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MANOJ MUNTASHIR TALKS❤️❤️
कोशिश कस्मशिस में रेह गया ता उम्र, ना जी सका होके तेरा
कभी मिले वक़्त तो करेंगे गुप्तगू ---
ए ज़िंदगी





Admin --- INDRAJEET KUMAR
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Последнее обновление 09.03.2025 02:14

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MANOJ MUNTASHIR TALKS❤️❤️

25 Jun, 16:43

3,429

उसकी अहमियत है क्या, बताना भी जरूरी है
है उससे इश्क अगर तो जताना भी जरूरी है ।।

अब काम लफ्फाजी से तुम कब तक चलाओगे
उसकी झील सी आंखों में डूब जाना भी जरूरी है ।।

दिल के जज्बात तुम दिल में दबाकर मत रखो
उसको देख कर प्यार से मुस्कुराना भी जरूरी है ।।

उसे ये बार बार कहना वो कितना खूबसूरत है
उसे नग्मे मोहब्बत के सुनाना भी जरूरी है ।।

किसी भी हाल में तुम छोड़ना हाथ मत उसका
किया है इश्क़ गर तुमने, निभाना भी जरूरी है ।।

शहर अब रूठना तो इश्क़ में है लाज़मी लेकिन
कभी महबूब गर रूठे तो मानना भी जरूरी है ।।
MANOJ MUNTASHIR TALKS❤️❤️

11 May, 13:36

3,543

यू ही नही मिलता नाम खैरात में बड़े अदब से कमाना परता है
त्याग के अपने इच्छा को शरीर जलाना परता है
दुःख पीरा कष्ट सब भूल जाओ वत्स
यहां हर रोज़ ख़ुद को जगाना परता है
परिस्थितियां बदलनी चाहेगी तुम्हारे रास्ते कई बार ,
जो लिए संकल्प तो धृंड खरा रहना परता है ।।

यहां हर रोज जीना, हर रोज़ मरना परता है
ठोकरे खा खा कर सबक सीखना परता है
पहन के रखा है मुखौटा लोगो ने यहां
बड़ी मुश्किल से लोग पहचानना परता है
सिर्फ कर्म पर तुम दो ध्यान छोड़ के सारे चिंतन को
हारना नही है तुमको आखरी प्रयास तक बचा के रखना ईंधन को ।।

गर मचले मन थोड़ा सा भी स्मरण कर लेना माँ को
क्या कहोगे लौट कर तुम अपनी उस माँ को
गर नही हुए सफल तो आदि हो जाओ समाज के ताने का
फिर सोच,,, एक बार क्या नाम दोगे बहाने का
उपहास से बचना है तो हालात बदलना होगा
समाज के उन सूक्ष्म कीड़ों को औकात दिखाना होगा
हर संभव प्रयास तक प्रयासरत रहना परता है
सिर्फ सोचना मुकम्मल नही कर के दिखाना परता है ।।
यू ही नही मिलता नाम खैरात में बड़े अदब से कमाना परता है
त्याग के अपने इच्छा को शरीर जलाना परता है।।
MANOJ MUNTASHIR TALKS❤️❤️

18 Feb, 03:27

3,732

सरल सा तो है प्रश्न मेरा,तुम सामान्य सा उत्तर देना
समझ गए तो मुस्कान अधर पर, ना समझे तो निरुत्तर देना ।।
गर शर्म आए नयन संचार से, दुपट्टा माथे धर लेना
प्रार्थना पत्र को हे प्रिय तल्लीनता से पढ़ लेना ।।
गंभीर कर मंथन उपसंहार मर्यादा के भीतर देना
सरल सा तो है प्रश्न मेरा,तुम सामान्य सा उत्तर देना ।।

तू शांत स्वभाव का, स्वयं में शुद्ध, सरस प्रिय
मुस्कान लिखूं कली खिलना, संवाद लिखूं रस प्रिय ।।
संस्कार तुम्हारे है पता मुझे, भंग ना करोगे शालीनता
मोह, क्रोध, दया, शीतल परिपूर्ण भरी है संवेदनशीलता ।।
सहज, सुगम, सुंदर, संक्षेप में रखना अपनी बात को
समय मिलन का लिखना प्रिय अगली पूर्णिमा की रात को ।।
तुम कोमल कली मेरे बाग का मैं सिंचू तन्मय से
भंवरो से मैं दूर रखूं, रखूं दूर बिपदा भय से ।।
समस्या साधारण नही मेरा इस बात पे दृष्टिगोचर देना
सरल सा तो है प्रश्न मेरा,तुम सामान्य सा उत्तर देना ।।
MANOJ MUNTASHIR TALKS❤️❤️

06 Jan, 02:31

4,147

मेरे जज्बातों से जो खेला तुमने,
मैं तुम्हे एक खत लिखता हु।
हो सके तो अकेले में पढ़ना,
तुम्हारे दिए सबब लिखता हु।
तुम पूर्णिमा की रात प्रिये,
मैं खुद को अमावस लिखता हु।
हर लम्हे को रख के किनारे,
जुदाई का बखत लिखता हु ।
वो सब तेरे मीठे - मीठे वादे को,
मैं सरेआम गलत लिखता हु ।
तुम्हारे साथ बिताए सफरनामे को,
मैं वक्त की खपत लिखता हु ।
कोमल सी हृदय को तुम्हारे,
मैं कठोर पत्थर लिखता हु।
तेरे प्यार से मिला सबक,
मेरा पीड़ा , असर लिखता हु ।
तुमको रकीब के साथ खुश,
खुद को मैं दुःखद लिखता हु ।
मेरे जज्बातों से जो खेला तुमने,
मैं तुम्हे एक खत लिखता हु।।
MANOJ MUNTASHIR TALKS❤️❤️

01 Jan, 03:14

3,617

🙏🌹मेरे तरफ से आपको और आपके पूरे परिवार को नए साल की हार्दिक शुभकामनाएं आप का दिन शुभ हो 🙏🌹
MANOJ MUNTASHIR TALKS❤️❤️

20 Dec, 07:28

4,127

ज़ाम , दवा, दुवा ....जनाब कुछ नहीं असर आता हैं
इश्क़ से बिछड़े आशिक़, लाश नज़र आता हैं।।
MANOJ MUNTASHIR TALKS❤️❤️

20 Dec, 07:28

4,212

तुम्हे जब रूबरू देखा करेंगे
ये सोचा है बहुत सोचा करेंगे
MANOJ MUNTASHIR TALKS❤️❤️

09 Dec, 17:28

4,827

ये सर्द रात, ये तन्हाईया...... और उसकी यादें
एक तरफा आशिक़ के लिए,
इससे हसीन मौत क्या हो सकती है
MANOJ MUNTASHIR TALKS❤️❤️

08 Dec, 09:21

5,005

मेरा प्रेम बस तुम्हे तुम्हारे एकांत में ही स्पर्श करेगा,
मेरे प्रेम को भी तुम्हारी मर्यादाओं का खयाल है।।
पंडिताईन .....🌹
MANOJ MUNTASHIR TALKS❤️❤️

08 Dec, 09:18

4,772

काश उस दिन में नज़रे झुका लेता
काश उस दिन वो चेहरा ढक लेती
वो लम्हा थम सा गया था, सांसें रुक सी गई थी
जब उस भीर में मुझे वो मिली थी।।