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Последний контент, опубликованный в P O E T I S M на Telegram

P O E T I S M

27 Jan, 08:02

646

सुर्ख लाल गुलाब तेरे मिज़ाज जैसा,
तेरी ख़ूबसूरती, तेरे एहसास जैसा।
काँटों भरा दामन भी है, लेकिन,
महक में बसा है तेरा अंदाज़ जैसा।

लाली तेरे गालों की मिसाल बने,
जिसे देख हर दिल शाद उठे।
सरल, हसीन, दिलकश है इतना,
हर पहलू तेरे किरदार जैसा।

~
केशव
@Jon_Targyerian
#admin
P O E T I S M

26 Jan, 10:29

676

खुशियां आधी ,
सुख है आधा ,
साथ नहीं जो ,
कृष्ण के राधा ,
तू होती तो धूप मुझे ,
ज़्यादा चमकीली लगती रे ,
तेरा हाथ पकड़ के ,
बारिश ये ,
ज़्यादा गीली लगती रे ,
तेरे बिन हसने का भी ,
मन नहीं करता ओ साथी ,
आँखों में फिर ,
आ न जाए याद का ,
मौसम ये बरसाती ,
खुल के हसना भी मुश्किल ,
खुल के रोने में है बाधा ,
खुशियाँ आधी ,
सुख है आधा ,
साथ नहीं जो ,
कृष्ण के राधा

✍🏿 आकाश :⁠^⁠)
P O E T I S M

26 Jan, 07:29

638

गले तो लगना है उससे कहो अभी लग जाए
यही न हो मेरा उसके बग़ैर जी लग जाए

मैं आ रहा हूँ तेरे पास ये न हो कि कहीं
तेरा मज़ाक़ हो और मेरी ज़िंदगी लग जाए

अगर कोई तेरी रफ़्तार मापने निकले
दिमाग़ क्या है जहानों की रौशनी लग जाए

तू हाथ उठा नहीं सकता तो मेरा हाथ पकड़
तुझे दुआ नहीं लगती तो शायरी लग जाए

हमारे हाथ ही जलते रहेंगे सिगरेट से?
कभी तुम्हारे भी कपड़ों पे इस्त्री लग जाए


~Tehzeeb Hafi
P O E T I S M

25 Jan, 16:30

762

आज फिर दिल इश्क़-परस्त होने चला है,
नई उल्फ़त की तमन्ना लिए हुए।
आफ़ताब को ललकारता हुआ,
मेहताब से साज़-ओ-सुख़न करता हुआ,
ज़िंदगी की हसरतें सजाए हुए,
तेरे विसाल को निकल पड़ा है।

नई नज़रों का कशिश भरा तिलिस्म,
सियाह ज़ुल्फ़ों की घटा में डूबने की मुराद लिए हुए
आज फिर दिल इश्क़-परस्त होने चला है,
नई उल्फ़त की तमन्ना लिए हुए।

~केशव
@Jon_Targyerian
#admin
(Do comment and react how it was)
P O E T I S M

25 Jan, 06:05

717

सोचता मैं रहा भोर हो या शयन
चाँद चेहरे पे दो जगमगाते नयन

जब से गुजरी हो मेरे मुहल्ले से तुम
रास आने लगी है हवा की छुवन

कर चुका है हृदय भक्ति की बात पर
एक तुम्हारा चयन फिर खुदा का चयन

©रणवीर

#admin
P O E T I S M

23 Jan, 16:19

720

सुनो ए नींद आना तुम कभी तनहा रातों को
न लाना साथ मे अपने तुम अश्कों को यादों को
मगर तुम ध्यान से आने से पहले ही बता देना
मैं दे आऊँगा न्यौता उन सारे बिसरे ख्वाबों को

फिर दोनों साथ में बैठेंगे उस दीवान पर फिर से
जिसकी ठीक न कर पाया हूँ चादर एक अरसे से
फिर तुम बातें सभी करना सुनूँगा शांत हो तुमको
बातें खूब सारी आजकल करता हूँ मैं खुद से

सुनो एक काम है तुमसे बताओ तुम करोगी क्या
मेरे दिन रात खाली है बताओ तुम भरोगी क्या
बड़ा मायूस रहता है मेरा मन भी ये आंगन भी
बस दो चार दिन को ही मेरे घर में रहोगी क्या
P O E T I S M

23 Jan, 02:06

765

बेरोजगार बेटा

मां भी अब बुजुर्ग हो रही है बहन भी तो स्यानी हो रही है करे क्या मगर बेरोजगार बेटा उसको भी अब चिंता हो रही है

कौन बैठ कर खाना चाहता है हर कोई काम पर जाना चाहता है मेहनत करने को धक्के खा रहा है कोई क्या करे जब किस्मत सो रही है

कोस रहे सब जब से शहर आया है कोई गुनाह तो नहीं करके आया है आखिर उसको भी तो जल्दी है उसकी भी तो जिंदगी खो रही है

समझो कभी एक बेटे का गम है उसका भी तो हृदय नम उसके भी तो कुछ सपने हैं उसको भी तो पीड़ा हो रही है

थोड़ी अपनी उम्मीदें हटा लो सारा बोझ ना उस पर डालो जरा सुकून उसको भी दे दो इस बोझ से घुटन हो रही है
P O E T I S M

22 Jan, 20:09

765

न हरीफ़-ए-जाँ न शरीक-ए-ग़म शब-ए-इंतिज़ार कोई तो हो
किसे बज़्म-ए-शौक़ में लाएँ हम दिल-ए-बे-क़रार कोई तो हो


ये उदास उदास से बाम ओ दर ये उजाड़ उजाड़ सी रह-गुज़र
चलो हम नहीं न सही मगर सर-ए-कू-ए-यार कोई तो हो
P O E T I S M

18 Jan, 21:27

241

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P O E T I S M

18 Jan, 21:07

238

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