है उससे इश्क अगर तो जताना भी जरूरी है ।।
अब काम लफ्फाजी से तुम कब तक चलाओगे
उसकी झील सी आंखों में डूब जाना भी जरूरी है ।।
दिल के जज्बात तुम दिल में दबाकर मत रखो
उसको देख कर प्यार से मुस्कुराना भी जरूरी है ।।
उसे ये बार बार कहना वो कितना खूबसूरत है
उसे नग्मे मोहब्बत के सुनाना भी जरूरी है ।।
किसी भी हाल में तुम छोड़ना हाथ मत उसका
किया है इश्क़ गर तुमने, निभाना भी जरूरी है ।।
शहर अब रूठना तो इश्क़ में है लाज़मी लेकिन
कभी महबूब गर रूठे तो मानना भी जरूरी है ।।