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आनन्द भाव प्रवाह

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आंनद भाव प्रवाह में आप सभी को भक्ति के सब रस से मिलवाने का हमारा प्रयास रहे गा।
राधे राधे
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आनन्द भाव प्रवाह (Hindi)

आनन्द भाव प्रवाह एक टेलीग्राम चैनल है जो भक्ति के सब रस से भरपूर आनंद और सुख देने का मिशन लेकर आया है। चैनल 'आनंद भाव प्रवाह' में आपको भक्ति, ध्यान, और मन की शांति से जुड़ी जानकारी प्राप्त होगी। यहाँ आपको भक्ति गीत, मंत्र, ध्यान विचार, और आध्यात्मिक संदेश मिलेंगे जो आपको मानसिक और आध्यात्मिक विकास में मदद करेंगे। चैनल में अन्य सदस्यों से जुड़ने का एक विशेष माध्यम भी है जो आपको सामूहिक भक्ति अनुभव करने में मदद करेगा। इस चैनल में सभी उम्र के लोगों का स्वागत है जो अपने मन, शरीर, और आत्मा के संतुलन को बनाए रखने की चाहत रखते हैं। तो अब ही जुड़ें 'आनंद भाव प्रवाह' चैनल के साथ और भक्ति के सब रस से लबालब जुड़ें।

आनन्द भाव प्रवाह

11 Jan, 08:31


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आनन्द भाव प्रवाह

11 Jan, 06:54


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आनन्द भाव प्रवाह

10 Jan, 19:13


हरे राम राम राम राम राम हरे हरे हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे


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आनन्द भाव प्रवाह

09 Jan, 04:22


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आनन्द भाव प्रवाह

07 Jan, 19:05


हरे राम राम राम राम राम हरे हरे हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे

राधे राधे जय श्री कृष्ण
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आनन्द भाव प्रवाह

07 Jan, 12:42


हरे राम राम राम राम राम हरे हरे हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे

एक उम्र के बाद सुंदरता नहीं
मर्यादा और संस्कार आकर्षित करते हैं
जय श्री कृष्ण 🙏
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आनन्द भाव प्रवाह

05 Jan, 19:44


हरे राम राम राम राम राम हरे हरे हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे

*।।श्री कृष्ण कृपा।। *
🩵🩵
सदैव आप सब पर बनी रहे

आपका दिन मंगलमय हो
‌ ........
**कान्हा"*
ये कैसी लत लग गई
तेरे दीदार की.....
देखूं तो दिल नहीं भरता
ना देखूं तो कहीं....
दिल नहीं लगता
❤️❤️
*।।राधे राधे।।*
‌‌ *✍️पगला अपने Ⓜ️ कान्हा का 🙏*
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आनन्द भाव प्रवाह

05 Jan, 19:34


हरे राम राम राम राम राम हरे हरे हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे


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आनन्द भाव प्रवाह

05 Jan, 05:36


हरे राम राम राम राम राम हरे हरे हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे

🌺 आज का सुविचार 🌺

दूसरे की बुराई देखना
और सुनना ही
बुरा बनने की सुरुआत है

🙇‍♂ जय श्री कृष्णा 🙇‍♂
🙏 सुप्रभात 🙏

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आनन्द भाव प्रवाह

04 Jan, 04:02


हरे राम राम राम राम राम हरे हरे हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे

अपनी औलाद को विदेशों में भेजकर
घमंड करने वाले
अक्सर पड़ोसियों के कंधों पर
शमशान घाट जाते हैं
जय श्री कृष्ण 🙏
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आनन्द भाव प्रवाह

04 Jan, 03:56


हरे राम राम राम राम राम हरे हरे हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे

🌺 आज का सुविचार 🌺

आपका बीता हुआ कल
"कोई गलती नही होगी"
अगर आप उससे कुछ
सीखते है तो

🙇‍♂ जय श्री कृष्णा 🙇‍♂
🙏 सुप्रभात 🙏

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आनन्द भाव प्रवाह

03 Jan, 19:14


हरे राम राम राम राम राम हरे हरे हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे


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आनन्द भाव प्रवाह

03 Jan, 19:12


हरे राम राम राम राम राम हरे हरे हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे

कितना आनंद हे प्रभु के लिए रोने मे
यदि हमारा दोस्त हमे सताये दुख दे तो हम तुरन्त उसका साथ छोड देते है
क्योंकि कि वह हमे दुख पहुचाये यह हमे मंजूर नही

पर देखो ना ये कैसी हालत है भक्त की
कि प्रभु रोज रुलाते है
सताते है
तडपाते है
उनके वियोग का दुख सहना भी मंजूर है भक्त को
उनके लिए रोना व्याकुल होना सब कुछ मंजूर पर अपने साँवले का साथ छोडना मंजूर नही
वाह क्या बात है
ऐसी होती है प्रीत अपने साँवरे से
इतना सब होने पर भक्त यही चाहता है
उसके प्रियतम सदैव खुश रहे
उनको कभी कोई दुख ना हो
भले ही भक्त कितने भी दुख सहे
पर उनके कान्हा को कोई तकलीफ ना हो
भक्त और भगवान् का रिश्ता तो प्रभु के प्रेम की
मजबूत डोर से जुडा होता है
फिर भला उसे कौन तोड सकता है
जय हो मेरे श्याम सुन्दर आपकी

सखी श्याम की
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आनन्द भाव प्रवाह

03 Jan, 19:12


हरे राम राम राम राम राम हरे हरे हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे


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आनन्द भाव प्रवाह

03 Jan, 12:32


हरे राम राम राम राम राम हरे हरे हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे


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आनन्द भाव प्रवाह

03 Jan, 05:43


हरे राम राम राम राम राम हरे हरे हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे


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आनन्द भाव प्रवाह

03 Jan, 03:50


हरे राम राम राम राम राम हरे हरे हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे

🌺 आज का सुविचार 🌺

आप अपनी जिंदगी में
जिन लोगों को रखते है
उन्हे बहुत ध्यान से चुनो

🙇‍♂ जय श्री कृष्णा 🙇‍♂
🙏 सुप्रभात 🙏

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आनन्द भाव प्रवाह

02 Jan, 18:48


हरे राम राम राम राम राम हरे हरे हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे

कविवर रहीम का एक दोहा है-

'कदली, सीप, भुजंग मुख, स्वाति एक गुण तीन, जैसी संगति बैठिए, तैसोई फल दीन।'

यहाँ दोहे का भावार्थ यह है कि संगति का असर हर चेतन वस्तु के ऊपर पड़ता है। कहा जाता है कि इन्सान योगियों के साथ योगी और भोगियों के साथ भोगी बन जाता है। मनुष्य का आचरण, स्वभाव, उसकी संगति से ही निश्चित होते हैं। बाल्यावस्था और किशोरावस्था में जो व्यक्ति जिसके साथ रहता है, उसके जीवन पर उसका व्यापक असर उसके व्यक्तित्व में देखने को मिलता है।

जीवन में उन्नति की सीढ़ी सत्संगति है। अच्छी संगति एक प्राण वायु है जिसके संसर्ग मात्र से व्यक्ति सदाचरण का पालक बन जाता है और विनम्र, परोपकारी, ज्ञानवान् एवं दयावान् बन जाता है। यही नहीं, अच्छी संगति में इतना ओज होता है कि वह बुराईयों का नाश करने की क्षमता रखता है। यहाँ सत्संगति का अभिप्राय सच्चरित्र व्यक्तियों के संपर्क में रहना, उनसे संबंध बनाना है।

संगति से ही व्यक्ति को संस्कार प्राप्त होते हैं। यदि कोई इन्सान ख़ुद में सुधार चाहता है, पर उसकी संगति यदि बुरे विचार वालों यानी दुर्जनों की रही तो उसे अच्छे संस्कार प्राप्त नहीं हो पाएँगे। वहीं, यदि संगति सज्जन लोगों से की होगी तो व्यक्ति के विचार शुभ होंगे और आत्मा शुद्धि के मार्ग की ओर बढ़ जाएगी। गुणीजन और अच्छे व्यक्ति साथ हों तो मानव सन्मार्ग की तरफ़ चलेगा। ग़लत आचरण वाले का साथ मिल गया तो मानव व्यसन, व्याभिचार की ओर चल पड़ेगा। इसलिए हमें सज्जनों की संगति करनी चाहिए और दुर्जनों की संगति से बचना चाहिए। हम सभी को ऐसे मित्र रखने चाहिए जो हमें ऊँचाई से नीचे न गिराएँ बल्कि नीचे से ऊँचा उठाने में सहायक हों। बुरी संगति प्रतिभावान् व्यक्ति को भी बेकार और असफल बना देती है। इसलिए हमें अपने दोस्त सोच-समझकर और सावधानी से चुनने चाहिए। कुलमिलाकर हम सत्संगति यानी अच्छी संगति में रहकर अपने जीवन को अर्थपूर्ण और सफल बना सकते हैं।
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आनन्द भाव प्रवाह

02 Jan, 11:18


हरे राम राम राम राम राम हरे हरे हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे


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आनन्द भाव प्रवाह

01 Jan, 19:12


हरे राम राम राम राम राम हरे हरे हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे


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आनन्द भाव प्रवाह

01 Jan, 11:34


हरे राम राम राम राम राम हरे हरे हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे


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आनन्द भाव प्रवाह

31 Dec, 11:49


हरे राम राम राम राम राम हरे हरे हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे


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आनन्द भाव प्रवाह

29 Dec, 05:39


हरे राम राम राम राम राम हरे हरे हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे

🌺 आज का सुविचार 🌺

आपके आने वाले "कल"
का "नसीब" आपके
बीते हुए "कल" के "कर्मो"
पर निर्भर करता है

🙇‍♂ जय श्री कृष्णा 🙇‍♂
🙏 सुप्रभात 🙏

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आनन्द भाव प्रवाह

29 Dec, 05:32


🌺 आज का सुविचार 🌺

नींद और निंदा पर जो
विजय पा लेते है..
उन्हें आगे बढ़ने से कोई
नहीं रोक सकता..

🙇‍♂ जय श्री कृष्णा 🙇‍♂
🙏 सुप्रभात 🙏

आनन्द भाव प्रवाह

27 Dec, 01:00


जय श्री माता लक्ष्मी जी की जय

आनन्द भाव प्रवाह

27 Dec, 00:59


🌺 आज का सुविचार 🌺

तकलीफ हमेशा उन्हें
बताओ जो
समझने के काबिल हो

🙇‍♂ जय श्री कृष्णा 🙇‍♂
🙏 सुप्रभात 🙏

आनन्द भाव प्रवाह

26 Dec, 18:48


ॐ नमो भगवते वासुदेवाय

आनन्द भाव प्रवाह

22 Dec, 04:29


हरे राम राम राम राम राम हरे हरे हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे

🌺 आज का सुविचार 🌺

जब जिंदगी में कुछ बड़ा
करने की कोशिश करोगे
तब , ना कोई ध्यान देगा
ना कोई साथ देगा

🙇‍♂ जय श्री कृष्णा 🙇‍♂
🙏 सुप्रभात 🙏

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आनन्द भाव प्रवाह

21 Dec, 14:06


हरे राम राम राम राम राम हरे हरे हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे

मनोकामना पूर्ति एवं सर्वबाधा निवारण हेतु-

'कवन सो काज कठिन जग माही।
जो नहीं होइ तात तुम पाहीं।।'
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आनन्द भाव प्रवाह

20 Dec, 18:31


हरे राम राम राम राम राम हरे हरे हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे

शुभ रात्रि
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आनन्द भाव प्रवाह

17 Dec, 18:05


हरे राम राम राम राम राम हरे हरे हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे

Good night
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आनन्द भाव प्रवाह

17 Dec, 01:49


हरे राम राम राम राम राम हरे हरे हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे

🌺 आज का सुविचार 🌺

दूसरों की गलती से भी
सीखा करो,
खुद की गलती से सीखने
चलोगे तो सफलता
जल्दी नहीं मिलेगी

🙇‍♂ जय श्री कृष्णा 🙇‍♂
🙏 सुप्रभात 🙏

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आनन्द भाव प्रवाह

16 Dec, 04:01


हरे राम राम राम राम राम हरे हरे हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे


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आनन्द भाव प्रवाह

16 Dec, 02:48


हरे राम राम राम राम राम हरे हरे हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे

Om namah shivay
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आनन्द भाव प्रवाह

12 Dec, 02:19


हरे राम राम राम राम राम हरे हरे हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे

🌺 आज का सुविचार 🌺

जिसे तुम अपना समझ
कर खुश हो रहे
हो बस यही प्रसनता
तुम्हारे दुखो का
कारण है

🙇‍♂ जय श्री कृष्णा 🙇‍♂
🙏 सुप्रभात 🙏

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आनन्द भाव प्रवाह

11 Dec, 02:14


हरे राम राम राम राम राम हरे हरे हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे

🌺 आज का सुविचार 🌺

आप वापस नहीं जा
सकते है
और शुरुवात को नही
बदल सकते है,
लेकिन जहां है
वही से शुरू कर सकते
है और अंत को बदल
सकते है..

🙇‍♂ जय श्री कृष्णा 🙇‍♂
🙏 सुप्रभात 🙏

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आनन्द भाव प्रवाह

10 Dec, 09:36


हरे राम राम राम राम राम हरे हरे हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे

सखी श्याम की

तन्हा रहना तन्हा जीना अच्छा लगता है
क्योंकि
तन्हाई मे अपने श्याम से मुलाकात होती है
फिर कुछ बात होती है
कुछ हम अपनी कहते है
कुछ श्याम अपनी कहते है
फिर तकरार भी होती हैं
फिर श्याम रुठते हैती
और हम उनको मनाते हैं
इस तरह
तन्हाई मे अपनी और श्याम की मुलाकात होती है

💛💛💛सखी श्याम की 💛💛💛💛💛💛💛💛💛
Radhe Krishna     ━━━━✧❂✧━━━━     ♡ ㅤ    ❍ㅤ     ⎙ㅤ     ⌲    ˡᶦᵏᵉ   ᶜᵒᵐᵐᵉⁿᵗ    ˢᵃᵛᵉ      ˢʰᵃʳᵉ

आनन्द भाव प्रवाह

10 Dec, 06:40


हरे राम राम राम राम राम हरे हरे हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे

🌷__,🔴"जय श्री कृष्णा"🟢__,🌷

♦️♦️



‼️🌻परम् श्रद्धेय की मीठी बातें🌻‼️

●●_,★🌻🌻🌻🌻_,●●


मरने का बाद सुख दिलवाने का ठेका
सभी धर्मो के पास है
भले ही आप जिंदा रहते हुए दुख
से मर जाएं!!


●●_,★🌷🌷🌷🌷_,●●
Radhe Krishna     ━━━━✧❂✧━━━━     ♡ ㅤ    ❍ㅤ     ⎙ㅤ     ⌲    ˡᶦᵏᵉ   ᶜᵒᵐᵐᵉⁿᵗ    ˢᵃᵛᵉ      ˢʰᵃʳᵉ
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आनन्द भाव प्रवाह

07 Dec, 10:49


हरे राम राम राम राम राम हरे हरे हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे

जय श्री राधे
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आनन्द भाव प्रवाह

06 Dec, 12:03


हरे राम राम राम राम राम हरे हरे हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे

. विवाह पंचमी

हर वर्ष मार्गशीष मास में शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को विवाह पंचमी मनाई जाती है। पौराणिक मान्यता है कि भगवान राम और सीता का विवाह इसी दिन हुआ था और इसी आस्था के कारण विवाह पंचमी पर्व मनाया जाता है।
सनातन धर्म में विवाह पंचमी को भगवान राम और माता सीता के विवाह के उत्सव के रूप में मनाने की परंपरा रही है। ऐतिहासिक दृष्टिकोण से भी देखें तो तुलसी दास ने रामचरित्र मानस के लेखन का कार्य भी विवाह पंचमी के दिन ही पूर्ण किया था।

विवाह पंचमी की पूजा विधि

01- विवाह पंचमी के दिन भगवान श्री राम और माता सीता का विवाह संपन्न कराया जाता है. इस तरह कराएं राम-सीता विवाह।
02- विवाह पंचमी के दिन सबसे पहले सुबह उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
03- इसके बाद राम विवाह का संकल्प लें।
04- अब घर के मंदिर में भगवान राम और माता सीता की मूर्ति या चित्र की स्थापना करें।
05- अब भगवान राम को पीले व मां सीता को लाल वस्त्र पहनाएं।
06- अब रामायण के बाल कांड का पाठ करते हुए विवाह प्रसंग का पाठ करें।
07- इसके बाद ॐ जानकीवल्लभाय नमः का जाप करें।
08- फिर भगवान राम और मां सीता का गठबंधन करें।
09- अब राम-सीता की जोड़ी की आरती उतारें।
10- अब भगवान को भोग लगाएं और पूरे घर में प्रसाद बांटकर आप भी ग्रहण करें।

विवाह पंचमी की कथा

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, सीता माता का जन्म धरती से हुआ था। कहा जाता है कि राजा जनक हल जोत रहे थे तब उन्हें एक बच्ची मिली और उसे वे अपने महल में लाए व पुत्री की तरह पालने लगे। उन्होंने उस बच्ची का नाम सीता रखा। लोग उन्हें जनक पुत्री सीता या जानकी कहकर पुकारते थे।
मान्यता है कि माता सीता ने एक बार मंदिर में रखे भगवान शिव के धनुष को उठा लिया था। उस धनुष को परशुराम के अलावा किसी ने नहीं उठाया था। उसी दिन राजा जनक ने निर्णय लिया कि वो अपनी पुत्री का विवाह उसी के साथ करेंगे जो इस धनुष को उठा पाएगा। फिर कुछ समय बाद माता सीता के विवाह के लिए स्वयंवर रखा गया।
स्वयंवर के लिए कई बड़े-बड़े महारथियों, राजाओं और राजकुमारों को निमंत्रण भेजा गया। उस स्वयंवर में महर्षि विश्वामित्र के साथ मर्यादा पुरुषोत्तम राम और उनके छोटे भाई लक्ष्मण भी दर्शक दीर्घा में उपस्थित थे।
स्वयंवर शुरू हुआ और एक-एक कर सभी राजा, धुरंधर और राजकुमार आए लेकिन उनमें से कोई भी शिव के धनष को उठाना तो दूर उसे हिला भी नहीं सका।
यह देखकर राजा जनक बेहद दुखी हो गए और कहने लगे कि क्या मेरी पुत्री के लिए कोई भी योग्य वर नहीं है। तभी महर्षि विश्वामित्र ने राम से स्वयंवर में हिस्सा लेकर धनुष उठाने के लिए कहा। ऐसी ही अनेकानेक पोस्ट पाने के लिये हमारे फेसबुक पेज ‘श्रीजी की चरण सेवा’ को फॉलो और लाईक करें तथा हमारा व्हाट्सएप चैनल ज्वॉइन करें। चैनल का लिंक हमारी फेसबुक पर देखें। राम ने गुरु की आज्ञा का पालन किया और एक बार में ही धनुष को उठाकर उसमें प्रत्यंचा चढ़ाने लगे, लेकिन तभी धनुष टूट गया।
इसी के साथ राम स्वयंवर जीत गए और माता सीता ने उनके गले में वरमाला डाल दी। मान्यता है कि सीता ने जैसे ही राम के गले में वर माला डाली तीनों लोक खुशी से झूम उठे। यही वजह है कि विवाह पंचमी के दिन आज भी धूमधाम से भगवान राम और माता सीता का गठबंधन किया जाता है।

विवाह पंचमी के दिन नहीं होते विवाह

हिन्दू धर्म में विवाह पंचमी का विशेष महत्व है। लेकिन इस दिन कई जगह विवाह नहीं किए जाते हैं। खासकर मिथिलांचल और नेपाल में इस दिन विवाह नहीं करने की परंपरा है। वहाँ ऐसी मान्यता है कि, सीता का वैवाहिक जीवन दुखद रहा था, इसी वजह से लोग विवाह पंचमी के दिन विवाह करना उचित नहीं मानते।
उनका मानना है कि 14 वर्ष के वनवास के बाद भी राम ने गर्भवती सीता को त्याग कर दिया था और उन्हें महारानी का सुख नहीं मिल पाया। इसलिए विवाह पंचमी के दिन लोग अपनी बेटियों का विवाह नहीं करते हैं। लोगों का मानना है, कि विवाह पंचमी के दिन विवाह करने से कहीं सीता की तरह ही उनकी बेटी का वैवाहिक जीवन भी दुखमयी न हो जाए।
यही नहीं, विवाह पंचमी के दिन रामकथा का अंत राम और सीता के विवाह पर ही हो जाता है। दरअसल, दोनों के जीवन के आगे की कथा दुख और कष्ट से भरी है और इसका शुभ अंत करके ही कथा का समापन कर दिया जाता है।
~०~

“जय श्री राम”
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आनन्द भाव प्रवाह

06 Dec, 12:03


हरे राम राम राम राम राम हरे हरे हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे


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आनन्द भाव प्रवाह

06 Dec, 04:03


हरे राम राम राम राम राम हरे हरे हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे

🌺 आज का सुविचार 🌺

अपने आप को हर
परिश्थिति में
शांत रहने
के लिए तैयार करे.

🙇‍♂ जय श्री कृष्णा 🙇‍♂
🙏 सुप्रभात 🙏

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04 Dec, 02:21


हरे राम राम राम राम राम हरे हरे हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे

🌺 आज का सुविचार 🌺

किसी का जवाब ना आना
भी एक जवाब ही है की
अब वो इंसान आपके साथ
नही रहना चाहता आप भी
समझदारी के साथ फैसला
लीजिये और उसे उसके
हाल पर छोड़ दीजिए.

🙇‍♂ जय श्री कृष्णा 🙇‍♂
🙏 सुप्रभात 🙏

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03 Dec, 17:08


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03 Dec, 15:03


हरे राम राम राम राम राम हरे हरे हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे

*🌹🌹🙏🏻जय श्री कृष्णा🙏🏻🌹🌹*
. ๑;ु
,(-_-),
'\'''''.\'='-.
\/..\\,'
//"")
(\ /
\ |,
*👣Զเधे Զเधे👣*
🙏🌲🌹🌲🙏 *╚━━━━◈◈━━━━━❥*
*☆ ☆ ☆ ☆ ☆ ☆*
*┇ ┇ ┇ ┇ ┇ ♡*
*┇ ┇ ┇ ┇ ♡*
*┇ ┇ ┇ ♡*
*┇ ┇ ♡*
*┇ ♡*
*♡*

*साँवरे.....*
🌷वो मोद ना मुक्ति के मंदिर में🌷
🌷जो प्रमोद भरा ब्रजधाम में हैं🌷
🌷इतनी छवि राशि अनन्त कहाँ🌷
🌷जितनी सुन्दर छवि श्याम में हैं🌷
🌷शशि सिरोज लता पुष्प अभिराम में हैं🌷
🌷इतना सुख और कही भी नहीं🌷
🌷जितना सुख _कृष्ण_के नाम में हैं🌷

_*सांचो धन वृंदावन रे भैया।*_
कंचन कोटि-कोटि लों तजिए,
भजिए कृष्ण कन्हैया।।

जहां-तहां गोपी नाचत गावत,
मोहन वेणु बजैया।

श्री राधा के चरण कमल की,
कमला लेट बलैया।।

भागवत या की साख धरत है,
सांचो सुखदेव कहैया।

अतुर होय बन व्यास पुकारत,
है कोई रसिक सुनैया।।

*🌷जय🌹जय 🌷राधारमण🌹हरि🌷बोल🌹*


*श्री वृंदावन बाँके बिहारी लाल की जय*
*जय जय श्री राधे*
*_╚━━━◈ ◈━━━━❥*श्यामा प्यारी कुंजबिहारी श्री हरिदास दुलारी_*
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03 Dec, 15:03


हरे राम राम राम राम राम हरे हरे हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे


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03 Dec, 07:44


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02 Dec, 12:26


हरे राम राम राम राम राम हरे हरे हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे

Radhe Radhe 🙏🙏
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02 Dec, 05:11


हरे राम राम राम राम राम हरे हरे हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे

🌺 आज का सुविचार 🌺

जीवन में कुछ भी स्थायी
नहीं है इसलिए स्वयं को
अधिक तनावग्रस्त न करें,
क्योंकि परिस्थितियां चाहे
कितनी भी खराब हों,
बदलेंगी जरूर

🙇‍♂ जय श्री कृष्णा 🙇‍♂
🙏 सुप्रभात 🙏

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01 Dec, 05:09


हरे राम राम राम राम राम हरे हरे हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे

🌺 आज का सुविचार 🌺

भगवान से कुछ मांगना है
तो सदबुद्धिद मांगिए
बाकी सब अपने आप
मिल जायेगा

🙇‍♂ जय श्री कृष्णा 🙇‍♂
🙏 सुप्रभात 🙏

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30 Nov, 14:22


हरे राम राम राम राम राम हरे हरे हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे

राधे राधे 🙏

नहीं कुछ भी होता जहाँ में,
मुझे मेरा सांवरा वहाँ भी मिलता हैं

🙏🌹 जय श्री राधे कृष्ण 🌹🙏
🙏 शुभ रात्रि 🙏
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30 Nov, 11:08


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30 Nov, 02:58


हरे राम राम राम राम राम हरे हरे हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे


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29 Nov, 01:52


हरे राम राम राम राम राम हरे हरे हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे

🌺 आज का सुविचार 🌺

टूटी कलम और दूसरो से
जलन कभी खुद का
भाग्य लिखने नही देती

🙇‍♂ जय श्री कृष्णा 🙇‍♂
🙏 सुप्रभात 🙏

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28 Nov, 14:41


हरे राम राम राम राम राम हरे हरे हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे

*🩵⚜️श्री कृष्णा कृपा ⚜️🩵*

सदैव आप सब पर बनी रहे
⚜️⚜️
*हे प्रभु प्रेमियों*
आप घर से जब भी बाहर जायें
तो घर में विराजमान अपने
प्रभु से जरूर मिलकर जायें
और जब लौट कर आये तो
उनसे जरूर मिले।।
* क्योंकि *
उनको भी आपके घर लौटने का
इंतजार रहता है।।
*राधे🩵राधे*
*✍️कान्हा Ⓜ️ दीवाना 🙏*
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28 Nov, 02:59


हरे राम राम राम राम राम हरे हरे हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे

🌺 आज का सुविचार 🌺

जीवन की सबसे बड़ी
गलती वही होती है
जिस गलती से हम
कुछ सिख नही पाते है

🙇‍♂ जय श्री कृष्णा 🙇‍♂
🙏 सुप्रभात 🙏

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26 Nov, 02:02


हरे राम राम राम राम राम हरे हरे हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे

🌺 आज का सुविचार 🌺

यदि आप अमीर होने की
अनुभूति चाहते हैं तो
उन वस्तुओं पर विचार
करें जो जिन्हें पैसे से
नहीं खरीदा जा सकता है

🙇‍♂ जय श्री कृष्णा 🙇‍♂
🙏 सुप्रभात 🙏

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26 Nov, 01:32


हरे राम राम राम राम राम हरे हरे हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे

▪️🩷🩷🩷🩷▪️

*|||:श्री कृष्ण कृपा:|||*

*राधे:||:राधे||*

|आपका दिन आनंदमय हो|
*"""""""""""""":कान्हा:"""""""""""""*
‌ तुझ पर हक़ जताना
अच्छा लगता है||
*||:एक तू ही तो है:||*
जो अपना लगता है||
*मैं कान्हा का कान्हा मेरा*
*•••••कान्हा•••••*
चलो आज एक ऐलान करते हैं
राधे राधे कहने वाले कितने हैं
ये पहचान करते हैं||
*🙏कान्हा Ⓜ️दीवाना 🙏*
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24 Nov, 08:10


हरे राम राम राम राम राम हरे हरे हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे

Jai Shree Krishna......
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24 Nov, 04:25


हरे राम राम राम राम राम हरे हरे हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे

ॐ श्री सूर्यदेवयःनमः।।🙏🚩
ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय सहस्रकिरणराय मनोवांछित फलम् देहि देहि स्वाहा।🙏🚩
शुभ रविवार प्रातः वंदन,आप सभी का दिन खुशियों से भरा मंगलमय हो,जब आपके पास कोई न हो और आप मुस्कुराए तो समझ लीजिए आप वाकई में खुश हो और यही ख़ुशी आपकी सेहत हैं। देवेन्द्र वर्मा.🙏🏻
🚩 जय जय श्री राम 🚩
!! जय श्री हनुमान 🙏
🌺🍀🌺 🌺🍀🌺🌺🍀🌺🌺
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23 Nov, 11:36


हरे राम राम राम राम राम हरे हरे हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे

चुपके छलिये ने छला 💗फेंका ऐसा जाल😮‍💨
वृंदावन की चाह में 🤲 भक्त रहे बेहाल😐
होठों पर मुस्कान ले 😊 मिला नैन से नैन👀
इंतजार था मुझे भी 👆 बोला नटवर लाल👑
जय जय श्री राधे जय बांके बिहारी जी की🦯
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23 Nov, 08:43


हरे राम राम राम राम राम हरे हरे हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे

भगवान श्रीकृष्ण की मुस्कान में वो करुणा है,
जो हर दुख को हरने का सामर्थ्य रखती है।
उनकी मधुर मुस्कान को निहारते ही मन की
हर पीड़ा जैसे स्वतः ही समाप्त हो जाती है।
श्रीकृष्ण की मुस्कान में सुकून है, आनंद है,
और हर समस्या का समाधान है।

जब भी जीवन में घोर अंधकार हो,
बस कृष्ण की उस मुस्कान को याद करो,
सब राहें खुद-ब-खुद मिल जाएंगी। 😊

🌹जय श्री कृष्णा🌼
🌼जय श्री राधे🌹
🙏🚩🙏🚩🙏
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22 Nov, 18:09


हरे राम राम राम राम राम हरे हरे हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे


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22 Nov, 14:00


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21 Nov, 03:23


हरे राम राम राम राम राम हरे हरे हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे

🙏🌹 जय श्री महाँकाल 🌹🙏
श्री महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंगजी उज्जैन म, प्र, से आज के भस्म आरती श्रंगार दर्शन
🙏 २१ नवम्बर २०२४ ब्रहस्पतिवार 🙏
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21 Nov, 01:31


हरे राम राम राम राम राम हरे हरे हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे

🌺 आज का सुविचार 🌺

हर काम मुश्किल
होता है,
आसान होने से
पहले

🙇‍♂ जय श्री कृष्णा 🙇‍♂
🙏 सुप्रभात 🙏

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19 Nov, 11:09


हरे राम राम राम राम राम हरे हरे हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे

🦋🦋जय श्री सीताराम जी 🦋🦋
🌻🌻💥💥💐💐💥💥🌻🌻

भगवान शिव ने नारद जी को बहुत समझाया। अच्छा आप विचार करो, भगवान शिव कहते हैं कि न कोई ज्ञानी न कोई मूढ़-- ज्ञानी मूढ़ न कोय।

शंभु दीन्ह उपदेश हित
नहिं नारदहि सुहान।
भरद्वाज कौतुक सुनहु
हरि इच्छा बलवान।।

नहीं समझे नारद जी। क्योंकि भगवान की इच्छा ऐसी ही है।

इस संसार की गतिविधियों पर नहिं अधिकार किसी का है।
जिसको हम परमात्मा कहते यह सब खेल उसी का है।।
क्षण भर को भी नहीं छोड़ता सदा हमारे साथ में है।
काया की स्वांसा डोरी का तार उसी के हाथ में है।
हंसना रोना जीना मरना सब उसकी मर्जी का है।
जिसको हम परमात्मा कहते यह सब खेल उसी का है।।
निर्धन धनी हो निर्धन ज्ञानी मूढ़ मूरख ज्ञानी।
सब कुछ अदल बदल देने में कोई नहीं उसकी सानी।
समझदार भी समझ सके न ऐसा अजब तरीका है।
जिसको हम परमात्मा कहते यह सब खेल उसी का है।।
मिट्टी काली पीली हरे वन आसमान का रंग नीला।
सूर्य सुनहरा चन्द्रमा शीतल सब कुछ उसकी ही लीला।
सबके भीतर स्वयं छिप गया सृजनहार सृष्टी का है।
जिसको हम परमात्मा कहते यह सब खेल उसी का है।।
राजेश्वर आनन्द अगर सुख चाहो तो मानो शिक्षा।
तजि अभिमान मिला दो उसकी इच्छा में अपनी इच्छा।
यही भक्ति का भाव है प्यारे सूत्र यही मुक्ती का है।
जिसको हम परमात्मा कहते यह सब खेल उसी का है।।

अब नारद जी को समझाया शंकर जी ने। संभु दीन्ह उपदेश हित -- अब यहाँ उत्तर क्या दिया गया, यह बड़ा अद्भुत है। भगवान शंकर जी ने समझाया और नारद जी को समझाया और आश्चर्य कि समझाने वाले त्रिभुवन गुरु और समझने वाले परम वैष्णव, परम ज्ञानी, और नहीं समझे।

अच्छा एक बात और है। जब हम किसी को समझाएँ और वह न समझे, तो हमको भी तो समझ लेना चाहिए। समझाने वालोंं के साथ सबसे बड़ी कठिनाई यही है, वह समझाते तो हैं पर समझते नहीं हैं। समझाए चले जाते हैं और कई बार तो अपने अभिमान से जोड़ लेते हैं उस बात को, कि हमारी बात क्यों नहीं समझ रहे हो, सही बात क्यों नहीं समझ रहे हो?

और एक घटना मानस में ऐसी भी घटी। लोमश जी भी कागभुशुण्डि जी को समझा ही तो रहे थे, और कागभुशुण्डि जी नहीं समझे। तो लोमश जी को क्रोध आ गया और श्राप दे दिया -- कौवा हो जाओ। लोमश जी समझा ही रहे हैं समझ नहीं रहे हैं और यह घटना क्यों घटी? क्योंकि भक्त ने समझ लिया--

कृपा सिंधु मुनि मति करि भोरी।
लीन्हीं प्रीति परीक्षा मोरी।।

भगवान ही यह खेल करा रहे हैं।•••• तो लोमश जी आपको श्राप दे रहे हैं, आपको बुरा-भला कह रहे हैं, उनके चरणों में आप प्रणाम करके आए? कागभुशुण्डि जी बोले -- लोमश जी का तो बहाना है, लीला तो भगवान की है। श्राप देने में भी वे देखते हैं कि भगवान की लीला है, इनके माध्यम से हो रही है। यह भक्त की समझ है और जब लोमश जी ने दुबारा बुलाया। तो कहा कि लोमश जी अब बदल गये। पहले बिगड़ रहे थे अब सुधर गये?

कागभुशुण्डि जी बोले -- न वह बिगड़े थे, न वह अब सुधरे हैं। ••••फिर? बोले -- यह जो परिवर्तन है, तो

मुनि मति पुनि फेरी भगवाना।

भगवान की इच्छा, जो समझ ले वही समझदार है और यहाँ शंकर जी समझ लेते हैं कि भगवान की यही इच्छा है। नारद जी को बहुत समझाया पर नारद जी नहीं समझे। याज्ञवल्क्य जी भरद्वाज जी से कहते हैं कि जानते हो क्यों नहीं समझे? •••क्यों। •• याज्ञवल्क्य जी बोले -- हम भी शंकर जी की शिष्य परम्परा में हैं। हम अच्छी तरह जानते हैं। ••• क्या?

संभु दीन्ह उपदेश हित
नहिं नारदहि सुहान।
भरद्वाज कौतुक सुनहु
हरि इच्छा बलवान।।

भगवान की इच्छा अत्यन्त शक्तिशाली है, तो कौन समझेगा? शंकर जी भी समझाएँ और नारद जी तक न समझें। क्यों नहीं? हरि इच्छा नहीं है। समझता कौन है?

सोइ जानहि जेहि देहु जनाई।
जानत तुम्हहि तुम्हहि होइ जाई।।

शंकर जी के समझाने से समझे ही नहीं नारद जी। अच्छा कभी-कभी तो बड़ी विचित्र बात होती है। ज्यादा समझाओ और उससे यह आशा रखो कि ये ठीक समझ रहे हैं। कई बार समझने वाले उल्टा ही समझते जाते हैं, उल्टा। कुछ समझाओ, कुछ समझें।

(स्वामी श्री राजेश्वरानंद जी महाराज)
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19 Nov, 11:09


हरे राम राम राम राम राम हरे हरे हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे


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19 Nov, 02:08


हरे राम राम राम राम राम हरे हरे हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे

🌺 आज का सुविचार 🌺

जहा बदलना
जरूरी हो जाता है,
वहां बदलना
सीखिए

🙇‍♂ जय श्री कृष्णा 🙇‍♂
🙏 सुप्रभात 🙏

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17 Nov, 05:00


हरे राम राम राम राम राम हरे हरे हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे


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16 Nov, 19:01


हरे राम राम राम राम राम हरे हरे हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे

हंसकर बोलीं प्यारी राधा💗 श्री बांके बिहारी से🦯
आया है इक भक्त👆 मांग रहा कुछ गिरधारी से🤲
बोले नटवर 👑 मैं इसको तो बिन मांगे सब दे दूं😊
ये नाम अगर ले संग तुम्हारा🙌 एक भी बारी से👆
जय जय श्री राधे जय श्री बांके बिहारी लाल जी🙏
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15 Nov, 18:40


हरे राम राम राम राम राम हरे हरे हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे

सभी उठ गए हैं,तो आप भी प्रभु राम का नाम लें

#जय_श्री_राम🚩🙏💥🌸🌺
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14 Nov, 08:22


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13 Nov, 17:29


हरे राम राम राम राम राम हरे हरे हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे

जय श्री राधे
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13 Nov, 14:41


हरे राम राम राम राम राम हरे हरे हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे


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13 Nov, 01:33


हरे राम राम राम राम राम हरे हरे हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे

🌺 आज का सुविचार 🌺

"लगन" एक छोटा सा
शब्द है लेकिन जिसे
लग जाती है
उसका जीवन बदल देती है

🙇‍♂ जय श्री कृष्णा 🙇‍♂
🙏 सुप्रभात 🙏

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12 Nov, 17:40


हरे राम राम राम राम राम हरे हरे हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे

#तुलसी_विवाह की पुरानी मान्यता के अनुसार, यह भगवान विष्णु और तुलसी देवी के विवाह का प्रसंग है। पुराणों और #हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार, तुलसी को देवी लक्ष्मी का रूप माना गया है, और उनका विवाह विष्णु के एक रूप, शालिग्राम (जो एक शिला है), के साथ होता है।

तुलसी विवाह का महत्व यह है कि इसके साथ ही हिंदू धर्म में विवाह के अवसर शुरू हो जाते हैं। #देवउठनी_एकादशी के दिन भगवान विष्णु अपने चार महीने के निद्रा से जागते हैं, और इसी दिन तुलसी विवाह का उत्सव मनाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन तुलसी देवी का पूजन कर भगवान विष्णु को प्रसन्न किया जाता है और इससे घर में सुख, शांति और समृद्धि का वास होता है।
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12 Nov, 03:44


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11 Nov, 18:44


हरे राम राम राम राम राम हरे हरे हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे


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11 Nov, 02:23


हरे राम राम राम राम राम हरे हरे हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे

🌺 आज का सुविचार 🌺

अगर हम खुद की माने
और विश्वाश करे तो
हमारा हर
कदम सफलता है

🙇‍♂ जय श्री कृष्णा 🙇‍♂
🙏 सुप्रभात 🙏

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10 Nov, 08:12


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10 Nov, 08:00


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09 Nov, 15:42


अक्षय नवमी इस वर्ष 10 नवंबर को मनाई जाएगी

आँवला नवमी
गोपाष्टमी से अगले दिन ही कार्तिक शुक्ल पक्ष की नवमी को आमला नौमी के नाम से मनाया जाता है. जैसा की नाम से ही स्पष्ट है इस दिन आँवले के वृक्ष की पूजा की जाती है. दीया व धूप जलाकर आँवले के वृक्ष की 108 बार परिक्रमा की जानी चाहिए. अपनी सामर्थ्यानुसार ब्राह्मण को दान दक्षिणा दी जाती है. इस दिन भोजन में आँवले का सेवन जरुर करना चाहिए.

आँवला नवमी की कहानी

प्राचीन समय में एक आँवलिया राजा था वह रोज एक मन सोने के आँवले दान करता था और उसके बाद ही भोजन करता था. एक बार उसके बहू-बेटे सोचने लगे कि अगर यह रोज इसी तरह दान करता रहा तो एक दिन सारा धन समाप्त हो जाएगा. एक दिन उसके एक पुत्र ने राजा से कहा कि आप आँवले का दान बंद कर दें नहीं तो सारा धन खतम हो जाएगा. यह सुनकर राजा व रानी महल छोड़ एक उजाड़ स्थान पर आ गए और आँवला दान ना करने की स्थिति में उन दोनों ने भोजन नहीं किया. यह देख भगवान सोचने लगे कि यदि हमने इसका मान नहीं रखा तो संसार में कोई हमें कैसे मानेगा ! भगवान ने राजा को सपने में कहा कि तुम उठो और देखो कि तुम्हारी पहले जैसी रसोई हो गई है और आँवले का पेड़ भी लगा है, दान करके तुम भोजन कर लो.

राजा ने उठकर देखा तो पहले जैसा राजपाट हो गया है और सोने के आँवले का वृक्ष भी लगा है. यह देख राजा-रानी दोनो ने सवा मन सोने के आँवले तोड़े व उनका दान कर के फिर भोजन किया. दूसरी ओर राजा के बेटे व बहू से अन्नपूर्णा का बैर हो गया, यह देख आसपास के लोगों ने उनसे कहा कि पास ही जंगल में एक आँवलिया राजा है तुम उनके पास चले जाओ वह तुम्हारा कष्ट दूर कर देगें.

बहू-बेटे राजा के पास सहायता के लिए पहुंचे और रानी ने उन दोनों को पहचान लिया. रानी ने राजा से कहा कि इनसे हम काम लेगें लेकिन काम कम कराएंगे पर मजदूरी ज्यादा दे देगें. एक दिन रानी ने बहू से कहा कि मेरा सिर धो दे. बहू सिर धोने लगी और उसकी आँख से आँसू निकलकर रानी की पीठ पर गिर गया. रानी ने कहा कि मेरी पीठ पर आँसू क्यों गिरा? मुझे इसका कारण बताओ. बहू बोली कि मेरी सास की पीठ पर भी ऎसा ही मस्सा है जैसा आपकी पीठ पर है. वह रोज सवा मन सोने के आँवले का दान करते थे जिससे हमने सास-ससुर को घर से निकाल दिया.

बहू के आँसू देख रानी ने कहा कि हम ही तुम्हारे सास-ससुर हैं. भगवान ने हमारा सत्त रख लिया और हमें फिर से सब कुछ दे दिया जिसकी वजह से हम दान कर रहे हैं. हे भगवान ! जैसे आपने राजा-रानी की सुनी वैसे ही आप सभी की सुनना.

इसके बाद बिन्दायक जी की कहानी कहते हैं –

बिन्दायक जी की कहानी

एक बार एक छोटा लड़का किसी बात पर लड़कर घर से चला गया. कहने लगा कि आज मैं बिन्दायक जी से मिलकर ही घर जाऊँगा. लड़का चलते-चलते उजाड़ जगह पर पहुंच गया तब बिन्दायक जी सोचने लगे कि इसने मेरे नाम से ही घर छोड़ा है. मुझे इसकी सहायता करनी होगी अन्यथा उजाड़ में शेर आदि इसे खा सकते हैं. बिन्दायक जी बूढ़े व्यक्ति के भेष में आकर बोले कि लड़के तू कहाँ से आया है और कहाँ जा रहा है? इस पर वह बोला कि मैं तो बिन्दायक जी से मिलने जा रहा हूँ. बिन्दायक जी ने कहा कि मैं ही बिन्दायक हूँ, बोल तू क्या माँगता है! लेकिन जो भी माँगना वह एक बार में ही माँग लेना.

बिन्दायक जी की बात सुनकर लड़का बोला कि मैं क्या माँगू! फिर बोला कि क्या माँगू बाप की कमाई, हाथी की सवारी, दाल-भात मुठ्ठी परासें, ढोकता मुठ्ठी भर कर डोल, स्त्री ऎसी कि जैसे फूल गुलाब का. बिन्दायक जी कहने लगे कि लड़के तूने सब कुछ माँग लिया. जो तूने कहा है सब वैसा ही हो जाएगा. घर वापिस आने पर उसने देखा कि छोटी सी बहू चौकी पर बैठी है और घर में बहुत धन हो गया है. लड़का माँ से बोला कि माँ देख कितना धन हो गया है, यह मैं बिन्दायक जी से माँग कर लाया हूँ. हे बिन्दायक जी महाराज जैसे आपने लड़के को धन दिया वैसे ही आप सभी की सुने.

आंवला नवमी का महत्व इसी बात से समझा जा सकता है क्योंकि इसी दिन द्वापर युग का प्रारंभ हुआ था, जिसमें स्वयं भगवान श्रीकृष्ण ने जन्म लिया था।

आंवला नवमी के दिन ही भगवान श्रीकृष्ण ने वृंदावन-गोकुल की गलियां छोड़कर मथुरा प्रस्थान किया था। संतान और पारिवारिक सुखों की प्राप्ति के लिए रखा जाता है व्रत इस दिन उन्होंने अपनी बाल लीलाओं का त्याग करके कर्तव्य के पथ पर पहला कदम रखा था।

इसी दिन से वृंदावन की परिक्रमा भी प्रारंभ होती है। आंवला नवमी का व्रत संतान और पारिवारिक सुखों की प्राप्ति के लिए किया जाता है। यह व्रत पति-पत्नी साथ में रखें तो उन्हें इसका दोगुना शुभ फल प्राप्त होता है।

आंवला नवमी के दिन स्नान आदि करके किसी आंवला वृक्ष के समीप जाएं। उसके आसपास साफ-सफाई करके आंवला वृक्ष की जड़ में शुद्ध जल अर्पित करें। फिर उसकी जड़ में कच्चा दूध डालें।

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09 Nov, 15:42


हरे राम राम राम राम राम हरे हरे हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे

पूजन सामग्रियों से वृक्ष की पूजा करें और उसके तने पर कच्चा सूत या मौली 8 परिक्रमा करते हुए लपेटें। कुछ जगह 108 परिक्रमा भी की जाती है। इसके बाद परिवार के सुख-समृद्धि की कामना करके वृक्ष के नीचे ही बैठकर परिवार, मित्रों सहित भोजन किया जाता है।

आंवला को वेद-पुराणों में अत्यंत उपयोगी और पूजनीय कहा गया है। आंवला का संबंध कनकधारा स्तोत्र से भी है।

आंवला नवमी और शंकराचार्य की कथा-

एक कथा के अनुसार एक बार जगद्गुरु आदि शंकराचार्य भिक्षा मांगने एक कुटिया के सामने रुके। वहां एक बूढ़ी औरत रहती थी, जो अत्यंत गरीबी और दयनीय स्थिति में थी। शंकराचार्य की आवाज सुनकर वह बूढ़ी औरत बाहर आई। उसके हाथ में एक सूखा आंवला था। वह बोली महात्मन मेरे पास इस सूखे आंवले के सिवाय कुछ नहीं है जो आपको भिक्षा में दे सकूं।

शंकराचार्य को उसकी स्थिति पर दया आ गई और उन्होंने उसी समय उसकी मदद करने का प्रण लिया। उन्होंने अपनी आंखें बंद की और मंत्र रूपी 22 श्लोक बोले। ये 22 श्लोक कनकधारा स्तोत्र के श्लोक थे।

मां लक्ष्मी ने दिव्य दर्शन दिए इससे प्रसन्न होकर मां लक्ष्मी ने उन्हें दिव्य दर्शन दिए और कहा कि शंकराचार्य, इस औरत ने अपने पूर्व जन्म में कोई भी वस्तु दान नहीं की। यह अत्यंत कंजूस थी और मजबूरीवश कभी किसी को कुछ देना ही पड़ जाए तो यह बुरे मन से दान करती थी। इसलिए इस जन्म में इसकी यह हालत हुई है। यह अपने कर्मों का फल भोग रही है इसलिए मैं इसकी कोई सहायता नहीं कर सकती।

शंकराचार्य ने देवी लक्ष्मी की बात सुनकर कहा- हे महालक्ष्मी इसने पूर्व जन्म में अवश्य दान-धर्म नहीं किया है, लेकिन इस जन्म में इसने पूर्ण श्रद्धा से मुझे यह सूखा आंवला भेंट किया है। इसके घर में कुछ नहीं होते हुए भी इसने यह मुझे सौंप दिया। इस समय इसके पास यही सबसे बड़ी पूंजी है, क्या इतना भेंट करना पर्याप्त नहीं है। शंकराचार्य की इस बात से देवी लक्ष्मी प्रसन्न हुई और उसी समय उन्होंने गरीब महिला की कुटिया में स्वर्ण के आंवलों की वर्षा कर दी।
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09 Nov, 15:42


हरे राम राम राम राम राम हरे हरे हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे


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09 Nov, 15:40


हरे राम राम राम राम राम हरे हरे हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे


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08 Nov, 18:22


हरे राम राम राम राम राम हरे हरे हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे


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08 Nov, 07:26


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07 Nov, 02:21


हरे राम राम राम राम राम हरे हरे हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे

Radhe radhe 🌺
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07 Nov, 01:38


हरे राम राम राम राम राम हरे हरे हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे

🌺 आज का सुविचार 🌺

सुख मै सो मिले दुःख
में मिले न एक
साथ कष्ट में रहे वही
मित्र है नेक

🙇‍♂ जय श्री कृष्णा 🙇‍♂
🙏 सुप्रभात 🙏

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06 Nov, 18:20


हरे राम राम राम राम राम हरे हरे हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे

*राधे नाम संग हरि बोल*

*🌷मन और पानी🌷*

📖🏯📕🔔📕🏯📖
_*🏯🏃🏼श्रीमद् भागवतम में राजा रहूगण कहते हैं::→↓*_

_*🏯🏃🏼“यह मनुष्य जन्म समस्त योनियों में श्रेष्ठ है, यहाँ तक कि स्वर्ग में देवताओं के बीच जन्म लेना उतना यशपूर्ण नहीं जितना इस पृथ्वी पर मनुष्य के रूप में जन्म लेना ।*_

_*🏯🏃🏼स्वर्गलोक में अथाह भोग-सामग्री के कारण देवताओं को भक्तों की संगति का अवसर ही नहीं मिलता” ।*_

_*🏯🏃🏼श्रीमद् भागवतम में ब्रह्माजी इसकी पुष्टि करते हुए कहते हैं::→↓*_

_*🏯🏃🏼“मनुष्य जीवन इतना महत्वपूर्ण है कि देवता भी मनुष्य शरीर की कामना करते हैं क्योंकि मनुष्य जीवन में ही भक्ति संपन्न की जा सकती है” |*_

_*🏯🏃🏼इसलिए बुद्धिमान व्यक्ति को चाहिए कि अन्य सारे कार्यो को छोड़ कर भक्ति-कार्यो में जुट जाये क्योकि इसी से सारी सिद्धि प्राप्त की जा सकती है |*_

🌸🌷🌹🌻🌼🌻🌹🌷🌸

🙏🏻🤓 *हरे कृष्णा।...हरे रामा।।...*
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06 Nov, 10:50


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06 Nov, 06:42


हरे राम राम राम राम राम हरे हरे हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे

जय श्री राम

इसे सेव कर सुरक्षित कर लें, ऐसी पोस्ट कम ही आती है..

विश्व का सबसे बड़ा और वैज्ञानिक समय गणना तन्त्र (ऋषि मुनियों द्वारा किया गया अनुसंधान)...अंत तक जरुर पढ़े🧵
■ काष्ठा = सैकन्ड का 34000 वाँ भाग
■ 1 त्रुटि = सैकन्ड का 300 वाँ भाग
■ 2 त्रुटि = 1 लव ,
■ 1 लव = 1 क्षण
■ 30 क्षण = 1 विपल ,
■ 60 विपल = 1 पल
■ 60 पल = 1 घड़ी (24 मिनट ) ,
■ 2.5 घड़ी = 1 होरा (घन्टा )
■3 होरा=1प्रहर व 8 प्रहर 1 दिवस (वार)
■ 24 होरा = 1 दिवस (दिन या वार) ,
■ 7 दिवस = 1 सप्ताह
■ 4 सप्ताह = 1 माह ,
■ 2 माह = 1 ऋतू
■ 6 ऋतू = 1 वर्ष ,
■ 100 वर्ष = 1 शताब्दी
■ 10 शताब्दी = 1 सहस्राब्दी ,
■ 432 सहस्राब्दी = 1 युग
■ 2 युग = 1 द्वापर युग ,
■ 3 युग = 1 त्रैता युग ,
■ 4 युग = सतयुग
■ सतयुग + त्रेतायुग + द्वापरयुग + कलियुग = 1 महायुग
■ 72 महायुग = मनवन्तर ,
■ 1000 महायुग = 1 कल्प
■ 1 नित्य प्रलय = 1 महायुग (धरती पर जीवन अन्त और फिर आरम्भ )
■ 1 नैमितिका प्रलय = 1 कल्प ।(देवों का अन्त और जन्म )
■ महालय = 730 कल्प ।(ब्राह्मा का अन्त और जन्म )
सम्पूर्ण विश्व का सबसे बड़ा और वैज्ञानिक समय गणना तन्त्र यहीं है जो हमारे देश भारत में बना हुआ है । ये हमारा भारत जिस पर हमे गर्व होना चाहिये l
दो लिंग : नर और नारी ।
दो पक्ष : शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष।
दो पूजा : वैदिकी और तांत्रिकी (पुराणोक्त)।
दो अयन : उत्तरायन और दक्षिणायन।
तीन देव : ब्रह्मा, विष्णु, शंकर।
तीन देवियाँ : महा सरस्वती, महा लक्ष्मी, महा गौरी।
तीन लोक : पृथ्वी, आकाश, पाताल।
तीन गुण : सत्वगुण, रजोगुण, तमोगुण।
तीन स्थिति : ठोस, द्रव, वायु।
तीन स्तर : प्रारंभ, मध्य, अंत।
तीन पड़ाव : बचपन, जवानी, बुढ़ापा।
तीन रचनाएँ : देव, दानव, मानव।
तीन अवस्था : जागृत, मृत, बेहोशी।
तीन काल : भूत, भविष्य, वर्तमान।
तीन नाड़ी : इडा, पिंगला, सुषुम्ना।
तीन संध्या : प्रात:, मध्याह्न, सायं।
तीन शक्ति : इच्छाशक्ति, ज्ञानशक्ति, क्रियाशक्ति।
चार धाम : बद्रीनाथ, जगन्नाथ पुरी, रामेश्वरम्, द्वारका।
चार मुनि : सनत, सनातन, सनंद, सनत कुमार।
चार वर्ण : ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र।
चार निति : साम, दाम, दंड, भेद।
चार वेद : सामवेद, ॠग्वेद, यजुर्वेद, अथर्ववेद।
चार स्त्री : माता, पत्नी, बहन, पुत्री।
चार युग : सतयुग, त्रेतायुग, द्वापर युग, कलयुग।
चार समय : सुबह, शाम, दिन, रात।
चार अप्सरा : उर्वशी, रंभा, मेनका, तिलोत्तमा।
चार गुरु : माता, पिता, शिक्षक, आध्यात्मिक गुरु।
चार प्राणी : जलचर, थलचर, नभचर, उभयचर।
चार जीव : अण्डज, पिंडज, स्वेदज, उद्भिज।
चार वाणी : ओम्कार्, अकार्, उकार, मकार्।
चार आश्रम : ब्रह्मचर्य, ग्राहस्थ, वानप्रस्थ, सन्यास
चार भोज्य : खाद्य, पेय, लेह्य, चोष्य।
चार पुरुषार्थ : धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष।
चार वाद्य : तत्, सुषिर, अवनद्व, घन।
पाँच तत्व : पृथ्वी, आकाश, अग्नि, जल, वायु।
पाँच देवता : गणेश, दुर्गा, विष्णु, शंकर, सुर्य।
पाँच ज्ञानेन्द्रियाँ : आँख, नाक, कान, जीभ, त्वचा।
पाँच कर्म : रस, रुप, गंध, स्पर्श, ध्वनि।
पाँच उंगलियां : अँगूठा, तर्जनी, मध्यमा, अनामिका, कनिष्ठा।
पाँच पूजा उपचार : गंध, पुष्प, धुप, दीप, नैवेद्य।
पाँच अमृत : दूध, दही, घी, शहद, शक्कर।
पाँच प्रेत : भूत, पिशाच, वैताल, कुष्मांड, ब्रह्मराक्षस।
पाँच स्वाद : मीठा, चर्खा, खट्टा, खारा, कड़वा।
पाँच वायु : प्राण, अपान, व्यान, उदान, समान।
पाँच इन्द्रियाँ : आँख, नाक, कान, जीभ, त्वचा, मन।
पाँच वटवृक्ष : सिद्धवट (उज्जैन), अक्षयवट (Prayagraj), बोधिवट (बोधगया), वंशीवट (वृंदावन), साक्षीवट (गया)।
पाँच पत्ते : आम, पीपल, बरगद, गुलर, अशोक।
पाँच कन्या : अहिल्या, तारा, मंदोदरी, कुंती, द्रौपदी।
छ: ॠतु : शीत, ग्रीष्म, वर्षा, शरद, बसंत, शिशिर।
छ: ज्ञान के अंग : शिक्षा, कल्प, व्याकरण, निरुक्त, छन्द, ज्योतिष।
छ: कर्म : देवपूजा, गुरु उपासना, स्वाध्याय, संयम, तप, दान।
छ: दोष : काम, क्रोध, मद (घमंड), लोभ (लालच), मोह, आलस्य।
सात छंद : गायत्री, उष्णिक, अनुष्टुप, वृहती, पंक्ति, त्रिष्टुप, जगती।
सात स्वर : सा, रे, ग, म, प, ध, नि।
सात सुर : षडज्, ॠषभ्, गांधार, मध्यम, पंचम, धैवत, निषाद।
सात चक्र : सहस्त्रार, आज्ञा, विशुद्ध, अनाहत, मणिपुर, स्वाधिष्ठान, मुलाधार।
सात वार : रवि, सोम, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि।
सात मिट्टी : गौशाला, घुड़साल, हाथीसाल, राजद्वार, बाम्बी की मिट्टी, नदी संगम, तालाब।
सात महाद्वीप : जम्बुद्वीप (एशिया), प्लक्षद्वीप, शाल्मलीद्वीप, कुशद्वीप, क्रौंचद्वीप, शाकद्वीप, पुष्करद्वीप

जय सनातन धर्म
जय भारत
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06 Nov, 06:42


हरे राम राम राम राम राम हरे हरे हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे


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03 Nov, 18:13


हरे राम राम राम राम राम हरे हरे हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे

Om namah shivay
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03 Nov, 03:55


हरे राम राम राम राम राम हरे हरे हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे

Happy bhayi dooj
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02 Nov, 18:10


हरे राम राम राम राम राम हरे हरे हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे

कबीर मन तो एक है, भावै तहाँ लगाव
भावै हरि भक्ति करै, भावै विषय कमाव
.
संत कबीर जी कहते हैं कि मन तो एक ही है, जहाँ अच्छा लगे वहाँ लगा लो।
चाहे हरि भक्ति करो, चाहे विषय विकार कमाओ।
.
दूसरे शब्दों में..
सब के पास एक ही तो मन है, जिन्हें प्रभु भक्ति भाती है, अच्छी लगती है, वह भक्ति में ही लीन रहते हैं..
.
और जिन्हें विषय-विकार भाते हैं वे हर समय उन्हीं में ही उलझे रहते हैं।
.
Bhakti Kathayen भक्ति कथायें.
~~~~~
((((((( जय जय श्री राधे )))))))
~~~~~
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01 Nov, 19:28


हरे राम राम राम राम राम हरे हरे हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे


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01 Nov, 15:53


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31 Oct, 18:43


हरे राम राम राम राम राम हरे हरे हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे

Happy Diwali
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31 Oct, 11:09


हरे राम राम राम राम राम हरे हरे हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे

🪔 दिपावली के बाद भी चंद दीपक 🪔
जला के रखना......🌹‼️

एक दीपक आस का
एक दीपक विश्वास का
एक दीपक प्रेम का
एक दीपक शांति का
एक दीपक मुस्कुराहट का
एक दीपक अपनों के साथ का
एक दीपक स्वास्थ का
एक दीपक भाईचारे का
एक दीपक बड़ों के आशीर्वाद का
एक दीपक छोटों के दुलार का
एक दीपक निस्वार्थ सेवा का...!!!💓

इन ग्यारह दीपको के साथ बिताना अगले ग्यारह महीने, फिर दीपावली आ जाएगी। फिर नए दीपक जला लेना...🌹🙏‼️

🙏🌹*एक बार पुनः दिपावली की हार्दिक शुभकामनाएं...🙏🌹*

🚩🌷🪔🌹😊🙏🏻🌼🌼🙏🏻😊🌹🪔🌷🚩
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31 Oct, 04:11


हरे राम राम राम राम राम हरे हरे हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे

🌺 आज का सुविचार 🌺

जीवन वो फूल है,
जिसमें कांटे तो बहुत है,
मगर सौन्दर्य
की भी कोई कमी नहीं

🙇‍♂ जय श्री कृष्णा 🙇‍♂
🙏 सुप्रभात 🙏

Radhe Krishna     ━━━━✧❂✧━━━━     ♡ ㅤ    ❍ㅤ     ⎙ㅤ     ⌲    ˡᶦᵏᵉ   ᶜᵒᵐᵐᵉⁿᵗ    ˢᵃᵛᵉ      ˢʰᵃʳᵉ
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आनन्द भाव प्रवाह

30 Oct, 01:42


हरे राम राम राम राम राम हरे हरे हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे

जय श्री गणेश जी की जय
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आनन्द भाव प्रवाह

29 Oct, 01:33


हरे राम राम राम राम राम हरे हरे हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे

🌺 आज का सुविचार 🌺

अधेरा वहां नहीं है
जहां तन गरीब है
अंधेरा वहां है
जहां मन गरीब है


🙇‍♂ जय श्री कृष्णा 🙇‍♂
🙏 सुप्रभात 🙏

Radhe Krishna     ━━━━✧❂✧━━━━     ♡ ㅤ    ❍ㅤ     ⎙ㅤ     ⌲    ˡᶦᵏᵉ   ᶜᵒᵐᵐᵉⁿᵗ    ˢᵃᵛᵉ      ˢʰᵃʳᵉ

आनन्द भाव प्रवाह

28 Oct, 18:48


हरे राम राम राम राम राम हरे हरे हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे

यम दीप की पूजा के बाद धन्वन्तरि पूजा की जाती है।
पूजा घर में बैठ कर धूप, दीप (घी का दीया मिट्टी की दीये में), अक्षत, चन्दन और नैवेद्य के द्वारा भगवान धन्वन्तरि का पूजन करें। पूजन के बाद धन्वन्तरि के मंत्र का 108 बार जप करें:- “ॐ धं धन्वन्तरये नमः”
जाप के पूर्ण करने के बाद दोनों हाथों को जोड़कर प्रार्थना करें–‘हे भगवान धन्वन्तरि ये जाप मैं आपके चरणों में समर्पित करता हूँ। कृप्या हमें उत्तम स्वास्थ प्रदान करे।’
धन्वन्तरि की पूजा हो जाने पर अन्त में लक्ष्मीजी का घी का दीपक जला कर पूजन करें ताकि श्रीलक्ष्मीजी की कृपा अदृश्य रूप में आपके घर परिवार पर वर्षभर बनी रहे।

‘आवश्यक सामग्री’

एक आटे का दीपक, तीन मिट्टी के दीपक (धन्वन्तरि, यम और लक्ष्मी जी के लिये), बत्ती रूई की, सरसों का तेल/घी, माचिस, एक छेद वाली कौड़ी, फूल, चावल, रोली, गंगाजल, चम्मच, चीनी/शक्कर, आसन, मिठाई/नैवैद्य, धूप और धूपदान तथा एक चौकी।
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॥जय जय श्री राधे॥
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आनन्द भाव प्रवाह

28 Oct, 18:48


लक्ष्मीजी से रहा न गया और जैसे ही भगवान आगे बढ़े लक्ष्मी भी पीछे-पीछे चल पड़ीं। कुछ ही आगे जाने पर उन्हें सरसों का एक खेत दिखाई दिया जिसमें खूब फूल लगे थे।
सरसों की शोभा देखकर वह मन्त्रमुग्ध हो गईं और फूल तोड़कर अपना श्रृंगार करने के बाद आगे बढ़ीं। आगे जाने पर एक गन्ने के खेत से लक्ष्मीजी गन्ने तोड़कर रस चूसने लगीं। उसी क्षण विष्णुजी आए और यह देख लक्ष्मीजी पर नाराज होकर उन्हें शाप दे दिया।
विष्णुजी ने कहा–‘मैंने तुम्हें इधर आने को मना किया था, पर तुम न मानी और किसान की चोरी का अपराध कर बैठी। अब तुम इस अपराध के जुर्म में इस किसान की 12 वर्ष तक सेवा करो। ऐसा कहकर भगवान उन्हें छोड़कर क्षीरसागर चले गए।’ तब लक्ष्मी जी उस गरीब किसान के घर रहने लगीं।
एक दिन लक्ष्मीजी ने उस किसान की पत्नी से कहा–‘तुम स्नान कर पहले मेरी बनाई गई इस देवी लक्ष्मी का पूजन करो, फिर रसोई बनाना, तब तुम जो माँगोगी मिलेगा।’
किसान की पत्नी ने ऐसा ही किया। पूजा के प्रभाव और लक्ष्मी की कृपा से किसान का घर दूसरे ही दिन से अन्न, धन, रत्न, स्वर्ण आदि से भर गया।’
लक्ष्मी ने किसान को धन-धान्य से पूर्ण कर दिया। किसान के 12 वर्ष बड़े आनन्द से कट गए। फिर 12 वर्ष के बाद लक्ष्मीजी जाने के लिए तैयार हुईं। विष्णुजी लक्ष्मीजी को लेने आए तो किसान ने उन्हें भेजने से इन्कार कर दिया।
तब भगवान ने किसान से कहा–‘इन्हें कौन जाने देता है, यह तो चंचला हैं, कहीं नहीं ठहरतीं। इनको बड़े-बड़े नहीं रोक सके। इनको मेरा शाप था इसलिए 12 वर्ष से तुम्हारी सेवा कर रही थीं। तुम्हारी 12 वर्ष सेवा का समय पूरा हो चुका है।’
किसान हठपूर्वक बोला–‘नहीं अब मैं लक्ष्मीजी को नहीं जाने दूँगा।’
लक्ष्मीजी ने कहा–‘हे किसान! तुम मुझे रोकना चाहते हो तो जो मैं कहूँ वैसा करो। कल तेरस है। तुम कल घर को लीप-पोतकर स्वच्छ करना। रात्रि में घी का दीपक जलाकर रखना और सायंकाल मेरा पूजन करना और एक ताँबे के कलश में रुपए भरकर मेरे लिए रखना, मैं उस कलश में निवास करूँगी। किन्तु पूजा के समय मैं तुम्हें दिखाई नहीं दूँगी। इस एक दिन की पूजा से वर्ष भर मैं तुम्हारे घर से नहीं जाऊँगी।’
यह कहकर वह दीपकों के प्रकाश के साथ दसों दिशाओं में फैल गईं। अगले दिन किसान ने लक्ष्मीजी के कथानुसार पूजन किया। उसका घर धन-धान्य से पूर्ण हो गया। इसी वजह से हर वर्ष तेरस के दिन लक्ष्मीजी की पूजा होने लगी।

‘पूजन विधि’

धनतेरस की पूजा दीपावली के पहले कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी के दिन मनाया जाता है। इस दिन भगवान धनवन्तरि की पूजा की जाती है साथ ही यमराज के लिए घर के बाहर दीप जला कर रखा जाता है जिसे यम दीप कहते हैं।
कहा जाता है की यमराज के लिए दीप जलने से अकाल मृत्यु का भय नष्ट हो जाता है। ऐसी ही अनेकानेक पोस्ट पढ़ने के लिये हमारा फेसबुक पेज ‘श्रीजी की चरण सेवा’ को लाईक एवं फॉलो करें। अब आप हमारी पोस्ट व्हाट्सएप चैनल पर भी देख सकते हैं। चैनल लिंक हमारी फेसबुक पोस्टों में देखें। ऐसा कहा जाता है कि देवताओं और राक्षसों के बीच समुद्र मन्थन के बाद, धनवन्तरी जी, अमृत के कलश हाथ मे धारण किये हुए समुद्र से बाहर आए थे। इस कारण धनतेरस को धनवन्तरी जयन्ती भी कहा जाता है।
धनतेरस के इस शुभ दिन पर, देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती है और प्रार्थना की जाती है कि भकजनों पर माँ हमेशा समृद्धि और सुख की वर्षा करते रहे । इस दिन भगवान गणेश और देवी लक्ष्मी की मूर्तियों भी बाजार से खरीदी जाती है जिसका पूजन दीवाली के दिन किया जाता है।
धनतेरस पूजा में सबसे पहले संध्या को यम दीप की पूजा की जाती है उसके बाद भगवान धन्वन्तरि की पूजा होती है और फिर गणेश लक्ष्मी की पूजा की जाती है।

यम दीप पूजन विधि

चौकी को धो कर सुखा लें। उस चौकी के बीचोंबीच रोली घोल कर 卐(स्वास्तिक या सतिया) बनायें। इस 卐(स्वास्तिक या सतिया) पर सरसों तेल का दीपक (गेहूँ के आटे से बना हुआ) जलायें। उस दीपक में छेद वाली कौड़ी को डाल दें।
दीपक के चारों ओर गंगा जल से तीन बार छींटा दें। इसके बाद हाथ में रोली लें और रोली से दीपक पर तिलक लगायें। रोली पर चावल लगायें। फिर दीपक के अन्दर थोड़ी चीनी/शक्कर डाल दें। इसके बाद एक रुपए का सिक्का दीपक के अन्दर डाल दें। दीपक पर फूल समर्पित करें। सभी उपस्थित जन दीपक को हाथ जोड़कर प्रणाम करें–‘हे यमदेव हमारे घर पर अपनी दयादृष्टि बनाये रखना और परिवार के सभी सदस्यों की रक्षा करना।’ फिर सभी सदस्यों को तिलक लगाएँ। इसके बाद दीपक को उठा कर घर के मुख्य दरवाजे के बाहर दाहिनी ओर रख दे–दीपक का लौ दक्षिण दिशा की ओर होनी चाहिए।

‘धन्वन्तरि पूजन विधि’

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28 Oct, 18:48


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. पाँच दिन पाँच महापर्वो में पहला दिन 👇

‘धनतेरस’

उत्तरी भारत में कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन यह पर्व पूरी श्रद्धा व विश्वास के साथ मनाया जाता है। कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन भगवान धन्वन्तरी का जन्म हुआ था। इसलिए इस तिथि को धनतेरस या धनत्रयोदशी के नाम से जाना जाता है।
धन्वन्तरी जब प्रकट हुए थे, तो उनके हाथों में अमृत से भरा कलश था। भगवान धन्वन्तरी क्योंकि कलश लेकर प्रकट हुए थे, इसलिए ही इस अवसर पर बर्तन खरीदने की परम्परा है।
कहीं-कहीं लोकमान्यता के अनुसार यह भी कहा जाता है कि इस दिन धन (वस्तु) खरीदने से उसमें तेरह गुणा वृद्धि होती है। इस अवसर पर लोग धनिया के बीज खरीद कर भी घर में रखते हैं। दीपावली के बाद इन बीजों को लोग अपने बाग-बगीचों में या खेतों में बोते हैं।
धनतेरस के दिन चाँदी खरीदने की भी प्रथा है। अगर सम्भव न हो तो कोई बर्तन खरीदें। इसके पीछे यह कारण माना जाता है, कि यह चन्द्रमा का प्रतीक है, जो शीतलता प्रदान करता है, और मन में सन्तोष रूपी धन का वास होता है।
सन्तोष को सबसे बड़ा धन कहा गया है। जिसके पास सन्तोष है, वह स्वस्थ है, सुखी है और वही सबसे धनवान है। भगवान धन्वन्तरि जो चिकित्सा के देवता भी हैं, उनसे स्वास्थ्य और सेहत की कामना के लिए सन्तोष रूपी धन से बड़ा कोई धन नहीं है। ऐसी ही अनेकानेक पोस्ट पढ़ने के लिये हमारा फेसबुक पेज ‘श्रीजी की चरण सेवा’ को लाईक एवं फॉलो करें। अब आप हमारी पोस्ट व्हाट्सएप चैनल पर भी देख सकते हैं। चैनल लिंक हमारी फेसबुक पोस्टों में देखें। लोग इस दिन ही दीपावली की रात लक्ष्मी गणेश की पूजा हेतु मूर्ति भी खरीदते हैं।
धनतेरस की शाम घर के बाहर मुख्य द्वार पर और आँगन में दीप जलाने की प्रथा भी है। इस प्रथा के पीछे एक लोक कथा है, कथा के अनुसार किसी समय में एक राजा थे, जिनका नाम हेम था।
दैव कृपा से उन्हें पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई। ज्योतिषियों ने जब बालक की कुण्डली बनाई, तो पता चला कि बालक का विवाह जिस दिन होगा, उसके ठीक चार दिन के बाद वह मृत्यु को प्राप्त होगा।
राजा इस बात को जानकर बहुत दु:खी हुआ और राजकुमार को ऐसी जगह पर भेज दिया जहाँ किसी स्त्री की परछाई भी न पड़े। दैवयोग से एक दिन एक राजकुमारी उधर से गुजरी, और दोनों एक दूसरे को देखकर मोहित हो गये, और उन्होंने गन्धर्व विवाह कर लिया।
विवाह के पश्चात विधि का विधान सामने आया, और विवाह के चार दिन बाद यमदूत उस राजकुमार के प्राण लेने आ पहुँचे।
जब यमदूत राजकुमार प्राण ले जा रहे थे, उस वक्त नवविवाहिता उसकी पत्नी का विलाप सुनकर उनका हृदय भी द्रवित हो उठा परन्तु विधि के अनुसार उन्हें अपना कार्य करना पड़ा।
यमराज को जब यमदूत यह कह रहे थे, उसी वक्त उनमें से एक ने यमदेवता से विनती की–‘हे यमराज ! क्या कोई ऐसा उपाय नहीं है, जिससे मनुष्य अकाल मृत्यु से मुक्त हो जाए ?’
दूत के इस प्रकार अनुरोध करने से यमदेवता बोले–‘हे दूत ! अकाल मृत्यु तो कर्म की गति है। इससे मुक्ति का एक आसान तरीका मैं तुम्हें बताता हूँ, सो सुनो।
कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी रात जो प्राणी मेरे नाम से पूजन करके दीप माला दक्षिण दिशा की ओर भेट करता है, उसे अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता है।’ यही कारण है कि लोग इस दिन घर से बाहर दक्षिण दिशा की ओर दीप जलाकर रखते हैं।
धनवन्तरी के अलावा इस दिन, देवी लक्ष्मी और धन के देवता कुबेर की भी पूजा करने की मान्यता है। ऐसी ही अनेकानेक पोस्ट पढ़ने के लिये हमारा फेसबुक पेज ‘श्रीजी की चरण सेवा’ को लाईक एवं फॉलो करें। अब आप हमारी पोस्ट व्हाट्सएप चैनल पर भी देख सकते हैं। चैनल लिंक हमारी फेसबुक पोस्टों में देखें। कहा जाता है कि एक समय भगवान विष्णु मृत्युलोक में विचरण करने के लिए आ रहे थे तब लक्ष्मीजी ने भी उनसे साथ चलने का आग्रह किया।
तब विष्णुजी ने कहा–‘यदि मैं जो बात कहूँ तुम अगर वैसा ही मानो तो फिर चलो।’ तब लक्ष्मी जी उनकी बात मान ली और भगवान विष्णु के साथ भूमण्डल पर आ गयीं।
कुछ देर बाद एक जगह पर पहुँचकर भगवान विष्णु ने लक्ष्मीजी से कहा–‘जब तक मैं न आऊँ तुम यहाँ ठहरो। मैं दक्षिण दिशा की ओर जा रहा हूँ, तुम उधर मत आना।’
विष्णुजी के जाने पर लक्ष्मी के मन में कौतूहल जागा कि आखिर दक्षिण दिशा में ऐसा क्या रहस्य है जो मुझे मना किया गया है और भगवान स्वयं चले गए।
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28 Oct, 18:48


हरे राम राम राम राम राम हरे हरे हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे


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आनन्द भाव प्रवाह

27 Oct, 18:08


हरे राम राम राम राम राम हरे हरे हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे

🌷🌷जय श्री सीताराम जी 🌷🌷
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(पुरानी पोस्ट)
सरलता सबसे अधिक कठिन है। सरल स्वभाव, इतना सरल जो सरलता से विश्वास कर ले। एक और भक्त की बात है। वह घर में रहता, घरवाले उससे बड़े परेशान थे; क्योंकि वह कुछ नहीं करता, केवल खाता था, बस। खूब खाये और पड़ा रहे। अच्छा खूब खायेगा तो करेगा क्या? जहाँ खाये, वही लुढ़क जाय।
घरवालों ने कहा-- निकल जाओ यहाँ से। दो ढाई सेर खाते हो एक बार में बैठकर, काम कुछ करते नहीं । विचारा अब जाये कहाँ, सो एक महात्मा दिखाई दिये मन्दिर के भाहर बैठे । महात्मा बड़े तंदुरुस्त, महात्मा होते ही हैं प्रसन्न, अपने मस्त।
उसने सोचा कि यह खूब खाते होंगे तब तो इतने तंदुरुस्त और मोटे हैं। वह गया, बोला-- महाराज! तब तक उनके दो चार चेले निकले, वह लोग भी ऐसे ही। अरे बोले-- यहाँ तो सब ऐसे ही ऐसे हैं। वह बोला-- महाराज! हमको भी चेला बना लो। महात्मा बोले-- रहो, मन्त्र दे दिया। तुलसी माला पहना दी, नाम रख दिया। काम कुछ नहीं, बस भगवान की पूजा आरती में खड़े रहा करो, राम-राम किया करो। बोले-- पंगत? कहा-- दो समय होती है खूब प्रेम से करो। बोले-- दो पंगत में? •••तुम चार पंगत में बैठो कोई हर्ज नहीं ।
उसको लगा, यह बड़ा अच्छा, खूब खाने को मिलना, कुछ करना है नहीं । मंदिर में ही रह गया, पर उसे क्या पता कि यहाँ भी मुसीबत आयेगी। एक दिन सवेरे से कुछ बने ही नहीं। भंडार में सब ऐसे ही चूल्हे पड़े ठंडे, कुछ नहीं ।
महाराज! आज कुछ बन नहीं रहा? •••अरे! बोले-- तुम्हें पता नहीं आज एकादशी है। तो बोले-- एकादशी का मतलब? बोले-- न कुछ बनेगा, न कुछ मिलेगा। तो वह बोला-- हमको भी नहीं मिलेगा? •••हाँ, तुम्हें भी। बोला-- चेला बहुत हैं उनसे कराओ, हमको काहे को? बोले-- नहीं, वह तो करना ही पड़ेगा।
तो वह बोला-- हमें आज एकादशी करा दी, तो हम द्वादशी देख ही नहीं पायेंगे ।आज ही शाम तक समाप्त । महात्मा बोले -- भाई बहुत कठिनाई है। •••महाराज! मैं भोजन के विना नहीं रह सकता। महात्मा बोले-- तो आश्रम में तो बनेगा नहीं, तुम बना लोगे? अरे बोले-- मरता क्या नहीं करता? हम सब बना लेंगे। महात्मा बोले-- जाओ भंडार से सामग्री ले लो। अब उसने ढाई सेर आटा, आलू, नमक, कुछ मसाला, घी जो कुछ चाहिए था लिया। महात्मा बोले-- देखो, तुम वैष्णव हो गये हो, वैसे तो नहीं बनाना चाहिए भोजन, लेकिन चलो प्रसाद बुद्धि से ग्रहण करना। भगवान को भोग लगाना। •••ठीक है महाराज ।
जल्दी-जल्दी में उसने सामान समेटा। कहा-- वहाँ जाना नदी के किनारे पेड़ के नीचे। •••हाँ। पहुंच गया और जैसा बना विचारे से वैसा भोजन बनाया। आलू का चोखा और गुड़, घी सब तैयार करके खाना ही चाहता था, भूख और लग आई । रोज तो बना बनाया मिलता था, आज बनाना पड़ा। अब याद आया, गुरु जी ने कहा था-- भगवान को भोग लगा लेना, और इतना सरल, तुरंत बुलाने लगा--

राजा राम आइये, प्रभु राम आइये।
मेरे भोजन का भोग लगाइये।

नहीं आये भगवान। तो क्या बोला?

आचमनी अरधान आरती यहाँ यही मेहमानी।
रूखी रोटी पाओ प्रेम से पियो नदी का पानी।
राजा राम आइये, प्रभु राम आइये।
मेरे भोजन का भोग लगाइये।

बोले-- यहाँ तो नदी का पानी है, रूखी रोटी है, आना है तो जल्दी आ जाओ, हमको भूख लग रही है।•••भगवान नहीं आये। बोला-- पूड़ी और पकौड़ी भगवन सेवक ने न बनाई, और मिठाई तो है नहीं, फिर भी नहीं आये भगवान ।
एक सरलता से बात कही, उस पर रीझ गये भगवान । बोले-- सुनो ! हम समझ गये इसलिए नहीं आ रहे हो कि रूखी रोटी खाने काहे को जायँ, नदी का पानी पीने। मंदिर में तरह-तरह के व्यंजन मिलेंगे। तो बोला-- भगवान ! धोखे में मत रहना, वहाँ से तो जान बचा के हम ही आये हैं।

भूल करोगे यदि तज दोगे, भोजन रूखे सूखे।
एकादशी आज मंदिर में बैठे रहोगे भूखे।
राजा राम आइये, प्रभु राम आइये।
मेरे भोजन का भोग लगाइये।

मंदिर में एकादशी है, यहीं आ जाओ। इस सरलता पर-- मम भरोस--- कि भगवान आयेंगे । भगवान प्रकट हो गये।
(क्रमशः)
(स्वामी श्री राजेश्वरानंद जी महाराज)
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27 Oct, 18:08


हरे राम राम राम राम राम हरे हरे हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे


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27 Oct, 10:44


हरे राम राम राम राम राम हरे हरे हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे

भाए जो निगाह को
वही रंग अच्छा...
लाए जो राह पर वही ढंग अच्छा..
🌹🌹🌹🌹🌹🌹
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27 Oct, 08:07


हरे राम राम राम राम राम हरे हरे हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे

* श्रीर्जयति *

*ह्र्दय_विचार*
श्री भगवत्या: राजराजेश्वर्या:
दारिद्रय रोग दुःखानि बंधन व्यसनानि च ।
आत्मापराध वृक्षस्य फलान्येतानि देहिनाम् ।।

दरिद्रता, रोग, दुख, बंधन और विपदा आत्म-साक्षात्कार रूपी वृक्ष के फल हैं। मनुष्य को इन फलों का सेवन करना ही पड़ता है।

कोई भविष्य बता नही सकता अपितु जो कहा जाता है उसके चिंतन का क्रियान्वयन वह भविष्य बन जाता है।

बहुत से लोगों को आपने देखा होगा जो भविष्य बताने का दावा करते है और लोगों को लगता है कि क्या चमत्कार है, भविष्य कहीं कोई निर्धारित तो नहीं है ऐसा कोई बता नहीं सकता है। सत्य तो यह है की बताने वाले की कल्पना में इतनी शक्ति होती है कि वह भविष्य में घटित हो जाता है।

मनुष्य के तरंग ब्रह्मांड मे घूम रहे हैं, केवल मेरे ही नहीं वरन् हम सब के वैचारिक स्पन्दन ब्रह्मांड मे घूमते रहते हैं और अपने उद्देश्य को खोजते रहते हैं, जिस समय कोई अनुकूल स्थिति बनती है वह उपलब्ध हो जाते हैं।

इन स्पन्दनों की सीमा पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण तक ही सीमित है इसके बाहर नहीं, गुरुत्वाकर्षण की वज़ह से यह ब्रह्मांड मे आगे नही बढ़ पाते और फिर से पृथ्वी तक लौट आते हैं, यह इतने सुक्ष्म होते हैं कि हम इन्हें देखने में असमर्थ होते हैं। पृथ्वी के गुरुत्व के कारण इन्हें फिर से लौटाना होता हैं ताकि फिर से संतुलित हो सके।

व्यक्ति की धारणा जितनी मजबूत होती है उतनी उसके घटित होने की संभावना बढ़ती रहती है, अगर धारणा में कोई संदेह है तो वह घटित नहीं होते, यह एक एसा विज्ञान है जो पृथ्वी के केवल गिने चुने लोगों को पता है अन्यथा वह लोगों को नियंत्रित करने लग सकते हैं इसीलिए ब्रह्मांड के ज्यादातर रहस्य आज भी सुलझे नहीं हैं और साधारण मनुष्यों की चेतना से बहुत दूर हैं।
सभी के सद्कर्म और भगवद्नाम स्मरण सहायक हों
प्रभु श्रीजी महाराज आपका सर्वमङ्गल करें।
*꧁!! जय श्रीजी की !!꧂*
*꧁!! जय शिवशम्भु !!꧂*
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27 Oct, 08:07


हरे राम राम राम राम राम हरे हरे हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे


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26 Oct, 02:01


हरे राम राम राम राम राम हरे हरे हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे


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