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कोशिश कस्मशिस में रेह गया ता उम्र, ना जी सका होके तेरा
कभी मिले वक़्त तो करेंगे गुप्तगू ---
ए ज़िंदगी
Admin --- INDRAJEET KUMAR
कभी मिले वक़्त तो करेंगे गुप्तगू ---
ए ज़िंदगी
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Последнее обновление 09.03.2025 02:14
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कांधे पे सर रख गेसुवो से खेलने को जी चाहता है
हो काली रात बारिशों की उस पहर मिलने को जी चाहता है
खयाल तो देख तेरे इस आशिक़ का,खुद की ज़िंदगी उलझनों में है
और तुझे जिंदगी बनाने को जी चाहता है।
♥️😘🌍
हो काली रात बारिशों की उस पहर मिलने को जी चाहता है
खयाल तो देख तेरे इस आशिक़ का,खुद की ज़िंदगी उलझनों में है
और तुझे जिंदगी बनाने को जी चाहता है।
♥️😘🌍
प्यार क्या होता हैं तुमसे मिल के जाना है
तुझ पे लूटा दु सबकुछ, सबकुछ तुझको माना है
थोड़ी सी चंचल, शीतल, शांत सरोवर हो ,
तुझे रखूं जीवन में ऐसे, जैसे कीमती धरोवर हो।
तू चंचल हवा, मैं बहता बादल प्रिये
तेरे बिना मैं अधूरा सा पागल प्रिये
बदन कमल सी कोमल तेरा,
तू ही मेरा आज, तू ही कल प्रिये ।
उस रात की नर्म चाँदनी में
तेरे स्पर्श की गर्माहट बसी थी
तेरी साँसों की सरगम में,
मेरे ख्वाबों की सरहद फँसी थी।
रात के सन्नाटे में धड़कनों का शोर था
दो बदन एक जान नहीं कोई और था
तेरी बाहों में जन्नत का एहसास था,
वो रात नहीं, कोई ख्वाब खास था।
तुझ पे लूटा दु सबकुछ, सबकुछ तुझको माना है
थोड़ी सी चंचल, शीतल, शांत सरोवर हो ,
तुझे रखूं जीवन में ऐसे, जैसे कीमती धरोवर हो।
तू चंचल हवा, मैं बहता बादल प्रिये
तेरे बिना मैं अधूरा सा पागल प्रिये
बदन कमल सी कोमल तेरा,
तू ही मेरा आज, तू ही कल प्रिये ।
उस रात की नर्म चाँदनी में
तेरे स्पर्श की गर्माहट बसी थी
तेरी साँसों की सरगम में,
मेरे ख्वाबों की सरहद फँसी थी।
रात के सन्नाटे में धड़कनों का शोर था
दो बदन एक जान नहीं कोई और था
तेरी बाहों में जन्नत का एहसास था,
वो रात नहीं, कोई ख्वाब खास था।
हमें यू ना कर परेशान की तेरे होठों के तलबगार बन जाये
अभी नया नया इश्क़ ए ख़ुमार है बीमार ना हो जाये।
अभी नया नया इश्क़ ए ख़ुमार है बीमार ना हो जाये।
शीर्षक
आज का इंसान
बेमतलब की दुनियां में, बे बुनियादी रिश्तें है
बे-मुरव्वत हैं ज्यादातर लोग यहां
कम ही फ़रिश्ते हैं
बे अदब से पेश आते है जीर्ण (कमज़ोर) से यहां
बाहुबल के तलवे चाटते हैं
बेशुमार दौलत लिए बैठा हैं कोई
कोई दो रोटी को तरसते हैं।।
जहां इंसानियत का मोल नहीं, बस कीमतें तय होती हैं,
रिश्तों के नाम पर सौदे हैं, रिश्ते पैसा तय करती है
झूठे है लोग यहां झूठ का नकाब ओरे हुए हैं
कैसी बद-हैसियत है लोग ईमान बेच कर सोए हुए हैं
हक़ मारकर कोई सोने का महल खड़ा कर लेता है,
कहीं भूख से तड़पता बच्चा, मां का आँचल देखता है।।
इस बेमानी भीड़ में कोई रोशनी जगाए तो जगाए कैसे,
हर दिल में नफ़रत की लपटें, प्यार का गीत गाए कैसे?
पर हाथ धरे बैठने से तो कुछ नहीं होगा
निज बदले पहले फिर जग बदलना होगा
इस नई सुबह की दस्तक में, एक नया संसार रचाना होगा,
द्वेष को मिटाकर हर मन को प्रेम का दीप दिखाना होगा।।
आज का इंसान
बेमतलब की दुनियां में, बे बुनियादी रिश्तें है
बे-मुरव्वत हैं ज्यादातर लोग यहां
कम ही फ़रिश्ते हैं
बे अदब से पेश आते है जीर्ण (कमज़ोर) से यहां
बाहुबल के तलवे चाटते हैं
बेशुमार दौलत लिए बैठा हैं कोई
कोई दो रोटी को तरसते हैं।।
जहां इंसानियत का मोल नहीं, बस कीमतें तय होती हैं,
रिश्तों के नाम पर सौदे हैं, रिश्ते पैसा तय करती है
झूठे है लोग यहां झूठ का नकाब ओरे हुए हैं
कैसी बद-हैसियत है लोग ईमान बेच कर सोए हुए हैं
हक़ मारकर कोई सोने का महल खड़ा कर लेता है,
कहीं भूख से तड़पता बच्चा, मां का आँचल देखता है।।
इस बेमानी भीड़ में कोई रोशनी जगाए तो जगाए कैसे,
हर दिल में नफ़रत की लपटें, प्यार का गीत गाए कैसे?
पर हाथ धरे बैठने से तो कुछ नहीं होगा
निज बदले पहले फिर जग बदलना होगा
इस नई सुबह की दस्तक में, एक नया संसार रचाना होगा,
द्वेष को मिटाकर हर मन को प्रेम का दीप दिखाना होगा।।
नज़र है खूबसूरत या नज़ारे खूबसूरत हैं ।
मोहब्बत ने किये हमको इशारे खूबसूरत हैं ।।
समंदर में कभी उतरो तुम्हे अंदाज़ ये होगा ।
हैं लहरें खूबसूरत या किनारे खूबसूरत हैं ।।
बहकते थे सँभलते थे कदम तन्हा सी राहों में ।
मिले तुम तो लगा ऐसा सहारे खूबसूरत हैं ।।
मोहब्बत ने किये हमको इशारे खूबसूरत हैं ।।
समंदर में कभी उतरो तुम्हे अंदाज़ ये होगा ।
हैं लहरें खूबसूरत या किनारे खूबसूरत हैं ।।
बहकते थे सँभलते थे कदम तन्हा सी राहों में ।
मिले तुम तो लगा ऐसा सहारे खूबसूरत हैं ।।
हां, मैने सूर्य देखा, सितारे देखा
गगन में सुंदरता को निखारे देखा
गज़ब गगन की लीला तेरा,
दिन में सूर्य तो रात को तारे देखा।
हां, मैने सुंदर देखा, समंदर देखा
नीले पानी का अम्बर देखा
गजब अमृत की लीला तेरा,
कही मुरझाई पर्वत तो, कहीं झील की मुहाने देखा।
हां, मैने चम्पा देखा, चमेली देखा
रंग विरंग अनजाने देखा
गजब पुष्प की लीला तेरा,
कहीं कांटे में, तो कहीं सिंहासन जमाए देखा।
गगन में सुंदरता को निखारे देखा
गज़ब गगन की लीला तेरा,
दिन में सूर्य तो रात को तारे देखा।
हां, मैने सुंदर देखा, समंदर देखा
नीले पानी का अम्बर देखा
गजब अमृत की लीला तेरा,
कही मुरझाई पर्वत तो, कहीं झील की मुहाने देखा।
हां, मैने चम्पा देखा, चमेली देखा
रंग विरंग अनजाने देखा
गजब पुष्प की लीला तेरा,
कहीं कांटे में, तो कहीं सिंहासन जमाए देखा।
मेरे बेरंग दुनिया में जैसे रंग भरने आईं हो
उसे देखते ही जैसे दिल में बजी शहनाई हो
अब और क्या हर दिन बदले बदले से लग रहे थे
अब रात ना जाने क्यों और हसीन लग रहे थे
धीरे धीरे उनसे राब्ता होता चला गया
मैं कल्पनाओं की दुनिया में खोता चला गया ।
खो गया मैं उस दुनिया में जहाँ तुम ही तुम हो,
तेरे ख्यालों में जैसे मेरा हर ख्वाब सिमट चला हो।
तेरी बातों की मिठास में मैं खोता चला गया,
तेरी चाहत की लहर में खुद को डुबोता चला गया।
अब इस दिल को तेरे सिवा कुछ भाता नहीं,
अब तेरे सिवा मुझे कोई और नजर आता नहीं
तू मेरे ख्वाबों की मंजिल, मेरी चाहत का इकरार बन गई हो
तेरे बिना अधूरी है ये कहानी, तू मेरा रब, सरकार बन गई हो
हर पल तेरा इंतजार और तेरा ख्याल लिए बैठा हूँ,
तू आएगी ज़िंदगी में ये उम्मीद संजोए बैठा हूँ।
बस इतना सा ख्वाब है कि तू मेरी हमसफर बन जाए,
तेरी हंसी की रौशनी से मेरा हर अंधेरा छट जाए।
साथ तेरा मिले तो ज़िंदगी खूबसूरत हो जाए,
तेरी बाहों में सुकून की वो मंज़िल मिल जाए।।
उसे देखते ही जैसे दिल में बजी शहनाई हो
अब और क्या हर दिन बदले बदले से लग रहे थे
अब रात ना जाने क्यों और हसीन लग रहे थे
धीरे धीरे उनसे राब्ता होता चला गया
मैं कल्पनाओं की दुनिया में खोता चला गया ।
खो गया मैं उस दुनिया में जहाँ तुम ही तुम हो,
तेरे ख्यालों में जैसे मेरा हर ख्वाब सिमट चला हो।
तेरी बातों की मिठास में मैं खोता चला गया,
तेरी चाहत की लहर में खुद को डुबोता चला गया।
अब इस दिल को तेरे सिवा कुछ भाता नहीं,
अब तेरे सिवा मुझे कोई और नजर आता नहीं
तू मेरे ख्वाबों की मंजिल, मेरी चाहत का इकरार बन गई हो
तेरे बिना अधूरी है ये कहानी, तू मेरा रब, सरकार बन गई हो
हर पल तेरा इंतजार और तेरा ख्याल लिए बैठा हूँ,
तू आएगी ज़िंदगी में ये उम्मीद संजोए बैठा हूँ।
बस इतना सा ख्वाब है कि तू मेरी हमसफर बन जाए,
तेरी हंसी की रौशनी से मेरा हर अंधेरा छट जाए।
साथ तेरा मिले तो ज़िंदगी खूबसूरत हो जाए,
तेरी बाहों में सुकून की वो मंज़िल मिल जाए।।
तप्त ह्रदय को, सरस स्नेह से
जो सहला दे, प्रेम वही है ।
व्याकुल चित को, कोमल स्पर्श से,
जो पिघला दे, प्रेम वही है ।
शब्दकोश से भरा हुवा, पर एक शब्द से,
जो सिखला दे, प्रेम वही हैं ।
बांसुरी की धुन राधा को कृष्ण से
जो मिला दे, प्रेम वही हैं ।
तड़प हो खतम, एक झलक से
जो दिला दे, प्रेम वही है ।
अगन अंत हो, उसके आलिंगन से
जो दिला दे, प्रेम वही है
जो सहला दे, प्रेम वही है ।
व्याकुल चित को, कोमल स्पर्श से,
जो पिघला दे, प्रेम वही है ।
शब्दकोश से भरा हुवा, पर एक शब्द से,
जो सिखला दे, प्रेम वही हैं ।
बांसुरी की धुन राधा को कृष्ण से
जो मिला दे, प्रेम वही हैं ।
तड़प हो खतम, एक झलक से
जो दिला दे, प्रेम वही है ।
अगन अंत हो, उसके आलिंगन से
जो दिला दे, प्रेम वही है