नींद सर्वाधिक विश्रांति प्रदान करती है । इस समय का जागरण शरीर व बुद्धि को थका देता है ।*

*🔹रात्रि ११ से १ - (पित्ताशय में)🔹*
*इस समय का जागरण पित्त-विकार, अनिद्रा, नेत्ररोग उत्पन्न करता है व बुढ़ापा जल्दी लाता है । इस समय नई कोशिकाएँ बनती हैं ।*

*🔹१ से ३ - (यकृत में)🔹*
*इस समय का जागरण यकृत (लीवर) व पाचन तंत्र को बिगाड़ देता है ।*

*🌹ऋषियों व आयुर्वेदाचार्यों ने बिना भूख लगे भोजन करना वर्जित बताया है । अतः प्रातः एवं शाम के भोजन की मात्रा ऐसी रखें, जिससे ऊपर बताये समय में खुलकर भूख लगे ।*
*📖 ऋषि प्रसाद - सितम्बर 2015*

Hindu Panchang Daily हिन्दू पंचांग 🚩

04 Nov, 17:41


*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*दिनांक - 05 नवम्बर 2024*
*दिन - मंगलवार*
*विक्रम संवत् - 2081*
*अयन - दक्षिणायन*
*ऋतु - हेमन्त*
*मास - कार्तिक*
*पक्ष - शुक्ल*
*तिथि - चतुर्थी रात्रि 12:16 नवम्बर 06 तक तत्पश्चात पंचमी*
*नक्षत्र - ज्येष्ठा प्रातः 09:45 तक मूल*
*योग - अतिगण्ड प्रातः 11:28 तक तत्पश्चात सुकर्मा*
*राहु काल - दोपहर 03:11 से शाम 04:35 तक*
*सूर्योदय - 06:51*
*सूर्यास्त - 05:55*
*दिशा शूल - उत्तर दिशा में*
*ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:05 से 05:56 तक*
*अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:01 से दोपहर 12:45 तक*
*निशिता मुहूर्त- रात्रि 11:58 नवम्बर 05 से रात्रि 12:49 नवम्बर 06 तक*
* व्रत पर्व विवरण - विनायक चतुर्थी, मंगळवारी चतुर्थी (सूर्योदय से रात्रि 12:16 नवम्बर 06 तक)*
*विशेष - चतुर्थी मूली खाने से धन का नाश होता है।  (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*🔹घर में सुख-शांति के लिए🔹*

*🔹वास्तुशास्त्र के नियमों के उचित पालन से शरीर की जैव-रासायनिक क्रिया को संतुलित रखने में सहायता मिलती है ।*

*🔹घर या वास्तु के मुख्य दरवाजे में देहरी (दहलीज) लगाने से अनेक अनिष्टकारी शक्तियाँ प्रवेश नहीं कर पातीं व दूर रहती हैं । प्रतिदिन सुबह मुख्य द्वार के सामने हल्दी, कुमकुम व गोमूत्र मिश्रित गोबर से स्वस्तिक, कलश आदि आकारों में रंगोली बनाकर देहरी (दहलीज) एवं रंगोली की पूजा कर परमेश्वर से प्रार्थना करनी चाहिए कि 'हे ईश्वर ! आप मेरे घर व स्वास्थ्य की अनिष्ट शक्तियों से रक्षा करें ।'*

*🔹प्रवेश-द्वार के ऊपर नीम, आम, अशोक आदि के पत्ते का तोरण (बंदनवार) बाँधना मंगलकारी है ।*

*🔹वास्तु कि मुख्य द्वार के सामने भोजन-कक्ष, रसोईघर या खाने की मेज नहीं होनी चाहिए ।*

*🔹मुख्य द्वार के अलावा पूजाघर, भोजन-कक्ष एवं तिजोरी के कमरे के दरवाजे पर भी देहरी (दहलीज) अवश्य लगवानी चाहिए ।*

*🔹भूमि-पूजन, वास्तु-शांति, गृह-प्रवेश आदि सामान्यतः शनिवार एवं मंगलवार को नहीं करने चाहिए ।*

*🔹गृहस्थियों को शयन-कक्ष में सफेद संगमरमर नहीं लगावाना चाहिए । इसे मन्दिर मे लगाना उचित है क्योंकि यह पवित्रता का द्योतक है ।*

*🔹कार्यालय के कामकाज, अध्ययन आदि के लिए बैठने का स्थान छत की बीम के नीचे नहीं होना चाहिए क्योंकि इससे मानसिक दबाव रहता है ।*

*🔹बीम के नीचे वाले स्थान में भोजन बनाना व करना नहीं चाहिए । इससे आर्थिक हानि हो सकती है । बीम के नीचे सोने से स्वास्थ्य में गड़बड़ होती है तथा नींद ठीक से नहीं आती ।*

Hindu Panchang Daily हिन्दू पंचांग 🚩

03 Nov, 17:19


*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*दिनांक - 04 नवम्बर 2024*
*दिन - सोमवार*
*विक्रम संवत् - 2081*
*अयन - दक्षिणायन*
*ऋतु - हेमन्त*
*मास - कार्तिक*
*पक्ष - शुक्ल*
*तिथि - तृतीया रात्रि 11:24 तक तत्पश्चात चतुर्थी*
*नक्षत्र - अनुराधा प्रातः 08:04 तक ज्येष्ठा*
*योग - शोभन प्रातः 11:44 तक तत्पश्चात अतिगण्ड*
*राहु काल - प्रातः 08:11 से प्रातः 09:35 तक*
*सूर्योदय - 06:42*
*सूर्यास्त - 06:06*
*दिशा शूल - पूर्व दिशा में*
*ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:04 से 05:55 तक*
*अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:01 से दोपहर 12:45 तक*
*निशिता मुहूर्त- रात्रि 11:58 नवम्बर 04 से रात्रि 12:49 नवम्बर 05 तक*
* व्रत पर्व विवरण - सर्वार्थ सिद्धि योग (प्रातः 06:46 से प्रातः 08:04 तक)*
*विशेष - तृतीया को परवल खाना शत्रु वृद्धि करता है।  (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*🌹 हेमंत ऋतु में स्वास्थ्य रक्षा 🌹*

*🌹यह ऋतु विसर्गकाल अर्थात् दक्षिणायन का अन्तकाल कहलाती है । इस काल में चन्द्रमा की शक्ति सूर्य की अपेक्षा अधिक प्रभावशाली होती है इसलिये इस ऋतु में औषधियाँ, वृक्ष, पृथ्वी व जीव-जन्तुओं की पौष्टिकता में भरपूर वृद्धि होती है । शीत ऋतु में शरीर में कफ का संचार होता है तथा पित्तदोष का नाश होता है ।*

*🌹शीत ऋतु में जठराग्नि अत्यधिक प्रबल रहती है अतः इस समय लिया गया पौष्टिक और बलवर्धक आहार वर्ष भर शरीर को तेज, बल और पुष्टता प्रदान करता है । इस ऋतु में एक स्वस्थ व्यक्ति को अपनी सेहत की तन्दुरुस्ती के लिये किस प्रकार का आहार लेना चाहिए ? शरीररक्षण कैसे हो ? आइये, हम उसे जानें :*

*🌹शीत ऋतु के इस काल में खट्टा, खारा तथा मधुर रसप्रधान आहार लेना चाहिए ।*

*🌹पचने में भारी, पौष्टिकता से भरपूर, गरिष्ठ एवं घी से बने पदार्थों का सेवन अधिक करना चाहिए ।*

*🌹इस ऋतु में सेवन किये हुए खाद्य पदार्थों से ही वर्ष भर शरीर की स्वस्थता की रक्षा का भंडार एकत्रित होता है । अतः उड़दपाक, सोंठपाक जैसे बाजीकारक पदार्थों अथवा च्यवनप्राश आदि का उपयोग करना चाहिए ।*

*🌹जो पदार्थ पचने में भारी होने के साथ-साथ गरम व स्निग्ध प्रकृति के होते हैं, ऐसे पदार्थ लेने चाहिए ।*

*🌹दूध, घी, मक्खन, गुड़, खजूर, तिल, खोपरा, सूखा मेवा तथा चरबी बढ़ानेवाले अन्य पौष्टिक पदार्थ इस ऋतु में सेवन करने योग्य माने जाते हैं ।*

*🌹इन दिनों में ठंडा भोजन नहीं करना चाहिए बल्कि थोड़ा गर्म एवं घी-तेल की प्रधानतावाला भोजन करना चाहिए ।*
*(लोक कल्याण सेतु : दिसम्बर 2000)*

Hindu Panchang Daily हिन्दू पंचांग 🚩

01 Nov, 16:17


*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*दिनांक - 02 नवम्बर 2024*
*दिन - शनिवार*
*विक्रम संवत् - 2081*
*अयन - दक्षिणायन*
*ऋतु - हेमन्त*
*मास - कार्तिक*
*पक्ष - शुक्ल*
*तिथि - प्रतिपदा रात्रि 08:21 तक तत्पश्चात द्वितीया*
*नक्षत्र -  विशाखा प्रातः 05:58 नवम्बर 03 तक तत्पश्चात अनुराधा*
*योग - आयुष्मान् प्रातः 11:19 तक तत्पश्चात सौभाग्य*
*राहु काल - प्रातः 09:34 से प्रातः 10:59 तक*
*सूर्योदय - 06:42*
*सूर्यास्त - 06:06*
*दिशा शूल - पूर्व दिशा में*
*ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:03 से 05:54 तक*
*अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:01 से दोपहर 12:46 तक*
*निशिता मुहूर्त- रात्रि 11:58 नवम्बर 02 से रात्रि 12:49 नवम्बर 03 तक*
* व्रत पर्व विवरण - गोवर्धन पूजा, अन्नकूट, बलि प्रतिपदा, कार्तिक शुक्ल पक्ष प्रतिपदा (पूरा दिन शुभ मुहूर्त), गुजरती नूतन वर्ष विक्रम सम्वत २०८१ प्रारम्भ, त्रिपुष्कर योग (रात्रि 08:21 से प्रातः 05:58 नवम्बर 03 तक)*
*विशेष - प्रतिपदा को कुष्मांड (कुम्हड़ा, पेठा) न खायें क्योंकि यह धन का नाश करनेवाला है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*🌹 नूतन वर्ष : 02 नवंबर 2024 🌹*

*🌹 दीपावली का दिन वर्ष का आखरी दिन है और बाद का दिन वर्ष का प्रथम दिन है, विक्रम सम्वत् के आरम्भ का दिन है (गुजराती पंचांग अनुसार) । उस दिन जो प्रसन्न रहता है, वर्ष भर उसका प्रसन्नता से जाता है ।*

*🌹‘महाभारत में भगवान व्यासजी कहते हैं :*
*‘हे युधिष्ठिर ! आज नूतन वर्ष के प्रथम दिन जो मनुष्य हर्ष में रहता है, उसका पूरा वर्ष हर्ष में जाता है और जो शोक में रहता है, उसका पूरा वर्ष शोक में व्यतीत होता है ।*

*🌹दीपावली के दिन, नूतन वर्ष के दिन मंगलमय चीजों का दर्शन करना भी शुभ माना गया है, पुण्य-प्रदायक माना गया है । जैसे  :*
*उत्तम ब्राह्मण, तीर्थ, वैष्णव, देव-प्रतिमा, सूर्यदेव, सती स्त्री, संन्यासी, यति, ब्रह्मचारी, गौ, अग्नि, गुरु, गजराज, सिंह, श्वेत अश्व, शुक, कोकिल, खंजरीट (खंजन), हंस, मोर, नीलकंठ, शंख पक्षी, बछड़ेसहित गाय, पीपल वृक्ष, पति-पुत्रवाली नारी, तीर्थयात्री, दीप  क, सुवर्ण, मणि, मोती, हीरा, माणिक्य, तुलसी, श्वेत पुष्प, फल, श्वेत धान्य, घी, दही, शहद, भरा हुआ घड़ा, लावा, दर्पण, जल, श्वेत पुष्पों की माला, गोरोचन, कपूर, चाँदी, तालाब, फूलों से भरी हुई वाटिका, शुक्ल पक्ष का चन्द्रमा, चंदन, कस्तूरी, कुंकुम, पताका, अक्षयवट (प्रयाग तथा गया स्थित वटवृक्ष), देववृक्ष (गूगल), देवालय, देवसंबंधी जलाशय, देवता के आश्रित भक्त, देववट, सुगंधित वायु, शंख, दुंदुभि, सीपी, मूँगा, स्फटिक मणि, कुश की जड, गंगाजी की मिट्टी, कुश, ताँबा, पुराण की पुस्तक, शुद्ध और बीजमंत्रसहित भगवान विष्णु का यंत्र, चिकनी दूब, रत्न, तपस्वी, सिद्ध मंत्र, समुद्र, कृष्णसार (काला) मृग, यज्ञ, महान उत्सव, गोमूत्र, गोबर, गोदुग्ध, गोधूलि, गौशाला, गोखुर, पकी हुई खेती से भरा खेत, सुंदर (सदाचारी) पद्मिनी, सुंदर वेष, वस्त्र एवं दिव्य आभूषणों से विभूषित सौभाग्यवती स्त्री, क्षेमकरी, गंध, दूर्वा, चावल और अक्षत (अखंड चावल), सिद्धान्न (पकाया हुआ अन्न) और उत्तम अन्न- इन सबके दर्शन से पुण्यलाभ होता है ।*
*(ब्रह्मवैवर्त पुराण, श्रीकृष्णजन्म खंड, अध्याय : ७६ एवं ७८)*

*🌹लेकिन जिनके हृदय में परमात्मा प्रकट हुए हैं, ऐसे साक्षात् कोई लीलाशाहजी बापू जैसे, नरसिंह मेहता जैसे संत अगर मिल जायें तो समझ लेना चाहिए कि भगवान की हम पर अति-अति विशेष, महाविशेष कृपा है ।*
*(ऋषि प्रसाद : अक्टूबर २०१०)*

Hindu Panchang Daily हिन्दू पंचांग 🚩

01 Nov, 03:21


*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*दिनांक - 01 नवम्बर 2024*
*दिन - शुक्रवार*
*विक्रम संवत् - 2081*
*अयन - दक्षिणायन*
*ऋतु - हेमन्त*
*मास - कार्तिक*
*पक्ष - कृष्ण*
*तिथि - अमावस्या शाम 06:16 तक तत्पश्चात प्रतिपदा*
*नक्षत्र - स्वाती रात्रि 03:31 नवम्बर 02 तक तत्पश्चात विशाखा*
*योग -  प्रीति प्रातः 10:41 तक तत्पश्चात आयुष्मान्*
*राहु काल - प्रातः 10:58 से दोपहर 12:23 तक*
*सूर्योदय - 06:42*
*सूर्यास्त - 06:06*
*दिशा शूल - पश्चिम दिशा में*
*ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:03 से 05:54 तक*
*अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:00 से दोपहर 12:46 तक*
*निशिता मुहूर्त- रात्रि 11:58 नवम्बर 01 से रात्रि 12:49 नवम्बर 02 तक*
*व्रत पर्व विवरण -  दर्श अमावस्या, दीपावली, स्वामी रामतीर्थ जयंती व पुण्यतिथि*
*विशेष - अमावस्या के दिन स्त्री-सहवास और तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*🔹स्वास्थ्य का आधार : पथ्य-अपथ्य विवेक🔹*

*पथ्ये सति गदार्तस्य किमौषधनिषेवणैः ।*
*पथ्येऽसति गदार्तस्य किमौषधनिषेवणैः ॥*

*🔹पथ्य हो तो औषधियों के सेवन की क्या आवश्यकता है ? पथ्य न हो तो चाहिए । औषधियों का कोई फल ही नहीं है । स्वास्थ्य अतः सदैव पथ्य का ही सेवन करना चाहिए ।*

*🔹पथ्य अर्थात् हितकर । हितकर का सेवन व अहितकर का त्याग करने हेतु पदार्थों के गुण-धर्मों का ज्ञान होना आवश्यक है ।*

*🔹चरक संहिता के यज्जः पुरुषीय अध्याय में ऐसे हितकर-अहितकर पदार्थों का वर्णन करते हुए श्री चरकाचार्यजी कहते हैं : धान्यों में लाल चावल, दालों में मूँग, शाकों में जीवंती (डोड़ी), तेलों में तिल का तेल, फलों में अंगूर, कंदों में अदरक, नमकों में सैंधव (सेंधा) व जलों में वर्षा का जल स्वभाव से ही हितकर हैं ।*

*🔹जीवनीय द्रव्यों में देशी गाय का दूध, रसायन द्रव्यों में देशी गोदुग्ध-गोघृत का नित्य सेवन, आयु को स्थिर रखनेवाले द्रव्यों में आँवला, सदा पथ्यकर द्रव्यों में हर्रे (हरड़), बलवर्धन में षडरसयुक्त भोजन, आरोग्यवर्धन में समय पर भोजन, आयुवर्धन में ब्रह्मचर्य, थकान दूर करने में स्नान, आरोग्यवर्धक भूमि में मरुभूमि व शारीरिक पुष्टि में मन की शांति सर्वश्रेष्ठ है ।*

*🔹सर्वदा अहितकर पदार्थों में दालों में उड़द, शाकों में सरसों, कंदों में आलू, जलों में वर्षा ऋतु में नदी का जल प्रमुख हैं ।*

*🔹सर्व रोगों के मूल आम (अपक्व आहाररस) को उत्पन्न करने में अधिक भोजन, रोगों को बढ़ाने में दुःख, बल घटाने में एक रसयुक्त भोजन, पुंसत्वशक्ति घटाने में नमक का अधिक सेवन मुख्य कारण है ।*

*🔹अनारोग्यकर भूमि में समुद्र तट का प्रदेश व पूर्णतः अहितकर कर्मों में अत्यधिक परिश्रम प्रमुख है ।*

*🔹अपना कल्याण चाहनेवाले बुद्धिमान मनुष्य को हित-अहित का विचार करके हितकर का ही सेवन करना चाहिए ।*
*- 📖 ऋषिप्रसाद - जुलाई 2019*

*🔹आत्महत्या कभी नहीं करना🔹*

*🔹आत्महत्यारे घोर नरकों में जाते हैं और हजारों नरक-यातनाएँ भोगकर फिर देहाती सूअरों की योनि में जन्म लेते हैं । इसलिए समझदार मनुष्य को कभी भूलकर भी आत्महत्या नही करनी चाहिए । आत्महत्यारों का न तो इस लोक में और न परलोक में ही कल्याण होता है ।*
*(स्कंद पुराण, काशी खंड, पूर्वार्द्धः 12.12,13)*

*🔹आत्महत्या करने वाला मनुष्य 60 हजार वर्षों तक अंधतामिस्र नरक में निवास करता है । (पाराशर स्मृतिः 4.1-2)*

Hindu Panchang Daily हिन्दू पंचांग 🚩

30 Oct, 17:42


*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*दिनांक - 31 अक्टूबर 2024*
*दिन - गुरुवार*
*विक्रम संवत् - 2081*
*अयन - दक्षिणायन*
*ऋतु - हेमन्त*
*मास - कार्तिक*
*पक्ष - कृष्ण*
*तिथि - चतुर्दशी दोपहर 03:52 तक तत्पश्चात अमावस्या*
*नक्षत्र - चित्रा रात्रि 12:45 नवम्बर 01 तक तत्पश्चात स्वाती*
*योग - विष्कम्भ प्रातः 09:51 तक तत्पश्चात प्रीति*
*राहु काल - दोपहर 01:48 से दोपहर 03:13 तक*
*सूर्योदय - 06:48*
*सूर्यास्त - 05:58*
*दिशा शूल - दक्षिण दिशा में*
*ब्राह्ममुहूर्त -  प्रातः 05:03 से 05:53 तक*
*अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:00 से दोपहर 12:46 तक*
*निशिता मुहूर्त- रात्रि 11:58 अक्टूबर 31 से रात्रि 12:49 नवम्बर 01 तक*
*व्रत पर्व विवरण - नरक चतुर्दशी (तैलाभ्यंग स्नान), केदार गौरी व्रत, दीपावली, चोपड़ा पूजा, लक्ष्मी पूजा, शारदा पूजा, काली पूजा, दीपमालिका, कमला जयन्ती*
*विशेष - चतुर्दशी और अमावस्या के दिन स्त्री-सहवास और तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*🔹जोड़ों में दर्द है तो...🔹*

*१] जिन जोड़ों में दर्द है, सुबह उन पर धूप लगे इस प्रकार धूप सेंकें ।*

*२] १०० ग्राम अरंडी के तेल में ७०-८० ग्राम लहसुन की कलियाँ कूट के डाल दें और तेल को गरम करें । कलियाँ जल जायें तो वह तेल उतारकर रख लें । उससे जोड़ों की मालिश करें ।*

*३] गर्म कपड़े पहनें । हल्के गर्म पानी की थैली से सिंकाई करें । सुबह टहलना, व्यायाम करना नियमितरूप से करें ।*

*४] ८० प्रकार के वायुदोष नाशक स्थलबस्ती सुबह खाली पेट नियमित करें ।*

*५] जोड़ों के दर्द में संधिशूलहर औषधि का प्रयोग बहुत लाभदायी है । यह गठिया, मधुमेह, सायटिका व मोटापे में भी लाभकारी है ।*

*६] २ से ४ चुटकी रामबाण बूटी सुबह-शाम खाली पेट गुनगुने पानी के साथ लें ।*

*७] मालिश तेल को हलका गुनगुना करके उससे दर्द की जगह पर हलके हाथ से मालिश करें ।*

*८] २५० ग्राम मेथीदाना दरदरा (मोटे दानेदार) कूट के रख लें । रात को १ चम्मच भिगो के सुबह ले लें । बड़ी उम्र में कैल्शियम और लौह तत्त्व कम बन पाते हैं । मेथी में दोनों तत्त्व पर्याप्त मात्रा में होते हैं । यह सटीक इलाज है ।*

Hindu Panchang Daily हिन्दू पंचांग 🚩

30 Oct, 06:41


🌹नरक चतुर्दशी (काली चौदस) की हार्दिक शुभकामनाएं। 🌹

♦️ *रात्रि में मंत्रजप से मंत्रसिद्धि - ३० अक्टूबर*
ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐ कमलवासिन्यै स्वाहा ।
सभी के लिए कल्पवृक्ष के समान है। इस मंत्र को यदि कोई नरक चतुर्दशी व दीपावली की रात्रि में जपता है तो लक्ष्मीजी उस पर प्रसन्न होती हैं।

नरक चतुर्दशी ३० अक्टूबर : (रात्रि में मंत्रजप से मंत्रसिद्धि एवं मुक्तिकारक मुहूर्त का लाभ लें) -पूज्य संत श्री आशारामजी बापू के सत्संग से
नरक चतुर्दशी और दीपावली की रात ‘मुक्तिकारक मुहूर्त’ माना गया है, यह जप-तप के लिए श्रेष्ठ है । नरक चतुर्दशी की रात में जप करने से मंत्र सिद्ध होता है । इस रात्रि को सरसों के तेल या देशी घी का दीया जला के उसका काजल उतारकर रखें तो वह काजल लगानेवाले व्यक्ति को नजर नहीं लगती, नेत्रज्योति में फायदा होता है तथा भूतबाधा भाग जाती है ।(ऋषि प्रसाद : नवम्बर 2012)

♦️ *तैलाभ्यंग स्नान – ३१ अक्टूबर*
इस दिन सूर्योदय के पूर्व उठकर तिल के तेल की मालिश करके स्नान करने से नारकीय यातनाओं से मुक्ति होती है । जो इस दिन सूर्योदय के बाद स्नान करता है, उसके शुभकर्मों का नाश होता है । (ऋ.प्र. अक्टूबर 2010, अंक – 141, पृ. - 21)

♦️ *नरक चतुर्दशी महात्म्य*
काली चौदस (नरक चतुर्दशी) को हनुमानजी ने अहिरावण को मारा था । नरकासुर ने कन्याओंं को कैद कर रखा था । भगवान श्रीकृष्ण ने नरक चतुर्दशी को नरकासुर का वध किया और कन्याओं को कैद से छुडाया । हमारे चित्त में भी नरकासुर है । उसका वध हो जाय तो हमारे लिए सदा के लिए दिवाली हो जायेगी । सात्त्विक वृत्तियों को, शुभ भावनाओं को कैद करनेवाला जो अहंकार है, उसका वध श्रीकृष्ण कर डालें अर्थात् श्रीकृष्ण-तत्त्व के ज्ञान-प्रकाश में अगर नरकासुर (अहंकार) मर जाय तो हमारे लिए दिवाली सदा-सदा के लिए होगी । शिवरात्रि, होली, जन्माष्टमी और नरक चतुर्दशी - इन चार महारात्रियों में मंत्रजप करने से शीघ्र सफलता मिलती है ।

♦️ *मुक्तिकारक मुहूर्त*
नरक चतुर्दशी (काली चौदस) ( 30 अक्टूबर) और दीपावली ( 1 नवंबर ) की रात जप-तप के लिए बहुत मुक्तिकारक मुहूर्त माना गया है । नरक चतुर्दशी की रात्रि में मंत्रजप करने से मंत्र सिद्ध होता है । यह रात्रि मंत्र-जापकों के लिए वरदानस्वरूप है । इस रात्रि में सरसों के तेल अथवा घी के दीये से काजल बनाना चाहिए । इस काजल को आँखों में आँजने से विशेष लाभ होता है । लक्ष्मीजी की प्रसन्नता के लिए काली चौदस की रात्रि में ‘श्रीं ह्रीं क्लीं एें कमलवासिन्यै स्वाहा। मंत्र का जप करने से लाभ होता है। परमात्मप्राप्ति की इच्छावाले को काली चौदस की रात्रि में श्रद्धा एवं तत्परता से ‘ॐ का, अपने गुरुमंत्र का अर्थसहित जप करना चाहिए ।(ऋषि प्रसाद : अक्टूबर २०१०)

Hindu Panchang Daily हिन्दू पंचांग 🚩

29 Oct, 17:38


*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*दिनांक - 30 अक्टूबर 2024*
*दिन - बुधवार*
*विक्रम संवत् - 2081*
*अयन - दक्षिणायन*
*ऋतु - हेमन्त*
*मास - कार्तिक*
*पक्ष - कृष्ण*
*तिथि -  त्रयोदशी दोपहर 01:15 तक तत्पश्चात चतुर्दशी*
*नक्षत्र - हस्त रात्रि 09:43 तक तत्पश्चात चित्रा*
*योग - वैधृति प्रातः 08:52 तक तत्पश्चात विष्कम्भ*
*राहु काल - दोपहर 12:23 से दोपहर 01:48 तक*
*सूर्योदय - 06:42*
*सूर्यास्त - 06:06*
*दिशा शूल - उत्तर दिशा में*
*ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:02 से 05:53 तक*
*अभिजीत मुहूर्त - कोई नहीं*
*निशिता मुहूर्त- रात्रि 11:58 अक्टूबर 30 से रात्रि 12:49 अक्टूबर 31 तक*
*व्रत पर्व विवरण - काली चौदस, नरक चतुर्दशी (रात्रि में मंत्र जप से मंत्रसिद्धि), हनुमान पूजा, मासिक शिवरात्रि, सर्वार्थ सिद्धि योग (प्रातः 06:44 से रात्रि 09:43 तक)*
*विशेष -  त्रयोदशी को बैंगन खाने से पुत्र का नाश होता है। चतुर्दशी के दिन स्त्री-सहवास और तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*🔹स्वास्थ्यबल, मनोबल व रोगप्रतिकारक बल बढ़ाने की कुंजी🔹*

*🔸प्रातःकाल ३ से ५ बजे के बीच प्राणशक्ति (जीवनी शक्ति) फेफड़ों में होती है । यह समय प्राणायाम द्वारा प्राणशक्ति, मनःशक्ति, बुद्धिशक्ति विकसित करने हेतु बेजोड़ है । इस समय प्राणायाम करना बहुत जरूरी है । सुबह ५ बजे के पहले प्राणायाम अवश्य हो जाने चाहिए । इससे कई गुना फायदा होगा । ४ से ५ बजे का समय जागरण, ध्यान, प्राणायाम करने के लिए सबसे उपयुक्त होता है अतः इसका लाभ लें ।*

*🔸इन्द्रियों का स्वामी मन है और मन का स्वामी प्राण है । प्राणायाम करने से प्राण तालबद्ध होते हैं । प्राण तालबद्ध होने से मन की दुष्टता और चंचलता नियंत्रित होती है ।*

*🔸प्रातः ४ से ५ के बीच ३ - ४ अनुलोम-विलोम प्राणायाम करें दायें नथुने से श्वास लिया, बायें से छोड़ा व बायें से लिया, दायें से छोड़ा । फिर आभ्यंतर बहिर्कुम्भक प्राणायाम करें ।*

*🔸विधि : गहरा श्वास लेकर उसे १०० सेकंड तक भीतर रोकें । फिर श्वास धीरे-धीरे बाहर छोड़ दें और स्वाभाविक २-४ श्वास लें । फिर पूरा श्वास बाहर निकालकर ७०-८० सेकंड तक बाहर ही रोके रखें । बाह्य व आभ्यंतर कुम्भक मिलाकर यह १ प्राणायाम हुआ । ऐसे कम से कम ३-५ प्राणायाम अवश्य करने चाहिए । (नये अभ्यासक इन कुम्भकों में समयावधि धीरे-धीरे बढ़ाते हुए दिये गये समय तक पहुँचे ।*

*बुद्धिशक्ति मेधाशक्तिवर्धक प्राणायाम भी करें। (विधि आश्रम के सेवाकेन्द्रों पर उपलब्ध पुस्तक 'दिव्य प्रेरणा प्रकाश' (पृष्ठ ३५) में ।*

Hindu Panchang Daily हिन्दू पंचांग 🚩

29 Oct, 02:23


*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*दिनांक - 29 अक्टूबर 2024*
*दिन - मंगलवार*
*विक्रम संवत् - 2081*
*अयन - दक्षिणायन*
*ऋतु - हेमन्त*
*मास - कार्तिक*
*पक्ष - कृष्ण*
*तिथि - द्वादशी प्रातः 10:31 तक तत्पश्चात त्रयोदशी*
*नक्षत्र - उत्तराफाल्गुनी शाम 06:34 तक तत्पश्चात हस्त*
*योग - इन्द्र प्रातः 07:48 तक तत्पश्चात वैधृति*
*राहु काल - दोपहर 03:13 से शाम 04:38 तक*
*सूर्योदय - 06:47*
*सूर्यास्त - 05:59*
*दिशा शूल - उत्तर दिशा में*
*ब्राह्ममुहूर्त -  प्रातः 05:02 से 05:52 तक*
*अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:00 से दोपहर 12:46 तक*
*निशिता मुहूर्त- रात्रि 11:58 अक्टूबर 29 से रात्रि 12:49 अक्टूबर 30 तक*
*व्रत पर्व विवरण - धनतेरस, धन्वन्तरि जयंती, आयुर्वेद दिवस, यम दीपम, यम पञ्चक प्रारम्भ, प्रदोष व्रत, त्रिपुष्कर योग (प्रातः 06:43 से प्रातः 10:31 तक)*
*विशेष - द्वादशी को पूतिका (पोई) व त्रयोदशी को बैंगन खाने से पुत्र का नाश होता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*🔹विद्यार्थियों की समस्याएँ एवं उनका समाधान 🔹*

*🔸स्मरणशक्ति की कमी, बौद्धिक मंदता, सुस्ती, चिड़चिड़ापन, एकाग्रता का अभाव अनिद्रा, मानसिक अवसाद (depression), आँखों की रोशनी कम होना, छोटी उम्र में चश्मा लगना, मोटापा, मधुमेह (diabetes), यकृत (liver) के रोग आदि तकलीफें वर्तमान में विद्यार्थियों में आम समस्या बनती जा रही हैं । महँगी महँगी दवाइयों और शरीर वर्षों-वर्षों के उपचार के बावजूद समस्याएँ निर्मूल नहीं होतीं । इनसे छुटकारा पाना है तो इनके कारणों को समझना होगा तभी इनका समाधान हो सकता है ।*

*🔹क्यों हो रहा है स्वास्थ्य, स्मृति व बौद्धिक क्षमता का ह्रास ?*

*🔸देर रात तक जागना, मोबाइल का अति उपयोग, इंटरनेट के व्यसन का रोग (internet addiction disorder), सूर्योदय के बाद तक सोते रहना, दिन में सोना, खेल-कूद व कसरत का अभाव जैसी अहितकर आदतें आज विद्यार्थियों की दिनचर्या में प्रायः देखने को मिलती हैं ।*

*🔸फास्ट फूड, मसालेदार व तली हुई चीजों, बेकरी के पदार्थों, मिठाइयों, नमकीन, चाय, कॉफी, चॉकलेट्स, सॉफ्ट ड्रिंक्स आदि स्वास्थ्य घातक पदार्थों के सेवन की आदत ने विद्यार्थियों को बुरी तरह जकड़ लिया है ।*

*🔸शरीर को पुष्ट, मन को प्रसन्न व ज्ञानतंतुओं को सक्रिय करनेवाले शुद्ध, सात्त्विक, ताजे भोजन की जगह अशुद्ध, तामसी, बासी, बाजारू पदार्थों का सेवन करने पर स्फूर्ति, बुद्धिमत्ता, निरोगता की अपेक्षा कैसे की जा सकती है ?*

*🔸विद्यार्थियों में बढ़ रही समस्याओं का एक बड़ा कारण है विद्यार्थियों का चारित्रिक, नैतिक पतन व संस्कारहीनता । आज हर विद्यार्थी के हाथ में स्मार्ट फोन रूपी एक ऐसा खतरनाक औजार है जो न केवल समय बरबाद करनेवाला (टाइम किलर) है बल्कि उनके स्वास्थ्य को, चरित्र को, जीवन को भी काट रहा है । चरित्रहीनता बढ़ानेवाले सीरियल्स, विज्ञापन, चलचित्रों और अश्लील वेबसाइटों, दृश्यों को देखकर कुकृत्यों में पड़ने से आज बाल व युवा पीढ़ी में निर्दोषता, निर्भीकता, निश्चिंतता, उद्यमीपन, साहस, धैर्य जैसे गुण क्षीण होने लगे हैं ।*

*🔸अतः बच्चों को इस दुर्दशा से बचाने के लिए उन्हें सुसंस्कारों का सिंचन करनेवाले सत्साहित्य, सत्संग का लाभ दिलाकर चरित्रवान, संस्कारी बनायें । बच्चे अनुकरणप्रिय होते हैं अतः जरूरी है कि पहले हम अपने जीवन को ऐसा बनायें ।*

Hindu Panchang Daily हिन्दू पंचांग 🚩

27 Oct, 18:20


*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*दिनांक - 28 अक्टूबर 2024*
*दिन - सोमवार*
*विक्रम संवत् - 2081*
*अयन - दक्षिणायन*
*ऋतु - हेमन्त*
*मास - कार्तिक*
*पक्ष - कृष्ण*
*तिथि - एकादशी प्रातः 07:50 तक तत्पश्चात द्वादशी*
*नक्षत्र - पूर्वाफाल्गुनी दोपहर 03:24 तक तत्पश्चात उत्तराफाल्गुनी*
*योग - ब्रह्म प्रातः 06:48 तक तत्पश्चात इन्द्र*
*राहु काल - प्रातः 08:08 से प्रातः 09:33 तक*
*सूर्योदय - 06:42*
*सूर्यास्त - 06:06*
*दिशा शूल - पूर्व दिशा में*
*ब्राह्ममुहूर्त -  प्रातः 05:01 से 05:52 तक*
*अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:01 से दोपहर 12:46 तक*
*निशिता मुहूर्त-  रात्रि 11:58 अक्टूबर 28 से रात्रि 12:49 अक्टूबर 29 तक*
* व्रत पर्व विवरण - गोवत्स द्वादशी, रमा एकादशी, ब्रह्मलीन मातुश्री श्री माँ महँगीबा जी का महानिर्वाण दिवस*
*विशेष - एकादशी को सिम्बी (सेम) तथा द्वादशी को पूतिका (पोई) खाने से पुत्र का नाश होता है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*


*🔹विद्यार्थियों की समस्याएँ एवं उनका समाधान*
*🔹स्मृति व बुद्धि शक्ति बढ़ाने के उपाय🔹*

*🔸 इंटरनेट पर अपना समय बरबाद न करें और जैविक घड़ी अनुसार अपनी दिनचर्या बनायें ।*

*🔸 भ्रामरी व अनुलोम-विलोम प्राणायाम, त्राटक, पूज्य बापूजी द्वारा बतायी गयी श्वासों को गिनने की साधना तथा पूज्यश्री से दीक्षा में प्राप्त सारस्वत्य मंत्र या भगवन्नाम का जप नियमितरूप से करें। ये एकाग्रता, स्मरणशक्ति बढ़ाने के अचूक साधन हैं ।*

*🔸 पढ़ाई करते समय कमर सीधी करके बैठें । कमर झुकाकर या लेट के न पढ़ें ।*

*🔸 पढ़ने से पहले जीभ को तालू में लगाकर थोड़ी देर शांत बैठें । इससे मन एकाग्र होता है और बुद्धिशक्ति बढ़ती है ।*

*🔸 जिन बच्चों को सिर में दर्द रहता है वे नाक में २-२ बूँद गुनगुना देशी गाय का शुद्ध घी डालें ।*

*🔸 देर रात तक पढ़ने से बुद्धि कमजोर होती है और याद भी देर से होता है । अतः रात को ९-१० बजे सो जायें और प्रातः ४-४.३० बजे उठ के पढ़ें ।*

*🔸 आसन, व्यायाम, सूर्यनमस्कार, पैदल भ्रमण रोज करें । सादा सात्त्विक भोजन करें ।*

*🔸 सुबह खाली पेट तुलसी के ५-७ पत्ते चबाकर ऊपर से १ गिलास गुनगुना पानी पियें (रविवार, द्वादशी, अमावस्या को छोड़कर) । तुलसी-सेवन व दूध में २ घंटे का अंतर रखें ।*

*🔸 सुबह १-१ चम्मच आँवला रस व शहद का मिश्रण लेने से स्मृतिशक्ति बढ़ती है ।*

*🔸 देशी गाय के दूध में १ चम्मच (५ ग्राम) देशी गाय का घी मिलाकर पीने से स्मृतिशक्ति व बुद्धि बढ़ती है । पेट साफ करने में भी यह मददरूप है ।*

*🔹स्मरणशक्ति बढ़ाने हेतु विशिष्ट औषधियाँ🔹*

*(१) सुवर्णप्राश : १ से २ गोली सुबह खाली पेट दूध या देशी गाय के घी से लें । यह बच्चों के बौद्धिक विकास के साथ मानसिक व शारीरिक विकास के लिए भी विशेष लाभदायी है ।*

*(२) शंखपुष्पी सिरप : १ से २ चम्मच सुबह-शाम लें । याददाश्त बढ़ाने हेतु यह एक दिव्य औषधि है ।*

*(३) ब्राह्मी घृत : एक चम्मच (५ ग्राम) घृत' : सुबह खाली पेट गरम पानी से लें । बाद में भूख लगने पर भोजन करें । यह दिमागी कमजोरी को दूर करके बुद्धि की मंदता एवं याददाश्त की कमजोरी में लाभदायी है ।*

Hindu Panchang Daily हिन्दू पंचांग 🚩

26 Oct, 13:56


Drik Panchang
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Hindu Panchang Daily हिन्दू पंचांग 🚩

26 Oct, 13:56


नमस्कार सभी को (जरूरी सूचना) ‼️‼️‼️
चैनल में जो पंचांग आता है उसमें जो सूर्योदय का समय और जो तिथि का समय होता है वह गुजरात के हिसाब से होता है,

तो अगर आप अपने यहां का समय जानना चाहते हैं तो इसके लिए आपको ड्रिक पंचांग एप्लीकेशन है उसको इंस्टॉल करें

और उसमें शुरू में ही आपका लोकेशन पूछता है तो वहां पर लोकेशन डालिए आपका जिस जगह रहते हैं आप जिस स्टेट और जिस जिले में रहते हैं वहां का डालिए तो उसमें आप अपने यहां के लोकेशन को देख सकते हैं और तिथि का समय भी देख सकते हैं


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कई लोग का मुझे मैसेज आता है कि यह टाइम जो है आप देते हैं वह गलत होता है जैसे कि सूर्योदय का समय और तिथि का समय तो कहते हैं कि वह टाइम डिफरेंट होता है तो यह गुजरात के हिसाब से टाइम होता है इसके लिए आप लोग से निवेदन है कि वह ड्रिक पंचांग ऐप डाउनलोड करिए इंस्टॉल करिए उसमें अपना लोकेशन डालिए और अपने हिसाब से अपने यहां की चीज अपने यहां के टाइम के हिसाब से सब कुछ जानकारी मिल जाएगी ।


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धन्यवाद 🙏

Hindu Panchang Daily हिन्दू पंचांग 🚩

26 Oct, 13:39


*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*दिनांक - 27 अक्टूबर 2024*
*दिन - रविवार*
*विक्रम संवत् - 2081*
*अयन - दक्षिणायन*
*ऋतु - हेमन्त*
*मास - कार्तिक*
*पक्ष - कृष्ण*
*तिथि - एकादशी पूर्ण रात्रि तक*
*नक्षत्र - मघा दोपहर 12:24 तक तत्पश्चात पूर्वाफाल्गुनी*
*योग - ब्रह्म पूर्ण रात्रि तक*
*राहु काल - शाम 04:39 से शाम 06:05 तक*
*सूर्योदय - 06:42*
*सूर्यास्त - 06:05*
*दिशा शूल - पश्चिम दिशा में*
*ब्राह्ममुहूर्त -  प्रातः 05:01 से 05:52 तक*
*अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:01 से दोपहर 12:46 तक*
*निशिता मुहूर्त- रात्रि 11:58 अक्टूबर 27 से रात्रि 12:49 अक्टूबर 28 तक*
*विशेष - एकादशी को सिम्बी (सेम) खाने से पुत्र का नाश होता है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*🔹एकादशी में क्या करें, क्या न करें ?🔹*

*🔸1. एकादशी को लकड़ी का दातुन तथा पेस्ट का उपयोग न करें । नींबू, जामुन या आम के पत्ते लेकर चबा लें और उँगली से कंठ शुद्ध कर लें । वृक्ष से पत्ता तोड़ना भी वर्जित है, अत: स्वयं गिरे हुए पत्ते का सेवन करें ।*

*🔸2. स्नानादि कर के गीता पाठ करें, श्री विष्णुसहस्रनाम का पाठ करें ।*

*हर एकादशी को श्री विष्णुसहस्रनाम का पाठ करने से घर में सुख-शांति बनी रहती है ।*

*राम रामेति रामेति रमे रामे मनोरमे ।*
*सहस्रनाम तत्तुल्यं रामनाम वरानने ।।*

*एकादशी के दिन इस मंत्र के पाठ से श्री विष्णुसहस्रनाम के जप के समान पुण्य प्राप्त होता है l*

*🔸3. `ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ इस द्वादश अक्षर मंत्र अथवा गुरुमंत्र का जप करना चाहिए ।*

*🔸4. चोर, पाखण्डी और दुराचारी मनुष्य से बात नहीं करना चाहिए, यथा संभव मौन रहें ।*

*🔸5. एकादशी के दिन भूल कर भी चावल नहीं खाना चाहिए न ही किसी को खिलाना चाहिए । इस दिन फलाहार अथवा घर में निकाला हुआ फल का रस अथवा दूध या जल पर रहना लाभदायक है ।*

*🔸6. व्रत के (दशमी, एकादशी और द्वादशी) - इन तीन दिनों में काँसे के बर्तन, मांस, प्याज, लहसुन, मसूर, उड़द, चने, कोदो (एक प्रकार का धान), शाक, शहद, तेल और अत्यम्बुपान (अधिक जल का सेवन) - इनका सेवन न करें ।*

*🔸7. फलाहारी को गोभी, गाजर, शलजम, पालक, कुलफा का साग इत्यादि सेवन नहीं करना चाहिए । आम, अंगूर, केला, बादाम, पिस्ता इत्यादि अमृत फलों का सेवन करना चाहिए ।*

*🔸8. जुआ, निद्रा, पान, परायी निन्दा, चुगली, चोरी, हिंसा, मैथुन, क्रोध तथा झूठ, कपटादि अन्य कुकर्मों से नितान्त दूर रहना चाहिए ।*

*🔸9. भूलवश किसी निन्दक से बात हो जाय तो इस दोष को दूर करने के लिए भगवान सूर्य के दर्शन तथा धूप-दीप से श्रीहरि की पूजा कर क्षमा माँग लेनी चाहिए ।*

*🔸10. एकादशी के दिन घर में झाडू नहीं लगायें । इससे चींटी आदि सूक्ष्म जीवों की मृत्यु का भय रहता है ।*

*🔸11. इस दिन बाल नहीं कटायें ।*

*🔸12. इस दिन यथाशक्ति अन्नदान करें किन्तु स्वयं किसीका दिया हुआ अन्न कदापि ग्रहण न करें ।*

*🔸13. एकादशी की रात में भगवान विष्णु के आगे जागरण करना चाहिए (जागरण रात्र 1 बजे तक) ।*

*🔸14. जो श्रीहरि के समीप जागरण करते समय रात में दीपक जलाता है, उसका पुण्य सौ कल्पों में भी नष्ट नहीं होता है ।*

*🔹 इस विधि से व्रत करनेवाला उत्तम फल को प्राप्त करता है ।*

Hindu Panchang Daily हिन्दू पंचांग 🚩

25 Oct, 14:34


*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*दिनांक - 26 अक्टूबर 2024*
*दिन - शनिवार*
*विक्रम संवत् - 2081*
*अयन - दक्षिणायन*
*ऋतु - हेमन्त*
*मास - कार्तिक*
*पक्ष - कृष्ण*
*तिथि - दशमी प्रातः 05:27 अक्टूबर 27 तक तत्पश्चात एकादशी*
*नक्षत्र - अश्लेशा प्रातः 09:46 तक तत्पश्चात मघा*
*योग - शुक्ल प्रातः 05:58 अक्टूबर 27 तक तत्पश्चात ब्रह्म*
*राहु काल - प्रातः 09:32 से प्रातः 10:58 तक*
*सूर्योदय - 06:42*
*सूर्यास्त - 06:06*
*दिशा शूल - पूर्व दिशा में*
*ब्राह्ममुहूर्त -  प्रातः 05:00 से 05:51 तक*
*अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:01 से दोपहर 12:46 तक*
*निशिता मुहूर्त- रात्रि 11:58 अक्टूबर 26 से रात्रि 12:49 अक्टूबर 27 तक*
*विशेष - दशमी को कलंबी शाक त्याज्य है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*🔹कोई गुस्सैल अशांत हो तो...🔹*

*🔸 जिस पत्नी का पति झगडालू हो, गुस्सेबाज हो, चिडचिडा हो अथवा जरा-जरा बात में कोई भी भड़क जाता हो, भड्कू हो तो पूनम की रात खीर बनाओ । पूनम के चंद्रमा के किरण उसमे पड़े, नेट से, जाली से या मलमल के कपडे से ढंक दो । बीच-बीच में चांदी का चम्मच, चांदी की कटोरी हो तो अच्छा है खीर हिलाओ और वो चंद्रमा की किरणों वाली खीर पति को खिलाओ । कितना भी झगड़ेबाज, गुस्सेबाज, अशांत व्यक्ति शांत हो जायेगा, झगड़े शांत हो जायेगे ।*
*-Pujya Bapuji Junagarh 26th Aug’ 2012*

*🔹कार्तिक मास महिमा🔹*

*🔸 महाभारत अनुशासन पर्व अध्याय 106 के अनुसार जो मनुष्य कार्तिक मास में एक समय भोजन करता है, वह शूरवीर, कीर्तिमान होता है ।*

*🔸 महाभारत अनुशासन पर्व अध्याय 66 के अनुसार, जो कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष में अन्न का दान करता है, वह दुर्गम संकट से पार हो जाता है और मरकर अक्षय सुख का भागी होता है ।*

*🔸 भगवान श्री कृष्ण को वनस्पतियों में तुलसी, पुण्य क्षेत्रों में द्वारिकापुरी, तिथियों में एकादशी और महिनों में कार्तिक विशेष प्रिय है । इसलिए कार्तिक मास को अत्यंत पवित्र और पुण्यदायक माना गया है ।*

*🔸 कार्तिक मास में अपने गुरुदेव का सुमिरन करते हुए  जो "ॐ नमो नारायणाय" का जप करता है, उसे बहुत पुण्य होता है ।*

*🔸स्कंद पुराण में लिखा है : ‘कार्तिक मास के समान कोई और मास नहीं हैं, सत्ययुग के समान कोई युग नहीं है, वेदों के समान कोई शास्त्र नहीं है और गंगाजी के समान दूसरा कोई तीर्थ नहीं है ।' – ( वैष्णव खण्ड, का.मा. : १.३६-३७)*

*🔹कार्तिक मास में वर्जित🔹*

*ब्रह्माजी ने नारदजी को कहा : ‘कार्तिक मास में चावल, दालें, गाजर, बैंगन, लौकी और बासी अन्न नहीं खाना चाहिए । जिन फलों में बहुत सारे बीज हों उनका भी त्याग करना चाहिए और संसार – व्यवहार न करें ।*’
*- 📖 ऋषि प्रसाद अक्टूबर 2015*

Hindu Panchang Daily हिन्दू पंचांग 🚩

24 Oct, 13:09


*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*दिनांक - 25 अक्टूबर 2024*
*दिन - शुक्रवार*
*विक्रम संवत् - 2081*
*अयन - दक्षिणायन*
*ऋतु - हेमन्त*
*मास - कार्तिक*
*पक्ष - कृष्ण*
*तिथि - नवमी रात्रि 03:22 अक्टूबर 26 तक तत्पश्चात दशमी*
*नक्षत्र - पुष्य प्रातः 07:40 तक तत्पश्चात अश्लेशा*
*योग - शुभ प्रातः 05:27 अक्टूबर 26 तक तत्पश्चात शुक्ल*
*राहु काल - प्रातः 10:58 से दोपहर 12:23 तक*
*सूर्योदय - 06:42*
*सूर्यास्त - 06:06*
*दिशा शूल - पश्चिम दिशा में*
*ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:00 से 05:51 तक*
*अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:01 से दोपहर 12:46 तक*
*निशिता मुहूर्त - रात्रि 11:59 अक्टूबर 25 से रात्रि 12:49 अक्टूबर 26 तक*
*विशेष - नवमी को लौकी खाना गौमाँस के सामान त्याज्य है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*🌹कार्तिक मास की महिमा एवं नियम पालन🌹*

*🌹 सूतजी ने महर्षियों से कहाः पापनाशक कार्तिक मास का बहुत ही दिव्य प्रभाव बतलाया गया है । यह मास भगवान विष्णु को सदा ही प्रिय तथा भोग और मोक्षरूपी फल प्रदान करने वाला है ।*
*हरिजागरणं प्रातः स्नानं तुलसिसेवनम्।*
*उद्यापनं दीपदानं व्रतान्येतानि कार्तिके।।*

*🌹 ‘रात्रि में भगवान विष्णु के समीप जागरण, प्रातःकाल स्नान करना, तुलसी के सेवा में संलग्न रहना, उद्यापन करना और दीप दान देना – ये कार्तिक मास के पाँच नियम हैं।’ -(पद्म पुराण, उ.खंडः 117.3)*

*🌹 इन पाँचों नियमों का पालन करने से कार्तिक मास का व्रत करने वाला पुरुष व्रत के पूर्ण फल का भागी होता है। वह फल भोग और मोक्ष प्रदान करने वाला बताया गया है ।*

*🌹 मुनिश्रेष्ठ शौनकजी ! पूर्वकाल में कार्तिकेयजी के पूछने पर महादेवजी ने कार्तिक व्रत और उसके माहात्म्य का वर्णन किया था, उसे आप सुनिये ।*

*🌹 महादेव जी ने कहा : बेटा कार्तिकेय ! कार्तिक मास में प्रातः स्नान पापनाशक है । इस मास में जो मनुष्य दूसरे के अन्न का त्याग कर देता है, वह प्रतिदिन कृच्छ्रव्रत का फल प्राप्त करता है ।*
*कृच्छ्रव्रत (इसमें पहले दिन निराहार रहकर दूसरे दिन पंचगव्य पीकर उपवास किया जाता है ।)*

*🌹 कार्तिक में शहद के सेवन, काँसे के बर्तन में भोजन और मैथुन का विशेषरूप से परित्याग करना चाहिए ।*

*🌹 चन्द्रमा और सूर्य के ग्रहणकाल में ब्राह्मणों को पृथ्वीदान करने से जिस फल की प्राप्ति होती है, वह फल कार्तिक में भूमि पर शयन करने वाले पुरुष को स्वतः प्राप्त हो जाता है ।*

*🌹 कार्तिक मास में ब्राह्मण दम्पत्ति को भोजन कराकर उनका पूजन करें । अपनी क्षमता के अनुसार कम्बल, ओढ़ना-बिछौना एवं नाना प्रकार के रत्न व वस्त्रों का दान करें । जूते और छाते का भी दान करने का विधान है ।*

*🌹 कार्तिक मास में जो मनुष्य प्रतिदिन पत्तल में भोजन करता है, वह 14 इन्द्रों की आयुपर्यन्त कभी दुर्गति में नहीं पड़ता । उसे समस्त तीर्थों का फल प्राप्त हो जाता है तथा उसकी सम्पूर्ण कामनाएँ पूर्ण हो जाती हैं । (-पद्म पुराण, उ.खंडः अध्याय 120)*

*🌹 कार्तिक में तिल दान, नदी स्नान, सदा साधु पुरुषों का सेवन और पलाश-पत्र से बनी पत्तल में भोजन मोक्ष देने वाला है । कार्तिक मास में मौनव्रत का पालन, पलाश के पत्तों में भोजन, तिलमिश्रित जल से स्नान, निरंतर क्षमा का आश्रय और पृथ्वी पर शयन – इन नियमों का पालन करने वाला पुरुष युग युग के संचित पापों का नाश कर डालता है ।*

*🌹 संसार में विशेषतः कलियुग में वे ही मनुष्य धन्य हैं, जो सदा पितरों के उद्धार के लिए भगवान श्री हरि का सेवन करते हैं । वे हरिभजन के प्रभाव से अपने पितरों का नरक से उद्धार कर देते हैं । यदि पितरों के उद्देश्य से दूध आदि के द्वारा भगवान विष्णु को स्नान कराया जाय तो पितर स्वर्ग में पहुँचकर कोटि कल्पों तक देवताओं के साथ निवास करते हैं ।*

*🌹 जो मुख में, मस्तक पर तथा शरीर पर भगवान की प्रसादभूता तुलसी को प्रसन्नतापूर्वक धारण करता है, उसे कलियुग नहीं छूता ।*

*🌹 कार्तिक मास में तुलसी का पूजन महान पुण्यदायी है । प्रयाग में स्नान करने से, काशी में मृत्यु होने से और वेदों का स्वाध्याय करने से जो फल प्राप्त होता है, वह सब तुलसी के पूजन से मिल जाता है ।*

*🌹 जो द्वादशी को तुलसी दल व कार्तिक में आँवले का पत्ता तोड़ता है, वह अत्यन्त निंदित नरकों में पड़ता है। जो कार्तिक में आँवले की छाया में बैठकर भोजन करता है, उसका वर्ष भर का अन्न-संसर्गजनित दोष (जूठा या अशुद्ध भोजन करने से लगने वाला दोष) नष्ट हो जाता है ।*

*🌹 कार्तिक मास में दीपदान का विशेष महत्त्व है । ‘पुष्कर पुराण’ में आता हैः*
*'जो मनुष्य कार्तिक मास में संध्या के समय भगवान श्रीहरि के नाम से तिल के तेल का दीप जलाता है, वह अतुल लक्ष्मी, रूप, सौभाग्य एवं सम्पत्ति को प्राप्त करता है ।’*

Hindu Panchang Daily हिन्दू पंचांग 🚩

23 Oct, 18:54


*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*दिनांक - 24 अक्टूबर 2024*
*दिन - गुरुवार*
*विक्रम संवत् - 2081*
*अयन - दक्षिणायन*
*ऋतु - हेमन्त*
*मास - कार्तिक*
*पक्ष - कृष्ण*
*तिथि - अष्टमी रात्रि 01:58 अक्टूबर 25 तक तत्पश्चात नवमी*
*नक्षत्र - पुष्य पूर्ण रात्रि तक*
*योग - साध्य प्रातः 05:23 अक्टूबर 25 तक तत्पश्चात शुभ*
*राहु काल - दोपहर 01:49 से 03:15 तक*
*सूर्योदय - 06:42*
*सूर्यास्त - 06:06*
*दिशा शूल - दक्षिण दिशा में*
*ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:00 से 05:50 तक*
*अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:01 से दोपहर 12:46 तक*
*निशिता मुहूर्त - रात्रि 11:59 अक्टूबर 24 से रात्रि 12:49 अक्टूबर 25 तक*
*व्रत पर्व विवरण - अहोई अष्टमी, राधा कुण्ड स्नान, कालाष्टमी, गुरु पुष्य अमृत योग (अहोरात्रि), सर्वार्थ सिद्धि योग (अहोरात्रि), अमृत सिद्धि योग (अहोरात्रि)*
*विशेष - अष्टमी को नारियल का फल खाने से बुद्धि का नाश होता है। इस दिन स्त्री-सहवास और तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*🔹कार्तिक मास में विशेष पुण्यदायी 🔹*

*🔸प्रात: स्नान, दान, जप, व्रत, मौन, देव – दर्शन, गुरु – दर्शन, पूजन का अमिट पुण्य होता है । सवेरे तुलसी का दर्शन भी समस्त पापनाशक है । भूमि पर शयन, ब्रह्मचर्य का पालन, दीपदान, तुलसीबन अथवा तुलसी के पौधे लगाना हितकारी है ।*

*🔸भगवदगीता का पाठ करना तथा उसके अर्थ में अपने मन को लगाना चाहिए । ब्रह्माजी नारदजी को कहते हैं कि ‘ऐसे व्यक्ति के पुण्यों का वर्णन महिनों तक भी नहीं किया जा सकता ।’*

*🔸श्रीविष्णुसहस्त्रनाम का पाठ करना भी विशेष लाभदायी है । 'ॐ नमो नारायणाय '। इस महामंत्र का जो जितना अधिक जप करें, उसका उतना अधिक मंगल होता है । कम – से – कम १०८ बार तो जप करना ही चाहिए ।*

*🔸 प्रात: उठकर करदर्शन करें । ‘पुरुषार्थ से लक्ष्मी, यश, सफलता तो मिलती है पर परम पुरुषार्थ मेरे नारायण की प्राप्ति में सहायक हो’ – इस भावना से हाथ देखें तो कार्तिक मास में विशेष पुण्यदायी होता है ।*

*🔹सूर्योदय के पूर्व स्नान अवश्य करें🔹*

*🔸जो कार्तिक मास में सूर्योदय के बाद स्नान करता है वह अपने पुण्य क्षय करता है और जो सूर्योदय के पहले स्नान करता है वह अपने रोग और पापों को नष्ट करनेवाला हो जाता है । पूरे कार्तिक मास के स्नान से पापशमन होता है तथा प्रभुप्रीति और सुख – दुःख व अनुकूलता – प्रतिकूलता में सम रहने के सदगुण विकसित होते हैं ।*

*🔹पथरी व पेशाब संबंधी तकलीफों में...🔹*

*🔸कइयों का पेशाब आना बंद हो जाता है अथवा ठीक से नहीं आता तो डॉक्टर नली डाल देते हैं, थैली लटका देते हैं, उसमें पेशाब बूँद-बूँद गिरता रहता है और लोग बीमार बने रहते हैं । ऐसा करवाने की कोई जरूरत नहीं है । पेशाब संबंधी तकलीफें हों, पथरी की बीमारी हो, गुर्दे (kidney) की सूजन हो तो सरल-सीधे उपाय हैं :*

*🔸(१) मकई के भुट्टे में जो रेशम जैसे बाल होते हैं वे बाल और दाने निकालकर टुकड़े किये हुए भुट्टे सुखा दो । उनको जलाकर राख बना दो और कपड़े से छान के रख लो । १-१ ग्राम राख सुबह-शाम पानी से फाँको । पथरी की बीमारी में फायदा, पेशाब की कमी या और कुछ गड़बड़ है तो उन सबमें फायदा हो जायेगा ।*

*🔸(२) इष्टमंत्र या गुरुमंत्र का जप करो और मकई के भुट्टे के ५० ग्राम बालों को मसलकर २ लीटर पानी में धीमी आँच पर उबालो । १ लीटर पानी बच जाय फिर उसको छान लो । उस पानी को थोड़ा-थोड़ा करके दिनभर में पी लो । इससे गुर्दों की सूक्ष्म कोशिकाओं की शुद्धि होकर गुर्दों की सूजन, गुर्दों की अकर्मण्यता (kidney failure), पथरी, पेशाब में बार-बार होनेवाला संक्रमण आदि विकारों में चमत्कारिक लाभ होता । काहे को डायलिसिस कराना, काहे को गुर्दे है । (किडनियाँ) बदलवाना !*

Hindu Panchang Daily हिन्दू पंचांग 🚩

22 Oct, 01:33


*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*दिनांक - 22 अक्टूबर 2024*
*दिन - मंगलवार*
*विक्रम संवत् - 2081*
*अयन - दक्षिणायन*
*ऋतु - शरद*
*मास - कार्तिक*
*पक्ष - कृष्ण*
*तिथि - षष्ठी रात्रि 01:28 अक्टूबर 23 तक तत्पश्चात सप्तमी*
*नक्षत्र - आर्द्रा प्रातः 05:38 अक्टूबर 23 तक तत्पश्चात पुनर्वसु*
*योग - परिघ प्रातः 08:46 तक, तत्पश्चात शिव*
*राहु काल - दोपहर 03:16 से शाम 04:42 तक*
*सूर्योदय - 06:40*
*सूर्यास्त - 06:08*
*दिशा शूल - उत्तर दिशा में*
*ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:59 से 05:50 तक*
*अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:01 से दोपहर 12:47 तक*
*निशिता मुहूर्त-  रात्रि 11:59 अक्टूबर 22 से रात्रि 12:49 अक्टूबर 23 तक*
* व्रत पर्व विवरण - त्रिपुष्कर योग*
*विशेष - षष्ठी को नीम की पत्ती, फल या दातुन मुँह में डालने से नीच योनियों की प्राप्ति होती है।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*🔹स्वस्थ व मजबूत दाँतों के लिए क्या करें ?🔹*

*१] दाँतों की सफाई के लिए दातुन या आयुर्वेदिक मंजन का उपयोग करें | मंजन मध्यमा (सबसे बड़ी) ऊँगली से करें ।*

*२] हफ्ते या १५ दिन में एक दिन सरसों के तेल में नमक मिला के ऊँगली से दाँतों व मसूड़ों की अच्छी तरह मालिश करें ।*

*३] शौच के समय दाँतों को अच्छी तरह भींचकर बैठने से दाँत स्वस्थ रहते हैं ।*

*४] सोने से पहले व भोजन के बाद दाँतों को अच्छे-से साफ करना चाहिए ।*

*🔹क्या न करें ?🔹*

*१] तर्जनी ऊँगली (अँगूठे के पासवाली पहली ऊँगली) से मंजन कभी नही करना चाहिए, इससे दाँत कमजोर होते हैं ।*

*२] बहुत ठंडे या बहुत गर्म पदार्थों का सेवन न करें, यह दाँतों को हानि पहुँचाता है ।*

*३] गुटखा, तम्बाकू, चॅाकलेट्स, खट्टे पदार्थ आदि के सेवन व पान चबाने से दाँतों को हानि पहुँचती है ।*

*४] सुई अथवा अन्य नुकीली या धारदार वस्तु दाँतों के बीच कभी नहीं घुसानी चाहिए ।*

*🔹आश्रम व समिति के सेवाकेन्द्रों पर उपलब्ध ' दंतमंजन, दंत सुरक्षा टूथपेस्ट एवं दंत सुरक्षा तेल' दाँतों को स्वस्थ, सफेद व मजबूत रखते हैं । दाँतों के दर्द, मसूड़ों से होनेवाले रक्तस्राव, मुँह की दुर्गंध व मैल को दूर करते हैं ।*
*- 📖 ऋषि प्रसाद – सितम्बर २०१८ से*

Hindu Panchang Daily हिन्दू पंचांग 🚩

20 Oct, 18:52


*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*⛅️दिनांक - 21 अक्टूबर 2024*
*⛅️दिन - सोमवार*
*⛅️विक्रम संवत् - 2081*
*⛅️अयन - दक्षिणायन*
*⛅️ऋतु - शरद*
*⛅️मास - कार्तिक*
*⛅️पक्ष - कृष्ण*
*⛅️तिथि - पंचमी रात्रि 02:29 अक्टूबर 22 तक तत्पश्चात षष्ठी*
*⛅️नक्षत्र - रोहिणी प्रातः 06:50 तक तत्पश्चात मृगशिरा*
*⛅️योग - वरीयान् प्रातः 11:11 तक, तत्पश्चात परिघ*
*⛅️राहु काल - प्रातः 08:05 से प्रातः 09:32 तक*
*⛅️सूर्योदय - 06:39*
*⛅️सूर्यास्त - 06:09*
*⛅️दिशा शूल - पूर्व दिशा में*
*⛅️ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:59 से 05:49 तक*
*⛅️अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:01 से दोपहर 12:47 तक*
*⛅️निशिता मुहूर्त-  रात्रि 11:59 अक्टूबर 21 से रात्रि 12:49 अक्टूबर 22 तक*
*⛅️ व्रत पर्व विवरण - सर्वार्थ सिद्धि योग व अमृत सिद्धि योग (प्रातः 06:39 से प्रातः 05:51 अक्टूबर 22 तक)*
*⛅️विशेष - पंचमी को बेल खाने से कलंक लगता है।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*🔹नेत्रज्योति घटने व असमय चश्मा लगने के कारण*

*🔸बहुत ज्यादा व कम रोशनी में पढ़ने से, टी.वी., मोबाइल, लेपटॉप, कम्प्यूटर आदि के ज्यादा उपयोग से, रात्रि-जागरण, सुबह देर तक सोने से व दिन में सोने से, रात में स्नान करने से, धूल-धुएँ के आँखों में लगने से, नंगे सिर तेज धूप में बैठने या घूमने से, सूर्य को देखने से, नंगे पैर घूमने से, अंकुरित अनाज, दही, चाय-कॉफी, विरुद्ध आहार, फास्ट फूड आदि बाजारू चीजों तथा अधिक नमक, मसाले, खटाई वाले और तले हुए पदार्थों के सेवन से, रात को देरी से भोजन करने से तथा बिना प्यास के भी अधिक मात्रा में पानी पीने से आँखों की रोशनी कम होती है तथा असमय चश्मा लगाना पड़ता है ।*

*🔸आँखों को नुकसान पहुँचानेवाले उपरोक्त कारणों से बचें तथा नीचे दिये गये उपायों का अवलम्बन लें तो आपकी नेत्रज्योति सुरक्षित रहेगी और कम है तो बढ़ेगी ।*

*🔹नेत्रज्योति की सुरक्षा व वृद्धि के लिए🔹*

*🔸 सूर्योदय के समय हरी घास पर नंगे पैर चलें ।*

*🔸 हररोज प्रातः-सायं एक-एक मिनट तक पलकों को तेजी से खोलने तथा बंद करने का अभ्यास करें ।*

*🔸 नेत्रों की पलकों पर हाथ की उँगलियों को नाक से कान की दिशा में ले जाते हुए हलकी हलकी मालिश करें । पलकों से उँगलियाँ हटाते ही पलकें खोल दें और फिर पलकों पर उँगलियाँ लाते समय पलकों को बंद कर दें । यह प्रक्रिया आँखों की नस-नाड़ियों का तनाव दूर करने में सक्षम है ।*

*🔸पढ़ते समय रोशनी ठीक हो । आँखों और किताब के बीच कम-से-कम १२ इंच दूरी रखनी चाहिए ।*

*🔸 कम्प्यूटर, लेपटॉप आदि के उपयोग के दौरान हर २० मिनट में आँखों को विश्राम अवश्य दें । १-२ मिनट के लिए स्क्रीन से आँखें हटा दें । सम्भव हो तो आकाश की ओर या हरी घास, पेड़-पौधों आदि को निहारें ।*

*🔸 भोजन के बाद हथेलियों को रगड़कर कुछ सेकंड तक आँखों पर रखें ।*

*🔸 दिन में आधा गिलास पानी में आधा चम्मच (२ से ३ ग्राम) त्रिफला चूर्ण भिगोकर रखें । ४-५ घंटे बाद ३-४ परत किये हुए सूती कपड़े से छान लें । उस पानी को एक छोटे कप (Eye wash cup ) में लेकर आँख को उसमें १-२ मिनट तक मिचकायें, ऐसे ही दूसरी आँख से करें ।*

*🔸 आँवला-भृंगराज, नारियल, तिल आदि में से किसी तेल से सिर की मालिश करें । नाक में देशी गाय के घी की २-२ बूँद डालें ।*

*🔸रात को पैर के तलवों की घी से मालिश करना लाभदायी है । रात्रि को सोते समय शयनकक्ष में बिल्कुल अंधेरा हो ।*

*🔹आँखों के लिए लाभदायी आहार🔹*

*🔸गाय का दूध, घी, शुद्ध शहद, आँवला, मीठे अंगूर, केला, संतरा, पालक, गाजर, बथुआ, बादाम, जौ, मूँग, ककोड़ा, धनिया, सौंफ, पुनर्नवा, शतावरी, त्रिफला, गोमूत्र आदि ।*

*🔹नेत्रज्योति बढ़ाने व चश्मा छुड़ानेवाले औषधीय प्रयोग*

*🔸 नेत्रज्योतिवर्धक, दृष्टिप्रद त्रिफला रसायन का विधिवत् प्रयोग करें । १-१ बूँद संतकृपा नेत्रबिंदु आँखों में डालें । सर्दियों में सुबह खाली पेट आधा से १ चम्मच मामरा बादाम के मिश्रण का सेवन करें, बाद में २ घंटे तक कुछ न खायें ।*

*🔸 २-३ माह तक प्रातः खाली पेट गाय के दूध से बने आधा चम्मच ताजा मक्खन, आधा चम्मच पिसी हुई मिश्री व १ काली मिर्च का चूर्ण मिलाकर चाटें । इसके बाद कच्चे नारियल की गिरी के २-३ टुकड़े खूब चबा-चबाकर खायें, ऊपर से थोड़ी सौंफ चबा के खा लें । बाद में दो घंटे तक कुछ न खायें । यह आँखों की रोशनी बढ़ाने के साथ ही शरीर को पुष्ट और सुडौल बनानेवाला एक अनुभूत उत्तम प्रयोग है ।*
*- 📖 ऋषि प्रसाद, अक्टूबर 2022*

Hindu Panchang Daily हिन्दू पंचांग 🚩

19 Oct, 13:38


*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*दिनांक - 20 अक्टूबर 2024*
*दिन - रविवार*
*विक्रम संवत् - 2081*
*अयन - दक्षिणायन*
*ऋतु - शरद*
*मास - कार्तिक*
*पक्ष - कृष्ण*
*तिथि - तृतीया प्रातः 06:46 अक्टूबर 20 तक तत्पश्चात चतुर्थी प्रातः 04:16 अक्टूबर 21 तक तत्पश्चात पंचमी*
*नक्षत्र - कृत्तिका प्रातः 08:31 तक तत्पश्चात रोहिणी*
*योग - व्यतीपात दोपहर 02:12 तक, तत्पश्चात वरीयान्*
*राहु काल - शाम 04:43 से शाम 06:10 तक*
*सूर्योदय - 06:39*
*सूर्यास्त - 06:10*
*दिशा शूल - पश्चिम दिशा में*
*ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:59 से 05:49 तक*
*अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:01 से दोपहर 12:47 तक*
*निशिता मुहूर्त- रात्रि 11:59 अक्टूबर 20 से रात्रि 12:49 अक्टूबर 21 तक*
* व्रत पर्व विवरण - करवा चौथ, अट्ल तद्दी, रोहिणी व्रत, वक्रतुण्ड संकष्टी चतुर्थी*
*विशेष - चतुर्थी को मूली खाने से धन का नाश होता है।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*🌹 करवा चौथ - 20 अक्टूबर 2024 🌹*

*🌹 कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को करवा चौथ का पर्व मनाया जाता है । करवा चौथ के दिन सुहागिन महिला पति की लंबी उम्र के लिए पूरे दिन निर्जला व्रत रखती हैं । अपने व्रत को चन्द्रमा के दर्शन और उनको अर्घ्य अर्पण करने के बाद ही तोड़ती हैं ।*

*🔹स्वास्थ्य-कल्याण की बातें🔹*

*🔹त्रिदोष - शमन के लिए🔹*

*वमनं कफनाशाय वातनाशाय मर्दनम् । शयनं पित्तनाशाय ज्वरनाशाय लंघनम् ॥*

*'कफनाश करने के लिए वमन (उलटी), वातनाश के लिए मर्दन (मालिश), पित्तनाश हेतु शयन तथा ज्वरनाश के लिए लंघन (उपवास) करना चाहिए ।'*

*🔹तो वैद्य की आवश्यकता ही क्यों ?🔹*

*दिनान्ते च पिबेद् दुग्धं निशान्ते च जलं पिबेत् । भोजनान्ते पिबेत् तक्रं वैद्यस्य किं प्रयोजनम् ॥*

*'दिन के अंतिम भाग में अर्थात् रात्रि को शयन से १ घंटा पूर्व दूध, प्रातःकाल उठकर जल (लगभग २५० मि.ली. गुनगुना) और भोजन के बाद तक्र (मट्ठा) पियें तो जीवन में वैद्य की आवश्यकता ही क्यों पड़े ?'*

*🔹बिना औषधि के रोग दूर🔹*

*विनापि भेषजं व्याधिः पथ्यादेव निवर्तते ।*
*न तु पथ्यविहीनोऽयं भेषजानां शतैरपि ॥*

*पथ्य-सेवन से व्याधि बिना औषधि के भी नष्ट हो जाती है परंतु जो पथ्य सेवन नहीं करता, यथायोग्य आहार-विहार नहीं रखता, वह चाहे सैकड़ों औषधियाँ ले ले फिर भी उसका रोग दूर नहीं होता ।*

*🔹दीर्घायु के लिए...🔹*

*वामशायी द्विभुञ्जानो षण्मूत्री द्विपुरीषकः । स्वल्पमैथुनकारी च शतं वर्षाणि जीवति ॥*

*'बायीं करवट सोनेवाला, दिन में दो बार भोजन करनेवाला, कम-से-कम छः बार लघुशंका व दो बार शौच जानेवाला, (वंशवृद्धि के उद्देश्य से) स्वल्प-मैथुनकारी व्यक्ति सौ वर्ष तक जीता है ।'*

*🔹हरिनाम संकीर्तन से रोग-शमन सर्वरोगोपशमनं🔹*

*सर्वोपद्रवनाशनम् । शान्तिदं सर्वारिष्टानां हरेर्नामानुकीर्तनम् ॥*

*'हरिनाम संकीर्तन सभी रोगों का उपशमन करनेवाला, सभी उपद्रवों का नाश करनेवाला और समस्त अरिष्टों की शांति करनेवाला है ।'*

*-📖 ऋषि प्रसाद, अक्टूबर 2022*

Hindu Panchang Daily हिन्दू पंचांग 🚩

18 Oct, 18:33


*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*दिनांक - 19 अक्टूबर 2024*
*दिन - शनिवार*
*विक्रम संवत् - 2081*
*अयन - दक्षिणायन*
*ऋतु - शरद*
*मास - कार्तिक*
*पक्ष - कृष्ण*
*तिथि - द्वितीया प्रातः 09:48 तक तत्पश्चात तृतीया*
*नक्षत्र - भरणी प्रातः 10:46 तक तत्पश्चात कृत्तिका*
*योग - सिद्धि शाम 05:42 अक्टूबर 18 तक, तत्पश्चात व्यतीपात*
*राहु काल - प्रातः 09:31 से प्रातः 10:58 तक*
*सूर्योदय - 06:38*
*सूर्यास्त - 06:10*
*दिशा शूल - पूर्व दिशा में*
*ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:59 से 05:48 तक*
*अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:01 से दोपहर 12:47 तक*
*निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:00 अक्टूबर 20 से रात्रि 12:50 अक्टूबर 20 तक*
* व्रत पर्व विवरण - मासिक कार्तिगाई*
*विशेष - द्वितीया को बृहती (छोटा बैगन या कटेहरी) खाना निषिद्ध है व तृतीया को परवल खाना शत्रु वृद्धि करता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*🔹घर में सुख-शांति के लिए🔹*

*🔹वास्तुशास्त्र के नियमों के उचित पालन से शरीर की जैव-रासायनिक क्रिया को संतुलित रखने में सहायता मिलती है ।*

*🔹घर या वास्तु के मुख्य दरवाजे में देहरी (दहलीज) लगाने से अनेक अनिष्टकारी शक्तियाँ प्रवेश नहीं कर पातीं व दूर रहती हैं । प्रतिदिन सुबह मुख्य द्वार के सामने हल्दी, कुमकुम व गोमूत्र मिश्रित गोबर से स्वस्तिक, कलश आदि आकारों में रंगोली बनाकर देहरी (दहलीज) एवं रंगोली की पूजा कर परमेश्वर से प्रार्थना करनी चाहिए कि 'हे ईश्वर ! आप मेरे घर व स्वास्थ्य की अनिष्ट शक्तियों से रक्षा करें ।'*

*🔹प्रवेश-द्वार के ऊपर नीम, आम, अशोक आदि के पत्ते का तोरण (बंदनवार) बाँधना मंगलकारी है ।*

*🔹वास्तु कि मुख्य द्वार के सामने भोजन-कक्ष, रसोईघर या खाने की मेज नहीं होनी चाहिए ।*

*🔹मुख्य द्वार के अलावा पूजाघर, भोजन-कक्ष एवं तिजोरी के कमरे के दरवाजे पर भी देहरी (दहलीज) अवश्य लगवानी चाहिए ।*

*🔹भूमि-पूजन, वास्तु-शांति, गृह-प्रवेश आदि सामान्यतः शनिवार एवं मंगलवार को नहीं करने चाहिए ।*

*🔹गृहस्थियों को शयन-कक्ष में सफेद संगमरमर नहीं लगावाना चाहिए । इसे मन्दिर मे लगाना उचित है क्योंकि यह पवित्रता का द्योतक है ।*

*🔹कार्यालय के कामकाज, अध्ययन आदि के लिए बैठने का स्थान छत की बीम के नीचे नहीं होना चाहिए क्योंकि इससे मानसिक दबाव रहता है ।*

*🔹बीम के नीचे वाले स्थान में भोजन बनाना व करना नहीं चाहिए । इससे आर्थिक हानि हो सकती है । बीम के नीचे सोने से स्वास्थ्य में गड़बड़ होती है तथा नींद ठीक से नहीं आती ।*

Hindu Panchang Daily हिन्दू पंचांग 🚩

17 Oct, 17:42


*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*दिनांक - 18 अक्टूबर 2024*
*दिन - शुक्रवार*
*विक्रम संवत् - 2081*
*अयन - दक्षिणायन*
*ऋतु - शरद*
*मास - कार्तिक*
*पक्ष - कृष्ण*
*तिथि - प्रतिपदा दोपहर 01:15 तक तत्पश्चात द्वितीया*
*नक्षत्र - अश्विनी दोपहर 01:26 तक तत्पश्चात भरणी*
*योग - वज्र रात्रि 09:34 तक, तत्पश्चात सिद्धि*
*राहु काल - प्रातः 10:58 से दोपहर 12:25 तक*
*सूर्योदय - 06:38*
*सूर्यास्त - 06:11*
*दिशा शूल - पश्चिम दिशा में*
*ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:58 से 05:48 तक*
*अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:01 से दोपहर 12:48 तक*
*निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:00 अक्टूबर 19 से रात्रि 12:50 अक्टूबर 19 तक*
*व्रत पर्व विवरण - कार्तिक प्रारम्भ, सर्वार्थ सिद्धि योग (प्रातः 06:38 से दोपहर 01:26 तक)*
*विशेष - प्रतिपदा को कुष्मांड (कुम्हड़ा, पेठा) न खायें क्योंकि यह धन का नाश करनेवाला है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*🔹आपकी हथेलियों में आपका स्वास्थ्य🔹*

*🔹आपकी हथेलियों में रोगप्रतिकारक शक्ति के कण छुपे हैं । आप दोनों हथेलियों को रगड़ो और बोलो ॐ ॐ ॐ मम आरोग्यशक्ति जाग्रय जाग्रय । ॐ ॐ ॐ मेरी आरोग्यशक्ति जगे...'*

*🔹ऐसा करके आपकी, आपके बेटे आदि की आँखों की समस्या है तो आँखों पर हथेलियाँ रखो, अगर गुर्दे की तकलीफ है तो वहाँ और हृदय की तकलीफ है तो वहाँ रखो और भावना करो कि आरोग्यशक्ति जग रही है । रात को सोते समय, सुबह उठते समय ऐसा करो। इससे उन अंगों में रोगप्रतिकारक शक्ति का संचार होता है। अगर बच्चा या कोई और व्यक्ति दिमाग से कमजोर है अथवा उसे दिमाग की कुछ तकलीफ है तो माँ, पत्नी या और कोई हितैषी उसके , सिर पर हाथ रखे और ऐसी भावना करे, देशी गाय के घी से सिर की मालिश करे उस समय भी यह भावना करे । इससे उसके ज्ञानतंतुओं पर अच्छा असर पड़ेगा । रगड़ी हुई गर्म हथेलियाँ आँखों पर रखने से आँखों की ज्योति बरकरार रहती है और आँखों के रोग मिटते हैं। भोजन करके कुल्ला करते हैं तो हाथ गीला होता है और मुँह भी गीला होता है, उस समय हथेलियाँ रगड़कर आँखों पर लगाओ तो आँखों की रोशनी बढ़ेगी, आँखों की तकलीफ में आराम होगा ।*

*🔹औषधि को एकटक देखते हुए 'ॐ नमो नारायणाय' मंत्र का २१ बार जप करके फिर औषधि लेने से उसमें भगवच्चेतना का प्रभाव आता है और विशेष लाभ होता है ।*

*🔹दिन में श्री गुरुगीता का पाठ एवं 'ॐ हंस हंसः' इस मंत्र का २१ बार जप करके पानी में देखो और उसे पी लो । इससे बेचैनी दूर होगी । यह मंत्र १०८ बार जपने से स्वास्थ्य की रक्षा होती है ।*
*- 📖 ऋषि प्रसाद अक्टूबर 2022*

*🔹घर में सुख-शांति के लिए🔹*

*🔹घर में टूटी-फूटी अथवा अग्नि से जली हुई प्रतिमा की पूजा नहीं करनी चाहिए । ऐसी मूर्ति की पूजा करने से गृहस्वामी के मन में उद्वेग या घर-परिवार में अनिष्ट होता है । (वराह पुराणः 186.43)*

*🔹50 ग्राम फिटकरी का टुकड़ा घर के प्रत्येक कमरे में तथा कार्यालय के किसी कोने में अवश्य रखना चाहिए । इससे वास्तुदोषों से रक्षा होती है ।*

*🔹किसी दुकान या प्रतिष्ठान के मुख्य द्वार पर काले कपड़े में फिटकरी बाँधकर लटकाने से बरकत आती है। दक्षिण भारत व अधिकांशतः दुकानों के मुख्य द्वार पर फिटकरी बाँधने का रिवाज लम्बे समय से प्रचलित है ।*

Hindu Panchang Daily हिन्दू पंचांग 🚩

16 Oct, 15:19


*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*दिनांक - 17 अक्टूबर 2024*
*दिन - गुरुवार*
*विक्रम संवत् - 2081*
*अयन - दक्षिणायन*
*ऋतु - शरद*
*मास - आश्विन*
*पक्ष - शुक्ल*
*तिथि - पूर्णिमा शाम 04:55 तक तत्पश्चात प्रतिपदा*
*नक्षत्र - रेवती शाम 04:20 तक तत्पश्चात आश्विनी*
*योग - हर्षण रात्रि 01:42 अक्टूबर 18 तक, तत्पश्चात वज्र*
*राहु काल - दोपहर 01:52 से दोपहर 03:18 तक*
*सूर्योदय - 06:37*
*सूर्यास्त - 06:12*
*दिशा शूल - दक्षिण दिशा में*
*ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:58 से 05:48 तक*
*अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:02 से दोपहर 12:48 तक*
*निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:00 अक्टूबर 18 से रात्रि 12:50 अक्टूबर 18 तक*
* व्रत पर्व विवरण - संक्रांति (पुण्यकाल सूर्योदय से दोपहर 11:44 तक), महर्षि वाल्मीकिजी जयंती, मीराबाई जयंती, सर्वार्थ सिद्धि योग (अहोरात्रि)*
*विशेष - पूर्णिमा को स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना व लगाना निषिद्ध है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*🔹खजूर खाओ, सेहत बनाओ !🔹*

*🔸 खजूर मधुर, शीतल, पौष्टिक व सेवन करने के बाद तुरंत शक्ति-स्फूर्ति देनेवाला है । यह रक्त, मांस व वीर्य की वृद्धि करता है । हृदय व मस्तिष्क को शक्ति देता है । वात, पित्त व कफ इन तीनों दोषों का शामक है । यह मल व मूत्र को साफ लाता है । खजूर में कार्बोहाइड्रेट्स, प्रोटीन्स, कैल्शियम, पोटैशियम, मैग्नेशियम, फॉस्फोरस, लौह आदि प्रचुर मात्रा में पाये जाते हैं । ‘अमेरिकन कैंसर सोसायटी’ के अनुसार शरीर को एक दिन में 20-35 ग्राम डाएटरी फाइबर (खाद्य पदार्थों में स्थित रेशा) की जरूरत होती है, जो खजूर खाने से पूरी हो जाती है ।*

*🔸खजूर रातभर पानी में भिगोकर सुबह लेना लाभदायक है । कमजोर हृदयवालों के लिए यह विशेष उपयोगी है । खजूर यकृत (लीवर) के रोगों में लाभकारी है । रक्ताल्पता में इसका नियमित सेवन लाभकारी है । नींबू के रस में खजूर की चटनी बनाकर खाने से भोजन की अरुचि मिटती है । खजूर का सेवन बालों को लम्बे, घने और मुलायम बनाता है ।*

*🔷 औषधि-प्रयोग 🔷*

*🔸मस्तिष्क व हृदय की कमजोरी : रात को खजूर भिगोकर सुबह दूध या घी के साथ खाने से मस्तिष्क व हृदय की पेशियों को ताकत मिलती है । विशेषतः रक्त की कमी के कारण होनेवाली हृदय की धड़कन व एकाग्रता की कमी में यह प्रयोग लाभदायी है ।*

*🔸शुक्राल्पता : खजूर उत्तम वीर्यवर्धक है । गाय के घी अथवा बकरी के दूध के साथ लेने से शुक्राणुओं की वृद्धि होती है । इसके अतिरिक्त अधिक मासिक स्राव, क्षयरोग, खाँसी, भ्रम (चक्कर), कमर व हाथ-पैरों का दर्द एवं सुन्नता तथा थायरॉइड संबंधी रोगों में भी यह लाभदायी है ।*

*🔸 कब्जनाशक : खजूर में रेचक गुण भरपूर है । 8-10 खजूर 200 ग्राम पानी में भिगो दें, सुबह मसलकर इनका शरबत बना लें । फिर इसमें 300 ग्राम पानी और डालकर गुनगुना करके खाली पेट चाय की तरह पियें । कुछ देर बाद दस्त होगा । इससे आँतों को बल और शरीर को स्फूर्ति भी मिलेगी । उम्र के अनुसार खजूर की मात्रा कम-ज्यादा करें ।*

*🔸 नशा-निवारक : शराबी प्रायः नशे की झोंक में इतनी शराब पीते हैं कि उसका यकृत नष्ट होकर मृत्यु का कारण बन जाता है । इस स्थिति में ताजे पानी में खजूर को अच्छी तरह मसलते हुए शरबत बनायें । यह शरबत पीने से शराब का विषैला प्रभाव नष्ट होने लगता है ।*

*🔸आँतों की पुष्टि : खजूर आँतों के हानिकारक जीवाणुओं को नष्ट करता है, साथ ही खजूर के विशिष्ट तत्त्व ऐसे जीवाणुओं को जन्म देते हैं जो आँतों को विशेष शक्तिशाली तथा अधिक सक्रिय बनाते हैं ।*

*🔸हृदयरोगों में : लगभग 50 ग्राम गुठलीरहित छुहारे (खारक) 250 मि.ली. पानी में रात को भिगो दें । सुबह छुहारों को पीसकर पेस्ट बना के उसी बचे हुए पानी में घोल लें । इसे प्रातः खाली पेट पी जाने से कुछ ही माह में हृदय को पर्याप्त सबलता मिलती है । इसमें 1 ग्राम इलायची चूर्ण मिलाना विशेष लाभदायी है ।*

*🔸तन-मन की पुष्टि : दूध में खजूर उबाल के बच्चों को देने से उन्हें शारीरिक-मानसिक पोषण मिलता है व शरीर सुदृढ़ बनता है ।*

*🔸शैयामूत्र : जो बच्चे रात्रि में बिस्तर गीला करते हों, उन्हें दो छुहारे रात्रि में भिगोकर सुबह दूध में उबाल के दें ।*

*🔸बच्चों के दस्त में : बच्चों के दाँत निकलते समय उन्हें बार-बार हरे दस्त होते हों या पेचिश पड़ती हो तो खजूर के साथ शहद को अच्छी तरह फेंटकर एक-एक चम्मच दिन में 2-3 बार चटाने से लाभ होता है ।*

*🔷 सावधानी : आजकल खजूर को वृक्ष से अलग करने के बाद रासायनिक पदार्थों के द्वारा सुखाया जाता है । ये रसायन शरीर के लिए हानिकारक होते हैं । अतः उपयोग करने से पहले खजूर को अच्छी तरह से धो लें । धोकर सुखाने के बाद इन्हें विभिन्न प्रकार से उपयोग किया जा सकता है ।*


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Hindu Panchang Daily हिन्दू पंचांग 🚩

16 Oct, 15:19


*🔶 मात्रा : 5 से 7 खजूर अच्छी तरह धोकर रात को भिगो के सुबह खायें । बच्चों के लिए 2-4 खजूर पर्याप्त है । दूध या घी में मिलाकर खाना विशेष लाभदायी है ।*
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Hindu Panchang Daily हिन्दू पंचांग 🚩

15 Oct, 17:20


*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*दिनांक - 16 अक्टूबर 2024*
*दिन - बुधवार*
*विक्रम संवत् - 2081*
*अयन - दक्षिणायन*
*ऋतु - शरद*
*मास - आश्विन*
*पक्ष - शुक्ल*
*तिथि - चतुर्दशी रात्रि 08:40 तक तत्पश्चात पूर्णिमा*
*नक्षत्र - उत्तर भाद्रपद शाम 07:18 तक तत्पश्चात रेवती*
*योग - ध्रुव प्रातः 10:10 तक, तत्पश्चात व्याघात प्रातः 05:57 अक्टूबर 17 तक*
*राहु काल - दोपहर 12:25 से दोपहर 01:52 तक*
*सूर्योदय - 06:37*
*सूर्यास्त - 06:13*
*दिशा शूल - उत्तर दिशा में*
*ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:58 से 05:47 तक*
*अभिजीत मुहूर्त - कोई नही*
*निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:00 अक्टूबर 17 से रात्रि 12:50 अक्टूबर 17 तक*
* व्रत पर्व विवरण - शरद पूर्णिमा, कोजागर पूजा*
*विशेष - चतुर्दशी को स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना व लगाना निषिद्ध है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*🔹दीपक की दिशा🔹*

*🔸दीपक अपने से दक्षिण दिशा की तरफ रखने से प्राण हानि होती है ।*

*🔸 दीपक अपने से नैऋत्य दिशा की तरफ रखने से विस्मृति कारक उर्जा बनती है ।*

*🔸 दीपक अपने से पश्चिम दिशा की तरफ रखने से शांतिदायक होता है ।*

*🔸 दीपक अपने से वायव्य दिशा की तरफ रखने से सम्पत्तिनाशक होता है ।*

*🔸दीपक अपने से उत्तर दिशा की तरफ रखने से स्वास्थ्य व धन प्रदायक होता है ।*

*🔸 दीपक अपने से ईशान कोण दिशा की तरफ रखने से कल्याणकारक होता है ।*

*🔹बुद्धि बढ़ाने के ढेर सारे उपाय🔹*

*🔸१] दिव्य प्रेरणा-प्रकाश पुस्तक में (पृष्ठ २ पर ) एक मंत्र लिखा है, उसको पढ़कर दूध में देखोगे और वह दूध पियोगे तो बुद्धि बढ़ेगी, बल बढ़ेगा ।*

*🔸मंत्र :*
*ॐ नमो भगवते महाबले पराक्रमाय मनोभिलाषितं मनः स्तंभ कुरु कुरु स्वाहा ।*

*🔸२] मंत्रजप और अनुष्ठान से बुद्धि विकसित होती है ।*

*🔸३] भगवच्चिंतन करके ॐकार का गुंजन करके शांत होओगे तो बुद्धि बढ़ेगी ।*

*🔸४] श्वासोच्छवास में भगवान् सूर्यनारायण का ध्यान करने से भी फायदा होगा ।*

*🔸५] श्रद्धा, भक्ति और गुरुजनों के सत्संग से भी बुद्धि उन्नत होती है ।*

*🔸७] भगवद-ध्यान से तो बुद्धि को बढ़ना ही है ।*

*🔸८] स्मृतिशक्ति बढ़ानी है तो कानों में अँगूठे के पासवाली पहली उँगलियाँ डालकर लम्बा श्वास लो फिर होंठ बंद रख के कंठ से ‘ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ... ’ ऐसा उच्चारण करो । इस प्रकार १० बार करो । इस भ्रामरी प्राणायाम से स्मृति बढ़ेगी, बुद्धू विद्यार्थी भी अच्छे अंक लायेंगे ।*
*📖 ऋषि प्रसाद – अक्टूबर २०२०*

Hindu Panchang Daily हिन्दू पंचांग 🚩

13 Oct, 18:59


*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*दिनांक - 14 अक्टूबर 2024*
*दिन - सोमवार*
*विक्रम संवत् - 2081*
*अयन - दक्षिणायन*
*ऋतु - शरद*
*मास - आश्विन*
*पक्ष - शुक्ल*
*तिथि - एकादशी प्रातः 06:41 तक तत्पश्चात द्वादशी रात्रि 03:42 अक्टूबर 15 तक*
*नक्षत्र - शतभिषा रात्रि 12:43 अक्टूबर 15 तक तत्पश्चात पूर्व भाद्रपद*
*योग - गण्ड शाम 06:01 तक, तत्पश्चात वृद्धि*
*राहु काल - प्रातः 08:03 से प्रातः 09:31 तक*
*सूर्योदय - 06:36*
*सूर्यास्त - 06:16*
*दिशा शूल - पूर्व दिशा में*
*ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:57 से 05:47 तक*
*अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:02 से दोपहर 12:49 तक*
*निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:01 अक्टूबर 15 से रात्रि 12:50 अक्टूबर 15 तक*
* व्रत पर्व विवरण - पापांकुशा एकादशी, पद्मनाभ द्वादशी*
*विशेष - एकादशी को सिम्बी (सेम) व द्वादशी को पूतिका (पोई) खाने से पुत्र का नाश होता है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*🔹पापांकुशा एकादशी - 14 अक्टूबर 2024🔹*

*🔹एकादशी में क्या करें, क्या न करें ?🔹*

*🌹1. एकादशी को लकड़ी का दातुन तथा पेस्ट का उपयोग न करें । नींबू, जामुन या आम के पत्ते लेकर चबा लें और उँगली से कंठ शुद्ध कर लें । वृक्ष से पत्ता तोड़ना भी वर्जित है, अत: स्वयं गिरे हुए पत्ते का सेवन करें ।*

*🌹2. स्नानादि कर के गीता पाठ करें, श्री विष्णुसहस्रनाम का पाठ करें ।*

*🌹हर एकादशी को श्री विष्णुसहस्रनाम का पाठ करने से घर में सुख-शांति बनी रहती है ।*
*राम रामेति रामेति रमे रामे मनोरमे ।*
*सहस्रनाम तत्तुल्यं रामनाम वरानने ।।*

*एकादशी के दिन इस मंत्र के पाठ से श्री विष्णुसहस्रनाम के जप के समान पुण्य प्राप्त होता है l*

*🌹3. `ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ इस द्वादश अक्षर मंत्र अथवा गुरुमंत्र का जप करना चाहिए ।*

*🌹4. चोर, पाखण्डी और दुराचारी मनुष्य से बात नहीं करना चाहिए, यथा संभव मौन रहें ।*

*🌹5. एकादशी के दिन भूल कर भी चावल नहीं खाना चाहिए न ही किसी को खिलाना चाहिए । इस दिन फलाहार अथवा घर में निकाला हुआ फल का रस अथवा दूध या जल पर रहना लाभदायक है ।*

*🌹6. व्रत के (दशमी, एकादशी और द्वादशी) - इन तीन दिनों में काँसे के बर्तन, मांस, प्याज, लहसुन, मसूर, उड़द, चने, कोदो (एक प्रकार का धान), शाक, शहद, तेल और अत्यम्बुपान (अधिक जल का सेवन) - इनका सेवन न करें ।*

*🌹7. फलाहारी को गोभी, गाजर, शलजम, पालक, कुलफा का साग इत्यादि सेवन नहीं करना चाहिए । आम, अंगूर, केला, बादाम, पिस्ता इत्यादि अमृत फलों का सेवन करना चाहिए ।*

*🌹8. जुआ, निद्रा, पान, परायी निन्दा, चुगली, चोरी, हिंसा, मैथुन, क्रोध तथा झूठ, कपटादि अन्य कुकर्मों से नितान्त दूर रहना चाहिए ।*

*🌹9. भूलवश किसी निन्दक से बात हो जाय तो इस दोष को दूर करने के लिए भगवान सूर्य के दर्शन तथा धूप-दीप से श्रीहरि की पूजा कर क्षमा माँग लेनी चाहिए ।*

*🌹10. एकादशी के दिन घर में झाडू नहीं लगायें । इससे चींटी आदि सूक्ष्म जीवों की मृत्यु का भय रहता है ।*

*🌹11. इस दिन बाल नहीं कटायें ।*

*🌹12. इस दिन यथाशक्ति अन्नदान करें किन्तु स्वयं किसीका दिया हुआ अन्न कदापि ग्रहण न करें ।*

*🌹13. एकादशी की रात में भगवान विष्णु के आगे जागरण करना चाहिए (जागरण रात्र 1 बजे तक) ।*

*🌹14. जो श्रीहरि के समीप जागरण करते समय रात में दीपक जलाता है, उसका पुण्य सौ कल्पों में भी नष्ट नहीं होता है ।*

*🔹 इस विधि से व्रत करनेवाला उत्तम फल को प्राप्त करता है ।*

Hindu Panchang Daily हिन्दू पंचांग 🚩

12 Oct, 17:41


*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*दिनांक - 13 अक्टूबर 2024*
*दिन - रविवार*
*विक्रम संवत् - 2081*
*अयन - दक्षिणायन*
*ऋतु - शरद*
*मास - आश्विन*
*पक्ष - शुक्ल*
*तिथि - दशमी प्रातः 09:08 तक तत्पश्चात एकादशी*
*नक्षत्र - धनिष्ठा रात्रि 02:51 अक्टूबर 14 तक तत्पश्चात शतभिषा*
*योग - शूल रात्रि 09:26 तक, तत्पश्चात गण्ड*
*राहु काल - दोपहर 04:48 से शाम 06:16 तक*
*सूर्योदय - 06:36*
*सूर्यास्त - 06:16*
*दिशा शूल - पश्चिम दिशा में*
*ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:57 से 05:46 तक*
*अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:02 से दोपहर 12:49 तक*
*निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:01 अक्टूबर 14 से रात्रि 12:50 अक्टूबर 14 तक*
* व्रत पर्व विवरण - विद्यारम्भम् का दिन, मध्वाचार्य जयन्ती, रवि योग (प्रातः 06:36 से रात्रि 02:51 अक्टूबर 14 तक)*
*विशेष - दशमी को कलंबी शाक त्याज्य है व एकादशी को सिम्बी (सेम) खाने से पुत्र का नाश होता है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*🔹परिक्रमा क्यों 🔹?*

*🔹 भगवत्प्राप्त संत-महापुरुष के व्यासपीठ या निवास स्थान की, उनके द्वारा शक्तिपात किये हुए वट या पीपल वृक्ष की, महापुरुषों के समाधि स्थल अथवा किसी देव प्रतिमा की किसी कामना या संकल्पपूर्ति हेतु जो परिक्रमा (प्रदक्षिणा) की जाती है उसके पीछे अत्यंत सूक्ष्म रहस्य छिपे हैं । इसके द्वारा मानवी मन की श्रद्धा समर्पण की भावना का सदुपयोग करते हुए उसे अत्यंत प्रभावशाली 'आभा विज्ञान' का लाभ दिलाने की सुंदर व्यवस्था हमारी संस्कृति में है ।*

*🔹प्रदक्षिणा में छिपे वैज्ञानिक रहस्य🔹*

*🔹देवमूर्ति व ब्रह्मनिष्ठ संत-महापुरुषों के चारों तरफ दिव्य आभामंडल होता है । वैसे तो हर व्यक्ति के शरीर से एक आभा (aura) निकलती है किंतु ब्रह्मनिष्ठ महापुरुष का आभामंडल दूर-दूर तक फैला होता है । यदि वे महापुरुष कुंडलिनी योग के अनुभवनिष्ठ योगी भी हों तो उनका आभामंडल इतना व्यापक होता है कि उसे नापने में यंत्र भी असमर्थ हो जाते हैं । ऐसे आत्मारामी संत जहाँ साधना करते हैं, निवास करते हैं वह स्थल उनकी दिव्य आभा से, उनके शरीर से निकलनेवाली दिव्य सूक्ष्म तरंगों से सुस्पंदित, ऊर्जा-सम्पन्न हो जाता है । इस कारण ऐसे महापुरुष की परिक्रमा करने से तो लाभ होता ही है, साथ ही उनके सान्निध्य से सुस्पंदित स्थानों की भी परिक्रमा से हमारे अंदर आश्चर्यजनक उन्नतिकारक परिवर्तन होने लगते हैं ।*

*🔹प्रदक्षिणा 🔹*

*🔹 प्र + दक्षिणा अर्थात् दक्षिण (दायीं दिशा) की ओर फेरे करना । परिक्रमा सदैव अपने बायें हाथ की ओर से दायें हाथ की ओर ही की जाती है क्योंकि दैवी शक्ति के आभामंडल की गति दक्षिणावर्ती होती है । इसकी विपरीत दिशा में परिक्रमा करने से उक्त आभामंडल की तरंगों और हमारी स्वयं की आभा-तरंगों में टकराव पैदा होता है, जिससे हमारी जीवनीशक्ति नष्ट होने लगती है ।*

*🔹प्रदक्षिणा ७, लाभ अनगिनत !🔹*

*🔹तीर्थों की अपनी महिमा है परंतु हयात ब्रह्मवेत्ता सत्पुरुषों की महिमा तो निराली ही है । उनके लिए शास्त्र कहते हैं कि 'वे तो चलते-फिरते तीर्थराज हैं, तीर्थ शिरोमणि हैं । ऐसे महापुरुष की यदि किसी वस्तु पर दृष्टि पड़ जाय, स्पर्श हो जाय अथवा वे उस पर संकल्प कर दें तो वह हमारे लिए 'प्रसाद' हो जाती है, प्रसन्नता, आनंद-उल्लास एवं शांति देनेवाली हो जाती है, साथ ही मनोकामनाएँ भी पूर्ण करती है ।*

*🔹इसका प्रत्यक्ष उदाहरण है विश्वभर में स्थित संत श्री आशारामजी आश्रमों में ब्रह्मनिष्ठ महापुरुष पूज्य बापूजी द्वारा शक्तिपात किये हुए वटवृक्ष या पीपल वृक्ष, जिन्हें 'बड़ बादशाह' अथवा 'पीपल बादशाह' के नाम से जाना जाता है । ये कलियुग के साक्षात् कल्पवृक्ष साबित हो रहे हैं । इनकी श्रद्धापूर्वक मात्र ७ प्रदक्षिणा करने से लाखों-लाखों लोगों ने अनगिनत लाभ उठाये हैं । कितनों के रोग मिट गये, कितनों के दुःख-संताप दूर हुए, कितनों की मनोकामनाएँ पूर्ण हुई हैं तथा कितनों की आध्यात्मिक उन्नति हुई है ।*

*🔹जब श्रद्धालु अपना दायाँ अंग आराध्य देव की ओर करके एवं मन-ही-मन प्रदक्षिणा की संख्या व संकल्प निश्चित करके प्रदक्षिणा करता है तो उसके शरीर, मन व बुद्धि पर इष्ट देवता की दिव्य तरंगों का विशेष प्रभाव पड़ता है । परिक्रमा के समय यदि मन से शुभ संकल्प व समर्पण भावना के साथ सर्वसिद्धि प्रदायक भगवन्नाम या गुरुमंत्र का जप सुमिरन होता है तो मन शुद्धि भी होती है और लौकिक शारीरिक, सांसारिक और भी लाभ होते हैं ।*
*📖 - ऋषि प्रसाद जनवरी 2022*

Hindu Panchang Daily हिन्दू पंचांग 🚩

11 Oct, 18:23


*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*दिनांक - 12 अक्टूबर 2024*
*दिन - शनिवार*
*विक्रम संवत् - 2081*
*अयन - दक्षिणायन*
*ऋतु - शरद*
*मास - आश्विन*
*पक्ष - शुक्ल*
*तिथि - नवमी प्रातः 10:58 तक तत्पश्चात दशमी*
*नक्षत्र - श्रवण प्रातः 04:27 अक्टूबर 13 तक तत्पश्चात धनिष्ठा*
*योग - धृति रात्रि 12:22 अक्टूबर 13 तक, तत्पश्चात शूल*
*राहु काल - प्रातः 09:31 से प्रातः 10:58 तक*
*सूर्योदय - 06:38*
*सूर्यास्त - 06:14*
*दिशा शूल - पूर्व दिशा में*
*ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:57 से 05:46 तक*
*अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:02 से दोपहर 12:49 तक*
*निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:01 अक्टूबर 13 से रात्रि 12:51 अक्टूबर 13 तक*
* व्रत पर्व विवरण - सरस्वती विसर्जन, आयुध पूजा, दुर्गा विसर्जन, विजयादशमी (पूरा दिन शुभ मुहूर्त), दशहरा, दक्षिण सरस्वती पूजा, बुद्ध जयन्ती, दक्ष सावर्णि मन्वादि, सर्वार्थ सिद्धि योग (प्रातः 05:25 से प्रातः 06:35 तक)*
*विशेष - नवमी को लौकी खाना गौमाँस के सामान त्याज्य है व दशमी को कलंबी शाक त्याज्य है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*🔹विजयादशमी : 12 अक्टूबर 2024🔹*

*🔸विजयादशमी का दिन बहुत महत्त्व का है और इस दिन सूर्यास्त के पूर्व से लेकर तारे निकलने तक का समय अर्थात् संध्या का समय बहुत उपयोगी है ।*

*🔸दशहरे की संध्या को भगवान को प्रीतिपूर्वक भजे और प्रार्थना करे ।*

*🔸‘ॐ’ का जप करने से लौकिक कामनाओं की पूर्ति, आध्यात्मिक चेतना में वृद्धि और जीवन में दिव्यता तथा परमात्मा की प्राप्ति होती है ।*

*🔹 दशहरा के दिन जपने योग्य मंन्त्र 🔹*

*🔸 दशहरे की शाम को सूर्यास्त होने से कुछ समय पहले से लेकर आकाश में तारे उदय होने तक का समय सर्व सिद्धिदायी विजयकाल कहलाता है ।*

*🔸 इस विजयकाल में थोड़ी देर "राम रामाय नमः" मंत्र के नाम का जप करें ।*

*🔸 मन-ही-मन भगवान को प्रणाम करके प्रार्थना करें कि हे भगवान सर्व सिद्धिदायी विजयकाल चल रहा है, हम विजय के लिए "ॐ अपराजितायै नमः "मंत्र का जप कर रहे हैं ।*

*🔸 श्री हनुमानजी का सुमिरन करते हुए नीचे दिए गए मंत्र की एक माला जप करें ।*
*"पवन तनय बल पवन समाना, बुद्धि विवेक विज्ञान निधाना।"*

*🔸दशहरे के दिन विजयकाल में इन मंत्रों का जप करने से अगले साल के दशहरे तक गृहस्थ में जीनेवाले को बहुत अच्छे परिणाम देखने को मिलते हैं ।*

*🔹नेत्रज्योति बढ़ाने के लिए🔹*

*🔸दशहरे से शरद पूनम तक चन्द्रमा की चाँदनी में विशेष हितकारी रस, हितकारी किरणें होती हैं । इन दिनों चन्द्रमा की चाँदनी का लाभ उठाना, जिससे वर्षभर आप स्वस्थ और प्रसन्न रहें । नेत्रज्योति बढ़ाने के लिए दशहरे से शरद पूर्णिमा तक प्रतिदिन रात्रि में 15 से 20 मिनट तक चन्द्रमा के ऊपर त्राटक (पलकें झपकाये बिना एकटक देखना) करें । -पूज्य बापूजी*

Hindu Panchang Daily हिन्दू पंचांग 🚩

10 Oct, 17:07


*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*दिनांक - 11 अक्टूबर 2024*
*दिन - शुक्रवार*
*विक्रम संवत् - 2081*
*अयन - दक्षिणायन*
*ऋतु - शरद*
*मास - आश्विन*
*पक्ष - शुक्ल*
*तिथि - अष्टमी दोपहर 12:06 तक तत्पश्चात नवमी*
*नक्षत्र - उत्तराषाढा प्रातः 05:25 अक्टूबर 12 तक तत्पश्चात श्रवण*
*योग - सुकर्मा रात्रि 02:47 अक्टूबर 12 तक, तत्पश्चात धृति*
*राहु काल - प्रातः 10:58 से दोपहर 12:26 तक*
*सूर्योदय - 06:38*
*सूर्यास्त - 06:14*
*दिशा शूल - पश्चिम दिशा में*
*ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:57 से 05:46 तक*
*अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:03 से दोपहर 12:50 तक*
*निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:02 अक्टूबर 12 से रात्रि 12:51 अक्टूबर 12 तक*
* व्रत पर्व विवरण - दुर्गा अष्टमी, सन्धि पूजा, महा नवमी, सरस्वती बलिदान, मासिक दुर्गाष्टमी*
*विशेष - अष्टमी को नारियल का फल खाने से बुद्धि का नाश होता है | इस दिन स्त्री-सहवास और तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है । नवमी को लौकी खाना गौमाँस के सामान त्याज्य है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*🔹 नवरात्रि - महानवमी - 11 अक्टूबर 🔹*

*🔸 शारदीय नवरात्रि के अंतिम दिन माँ दुर्गा के नौवें अवतार सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है । माँ सिद्धिदात्री भक्तों को हर प्रकार की सिद्धि प्रदान करती हैं । सिद्धिदात्री के आशीर्वाद के बाद श्रद्धालु के लिए कोई कार्य असंभव नहीं रह जाता और उसे सभी सुख-समृद्धि प्राप्त होती है ।*

*🔸 नवरात्रि की नवमी तिथि यानी अंतिम दिन माता दुर्गा को हलवा, चना-पूरी, खीर आदि का भोग लगाएं । इससे वैभव व यश मिलता है ।*

*🔹नवरात्रि में कन्या पूजन का महत्त्व🔹*

*🔸नवरात्रि के नवमी को 10 साल की कन्या का पूजन भोजन कराने से सर्व मंगल होगा, संकल्प सिद्ध होंगे, सामर्थ्यवान बनेंगे, इसलोक के साथ परलोक को भी प्राप्त कर लेंगे, पाप दूर होते हैं, बुद्धि में औदार्य आता है, नारकीय जीवन छुट जाता है, हर काम में, हर दिशा में सफलता मिलती है ।*

*🔹 हेमंत ऋतु में स्वास्थ्य रक्षा 🔹*

*🔸यह ऋतु विसर्गकाल अर्थात् दक्षिणायन का अन्तकाल कहलाती है । इस काल में चन्द्रमा की शक्ति सूर्य की अपेक्षा अधिक प्रभावशाली होती है इसलिये इस ऋतु में औषधियाँ, वृक्ष, पृथ्वी व जीव-जन्तुओं की पौष्टिकता में भरपूर वृद्धि होती है । शीत ऋतु में शरीर में कफ का संचार होता है तथा पित्तदोष का नाश होता है ।*

*🔸शीत ऋतु में जठराग्नि अत्यधिक प्रबल रहती है अतः इस समय लिया गया पौष्टिक और बलवर्धक आहार वर्ष भर शरीर को तेज, बल और पुष्टता प्रदान करता है । इस ऋतु में एक स्वस्थ व्यक्ति को अपनी सेहत की तन्दुरुस्ती के लिये किस प्रकार का आहार लेना चाहिए ? शरीररक्षण कैसे हो ? आइये, हम उसे जानें :*

*🔸शीत ऋतु के इस काल में खट्टा, खारा तथा मधुर रसप्रधान आहार लेना चाहिए ।*

*🔸पचने में भारी, पौष्टिकता से भरपूर, गरिष्ठ एवं घी से बने पदार्थों का सेवन अधिक करना चाहिए ।*

*🔸इस ऋतु में सेवन किये हुए खाद्य पदार्थों से ही वर्ष भर शरीर की स्वस्थता की रक्षा का भंडार एकत्रित होता है । अतः उड़दपाक, सोंठपाक जैसे बाजीकारक पदार्थों अथवा च्यवनप्राश आदि का उपयोग करना चाहिए ।*

*🔸जो पदार्थ पचने में भारी होने के साथ-साथ गरम व स्निग्ध प्रकृति के होते हैं, ऐसे पदार्थ लेने चाहिए ।*

*🔸दूध, घी, मक्खन, गुड़, खजूर, तिल, खोपरा, सूखा मेवा तथा चरबी बढ़ानेवाले अन्य पौष्टिक पदार्थ इस ऋतु में सेवन करने योग्य माने जाते हैं ।*

*🔸इन दिनों में ठंडा भोजन नहीं करना चाहिए बल्कि थोड़ा गर्म एवं घी-तेल की प्रधानतावाला भोजन करना चाहिए ।*

*(लोक कल्याण सेतु : दिसम्बर 2000)*

Hindu Panchang Daily हिन्दू पंचांग 🚩

09 Oct, 17:26


*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*दिनांक - 10 अक्टूबर 2024*
*दिन - गुरुवार*
*विक्रम संवत् - 2081*
*अयन - दक्षिणायन*
*ऋतु - शरद*
*मास - आश्विन*
*पक्ष - शुक्ल*
*तिथि - सप्तमी दोपहर 12:31 तक तत्पश्चात अष्टमी*
*नक्षत्र - पूर्वाषाढा प्रातः 05:41 अक्टूबर 11 तक तत्पश्चात उत्तराषाढा*
*योग - अतिगण्ड प्रातः 04:37 अक्टूबर 11 तक, तत्पश्चात सुकर्मा*
*राहु काल - दोपहर 01:54 से 03:22 तक*
*सूर्योदय - 06:38*
*सूर्यास्त - 06:14*
*दिशा शूल - दक्षिण दिशा में*
*ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:56 से 05:45 तक*
*अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:03 से दोपहर 12:50 तक*
*निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:02 अक्टूबर 11 से रात्रि 12:51 अक्टूबर 11 तक*
* व्रत पर्व विवरण - सरस्वती पूजा, नवपत्रिका पूजा, सप्तम नवरात्री*
*विशेष - सप्तमी को ताड़ का फल खाने से रोग बढ़ते हैं और शरीर का नाश होता है व अष्टमी को नारियल का फल खाने से बुद्धि का नाश होता है। इस दिन स्त्री-सहवास और तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*🔹 नवरात्रि - दुर्गाष्टमी - 11 अक्टूबर 🔹*

*🔸 नवरात्रि की अष्टमी तिथि पर माँ महागौरी की पूजा की जाती है । माँ महागौरी, माँ दुर्गा का आठवाँ स्वरूप है । इन्हें आठवीं शक्ति कहा जाता है । पुराणों के अनुसार, इनके तेज से संपूर्ण विश्व प्रकाशमान है । माँ के इस रूप के पूजन से शारीरिक क्षमता का विकास होने के साथ मानसिक शांति भी बढ़ती है ।*

*🔸 इस दिन माँ को नारियल चढ़ाया जाता है । इस दिन कन्या पूजन का विशेष महत्व है । अष्टमी और नवमी तिथि पर कन्या पूजा करने से माँ दुर्गा का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है ।*

*🔹ॐ कार का अर्थ एवं महत्त्व🔹*

*🔸ॐ = अ+उ+म+(ँ) अर्ध तन्मात्रा । ॐ का अ कार स्थूल जगत का आधार है। उ कार सूक्ष्म जगत का आधार है । म कार कारण जगत का आधार है । अर्ध तन्मात्रा (ँ) जो इन तीनों जगत से प्रभावित नहीं होता बल्कि तीनों जगत जिससे सत्ता-स्फूर्ति लेते हैं फिर भी जिसमें तिलभर भी फर्क नहीं पड़ता, उस परमात्मा का द्योतक है ।*

*🔸ॐ आत्मिक बल देता है । ॐ के उच्चारण से जीवनशक्ति उर्ध्वगामी होती है । इसके सात बार के उच्चारण से शरीर के रोग को कीटाणु दूर होने लगते हैं एवं चित्त से हताशा-निराशा भी दूर होतीहै । यही कारण है कि ऋषि-मुनियों ने सभी मंत्रों के आगे ॐ जोड़ा है । शास्त्रों में भी ॐ की बड़ी भारी महिमा गायी गयी है ।*

*🔸भगवान शंकर का मंत्र हो तो ॐ नमः शिवाय । भगवान गणपति का मंत्र हो तो ॐ गणेशाय नमः। भगवान राम का मंत्र हो तो ॐ रामाय नमः । श्री कृष्ण मंत्र हो तो ॐ नमो भगवते वासुदेवाय । माँ गायत्री का मंत्र हो तो ॐ भूर्भुवः स्वः। तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गोदेवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्। इस प्रकार सब मंत्रों के आगे ॐ तो जुड़ा ही है ।*

*पतंजलि महाराज ने कहा हैः तस्य वाचकः प्रणवः। ॐ (प्रणव) परमात्मा का वाचक है, उसकी स्वाभाविक ध्वनि है ।*

*🔸ॐ के रहस्य को जानने के लिए कुछ प्रयोग करने के बाद रूस के वैज्ञानिक भी आश्चर्यचकित हो उठे । उन्होंने प्रयोग करके देखा कि जब व्यक्ति बाहर एक शब्द बोले एवं अपने भीतर दूसरे शब्द का विचार करे तब उनकी सूक्ष्म मशीन में दोनों शब्द अंकित हो जाते थे । उदाहरणार्थ, बाहर के क कहा गया हो एवं भीतर से विचार ग का किया गया हो तो क और ग दोनों छप जाते थे। यदि बाहर कोई शब्द न बोले, केवल भीतर विचार करे तो विचारा गया शब्द भी अंकित हो जाता था ।*

*🔸किन्तु एकमात्र ॐ ही ऐसा शब्द था कि व्यक्ति केवल बाहर से ॐ बोले और अंदर दूसरा कोई भी शब्द विचारे फिर भी दोनों ओर का ॐ ही अंकित होता था। अथवा अंदर ॐ का विचार करे और बाहर कुछ भी बोले तब भी अंदर-बाहर का ॐ ही छपता था ।*

*🔸समस्त नामों में ॐ का प्रथम स्थान है। मुसलमान लोग भी अल्ला होssssss अकबर........ कहकर नमाज पढ़ते हैं जिसमें ॐ की ध्वनि का हिस्सा है ।*

*🔸सिख धर्म में भी एको ओंकार सतिनामु...... कहकर उसका लाभ उठाया जाता है । सिख धर्म का पहला ग्रन्थ है, जपुजी और जपुजी का पहला वचन हैः एको ओंकार सतिनामु.........*

Hindu Panchang Daily हिन्दू पंचांग 🚩

08 Oct, 17:30


*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*दिनांक - 09 अक्टूबर 2024*
*दिन - बुधवार*
*विक्रम संवत् - 2081*
*अयन - दक्षिणायन*
*ऋतु - शरद*
*मास - आश्विन*
*पक्ष - शुक्ल*
*तिथि - षष्ठी दोपहर 12:14 तक तत्पश्चात सप्तमी*
*नक्षत्र - मूल प्रातः 05:15 अक्टूबर 10 तक तत्पश्चात पूर्वाषाढा*
*योग - सौभाग्य प्रातः 06:37 अक्टूबर 09 तक, तत्पश्चात शोभन प्रातः 05:53 अक्टूबर 10 तक, तत्पश्चात अतिगण्ड*
*राहु काल - दोपहर 12:27 से दोपहर 01:55 तक*
*सूर्योदय - 06:36*
*सूर्यास्त - 06:18*
*दिशा शूल - उत्तर दिशा में*
*ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:56 से 05:45 तक*
*अभिजीत मुहूर्त - कोई नहीं*
*निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:02 अक्टूबर 10 से रात्रि 12:51 अक्टूबर 10 तक*
* व्रत पर्व विवरण - सरस्वती आवाहन, अकाल बोधन, छठी नवरात्री*
*विशेष - षष्ठी को नीम-भक्षण (पत्ती फल खाने या दातुन मुंह में डालने) से नीच योनियों की प्राप्ति होती है व सप्तमी को ताड़ का फल खाने से रोग बढ़ते हैं और शरीर का नाश होता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*🔹नवरात्रि विशेष🔹*

*नवरात्रि के सातवें दिन माता कालरात्री की पूजा की जाती है । ज्योतिषीय मान्यताओं के अनुसार देवी कालरात्रि शनि ग्रह को नियंत्रित करती हैं अर्थात इनकी पूजा से शनि के दुष्प्रभाव दूर होते हैं।*

*शास्त्रों के अनुसार इस दिन कालरात्री माँ को गुड़ या इससे बनी चीजों का भोग लगाना चाहिए ।*

*यदि कोई पूरे नवरात्र के उपवास न कर सकता हो तो सप्तमी, अष्टमी और नवमी (इस बार 10,11 व 12 अक्टूबर सुबह 11 am से पहले ) उपवास करके देवी की पूजा करने से वह सम्पूर्ण नवरात्र के उपवास के फल को प्राप्त करता है ।*

*नोट: 12 अक्टूबर सुबह 11 am से पहले उपवास खोल दें ।*

*🔸यदि कोई पूरे नवरात्रि के उपवास-व्रत न कर सकता हो तो सप्तमी, अष्टमी और नवमी तीन दिन उपवास करके देवी की पूजा करने से वह सम्पूर्ण नवरात्रि के उपवास के फल को प्राप्त करता है । नीच कर्मों का त्याग करना चहिये नवरात्रि में । झूट , कपट, दुसरे की वस्तु हरना, दुसरे की चीज खाना, लेना... छोड़ देना चाहिए । अपने हक और पसीने का सात्विक फल आदि जो जरुरत हैं थोडा ले लिया । बाकी का जप, मौन और व्रत रखे , बहुत लाभ होता हैं । -पूज्य बापूजी*

*🔹जीवन में उपयोगी नियम ( भाग - २)🔹*

*🔸11. अश्लील पुस्तक आदि न पढ़कर ज्ञानवर्धक पुस्तकों का अध्ययन करना चाहिए ।*

*🔸12. चोरी कभी न करो ।*

*🔸13. किसी की भी वस्तु लें तो उसे सँभाल कर रखो । कार्य पूरा हो फिर तुरन्त ही वापिस दे दो ।*

*🔸14. समय का महत्त्व समझो । व्यर्थ बातें, व्यर्थ काम में समय न गँवाओ । नियमित तथा समय पर काम करो ।*

*🔸15. स्वावलंबी बनो । इससे मनोबल बढ़ता है ।*

*🔸16. हमेशा सच बोलो । किसी की लालच या धमकी में आकर झूठ का आश्रय न लो ।*

*🔸17. अपने से छोटे दुर्बल बालकों को अथवा किसी को भी कभी सताओ मत । हो सके उतनी सबकी मदद करो ।*

*🔸18. अपने मन के गुलाम नहीं परन्तु मन के स्वामी बनो । तुच्छ इच्छाओं की पूर्ति के लिए कभी स्वार्थी न बनो ।*

*🔸19. किसी का तिरस्कार, उपेक्षा, हँसी-मजाक कभी न करो । किसी की निंदा न करो और न सुनो ।*

*🔸20. किसी भी व्यक्ति, परिस्थिति या मुश्किल से कभी न डरो परन्तु हिम्मत से उसका सामना करो ।*

Hindu Panchang Daily हिन्दू पंचांग 🚩

07 Oct, 14:57


*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*दिनांक - 08 अक्टूबर 2024*
*दिन - मंगलवार*
*विक्रम संवत् - 2081*
*अयन - दक्षिणायन*
*ऋतु - शरद*
*मास - आश्विन*
*पक्ष - शुक्ल*
*तिथि - पंचमी प्रातः 11:17 तक तत्पश्चात षष्ठी*
*नक्षत्र - ज्येष्ठा प्रातः 04:08 अक्टूबर 09 तक तत्पश्चात मूल*
*योग - आयुष्मान प्रातः 06:51 तक तत्पश्चात सौभाग्य*
*राहु काल - दोपहर 03:23 से शाम 04:52 तक*
*सूर्योदय - 06:36*
*सूर्यास्त - 06:18*
*दिशा शूल - उत्तर दिशा में*
*ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:56 से 05:45 तक*
*अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:03 से दोपहर 12:50 तक*
*निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:03 अक्टूबर 09 से रात्रि 12:52 अक्टूबर 09 तक*
* व्रत पर्व विवरण - बिल्व निमन्त्रण, स्कन्द षष्ठी, पंचम नवरात्री*
*विशेष - पंचमी को बेल खाने से कलंक लगता है व षष्ठी को नीम-भक्षण (पत्ती फल खाने या दातुन मुंह में डालने) से नीच योनियों की प्राप्ति होती है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*🔹नवरात्रि विशेष🔹*

*🔸आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि यानी शारदीय नवरात्रि का छठा दिन है । इस दिन मां दुर्गा के छठें स्वरूप देवी कात्यायनी की पूजा करने का विधान है । कहा जाता है कि मां कात्यायनी की पूजा करने से भक्तों को आसानी से अर्थ, धर्म, काम और मोक्ष की प्राप्ति होती है ।*

*🔸इस दिन मां कात्यायनी को पूजन में शहद का को भोग लगाना चाहिए । इससे मां प्रसन्न होती हैं और भक्तों की सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करती हैं ।*

*🔹लक्ष्मीप्राप्ति व घर में सुख-शांति हेतु🔹*

*🔸 ‘परमात्मा मेरे आत्मा हैं । ॐ आनंद, ॐ शांति, ॐ माधुर्य... ।’ घर में अन्न की कमी हो तो ऐसा चिंतन करके जौ का ध्यान करें, अन्न की कमी सदा के लिए मिट जायेगी । - पूज्य बापूजी*

*🔸घर में टूटी-फूटी अथवा अग्नि से जली हुई प्रतिमा की पूजा नहीं करनी चाहिए । ऐसी मूर्ति की पूजा करने से गृहस्वामी के मन में उद्वेग या अनिष्ट होता है । (वराह पुराण :१८६.३७)*

*📖 ऋषि प्रसाद – नवम्बर २०१८*

*🔹जीवन में उपयोगी नियम 🔹*

*🔸1. जहाँ रहते हो उस स्थान को तथा आस-पास की जगह को साफ रखो ।*

*🔸2. हाथ पैर के नाखून बढ़ने पर काटते रहो । नख बढ़े हुए एवं मैल भरे हुए मत रखो ।*

*🔸3. अपने कल्याण के इच्छुक व्यक्ति को बुधवार व शुक्रवार के अतिरिक्त अन्य दिनों में बाल नहीं कटवाना चाहिए ।*

*🔸4. सोमवार, बुधवार और शनिवार शरीर में तेल लगाने हेतु उत्तम दिन हैं । यदि तुम्हें ग्रहों के अनिष्टकर प्रभाव से बचना है तो इन्हीं दिनों में तेल लगाना चाहिए ।*

*🔸5. शरीर में तेल लगाते समय पहले नाभि एवं हाथ-पैर की उँगलियों के नखों में भली प्रकार तेल लगा देना चाहिए ।*

*🔸6. पैरों को यथासंभव खुला रखो । प्रातःकाल कुछ समय तक हरी घास पर नंगे पैर टहलो । गर्मियों में मोजे आदि से पैरों को मत ढँको ।*

*🔸7. ऊँची एड़ी के या तंग पंजों के जूते स्वास्थ्य को हानि पहुँचाते हैं ।*

*🔸8. पाउडर, स्नो आदि त्वचा के स्वाभाविक सौंदर्य को नष्ट करके उसे रूखा एवं कुरूप बना देते हैं ।*

*🔸9. बहुत कसे हुए एवं नायलोन आदि कृत्रिम तंतुओं से बने हुए कपड़े एवं चटकीले भड़कीले गहरे रंग से कपड़े तन-मन के स्वास्थ्य के हानिकारक होते हैं । तंग कपड़ों से रोमकूपों को शुद्ध हवा नहीं मिल पाती तथा रक्त-संचरण में भी बाधा पड़ती है। बैल्ट से कमर को ज़्यादा कसने से पेट में गैस बनने लगती है । ढीले-ढाले सूती वस्त्र स्वास्थ्य के लिए अति उत्तम होते हैं ।*

*🔸10. कहीं से चलकर आने पर तुरंत जल मत पियो, हाथ पैर मत धोओ और न ही स्नान करो । इससे बड़ी हानि होती है । पसीना सूख जाने दो । कम-से-कम 15 मिनट विश्राम कर लो । फिर हाथ-पैर धोकर, कुल्ला करके पानी पीयो । तेज गर्मी में थोड़ा गुड़ या मिश्री खाकर पानी पीयो ताकि लू न लग सके ।*

Hindu Panchang Daily हिन्दू पंचांग 🚩

06 Oct, 15:32


*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*दिनांक - 07 अक्टूबर 2024*
*दिन - सोमवार*
*विक्रम संवत् - 2081*
*अयन - दक्षिणायन*
*ऋतु - शरद*
*मास - आश्विन*
*पक्ष - शुक्ल*
*तिथि - चतुर्थी प्रातः 09:47 तक तत्पश्चात पंचमी*
*नक्षत्र - अनुराधा रात्रि 02:25 अक्टूबर 08 तक तत्पश्चात ज्येष्ठा*
*योग - प्रीति प्रातः 06:40 तक तत्पश्चात आयुष्मान*
*राहु काल - प्रातः 08:02 से  प्रातः 09:30 तक*
*सूर्योदय - 06:33*
*सूर्यास्त - 06:21*
*दिशा शूल - पूर्व दिशा में*
*ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:56 से 05:45 तक*
*अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:04 से दोपहर 12:51 तक*
*निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:03 अक्टूबर 08 से रात्रि 12:52 अक्टूबर 08 तक*
* व्रत पर्व विवरण - उपांग ललिता व्रत, सर्वार्थ सिद्धि योग (प्रातः 06:33 से रात्रि 02:25 अक्टूबर 08 तक), चतुर्थ नवरात्री*
*विशेष - पंचमी को बेल खाने से कलंक लगता है | (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*🔅 शीघ्र कर्जमुक्ति के उपाय 🔅*

*🔸 जब तक आपका कर्जा पूर्ण समाप्त न हो जाय तब तक नियमितरूप से 'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय' इस मंत्र का मन-ही-मन जप करते हुए पीपल-वृक्ष को जल अर्पित करें और उसकी गीली मिट्टी से तिलक करें। इससे आप शीघ्र कर्ज-मुक्त होंगे ।*

*🔸 यदि आपके व्यवसाय में कारीगर अथवा नौकर हैं तो उन्हें महीने में एक बार अवश्य अपने घर का भोजन इस भाव से खिलायें कि 'सभी रूपों में भगवान हैं, आज हम इन रूपों में विराजित भगवान को भोग अर्पण कर रहे हैं।' ऐसा करने से आपके व्यवसाय में हमेशा भगवान की कृपा बनी रहेगी। आपके सहयोगी पूरे जी- जान से कार्य में लगे रहेंगे, जिससे केवल कर्ज का चुकाना ही नहीं अपितु बरकत लाना भी आसान हो जायेगा। हर महीने नहीं कर सकते तो विशेष अवसरों पर ही करें।*

*🔰 नवरात्रि उपवास कब करें ?*

*🌹 पूज्य बापूजी ने कहा है, नवरात्रि उपवास सभी 9 दिनों तक करना चाहिए, यदि कोई नहीं कर सकता है – किसी को इसे आखिरी के 6 दिनों तक करना चाहिए, या फिर कोई नहीं भी कर सकता है, किसी को नवरात्रि के कम से कम अंतिम 3 दिन यानी नवरात्रि के 7 वें , 8वें और 9वें दिन को उपवास करना चाहिए।*

Hindu Panchang Daily हिन्दू पंचांग 🚩

05 Oct, 15:08


*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*दिनांक - 06 अक्टूबर 2024*
*दिन - रविवार*
*विक्रम संवत् - 2081*
*अयन - दक्षिणायन*
*ऋतु - शरद*
*मास - आश्विन*
*पक्ष - शुक्ल*
*तिथि - तृतीया प्रातः 07:49 तक तत्पश्चात चतुर्थी*
*नक्षत्र - विशाखा रात्रि 12:11 अक्टूबर 07 तक तत्पश्चात अनुराधा*
*योग - प्रीति प्रातः 06:40 अक्टूबर 07 तक तत्पश्चात आयुष्मान*
*राहु काल - शाम 04:53 से शाम 06:22 तक*
*सूर्योदय - 06:36*
*सूर्यास्त - 06:18*
*दिशा शूल - पश्चिम दिशा में*
*ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:56 से 05:44 तक*
*अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:04 से दोपहर 12:51 तक*
*निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:03 अक्टूबर 07 से  रात्रि 12:52 अक्टूबर 07 तक*
*व्रत पर्व विवरण - विनायक चतुर्थी, रवि योग (प्रातः 06:33 से रात्रि 12:11 अक्टूबर 07 तक), तृतीय नवरात्री*
*विशेष - चतुर्थी को मूली खाने से धन-नाश होता है | (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*🔸 आदिशक्ति की आराधना का पर्व : शारदीय नवरात्र*

*🔅 अश्विन शुक्लपक्ष की प्रतिपदा से नवमी तिथि तक का पर्व शारदीय नवरात्र के रूप में जाना जाता है। यह व्रत- उपवास, आद्यशक्ति माँ जगदम्बा के पूजन-अर्चन व जप- ध्यान का पर्व है।*

*🔅 'देवी भागवत' में आता है कि विद्या, धन व पुत्र के अभिलाषी को नवरात्र-व्रत का अनुष्ठान करना चाहिए। जिसका राज्य छिन गया हो, ऐसे नरेश को पुनः गद्दी पर बिठाने की क्षमता इस व्रत में है। नवरात्र में प्रतिदिन देवी-पूजन, हवन व कुमारी-पूजन करें तथा ब्राह्मण- भोजन करायें तो नवरात्र व्रत पूरा होता है ऐसी उक्ति है।*

*🔅 नवरात्र के दिनों में भजन-कीर्तन गाके, वाद्य बजाके और नाचकर बड़े समारोह के साथ उत्सव मनाना चाहिए। भूमि पर शयन एवं यथाशक्ति कन्याओं को भोजन कराना चाहिए किंतु एक वर्ष व उससे कम उम्र की कन्या नहीं लेनी चाहिए। 2 से 10 वर्ष तक की कन्या को ही लिया जा सकता है।*

*🔅 'देवी भागवत' में कहा गया है कि दक्ष के यज्ञ का विध्वंस करनेवाली भगवती भद्रकाली का अवतार अष्टमी तिथि को हुआ था। मनुष्य यदि नवरात्र में प्रतिदिन पूजन करने में असमर्थ हो तो अष्टमी के दिन उसे विशेष रूप से पूजन करना चाहिए।*

*🔅 यदि कोई पूरे नवरात्र के उपवास न कर सकता हो तो सप्तमी, अष्टमी और नवमी - तीन दिन उपवास करके देवी की पूजा करने से वह सम्पूर्ण नवरात्र के उपवास के फल को प्राप्त करता है।*

*💆🏼‍♂️😠 चिंता, चिड़चिड़ापन व तनाव काल : कम करने हेतु*

*🔰 जो व्यक्ति स्नान करते समय पानी में (5 मि.ली.) गुलाबजल मिलाकर 'ॐ ह्रीं गंगायै ॐ ह्रीं स्वाहा।' यह मंत्र बोलते हुए सिर पर जल डालता है, उसे गंगा-स्नान का पुण्य होता है तथा साथ ही मानसिक चिंताओं में कमी आती है और तनाव धीरे-धीरे दूर होने लगता है, विचारों का शोधन होने लगता है, चिड़चिड़ापन कम होता है तथा वह अपने-आपको तरोताजा अनुभव करता है।*

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