Rekhta (शायरी संग्रह) @rekhta_shayri_sangrah Channel on Telegram

Rekhta (शायरी संग्रह)

@rekhta_shayri_sangrah


शायरी खून की तरह है जनाब ,
चोट लगते ही निकल आती है ..

#tealovers
#poetry
#Shayri
#motivational
#ghazal
#Quotes

Rekhta (शायरी संग्रह) (Hindi)

अगर आपका दिल भी एक कविता की तरह है, तो 'Rekhta (शायरी संग्रह)' टेलीग्राम चैनल आपके लिए एक स्वर्ग है। यहाँ आपको पुरानी और नयी शायरी, ग़ज़ल, अनमोल विचार और प्रेरणादायक कोट्स मिलेंगे। 'Rekhta' में कई प्रकार की कविताएं हैं, जिनसे आप अपने भावनाओं को व्यक्त कर सकते हैं और आत्मा को शांति पा सकते हैं।nnइस टेलीग्राम चैनल में 'शायरी संग्रह' का विस्तारित संग्रह है, जो आपको हमेशा खुश और प्रेरित रखेगा। अपने जीवन में अधिक सकारात्मकता और सहानुभूति लाने के लिए, 'Rekhta' टेलीग्राम चैनल को सब्सक्राइब करें और अपनी दुखीता को दूर करने का एक नया रास्ता ढूंढें।nnयहाँ पर गालिब से लेकर फैज तक के विख्यात शायरों की कविताएं उपलब्ध हैं, जिनसे आपका मन और आत्मा भी सुखमय होगा। 'Rekhta (शायरी संग्रह)' चैनल आपके लिए सिर्फ एक टाइप दूर है, जो आपको एक नयी दुनिया में ले जाएगा।

Rekhta (शायरी संग्रह)

30 Dec, 18:32


🍂🍂


न हम-सफ़र न किसी हम-नशीं से निकलेगा
हमारे पाँव का काँटा हमीं से निकलेगा

मैं जानता था कि ज़हरीला साँप बन बन कर
तिरा ख़ुलूस मिरी आस्तीं से निकलेगा

बुज़ुर्ग कहते थे इक वक़्त आएगा जिस दिन
जहाँ पे डूबेगा सूरज वहीं से निकलेगा

गुज़िश्ता साल के ज़ख़्मो हरे-भरे रहना
जुलूस अब के बरस भी यहीं से निकलेगा


🍂🍂

Rekhta (शायरी संग्रह)

28 Dec, 09:48


🍂🍂

साहिल के सुकूँ से किसे इंकार है लेकिन
तूफ़ान से लड़ने में मज़ा और ही कुछ है
..

कमाल! लाज़वाब! बेमिसाल!

A splendid Test century by Nitish Reddy.

🍂🍂

Rekhta (शायरी संग्रह)

27 Dec, 07:09


🍂🍂


हजारों जवाबों से अच्छी है मेरी खामोशी,

न जाने कितने सवालों की आबरू रखी।

- डा• मनमोहन सिंह


🍂🍂

Rekhta (शायरी संग्रह)

26 Dec, 17:28


🍂🍂

जमाना कर ना सका उसकें कद का अंदाजा
वो आसमान था मगर सर झुका के चलता था।

Deeply saddened by former Prime Minister Dr. Manmohan Singh's sad demise. It's a great loss to the nation. My condolences to his family & loved ones. May his soul rest in peace.

🍂🍂

Rekhta (शायरी संग्रह)

26 Dec, 02:54


🍂🍂

हम यूसुफ़-ए-ज़मां थे अभी कल की बात है,
तुम हम पे मेहरबां थे अभी कल की बात है।

वो दिन भी थे कि हम ही तुम्हारी ज़ुबां पे थे,
मौज़ू-ए-दास्तां थे अभी कल की बात है।

कुछ हादसों से गिर गए मोहसिन ज़मीं पर,
हम रश्क-ए-आसमां थे अभी कल की बात है।

🍂🍂

Rekhta (शायरी संग्रह)

25 Dec, 04:04


🍂🍂

बड़े तहम्मुल से रफ़्ता रफ़्ता निकालना है
बचा है जो तुझ में मेरा हिस्सा निकालना है

निकाल लाया हूँ एक पिंजरे से इक परिंदा
अब इस परिंदे के दिल से पिंजरा निकालना है

मैं एक किरदार से बड़ा तंग हूँ क़लमकार
मुझे कहानी में डाल ग़ुस्सा निकालना है

उमैर नजमी


🍂🍂

Rekhta (शायरी संग्रह)

23 Dec, 04:52


🍂🍂


बीच भँवर में दरिया की तुग़यानी पर लिख देते हैं,
डूबने वाले अपनी कहानी पानी पर लिख देते हैं !!

ग़ौर करें तो इतना भी वीरान नहीं है अपना दिल
जितनी बातें हम इसकी वीरानी पर लिख देते हैं !!


🍂🍂

Rekhta (शायरी संग्रह)

21 Dec, 11:11


🍂🍂

अपने मरकज़ से अगर दूर निकल जाओगे
ख़्वाब हो जाओगे अफ़्सानों में ढल जाओगे

अपनी मिट्टी ही पे चलने का सलीक़ा सीखो
संग-ए-मरमर पे चलोगे तो फिसल जाओगे


🍂🍂

Rekhta (शायरी संग्रह)

21 Dec, 05:02


🍂🍂

अपनी बातों को तोलना होगा,
यानी सूरज को बोलना होगा।

धूप कमरे में यूँ न आएगी,
उठ के दरवाज़ा खोलना होगा।


🍂🍂

Rekhta (शायरी संग्रह)

14 Dec, 09:34


🍂🍂

कितने हमदर्द मिले, दोस्त मिले, यार मिले
सब उभरते हुए सूरज के परस्तार मिले

जिंदगी तूं हमें बाजार में क्यों ले आई
हम तो 'यूसुफ' भी नहीं कोई खरीदार मिले

🍂🍂

Rekhta (शायरी संग्रह)

13 Dec, 08:59


🍂🍂


मैं हर हाल में मुस्कुराता रहूँगा
तुम्हारी मोहब्बत अगर साथ होगी

चराग़ों को आँखों में महफ़ूज़ रखना
बड़ी दूर तक रात ही रात होगी

जहाँ वादियों में नए फूल आए
हमारी तुम्हारी मुलाक़ात होगी

मुसाफ़िर हैं हम भी मुसाफ़िर हो तुम भी
किसी मोड़ पर फिर मुलाक़ात होगी


🍂🍂

Rekhta (शायरी संग्रह)

10 Dec, 02:56


🍂🍂



Unemployment hits different as a man. Family treats you differently. People lose respect for you. Nobody cares about you and what you say.
Family is only nice when you have something to offer. Get up everyday and fix your life.
Dear friend, the world is very cruel to a poor man.



🍂🍂

Rekhta (शायरी संग्रह)

07 Dec, 15:16


🍂🍂


हम-सफ़र चाहिए हुजूम नहीं
इक मुसाफ़िर भी क़ाफ़िला है मुझे

~ अहमद फराज



🍂🍂

Rekhta (शायरी संग्रह)

05 Dec, 05:28


🍂🍂


रवायतों की सफ़ें तोड़कर बढ़ो वरना,

जो तुमसे आगे हैं वो रास्ता नहीं देंगे !


🍂🍂

Rekhta (शायरी संग्रह)

04 Dec, 05:28


🍂🍂

घर की ता' मीर तसव्वुर ही में हो सकती है
अपने नक़्शे के मुताबिक़ ये ज़मीं कुछ कम है


🍂🍂

Rekhta (शायरी संग्रह)

02 Dec, 11:00


🍂🍂


मैं जो महका तो मेरी शाख़ जला दी उसने
सब्ज़ मौसम में मुझे ज़र्द हवा दी उसने,

पहले एक लम्हे की जंज़ीर से बाँधा मुझको
और फिर वक़्त की रफ़्तार बढ़ा दी उसने,

जानता था कि मुझे मौत सुकूं बख्शेगी
वो सितमगर था सो जीने की दुआ दी उसने,

जिसके होने से थीं साँसे मेरी दोगुनी
वो जो बिछड़ा तो मेरी उम्र घटा दी उसने..!!


🍂🍂

Rekhta (शायरी संग्रह)

02 Dec, 05:52


🍂🍂

निकाल लाया हूं पिंजरे से एक परिंदा

अब परिंदे के दिल से पिंजरा निकालना है!!

🍂🍂

Rekhta (शायरी संग्रह)

01 Dec, 08:33


🍂🍂


बहुत से ग़म दिसंबर में दिसंबर के नहीं होते

उसे भी जून का ग़म था मगर रोया दिसंबर में



🍂🍂

Rekhta (शायरी संग्रह)

01 Dec, 02:52




Manifesting good health, peace of mind,
great opportunities, financial freedom and a heart full of love.

May this month bring us genuine happiness & overflowing success!


Rekhta (शायरी संग्रह)

26 Nov, 04:14


🍂🍂

हम सिर्फ अच्छे दोस्त हैं..
कुछ ऐसी भी होती है अधूरी मोहब्बतें..


🍂🍂

Rekhta (शायरी संग्रह)

24 Nov, 10:58


🍂🍂

Just dive in and Feel the moment..

Once a King, always a King!


🍂🍂

Rekhta (शायरी संग्रह)

23 Nov, 16:30


🍂🍂

कुछ तो मजबूरियाँ रही होंगी
यूँ कोई बेवफ़ा नहीं होता

~बशीर बद्र

🍂🍂

Rekhta (शायरी संग्रह)

21 Nov, 06:23


🍂🍂


ना मोहब्बत ना दोस्ती के लिए,
वक्त रुकता नहीं किसी के लिए

अपने दिल को दुःख ना दे यूँ ही,
इस ज़माने की बेरुखी के लिए

वक्त के साथ साथ चलता रहे,
यही बेहतर है आदमी के लिए!

-सुदर्शन फ़ाकिर


🍂🍂

Rekhta (शायरी संग्रह)

19 Nov, 18:02


🍂🍂


अच्छे लड़के मोटी तनख्वाह की नौकरी करते हैं,
और
अच्छी लड़कियां सुंदर होती हैं ।

इससे अधिक
और इससे परे
हमारा समाज
अच्छे होने को अब तक परिभाषित
कर नहीं पाया है ।।


🍂🍂

Rekhta (शायरी संग्रह)

17 Nov, 04:27


🍂🍂


कहीं मैं देर से पहुँचूँ तो याद आता है
कहीं मैं वक़्त से पहले भी जाया करता था


🍂🍂

Rekhta (शायरी संग्रह)

16 Nov, 04:43


🍂🍂

ये मैंने कब कहा कि मेरे हक़ में फ़ैसला करे
अगर वो मुझ से ख़ुश नहीं है तो मुझे जुदा करे।

मैं उसके साथ जिस तरह गुज़ारता हूँ ज़िंदगी
उसे तो चाहिए कि मेरा शुक्रिया अदा करे।

🍂🍂

Rekhta (शायरी संग्रह)

15 Nov, 05:14


🍂🍂


ये दुनिया नफ़रतों के आख़री स्टेज पे है

इलाज इस का मोहब्बत के सिवा कुछ भी नहीं है


🍂🍂

Rekhta (शायरी संग्रह)

09 Nov, 16:20


🍂🍂

उलझ करके तेरी ज़ुल्फ़ों में यूँ आबाद हो जाऊँ
कि जैसे लखनऊ का मैं अमीनाबाद हो जाऊँ

मैं यमुना की तरह तन्हा निहारूँ ताज को कब तक
कोई गंगा मिले तो मैं इलाहाबाद हो जाऊँ


🍂🍂

Rekhta (शायरी संग्रह)

09 Nov, 07:28


🍂🍂


वो मेरे घर नहीं आता मैं उस के घर नहीं जाता
मगर इन एहतियातों से तअ'ल्लुक़ मर नहीं जाता

बुरे अच्छे हों जैसे भी हों सब रिश्ते यहीं के हैं
किसी को साथ दुनिया से कोई ले कर नहीं जाता

खुले थे शहर में सौ दर मगर इक हद के अंदर ही
कहाँ जाता अगर मैं लौट के फिर घर नहीं जाता


🍂🍂

Rekhta (शायरी संग्रह)

08 Nov, 16:22


🍂🍂


जिंदगी की सबसे बड़ी मुश्किल
किसी को पाना नहीं है,
बल्कि उसे खोने के बाद खुद
को बचाकर रखना है।



🍂🍂

Rekhta (शायरी संग्रह)

06 Nov, 14:17


🍂🍂


तेरा चुप रहना मिरे ज़ेहन में क्या बैठ गया
इतनी आवाज़ें तुझे दीं कि गला बैठ गया

यूँ नहीं है कि फ़क़त मैं ही उसे चाहता हूँ
जो भी उस पेड़ की छाँव में गया बैठ गया

उस की मर्ज़ी वो जिसे पास बिठा ले अपने
इस पे क्या लड़ना फलाँ मेरी जगह बैठ गया


🍂🍂

Rekhta (शायरी संग्रह)

05 Nov, 06:18


सब काट दो
बिस्मिल पौदों को
बे-आब सिसकते मत छोड़ो

सब नोच लो
बेकल फूलों को
शाख़ों पे बिलकते मत छोड़ो

ये फ़स्ल उमीदों की हमदम
इस बार भी ग़ारत जाएगी
सब मेहनत सुब्हों शामों की
अब के भी अकारत जाएगी

खेती के कोनों-खुदरों में
फिर अपने लहू की खाद भरो
फिर मिट्टी सींचो अश्कों से
फिर अगली रुत की फ़िक्र करो

जब फिर इक बार उजड़ना है
इक फ़स्ल पकी तो भरपाया
जब तक तो यही कुछ करना है


🍂🍂

Rekhta (शायरी संग्रह)

03 Nov, 08:56


🍂🍂

...मैं कुछ भी नहीं,
न ख़ुश, न ग़मज़दा, मैं बस बेज़ार हूँ
इस दुनिया से, यहाँ के लोगों से,
उनके रिवाजों से...


🍂🍂

Rekhta (शायरी संग्रह)

02 Nov, 18:05


🍂🍂

एक बात बताऊँ, आज जिन ख़्वाबों के पूरा नही होने पर रात भर नींद नही आती ना, जिस दिन ये ख़्वाब पूरे होंगे, उस रात पूरी रात सो नही पाओगे,
क्योंकि बात नींद की है ही नहीं, बात है इन ख़्वाबों को संजोये रहने की, जागती आंखों में, उस एक रात के लिए, जिसमें फिर जागना है !

🍂🍂

Rekhta (शायरी संग्रह)

02 Nov, 04:01


🍂🍂

The station you thought you missed wasn't yours.
The hours you waited because you missed the past train were meant to make you late.
You may watch people getting their train but you're still standing still.
It's not because you're a bad person or you won't ever get to your destination.

It's because your timing hasn't arrived yet. Everyone will arrive at a time.

Don't worry, it's better to be late than to arrive early at a wrong station.


Have a faith in process



🍂🍂

Rekhta (शायरी संग्रह)

01 Nov, 09:02


ज़िंदगी जब भी तिरी बज़्म में लाती है हमें
ये ज़मीं चाँद से बेहतर नज़र आती है हमें

सुर्ख़ फूलों से महक उठती हैं दिल की राहें
दिन ढले यूँ तिरी आवाज़ बुलाती है हमें

याद तेरी कभी दस्तक कभी सरगोशी से
रात के पिछले-पहर रोज़ जगाती है हमें

हर मुलाक़ात का अंजाम जुदाई क्यूँ है
अब तो हर वक़्त यही बात सताती है हमें

🍂🍂

Rekhta (शायरी संग्रह)

31 Oct, 03:50


🍂🍂

तुम्हें भी मिल जाएगा अपनी रौशनी का हासिल
हर एक चौखट इस जग में एक दीया ढूँढ रहा है


Be enlightened!
Enlighten others!

Happy Diwali
🪔


🍂🍂

Rekhta (शायरी संग्रह)

31 Oct, 03:28


🍂🍂


ज़िम्मेदारी बड़ी होगी या फिर परेशान रहते होंगे,

वो लड़के जो त्योहारों पर भी घर नहीं जाते होंगे



🍂🍂

Rekhta (शायरी संग्रह)

30 Oct, 04:45


🍂🍂

"It's your road,
and yours alone,
others may walk it with you, but no one can walk it for you."

-Rumi


🍂🍂

Rekhta (शायरी संग्रह)

29 Oct, 07:49


🍂🍂

इश्क़ में ग़ैरत-ए-जज़्बात ने रोने न दिया
वर्ना क्या बात थी किस बात ने रोने न दिया

आप कहते थे कि रोने से न बदलेंगे नसीब
उम्र भर आपकी इस बात ने रोने न दिया

रोने वालों से कहो उनका भी रोना रो लें
जिन को मजबूरी-ए-हालात ने रोने न दिया

~सुदर्शन फ़ाकिर


🍂🍂

Rekhta (शायरी संग्रह)

29 Oct, 07:25


🍂🍂

कुछ न कुछ बोलते रहो हम से

चुप रहोगे तो लोग सुन लेंगे

~ फ़हमी बदायूनी


🍂🍂

Rekhta (शायरी संग्रह)

26 Oct, 18:36


🍂🍂


हमें भी नींद आ जाएगी हम भी सो ही जाएँगे

अभी कुछ बे-क़रारी है सितारो तुम तो सो जाओ


🍂🍂

Rekhta (शायरी संग्रह)

26 Oct, 06:12


🍂🍂

कभी साया है कभी धूप मुक़द्दर मेरा
होता रहता है यूँ ही क़र्ज़ बराबर मेरा

टूट जाते हैं कभी मेरे किनारे मुझ में
डूब जाता है कभी मुझ में समुंदर मेरा

किसी सहरा में बिछड़ जाएँगे सब यार मिरे
किसी जंगल में भटक जाएगा लश्कर मेरा

बा-वफ़ा था तो मुझे पूछने वाले भी न थे
बे-वफ़ा हूँ तो हुआ नाम भी घर घर मेरा

कितने हँसते हुए मौसम अभी आते लेकिन
एक ही धूप ने कुम्हला दिया मंज़र मेरा

🍂🍂

Rekhta (शायरी संग्रह)

25 Oct, 17:18


🍂🍂

कौन है वो जिसने ये हाल किया है मेरा

किसको इतनी आसानी से हासिल था मैं

- शारिक़ कैफ़ी

🍂🍂

Rekhta (शायरी संग्रह)

25 Oct, 09:24


“ यह दुनिया किसी की आँखों से सादी, किसी की आँखों से रंगीन दिखती है, यह दुनिया किसी की आँखों से खुशहाल और किसी की आँखों से गमग़ीन दिखती है, यह दुनिया किसी की आँखों से मोटी मोटी और किसी की आखों से महीन दिखती है । मगर आपको आपकी आखों से जो दुनिया दिखती है वो किसी और किसी आखों से नहीं दिखती, इसलिए आपकी कहानी को आपसे बेहतर ना कोई जानता है, ना कोई लिख सकता है । इसलिए यह आपकी ज़िम्मेदारी है कि जिस कहानी को आप सबसे बेहतर लिख सकते हैं, उस कहानी को यूँ अकेला भटकते मत छोड़िये ।

सुनिए, अपनी ख़ुद की कहानी से यूँ मुँह मत मोड़िए । "



🍂🍂

Rekhta (शायरी संग्रह)

24 Oct, 03:18


जो सितम करो तो सितम करो,
जो वफ़ा करो तो वफ़ा करो,

ये तुम्हारा कैसा मिज़ाज है,
कभी हाँ करो तो कभी ना करो !!

न रूका है वक़्त का क़ाफ़िला,
न रूकेगा वक़्त का क़ाफ़िला

कोई छूट जाए तो क्या करो,
कोई छोड़ जाए तो क्या करो !!

यही दर्द-ए-दिल का मिजाज़ है,
यही दर्द-ए-दिल का इलाज़ है

इसे अपने हाल पर छोड़ दो,
न दवा करो न दुआ करो।

~अक़ील अहमद अक़ील



🍂🍂

Rekhta (शायरी संग्रह)

23 Oct, 14:43


🍂🍂

उल्फतें उलझनें रंज़िशें थकावट

बस यूं हीं एक और दिन
बीत गया ज़िन्दगी का!!

🍂🍂

Rekhta (शायरी संग्रह)

23 Oct, 04:45


🍂🍂

Just a gentle reminder.

🍂🍂

Rekhta (शायरी संग्रह)

22 Oct, 13:40


हम तिरे ग़म के पास बैठे थे
दूसरे ग़म उदास बैठे थे

दोस्तों ने हँसा दिया आ कर
अच्छे-ख़ासे उदास बैठे थे

🍂🍂

Rekhta (शायरी संग्रह)

21 Oct, 08:56


🍂🍂

धोखा है इक फ़रेब है मंज़िल का हर ख़याल

सच पूछिए तो सारा सफ़र वापसी का है

- राजेश रेड्डी


🍂🍂

Rekhta (शायरी संग्रह)

20 Oct, 04:54


🍂🍂

कुछ बिछड़ने के भी तरीक़े हैं

ख़ैर जाने दो जो गया जैसे

- जावेद अख्तर

🍂🍂

Rekhta (शायरी संग्रह)

20 Oct, 04:52


🍂🍂


ये दुख अलग है कि उससे मैं दूर हो रहा हूँ
ये ग़म जुदा है वो ख़ुद मुझे दूर कर रहा है

तेरे बिछड़ने पे लिख रहा हूँ मैं ताज़ा ग़ज़लें
ये तेरा ग़म है जो मुझको मशहूर कर रहा है

- तहज़ीब हाफ़ी



🍂🍂

Rekhta (शायरी संग्रह)

19 Oct, 04:56


🍂🍂

हमने देखा तो हमने ये देखा

जो नहीं है वो ख़ूबसूरत है !!

- जॉन एलिया



🍂🍂

Rekhta (शायरी संग्रह)

18 Oct, 04:37


🍂🍂

हल्के हल्के बढ़ रही है चेहरे की लकीरें

नादानी और तजुर्बे का बंटवारा हो रहा है!!


🍂🍂

Rekhta (शायरी संग्रह)

18 Oct, 04:35


🍂🍂

कुछ ही दरवाजों पे भरोसा लिखा होता है ,

फ़क़ीर हर दर पे दस्तक नहीं दिया करते ।।


🍂🍂

Rekhta (शायरी संग्रह)

17 Oct, 05:55


🍂🍂

हज़ारों साल नर्गिस अपनी बे-नूरी पे रोती है,

बड़ी मुश्किल से होता है चमन में दीदा-वर पैदा।

- अल्लामा इक़बाल


#SirSyedDay


🍂🍂

Rekhta (शायरी संग्रह)

17 Oct, 05:47


🍂🍂


“मैं समझता हूं इंसान की रूह बग़ैर तालीम के चितकबरे संग-ए-मरमर की तरह है। जब तक संग-तराश उसे नहीं तराशता उसके खूबसूरत बेल-बूटे छुपे रहते हैं। यही हाल इंसान कि रूह का है, तालीम ही इंसान कि रूह को खूबसूरत बनाती है।”

~ सर सैयद अहमद खान

#SirSyedDay


🍂🍂

Rekhta (शायरी संग्रह)

17 Oct, 03:43


अब के हम बिछड़े तो शायद कभी ख़्वाबों में मिलें
जिस तरह सूखे हुए फूल किताबों में मिलें

ढूँढ उजड़े हुए लोगों में वफ़ा के मोती
ये ख़ज़ाने तुझे मुमकिन है ख़राबों में मिलें

तू ख़ुदा है न मिरा इश्क़ फ़रिश्तों जैसा
दोनों इंसाँ हैं तो क्यूँ इतने हिजाबों में मिलें



🍂🍂

Rekhta (शायरी संग्रह)

16 Oct, 11:54


🍂🍂

ये दुनिया ग़म तो देती है शरीक-ए-ग़म नहीं होती

किसी के दूर जाने से मोहब्बत कम नहीं होती


🍂🍂

Rekhta (शायरी संग्रह)

15 Oct, 10:50


🍂🍂


'अगर मगर और काश में हूं,

मैं ख़ुद अपनी तलाश में हूं...'


🍂🍂

Rekhta (शायरी संग्रह)

15 Oct, 07:09


खुल के रो लेने से दिल हलकान हो जाएगा क्या
मुस्कुरा दूँगा तो सब आसान हो जाएगा क्या

मैं अगर अपनी ख़ुशी से एक दिन भी काट लूँ
आप लोगों का बहुत नुक़सान हो जाएगा क्या

वो मेरी दुनिया का हिस्सा थी मेरी दुनिया नहीं
एक शजर कटने से बन वीरान हो जाएगा क्या


🍂🍂

Rekhta (शायरी संग्रह)

13 Oct, 13:28


🍂🍂

दिल की बस्ती पुरानी दिल्ली है

जो भी गुज़रा है उस ने लूटा है


-बशीर बद्र

🍂🍂

Rekhta (शायरी संग्रह)

12 Oct, 16:53


🍂🍂

राम, तुम्हारे युग का रावण अच्छा था

दस के दस चेहरे सब बाहर रखता था!

🍂🍂

Rekhta (शायरी संग्रह)

12 Oct, 07:41


प्यार तो बेरोजगारी में ही होता है साहब ,

नौकरी देखकर तो अक्सर शादियां होती है ।



🍂🍂

Rekhta (शायरी संग्रह)

11 Oct, 09:06


इस दर्जा पारसाई से घुटने लगा है दम
मैं हूँ बशर ख़ता-ए-बशर होनी चाहिए

वो जानता नहीं तो बताना फ़ुज़़ूल है
उस को मिरे ग़मों की ख़बर होनी चाहिए

- अताउल हक़ क़ासमी



🍂🍂

Rekhta (शायरी संग्रह)

10 Oct, 02:51


🍂🍂

बिछड़ा कुछ इस अदा से कि रुत ही बदल गई

इक शख़्स सारे शहर को वीरान कर गया

🍂🍂

Rekhta (शायरी संग्रह)

09 Oct, 07:03


🍂🍂


याद आई है तो फिर टूट के याद आई है

कोई गुज़री हुई मंज़िल कोई भूली हुई दोस्त



🍂🍂

Rekhta (शायरी संग्रह)

08 Oct, 13:43


नया इक रिश्ता पैदा क्यूँ करें हम

बिछड़ना है तो झगड़ा क्यूँ करें हम

ख़मोशी से अदा हो रस्म-ए-दूरी

कोई हंगामा बरपा क्यूँ करें हम

ये काफ़ी है कि हम दुश्मन नहीं हैं

वफ़ा-दारी का दावा क्यूँ करें हम



🍂🍂