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Rekhta (शायरी संग्रह)

@rekhta_shayri_sangrah


शायरी खून की तरह है जनाब ,
चोट लगते ही निकल आती है ..

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Rekhta (शायरी संग्रह) (Hindi)

अगर आपका दिल भी एक कविता की तरह है, तो 'Rekhta (शायरी संग्रह)' टेलीग्राम चैनल आपके लिए एक स्वर्ग है। यहाँ आपको पुरानी और नयी शायरी, ग़ज़ल, अनमोल विचार और प्रेरणादायक कोट्स मिलेंगे। 'Rekhta' में कई प्रकार की कविताएं हैं, जिनसे आप अपने भावनाओं को व्यक्त कर सकते हैं और आत्मा को शांति पा सकते हैं।nnइस टेलीग्राम चैनल में 'शायरी संग्रह' का विस्तारित संग्रह है, जो आपको हमेशा खुश और प्रेरित रखेगा। अपने जीवन में अधिक सकारात्मकता और सहानुभूति लाने के लिए, 'Rekhta' टेलीग्राम चैनल को सब्सक्राइब करें और अपनी दुखीता को दूर करने का एक नया रास्ता ढूंढें।nnयहाँ पर गालिब से लेकर फैज तक के विख्यात शायरों की कविताएं उपलब्ध हैं, जिनसे आपका मन और आत्मा भी सुखमय होगा। 'Rekhta (शायरी संग्रह)' चैनल आपके लिए सिर्फ एक टाइप दूर है, जो आपको एक नयी दुनिया में ले जाएगा।

Rekhta (शायरी संग्रह)

17 Nov, 04:27


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कहीं मैं देर से पहुँचूँ तो याद आता है
कहीं मैं वक़्त से पहले भी जाया करता था


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Rekhta (शायरी संग्रह)

16 Nov, 04:43


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ये मैंने कब कहा कि मेरे हक़ में फ़ैसला करे
अगर वो मुझ से ख़ुश नहीं है तो मुझे जुदा करे।

मैं उसके साथ जिस तरह गुज़ारता हूँ ज़िंदगी
उसे तो चाहिए कि मेरा शुक्रिया अदा करे।

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Rekhta (शायरी संग्रह)

15 Nov, 05:14


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ये दुनिया नफ़रतों के आख़री स्टेज पे है

इलाज इस का मोहब्बत के सिवा कुछ भी नहीं है


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Rekhta (शायरी संग्रह)

09 Nov, 16:20


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उलझ करके तेरी ज़ुल्फ़ों में यूँ आबाद हो जाऊँ
कि जैसे लखनऊ का मैं अमीनाबाद हो जाऊँ

मैं यमुना की तरह तन्हा निहारूँ ताज को कब तक
कोई गंगा मिले तो मैं इलाहाबाद हो जाऊँ


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Rekhta (शायरी संग्रह)

09 Nov, 07:28


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वो मेरे घर नहीं आता मैं उस के घर नहीं जाता
मगर इन एहतियातों से तअ'ल्लुक़ मर नहीं जाता

बुरे अच्छे हों जैसे भी हों सब रिश्ते यहीं के हैं
किसी को साथ दुनिया से कोई ले कर नहीं जाता

खुले थे शहर में सौ दर मगर इक हद के अंदर ही
कहाँ जाता अगर मैं लौट के फिर घर नहीं जाता


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Rekhta (शायरी संग्रह)

08 Nov, 16:22


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जिंदगी की सबसे बड़ी मुश्किल
किसी को पाना नहीं है,
बल्कि उसे खोने के बाद खुद
को बचाकर रखना है।



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Rekhta (शायरी संग्रह)

06 Nov, 14:17


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तेरा चुप रहना मिरे ज़ेहन में क्या बैठ गया
इतनी आवाज़ें तुझे दीं कि गला बैठ गया

यूँ नहीं है कि फ़क़त मैं ही उसे चाहता हूँ
जो भी उस पेड़ की छाँव में गया बैठ गया

उस की मर्ज़ी वो जिसे पास बिठा ले अपने
इस पे क्या लड़ना फलाँ मेरी जगह बैठ गया


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Rekhta (शायरी संग्रह)

05 Nov, 06:18


सब काट दो
बिस्मिल पौदों को
बे-आब सिसकते मत छोड़ो

सब नोच लो
बेकल फूलों को
शाख़ों पे बिलकते मत छोड़ो

ये फ़स्ल उमीदों की हमदम
इस बार भी ग़ारत जाएगी
सब मेहनत सुब्हों शामों की
अब के भी अकारत जाएगी

खेती के कोनों-खुदरों में
फिर अपने लहू की खाद भरो
फिर मिट्टी सींचो अश्कों से
फिर अगली रुत की फ़िक्र करो

जब फिर इक बार उजड़ना है
इक फ़स्ल पकी तो भरपाया
जब तक तो यही कुछ करना है


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Rekhta (शायरी संग्रह)

03 Nov, 08:56


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...मैं कुछ भी नहीं,
न ख़ुश, न ग़मज़दा, मैं बस बेज़ार हूँ
इस दुनिया से, यहाँ के लोगों से,
उनके रिवाजों से...


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Rekhta (शायरी संग्रह)

02 Nov, 18:05


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एक बात बताऊँ, आज जिन ख़्वाबों के पूरा नही होने पर रात भर नींद नही आती ना, जिस दिन ये ख़्वाब पूरे होंगे, उस रात पूरी रात सो नही पाओगे,
क्योंकि बात नींद की है ही नहीं, बात है इन ख़्वाबों को संजोये रहने की, जागती आंखों में, उस एक रात के लिए, जिसमें फिर जागना है !

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Rekhta (शायरी संग्रह)

02 Nov, 04:01


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The station you thought you missed wasn't yours.
The hours you waited because you missed the past train were meant to make you late.
You may watch people getting their train but you're still standing still.
It's not because you're a bad person or you won't ever get to your destination.

It's because your timing hasn't arrived yet. Everyone will arrive at a time.

Don't worry, it's better to be late than to arrive early at a wrong station.


Have a faith in process



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Rekhta (शायरी संग्रह)

01 Nov, 09:02


ज़िंदगी जब भी तिरी बज़्म में लाती है हमें
ये ज़मीं चाँद से बेहतर नज़र आती है हमें

सुर्ख़ फूलों से महक उठती हैं दिल की राहें
दिन ढले यूँ तिरी आवाज़ बुलाती है हमें

याद तेरी कभी दस्तक कभी सरगोशी से
रात के पिछले-पहर रोज़ जगाती है हमें

हर मुलाक़ात का अंजाम जुदाई क्यूँ है
अब तो हर वक़्त यही बात सताती है हमें

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Rekhta (शायरी संग्रह)

31 Oct, 03:50


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तुम्हें भी मिल जाएगा अपनी रौशनी का हासिल
हर एक चौखट इस जग में एक दीया ढूँढ रहा है


Be enlightened!
Enlighten others!

Happy Diwali
🪔


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Rekhta (शायरी संग्रह)

31 Oct, 03:28


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ज़िम्मेदारी बड़ी होगी या फिर परेशान रहते होंगे,

वो लड़के जो त्योहारों पर भी घर नहीं जाते होंगे



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Rekhta (शायरी संग्रह)

30 Oct, 04:45


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"It's your road,
and yours alone,
others may walk it with you, but no one can walk it for you."

-Rumi


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Rekhta (शायरी संग्रह)

29 Oct, 07:49


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इश्क़ में ग़ैरत-ए-जज़्बात ने रोने न दिया
वर्ना क्या बात थी किस बात ने रोने न दिया

आप कहते थे कि रोने से न बदलेंगे नसीब
उम्र भर आपकी इस बात ने रोने न दिया

रोने वालों से कहो उनका भी रोना रो लें
जिन को मजबूरी-ए-हालात ने रोने न दिया

~सुदर्शन फ़ाकिर


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Rekhta (शायरी संग्रह)

29 Oct, 07:25


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कुछ न कुछ बोलते रहो हम से

चुप रहोगे तो लोग सुन लेंगे

~ फ़हमी बदायूनी


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Rekhta (शायरी संग्रह)

26 Oct, 18:36


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हमें भी नींद आ जाएगी हम भी सो ही जाएँगे

अभी कुछ बे-क़रारी है सितारो तुम तो सो जाओ


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Rekhta (शायरी संग्रह)

26 Oct, 06:12


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कभी साया है कभी धूप मुक़द्दर मेरा
होता रहता है यूँ ही क़र्ज़ बराबर मेरा

टूट जाते हैं कभी मेरे किनारे मुझ में
डूब जाता है कभी मुझ में समुंदर मेरा

किसी सहरा में बिछड़ जाएँगे सब यार मिरे
किसी जंगल में भटक जाएगा लश्कर मेरा

बा-वफ़ा था तो मुझे पूछने वाले भी न थे
बे-वफ़ा हूँ तो हुआ नाम भी घर घर मेरा

कितने हँसते हुए मौसम अभी आते लेकिन
एक ही धूप ने कुम्हला दिया मंज़र मेरा

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Rekhta (शायरी संग्रह)

25 Oct, 17:18


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कौन है वो जिसने ये हाल किया है मेरा

किसको इतनी आसानी से हासिल था मैं

- शारिक़ कैफ़ी

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Rekhta (शायरी संग्रह)

25 Oct, 09:24


“ यह दुनिया किसी की आँखों से सादी, किसी की आँखों से रंगीन दिखती है, यह दुनिया किसी की आँखों से खुशहाल और किसी की आँखों से गमग़ीन दिखती है, यह दुनिया किसी की आँखों से मोटी मोटी और किसी की आखों से महीन दिखती है । मगर आपको आपकी आखों से जो दुनिया दिखती है वो किसी और किसी आखों से नहीं दिखती, इसलिए आपकी कहानी को आपसे बेहतर ना कोई जानता है, ना कोई लिख सकता है । इसलिए यह आपकी ज़िम्मेदारी है कि जिस कहानी को आप सबसे बेहतर लिख सकते हैं, उस कहानी को यूँ अकेला भटकते मत छोड़िये ।

सुनिए, अपनी ख़ुद की कहानी से यूँ मुँह मत मोड़िए । "



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Rekhta (शायरी संग्रह)

24 Oct, 03:18


जो सितम करो तो सितम करो,
जो वफ़ा करो तो वफ़ा करो,

ये तुम्हारा कैसा मिज़ाज है,
कभी हाँ करो तो कभी ना करो !!

न रूका है वक़्त का क़ाफ़िला,
न रूकेगा वक़्त का क़ाफ़िला

कोई छूट जाए तो क्या करो,
कोई छोड़ जाए तो क्या करो !!

यही दर्द-ए-दिल का मिजाज़ है,
यही दर्द-ए-दिल का इलाज़ है

इसे अपने हाल पर छोड़ दो,
न दवा करो न दुआ करो।

~अक़ील अहमद अक़ील



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Rekhta (शायरी संग्रह)

23 Oct, 14:43


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उल्फतें उलझनें रंज़िशें थकावट

बस यूं हीं एक और दिन
बीत गया ज़िन्दगी का!!

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Rekhta (शायरी संग्रह)

23 Oct, 04:45


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Just a gentle reminder.

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Rekhta (शायरी संग्रह)

22 Oct, 13:40


हम तिरे ग़म के पास बैठे थे
दूसरे ग़म उदास बैठे थे

दोस्तों ने हँसा दिया आ कर
अच्छे-ख़ासे उदास बैठे थे

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Rekhta (शायरी संग्रह)

21 Oct, 08:56


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धोखा है इक फ़रेब है मंज़िल का हर ख़याल

सच पूछिए तो सारा सफ़र वापसी का है

- राजेश रेड्डी


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Rekhta (शायरी संग्रह)

20 Oct, 04:54


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कुछ बिछड़ने के भी तरीक़े हैं

ख़ैर जाने दो जो गया जैसे

- जावेद अख्तर

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Rekhta (शायरी संग्रह)

20 Oct, 04:52


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ये दुख अलग है कि उससे मैं दूर हो रहा हूँ
ये ग़म जुदा है वो ख़ुद मुझे दूर कर रहा है

तेरे बिछड़ने पे लिख रहा हूँ मैं ताज़ा ग़ज़लें
ये तेरा ग़म है जो मुझको मशहूर कर रहा है

- तहज़ीब हाफ़ी



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Rekhta (शायरी संग्रह)

19 Oct, 04:56


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हमने देखा तो हमने ये देखा

जो नहीं है वो ख़ूबसूरत है !!

- जॉन एलिया



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Rekhta (शायरी संग्रह)

18 Oct, 04:37


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हल्के हल्के बढ़ रही है चेहरे की लकीरें

नादानी और तजुर्बे का बंटवारा हो रहा है!!


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Rekhta (शायरी संग्रह)

18 Oct, 04:35


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कुछ ही दरवाजों पे भरोसा लिखा होता है ,

फ़क़ीर हर दर पे दस्तक नहीं दिया करते ।।


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Rekhta (शायरी संग्रह)

17 Oct, 05:55


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हज़ारों साल नर्गिस अपनी बे-नूरी पे रोती है,

बड़ी मुश्किल से होता है चमन में दीदा-वर पैदा।

- अल्लामा इक़बाल


#SirSyedDay


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Rekhta (शायरी संग्रह)

17 Oct, 05:47


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“मैं समझता हूं इंसान की रूह बग़ैर तालीम के चितकबरे संग-ए-मरमर की तरह है। जब तक संग-तराश उसे नहीं तराशता उसके खूबसूरत बेल-बूटे छुपे रहते हैं। यही हाल इंसान कि रूह का है, तालीम ही इंसान कि रूह को खूबसूरत बनाती है।”

~ सर सैयद अहमद खान

#SirSyedDay


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Rekhta (शायरी संग्रह)

17 Oct, 03:43


अब के हम बिछड़े तो शायद कभी ख़्वाबों में मिलें
जिस तरह सूखे हुए फूल किताबों में मिलें

ढूँढ उजड़े हुए लोगों में वफ़ा के मोती
ये ख़ज़ाने तुझे मुमकिन है ख़राबों में मिलें

तू ख़ुदा है न मिरा इश्क़ फ़रिश्तों जैसा
दोनों इंसाँ हैं तो क्यूँ इतने हिजाबों में मिलें



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Rekhta (शायरी संग्रह)

16 Oct, 11:54


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ये दुनिया ग़म तो देती है शरीक-ए-ग़म नहीं होती

किसी के दूर जाने से मोहब्बत कम नहीं होती


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Rekhta (शायरी संग्रह)

15 Oct, 10:50


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'अगर मगर और काश में हूं,

मैं ख़ुद अपनी तलाश में हूं...'


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Rekhta (शायरी संग्रह)

15 Oct, 07:09


खुल के रो लेने से दिल हलकान हो जाएगा क्या
मुस्कुरा दूँगा तो सब आसान हो जाएगा क्या

मैं अगर अपनी ख़ुशी से एक दिन भी काट लूँ
आप लोगों का बहुत नुक़सान हो जाएगा क्या

वो मेरी दुनिया का हिस्सा थी मेरी दुनिया नहीं
एक शजर कटने से बन वीरान हो जाएगा क्या


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Rekhta (शायरी संग्रह)

13 Oct, 13:28


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दिल की बस्ती पुरानी दिल्ली है

जो भी गुज़रा है उस ने लूटा है


-बशीर बद्र

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Rekhta (शायरी संग्रह)

12 Oct, 16:53


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राम, तुम्हारे युग का रावण अच्छा था

दस के दस चेहरे सब बाहर रखता था!

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Rekhta (शायरी संग्रह)

12 Oct, 07:41


प्यार तो बेरोजगारी में ही होता है साहब ,

नौकरी देखकर तो अक्सर शादियां होती है ।



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Rekhta (शायरी संग्रह)

11 Oct, 09:06


इस दर्जा पारसाई से घुटने लगा है दम
मैं हूँ बशर ख़ता-ए-बशर होनी चाहिए

वो जानता नहीं तो बताना फ़ुज़़ूल है
उस को मिरे ग़मों की ख़बर होनी चाहिए

- अताउल हक़ क़ासमी



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Rekhta (शायरी संग्रह)

10 Oct, 02:51


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बिछड़ा कुछ इस अदा से कि रुत ही बदल गई

इक शख़्स सारे शहर को वीरान कर गया

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Rekhta (शायरी संग्रह)

09 Oct, 07:03


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याद आई है तो फिर टूट के याद आई है

कोई गुज़री हुई मंज़िल कोई भूली हुई दोस्त



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Rekhta (शायरी संग्रह)

08 Oct, 13:43


नया इक रिश्ता पैदा क्यूँ करें हम

बिछड़ना है तो झगड़ा क्यूँ करें हम

ख़मोशी से अदा हो रस्म-ए-दूरी

कोई हंगामा बरपा क्यूँ करें हम

ये काफ़ी है कि हम दुश्मन नहीं हैं

वफ़ा-दारी का दावा क्यूँ करें हम



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