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Hindi talks (Hindi)

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Hindi talks

20 Oct, 11:27


#Episode 82

Hindi talks

13 Oct, 15:10


#Episode 81

Hindi talks

11 Oct, 11:29


#Episode 80

Hindi talks

01 Oct, 09:54


#Episode 79

Hindi talks

29 Sep, 09:17


गलत की भीड़ में
सही तराशने निकली हूं...
मिल जाऊँ मुझको मैं ,,
किसी आईने में ...
इस सोच से सोच समझाने निकली हूं
रास्ते.,तरीके
सब गलत है मेरे
खाली नियत और सोच से
सब बताने निकली हूं
जानती हूं कि
0.0000000000000000001
Percent चांस भी नहीं सही मिलने का..
लेकिन फिर भी उसी भीड़ में
उस एक को ढूँढने निकली हूं...
चलो अगर कोई मिल भी जाये
तो. साबित कैसे करुँगी सच....
जिस गलत रास्तों सेमुलाकात मिलाकर निकली हूं..
कैसे कहूँगी
कि
मैं नहीं हूं वो ,,,
जो गलत तरीकों से गलत दोहराने निकली हूं

नहीं समझेगा कोई
सिवाए मुझे समझाने के
और आखिर में खुद वो ही समझा देगा
कि तुम
गलत रास्तों मेँ सही को पाने निकली हूं
आखिर में
रह जाएगा मेरा सच मुझमें ही ...,,,,
भूल जाती हूँ कि
मैं किताब खुली रख कर
कवर पसन्द करने वालों को पढ़ाने निकली हूं...
शायद सही भी है..
शुरुआत से शुरुआत करने वालों को
सीधी ,सरल भाषा में..सिखाने निकली हूं
शायद! गलत रास्ते थे मिलने के उससे,,,
शायद! अंधेरों में किरण हो उससे
लेकिन शायद वो समझेंगे
कि
मैं सूरज को पाने निकली हूं
शायद नहीं ढक पाऊँगी खुद को formalities की चादर में .,,,
मैं जैसी हूं ,जिस हाल में हूं
वैसे ही खुद को सुलझाने निकली हूं ..,,,,
शायद
अब वो सब्र नहीं पहले जैसा मुझमें
मैं सब्र से शुरुआत और अंत को लिखवाने निकली हूं
...,,,



आखिर में जानती हूं
कि
कोई सलाह देगा
कोई समझा देगा
पर मैं शायद कुछ बोल ही नहीं पाऊँगी
शब्द बहुत फीके है
जिनसे में अपने मन की सुनाने निकली हूं...
आखिर में फिर भी
Hope से गलत से रास्तों में
सही पाने निकली हूं   ।।।

                                            ✍️✍️✍️ Ritu

Hindi talks

21 Sep, 06:48


#Episode 78

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14 Sep, 10:25


मैं तमाम दिन ये सोचता रहा कि कोई आएगा कुछ कहेगा तो बेहतर हो जाएगा मेरा मन,

मैं सोचने लगूंगा कि आज का दिन अच्छा होगा और बना लूंगा कुछ काम की चीज़े जिसे देखकर रात को लगे कि आज कुछ किया,

मगर नहीं हुआ ऐसा,

खुद ही को ख़ुद से समझाना पड़ा और समझना पड़ा ख़ुद को कि एकांत है दुनियां,

हां ये अच्छा रहा कि कुछ लोग फिक्रमंद दिखे कुछ ने हौसला देने का सोचा,

ये दिन गुज़र गया काम तो नहीं हुआ कुछ मगर सोच बेहतर हुई,

काश ये एक दिन एक दिन का हो होता,

इस एक दिन के इंतज़ार में हफ़्ते महीने और सालों लग गए सिर्फ़ ये समझने में की कोई नहीं आएगा अपनें से ही करना है जो भी करना है,

ऐसा नहीं की लोग अपनें नहीं हैं, हैं,

पर वो भी तो लड रहे हैं अपनी लड़ाईयां,

आप भी लड़ रहे हैं मैं भी हम सब कर रहे हैं अदा अपना अपना किरदार,

शायद हम बच्चे हैं मन से मगर ये मानना होगा की बचपन अब नहीं रहा कि ज़रा से परेशान होते ही कोई आ जाएगा और दूर कर देगा वो परेशानी का कारण,

शायद अब बड़े होने की सज़ा मिल रही है मगर ये सज़ा नहीं समझ है जिसे समझकर आगे बढ़ना है और बढ़ते जाना है,

आप मैं और हम जैसे तमाम लोग जूझ रहे हैं अपनी अपनी समस्याओं से,

हमें ज़रूरत है एक दूसरे के साथ की बात की , अगर समय हो तो कहें अपनी बात, दोनों को अच्छा लगेगा।

Hindi talks

13 Sep, 12:10


Re-Start

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26 Aug, 17:24


मुझे नहीं मालूम,
नहीं मालूम दुनियां क्यों है, मैं कौन हूं और क्या है ये सब,

नहीं मालूम इश्क़ क्यों होता है, तबाही क्यों जरूरी है, शराबें क्यों सरेआम बिकती हैं,

नहीं मालूम क्यों अपनों से ज्यादा ज़ख्म कोई दे नहीं सकता, क्यों नहीं नहीं करते हां हो जाती हैं बातें,

क्यों इंसान इंसाफ अदालतों में न मिलने के बाद ख़ुदा पर टाल देता है, क्या ज़रूरी है वहां इंसाफ़ हो और अगर नहीं हुआ तो?

नहीं मालूम कि कोई सच में सरहदें बनीं थीं की सफेदपोशों ने बनाई थी कुर्सी की चाह में,

नहीं मालूम की जो सुना उसपर यकीन कैसे न करूं, जो देखा वो गलत कैसे निकला,

कुछ नही मालूम, कुछ भी नहीं मालूम,

मगर मालूम है कि हर साल नई सड़क टूट हो जाती है,
हर नई इमारत जल्दी ही गिरेगी, बारिश में टपकेगी,
मालूम है सरकारें ऐसी ही होती हैं,
मुझे मालूम है,
मुझे ही नहीं इत्तेफाकन सबको मालूम है कि चुनाव आते ही जाति, धर्म, संप्रदाय, सरहद, भाषा, रंग, मिट्टी, भूख, गरीबी, मुफ़्त दान, राशन, पेंशन, गद्दार, देशभक्ति, आज़ादी, स्त्री को सम्मान, किसान सुनाई देता ही है,

कुछ नया नहीं,
ये सबको मालूम है,
मुझे भी उसी तरह मालूम है,


इमारतें जो बनीं कई सदियों पहले वो हैं ठोस, दमदार,
बयां करती अपनी हुकूमत की मजबूती,
आज की नहीं है ना की शिलान्यास के साल ही गिर जाएं,

पुराने महल टिके हैं,
उनके नारे ज़िंदा हैं,
उनकी बड़ी बड़ी बातें ताज़ा हैं,
कहानियां अमर हैं,
इतिहास गहरा है,
जो नहीं है वो उनका सपना,
मुझे पता है,
आपको भी है,
सबको पता है,

पर कोई बात नहीं,
आदत हो गई है,
क्योंकि ऐसा तो होता ही है,
शायद होता आया है,
कोई बात नहीं,
भूल जाना आसान है,
मुझे पता है।

Hindi talks

18 Aug, 16:05


उसने एक एक हिसाब रखा है.,,
एक तरफ़ सूरज तो एक तरफ़ चाँद रखा है...,
ग़र ,,,,हो जाये दुख ज्यादा
तो उसने सुख भी बेहिसाब रखा है ...
संघर्ष है अगर ,,..तेरी लकीरों में आज ..,
तो एक दिन सक्सेस को भी तेरे लिए थाम रखा है....
रोना पड़े तो रो भी लेना..,,,
खुशी -खुशी
विश्वास रख उस पर उसने खुशियां को भी बुला रखा हैं ..
अकेले हो आज ...,,,अपने हर पल में
एक एक पत्ते की आवाज में ,,,
बस इस चीज को मत भूल
कि
किसी को तेरे साथ रखा है ...,,टूटना नहीँ....
उन मोतियों को बरकरार रख..,,,,
जिसने पिरोने के लिए धागे को भी बना रखा हैं ..
बस गिन ना तू ...खुद की लहरों और दूसरों के किनारों को .. ,,,,,,,
उस ऊपर वाले ने एक समुन्दर तेरे भी नाम रखा है ✍️RITU

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01 Aug, 18:22


मुझे वहम था कि मुझसे जियादा कौन चाहेगा तुमको,
मैं गया तुम्हारी गली में तो वहां खंभा भी तुम्हारे इंतजार में डूबा था,

वो रौशनी थी मगर कमज़ोर थी धुंधली बिल्कुल बेजान,
तुम चौखट से निकली ऐसा लगा जैसे चांद से बदल झट से हट गया,

नहीं वो बादल नहीं रौशनी थी जो लोगों के दिलों से निकल रही थी,
तुम्हारी एक झलक ऐसी थी जैसे जुगनू हो कोई अंधेरे में,

मैं चाहकर भी ढूंढ नहीं पाया एक भी ऐसा शख़्स,
जो मुझसे कम चाहता हो तुम्हें,

हां मगर तुमको क्या मालूम की कोई 'मैं' हूं भी,
हां मगर तुमने एक बार मेरी ओर देखा तो था,

तुम मुझे ना जानों तो बेहतर है, मैं नहीं काबिल तुम्हारे,
मगर मैं चाहूंगा तुम्हें, अपनें आप से ज़्यादा बिना तुम्हारे जानें...!!

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30 Jul, 18:33


ये अरबों का व्यापार है इसे बर्बाद करना चाहते हो तुम?
मोहब्बत होना और दिल टूटना खत्म करना चाहते हो तुम?

ये गुलदस्ते, ये नए कपड़े, ये लज़ीज़ खानें की चीज़े,
तमाम गुड्डे गुड़ियों और नुमाईश भरी महंगी उम्मीदें,

कहां किस दुनियां में हो इन्हें बेकार कहना चाहते हो तुम?
लौट जाओ पिछली सदी में गर ऐसा यकीन करना चाहते हो तुम...!!

मनाओ जश्न की हर रोज़ कोई नया त्योहार होगा ही,
ना मानकर क्या पिछड़ा कहलाया जाना चाहते हो तुम?

जाओ डूब जाओ राजनीति के दलदल में,
क्या ब्याह कर नीच प्रेम में नीच कहलाना चाहते हो तुम?

तोड़ देना चाहते हो जाति धर्मों के अंतर को महज एक रिश्ते से?
सियासतदानों के वोट का कारण छीन लेना चाहते हो तुम?

इतने स्वार्थी, इतनें पढ़े लिखे बन जाना चाहते हो तुम,
छोटे लोग होकर सरकार से सीधा सवाल करना चाहते हो तुम,

इस पाप के लिए तो मर जाना चाहिए तुमको,
इस अपराध के बाद भी दुनियां में सुकूं से रहना चाहते हो तुम?

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