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18 Nov, 01:53


*ज्योतिष और वित्तीय चुनौतियाँ*

वैदिक ज्योतिष में, कुछ ग्रहों के संयोजन और स्थान किसी व्यक्ति की वित्तीय स्थिति को प्रभावित करने वाले माने जाते हैं, जिसमें निरंतर ऋण की संभावना भी शामिल है।

*यहाँ दस प्रमुख संकेतक दिए गए हैं जो वित्तीय चुनौतियों या ऋण की प्रवृत्ति का संकेत दे सकते हैं:---*

1. कमज़ोर बृहस्पति: बृहस्पति धन और समृद्धि का ग्रह है।

जन्म कुंडली में कमज़ोर या पीड़ित बृहस्पति वित्तीय कठिनाइयों और प्रचुरता की कमी का कारण बन सकता है।

2. पीड़ित दूसरा भाव: दूसरा भाव धन और संपत्ति का प्रतिनिधित्व करता है।

यदि यह भाव पापी ग्रहों (जैसे शनि, मंगल या राहु) से बहुत अधिक पीड़ित है, तो यह वित्तीय संघर्ष का संकेत दे सकता है।

3. कमज़ोर शुक्र: शुक्र विलासिता, आराम और वित्तीय लाभ को नियंत्रित करता है।

कमज़ोर शुक्र खराब वित्तीय निर्णय और अधिक खर्च करने की प्रवृत्ति का कारण बन सकता है।

4. दूसरे भाव में शनि: शनि अनुशासन ला सकता है, लेकिन दूसरे भाव में इसकी स्थिति वित्तीय लाभ में देरी और समय के साथ ऋण जमा करने की प्रवृत्ति का संकेत भी दे सकती है।

5. दूसरे भाव में राहु: राहु भ्रम और इच्छाएँ पैदा कर सकता है जो अत्यधिक खर्च और वित्तीय अस्थिरता का कारण बनता है, खासकर जब दूसरे भाव में स्थित हो।

6. आठवें भाव में चंद्रमा: आठवां भाव परिवर्तन और छिपे हुए मामलों से जुड़ा है।

यहाँ खराब स्थिति में चंद्रमा भावनात्मक खर्च और वित्तीय संकट का कारण बन सकता है।

7. दूसरे भाव में केतु: केतु भौतिक संपत्ति से अलगाव पैदा कर सकता है, जिससे वित्तीय स्थिरता और संभावित ऋण संचय पर ध्यान केंद्रित करने में कमी आ सकती है।

8. बारहवें भाव में कई ग्रह: बारहवां भाव व्यय और घाटे से जुड़ा है।

यहाँ ग्रहों की सांद्रता उच्च व्यय और वित्तीय क्षय का संकेत दे सकती है।

9. अष्टम भाव में लग्न स्वामी: यदि लग्न स्वामी अष्टम भाव में स्थित है, तो यह वित्तीय स्थिरता और अप्रत्याशित वित्तीय चुनौतियों के साथ संघर्ष का संकेत दे सकता है।

10. दुर्भाग्यपूर्ण ग्रहों की दशा अवधि:
दुर्भाग्यपूर्ण ग्रहों की ग्रह अवधि (दशा), विशेष रूप से ऋण से जुड़े (जैसे शनि या राहु), वित्तीय कठिनाइयों को जन्म दे सकती है और ऋण में वृद्धि कर सकती है।

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18 Nov, 01:51


*गणाधिप संकष्टी चतुर्थी व्रत आज*
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हर माह के कृष्ण और शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि भगवान गणेश को समर्पित है। कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष चतुर्थी तिथि को गणाधिप संकष्टी चतुर्थी के नाम से जाना जाता है। इस शुभ असवर पर भगवान गणेश की उपासना की जाती है। साथ ही जीवन के संकटों को दूर करने के लिए व्रत भी किया जाता है। मान्यता है कि गणाधिप संकष्टी चतुर्थी व्रत करने से जातक को गणपति बप्पा की कृपा प्राप्त होती है।

*गणाधिप संकष्टी चतुर्थी का मुहूर्त*
======================
कार्तिक माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 18 नवंबर, शाम 06 बजकर 55 मिनट से शुरू हो रही है, जो अगले दिन यानी 19 नवंबर दोपहर को शाम 05 बजकर 28 मिनट पर समाप्त होगी। ऐसे में गणाधिप संकष्टी चतुर्थी का व्रत 18 नवंबर को किया जाएगा। इस दिन शाम के समय चंद्रमा को अर्घ्य दिया जाता है। ऐसे में चन्द्रोदय शाम 07 बजकर 34 मिनट पर होगा।

ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 05 बजे से 05 बजकर 53 मिनट तक
विजय मुहूर्त - दोपहर 01 बजकर 53 मिनट से 02 बजकर 35 मिनट तक

*गणाधिप संकष्टी चतुर्थी की पूजा विधि*
=====================
गणाधिप संकष्टी चतुर्थी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठें और स्नान करने के बाद मंदिर की सफाई करें। इसके बाद सूर्य देव को अर्घ्य दें। एक चौकी पर कपड़ा बिछाकर भगवान गणेश जी की मूर्ति स्थापित करें। इसके बाद उन्हें पुष्प, गंध और दीप अर्पित करें। दीपक जलाकर आरती करें और मंत्रों-गणेश चालीसा का पाठ करें। गणेश जी को प्रिय मोदक या तिल का लड्डूओं का भोग लगाएं। संध्या के समय चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत का पारण करें। इस दिन दान करना शुभ माना जाता है।

*गणेश मंत्र*
============
1. ऊँ वक्रतुण्ड महाकाय सूर्य कोटि समप्रभ ।
निर्विघ्नं कुरू मे देव, सर्व कार्येषु सर्वदा ॥
2. ॐ एकदंताय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात् ॥
ॐ महाकर्णाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात् ॥
ॐ गजाननाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात् ॥

*संकष्टी चतुर्थी के अनुष्ठान*
=================
संकष्टी चतुर्थी के दिन भक्त सुबह जल्दी उठते हैं और भगवान गणेश की पूजा करते हैं। वे अपने देवता के सम्मान में कठोर उपवास रखते हैं। कुछ लोग आंशिक उपवास भी रख सकते हैं। इस व्रत को करने वाले व्यक्ति को केवल फल, सब्जियाँ और पौधों की जड़ें ही खानी होती हैं। इस दिन मुख्य भारतीय आहार में मूंगफली, आलू और साबूदाना खिचड़ी शामिल हैं।
संकष्टी पूजा शाम को चांद देखने के बाद की जाती है। भगवान गणेश की मूर्ति को दूर्वा घास और ताजे फूलों से सजाया जाता है। इस दौरान एक दीपक भी जलाया जाता है। धूपबत्ती जलाने और वैदिक मंत्रों का पाठ करने जैसी अन्य सामान्य पूजा विधियां भी की जाती हैं। इसके बाद भक्त महीने के लिए विशेष 'व्रत कथा' पढ़ते हैं। शाम को भगवान गणेश की पूजा करने और चांद देखने के बाद ही व्रत तोड़ा जाता है।
भगवान गणेश को मोदक और अन्य पसंदीदा खाद्य पदार्थों से बना विशेष 'नैवेद्य' तैयार किया जाता है। इसके बाद 'आरती' की जाती है और बाद में सभी भक्तों में प्रसाद वितरित किया जाता है।
संकष्टी चतुर्थी के दिन चंद्रमा या चंद्र देव के लिए विशेष पूजा अनुष्ठान भी किया जाता है। इसमें चंद्रमा की दिशा में जल, चंदन, चावल और फूल छिड़के जाते हैं।

इस दिन 'गणेश अष्टोत्र', 'संकष्टनाशन स्तोत्र' और 'वक्रतुण्ड महाकाय' आदि का पाठ करना शुभ होता है। वास्तव में भगवान गणेश को समर्पित किसी भी अन्य वैदिक मंत्र का जाप किया जा सकता है।

*संकष्टी चतुर्थी का महत्व*
===============
संकष्टी चतुर्थी के पवित्र दिन पर चांद देखने का विशेष महत्व है। भगवान गणेश के भक्त मानते हैं कि अपने देवता की पूजा-अर्चना करने से, खास तौर पर अंगारकी चतुर्थी के दिन, उनकी सभी इच्छाएं पूरी होंगी और वे समृद्ध जीवन जीएंगे। निःसंतान दंपत्ति भी संतान प्राप्ति के लिए संकष्टी चतुर्थी व्रत रखते हैं।
चूंकि संकष्टी चतुर्थी हर चंद्र महीने में मनाई जाती है, इसलिए प्रत्येक महीने में भगवान गणेश की पूजा अलग-अलग पीठ (कमल की पंखुड़ियों) और नाम से की जाती है। कुल 13 व्रत हैं, जिनमें से प्रत्येक व्रत का एक विशिष्ट उद्देश्य और कहानी है, जिसे 'व्रत कथा' के रूप में जाना जाता है। इसलिए कुल 13 'व्रत कथा' हैं, हर महीने के लिए एक और आखिरी कथा 'आदिका' के लिए है, जो हिंदू कैलेंडर में हर चार साल में आने वाला एक अतिरिक्त महीना है।
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18 Nov, 01:49


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15 Nov, 05:11


*🛕 ज्योतिष शास्त्र में वर्णित अद्भुत ज्ञान 🛕*

*अगर आपका धन कहीं फसा है तो करें यह उपाय ।*

कहीं आपका धन किसी के पास अटका हुआ तो नही है? यदि हां तो कुछ उपाय बता रहे हैं, जो आपको आपके अटके हुए धन को पुन: प्राप्त करने में आप की सहायता कर सकते हैं। अगर आपका धन अटका हुआ है तो घबराएं नहीं, पढ़ें अटका हुआ धन प्राप्त करने के उपाय और जानें कैसे आप अपना धन पुन: प्राप्त कर सकते हैं। हमारे जीवन में कई बार ऐसी परिस्थितियां बन जाती हैं जिससे कि उधारी में दिया धन डूबने, रुकने या फिर अटकने की नौबत आ जाती है। ऐसे में अटका हुआ धन पाना कठिन हो जाता है और हम उसको लेकर बहुत परेशान हो जाते हैं, रातों की नींद तक उड़ जाती है और दिन का सुकून तक खो जाता है। धन अटकने पर आपके मन में कई तरह के प्रश्न आते होंगे।

जैसे-

अटका हुआ धन वापस प्राप्त करने के उपाय क्या हैं?
अटका धन कैसे पाया जाए? धन वापस पाने के उपाय क्या हैं ।

रुका हुआ धन प्राप्ति के उपाय क्या है ।

इसलिए अटका हुआ धन निकालने के उपाय हमारे लिए बहुत आवश्यक हो जाते हैं। इसके साथ ही यदि आपने किसी व्यक्ति को धन उधार दिया हैं और वो उस उधारी को चुकाने के लिए आनाकानी कर रहा है तो हम आपको अपना धन वापस पाने के बहुत ही सरल उपाय बताने जा रहे हैं।

पहला उपाय :-

शनिवार को दक्षिण मुखी हनुमान जी की प्रतिमा के आगे सरसों के तेल का दीपक जलाएं और उस दीपक पर सरसों के कुछ दाने, 2 लौंग और एक कपूर डालें। फिर वहीं बैठकर तीन बार बजरंग बाण का पाठ करें। फिर हनुमान जी से अटके हुये धन को प्राप्ति के लिए प्रार्थना करें। अब दीपक में से 2 चम्मच तेल निकालें और उसका काजल बनाएं। अब किसी कोमल वस्त्र पर उस व्यक्ति का नाम लिखें जिसको आपने धन दिया है। अब इस कपड़े की बाती बनाएं। आटे के दीपक में तिल का तेल डाल कर इस बत्ती को पुनः हनुमान जी के सामने जलाएँ और दोबारा 5 बार बजरंग बाण का पाठ करें। अटका हुआ धन आपको मिल जाएगा।

दूसरा उपाय:-

दो राजा कौड़ी यह किसी भी पूजा की दुकान पर मिल जाएगी उस व्यक्ति के घर के सामने डाल दें जिसको आपने धन उधार दिया है। इस टोटके से वह आपको आपके पैसे वापस कर देगा। यह अटका हुआ धन पाने का बहुत आसान उपाय है।

तीसरा उपाय:-

ऐसा माना जाता है कि पीली कौड़ी माँ लक्ष्मी जी का प्रतिनिधित्व करती है। इसलिए पाँच पीली कौड़ी पूजा के स्थान पर रख दें। इससे आपका फंसा हुआ धन वापस आने लगेगा।

चौथा उपाय:-

शुक्रवार के दिन कपूर जलाकर उसका काजल बना लें। अब एक भोजपत्र पर उस व्यक्ति का नाम लिखें जिसको आपने धन दिया है। अब इस भोजपत्र पर सात बार थपकी देकर इसे अपनी तिजोरी में दबाकर रख लें। इस उपाय से आपका रुका हुआ धन वापस आने लगेगा।

पांचवा उपाय:-

11 लौंग, 11 साबुत नमक की डली को नीले कपड़े में बांध दें और उस व्यक्ति का ध्यान करते हुए रात्रि 10 बजे के आस-पास किसी चौराहे पर जाकर चुपचाप इसे रख कर आ जाए। ऐसा करने से उधार दिया हुआ धन वापिस मिलने लगेगा। यह अटका हुआ धन प्राप्ति का सरल उपाय है।

छठवा उपाय:-

- मंगल एवं बुधवार को उधारी का लेनदेन न करें। शास्त्रों में ऐसा कहा जाता है कि मंगलवार को कभी कर्ज नहीं लेना चाहिए। इस दिन कर्ज लेने वाला व्यक्ति सदा कर्ज के बोझ तले दबा रहता है। वहीं बुधवार के दिन कभी उधार नहीं देना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि इस दिन दी गई उधारी के वापस आने के योग कम होते हैं।

- ज्योतिष शास्त्र में फंसा हुआ धन प्राप्त करने के उपाय के तहत विस्तृत उल्लेख है। परंतु इससे पहले हम आपको ज़रुरी बिंदुओं को बताना सही समझते हैं। यदि आपकी
कुंडली में गुरु एवं शुक्र ग्रह मजबूत हैं तो आपके रुके हुए धन के वापस आने के योग हैं। इसके विपरीत यदि कुंडली में मंगल, शनि एवं राहु अशुभ हों तो आपको धन हानि होगी।

- कुंडली में दशम भाव हमारे कर्म का और नवम भाव भाग्य का होता है। वहीं ग्यारहवां भाव लाभ का और दूसरा भाव हमारे द्वारा कमाए गए धन का होता है।
जन्म कुंडली में छठे, आठवें और बारहवें भाव के स्वामी कुंडली में हावी हों तो धन हानि, कर्ज और धन चोरी होने का सामना करना पड़ता है इसलिए किसी भी ज्योतिषीय उपाय को अपनाने से पूर्व किसी ज्योतिष के ज्ञानी को इन भावों को अवश्य दिखाएं।

- अटके हुए धन को वापस पाने के ज्योतिषीय उपाय कुंडली में शुक्र व गुरु को मजबूत करें कुंडली में द्वितीय, नवम, दशम एवं एकादश भाव एवं इनके स्वामी को मजबूत करें कुडली में शनि, राहु एवं मंगल यदि अशुभ भाव में हैं तो उनकी शांति का उपाय करें।

- पितृ दोष निवारण के उपाय विधिवत श्रद्धा से युक्त होकर शास्त्र विधि से विद्वान ब्राह्मण से आराधना करना चाहिए एवं सम्पूर्ण विधि विधान के साथ श्रीयंत्र शास्त्र विधि से समझकर ही स्थापित करें। नियमानुसार महालक्ष्मी यंत्र को स्थापित करें व्यापार वृद्धि यंत्र को स्थापित करें। पूजा विधि के अनुसार श्री धन वर्षा यंत्र को स्थापित करें गणेश

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15 Nov, 05:11


लक्ष्मी रुद्राक्ष धारण करें।

- कुबेर यंत्र की आराधना कर श्रीसूक्त का पाठ करें। अटका हुआ धन प्राप्त करने का मंत्र वैदिक मंत्रों में शक्ति होती है। अतः अटके हुए धन को प्राप्ति के लिए निम्न मंत्र का जप करें।

“श्री क्रीं कृष्णाय नमः”

ये कृष्ण बीज मंत्र का जाप करने से अटका हुआ धन वापस आता है।

अष्टदलोपरिवेष्टित लिंगं, सर्वसमुद्भवकारण लिंगं।
अष्टदरिद्रविनाशित लिंगं, तत्प्रणमामि सदाशिव लिंगं॥

भावार्थ:-

आठों दलों में मान्य, एवं आठों प्रकार के दरिद्रता का नाश करने वाले सदाशिव
सभी प्रकार के सृजन के परम कारण हैं- आप सदाशिव लिंग को प्रणाम।

“श्रीआदित्याय नमः”

इस मंत्र का जाप करने से पूर्व स्नान करें और तांबे के पात्र में जल भरें और उसमें लाल मिर्च के 11 बीज डालें और फिर सूर्यदेव को यह जल अर्पण करें और धन वापसी की प्रार्थना करें।

वास्तु के अनुसार अटका हुआ धन वापस प्राप्ति के लिए उपाय

वास्तु शास्त्र के अनुसार घर में उत्तरी दिशा में भगवान कुबेर का स्थान होता है। इसलिए इस दिशा में धन की तिजोरी होनी चाहिए। इसके अलावा इस दिशा में कुबेर यंत्र अथवा माँ लक्ष्मी व कुबेर देव की मूर्ति रखने से भी आपका रुका हुआ धन वापस आएगा। फेंग्शुई वास्तु के अनुसार दक्षिण-पूर्व दिशा को धन का कोना माना जाता है। घर की इस दिशा में हरे-भरे पौधों को लगाना चाहिए। इस दिशा को हरा रखने से जीवन में धन का आगमन होता है। ये अटका हुआ धन प्राप्त करने का बहुत कारगर उपाय है। एवं विधि वत श्रद्धा से युक्त होकर श्री गणेश आराधना भी करें सनातन धर्म एवं धर्म संघ अध्यक्ष श्री कृष्णाश्रय पौराणिक धुलेट धार हर हर महादेव सनातन धर्म की जय हो

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15 Nov, 05:10


*🌹कार्तिक पूर्णिमा 15 नवंबर को:सुबह सूर्य को और शाम को चंद्र को चढ़ाएं अर्घ्य, सूर्यास्त के बाद तुलसी के पास जलाएं दीपक🌹*
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*शुक्रवार, 15 नवंबर को कार्तिक मास का अंतिम दिन पूर्णिमा है। इस तिथि को देव दीपावली और त्रिपुरारी पूर्णिमा भी कहा जाता है। कार्तिक पूर्णिमा पर नदी स्नान, दान-पुण्य करने के साथ ही दीपदान करने की भी परंपरा है। माना जाता है कि इस पर्व पर किए गए धर्म-कर्म से अक्षय पुण्य मिलता है। अक्षय पुण्य यानी ऐसा पुण्य, जिसका असर जीवनभर बना रहता है।*

*पौराणिक कथा के अनुसार कार्तिक पूर्णिमा पर भगवान शिव ने त्रिपुरासुर नाम के असुर का वध किया था, इस वजह से इस तिथि को त्रिपुरारी पूर्णिमा कहते हैं। एक अन्य कथा के अनुसार हिन्दी पंचांग के आठवें महीने में कार्तिकेय स्वामी ने तारकासुर का वध किया था। इससे प्रसन्न होकर भगवान शिव जी ने आठवें महीने का नाम कार्तिकेय के नाम पर कार्तिक रखा था।*

*⚜️जानिए कार्तिक पूर्णिमा पर कौन-कौन से शुभ काम किए जा सकते हैं...*
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* कार्तिक पूर्णिमा पर दिन की शुरुआत सूर्य पूजा के साथ करनी चाहिए। सुबह जल्दी उठें और स्नान के बाद सूर्य को तांबे के लोटे से जल चढ़ाएं। जल में फूलों की पत्तियां, चावल, कुमकुम भी डाल लेंगे तो बहुत अच्छा रहेगा। जल चढ़ाते समय *•ऊँ सूर्याय नम:* मंत्र का जप करना चाहिए।

* पूर्णिमा तिथि पर गणेश पूजन के बाद भगवान विष्णु और महालक्ष्मी का विशेष अभिषेक करना चाहिए। विष्णु-लक्ष्मी का अभिषेक दक्षिणावर्ती शंख से करेंगे तो बहुत शुभ रहेगा। पूजा में ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जप करें। तुलसी के साथ मिठाई का भोग लगाएं।

* इस दिन शिवलिंग पर जल, दूध और पंचामृत चढ़ाना चाहिए। पंचामृत दूध, दही, घी, मिश्री और शहद मिलाकर बनाना चाहिए। पंचामृत चढ़ाने के बाद फिर से जल चढ़ाएं। बिल्व पत्र, हार-फूल, धतूरा चढ़ाएं। शिवलिंग पर चंदन का लेप करें। *•ऊँ नम: शिवाय* मंत्र का जप करें। दीपक जलाकर आरती करें। पूजा में मिठाई का भोग लगाएं।

* कार्तिक पूर्णिमा पर पूजा-पाठ के साथ ही जरूरतमंद लोगों को अनाज, कपड़े, जूते-चप्पल, खाना और धन का दान करें। अभी ठंड का समय है तो ऊनी वस्त्रों का दान करेंगे तो बहुत शुभ रहेगा। किसी गौशाला में गायों की देखभाल के लिए हरी घास दान करें।

* हनुमान जी के मंदिर में दीपक जलाएं। सुंदरकांड और हनुमान चालीसा का पाठ करें। आप चाहें तो हनुमान जी के सामने राम नाम का जप भी कर सकते हैं।

* शाम को सूर्यास्त के बाद चंद्र उदय के समय चंद्रदेव को अर्घ्य अर्पित करें। चंद्र को चांदी के लोटे से दूध चढ़ाएंगे तो बहुत शुभ रहेगा। चांदी का लोटा न हो तो मिट्टी के कलश से दूध चढ़ा सकते हैं। अर्घ्य देते समय *•ऊँ सों सोमाय नम:* मंत्र का जप करना चाहिए।

* सुबह तुलसी को जल चढ़ाएं। शाम को तुलसी के पास दीपक जलाएं। तुलसी को लाल चुनरी भी अर्पित करनी चाहिए।
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14 Nov, 18:00


*_किसी भी व्यक्ति के जीवन में पांच अंकों का अंक उसके जीवन पर प्रभाव होता है तो आप चेक करे आपके लिए कौन सा अच्छा ओर कौन सा बुरा असर दे रहा है_*

1. जन्म तिथि
2. नाम नं
3. मोबाइल नंबर
4. मकान नंबर या फ्लैट नंबर
5. कार या स्कूटर का नंबर

*_अब थोड़ा विचार करने पर आप देख सकते हैं कि आप लगातार अलग-अलग नंबरों का उपयोग कर रहे हैं जरा ध्यान से देखना 🤗_*

जन्मतिथि संख्या, नाम संख्या, मोबाइल नंबर संख्या, राष्ट्रीय पहचान पत्र संख्या, शिक्षा जगत के सभी नंबर आपकी पहचान हैं यानी रोल नंबर या पंजीकरण संख्या, घर का नंबर, कार नंबर, परिवार के सदस्य संख्या ऐसे बहुत कुछ....😇

*_अब सही पकड़े है कि हर चीज़ अंकों से जुड़ी है....._*

इस अंक का आपके जीवन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता ? 🤨

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कामयाब उपाय- विपिन सर अंकशास्त्र वास्तु ज्योतिष कुंडली तज्ञ 🙏
कामयाब व्यक्तियों की संख्या बढ़ती जा रही है- धनवान व्यक्तियों की संख्या बढ़ती जा रही है
अखंड लक्ष्मी प्रयोग कैसे करें- जिससे चारों ओर से नोट ही नोट आये
कर्ज की किस्त जब कमाई से अधिक होने लगे तो क्या करें
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14 Nov, 18:00


*कार्तिक पूर्णिमा आज*
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कार्तिक का पूरा महीना स्नान-दान के लिए श्रेष्ठ होता है। लेकिन कार्तिक पूर्णिमा का दिन सबसे खास माना गया है। मान्यता है कि जो फल पूरे कार्तिक माह में किए धर्म-कर्म के कार्य करने से प्राप्त होता है। वह मात्र कार्तिक पूर्णिमा पर गंगा स्नान करने से मिल जाता है।
इस दिन देव दिवाली भी मनाई जाती है, स्वंय देवतागण भी कार्तिक पूर्णिमा पर पृथ्वी पर आकर गंगा स्नान करते हैं। और शाम को दिवाली मनाते हैं. इस दिन तालाब, सरोवर, नदी में दीपदान करने से पिछले कई जन्मों के पाप धुल जाते हैं, व्यक्ति मोक्ष को प्राप्त होता है। देवताओं की कृपा का पात्र बनता है।

*कार्तिक पूर्णिमा की तिथि*
===============
कार्तिक पूर्णिमा 15 नवंबर 2024, शुक्रवार को है। कार्तिक मास की अंतिम तिथि यानी पूर्णिमा पर इस माह के स्नान समाप्त हो जाएंगे। मान्यता है कि कार्तिक पूर्णिमा पर पवित्र नदी में स्नान, दीपदान, पूजा, आरती, हवन और दान-पुण्य करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है।

*कार्तिक पूर्णिमा का मुहूर्त*
====================
कार्तिक पूर्णिमा तिथि 15 नवंबर 2024 को सुबह 06 बजकर 19 मिनट से शुरू होगी और 16 नवंबर 2024 को सुबह 02 बजकर 58 मिनट पर इसका समापन होगा।

स्नान-दान मुहूर्त - सुबह 04.58 - सुबह 5.51
सत्यनारायण पूजा - सुबह 06.44 - सुबह 10.45
प्रदोषकाल देव दीपावली मुहूर्त - शाम 05:10 - रात 07:47
चंद्रोदय समय - शाम 04.51
लक्ष्मी पूजन - रात 11.39 - प्रात: 12.33, 16 नवंबर

*कार्तिक पूर्णिमा को त्रिपुरारी पूर्णिमा भी कहते हैं।*
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कार्तिक पूर्णिमा के दिन देव दीपावली मनायी जाती है, जिसे देवताओं के दीवाली उत्सव के रूप में जाना जाता है। मान्यताओं के अनुसार, कार्तिक पूर्णिमा के दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर नामक राक्षस का वध किया था। अतः कार्तिक पूर्णिमा को त्रिपुरी पूर्णिमा एवं त्रिपुरारी पूर्णिमा भी कहा जाता है।

*कार्तिक पूर्णिमा पर गंगा स्नान का महत्व*
========================
कार्तिक पूर्णिमा के शुभ दिन पर भक्तगण गंगा पवित्र डुबकी लगाते हैं। तथा सायाह्नकाल मिट्टी के दीप प्रज्वलित करते हैं। कहते हैं इससे समस्त देवी-देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त होता है। गंगा स्नान करने वालों को अमृत के गुण प्राप्त होता हैं।

*कार्तिक पूर्णिमा की पूजा विधि*
=====================
कार्तिक पूर्णिमा पर सुबह जल्दी उठें।
घर की साफ-सफाई करें और सूर्य देव को अर्घ्य दें।
भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करें।
व्रत का संकल्प लें।
भगवान विष्णु को सुगंध, फूल, फल, पुष्प और वस्त्र अर्पित किए जाते हैं।
देसी गाय का दीपक जलाएं, आरती करें और भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप करें।
फल, मिठाई आदि का भोग लगाएं।
इसके बाद कथा करें।
गरीब लोगों को दान देना एक अच्छा शगुन माना जाता है।

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14 Nov, 07:47


*🌹गुरुवार के दिन करें ये 5 चमत्कारी उपाय, दूर हो जाएंगे जीवन के*
*सारे कष्ट!🌹*
💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐
*सनातन धर्म में गुरुवार के दिन देवगुरु बृहस्पति और भगवान विष्णु की पूजा करने का विधान है। मान्यताओं के मुताबिक, इस दिन विधिवत पूजा-पाठ करने से साधक को मनवांछित फलों की प्राप्ति होती है।*

*ज्योतिष शास्त्र में गुरुवार के दिन किये जाने वाले विशेष उपाय बताये गए है। इन उपायों की मदद से साधक के जीवन में अटके और बिगड़े काम बनने लग जाते है। साथ ही आर्थिक परेशानी भी दूर होती है। चलिए जानते है उनके बारे में-*

*⚜️गुरुवार के उपाय और टोटके*
*卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐*
- वास्तु दोष से निजात पाने के लिए गुरुवार के दिन दक्षिणावर्ती शंख खरीद कर लाएं। इसमें केसर युक्त दूध डालकर श्री हरि नारायण का अभिषेक करें।

- जीवन में व्याप्त दुखों से निजात पाने के लिए गुरुवार के दिन पूजा में विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें। ऐसा करने पर सभी मनोरथ सिद्ध होने लगते हैं।

- गुरुवार का व्रत रखने से विवाहित और अविवाहित महिलाओं की मन की इच्छा पूरी होती है। इस दिन व्रती महिलायें गुरुवार व्रत कथा का पाठ भी करें।

- गुरुवार के दिन जरूरतमंदों को चने की दाल, केला, पपीता, मूंग की दाल और पीले रंग के वस्त्र दान करने से भगवान विष्णु की विशेष कृपा होती है।

- कुंडली में गुरु की स्थिति मजबूत करने के लिए गुरुवार के दिन पीले रंग के चंदन का टीका लगाएं। इस उपाय से गुरु चांडाल दोष भी दूर होता है।
**और अधिक जानकारी समाधान उपाय विधि प्रयोग कुंडली विश्लेषण वास्तु अंक जोतिष भविष्य से जुड़ा हुआ किसी भी प्रकार की जानकारी के लिए या कुंडली बनवाने के लिए या उपाय विधि प्रयोग के लिए संपर्क करें ...*

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14 Nov, 05:36


*Magic Story of the Day*
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12 Nov, 04:44


जय श्रीराम ।।

आकस्मिक धन प्राप्ति के योग
===================

आकस्मिक धन प्राप्ति के योग आकस्मिक धन प्राप्ति से आशय हैं कि इनाम, भेंट, वसीहत, रेस- लॉटरी, भू – गर्भ धन आदि से प्राप्त धन का निर्देश मिलता हैं ।

जब कि अष्टम भाव गुप्त भू-गर्भ, वसीहत, अनसोचा या अकल्पित धन दर्शाता हैं । धन संपत्ति प्रारब्ध में होती है, तब ही मनुष्य उसे प्राप्त कर सकता हैं । भाग्यशाली लोगों को ही बिना परिश्रम के अचानक धन प्राप्त होता हैं, इसलिए कुण्डली में नवम भाव त्रिकोण का भी विशेष महत्व हैं । इस तरह अचानक आकस्मिक धन – संपत्ति प्राप्ति के लिये कुंडली में द्वितीय धनभाव, एकादश लाभभाव, पंचम प्रारब्ध एवं लक्षमीभाव, अष्टम गुप्त धनभाव तथा नवम भाग्य भाव एवं इसके अधिपति तथा इन भावों में स्थित ग्रहों के बलाबल के आधार पर संभव हैं ।

1.धनेश अष्टम भाव में अष्टमेश धन भाव में अकस्मात धन दिलाता हैं ।

2.लग्नेश धनभाव में तथा धनेश लग्न भाव में भी अचानक धन दिलाता हैं ।

3.द्वितीय भाव का अधिपति लग्न स्थान में और लग्नेश द्वितीय भाव में होता हैं तो भी अकस्मात धन लाभ कराता हैँ।

4.लाभ भाव में चन्द्रमा + मंगल की युति व बुध भाव में स्थित होने पर भी अकस्मात धन लाभ होता हैं।

5.अष्टम भाव में शुक्र तथा चंद्र + मंगल कुंडली के किसी भी भाव में एक साथ होते हैं तो अक्समात धन लाभ होता हैं।

6.भाग्यकारक गुरु अगर नवमेश होकर अष्टम भाव में हैं तो जातक अकस्मात धनी बनता हैं।

7.द्वितीय एवं पंचम स्थान के स्वामी की युति या दृष्टि सम्बन्ध या स्थान परिवर्तन योग बनता हैं तो लॉटरी लगती हैं।

8.कुंडली में धनभाव, पंचम भाव, एकादश भाव, नवम भाव का किसी भी प्रकार से सम्बन्ध हिट हैं तो अकस्मात धन प्राप्त करता हैं।

9.पंचम, एकादश या नवम भाव में राहु केतु होते हैं तो लॉटरी खुलती हैं, क्योंकि राहु अकल्पित धन देता हैं ।

10.षष्टम- अष्टम, अष्टम-नवम, एकादश- द्वादश स्थान के परिवर्तन योग आकस्मिक धन प्राप्ति कराते हैँ । इनके दशा अन्तर्दशा में ऐसा होता हैं।

11.अष्टम भाव स्थित धनेश जातक को जीवन में दबा हुआ, गुप्त धन, वसीहत से धन प्राप्त कराता हैं ।

12.लग्नेश धनेश के सम्बन्ध से पैतृक संपत्ति मिलती हैँ।

13.लग्नेश चतुर्थेश के सम्बन्ध से माता से धन प्राप्त होता हैं।

14.लग्नेश शुभ ग्रह होकर अगर धन भाव में स्थित हो तो जातक को खज़ाना प्राप्त कराता हैं।

15.अष्टम स्थान स्थित लाभेश मतलब एकादशेश अचानक धन दिलाता हैं।

16.कर्क या धनु राशि का गुरु अगर नवम भाव में स्थित होता हैं, और मकर का मंगल यदि कुंडली में चन्द्रमा के स्थान दशम भाव में होता हैँ तो अकस्मात धन दिलाता हैं ।

17.चंद्र-मंगल, पंचम भाव में हो और शुक्र की पंचम भाव पर दृष्टि होती हैँ तो जातक अचानक धन पाता हैं ।

18.चंद्र-गुरु की युति कर्क राशि में द्वितीय, चतुर्थ, पंचम, नवम या एकादश भाव में से किसी भी भाव में होती हैं तो जातक अकस्मात धन पाता हैं । चंद्र से तृतीय, पंचम, दशम एवं एकादश भाव में शुभ ग्रह धन योग की रचना करते हैं ।

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12 Nov, 04:43


*🌹देव उठनी एकादशी 2024: 4 शुभ योग में मनाई जाएगी देव उठनी एकादशी, अक्षय पुण्य की होगी प्राप्ति🌹*
💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐
*देव उठनी एकादशी व्रत के फायदे 2024: दिवाली के बाद छठ पूजा और उसके बाद देव उठनी एकादशी रहती है। इस दिन के बाद से शुभ और मांगलिक कार्य प्रारंभ हो जाते हैं। इस बार यह देवउठनी एकादशी 12 नवंबर 2024 मंगलवार को रहेगी। 13 नवंबर को पारण (व्रत तोड़ने का) समय प्रात: 06:42 से 08:51 के बीच रहेगा। इस दिन 4 शुभ योग सर्वार्थ सिद्धि योग, रवि योग, हर्षण योग, शिववास योग भी रहेंगे। उत्तर भाद्रपद नक्षत्र का संयोग बन रहा है। साथ ही बव करण का भी निर्माण हो रहा है।*

*🌹देव उठनी एकादशी के दिन क्या करते हैं?*
💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐
1. इस दिन से विवाह आदि मांगलिक कार्य प्रारंभ हो जाते हैं जब देव जागते हैं तभी कोई मांगलिक कार्य संपन्न प्रारंभ होता है।

2. एकादशी के व्रत से अशुभ संस्कार नष्ट हो जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस दिन निर्जल या केवल जलीय पदार्थों पर उपवास रखना चाहिए। यदि उपवास नहीं रख रहे हैं तो इस दिन चावल, प्याज, लहसुन, मांस, मदिरा, बासी भोजन आदि बिलकुल न खाएं।

3. इस दिन शालीग्राम के साथ तुलसी का आध्यात्मिक विवाह देव उठनी एकादशी को होता है। इस दिन तुलसी की पूजा का महत्व है। तुलसी दल अकाल मृत्यु से बचाता है। शालीग्राम और तुलसी की पूजा से पितृदोष का शमन होता है।

4. इस दिन भगवान विष्णु या अपने इष्ट-देव की उपासना करना चाहिए। इस दिन *•"ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः"* मंत्र का जाप करने से लाभ मिलता है।

5. कुंडली में चंद्रमा के कमजोर होने की स्थिति में जल और फल खाकर या निर्जल एकादशी का उपवास जरूर रखना चाहिए। व्यक्ति यदि सभी एकदशियों में उपवास रखता है तो उसका चंद्र सही होकर मानसिक स्थिति भी सुधर जाती है।

6. इस दिन देवउठनी एकादशी की पौराणिक कथा का श्रावण या वाचन करना चाहिए। कथा सुनने या कहने से पुण्य की प्राप्ति होती है।

7. कहते हैं कि देवोत्थान एकादशी का व्रत करने से हजार अश्वमेघ एवं सौ राजसूय यज्ञ का फल मिलता है।

8. पितृदोष से पीड़ित लोगों को इस दिन विधिवत व्रत करना चाहिए। पितरों के लिए यह उपवास करने से अधिक लाभ मिलता है जिससे उनके पितृ नरक के दुखों से छुटकारा पा सकते हैं।

9. देवउठनी या प्रबोधिनी एकादशी का व्रत करने से भाग्य जाग्रत होता है।

10. पुराणों अनुसार जो व्यक्ति एकादशी करता रहता है वह जीवन में कभी भी संकटों से नहीं घिरता और उनके जीवन में धन और समृद्धि बनी रहती है।
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11 Nov, 17:16


*🌞~ हिन्दू पंचांग ~🌞*

*दिनांक - 12 नवम्बर 2024*
*दिन - मंगलवार*
*विक्रम संवत् - 2081*
*अयन - दक्षिणायन*
*ऋतु - हेमन्त*
*मास - कार्तिक*
*पक्ष - शुक्ल*
*तिथि - एकादशी शाम 04:04 तक तत्पश्चात द्वादशी*
*नक्षत्र - पूर्व भाद्रपद प्रातः 07:52 तक तत्पश्चात उत्तर भाद्रपद प्रातः 05:40 नवम्बर 13 तक तत्पश्चात रेवती*
*योग - हर्षण शाम 07:10 तक तत्पश्चात वज्र*
*राहु काल - दोपहर 03:10 से शाम 04:33 तक*
*सूर्योदय - 06:54*
*सूर्यास्त - 05:52*
*दिशा शूल - उत्तर दिशा में*
*ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:08 से 06:00 तक*
*अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:02 से दोपहर 12:46 तक*
*निशिता मुहूर्त- रात्रि 11:58 नवम्बर 12 से रात्रि 12:50 नवम्बर 13 तक*
*व्रत पर्व विवरण - देवउठी एकादशी, योगेश्वर द्वादशी, चातुर्मास समाप्त, सर्वार्थ सिद्धि योग (प्रातः 07:52 से प्रातः 05:40 नवम्बर 13 तक)*
*विशेष - एकादशी को सिम्बी (सेम) खाने से पुत्र का नाश होता है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*🔹एकादशी में क्या करें, क्या न करें ?🔹*

*🌹1. एकादशी को लकड़ी का दातुन तथा पेस्ट का उपयोग न करें । नींबू, जामुन या आम के पत्ते लेकर चबा लें और उँगली से कंठ शुद्ध कर लें । वृक्ष से पत्ता तोड़ना भी वर्जित है, अत: स्वयं गिरे हुए पत्ते का सेवन करें ।*

*🌹2. स्नानादि कर के गीता पाठ करें, विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें ।*

*🌹हर एकादशी को श्री विष्णु सहस्रनाम का पाठ करने से घर में सुख शांति बनी रहती है l*

*🌹राम रामेति रामेति । रमे रामे मनोरमे ।। सहस्त्र नाम त तुल्यं । राम नाम वरानने ।।*

*एकादशी के दिन इस मंत्र के पाठ से श्री विष्णु सहस्रनाम के जप के समान पुण्य प्राप्त होता है l*

*🌹3. `ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ इस द्वादश अक्षर मंत्र अथवा गुरुमंत्र का जप करना चाहिए ।*

*🌹4. चोर, पाखण्डी और दुराचारी मनुष्य से बात नहीं करना चाहिए, यथा संभव मौन रहें ।*

*🌹5. एकदशी के दिन भूल कर भी चावल नहीं खाना चाहिए न ही किसी को खिलाना चाहिए । इस दिन फलाहार अथवा घर में निकाला हुआ फल का रस अथवा दूध या जल पर रहना लाभदायक है ।*

*🌹6. व्रत के ( दशमी, एकादशी और द्वादशी ) - इन तीन दिनों में काँसे के बर्तन, मांस, प्याज, लहसुन, मसूर, उड़द, चने, कोदो (एक प्रकार का धान), शाक, शहद, तेल और अत्यम्बुपान (अधिक जल का सेवन) - का सेवन न करें ।*

*🌹7. फलाहारी को गोभी, गाजर, शलजम, पालक, कुलफा का साग इत्यादि सेवन नहीं करना चाहिए ।आम, अंगूर, केला, बादाम, पिस्ता इत्यादि अमृत फलों का सेवन करना चाहिए ।*

*🌹8. जुआ, निद्रा, पान, परायी निन्दा, चुगली, चोरी, हिंसा, मैथुन, क्रोध तथा झूठ, कपटादि अन्य कुकर्मों से नितान्त दूर रहना चाहिए ।*

*🌹9. भूलवश किसी निन्दक से बात हो जाय तो इस दोष को दूर करने के लिए भगवान सूर्य के दर्शन तथा धूप-दीप से श्रीहरि की पूजा कर क्षमा माँग लेनी चाहिए ।*

*🌹10. एकादशी के दिन घर में झाड़ू नहीं लगाएं । इससे चींटी आदि सूक्ष्म जीवों की मृत्यु का भय रहता है ।*

*🌹11. इस दिन बाल नहीं कटवाने चाहिए ।*

*🌹12. इस दिन यथाशक्ति अन्नदान करें किन्तु स्वयं किसीका दिया हुआ अन्न कदापि ग्रहण न करें ।*

*🌹13. एकादशी की रात में भगवान विष्णु के आगे जागरण करना चाहिए (जागरण रात्र 1 बजे तक) ।*

*🌹14. जो श्रीहरि के समीप जागरण करते समय रात में दीपक जलाता है, उसका पुण्य सौ कल्पों में भी नष्ट नहीं होता है ।*

*🔹 इस विधि से व्रत करनेवाला उत्तम फल को प्राप्त करता है ।*

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11 Nov, 17:13


*देवउठनी एकादशी आज*
***
देवउठनी एकादशी के दिन देव योग निद्रा से जागते हैं और फिर सभी शुभ काम शुरू हो जाते हैं। हिंदू धर्म में इसे देवोत्थान एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष में आने वाली देवउठनी एकादशी देवी लक्ष्मी और श्रीहरि विष्णु को प्रसन्न करने का सबसे अच्छा दिन माना जाता है। उनके प्रभाव से बड़े से बड़े पाप भी क्षण भर में नष्ट हो जाते हैं।

*देवउठनी एकादशी का महत्व*
==================
देवशयनी एकादशी के दिन से सो रहे देवता देवउठनी एकादशी को जागृत अवस्था में आ जाते हैं। इस दिन से शुभ कार्यों पर लगी रोक खत्म हो जाती हैं। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से पाप मिटते हैं। और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

*देवउठनी एकादशी की तिथि*
====================
वैदिक पंचांग के अनुसार, देवउठनी एकादशी का व्रत हर साल कार्तिक माह में आने वाली शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि के अगले दिन रखा जाता है। इस साल कार्तिक माह में आने वाली शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि का आरंभ 11 नवंबर को शाम 06:46 मिनट से हो रहा है, जिसका समापन अगले दिन 12 नवंबर को दोपहर बाद 04:04 मिनट पर होगा। ऐसे में उदयातिथि के आधार पर 12 नवंबर 2024 को देवउठनी एकादशी का व्रत रखना शुभ रहेगा। खास बात ये है कि इस बार देवउठनी एकादशी के अगले दिन 13 नवंबर 2024 को तुलसी विवाह है। इस दिन कोई भी मांगलिक कार्य करना शुभ रहता है।

*व्रत के पारण का सही समय*
====================
देवउठनी एकादशी के व्रत का पारण 13 नवंबर 2024 को प्रात:काल 06:42 मिनट से लेकर सुबह 08:51 मिनट के बीच करना शुभ रहेगा।

*देवउठनी एकादशी व्रत के नियम*
=======================
इस दिन निर्जला उपवास रखा जाता है।
इस व्रत में भगवान विष्णु या अपने इष्ट देवताओं की उपासना की जाती है।
इस दिन तामसिक आहार प्याज, लहसुन, मांस, मदिरा, बासी भोजन न लें।
एकादशी पर यदि आप व्रत न भी करें तो भी आपको ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।
एकादशी के दिन भूलकर भी चावलों का सेवन न करें।

*शीघ्र विवाह के लिए करें ये उपाय*
====================
अगर किसी लड़के या लड़की को विवाह में समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है तो वह भी देवउठनी एकादशी के दिन इन उपाय से बाधाओं से बाहर निकल सकते हैं।

इसी उद्देश्य से भगवान विष्णु की पूजा करते समय केसर, पीले चंदन या हल्दी से बने तिलक का प्रयोग करें। फिर पीले फूल चढ़ाएं। इससे शीघ्र विवाह के योग बनते हैं।
अगर आप अपनी मनोकामना पूरी करना चाहते हैं तो देवउठनी एकादशी के दिन पीपल के पेड़ पर जल का दान अवश्य करें। पीपल के पेड़ में भगवान विष्णु का वास माना जाता है। जल चढ़ाने से आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी होंगी।
इस दिन तुलसी विवाह कराना शुभ माना जाता है। ऐसा करने से शादी में आ रही रुकावटें दूर होती हैं और जल्द ही विवाह का योग बनता है।
तुलसी के पौधे में कच्चे दूध में गन्ने का रस मिलाकर अर्पित करना चाहिए।
तुलसी के पौधे के सामने पांच देसी घी के दीपक जलाकर आरती करनी चाहिए।
जिन लोगों की कन्याएं नहीं होतीं, वे इस दिन तुलसी का विवाह करके कन्यादान का पुण्य प्राप्त कर सकते हैं।

*देवउठनी एकादशी के अन्य उपाय*
======================
एकादशी के दिन भगवान विष्णु को पहले शंख में गाय के दूध भरकर स्नान कराएं इसके बाद गंगाजल से स्नान कराएं। ऐसा करने से व्यक्ति की आर्थिक समस्याएं दूर होती हैं।
भगवान विष्णु की पूजा के दौरान ओम नमो भगवते वासुदेवाय नमः मंत्र का जाप करें। इससे जीवन में आ रही परेशानियां दूर होती हैं।
भगवान विष्णु की पूजा में शुद्ध घी का दीया जरूर जलाएं और भोग में तुलसीदल रखकर अर्पित करें।

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10 Nov, 00:12


जय श्रीराम ।।

*क्या कुंडली में है सूर्य का राजयोग*
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सनातन धर्म में ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक सूर्य को व्यक्ति की आत्मा माना जाता है। जब सूर्य कुंडली में मजबूत होता है तो व्यक्ति का स्वयं पर आत्मविश्वास बढ़ता है। इसके साथ उस व्यक्ति को राज योग की प्राप्ति होती है। वहीं, कुंडली में सूर्य के कमजोर होने से व्यक्ति के जीवन में विभिन्न प्रकार के समस्याएं आ जाती हैं। मसलन वह व्यक्ति आत्मविश्वास, राजनीतिक सफलता, पारिवारिक संबंध, स्वास्थ्य सहित अन्य क्षेत्रों में लगातार कमजोर होने लगता है।

सूर्य को ज्योतिष में व्यक्ति की आत्मा माना जाता है। इसका खराब होना सारे जीवन को अस्त-व्यस्त कर देता है। पिता, राज्य, राजकीय सेवा, मान सम्मान, वैभव से इसका सम्बन्ध होता है। शरीर में पाचन तंत्र, आंखें और हड्डियां सूर्य से ही सम्बंधित होती हैं।

सूर्य के मजबूत होने पर जीवन में वैभव और समृद्धि मिलती है। कमजोर होने पर दरिद्रता और खराब स्वास्थ्य का सामना करना पड़ता है। सूर्य से मुख्य रूप से तीन प्रकार के राजयोग बनते हैं जो व्यक्ति को अपार प्रतिष्ठा देते हैं।


उभयचारी राजयोग
==============

सूर्य के आगे और पीछे दोनों ही भाव में ग्रहों के उपस्थित होने से उभयचारी राजयोग बनता है, लेकिन आगे या पीछे चंद्रमा, राहु और केतु नहीं होना चाहिए। जिस व्यक्ति की कुंडली में यह राजयोग बनता है, वह व्यक्ति बहुत छोटी सी जगह से बहुत ऊंचाइयों तक पहुंचता है। इस कारण यह व्यक्ति अपने प्रदेश और अपने देश में प्रसिद्धि प्राप्त करता है। इस योग के बनने से प्रशासन और राजनीति के कई बड़े पद भी आसानी से हासिल हो जाते हैं।

वाशि राजयोग
===========

जिन जातकों की कुंडली में सूर्य के पिछले घर में किसी ग्रह का होना वाशि राजयोग बनता है, लेकिन ये ग्रह केतु, राहु और चंद्रमा नहीं होने चाहिए, तब जाकर शुभ फल की प्राप्ति होती है। वाशि राजयोग के व्यक्ति को ज्ञानी, धनवान और बुद्धिमान बनाता है और राजा की तरह जीवन यापन करते हैं। ऐसे व्यक्ति घर से दूर जाकर बहुत सी सफलताएं हासिल करते हैं और बहुत सी विदेशी यात्रा भी करते हैं। ऐसे व्यक्ति को लकड़ी के पलंग पर सोना चाहिए।

वेशि राजयोग
===========

जिन जातकों की कुंडली में सूर्य के पिछले घर में किसी ग्रह के होने पर वसी योग बनता है, लेकिन यह ग्रह चंद्रमा, राहु और केतु नहीं होने चाहिए, तब जाकर इस योग से शुभ फल की प्राप्ति होती है। वेशि राजयोग वाले जातकों के जीवन की शुरुआत में बड़ी कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा। हालांकि आगे चलकर जीवन में धन-संपत्ति और यश की प्राप्ति होगी। ऐसे व्यक्ति को अपने खानपान पर विशेष ध्यान रखना चाहिए और गुड़ जरूर खाना चाहिए।

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10 Nov, 00:12


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Occult Science Specialist

09 Nov, 08:39


*कोणत्या सामान्य चुका आहेत ज्यामुळे व्यवसायाला संघर्ष करावा लागतो?*

1. खराब व्यवसाय / टनेल व्हिजन निवडणे

2. चुकीचे उत्पादन किंवा सेवा निवडणे /कमी CVP

3. चुकीचे ग्राहक निवडणे/ ग्राहकाचे वर्तन योग्यरित्या न समजणे

4. पुरेशा ग्राहकांना पुरेशा वेगाने विकत नाही

5. चांगल्या प्रकारे कार्यान्वित होत नाही / 30 क्रियाकलाप व्यवस्थापित करण्यास सक्षम नाही

6. गरीब लोक व्यवस्थापन

7. वाढ व्यवस्थापित करण्यास सक्षम नाही

*व्यवसायाच्या अपयश/संघर्षासाठी क्रमांक 1 आणि सर्वात सामान्य सूचक काय आहे?*

*"अचूक, जीवन बदलणारे उपाय मिळवा फक्त महाराष्ट्रातील उत्कृष्ट गूढ विज्ञान तज्ञ-VVipinsir कडून!"*

*ज्योतिषी विपिन सर*
*कुंडली तज्ञ आणि वैदिक ज्योतिष*

*✍🏻विपिन सर संख्याशास्त्र आर्किटेक्ट जन्मकुंडली तज्ञ 🪀8668972076*

Occult Science Specialist

08 Nov, 16:48


*🌹देव उठनी एकादशी 2024: 4 शुभ योग में मनाई जाएगी देव उठनी एकादशी, अक्षय पुण्य की होगी प्राप्ति🌹*
*विपिन सर अंकशास्त्र वास्तु ज्योतिष कुंडली तज्ञ 8668972076*
〰️🌼〰️〰️〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️
*देव उठनी एकादशी व्रत के फायदे 2024: दिवाली के बाद छठ पूजा और उसके बाद देव उठनी एकादशी रहती है। इस दिन के बाद से शुभ और मांगलिक कार्य प्रारंभ हो जाते हैं। इस बार यह देवउठनी एकादशी 12 नवंबर 2024 मंगलवार को रहेगी। 13 नवंबर को पारण (व्रत तोड़ने का) समय प्रात: 06:42 से 08:51 के बीच रहेगा। इस दिन 4 शुभ योग सर्वार्थ सिद्धि योग, रवि योग, हर्षण योग, शिववास योग भी रहेंगे। उत्तर भाद्रपद नक्षत्र का संयोग बन रहा है। साथ ही बव करण का भी निर्माण हो रहा है।*

*🌹देव उठनी एकादशी के दिन क्या करते हैं?*
💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐
1. इस दिन से विवाह आदि मांगलिक कार्य प्रारंभ हो जाते हैं जब देव जागते हैं तभी कोई मांगलिक कार्य संपन्न प्रारंभ होता है।

2. एकादशी के व्रत से अशुभ संस्कार नष्ट हो जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस दिन निर्जल या केवल जलीय पदार्थों पर उपवास रखना चाहिए। यदि उपवास नहीं रख रहे हैं तो इस दिन चावल, प्याज, लहसुन, मांस, मदिरा, बासी भोजन आदि बिलकुल न खाएं।

3. इस दिन शालीग्राम के साथ तुलसी का आध्यात्मिक विवाह देव उठनी एकादशी को होता है। इस दिन तुलसी की पूजा का महत्व है। तुलसी दल अकाल मृत्यु से बचाता है। शालीग्राम और तुलसी की पूजा से पितृदोष का शमन होता है।

4. इस दिन भगवान विष्णु या अपने इष्ट-देव की उपासना करना चाहिए। इस दिन *•"ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः"* मंत्र का जाप करने से लाभ मिलता है।

5. कुंडली में चंद्रमा के कमजोर होने की स्थिति में जल और फल खाकर या निर्जल एकादशी का उपवास जरूर रखना चाहिए। व्यक्ति यदि सभी एकदशियों में उपवास रखता है तो उसका चंद्र सही होकर मानसिक स्थिति भी सुधर जाती है।

6. इस दिन देवउठनी एकादशी की पौराणिक कथा का श्रावण या वाचन करना चाहिए। कथा सुनने या कहने से पुण्य की प्राप्ति होती है।

7. कहते हैं कि देवोत्थान एकादशी का व्रत करने से हजार अश्वमेघ एवं सौ राजसूय यज्ञ का फल मिलता है।

8. पितृदोष से पीड़ित लोगों को इस दिन विधिवत व्रत करना चाहिए। पितरों के लिए यह उपवास करने से अधिक लाभ मिलता है जिससे उनके पितृ नरक के दुखों से छुटकारा पा सकते हैं।

9. देवउठनी या प्रबोधिनी एकादशी का व्रत करने से भाग्य जाग्रत होता है।

10. पुराणों अनुसार जो व्यक्ति एकादशी करता रहता है वह जीवन में कभी भी संकटों से नहीं घिरता और उनके जीवन में धन और समृद्धि बनी रहती है।
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07 Nov, 16:22


गोमेद रत्न धारण करने से होता है चमत्कारिक लाभ ...

और सफलता राजयोग बनाता है गोमेद रत्न ..

कुंडली में निम्‍न बातें हो तो धारण कर सकते हैं

गोमेद किसी व्‍यक्‍ति की राशि या लग्‍न मिथुन, तुला, कुंभ या वृष हो तो ऐसे लोगों को गोमेद अवश्‍य पहनना चाहिए।

राहू कुंडली में यदि केंद्र में विराजमान हो अर्थात 1,4,7, 10 भाव में तो गोमेद अवश्‍य धारण करना चाहिए।

अगर राहूं दूसरे, तीसरे, नौवे या ग्‍यारवें भाव में राहू हो तो भी गोमेद धारण करना बहुत लाभदायक होगा।

राहू अगर अपनी राशि से छठे या आठवें भाव में स्थित हो तो गोमेद पहनना हितकर होता है।

यदि राहू शुभ भावों का स्‍वामी हो और स्‍वयं छठें या आठवें भाव में स्थित हो तो गोमेद धारण करना लाभदायक होता है।

राहू अगर अपनी नीच राशि अर्थात धनु में हो तो गोमेद पहनना चाहिए।

राहू मकर राशि का स्‍वामी है। अत: मकर राशि वाले लोगों के लिए भी गोमेद धारण करना लाभ फलों को बढ़ाता है।

राहू अगर शुभ भाव का स्‍वामी है और सूर्य के साथ युति बनाए या दृष्‍ट हो अथवा सिंह राशि में स्थित हो तो गोमेद धारण करना चाहिए।

राहू राजनीति का मारकेश है। अत: जो राजनीति में सक्रीय हैं या सक्रीय होना चाहते हैं उनके लिए गोमेद धारण करना बहुत आवश्‍यक है।

शुक्र, बुध के साथ अगर राहू की युति हो रही हो तो गोमेद पहनना चाहिए।

वकालत, न्‍याय और राज-काज से संबंधित कार्यों में बेहतर करने के लिए भी गोमेद पहनना चाहिए।
गोमेद रत्न का प्रयोग

गोमेद को शनिवार को चांदी या अष्‍टधातु में जड़वाकर शाम के समय विधिनुसार उसकी उपासना के बाद बीच की अंगुली में धारण करना चाहिए।

गोमेद का वजन 6 रत्‍ती से कम नहीं होना चाहिए। इसे पहनने से पहले ऊं रां राहवे नम: का मंत्र 108 बार जप करके गोमेद को जागृत करके पहनना चाहिए।

गोमेद रत्न का विकल्‍प ...
गोमेद बहुत सस्‍ता रत्‍न है लेकिन यह आवश्‍यक नहीं है कि सभी को सही गोमेद जरूरत के समय पर ही प्राप्‍त हो जाए। इसलिए इसके दो उपरत्‍न हैं जिन्‍हें गोमेद के बदले धारण किया जा सकता है।

पहला उपरत्‍न है तुरसा और दूसरा साफी। इसके अलावा गोमेद के रंग का अकीक भी गोमेद के स्‍थान पर पहना जा सकता है।

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07 Nov, 08:10


🔮 *राहु ग्रह की कमजोरी से मुक्ति पाएं - विपिन सर जी के साथ 🔮*

क्या आपके जीवन में राहु ग्रह की कमजोर स्थिति के कारण बाधाएं आ रही हैं? राहु का प्रभाव हमारे जीवन में अज्ञात डर, मानसिक अशांति, अस्थिरता और कई बार अप्रत्याशित समस्याएं ला सकता है। राहु की अशुभता को दूर कर जीवन में शांति और सफलता लाने के लिए राहु जप और विशेष पूजा विधि अत्यंत प्रभावी मानी जाती है।

*राहु ग्रह की कमजोरी के संकेत:*
🔸 मानसिक तनाव और बेचैनी
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🔸 जीवन में अचानक आने वाली समस्याएं
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07 Nov, 03:53


*वास्तु मतलब विपिन सर*

*वास्तुशास्त्र के अनुसार भूमि का चयन*

🏦वास्तुशास्त्र के प्राचीन शास्त्रों में उल्लेख किया गया है कि भवन निर्माण के लिए भूमि का चयन करते समय मिट्टी के स्वरूप ,रंग ,गंध ,ढलान की परख अवश्य की जाए।

वास्तु शास्त्र में मिट्टी को उसके रंग, स्वाद और महक के आधार पर चार श्रेणियों में बांटा गया है- ब्राह्मण , क्षत्रिय , वैश्य व शूद्र।

🏛️जो मिट्टी श्वेत, थोड़ी लाल, भीनी-भीनी महक वाली और उपजाऊ होती है वह आवास तथा व्यावसायिक कार्यों के लिए बहुत शुभ होती है।

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🏚️काले वर्ण की दुर्गंधित और तीखे स्वाद वाली मिट्टी को अशुभ माना जाता है।

🗼सिविल इंजीनियरिंग के अनुसार भी काली मिटटी को भवन निर्माण के लिए उपयुक्त नही माना जाता !!

🕍काली मिटटी के उपर जो निर्माण कार्य होता है उसमें अति शीघ्र दरार पड़ने की सम्भावना होती है !!

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💒 काली मिटटी का स्वभाव है कि यह ठण्ड में शीघ्र सिकुड़ जाता है और गर्मी में फ़ैल जाता है !!

🏘️इसलिय जब गर्मी के दिनों में मिटटी फैलती है तो इस फैलाव का प्रभाव दीवालों पर पड़ने कि वजह से दीवालों में शीघ्र दरारें पद जाती है !!

🛕ठण्ड के दिनों में जब काली मिटटी सिकुड़ती है तो भवन के निचे का भराव और निचे चला जाता है इसकी वजह से फ्लोरिंग निचे दब जाती है !!

🏠इसलिए इन नियमों का विश्लेषण करने से ये समझ में आता है कि वास्तु शास्त्र के नियमों के निर्माण करते समय ऋशि मुनियों ने दैविक उर्जा के साथ ही साथ वैज्ञानिक तथ्यों का भी उपयोग किया होगा !!

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07 Nov, 03:52


*वास्तु मतलब विपिन सर*

*शयनकक्ष में बिस्तर को वास्तु शास्त्र के नियमों के अनुसार लगाएं :-*

🕉️ वास्तु शास्त्र के अनुसार शयन कक्ष में *बिस्तर लगाने* की यह 6 स्थति दिखाई गयी है इसमें प्रत्येक स्थिति का विश्लेषण आपकी जानकारी के लिए :-

1) *दरवाजे के ठीक सामने* बिस्तर लगा हुवा है जो की वास्तुशास्त्र के अनुसार अशुभ स्थिति है ---

🕉️ अगर ऐसा बिस्तर लगा हुवा है तो घर के किसी भी हिस्से से शयन कक्ष की गतिविधि नजर आने से शयन कक्ष की प्राईवेसी समाप्त होती है !!

2) ठीक *दरवाजे के पास* बिस्तर होने की वजह से शयन कक्ष के अंदर से अचानक आने वाले आगन्तुक को नही देखा जा सकता !!
वास्तु शास्त्र में ऐसी मान्यता है की जब भी बिस्तर या आफिस का टेबल से द्वार पीठ की ओर होता है तो *लोग हमेशा धोखा देते हैं !!*

3) यह सबसे *उपयुक्त स्थित है* !! बिस्तर के ठीक पीछे दीवाल है और दरवाजा ठीक सामने लेकिन कोने पर है !!

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4) दरवाजे के ठीक सामने बिस्तर लगा हुवा है जो की वास्तुशास्त्र के अनुसार *अशुभ* स्थिति है ---
अगर ऐसा बिस्तर लगा हुवा है तो घर के किसी भी हिस्से से शयन कक्ष की गतिविधि नजर आने से शयन कक्ष की *प्राईवेसी* समाप्त होती है !!

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5) बिस्तर को दरवाजे से डायगोनल [ कर्ण में ] लगाना अशुभ माना जाता है !! इसमें बिस्तर तिरझा लगा हुवा है !!

6) *बीम के नीचे बिस्तर* को लगाना अशुभ माना जाता है ,बीम के दोष निदान के लिए फाल्स सीलिंग कराना चाहिए !!

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06 Nov, 17:57


7 ) अभिमंत्रित गोमती चक्र:-- गोमती नदी में प्राप्त इन चक्रों का ज्योतिष में बड़ा महत्व है। रोग मुक्ति हेतु इन चक्रों को अभिमंत्रित करके तांबे के पात्र में रखें तथा पानी भरकर रात्रि ढककर रख दें। प्रातःकाल चक्र निकाल कर इस पानी को खाली पेट पी जायें। कुछ ही दिनों में उदर विकार एवं अन्य रोग दूर हो जायेंगे धन वृद्धि हेतु इन चक्रों पर केसर अथवा सिन्दूर का टीका लगाकर लक्ष्मी के मंत्र जाप करें तथा तिजोरी या आलमारी में रख दें। नजर बाधा मुक्ति हेतु मंत्र जाप करके एक चक्र को काले कपड़े में लपेट कर दाहिनी बाजू में बांध लें, शेष को जल में विसर्जित कर दें। गोमती चक्र के अन्य अनेक प्रयोग भी हैं जिनके प्रभाव से व्यक्ति की कामनाओं की पूति होकर दुःख संकट दूर होते हैं। धन सम्बन्धी उपायों में गोमती चक्र का विशेष महत्त्व माना गया है।

8) अभिमंत्रित कौड़ी:-- अभिचार कर्म, ऊपरी बाधा, किसी के द्वारा कराये गये ब्रिक प्रयोग से मुक्ति हेतु घर के मुख्य द्वार पर कौड़ियों की बांदरवाल लगाना विशेष बदायी है। इसके साथ ही नजर बाधा मुक्ति, बालकों पर ऊपरी टोने-टोटके का साव निष्फल करने हेतु लड़कियों का प्रयोग अवश्य करना चाहिये धन सम्बन्धी विविध उपायों में कौड़ियो का प्रयोग प्राचीन काल से होता आया है। आज भी इन्हें धनकारक कौड़ियों के रूप में जाना जाता है।

9) अभिमंत्रित यंत्र:-- दशान्तर्दशा में ग्रह जनित शुभाशुभ फलों को प्राप्त करने अथवा अशुभ फलों की निवृत्ति हेतु ग्रहों की आराधना, रत्न धारण इत्यादि प्रयोग किये जाते हैं। सभी जातक रत्न धारण में सक्षम नहीं होते और न ही जन्मपत्रिका के अनुसार सभी रत्न धारण कर सकते हैं। ग्रह कृपा प्राप्त करने हेतु ग्रह यंत्र की स्थापना करके पूजा-स्तुति करने पर अत्युत्तम फल प्राप्त होता है। वास्तुदोष निवारण यंत्र, दुर्घटना नाशक यंत्र, कर्ज मुक्ति यंत्र, श्री यंत्र, कुबेर यंत्र, मंगल यंत्र, नवग्रह इत्यादि ऐसे अनेक यंत्र हैं जिनको अभिमंत्रित करके स्थापित कर पूजा-स्तुति करें तो अनेक प्रकार के कष्टों से बचा जा सकता है और कार्य सिद्धि होती है ये सभी सभी यंत्र जातक के नाम, गौत्र के साथ संकल्प एवं अभिमंत्रित करके प्रयोग किये जाते हैं।

10 ) पारद शिवलिंग:-- शिव पुराण में पारा धातु को भगवान शिव का ओज कहा गया है। सैंकड़ों गऊओं अथवा हजारों स्वर्ण मुद्राओं के दान तथा चारों तीर्थों का जो पुण्य मिलता है वह फल पारद शिवलिंग के दर्शन करने से प्राप्त हो जाता है। शास्त्रकारों ने इसे साक्षात शिव कहा है। पारद शिवलिंग के बारे में कहा जाता ह कि जो मनुष्य पारद शिवलिंग का नित्य पूजन करता है उनके घर में कभी दरिद्रता नहीं आती न ही जीवन में मृत्यु का भय रहता है। वह जीवन में यश, सम्मान, पद, प्रतिष्ठा, पुत्र, पौत्र, विद्या आदि में पूर्णता प्राप्त करते हुये अंत में श्लोक को प्राप्त करता है।

कामयाब उपाय- विपिन सर अंकशास्त्र वास्तु ज्योतिष कुंडली तज्ञ 🙏
कामयाब व्यक्तियों की संख्या बढ़ती जा रही है- धनवान व्यक्तियों की संख्या बढ़ती जा रही है
अखंड लक्ष्मी प्रयोग कैसे करें- जिससे चारों ओर से नोट ही नोट आये
कर्ज की किस्त जब कमाई से अधिक होने लगे तो क्या करें
समस्याएं अनेक - समाधान कामयाब उपाय
शुल्क अनिवार्य
व्हाट्सप्प *8668972076*

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25 Oct, 04:30


जय श्रीराम ।।

जानिए कुंडली में दुरुधरा योग के प्रभाव
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वराहमिहिर के अनुसार दुरुधारा योग का निर्माण कुंडली में चंद्र की स्थिति द्वारा निर्मित होता है। चंद्रमा एक अति चंचल ग्रह होता है। हमारे मन को भी चंद्रमा के प्रभाव से देखा जाता है, और मन का सुख तथा दुख चंद्रमा की कलाओं से प्रभावित होता है। चंद्रमा के दोनों तरफ अच्छे ग्रह होने के कारण चंद्रमा को बल मिलता है।

1•चंद्रमा जिस भाव में स्थित है, उस भाव से बारहवें घर में या चंद्रमा से बारहवें भाव में सूर्य, राहु और केतु को छोड़कर बचे हुए 5 ग्रहों (यानि मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, या शनि) में से कोई भी ग्रह स्थापित होना चाहिए।
यह आवश्यक नहीं है कि दूसरे और बारहवें भावों में बचे हुए 5 ग्रहों में से केवल एक ग्रह ही स्थित हो। एक से अधिक ग्रह भी इन भावों में स्थित हो सकते हैं।

2•कुंडली में चंद्रमा जिस भाव में स्थित है, उस भाव से दूसरे घर में सूर्य, राहु और केतु को छोड़कर बचे हुए 5 ग्रहों (यानि मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, या शनि) में से कोई भी ग्रह स्थापित होना चाहिए।

दुरुधारा योग के प्रभाव
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•यह योग व्यक्ति को आध्यात्मिक मार्ग पर भी ले जाता है। व्यक्ति में उच्च विचारधारा और आत्मज्ञान की प्रवृत्ति होती है।

•यह योग व्यक्ति को धन और भौतिक संपत्ति की प्राप्ति में सहायता करता है। व्यक्ति आर्थिक रूप से मजबूत होता है और उसके पास अच्छा धन संचित होता है।

•इस योग के प्रभाव से व्यक्ति को अपार प्रसिद्धि मिलती है और मानसिक शांति प्राप्त होती है।

• व्यक्ति के पास अच्छे भौतिक सुख- सुविधाएं होती हैं और उसके जीवन में आरामदायक स्थिति रहती है।

•इस योग के प्रभाव से व्यक्ति अपने जीवन में भरपूर यश और प्रतिष्ठा प्राप्त करते हैं और शांतिपूर्ण जीवन व्यतीत करते हैं।

•इस योग के प्रभाव से व्यक्ति स्वभाव से उदार-चित्त, स्पष्ट बात कहने वाले, दान-पुण्य करने वाले और धर्मात्मा होते हैं।

•इस योग के प्रभाव से व्यक्ति को विदेश यात्रा का मौका मिल सकता है, जो उसकी जीवन शैली और आर्थिक स्थिति को बेहतर बना सकता है।

•इस योग के प्रभाव से व्यक्ति जीवन के प्रति बहुत आशावादी होता है।

•इस योग के प्रभाव से व्यक्ति के गुप्त शत्रु उन्हें हानि नहीं पहुंचा पाएंगे।


दुरुधारा योग के उपाय
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1•कुंडली के कारक और लाभकारी ग्रहों को मजबूत करना इस योग को मजबूत बना सकते है । दूसरे और बारहवें भावों में लाभकारी ग्रह मजबूत स्थिति में हों, इस योग के सकारात्मक प्रभाव को बढ़ा सकता है।

2•जातक के दान और पुण्य कार्य में सक्रिय रहना इस योग के प्रभाव को और भी मजबूत बना सकता है।

*ज्योतिषविद विपिन सर*
*कुंडली विशेषज्ञ व वैदिक ज्योतिष*

कुंडली विश्लेषण🌷
हस्त निर्मित कुंडली🌷
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पति पत्नी क्लेश🌷
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घर में बरकत न होना🌷
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मस्तिष्क बंधन🌷
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कुंडली में ग्रहण दोष🌷
काल सर्प दोष🌷
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मंगलिक दोष🌷
विष दोष🌷
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आदि बहुत सारी समस्याओं के बारे में आप कुंडली द्वारा व तंत्र मार्ग द्वारा जानकारी व समाधान कर सकते हैं। ।। शुल्क लागू ।।

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22 Oct, 18:05


*Victor or Victim Mentality, each day we have the choice to choose which mindset to operate from*
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22 Oct, 14:27


*Magic Story of the day*
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21 Oct, 01:42


*क्यों हो परेशान- जब है समाधान - संपर्क कीजिए कामयाब उपाय*

सोमवार का दिन शिव जी को विशेष प्रिय है। इस दिन शिव जी आपकी मनचाही कामना पूरी करते हैं। हम आपके लिए लेकर आए हैं शिव जी से संबंधित कुछ आसान सोमवार के टोटके/उपाय जो विशेष रूप से सोमवार को ही किए जाते हैं।

सोमवार के टोटके/उपाय

1. सोमवार के दिन शिवजी को जल में सफेद तिल मिलाकर 11 बिल्वपत्र के साथ अर्पित करें।

2. सोमवार के दिन महामृत्युंजय मंत्र का जप 108 बार करें, रुद्राक्ष की माला का उपयोग करे।

3. सोमवार को खीर बना कर ग़रीब में बाटे

4. सफेद गाय को रोटी खिलाए

5. चन्द्र ग्रह के लिए दूध और चावल का दान अवश्य करे ।

6. सोमवार के दिन शिवजी के मंदिर जाए और वहा जरूरत मंद को अन्न दान करे ।

7. धन प्राप्ति के लिए मछलियों को आटे की गोलियां खिलाएं।

8. सोमवार के दिन भोलेनाथ को तिल और जौ अर्पित करें।

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कामयाब व्यक्तियों की संख्या बढ़ती जा रही है- धनवान व्यक्तियों की संख्या बढ़ती जा रही है
अखंड लक्ष्मी प्रयोग कैसे करें- जिससे चारों ओर से नोट ही नोट आये
कर्ज की किस्त जब कमाई से अधिक होने लगे तो क्या करें
रिश्तेदार को उधार में दिया हुआ पैसा कैसे वसूल करें
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20 Oct, 14:47


*जैसा उद्देश्य वैसा उपयोग चमत्कारी बॉक्स का*
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शेयर मार्केट, धन वृद्धि ,कमोडिटी ,व्यावसायिक/पारिवारिक नकारात्मकता ,आकर्षण ,वशीकरण में विशेष उपयोगी

सामान्यरूप से हर किसी की चाह होती है की लोग उनकी और आकर्षित हों ,देखकर खींचे चले आयें ,जो मिले प्रभावित हो ,जहाँ जाए किसी काम से वहां सफलता मिले ,कहीं किसी समस्या-परेशानी का सामना न करना पड़े हर इंसान के अन्दर यह कामना होती है की उसका व्यक्तित्व ऐसा आकर्षक हो की लोग चुम्बक की तरह खिचे चले आये ,उसका व्यतित्व सम्मोहक हो हर व्यक्ति पर उसका प्रभाव पड़े ,कार्य-व्यवसाय के क्षेत्र के लोग अनुकूल हों ,सफलता मिले ,उन्नति हो यह असंभव नहीं है यह संभव है तंत्र के माध्यम से इस हेतु थोड़े से नियम और सावधानी के साथ यदि दिव्य गुटिका बॉक्स का प्रयोग किया जाए यह गुटिका तंत्र की उन दिव्य चमत्कारी वस्तुओं से परिपूर्ण हैं जो किसी के भी जीवन में चमत्कार कर सकती है ! इसकी क्षमता की कोई सीमा नहीं है !इससे वह सबकुछ पाया जा सकता है जो एक सामान्य व्यक्ति की इच्छा होती है ,यद्यपि इसके अनेक अलौकिक प्रयोग भी है ,जो असंभव कार्य भी कर सकते हैं पर उनसके लिए इसपर विशिष्ट क्रियाएं करनी होती हैं !कोई क्रिया न भी की जाए और सामान्य पूजा के साथ पवित्रता राखी जाए तो उपरोक्त लाभ मिलते ही हैं !
इस चमत्कारिक दिव्य गुटिका के मुख्य अवयव *हत्थाजोड़ी बिल्ली की जेर, कामाक्षी सिंदूर और सियार्सिंगी* होते है , जो विभिन्न धनात्मक और सकारात्मक शक्तियों जैसे चामुंडा ,काली ,शिव ,दुर्गा ,गणेश ,लक्ष्मी ,शनि ,वृहस्पति ,विष्णु आदि का प्रतिनिधित्व करते हैं और मिलकर ऐसा अद्भुत प्रभाव उत्पन्न करते हैं की यह चमत्कारिक प्रभाव युक्त हो जाती है ! यह सभी वस्तुएं विशिष्ट उच्च स्तर के साधक द्वारा विशिष्ट मुहूर्त में प्राण-प्रतिष्ठित और अभिमंत्रित होती हैं ,जबकि उपयोग किये गए सामान भी विशिष्ट मुहूर्त में ही विशिष्ट तांत्रिक पद्धति से निष्कासित और प्राप्त किये हुए होते हैं ! उपरोक्त वस्तुओं की उपयुक्त और विशिष्ट मुहूर्त में विशिष्ट तांत्रिक साधक द्वारा की गयी तांत्रिक क्रिया के बल पर यह गुटिका अति शक्तिशाली वशिकारक-आकर्षक -सुरक्षाप्रदायक ,धन-संमृद्धि प्रदायक हो जाती है |इससे निकलने वाली तरंगे साथ रखने वाले व्यक्ति के साथ साथ ही आसपास के लोगों को भी प्रभावित करती है, जिससे व्यक्ति को उपरोक्त लाभ मिलने लगते हैं !
इस बॉक्स के उद्देश्य विशेष के साथ प्रयोग भी विशिस्ट हो जाते हैं.. लक्ष्मी प्राप्ति हेतु इस पर लक्ष्मी या कमला के मंत्र जप किये जा सकते है.. यह शेयर , धन वृद्धि ,लाटरी ,कमोडिटी ,मार्केटिंग ,सेल्स से जुड़े लोगों को स्वाभाविक लाभ देती है क्योकि इसमें आकस्मिक आय प्रदान करने में सहयोगी Tantra वस्तुएं है जो आकर्षण शक्ति बढ़ाने के साथ आय बढाती हैं ! नकारात्मक ऊर्जा हटाने के लिए इसपर काली ,चामुंडा ,दुर्गा के मंत्र विशिष्ट प्रभाव उत्पन्न करते हैं. यह अभिचार हटाने और उसका प्रभाव कम करने का काम करती है |भूत-प्रेत ,वायव्य बाधाओं को इससे कष्ट होता है और काली ,दुर्गा के मंत्र से उनकी शक्ति कमहोती है ! गणपति मंत्र करने से सुख -समृद्धि प्राप्त होती है ! आकर्षण ,वशीकरण मंत्र का जप करने से आकर्षण प्रभाव उत्पन्न होता है ! ग्रहण में मंत्र इस पर जपने से इसका प्रभाव और मंत्र का प्रभाव दोनों बढ़ते हैं।
नोट: इस बॉक्स को किसी को नुकसान पहुंचाने के लिए ना प्रयोग करे। क्योंकि जैसा कर्म आप करोगे वैसा भोगोगे।
धन्यवाद 🙏🙏🙏
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19 Oct, 10:48


*🌹धनतेरस 2024: धनतेरस के दिन कौन सा बर्तन खरीदना चाहिए, जानें शास्त्रों में क्या लिखा है🌹*

*धनतेरस का पर्व दीपावली से दो दिन पहले मनाया जाता है इसे धन-समृद्धि का प्रतीक माना जाता है. इस दिन बर्तन खरीदने की प्रथा प्राचीन समय से चली आ रही है, क्योंकि इसे शुभ माना जाता है.*

*धार्मिक मान्यता के अनुसार धनतेरस के दिन जो बर्तन खरीदे जाते हैं उससे घर में सुख-समृद्धि शांति लेकर आते हैं. इस दिन विभिन्न प्रकार के बर्तन खरीदने का महत्व है, हर बर्तन का एक विशेष प्रकार का सुख माना जाता है. आइए जानते हैं कि किस बर्तन को खरीदने से कौन-सा सुख मिलता है.*

*⚜️1. चांदी का बर्तन*
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धनतेरस के दिन चांदी का बर्तन खरीदना सबसे शुभ माना जाता है. चांदी को लक्ष्मी का प्रतीक माना गया है, इसे खरीदने से घर में धन समृद्धि का आगमन होता है. विशेष रूप से चांदी की थाली, कटोरी, गिलास या चम्मच खरीदने से घर में सकारात्मक ऊर्जा संपन्नता बढ़ती है. मान्यता है कि चांदी के बर्तन से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं घर में स्थायी रूप से निवास करती हैं.

*⚜️2. पीतल का बर्तन*
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पीतल के बर्तन खरीदना भी धनतेरस के दिन शुभ माना जाता है. पीतल को शुद्धता स्वास्थ्य का प्रतीक माना गया है. पीतल के बर्तन विशेष रूप से घर में सकारात्मक ऊर्जा स्वास्थ्य संबंधी लाभ प्रदान करते हैं. पीतल के बर्तन में जल पीने से स्वास्थ्य में सुधार होता है इसे खरीदने से घर में स्वास्थ्य दीर्घायु का आशीर्वाद मिलता है.

*⚜️3. तांबे का बर्तन*
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तांबे का बर्तन खरीदना भी धनतेरस के दिन अत्यधिक शुभ माना जाता है. तांबा शुद्धता औषधीय गुणों के लिए प्रसिद्ध है. तांबे के बर्तन में पानी पीने से स्वास्थ्य लाभ होते हैं शरीर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है. इसे खरीदने से परिवार के सदस्यों की सेहत अच्छी रहती है रोगों से मुक्ति मिलती है. तांबे के लोटे या कलश को घर के पूजास्थल में रखना अत्यंत शुभ माना जाता है जिससे मानसिक शांति शारीरिक स्वास्थ्य दोनों में सुधार होता है.

*⚜️4. स्टील किचन के बर्तन*
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आप स्टील स्टील के बर्तन या किचन में उपयोग होने वाले बर्तन धनतेरस के दिन खरीदते हैं, तो यह घर की समृद्धि रसोई में सम्पन्नता का प्रतीक माना जाता है. स्टील के बर्तन रोजमर्रा के कामों में उपयोगी होते हैं इसे खरीदने से घर की रोज़मर्रा की ज़रूरतों की पूर्ति होती है. इससे घर में खानपान की भरपूरता रहती है लक्ष्मीजी का आशीर्वाद बना रहता है.

*⚜️5. मिट्टी के बर्तन*
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मिट्टी के बर्तन धनतेरस के दिन खरीदना अत्यंत शुभ माना गया है. यह बर्तन धरती मां से जुड़े होने के कारण शांति संतुलन का प्रतीक हैं. मिट्टी के बर्तन में भोजन करने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है घर में स्नेह प्रेम का वातावरण बना रहता है. इसके साथ ही, मिट्टी के बर्तन प्राकृतिक पर्यावरण के अनुकूल होते हैं जो जीवन में स्थिरता संतुलन लाने का कार्य करते हैं.

*⚜️6. सोने का बर्तन*
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धनतेरस पर सोने के बर्तन खरीदने की परंपरा भी बहुत प्रचलित है. हालांकि सोने के बर्तन खरीदना बहुत महंगा हो सकता है, लेकिन इसे खरीदने से घर में अत्यधिक समृद्धि ऐश्वर्य का आगमन होता है. सोने के बर्तन लक्ष्मीजी को अर्पित करने के लिए सबसे उत्तम माने जाते हैं इससे घर में स्थायी सुख-समृद्धि का निवास होता है.

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Occult Science Specialist

19 Oct, 06:08


*𝙃𝙖𝙥𝙥𝙮 𝘾𝙡𝙞𝙚𝙣𝙩 𝙏𝙚𝙨𝙩𝙞𝙢𝙤𝙣𝙞𝙖𝙡*
*𝙎𝙪𝙘𝙘𝙚𝙨𝙨 𝙎𝙩𝙤𝙧𝙮*
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Occult Science Specialist

16 Oct, 03:10


पढ़ाई लिखाई में सफलता का जाने अपनी जन्म कुंडली से ....

प्रत्येक माता-पिता का यह परम कर्तव्य बनता है

कि वे अपनी संतान की बेहतर शिक्षा की व्यवस्था करे।

चाणक्य ने भी कहा है कि संतान को विद्या में लगाना चाहिए क्योंकि नीतिका: शील सम्पन्ना: भवति कुल पूजिता:

ज्योतिष के पास इसका सटीक जवाब होता है, जिसके जरिए आप अपने बच्चे को सही दिशा दे सकते हैं।

जातक की कुंडली में यदि भावेश सुदृण हों और नवांश में शुभ ग्रह हो तो उसके उच्च शिक्षा का योग बनता है।

जातक की कुंडली में शिक्षा का के योग को देखने के लिए उसकी कुंडली के द्वितीय, चतुर्थ, पंचम, नवम तथा एकादश आदि भावों की विवेचना की जाती है।

उच्च शिक्षा हेतु जातक की कुंडली में बुधादित्य योग, गज केसरी योग, उपाध्याय योग, हंस योग, सरस्वती योग आदि होने चाहिए ।

द्वितीय भाव : आज के दौर में शिक्षा अर्जित करने के लिए आर्थिक स्थिति का मजबूत होना बहुत आवश्यक है,

और आर्थिक स्थिति देखने के लिए जातक की कुंडली में द्वितीयेश तथा लाभेश केंद्र में हों तथा दोनों के बीच गृह परिवर्तन होना चाहिए।

चतुर्थ भाव : शिक्षा कैसे संस्थान में होगी इसकी जानकारी के लिए कुंडली के चतुर्थ भाव की पड़ताल की जाती है,

यदि व्यक्ति की कुंडली में चतुर्थेश बली होता है तो व्यक्ति की शिक्षा बड़े संस्थानों में होती है।

पंचम भाव : व्यक्ति की बुद्धिमता का परीक्षण करने के लिए कुंडली के पंचम भाव का विश्लेषण किया जाता है ।

पंचमेश का अन्य ग्रहों से कैसा संबंध है आदि की पड़ताल करके व्यक्ति के बौद्धिक स्तर की जांच की जाती है।

नवम भाव : जातक की उच्च शिक्षा की जानकारी नवम भाव से की जाती है यदि कुंडली में नवमेश का नवांश वर्गोत्तम या शुभ वर्ग है तो व्यक्ति उच्च शिक्षा प्राप्त करता है।

एकादश भाव : मजबूत एकादशेश का नवमेश तथा पंचमेश के साथ केंद्र त्रिकोण में दृष्टि या युति सम्बन्ध हो तो उच्च शिक्षा का योग बनता है।

और अधिक जानकारी जन्मकुंडली से जुड़ा हुआ परामर्श सलाह उपाय विधि प्रयोग या किसी भी प्रकार के समस्याओं में फंसे हुए हैं तो संपर्क करें कॉल करें और कुंडली दिखा कर समाधान प्राप्त करें

*ज्योतिषविद विपिन सर*
*कुंडली विशेषज्ञ व वैदिक ज्योतिष*

कुंडली विश्लेषण🌷
हस्त निर्मित कुंडली🌷
रत्न ज्योतिष🌷
विवाह बाधा🌷
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कुंडली में ग्रहण दोष🌷
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आदि बहुत सारी समस्याओं के बारे में आप कुंडली द्वारा व तंत्र मार्ग द्वारा जानकारी व समाधान कर सकते हैं। ।। शुल्क लागू ।।

*✍🏻विपिन सर अंकज्योतिष वास्तुविद कुंडली विषेशज्ञ 🪀8668972076*

Occult Science Specialist

16 Oct, 03:09


*🛕☪️शरद पूर्णिमा है आज , इस दिन ये 10 कार्य करने से होगा नुकसान, शरद पूर्णिमा के दिन खीर खाने का है महत्व*

*🌝शरद पूर्णिमा 2024: आश्विन माह की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा कहते हैं। 16 अक्टूबर 2024 बुधवार के दिन शरद पूर्णिमा पर इस बार दिल्ली में शाम 05 बजकर 13 मिनट पर चांद का उदय होगा। पूर्णिमा तिथि 16 अक्टूबर को रात में 08:40 बजे प्रारंभ होगी और 17 अक्टूबर को शाम को 04:55 बजे समाप्त होगी। इस मान से 16 अक्टूबर को रहेगी शरद पूर्णिमा। इस दिन चंद्रमा के प्रकाश में रखी हुई खीर खाने की परंपरा है। इस दिन चन्द्रमा न केवल सभी सोलह कलाओं के साथ चमकता है, बल्कि शरद पूर्णिमा के चन्द्रमा की किरणों में उपचार के कुछ गुण भी होते हैं जो शरीर और आत्मा को सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करते हैं, लेकिन इस दिन 10 कार्य कतई नहीं करना चाहिए अन्यथा नुकसान होगा।*

*🔱शरद पूर्णिमा पर पूजा का शुभ मुहूर्त:-* शाम 05:56 से 07:12 के बीच।

*🌕शरद पूर्णिमा पर न करें ये 10 कार्य:-*
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* *1. भोजन:-* इस दिन किसी भी प्रकार के तामसिक भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए। जैसे मांस, मटन, चिकन या मसालेदार भोजन, लहसुन, प्याज आदि।

* *2. शराब:-* इस दिन किसी भी हालत में आप शराब ना पिएं क्योंकि इस दिन शराब का दिमाग पर बहुत गहरा असर होता है। इससे शरीर पर ही नहीं, आपके भविष्य पर भी दुष्परिणाम हो सकते हैं।

* *3. क्रोध:-* इस दिन क्रोध नहीं करना चाहिए। वैज्ञानिकों के अनुसार इस दिन चन्द्रमा का प्रभाव काफी तेज होता है इन कारणों से शरीर के अंदर रक्‍त में न्यूरॉन सेल्स क्रियाशील हो जाते हैं और ऐसी स्थिति में इंसान ज्यादा उत्तेजित या भावुक रहता है। एक बार नहीं, प्रत्येक पूर्णिमा को ऐसा होता रहता है तो व्यक्ति का भविष्य भी उसी अनुसार बनता और बिगड़ता रहता है।

* *4. भावना:-* जिन्हें मंदाग्नि रोग होता है या जिनके पेट में चय-उपचय की क्रिया शिथिल होती है, तब अक्सर सुनने में आता है कि ऐसे व्यक्‍ति भोजन करने के बाद नशा जैसा महसूस करते हैं और नशे में न्यूरॉन सेल्स शिथिल हो जाते हैं जिससे दिमाग का नियंत्रण शरीर पर कम, भावनाओं पर ज्यादा केंद्रित हो जाता है। अत: भावनाओं में बहें नहीं खुद पर नियंत्रण रखकर व्रत करें।

* *5. स्वच्छ जल:-* चांद का धरती के जल से संबंध है। जब पूर्णिमा आती है तो समुद्र में ज्वार-भाटा उत्पन्न होता है, क्योंकि चंद्रमा समुद्र के जल को ऊपर की ओर खींचता है। मानव के शरीर में भी लगभग 85 प्रतिशत जल रहता है। पूर्णिमा के दिन इस जल की गति और गुण बदल जाते हैं। अत: इस दिन जल की मात्रा और उसकी स्वच्छता पर विशेष ध्यान दें।

* *6. लेन-देन:-* इस दिन धन का लेन-देन आपको आर्थिक संकट में डाल सकता है। अत: आप किसी भी प्रकार से दन का लेन देन न करें।

* *7. काले रंग से बचें:-* इस दिन काले रंग का प्रयोग न करें और ना ही नकारात्मक बातें सोचे।

* *8. दान न करें:-* इस दिन सूर्यास्त के बाद दान न करें। कहते हैं कि ऐसे करने से घर में गरीबी आती है।

* *9. बालों में कंघी न करें:-* मान्यता अनुसार महिलाएं इस दिन सूर्यास्त के बाद बालों में कंघी न करें, क्योंकि इसे अशुभ माना जाता है।

* *10. महिला संग शयन न करें:-* इस दिन ब्रह्मचर्य का पालन करें अर्थात महिला संग शयन न करें।
*एक अच्छे ज्योतिषी की सलाह आपका पूरा जीवन बदल सकता है*

*जन्मकुंडली से सम्बंधित किसी भी तरह से जानकारी प्राप्त करने हेतु दिए गए नंबर पर फोन करके जानकारी प्राप्त कर सकते है.*

*पुण्य लाभ के लिए इस पोस्ट को कृपया औरो को भी अवश्य भेजिए*
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