अभी हाल ही ग्वालियर में पुष्पा फिल्म देखने के लिए कोई व्यक्ति गया था तो उसमें बताते हैं कि ऐसा दृश्य है जिसमें पुष्पा अपने मुंह से किसी का कान खा जाता है यह देखकर वह लड़का थिएटर से निकला और निकलने के बाद किसी से झगड़ गया और झगड़े में उसने सामने वाले व्यक्ति का कान खा लिया क्योंकि उसके अंदर पुष्पा काम कर रहा था ।
धूम फिल्म देखकर कई लोगों ने वैसे ही चोरी की थी बाद में पकड़े गए, केजीएफ के बाद सोना तस्करी करते हुए लड़के पकड़े गए।
युवाओं के हाथों फिल्मी स्टाइल में बहुत मर्डर होते हैं उस युवक को पता भी नहीं होता है कि वह ऐसा क्यों कर रहा है वास्तव में उसका मस्तिष्क थियेटर से सीखकर आया था जो आज क्रियान्वित हुआ है।
पहले आप नग्नता का विरोध करते हैं लेकिन फिल्म देखते देखते ऐसे हो जाते हैं कि आप नग्नता का कब समर्थन करने लगते हैं आपको पता ही नहीं चलता ?
आज हमारे युवा वर्ग के लिए प्यार प्यार का रोग महामारी बन गया है यह सब कहां से सीखा है? बाॅलीवुड से ही न ? वेबसीरीज से ही न ?
ध्यान रहे आप जो भी सोचते हैं देखते हैं सुनते हैं वह अच्छा हो या बुरा उसका आपके मन पर प्रभाव हुए बिना नहीं रहता है। आपके अनुभव में आने वाली प्रत्येक क्रिया का का आपके अवचेतन मन पर प्रभाव होता है। और आपको पता भी नहीं चलता कि कि आपके द्वारा किए गए निर्णय आपके नहीं है वस्तुत: उसके पीछे मनोरंजन के लिए देखे गए दृश्य, संगीत और विचार होते हैं।
आप जाते हैं मनोरंजन के लिए और आप उसी मनोरंजन के शिकार कब हो जाते हैं आपको पता नहीं चलता ।