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Har shabd ek kahani sunata hai.
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P O E T I S M

04 Feb, 18:09

419

बिन हवा जैसे पत्तियाँ हिल रही हैं,
बाग़ों में कलियाँ यूँ खिल रही हैं।
लगता है कोई नया माली सींच रहा है,
प्रेम-रस फिर से बरस रहा है।
कोई बादल उन कलियों पे बेचैन हुआ है,
कोई नया भंवरा भी फुदक रहा है।
चहल-पहल कुछ ज़्यादा है,
शायद किसी की दुआ का असर हुआ है।

~केशव

@Jon_Targyerian
#admin
P O E T I S M

03 Feb, 18:32

474

Ek Dar Hai Ki Koi Zakhm Na Dekh Le

Ek Khwaaish Hai Ki Koi Dekhne Wala Hota..!!🙌🥺
P O E T I S M

02 Feb, 05:05

651

हम जमाने के सताए हुए लोग 
घरों से भाग कर आए हुए लोग 
दीवार से पटक कर सर फोड़ रहे 
आशिकी में ये ठुकराए हुए लोग 
और गांव में सब झोपड़ियां जल रही 
जाएं कहा अब ये घबराए हुए लोग 
हमको पाप पुण्य समझ रहे गंगा में 
ये नहाए हुए लोग अब आकाश की 
गंवाई कौन दे तेरे हैं सब यह समझाए हुए लोग 
P O E T I S M

01 Feb, 17:02

717

मुझे कफ़न में लपेट कर
जब जनाजा उठाया जाएगा
अपनो के साथ गैरों की आँखों
में भी आंसू आएगा
जब उसको मिलेंगी मेरी मौत
की खबर वो मुझे छोड़ कर
जाने वाला उस दिन आसुओं को बहाएगा
P O E T I S M

01 Feb, 10:37

780

खंजर से करो बात
न तलवार से पूछो
मेरा कत्ल हुआ
कैसे मेरे यार से पूछो
कुछ भूल हुई है
तो सजा भी होगी
सब कुछ मैं बता दूंगा
मगर प्यार से पूछो
P O E T I S M

31 Jan, 15:38

841

Tery ird gird woh shoor Tha, Meri baat bech me reh gayi
Na me keh saka Na Tu Sun saka, Meri baat bech me reh gayi

Teri Khirkiyoun py jhukay huey, Kayii phool thay humein deikhtay
Teri chat py chand thehar gaya, Meri baat bech men reh gayi

Mujhay wehm Tha Tery samnay, Nahi Khul sakay gi Zubaan Meri
So haqeeqtann Bhi wohi hua, Meri baat bech me reh gay


~Amjad Islam Amjad

(Full ghazal in comments)
P O E T I S M

30 Jan, 17:21

832

Barat Naach Rahi Hai

Mere Haalat Pe Ab Meri Aoukaat Naach Rahi Hai, Baadlon Se Bichhad Ke Ab Barsaat Naach Rahi.

Kya Tune Tay Kar Di Hai Meri Mout Ki Taarikh, Suna Hai Tere Darwaaje Pe Barat Naach Rahi Hai
P O E T I S M

30 Jan, 11:38

928

तुम नहीं जानती, तुम क्या हो,
मगर मेरे लिए, तुम ही इबादत हो।
तुम ही मेरी मंज़िल, तुम ही आसमाँ हो,
हर गजरे का आशियाना तेरा गेसूआ हो।
तुम ही सावन की पहली फुहार,
तुम ही पतझड़ की आख़िरी सदा हो।

तुम ही तीर्थ-यात्रा, तुम ही से कबा हो,
तुमसे ही सज्दा, तुमसे ही पूजा ।
तुम ही दीपक की जलती लौ,
तुम ही हर हसरत, तमन्ना हो।

ये लहू मेरा जो यूँ बेपरवाह बहता है,
तेरे माथे का सिन्दूर बन सजा हो।
तुम ही सर्द रात, तुम ही धूप-ए-सहर,
काजल-काजल तेरी आँखों में बिछा हो।
एक हसीन चेहरा, जो कतरा आँसू न बहाए,
तुम ही बीता हुआ लम्हा, तुम ही आने वाला कल हो।
तुम ही अधूरी कहानी, तुम ही मुकम्मल ग़ज़ल हो।

~केशव

@Jon_Targyerian
#admin
P O E T I S M

29 Jan, 05:52

885

नक़ाब अपना हटा तो जरा कौन है तू, हमें बता तो जरा

है क़ातिल तो ले कत्ल कर खंजर अपना चला तो जरा

ले हम हो गये खुद ही फना अब तो सामने तू आ तो जरा

तू चाहता था ले वोही हो गया एकबार अब मुस्कुरा तो जरा

जहर भी हम हंसकर पी लेंगे अपने हाथों से, पिला तो जरा

इतनी नाराजगी हमसे ही क्यूं हमारी क्या खता, बता तो जरा

क्या कहती हैं ये नजरें हमारी मिला कर नज़र सुना तो जरा

क्या पता बन जाये सिलसिला 'आकाश ' कोई बात बढ़ा तो जरा
P O E T I S M

28 Jan, 08:53

527

"जब मेरी मृत्यु होगी"

जब मेरी मृत्यु होगी,
तब तुम आओगे,
सफेद कपड़े पहने,
आंखों में आंसुओं का सागर लिए,
हृदय में पश्चाताप का ज्वार उठाते हुए।
तुम बोलोगे मेरे बारे में अच्छी-अच्छी बातें,
जिन्हें सुनकर मेरी आत्मा भी शायद मुस्कुरा दे।

तुम कहोगे,
"यह एक अच्छा इंसान था।
हमेशा दूसरों के लिए जीता था,
अपने दर्द को छुपाकर,
दूसरों के चेहरे पर मुस्कान लाने की कोशिश करता था।"
पर मैं सोचूंगा,
क्या तुमने कभी उस दर्द को देखा,
जो मैंने अपनी आत्मा में छिपा रखा था?
क्या तुमने कभी मेरी चुप्पी में चीखें सुनी थीं?

जब मेरी मृत्यु होगी,
मेरे खून-पसीने से लिखे गए पन्ने
तुम्हारे हाथों में होंगे,
जिन्हें तुम पढ़ोगे और कहोगे,
"यह तो बेहद गहरी बात लिखता था।
शायद हम इसे समझ ही नहीं पाए।"
पर अब क्या फायदा?
अब जब मैं चला गया हूं,
तब तुम्हें मेरी कविताएं अमूल्य लगेंगी।

जब मेरी मृत्यु होगी,
तुम जला रहे होगे मेरी देह को,
उस राख को देखकर कहोगे,
"यही है इंसान का अंत।"
पर तुम शायद भूल जाओगे,
कि राख के कणों में भी मेरी भावनाएं हैं,
जो तुम्हारे दिल तक पहुंचना चाहती हैं।

तुम्हें याद आएगा,
कैसे मैंने हर मुश्किल को हंसते-हंसते सहा,
कैसे मैंने अपनों की खुशी के लिए
अपनी इच्छाओं को जलाया।
तुम कहोगे,
"काश, हमने उसे समझा होता।
काश, हमने उसके दर्द को बांटा होता।"
पर ये सब "काश" अब व्यर्थ है।

जब मेरी मृत्यु होगी,
तो कुछ लोग शायद मेरे नाम को भुला देंगे,
मेरे द्वारा किए गए कार्यों को
एक धुंधली याद बना देंगे।
पर मेरी आत्मा,
उन अनसुने शब्दों के साथ
तुम्हारे आस-पास मंडराएगी।

तुम कहोगे,
"वो तो बहादुर था,
वो हार मानने वालों में से नहीं था।
उसने हर हाल में जिंदगी जी।"
पर तुम्हें पता नहीं,
मेरे भीतर कितना संघर्ष था,
कितना अकेलापन था।

जब मेरी मृत्यु होगी,
तब शायद कोई बच्चा,
मेरी लिखी कविता को पढ़कर
प्रेरणा लेगा।
शायद मेरी बातें किसी के जीवन में
नया प्रकाश लाएंगी।
पर मैं वहां नहीं होऊंगा,
उस मुस्कान को देखने के लिए।

तुम्हारी बातों में सच्चाई होगी,
पर वो अधूरी होगी।
तुम जानोगे मेरा नाम,
पर शायद कभी नहीं जान पाओगे
मेरी कहानी।

तुम कहोगे,
"काश, हमने उसे समय दिया होता।
काश, हमने उसके साथ
उसकी खामोशी के दर्द को साझा किया होता।"
पर ये "काश" मेरे जाने के बाद
बस एक पछतावा बनकर रह जाएगा।

जब मेरी मृत्यु होगी,
मैं उम्मीद करता हूं,
कि मेरी कविताएं और मेरे शब्द,
तुम्हें एक नए रास्ते पर ले जाएं।
मैं चाहता हूं,
कि तुम उस समय को पहचानो,
जो अभी तुम्हारे पास है।
तुम अपने आस-पास के
हर दर्द को महसूस करो,
हर मुस्कान को सहेजो।

क्योंकि जब मेरी मृत्यु होगी,
तो यह सब बातें
तुम्हारे लिए
बस एक कहानी बनकर रह जाएंगी।
पर शायद,
तुम उस कहानी में
अपनी सच्चाई खोज पाओ।

मेरा अंत केवल एक शुरुआत होगी।
मेरी राख के कण,
हवा में उड़ते हुए,
तुम्हारे दिल तक पहुंचेंगे,
तुमसे कहेंगे,
"जियो, हंसो, और समझो।
क्योंकि जीवन का हर पल अनमोल है।"

जब मेरी मृत्यु होगी,
तब शायद तुम्हें एहसास होगा,
कि मेरी जिंदगी
सिर्फ मेरा नहीं,
हम सबका प्रतिबिंब थी।