इस देश में वेद पर चर्चा नहीं होती,
लेकिन पुराण पर चर्चा होती है।
इस देश में गुरुकुल पर चर्चा नहीं होती,
लेकिन मंदिर पर चर्चा होती है।
इस देश में वैदिक आचार्यों पर चर्चा नहीं होती,
लेकिन साधुओं पर चर्चा होती है।
इस देश में आप्त पुरुषों पर चर्चा नहीं होती,
लेकिन अवतारों पर चर्चा होती है।
इस देश में आर्ष ग्रंथो पर चर्चा नहीं होती,
लेकिन अनार्ष ग्रंथो पर चर्चा होती है।
इस देश में रामायण पर चर्चा नहीं होती,
लेकिन रामचरित्र मानस पर चर्चा होती है।
इस देश में महाभारत पर चर्चा नहीं होती,
लेकिन भागवत कथा पर चर्चा होती है।
इस देश में आर्यों पर चर्चा नहीं होती,
लेकिन हिन्दुओ पर चर्चा होती है।
इस देश में परमात्मा पर चर्चा नहीं होती,
लेकिन देवताओं पर चर्चा होती है।
इस देश में धर्म पर चर्चा नहीं होती,
लेकिन आस्था पर चर्चा होती है।
इस देश में जिज्ञासा पर चर्चा नहीं होती,
लेकिन भक्ति पर चर्चा होती है।
इस देश में स्वामी दयानन्द पर चर्चा नहीं होती,
लेकिन स्वामी विवेकानंद पर चर्चा होती है।
इस देश में स्वामी श्रद्धानंद पर चर्चा नहीं होती,
लेकिन महात्मा गांधी पर चर्चा होती है।
इस देश में कुमारिल भट्ट पर चर्चा नहीं होती,
लेकिन आदि शंकराचार्य पर चर्चा होती है।
इस देश में रामप्रसाद बिस्मिल पर चर्चा नहीं होती,
लेकिन भगत सिंह पर चर्चा होती है।
इस देश में आर्य समाज पर चर्चा नहीं होती,
लेकिन आर. एस. एस. पर चर्चा होती है।
इस देश में मांसाहार पर चर्चा नहीं होती,
लेकिन शाकाहार पर चर्चा होती है।
इससे स्पष्ट होता है कि भारत को बर्बाद करने के पीछे मीडिया, शिक्षाविभाग, कानून व्यवस्था और राजनीति पार्टियां शक्ति से कार्य कर रही है।
साभार फेसबुक आलोक आर्य जी