Phir be-kafan ye laash kyu hai?
Посты канала P O E T I S M

Welcome to POETISM ! 🌟
Har shabd ek kahani sunata hai.
Aaiye ise saath mein sunte hai.
📖✨
PART OF @astralrealm01
Har shabd ek kahani sunata hai.
Aaiye ise saath mein sunte hai.
📖✨
PART OF @astralrealm01
1,880 подписчиков
308 фото
367 видео
Последнее обновление 09.03.2025 12:03
Похожие каналы

3,413 подписчиков

2,274 подписчиков

1,122 подписчиков
Последний контент, опубликованный в P O E T I S M на Telegram
न करो रिहा मुझको गुनहगार रहने दो मुझको यादों मे उसकी गिरफ्तार रहने दो
जो पाल रखा है भरम उसकी मोहोब्ब्त का मैंने मुझको उसी मे उम्रभर के लिए यार रहने दो
एक दर्द ही तो है जिसने जोड रखा है हमको न करो उसका इलाज़ उसको दरमियान रहने दो
न छिनो जमीन जिसमे उसकी यादे बसी है उसकी मोहोब्ब्त का सिर पे आसमान रहने दो
तुम बाँट दो भले अपनी चाहत सारी दुनिया मे पर अपने गमों का मुझको ही हकदार रहने दो
रहने दो वो मकान जिसको उसने घर बनाया मुझको सुकून देता वो साएबान रहने दो
✍🏿
जो पाल रखा है भरम उसकी मोहोब्ब्त का मैंने मुझको उसी मे उम्रभर के लिए यार रहने दो
एक दर्द ही तो है जिसने जोड रखा है हमको न करो उसका इलाज़ उसको दरमियान रहने दो
न छिनो जमीन जिसमे उसकी यादे बसी है उसकी मोहोब्ब्त का सिर पे आसमान रहने दो
तुम बाँट दो भले अपनी चाहत सारी दुनिया मे पर अपने गमों का मुझको ही हकदार रहने दो
रहने दो वो मकान जिसको उसने घर बनाया मुझको सुकून देता वो साएबान रहने दो
✍🏿
बचपन के दिन :-
जो सपनों में गुम थे वो बचपन के दिन थे। न रोने की वजह थी न हँसने के बहाने थे।
कागज की कश्ती थी और खुशियों के फसाने थे।
न एडिडास के जूते थे न ब्रैंडड के जमाने थे। पैरों में चप्पलें थी और कंधे पर बस्ते पुराने थे।
न खोने का डर था न समझदारी का दलदल था। बारिश के गड्डे थे और खेल वही पुराने थे।
न सौ % लाने थे न अखबारों में छपवाने थे। मिट्टी के महल थे और कट्टी-बट्टी के तराने थे।
वो सच्ची सी कहानियाँ वो भोली सी शैतानियाँ। सांप-सीढ़ी, लुड्डो और खो-खो के झगड़े।
वो पतंगों की डरें और वो रातों के तारे। बचपन के साथी थे कितने ही प्यारे।
जो सपनों में गुम थे वो बचपन के दिन थे।
जो सपनों में गुम थे वो बचपन के दिन थे। न रोने की वजह थी न हँसने के बहाने थे।
कागज की कश्ती थी और खुशियों के फसाने थे।
न एडिडास के जूते थे न ब्रैंडड के जमाने थे। पैरों में चप्पलें थी और कंधे पर बस्ते पुराने थे।
न खोने का डर था न समझदारी का दलदल था। बारिश के गड्डे थे और खेल वही पुराने थे।
न सौ % लाने थे न अखबारों में छपवाने थे। मिट्टी के महल थे और कट्टी-बट्टी के तराने थे।
वो सच्ची सी कहानियाँ वो भोली सी शैतानियाँ। सांप-सीढ़ी, लुड्डो और खो-खो के झगड़े।
वो पतंगों की डरें और वो रातों के तारे। बचपन के साथी थे कितने ही प्यारे।
जो सपनों में गुम थे वो बचपन के दिन थे।
ज़िंदगी से यही गिला है मुझे
तू बहुत देर से मिला है मुझे
हम-सफ़र चाहिए हुजूम नहीं
इक मुसाफ़िर भी क़ाफ़िला है मुझे
तू मोहब्बत से कोई चाल तो चल
हार जाने का हौसला है मुझे
क्या खबर मैने चाहतों में फ़राज़
क्या गंवाया है क्या मिला है मुझे
~Ahmad Faraz
तू बहुत देर से मिला है मुझे
हम-सफ़र चाहिए हुजूम नहीं
इक मुसाफ़िर भी क़ाफ़िला है मुझे
तू मोहब्बत से कोई चाल तो चल
हार जाने का हौसला है मुझे
क्या खबर मैने चाहतों में फ़राज़
क्या गंवाया है क्या मिला है मुझे
~Ahmad Faraz
लोग कहते है चांद का टुकड़ा हो तुम
हम कहते है चांद टुकड़ा है तुम्हारा
✨
हम कहते है चांद टुकड़ा है तुम्हारा
✨
में अब उसकी यादों से डर डर कर बहुत बड़ा कायर बन गया हु,, ज़ख्म ऐसे लगे है दिल को में टूटे हुए शब्दों का शायर बन गया हु..
✍🏿 आकाश :^)
✍🏿 आकाश :^)
गज़ल
जहां पाने गए थे हम वहां खो गए। कभी तन्हा थे फिर से तन्हा हो गए।
उनका साथ हमें थोड़े ही दिन मयस्सर रहा, हाथ छुड़ाकर हमसे वो जुदा हो गए।
उनके बगैर ना हम जी पाए ना मर पाए, मोहब्बत में हमारी वो खुदा हो गए।
मुसल्सल मिले हमको उनकी यादों के गम, वो किसी और की खुशियों का जहां हो गए।
कभी बहुत हंसते मुस्कुराते थे हम यारों, हमारी खुशियों के वो आलम कहां खो गए।
कोई करेगा उनको हमसे ज्यादा मोहब्बत, खामख्वाह उनको इस बात के गुमां हो गए।
मुद्दतें गुजर गई उनके दीदार के बगैर, अफ़सोस वो किसी और का आईना हो गए।
हमको मयस्सर न हुए कभी उनके दिन, वो किसी और की रंगीन निशा हो गए।
कैसे करोगे अब किसी से मोहब्बत_आकाश जिनको दिल दिया था जब वो ही बेवफ़ा हो गए।
✍🏿 आकाश :^)
जहां पाने गए थे हम वहां खो गए। कभी तन्हा थे फिर से तन्हा हो गए।
उनका साथ हमें थोड़े ही दिन मयस्सर रहा, हाथ छुड़ाकर हमसे वो जुदा हो गए।
उनके बगैर ना हम जी पाए ना मर पाए, मोहब्बत में हमारी वो खुदा हो गए।
मुसल्सल मिले हमको उनकी यादों के गम, वो किसी और की खुशियों का जहां हो गए।
कभी बहुत हंसते मुस्कुराते थे हम यारों, हमारी खुशियों के वो आलम कहां खो गए।
कोई करेगा उनको हमसे ज्यादा मोहब्बत, खामख्वाह उनको इस बात के गुमां हो गए।
मुद्दतें गुजर गई उनके दीदार के बगैर, अफ़सोस वो किसी और का आईना हो गए।
हमको मयस्सर न हुए कभी उनके दिन, वो किसी और की रंगीन निशा हो गए।
कैसे करोगे अब किसी से मोहब्बत_आकाश जिनको दिल दिया था जब वो ही बेवफ़ा हो गए।
✍🏿 आकाश :^)
मेरी किससे क्या है लड़ाई
मेरी किससे क्या है लड़ाई,
मैं तो खुद से हार चुका हूँ।
कुछ बातें हैं ऐसी भी,
जो कह नहीं सकता दरमियान के इस पल में।
शायद कुछ बदल जाता,
पर मेरी कोशिशों से ज़्यादा,
उनके बिगड़ने के हौसलों में दम था।
वो रात, जो लूट गई इज़्ज़त-ए-समां में,
बातें तो सिर्फ़ लफ्ज़ों की थी,
पर दर्द, हर लम्हा जिस्मानी था।
जब पलटकर देखा, तो पाया,
मर चुका था वो इंसान,
जो कभी ख्वाबों के लिए ज़िंदा था।
अब बस एक शरीर बचा है,
मेरे ख्वाब और तक़दीर तो कहीं दूर दफ़्न हो चुके।
मेरी किससे क्या है लड़ाई,
मैं तो खुद से हार चुका हूँ।
मेरी किससे क्या है लड़ाई,
मैं तो खुद से हार चुका हूँ।
कुछ बातें हैं ऐसी भी,
जो कह नहीं सकता दरमियान के इस पल में।
शायद कुछ बदल जाता,
पर मेरी कोशिशों से ज़्यादा,
उनके बिगड़ने के हौसलों में दम था।
वो रात, जो लूट गई इज़्ज़त-ए-समां में,
बातें तो सिर्फ़ लफ्ज़ों की थी,
पर दर्द, हर लम्हा जिस्मानी था।
जब पलटकर देखा, तो पाया,
मर चुका था वो इंसान,
जो कभी ख्वाबों के लिए ज़िंदा था।
अब बस एक शरीर बचा है,
मेरे ख्वाब और तक़दीर तो कहीं दूर दफ़्न हो चुके।
मेरी किससे क्या है लड़ाई,
मैं तो खुद से हार चुका हूँ।