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रामस्य दासोऽस्म्यहम्

रामस्य दासोऽस्म्यहम्
🌞श्री राम जय राम जय जय राम 🌞
श्री-सीता-लक्ष्मण-भरत-शतृघ्न-हनूमत्समेत
-श्रीरामचन्द्रपरब्रह्मार्पणमस्तु ॥
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最后更新于 01.03.2025 02:56

श्री राम का महत्व और उनकी पूजा

श्री राम, जिन्हें रामचन्द्र भी कहा जाता है, हिन्दू धर्म के सबसे प्रिय देवताओं में से एक हैं। उन्हें भगवान विष्णु का सातवां अवतार माना जाता है। उनकी कहानी 'रामायण' नामक प्राचीन महाकाव्य में विस्तृत रूप से मिलती है, जिसमें उनके जीवन की सभी प्रमुख घटनाओं, उनके आदर्शों और नैतिकता का वर्णन किया गया है। श्री राम का जन्म अयोध्या में हुआ था और वे राजा दशरथ के पुत्र थे। उनकी माता का नाम कौशल्या था। उनका जीवन सत्य, धर्म और न्याय के प्रति उनकी अडिग निष्ठा का प्रतीक है। राम का आदर्श पालन-पोषण, साहस और प्रेम ने उन्हें एक सच्चे नायक के रूप में स्थापित किया है। श्री राम की पूजा और उनकी उपासना की परंपरा भारतीय संस्कृति का अभिन्न अंग है।

श्री राम का जीवन कैसे व्यतीत हुआ?

श्री राम का जीवन अनेक महान घटनाओं से भरा हुआ था। उनका जन्म अयोध्या में हुआ और वे राजा दशरथ और रानी कौशल्या के पुत्र थे। राम का बचपन चैन और सुख से बीता, लेकिन उनकी युवा अवस्था में उन्हें अपने पिता के आदेश पर वनवास जाना पड़ा। वनवास के दौरान, उन्होंने अनेक कठिनाइयों का सामना किया और अपनी पत्नी सीता का अपहरण करने वाले रावण का मुकाबला किया।

राम का जीवन संघर्ष और परिश्रम का प्रतीक है। उन्होंने सीता की रक्षा के लिए लंका पर चढ़ाई की और रावण का वध किया। यह संघर्ष केवल व्यक्तिगत नहीं था, बल्कि यह सत्य और धर्म की विजय का भी प्रतीक है। श्री राम के कार्यों ने उन्हें एक आदर्श पुरुष बना दिया, जिसका अनुसरण आज तक किया जाता है।

श्री राम की पूजा का महत्व क्या है?

श्री राम की पूजा का महत्व हिन्दू धर्म में अत्यधिक है। उन्हें सत्य, धर्म और न्याय का प्रतीक माना जाता है। भक्तों का मानना है कि श्री राम की उपासना से व्यक्ति को मानसिक शांति, भक्ति, और जीवन में सही दिशा मिलती है। हिन्दू घरों में रामायण का पाठ और श्री राम की आरती सामान्यतः की जाती है।

पूजा के दौरान भक्त श्री राम के गुणों का स्मरण करते हैं और उनके प्रति श्रद्धा व्यक्त करते हैं। विशेष रूप से राम नवमी, जो उनके जन्मदिन पर मनाई जाती है, पर भक्तजन उत्साहपूर्वक पूजा और भक्ति करते हैं। यह सब उनके प्रति एक गहरी श्रद्धा और प्रेम को दर्शाता है।

रामायण का महत्व क्या है?

रामायण, जो कि महर्षि वाल्मीकि द्वारा रचित एक प्राचीन महाकाव्य है, भारतीय साहित्य और संस्कृति का एक अनिवार्य हिस्सा है। यह न केवल एक धार्मिक ग्रंथ है, बल्कि यह नैतिकता, आदर्श, और सामाजिक मूल्य का भी द्योतक है। इसमें श्री राम के जीवन के सिद्धांतों और उनके आदर्शों का विस्तृत वर्णन है।

रामायण का कथा साहित्य आज भी समाज में नैतिक शिक्षा देने का कार्य करता है। इसमें दर्शाए गए पात्र और घटनाएँ न केवल धार्मिक बल्कि सामाजिक परिपेक्ष्य में भी महत्वपूर्ण हैं, जो लोगों को सही और गलत के बीच अंतर समझाते हैं।

श्री राम और रावण के बीच का युद्ध कैसे हुआ?

श्री राम और रावण के बीच का युद्ध 'रामायण' की मुख्य घटना है। रावण ने सीता का अपहरण किया, जिसके चलते श्री राम ने अपने भाई लक्ष्मण और वानर सेना के साथ लंका की ओर प्रस्थान किया। युद्ध में, श्री राम ने अनेक प्रकार की चुनौतियों का सामना किया और अपनी वीरता का प्रदर्शन किया।

युद्ध के दौरान, राम का साथ देने के लिए हनुमान और अन्य वानरों ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। यह युद्ध केवल व्यक्तिगत प्रतिशोध नहीं था, बल्कि यह धर्म और अधर्म के बीच की लड़ाई थी। अंततः, श्री राम ने रावण का वध किया, जो धर्म की विजय का प्रतीक बन गया।

श्री राम का आदर्श क्या है?

श्री राम का आदर्श जीवन का पालन, सत्य और धर्म का आदर्श है। उन्हें 'राम' का नाम देते हुए उनके अनुयायी उनके जैसे बनने का प्रयास करते हैं। राम का जीवन अनुशासन, निष्ठा, और प्रेम का एक उदाहरण है। उन्होंने अपने परिवार, देश और धर्म के प्रति हमेशा अपनी जिम्मेदारियों का पालन किया।

श्री राम का आदर्श आज भी लोगों के लिए प्रेरना का स्रोत है। वे सच्चाई, सम्मान, और एकता के प्रतीक हैं। उनका जीवन दर्शाता है कि व्यक्ति को अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन कैसे करना चाहिए, चाहे स्थिति कितनी भी कठिन क्यों न हो।

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Yeh group me aajao sb hi! Iss channel ka owner abhi yahan absent hai. Gauvatsa group me join ho jaao

03 Oct, 10:21
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Jai Shree Krishna! Mitron. Shubh Navratri Sabko 🚩🙏❤️

03 Oct, 10:19
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https://youtu.be/r9oSYvYGfiU

13 Jul, 15:57
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अपने इष्टदेव के नाम का जप किया जा सकता है। स्त्री-पुरुष दोनों ही समान रूप से नाम जप कर सकते हैं।

इष्ट अनुसार नाम मंत्र-

शिव जी- 'शिव-शिव' या 'शिव शङ्कर प्रलयंकर' या 'श्रीरुद्र रुद्र रुद्र' का जप।

विष्णु जी- 'नारायण-नारायण' नाम जप या 'अच्युत अनन्त गोविंद' जप।

राम जी- 'श्रीरामजयरामजयजयराम' या 'सीताराम' जप या 'राम-राम'।

कृष्ण जी- 'अच्युत अनन्त गोविंद' जप या 'कृष्ण-कृष्ण' जप या 'गोविंद-गोविंद' जप या 'गोविंद दामोदर माधवेति' या 'भज गोविंदम्' आदि स्तोत्र।

दुर्गा जी- 'मृणानी रुद्राणी शिव शिव भवानी' जप या 'दुर्गा-दुर्गा' जप या 'भज ललिते ललिते...' कीर्तन ब्रह्मलीन द्वारकाशङ्कराचार्य जी विरचित या रामचरितमानस से-
'जय जय गिरिबरराज किसोरी।
जय महेस मुख चंद चकोरी।।
जय गज बदन षड़ानन माता।
जगत जननि दामिनि दुति गाता।।
नहिं तव आदि मध्य अवसाना।
अमित प्रभाउ बेदु नहिं जाना।।
भव भव बिभव पराभव कारिनि।
बिस्व बिमोहनि स्वबस बिहारिनि।।'

गणेश जी- 'गाइये गणपति जगवंदन।
शंकर सुवन भवानी नंदन॥
सिद्धि सदन गजवदन विनायक।
कृपा सिंधु सुंदर सब लायक॥
मोदक प्रिय मुद मंगल दाता।
विद्या बारिधि बुद्धि विधाता॥
मांगत तुलसीदास कर जोरे।
बसहिं रामसिय मानस मोरे॥'

अमुक-अमुक देवी-देवताओं के लिए शास्त्रों में जिन-जिन मालाओं का वर्णन किया गया है, उनका प्रयोग उनके नामजप हेतु भी किया जा सकता है। अन्यथा रुद्राक्ष अथवा स्फटिक की माला पर। किंतु रुद्राक्ष की माला पर शक्तिमंत्र का जप रात्रि में नहीं करना चाहिए।

10 Jul, 07:51
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