सनातनी हिन्दू राकेश @modified_hindu4 Channel on Telegram

सनातनी हिन्दू राकेश

@modified_hindu4


सनातनी हिन्दू राकेश (Hindi)

अब आ गया है एक नया टेलीग्राम चैनल - सनातनी हिन्दू राकेश! यह चैनल एक ऐसा स्थान है जहाँ आप हिन्दू धर्म, संस्कृति, और तत्वों के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। यहाँ आपको भगवान के भक्ति गीत, पौराणिक कथाएं, और धार्मिक उपदेश मिलेंगे। सनातनी हिन्दू राकेश चैनल हिन्दू अभियानों और संस्कृति को बढ़ावा देने का मिशन लेकर आया है।nnइस चैनल का यूजरनाम modified_hindu4 है और यह चैनल हिन्दू धर्म के महत्वपूर्ण संदेशों को साझा करने का काम कर रहा है। यदि आप भी अपने आत्मा को शांति और सुख की खोज में हैं, तो सनातनी हिन्दू राकेश चैनल आपके लिए एक सशक्त साथी साबित हो सकता है।nnइस चैनल में आपको धार्मिक ज्ञान, पौराणिक कथाएं, और ध्यान करने के लिए प्रेरणादायक कथाएं मिलेंगी। इसके साथ ही, आप भगवान के भक्ति गीतों का भी आनंद ले सकेंगे। तो जल्दी से modified_hindu4 यूजरनेम वाले सनातनी हिन्दू राकेश चैनल को ज्वाइन करें और अपने आत्मा को पूरी तरह से प्रेरित करें।

सनातनी हिन्दू राकेश

08 Oct, 20:20


23 अप्रैल 2010 को मुंबई से कोयंबटूर जाने वाली फ्लाइट खड़ी थी। विमान में 132 यात्री थे। लेकिन प्रफुल्ल पटेल की बेटी को आईपीएल देखना था, विमान से सारे यात्री उतार दिए गए और प्रफुल्ल पटेल की बेटी अकेले उस विमान में बैठकर आईपीएल का मैच देखने गई थी। आपको शायद इस बात पर भरोसा ना हो इसका भी लिंक पोस्ट के अंत में है।

एयर इंडिया के सबसे बड़े गुनहगार प्रफुल्ल पटेल हैं और प्रफुल्ल पटेल के गुनाहों का सीधा संबंध मनमोहन सिंह से है, क्योंकि मनमोहन सिंह एक प्रधानमंत्री होने के नाते मंत्री मंडल के प्रमुख होते हैं।

एयर इंडिया जब 35 हजार करोड़ के घाटे में थी तब प्रफुल्ल पटेल ने सिर्फ कमीशन के लिए 111 प्लेन खरीदने के ऑर्डर दिए थे, इसका लिंक भी मैं पोस्ट के अंत में दे रहा हूं।

एयर इंडिया के मैनेजमेंट ने आठ बार एविएशन मंत्री को पत्र लिखा। अभी नए विमान खरीदना एयर इंडिया की सेहत के लिए ठीक नहीं है बल्कि हमारे पास पहले से ही 93 विमान हैं। हमें सिर्फ रूट स्ट्रक्चरिंग और मैनेजमेंट पर ध्यान देना चाहिए। लेकिन प्रफुल्ल पटेल ने दबाव डालकर जबरदस्ती विमान खरीदा वह भी 111 और यह सारे पैसे कर्जे लिए गए उसके बाद से तो एयर इंडिया जैसे खत्म हो गई।

जब यूपीए वन में प्रफुल्ल पटेल ने एयर इंडिया का भरपूर बलात्कार कर लिया, फिर यूपीए-2 में एके एंटनी को एविएशन मंत्री बनाया गया। एके एंटनी ने भी एयर इंडिया को बर्बाद करना शुरू किया। यहां तक कि एयर इंडिया जो उस वक्त 60 हजार करोड़ के घाटे में जा चुकी थी उसे अपनी पत्नी एलिजाबेथ एंटनी की फालतू की बकवास पेंटिंग खरीदने का दबाव डाला गया और उनकी पत्नी की दो पेंटिंग एयर इंडिया ने ढाई लाख रुपए में खरीदें।

अंततः मनमोहन सरकार ने जब कुर्सी छोड़ी तब एयर इंडिया का घाटा 65000 करोड़ तक का पहुंच चुका था। सारे विमान बंद हो चुके थे। कई विमानों के एक्सीडेंट हुए। विमानों की सर्विसिंग नहीं हो रही थी और मनमोहन सिंह के समय में ही एयर इंडिया ग्राउंड हो चुकी थी। अब इतनी बड़ी घाटे वाली कंपनी को चलाना संभव नहीं अंततः इस एयरलाइन को इसके मूल मालिक के पास 18 हजार करोड़ में वापस भेजा गया और साथ में एयर इंडिया की जितनी देनदारी है वह देनदारी भी टाटा को चुकानी होगी।

आप पोस्ट के अंत में दिए सारे लिंक को जरूर पढियेगा और सोचिए किस तरह से मनमोहन सिंह ने एयर इंडिया का बलात्कार किया।

https://www.news18.com/cricketnext/news/air-india-clarifies-flight-diverted-ai-cmd-reply-2-564992.html

https://www.indiatoday.in/india/north/story/air-india-deployed-bigger-aircraft-for-praful-patels-family-93725-2012-02-21

https://www.moneylife.in/article/air-india-finally-admits-that-it-gave-bigger-plane-to-praful-patels-family/23768.html

https://caravanmagazine.in/reportage/tailspin

https://www.thehindu.com/news/national/air-india-route-sharing-deal-praful-patel-seeks-alternative-date-from-ed-for-questioning/article27533528.ece

https://zeenews.india.com/news/nation/poorna-patel-used-ai-plane-as-ipl-charter_621427.html

https://www.firstpost.com/business/the-praful-patel-guide-to-destroying-ai-revised-edition-34635.html

https://www.businesstoday.in/industry/aviation/story/praful-patel-forced-air-india-to-buy-excess-aircraft-23879-2011-05-09

https://www.livemint.com/Home-Page/nIH6rsgfrpMlgJSy5CqJ5O/Praful-Patel-blamed-for-grounding-Air-India.html

https://www.outlookindia.com/website/story/praful-patel-has-destroyed-civil-aviation-he-has-worked-as-a-minister-for-nar/269581

https://www.indiatvnews.com/news/india-former-aviation-minister-praful-patel-dear-friend-lobbyist-deepak-talwar-ed-526184

https://www.indiatoday.in/magazine/nation/story/20111212-bankrupt-air-india-buys-canvases-a-k-antony-wife-elizabeth-749885-2011-12-03

#साभार
@modified_hindu6

सनातनी हिन्दू राकेश

08 Oct, 20:20


मैं पहले इस कांग्रेसी के वॉल पर ही इसके कुतर्क और इसके झूठ का जवाब देता था। लेकिन यह कांग्रेसी किसी कोठे की पैदाइश है, यह सिर्फ गालियां देता है। यह कभी तथ्यों के साथ तर्कों के साथ स्वथ्य बहस नहीं करता।

यह नेहरू को भगवान समझ रहा है।

सच्चाई यह है कि नेहरू को अमेरिका जाना था, उस वक्त भारत सरकार के पास विमान नहीं था। नेहरू ने टाटा से जहाज मांगे, टाटा के सारे विमान या तो बुक थे या खाली नहीं थे, तो टाटा ने जब इज्जत से मना कर दिया। फिर नेहरू ब्रिटेन से विमान लेकर अमेरिका गए थे।

उसके बाद नेहरू ने टाटा पर सारा गुस्सा उतारा और एयर इंडिया को यानी टाटा की एयरलाइन को उनसे छीन लिया।

नेहरू चाहते तो एक सरकारी एयरलाइन शुरू कर सकते थे। इसमें कोई शक नहीं है कि नेहरू ने स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया शुरू की थी। वह चाहते तो टाटा स्टील भी छीन सकते थे। नेहरू ने भिलाई और राउलकेला के स्टील के प्लांट सोवियत संघ के मदद से लगाए। उन्होंने टाटा का स्टील प्लांट तो नही लुटा, नेहरू ने सिर्फ टाटा से उनकी एयरलाइन ही लूटी, क्योंकि टाटा ने उन्हें विमान देने से मना किया था।

दूसरी बात यह खुद लिख रहा है 1955 में गुटनिरपेक्ष देश में हिस्सा लेने के लिए जब चीन के प्रधानमंत्री चायू एन लाई को इंडोनेशिया जाना था, तो चीन के पास विमान नहीं था। उन्होंने एयर इंडिया से किराए पर विमान लिया था। आज यदि चीन इस मुकाम पर पहुंच गया और भारत कहां है उसका जवाब कौन देगा? आजादी के 70 साल में से 55 साल तो कांग्रेसियों ने राज किया है।

फिर ये आगे झूठ लिख रहा है कि एयर इंडिया की हालत अटल जी के टाइम में खराब हुई।

जबकि सच्चाई यह है कि 1994 में जब पी वी नरसिंह राव प्रधानमंत्री बने और घोटालों के महाराजा पीवी मनमोहन सिंह वित्त मंत्री बने, तब उन्होंने आर्थिक उदारीकरण की शुरुआत की और 1994 में नरसिम्हा राव सरकार ने मनमोहन सिंह की सिफारिश पर 8 नए एयरलाइन, जिनमें जेट एयरवेज, दमानिया एयरवेज, ईस्ट वेस्ट एयरवेज सहारा एयरलाइंस मोदीलुफ्त एयरलाइंस, NEPC एयरलाइंस थी, उनकी मंजूरी दी।

इसमें सभी एयरलाइंस में या तो कांग्रेसी नेताओं के पैसे लगे थे या फिर अंडरवर्ल्ड का पैसा लगा था।

दमानिया एयरवेज का मालिक परवेज दमानिया दुबई में रहता था और अंडरवर्ल्ड का माना जाना गुंडा था। वह दाऊद गैंग का था और दमानिया एयरवेज में सारा पैसा दाऊद का था।

भारत सरकार के पास कई सूचना गई कि दमानिया एयरवेज में दुबई से सोना लाया जाता है और अंत में जब छापा मारा गया तब इस एयरलाइन के कई विमानों में से भारी मात्रा में सोना मिला था।

जेट एयरवेज का मालिक नरेश गोयल खुलेआम स्वीकार कर चुका है कि उसने अंडरवर्ल्ड की मदद से एयरलाइंस शुरू की थी।

सहारा एयरवेज में सारा पैसा कांग्रेसी नेता और समाजवादी पार्टी के नेताओं का था।

और इन प्राइवेट एयरलाइंस को फायदा पहुंचाने के लिए एयर इंडिया के समय सारणी में बदलाव कर दिया गया, यानी पीक टाइम में जब ट्रैफिक रहती है तब एयर इंडिया और इंडियन एयरलाइंस के विमान हटा दिए गए और कई व्यस्त रूट पर से एयर इंडिया और इंडियन एयरलाइंस के विमान हटा लिए गए, ताकि नेताओं की और अंडरवर्ल्ड की एयरलाइंस को फायदा मिल सके और मनमोहन सिंह के वित्त मंत्री रहते और पीवी नरसिम्हा राव के प्रधान मंत्री रहने के दौरान से एयर इंडिया घाटी में जानी शुरू हुई और जब पी वी नरसिंह राव ने कुर्सी छोड़ी तब तक एयर इंडिया उस जमाने में 30 हजार करोड़ के भारी भरकम घाटे में जा चुकी थी।

उसके बाद अटल जी सत्ता में आए फिर अटल जी को लगा कि वह एयर इंडिया के भारी भरकम घाटे को कवर नहीं कर सकते तब उन्होंने एयर इंडिया से 40 परसेंटेज स्टेक का डिसइनवेस्टमेंट करने को सोचा, लेकिन काफी हंगामा मचा।

चुकी अटल जी की सरकार पूर्ण बहुमत से नहीं थी इसलिए अटलजी एयर इंडिया का डिसइन्वेस्टमेंट नहीं कर पाए और अटल जी ने जो सत्ता छोड़ी तब एयर इंडिया का घाटा 15 हजार करोड़ तक का था, यानी अटल जी ने एयर इंडिया की सेहत सुधारने के लिए काफी कोशिश की थी और वह काफी हद तक सफल भी हुए थे।

उसके बाद मनमोहन सिंह सत्ता में आए, प्रफुल्ल पटेल नागरिक उड्डयन मंत्री बने और प्रफुल्ल पटेल ने तो जैसे एयर इंडिया का बलात्कार करना शुरू कर दिया।

मैं पोस्ट के अंत में तमाम लिंक दे रहा हूं जो यह बताएगी कि किस तरह से प्रफुल्ल पटेल एयर इंडिया का बलात्कार कर रहे थे और मनमोहन सिंह चुपचाप देख रहे थे।

सिर्फ अकेले प्रफुल्ल पटेल की बेटी ने 8 बार भंडारा से मुंबई, मुंबई से दिल्ली बोइंग 737 में उड़ान भरी थी। प्रफुल्ल पटेल की पूरी फैमिली को कहीं भी जाना होता था वह एयर इंडिया के बोइंग 747 या 787 में सफर करते थे। उसका पूरा लिंक मैं आपको पोस्ट के अंत में दे रहा हूं ताकि आपको पूरी सच्चाई पता चले कि किस तरह से प्रफुल्ल पटेल एयर इंडिया का बलात्कार करते रहे और मनमोहन सिंह चुपचाप देखते रहे।

सनातनी हिन्दू राकेश

27 Sep, 20:42


२५. कौन सी सूचना “बंद लिफाफे” में दी जाए और कौन सी खुले में दी जाए, यह फैसला करने का अधिकार केवल सरकार को होना चाहिए जबकि वर्तमान में जब मर्जी सुप्रीम कोर्ट कहता है सबके सामने सूचना दी जाए और जब मर्जी कहता है बंद लिफाफे में दी जाए, यह मनमानी बंद होनी चाहिए;

२६. चुनाव याचिकावों पर संबंधित हाई कोर्ट में 6 महीने में फैसला हो जाना चाहिए, जिसके खिलाफ याचिका दायर हुई है, यदि वह अयोग्य माना जाता है तो उसे तुरंत संसद या विधायिका से बाहर किया जा सके। ऐसी याचिकाओं पर फैसले कभी कभी संसद या विधानसभा का कार्यकाल समाप्त होने के बाद करते हैं कोर्ट जिसका कोई लाभ नहीं है और एक अयोग्य व्यक्ति सदन का सदस्य रहता है और उस पर टैक्सपेयर एक पैसा खर्च होता है;

२७. किसी मामले को सीधा सुप्रीम कोर्ट में सुन लिया जाता है और किसी में निर्देश दिए जाते हैं कि हाई कोर्ट जाएं। यह मनमानी नहीं होनी चाहिए; न्यायपालिका खुद नियम तय करे कि पहले हर मामला हाई कोर्ट जायेगा और सुप्रीम कोर्ट सीधा सुनेगा तो कब सुनेगा। इसके लिए कुछ नियम तय होने चाहिए;

२८. चीफ जस्टिस के रोस्टर में पारदर्शिता की कमी है, यह शिकायत अक्सर वकीलों को रहती है, इस कमी को दूर करना चाहिए;

२९. ड्रेस कोड का पालन हो या न हो, एक नियम होना चाहिए; स्कूलों और कॉलेजों में ड्रेस कोड न मानने के मुक़दमे सुनने से पहले सुप्रीम कोर्ट तय करे कि क्या वह अपनी कोर्ट में हिज़ाब जैसे परिधान की अनुमति देगा, यदि नहीं देगा तो कोई भी याचिका सुनवाई के लिए स्वीकार नहीं होनी चाहिए;

३०. बच्चियों पर हुए यौन अपराध / बलात्कार के लिए यदि ट्रायल कोर्ट ने फांसी की सजा दी है और हाई कोर्ट ने पुष्टि की है तो सुप्रीम कोर्ट के उसकी फांसी की सजा माफ़ करने के अधिकार पर रोक लगनी चाहिए। अभी ऐसी फांसी माफ़ कर दी जाती है यह कह कर कि Every Sinner Has a Future;

३१. ट्रायल कोर्ट के फैसले पर हाई कोर्ट जांच करता है और हाई कोर्ट के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट लेकिन सुप्रीम कोर्ट का फैसला भी गलत हुआ तो फिर क्या ? इसलिए सुप्रीम कोर्ट के भी कुछ मामलों के फैसलों का फोरेंसिक ऑडिट होना चाहिए; आज के समय में सुप्रीम कोर्ट और विभिन्न हाई कोर्ट अपराधियों, गैर हिंदुओं खासकर मुस्लिमों के पक्ष खड़े दिखाई देते और हिंदुओं के विरोध में, फोरेंसिक ऑडिट से इस पर रोक लगेगी;

३२. केसेस की लिस्टिंग के कोई नियम नहीं हैं, कुछ मामले तुरंत जल्द लिस्ट हो जाते हैं और कुछ तुरंत या जल्दी लिस्टिंग के लिए अस्वीकार कर दिए जाते हैं कि उनकी लिस्टिंग अपने समय पर होगी। यह बेईमानी की तरफ इशारा करता है और केसेस की लिस्टिंग 5-5 साल तक होना तो निश्चित रूप से बेईमानी से ही हो सकती है;

३३. हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में प्रैक्टिस करने वाले वकीलों की फीस क्या होती है, यह पब्लिक डोमेन में होनी चाहिए और उनकी भी संपत्ति और देनदारी विवरण पब्लिक में जारी होनी चाहिए और यह भी बताया जाना चाहिए कि उन्होंने हर साल कितना आयकर दिया है; वकीलों की फीस केवल चेक से ही ली जानी चाहिए;

३४. रोहियाओं के मुकदमे 2017 से लंबित हैं सुप्रीम कोर्ट में। 6 बड़े वकीलों से एफिडेविट मांगा जाए कि उनकी फीस किसने दी जिससे पता चले कि क्या किसी आतंकवादी संगठन से तो फंडिंग नहीं हुई। घुसपैठियों को देश में रखना है या नहीं, उन्हें शरण देनी है या नहीं, यह अधिकार सरकार का होना चाहिए, सुप्रीम कोर्ट का इसमें कोई दखल नहीं होना चाहिए;

३५. न्यायालय की अवमानना:

(क) कोर्ट के आदेश के उल्लंघन के मामले में तो फैसला संबंधित कोर्ट कर सकता है लेकिन यदि मामले किसी टिप्पणी या कोर्ट के विरुद्ध किसी आचरण का है तो उसका फैसला करने का अधिकार कोर्ट को नहीं होना चाहिए क्योंकि कोर्ट तो स्वयं एक असंतुष्ट पक्ष है और ऐसे में वह निर्णय करने में सक्षम नहीं हो सकती;

(ख) इसके लिए 7 प्रतिष्ठित नागरिको की एक समिति का गठन किया जाए जो जांच करे कि क्या सच में अदालत की अवमानना हुई और उस समिति के सामने कोर्ट भी अपना पक्ष रखे;

३६. हर एक कोर्ट के जज (हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट समेत) किसी के खिलाफ आपत्तिजनक और मर्यादाहीन वो टिप्पणियां न करें जो जजों के आदेशों का हिस्सा नहीं होती, कभी कभी तो सड़क छाप भाषा जैसी प्रयोग कर दी जाती है जैसे नूपुर शर्मा के लिए की गई थी और हिंदुओं के विरुद्ध आचरण हुआ था कोर्ट का कांवड़ मार्ग पर होटलों ढाबों में नेमप्लेट लिखने के विषय में।

#साभार: सुभाष चन्द्र
@modified_hindu6

सनातनी हिन्दू राकेश

27 Sep, 20:42


१२. सुप्रीम कोर्ट या हाई कोर्ट में नियुक्त होने वाले जजों का कार्यकाल नियत होना चाहिए। हाई कोर्ट में अधिकतम 5 वर्ष या 62 वर्ष की आयु जो भी पहले हो, और सुप्रीम कोर्ट में 5 वर्ष या आयु 65 वर्ष। इस तरह 8-8 साल की अवधि या उससे भी ज्यादा की सर्विस वाले रोके जा सकेंगे जिससे अदालत में तानाशाही कम हो;

१३. हाई कोर्ट के जजों की नियुक्ति केवल UPSC द्वारा की जाए और जो भी उम्मीदवार चयनित हो, उसे नियुक्ति से पहले अपनी और अपने परिवार की संपत्ति और देनदारी विवरण जमा करनी चाहिए; इससे भी न्यायपालिका में परिवारवाद पर अंकुश लगेगा;

१४. वर्तमान कॉलेजियम के मिनट्स की विधिवत रेकॉर्डिंग होनी चाहिए जिससे पता चल सके कि किसी हाई कोर्ट के एक या दो वकीलों की हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में जज के रूप में नियुक्ति की सिफारिश किस आधार पर की जाती है जबकि हाई कोर्ट में तो हजारों वकील होते हैं;

१५. हाई कोर्ट के जजों का ट्रांसफर करते हुए उनकी संबंधित कोर्ट में वरिष्ठता देख कर ही ट्रांसफर होना चाहिए जबकि सुप्रीम कोर्ट जूनियर न्यायाधीश को भी ट्रांसफर कर देता है जो नियमों के अनुसार नहीं है;

१६. सुप्रीम कोर्ट को संसद द्वारा बनाए गए किसी कानून को रद्द करने का अधिकार नहीं होना चाहिए, कोर्ट केवल कानूनी कमियां बताने का अधिकार रखता है, और वह सरकार को कमियां बताए, सरकार चाहे तो स्वीकार करे और संशोधन भी कर सकती है, वरना उसे ही क़ानून माना जाए। संसद 140 करोड़ जनमानस की प्रतिनिधि है और इस नाते संसद को ही कानून बनाने का अधिकार है, सुप्रीम कोर्ट किसी तरह भी संसद से ऊपर नहीं हो सकता;

१७. किसी भी मुक़दमे या अपील के हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में 2 वर्ष से ज्यादा समय तक लंबित होने पर उस कोर्ट के चीफ जस्टिस और रजिस्ट्री की जवाबदेही तय होनी चाहिए और उनके खिलाफ कार्रवाई करने के लिए भी नियम बनाए जाने चाहिए;

१८. जो भी आज की तारीख में ऐसे मामले 2 वर्ष से ज्यादा लंबित हैं, उनके बारे में 3 महीने जांच कर जवाबदेही तय कर फैसला होना चाहिए; और ऐसे मामलों के फैसले 6 महीने होने चाहिए; लालू यादव की 32 साल सजा की 5 अपील कई वर्षों से झारखंड हाई कोर्ट में लंबित हैं और सबसे पहली अपील तो दिसंबर, 2013 से लंबित है;

१९. किसी केस में यदि हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट स्टे लगाता है तो उसका फैसला 3 महीने में हो जाना चाहिए जबकि स्टे लगाने के बाद वर्षों तक मुकदमो और अपीलों पर फैसला नहीं होता;

२०. विधायकों और सांसदों को यदि ट्रायल कोर्ट द्वारा दी गई 2 वर्ष की सजा के आधार संसद या विधानसभा से अयोग्य किया जाता है तो उनके खिलाफ अपीलों पर फैसला हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में 2 महीने में हो जाना चाहिए, जिससे वह बिना वजह विधायक या सांसद न रह सके;

२१. स्वतः संज्ञान लेने के कुछ नियम होने चाहिए, मनमानी नहीं होनी चाहिए कि किसी विषय पर स्वत संज्ञान ले लिया और कभी गंभीर मामले पर भी कोई ध्यान नहीं दिया जाता;

२२. हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के किसी भी जज के विरुद्ध भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस की अनुमति की अनिवार्यता ख़त्म होनी चाहिए; सरकार को किसी जज के खिलाफ मिली शिकायत की जांच करने की स्वतंत्रता होनी चाहिए;

२३ (क). हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ महाभियोग चलाने के नियमों में ढील होनी चाहिए और किन कारणों पर महाभियोग शुरू हो, उसकी पुनर्व्याख्या होनी चाहिए। वर्तमान में किसी जज को दुर्व्यवहार या अक्षमता के आधार पर हटाया जा सकता है, इसमें भ्रष्टाचार को भी जोड़ना चाहिए;

२३ (ख). वैसे तो जब जजों की नियुक्ति संसद द्वारा होती ही नहीं तो संसद को उन पर महाभियोग चला कर हटाने का भी कोई अधिकार नहीं होना चाहिए। नियुक्ति प्राधिकारी, राष्ट्रपति को ही जजों को हटाने की भी शक्ति होनी चाहिए और उसके लिए 11 निष्पक्ष बुद्दिजीविजयों की समिति का गठन हो जिसकी सिफारिश पर राष्ट्रपति जजों को हटाने का निर्णय करें;

२४. PIL दाखिल करने के लिए भी बदलाव होने चाहिए। एक अकेले व्यक्ति को 80% हिंदुओं के रीति रिवाजों, धार्मिक मान्यताओं या उनसे जुड़े किसी भी मामले के लिए PIL दाखिल करने का अधिकार नहीं होना चाहिए। PIL एक उद्योग बन चुका है और इसका खेल खेलने वालों की निगरानी होनी चाहिए, उन्हें कहां से पैसा मिलता है, इसकी जांच होनी चाहिए और सुप्रीम कोर्ट या हाई कोर्ट्स को उन वकीलों से फंडिंग के श्रोत के लिए एफिडेविट लेना चाहिए कि उन्हें PIL दायर करने और लड़ने के लिए किसने और कितना पैसा दिया है; ऐसी PILs के लिए फंडिंग करने वालों से वकीलों को फीस केवल “चेक” से मिलनी चाहिए;

सनातनी हिन्दू राकेश

27 Sep, 20:42


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक खुला पत्र, न्यायिक प्रक्रिया में सुधार के लिए सुझाव।

आदरणीय प्रधानमंत्री मोदी जी,

आपने 15 अगस्त, 2024 के लाल किले से अपने संबोधन में न्यायिक प्रक्रिया में सुधार लाने की बात कही थी और यह भाजपा के 2024 लोकसभा चुनाव के “संकल्प पत्र” में भी था।

इन सुधारों के लिए कुछ सुझाव दे रहा हूं। यदि इन्हे अमल में लाया जाए तो देश का बहुत भला होगा और आपको लोगों का भरपूर समर्थन मिलेगा क्योंकि लोग आज न्यायपालिका की खासकर सुप्रीम कोर्ट की तानाशाही और पक्षपात के आचरण से क्रोध में हैं और सुप्रीम कोर्ट पर अंकुश लगाने के पक्षधर हैं। अपने सुझाव नीचे दे रहा हूं:

१. सबसे पहले राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (NJAC) को बहाल किया जाए और कॉलेजियम ख़त्म किया जाए जिसका जिक्र संविधान में नहीं है और SC को कानून बनाने का कोई अधिकार भी नहीं था लेकिन फिर भी देश पर यह कॉलेजियम थोपा गया; कॉलेजियम ने राष्ट्रपति द्वारा “परामर्श” को “सहमति” में बदल कर संविधान संशोधन तक कर दिया जिसे केवल संसद कर सकती है वह भी दो तिहाई बहुमत से;

२. सुप्रीम कोर्ट के 16 अक्टूबर, 2015 के NJAC, 2014 को रद्द करने के फैसले को सरकार को आज भी अस्वीकार कर देना चाहिए क्योंकि वह फैसला संवैधानिक तौर पर गलत था, उसके 2 कारण थे:-

'2nd और 3rd न्यायाधीश’ केस के कॉलेजियम पर फैसले सुप्रीम कोर्ट की 9 जजों की बेंचों ने दिए थे और इसलिए उससे बड़ी बेंच को ही NJAC, 2014 पर विचार करना चाहिए था लेकिन किया 5 जजों की बेंच ने, और क्योंकि सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ और उसके न्यायाधीश NJAC मामले में स्वयं “हितधारक” और “इच्छुक पक्ष” होने के नाते कोई फैसला करने का अधिकार नहीं रखते थे। जो खुद एक पक्षकार हो, वो कैसे अपने ही खिलाफ किसी मामले में फैसला दे सकता है;

३. न्यायपालिका में जजों से संबंधित नियम / कानून बनाने के लिए चीफ जस्टिस से कोई सलाह न ली जाए;

४. सुप्रीम कोर्ट के सबसे वरिष्ठ जज को चीफ जस्टिस नियुक्त करने का यदि कोई प्रावधान है तो फिर तो रिटायर होने वाले CJI को अपने उत्तराधिकारी के नाम का अनुमोदन करने की जरूरत ही नहीं होनी चाहिए और अगर ऐसा प्रावधान नहीं है तो सबसे वरिष्ठ जज के नाम का प्रस्ताव आने पर किसे चीफ जस्टिस नियुक्त किया जाए यह विशेषाधिकार सरकार की अनुशंसा पर राष्ट्रपति को होना चाहिए;

५. न्यायिक स्वतंत्रता की आड़ में आज न्यायपालिका सरकार के हर फैसले में दखल देकर सरकार चलाने की कोशिश कर रही है जबकि उसकी कोई जवाबदेही नहीं है। निहित स्वार्थ के चलते कुछ नामी वकील PIL दायर करते हैं और सुप्रीम कोर्ट दखल के लिए तैयार हो जाता है। इसलिए PIL के लिए जनहित की व्याख्या फिर से करने की जरूरत है;

६. ऐसा कहा जाता है हाई कोर्ट के जज को सुनवाई पूरा होने के बाद 6 महीने में फैसला सुना देना आवश्यक होता है लेकिन कई बार जज ऐसा नहीं करते और कभी कभी रिटायर भी हो जाते हैं। इसे अनुशासनहीनता माना जाना चाहिए और ऐसे जज की कम से कम 6 महीने की पेंशन जब्त कर देनी चाहिए;

७. जब तक NJAC बहाल नहीं होता तब तक जजों की हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में नियुक्ति के लिए कॉलेजियम नाम की सिफारिश करने के साथ नियुक्त होने वालों की संपत्ति और देनदारी विवरण, साथ भेजे अन्यथा किसी अनुशंसा पर कोई कार्रवाई न की जाए;

८. हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के जजों को अपनी संपत्ति और देनदारी विवरण वेबसाइट पर भी डालें और सरकार को भी भेजें। इन विवरण में जजों के परिवार के सभी सदस्यों के बारे में और विदेश में संपत्ति की भी सूचना होनी चाहिए और उनकी छानबीन करने का अधिकार सरकार को होगा;

९. जजों को खुद की और परिवार के सदस्यों की विदेश यात्राओं के खर्च के ब्यौरे यात्रा के बाद सरकार को देने चाहिए, और किसी अन्य व्यक्ति ने वहां या टिकट आदि पर खर्च किया है तो उसका भी ब्यौरा देना अनिवार्य होना चाहिए;

१० (क). हाई कोर्ट में नियुक्ति के समय, हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस बनने के समय, सुप्रीम कोर्ट में नियुक्ति के समय, सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस बनने के समय और रिटायर होने के समय भी सभी जजों की संपत्ति और देनदारी विवरण जमा होनी चाहिए। यह नियम जब केंद्रीय सरकार के सभी कर्मचारियों के लिए लागू हैं तो जजों के लिए भी लागू होना चाहिए और केंद्र सरकार के कर्मचारियों से पूछ कर तो नियम नहीं बनाए गए तो जजों से सलाह क्यों होनी चाहिए;

१० (ख). जो भी व्यक्ति चाहे वो किसी भी श्रेणी का कर्मचारी या अधिकारी या जज हो, भारत की संचित निधि से वेतन लेता है, उसकी संपत्ति और देनदारी जानने का अधिकार सरकार को होना चाहिए;

११. न्यायपालिका में भी “परिवारवाद” समाप्त करना जरूरी है और इसलिए हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में ऐसे किसी व्यक्ति की नियुक्ति की सिफारिश न की जाए जिसके परिवार का कोई सदस्य कोई न्यायाधीश रहा हो;

सनातनी हिन्दू राकेश

27 Sep, 19:17


अब ये सोरोस की किस तरह दूसरी सरकारों में दखल है या यूं कहें कि उन्हें पलटाने में लगा रहता है वो किसी से अब छुपा नही क्योंकि दुनिया भर के देश ये बातें करने लगे हैं। इसी में एक फोटो लगाई है सुनीता विश्वनाथ की जिससे राहुल गांधी (पप्पू) अमरीका में मिल रहा है। हालांकि ऐसे दर्जन से ऊपर कनेक्शन आपको राहुल गांधी और सोरोस गैंग के मिल जाएंगे।

अब वापिस ऊपर लिखी बात याद करो जो बंगलादेशी पत्रकार ने बताई थी कि लंदन में राहुल गांधी, BNP लीडर खालिदा जिया के बेटे से मिला था और अपना समर्थन इसने हसीना सरकार गिराने के लिए दिया था।

अब इसी तरह मणिपुर याद करो जो मैंने गोल्डन ट्रायंगल वाली पोस्ट में बताया था कि कैसे मणिपुर विवाद और कुछ नही बल्कि सीआईए और अदृश्य राज्य का प्रोजेक्ट है जिसमें उसे एक "ईसाई देश" बना ड्रग्स का कारोबार वहां से चलाना है। साथ ही उसे बंगाल की खाड़ी के माध्यम से चीन और भारत पर अपनी दखल बनानी है।

इसके साथ ही हसीना की बात याद करो कि एक अमरीकी "गोरा" आया था जो उससे बंग्लादेश मे मिलिट्री बेस मांग रहा था जिसे हसीना ने मना कर दिया।

और अब वापिस यूनुस को जकड़ती बाइडन की फ़ोटो देखो जहां ऐसा दिख रहा कि यूनुस कह रहा "We did it Joe" और अब मैं तुम्हे वो मिलिट्री बेस दूंगा और तब तक मैंने बंग्लादेश ने मिलिट्री रूल लगा दिया है ताकि किसी तरह की दोबारा चुनाव कराने की बात न हो और जैसा यूनुस ने खुद कहा था कि मुझे "हालात" संभालने को अभी 5-6 साल चाहिए अर्थात तब तक कोई चुनाव की बात न करना। तब तक मैं अमरीकी हित के सारे फैसले कर दूंगा।

और हर कोई जानता है बाइडन सरकार असल मे और कुछ नही बल्कि ओबामा 3.0 सरकार थी/है।

और इस तरह एक अमिरिकी पालतू ने बंग्लादेश की चुनी और विकासशील सरकार को गिरवा दिया जिसमें शरिया वाले लोगों की मदद ली जो बंग्लादेश मे वही सब कर रहे जो किसी तालिबानी देश में होता है और जैसा आपको बता है कि तालिबान का अर्थ छात्र ही होता है तो ये "आंदोलन" और कुछ नही बल्कि एक तालिबानी आंदोलन ही था।

हालांकि रूस से लेकर भारत ने साल भर पहले से हसीना को आगाह कर दिया था लेकिन हसीना शायद गलतफहमी में थी कि बंगलादेशी मिलिट्री चीफ उसका रिश्तेदार है तो वो ऐसे किसी भी आंदोलन को हैंडल कर देगी।

और पुनः याद दिला दूं कि हसीना से समस्या आज की नही बल्कि एक दशक से भी ज्यादा समय से थी और तब से ऐसा माहौल बनाया जा रहा था कि हसीना तानाशाह है।

ठीक उसी तरह जैसे भारत मे माहौल बनाया जाता है कि मोदी तानाशाह है।

लेकिन एक बात ये भी पक्की है कि मोदी, हसीना नही है और न भारतीय सेना कोई भाड़े की फौज है। इसलिए यहां ये प्रयास हमेशा विफल ही होते रहेंगे।

लेकिन तब भी ये तरह तरह के प्रयास करते रहेंगे, बस हमें पहले से पता रहना चाहिए कि कुछ भी यूं ही नही हो रहा, हर चीज "संयोग नही प्रयोग" (जैसा मोदी ने कहा था) है।

पढ़ने के लिए धन्यवाद

#साभार
@modified_hindu6

सनातनी हिन्दू राकेश

27 Sep, 19:17


We did it Joe...

कुछ इसी तरह के शब्द कहे होंगे यूनुस ने जब बाइडन ने उसे "शाबाश मेरा मुन्ना" कहकर यूं गले से लगाया।

नही, मजाक नही है। हाल में जब यूनुस क्लिंटन ग्लोबल इनिशिएटिव के मंच पर बिल क्लिंटन के साथ खड़ा था तो यही बता रहा था कि कैसे "हमने" कर दिखाया।

इसने वहां कहा कि सब कुछ सब बड़ी बारीकी और वेल प्लांड तरीके से हुआ कि किसी को (हसीना को भी) पता नही चल पाया।

इसने कहा कि मैं और महफूज आलम इसके (रिजीम चेंज के) पीछे के ब्रेन थे।

अच्छा अब ये महफूज आलम कौन है जो बाएं तरफ सबसे नीचे की फ़ोटो में यूनुस और लड़की के बगल में खड़ा है?

ये Hizbut Ut-Tahrir का लीडर है। ये एक टर्की संगठन है जो कई देशों में बैन है। भारत मे ये संगठन नही है लेकिन माना जाता कि गुपचुप तरीके से काम करता है क्योंकि इसके पीछे जमात ए इस्लामी है। इसका मकसद है कि पूरी दुनिया को शरिया के अधीन लाना।

अब इस महफूज आलम को यनुस ने अपना स्पेशल सेक्रेटरी बना दिया है।

ध्यान हो कि बंग्लादेश में जो कुछ हुआ उसको दो ग्रुप लीड कर रहे थे। एक जमात ए इस्लामी और एक BNP वही BNP जिसकी लीडर खालिद जिया है और जिसके बेटे से लण्डन में पप्पू मिल रहा था और इस रिजीम चेंज के लिए अपना सपोर्ट दे रहा था, जैसा बंगलादेशी पत्रकार ने दावा किया था।

इसके अलावा हसीना सरकार को गिराने में इस्लामिक स्टेट खुरासान (ISKP) और अल कायदा के ग्रुप भी शामिल थे, इसीलिए आपने इस "प्रोटेस्ट" में इस्लामिक स्टेट के झंडे भी देखे थे।

और जैसा आप जानते हैं कि दुनिया का सबसे बड़ा टँकी संगठन सीआईए है जिसने ही इस्लामिक स्टेट और अल कायदा को पैदा किया था।

अब यदि आपको कथित प्रोटेस्ट पता हो तो हसीना सरकार मुक्तिवाहिनी और अन्य को मिलने वाले आरक्षण को खत्म कर देती है। इसके खिलाफ हाईकोर्ट फैसले को पलट देता है। इसका बहाना बन प्रोटेस्ट शुरू होता है।

लेकिन हसीना सरकार सुप्रीम कोर्ट में जाकर वापिस हाईकोर्ट के फैसले को पलट आरक्षण खत्म कर देती है। लेकिन ये कथित प्रोटेस्ट फिर भी चलता है और हिंसा में बदल जाता है। आगे क्या हुआ वो आपको पता है।

लेकिन सवाल ये था कि आरक्षण तो दुबारा हाइकोर्ट ने लागू किया तो प्रोटेस्ट हाईकोर्ट के खिलाफ क्यों नही हुआ?

वो भी उन बहादुर तालिबानियों (छात्रों) द्वारा जिन्होंने रिजीम चेंज के बाद सुप्रीम कोर्ट का घेराव कर सभी जजों से इस्तीफा दिलवा दिया??

तो इसके आपको मणिपुर आना होगा। मणिपुर में भी हाईकोर्ट मैतई समाज को ST का दर्जा दे देता है। यहां भी इसके खिलाफ आंदोलन होने लगता है। लेकिन हाईकोर्ट के खिलाफ नही, मुख्यमंत्री बिरेन के खिलाफ।

बिरेन सरकार सुप्रीम कोर्ट जाकर फैसला पलट देती है लेकिन मणिपुर तब भी जलता रहता है क्योंकि मकसद ही बिरेन की सरकार को पलटाना होता है। हालांकि इधर ये सफल न हो सके और अभी भी हिंसा कर रहे हैं जिसका कारण आपको पहले बताया ही है।

तो इस तरह के "छात्र आंदोलन" को यूनुस क्रांति बता रहा है। कह रहा है कि मैं खुद साथ मे इस "आंदोलन" को लीड कर रहा था।

लेकिन यूनुस कौन है? यूनुस एक अदृश्य राज्य का पालतू है। इसे नोबेल दे रखा है। किसलिये? क्योंकि इसने बंग्लादेश में एक ग्रामीण बैंक खोल था जिसमें महिलाओं को भारी ब्याज(करीब 15-25%) पर लोन दिया जाता था। इसके लिए इसे और इसके बैंक को 2006 में नोबल मिला।

लेकिन ये बैंक असल मे काले का सफेद या यूं कहें कि मनी लॉन्ड्रिंग का काम करता है। अब वो पैसा ड्रग का है, ह्यूमन ट्रैफिकिंग, आतंक या किसका है, ये कभी बाहर नही आया और शायद अब आएगा भी नहीं।

अच्छा जब इसकी जांच हसीना ने शुरू की तो उसको धमकी पता किससे मिली? हिलेरी क्लिंटन से जो तब अमरीका की विदेश मंत्री थी (2011 में सेक्रेटरी ऑफ स्टेट डिपार्टमेंट)। ये हिलेरी अमरीका के अलग अलग डिपार्टमेंट से यूनुस के बैंक में पैसा पहुंचाती थी जिसका खुलासा अमरीका में ही हुआ था।

हिलेरी ने उस समय भी अपने स्टेट डिपार्टमेंट, बंग्लादेश में अमरीकी एम्बेसी और वर्ल्ड बैंक से भी हसीना को धमकी दिलवाई कि यदि हसीना ने यूनुस के खिलाफ कार्यवाही की तो अच्छा नही होगा। यहां तक कि वर्ल्ड बैंक द्वारा पद्मा ब्रिज प्रोजेक्ट को जो 1.2 बिलियन लोन दिया जा रहा था, उसे भी हिलेरी ने हसीना को धमकाने को रुकवाने की कोशिश की।

तो इस तरह यूनुस के सम्बंध, हिलेरी परिवार से रहे हैं।

अब जैसा कि आप जानते हैं कि अदृश्य राज्य का जो इस समय वर्तमान कबाल अमरीकी पॉलिटिक्स में काम करता है वो है हिलेरी-ओबामा कबाल। 2009 में ओबामा, यूनुस को जो मेडल पहना रहा है वो है "मेडल ऑफ फ्रीडम" जो कि अमरीका का सर्वोच्च नागरिक सम्मान है।

इसके साथ ही अदृश्य राज्य के लिए जो अम्बेसडर का काम करता है उसका नाम जॉर्ज सोरोस।

सनातनी हिन्दू राकेश

27 Sep, 19:05


#साभार: अरुण आर्यवीर (पूर्व नाम माइकल जॉन डिसूजा)
@modified_hindu6

सनातनी हिन्दू राकेश

27 Sep, 19:05


मेरा जन्म मुंबई के इसाई परिवार में 8 मई 1964 में हुआ था मेरी माता जी का नाम श्रीमती रोजी डिसूज़ा और मेरे पिताजी का नाम श्री जॉन डिसूजा है। मेरा नाम माता-पिता ने माइकल जान डेसूजा रखा था। मैं अपने माता-पिता का जेष्ठ पुत्र हूं। मेरे अतिरिक्त मेरी एक बहन श्रीमती हिल्डा और एक भाई श्री हेनरी हैं। बचपन से मैं अपने परिवार के साथ हर रविवार को चर्च जाता था। चर्च के पादरी के उपदेश आदि सुनता था। बाइबल का उनके द्वारा निर्देशित स्वाध्याय भी करता था। एक सामान्य इसाई के समान मेरा जीवन था। 12वीं तक पढ़ाई करके मैंने दो वर्ष आईटीआई से तकनीकी शिक्षा ग्रहण की। इसाई त्योहारो आदि में मै सक्रिय रूप से भाग लेता था। पर धीरे-धीरे बाइबल पढ़कर मैं असंतुष्ट रहने लगा। बाइबल में दिए अनेक उपदेशों पर मुझे शंका होने लगी।

मैंने अपने चर्च के पादरी से उन सब शंकाओं का समाधान करना चाहा पर वह मुझे संतुष्ट नहीं कर सके। उनकी सलाह से मैं स्थानीय पुस्तकालय से अन्य पुस्तकें लेकर पढ़ना आरंभ किया। इसी प्रक्रिया में मुझे भारत और यूरोप में चर्च के इतिहास की जानकारी मिली। मैं जब अनंत वायरल कर की गोवा इन्कुइसिशन नामक पुस्तक को पढ़ा कि कैसे पुर्तगाल से आकर गोवा में सेंट फ्रांसिस जेवियर ने स्थानीय हिंदुओं पर अनेक अत्याचार कर उन्हें जबरन इसाई बनाया तो मुझे इसाई होते हुए भी अच्छा नहीं लगा। जब मैंने पढ़ा कि वास्कोडिगामा ने व्यापार की आड़ में कैसे भीषण कत्लेआम किया था तो मुझे विदेशियों के व्यवहार पर शंका होने लगी कि क्या एक मानव को दूसरे मानव के साथ ऐसा व्यवहार करना चाहिए? छल, कपट से धर्म परिवर्तन करवाना मुझे महा पाप जैसा लगा।

दक्षिण भारत में रॉबर्ट दी नोबेली ने पंचम वेद का स्वांग कर अपने आप को रोम से आया ब्राह्मण कहकर भोले भाले ग्रामीण लोगों को जिस प्रकार से इसाई बनाया। वह पढ़कर तो मुझे ऐसा प्रतीत हुआ कि क्या इसाइयत के सिद्धांत अंदर से इतने कमजोर हैं जो उसे सत्य मार्ग के स्थान पर छल, कपट, दबाव, हिंसा, झूठ, धोखा, ढोंग, धन प्रलोभन आदि का सहारा लेना पड़ता है? मेरा ऐसे इसाइयत से विश्वास उठने लगा। मैं सत्य अन्वेषी बनाकर गृह त्याग कर विभिन्न मतों में जाकर उनकी विचारधारा का विश्लेषण करने लगा पर मेरी मंजिल अभी दूर थी।

पवई, मुंबई में मेरे पड़ोस में आर्यवीर दल का एक कैंप लगा। उस कैंप में छोटे-छोटे बच्चों को वैदिक विचारधारा और शारीरिक श्रम करने की ट्रेनिंग दी जा रहे थी। मैं भी देखने चला गया। वहां मेरा परिचय शिक्षक ब्रह्मचारी सुरेंद्र जी तथा श्री ओम प्रकाश आर्य जी से हुआ। उनके साथ मैंने परस्पर संवाद कर अपनी अनेक संख्याओं का समाधान किया जिससे मुझे अपूर्व संतोष मिला। ऐसा लगा चिरकाल से बहती मेरी नाव को किनारा मिल गया। उनकी प्रेरणा से मैं विधिपूर्वक यज्ञोपवीत धारण किया और आजीवन ब्रह्मचारी रहने का व्रत लिया। उन्होंने मेरा नया नामकरण ब्रह्मचारी अरुण आर्यवीर के नाम से किया और मुझे स्वामी दयानंद लिखित सत्यार्थ प्रकाश पढ़ने की प्रेरणा दी। सत्यार्थ प्रकाश पढ़कर मुझे मेरे जीवन का उद्देश्य मिल गया। स्वामी दयानंद के ज्ञान रूपी सागर में डुबकी लगाकर में तृप्त हो गया।

आर्य समाज के माध्यम से मेरा वैदिक धर्म में प्रवेश स्वेच्छा से हुआ। मैं जब वैदिक धर्म के सार्वभौमिक सिद्धांतों की तुलना ईसाई आदि मत मदांतर की मान्यताओं से की तो उन्हें सभी के लिए अनुकूल और ग्रहण करने योग्य पाया। हर मत-मतांतर की धर्म पुस्तक में आपको कुछ अच्छी बातें मिलती हैं। परंतु जो ज्ञान वैदिक धर्म की पुस्तकों में मिलता है, उसकी कोई तुलना नहीं है। सत्यार्थ प्रकाश के तेरहवें समुल्लास में ईसाई मत समीक्षा पढ़कर मेरे बाइबल संबंधित सभी संशयों की निवृत्ति हो गई।

इस पुस्तक के प्रशासन में डॉक्टर मदन मोहन जी, रिटायर प्रोफेसर फिजियोलॉजी, मेडिकल कॉलेज पांडिचेरी ने न केवल आर्थिक सहयोग प्रदान किया है अपितु पुस्तक के प्रूफ करने में भी यथोचित सहयोग दिया है। मैं उनका करबद्ध अभारी हूं।

मैं इस कृपा के लिए सर्वप्रथम परमपिता परमेश्वर को धन्यवाद देना चाहूंगा जिनकी मुझ पर यही बड़ी कृपा हुई। अन्यथा जाने कितने जन्मों तक अविद्या रूपी अंधकार में भटकता रहता। मैं भी संभवतः ईसाई पादरियों के समान भोले भाले लोगों को ईसा मसीह की भेड़ बनाने के कार्य में लगा रहता। मैंने इन वर्षों में अपने स्वाध्याय से जो बाइबिल का ज्ञान अर्जित किया था उसे निष्पक्ष पाठकों के लिए इस पुस्तक के माध्यम से मैं संकलित कर प्रस्तुत कर रहा हूं इस कार्य में मेरा सहयोग दिल्ली निवासी डॉक्टर विवेक आर्य ने दिया है जिनकी सहायता से यह कार्य मैं पूर्ण कर पाया। वर्तमान में मैं आर्य समाज का प्रचारक हूं और विभिन्न माध्यमों से वैदिक विचारधारा का प्रचार प्रसार करता हूं। इस पुस्तक को पढ़कर लोग इस ईसाईयत के जंजाल से मुक्त होकर वैदिक पथ के पथिक बने, यही ईश्वर से प्रार्थना है।

सनातनी हिन्दू राकेश

24 Sep, 15:35


ट्रेन पलटाने की साजिश क्या राहुल गांधी के इशारे पर हो रही है?

अभी 10 सितंबर को एक खबर में कहा गया था कि पिछले 50 दिनों में 18 मामले रेलवे ट्रैक पर छेड़छाड़ के पकडे गए जिससे बड़ी रेल दुर्घटनाएं होने से रोकी जा सकी, यह आंकड़ा 18 से भी कहीं ज्यादा है और कुछ तो मामलों में भयंकर दुर्घटना हो सकती थी।

रेलवे ट्रैक पर पत्थर सजाने वाले कई मामलों में रेलवे ट्रैक के अगल बगल बनी गैर कानूनी बस्तियों से निकल कर समुदाय विशेष के 10-12 साल के लड़के भी पाए गए हैं। ऐसा नहीं है उन्हें किसी ने बहकाया हो बल्कि सच तो यह है वो उन्हें उनके उस्ताद ट्रेनिंग देते हैं जिनकी मंशा देश में बलवा करने की है।

अगस्त पाकिस्तान के आतंकी फरहतुल्ला गोरी ने भारत में अपने साथियों (स्लीपर सेल) को उकसाने का काम किया कि भारत में दिल्ली मुंबई समेत ट्रेनों को पटरी से उतार सके। यह जबलपुर-नागपुर रेलवे लाइन समेत कई ट्रेन में तोड़फोड़ के मामले सामने आने के बाद पता चला है। फरहतुल्ला गोरी को बेंगलुरु के रामेश्वरम कैफ़े ब्लास्ट के लिए जिम्मेदार बताया गया था। उसने वो ब्लास्ट ISI की मदद से अपने स्लीपर सेल से कराया था और भारत में ट्रेनों पर हमलों के लिए भी उसने अपने स्लीपर सेल को कहा है। इससे अंदाजा लगा सकते हैं कि भारत के कितने मुस्लिम पाकिस्तान परस्त हैं और उसके स्लीपर सेल बन कर काम कर रहे हैं।

अब 10 सितंबर से 50 दिन पीछे चलते हैं तो 20-21 जुलाई की तारीख होती है और राहुल गांधी 6 जुलाई को लोको पायलट्स से मिला था और उसके ठीक 15 दिन बाद रेलवे ट्रैक पर छेड़छाड़ शुरू हो गई। याद होगा रेलवे प्रबंधन ने कहा था कि राहुल को मिलने वाले कथित लोको पायलट्स बाहरी थे जिसका मतलब निकलता है फर्जी थे। उसके बाद 7th अगस्त को उन कथित लोको पायलट्स को संसद में बुला कर रेल मंत्री के पास ले गया। उनकी शिकायत थी कि उन्हें पर्याप्त आराम और केबिन में बुनियादी सुविधाएं नहीं मिलती।

सवाल यह पैदा होता है कि क्या ऐसे लोको पायलट्स ने रेलवे बोर्ड को अपनी समस्याएं पहले से बताई या राहुल गांधी को ही अपना मसीहा बना दिया। यह बात ही कुछ संशय पैदा करती है कि रेलवे ट्रैक को उखाड़ने और ट्रेन पलटाने के काम उन लोगों से मिलने के बाद ही शुरू हुए और अगस्त में उन्हें मिलने के बाद 29 अगस्त को फरहतुल्ला गोरी सामने आया। और राहुल गांधी के पाकिस्तान से संबंध होना कोई बाद बात नहीं है जो लंदन और अमेरिका से जुड़ जाते हैं।

इस साजिश का कुछ पर्दाफाश अब लगता है हो जाएगा क्योंकि जिन लोगों की हिस्सेदारी राहुल मांगता फिरता है उनका एक व्यक्ति रेलवे का कर्मचारी साबिर 18 सितंबर को जम्मू & कश्मीर से कर्नाटक जाने वाली एक स्पेशल ट्रेन को उड़ाने की साजिश करता पाया गया, ट्रेन में सेना के जवान सवार थे। साबिर बुरहानपुर ट्रैक पर 10 डेटोनेटर रखे थे और वो अगर फट जाते तो पूरी ट्रेन ही उड़ सकती थी। राहुल गांधी क्या ऐसी ही हिस्सेदारी मांग रहा है साबिर और उसकी कौम के लिए।

राहुल गांधी की शरारत की शंका निराधार नहीं है क्योंकि ये बात राहुल ने ही कही थी कि यदि नरेंद्र मोदी फिर से प्रधानमंत्री बने तो देश को आग लगा दी जाएगी और देश में केरोसिन फैला हुआ है, बस एक तिल्ली लगाने की जरूरत है। राहुल गांधी और कांग्रेस ने ट्रेनों के हादसों की हो रही कोशिशों की कोई निंदा भी नहीं की है।

और अब इन सब घटनाओं से इस बात को पूरा बल मिलता है कि वह भयावह उड़ीसा ट्रेन हादसा इस टूल किट गैंग की ही किसी साजिश का हिस्सा रही हो।

#साभार: सुभाष चंद
@modified_hindu6