स्वदेशी आंदोलन राजीव दीक्षित जी @swadeshiandolanrajivdixit Channel on Telegram

स्वदेशी आंदोलन राजीव दीक्षित जी

स्वदेशी आंदोलन राजीव दीक्षित जी
💢इस चैनल का उद्देश्य : --

🌟 सभी भारतवासियों को महान क्रांतिकारी , देशभक्त राजीव दीक्षित जी के जीवन से परिचय कराना है और उनके विचारों को देशभर में पहुंचना है ।
🌟सभी भारतवासियों को स्वदेशी वस्तुओं का इस्तेमाल करने के लिए प्रेरित करना है ।
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Last Updated 02.03.2025 17:16

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स्वदेशी आंदोलन और राजीव दीक्षित जी: एक नई सोच की शुरुआत

स्वदेशी आंदोलन एक सामाजिक और आर्थिक आंदोलन है, जिसका मुख्य उद्देश्य भारतीय समाज में स्वदेशी वस्तुओं के उपयोग को बढ़ावा देना है। विशेषकर, यह आंदोलन उन वस्तुओं के प्रयोग की प्रेरणा देता है जो भारत में निर्मित होती हैं। यह विचारधारा आज के समय में और भी ज्यादा प्रासंगिक हो गई है, जब भारतीय बाजार विदेशी उत्पादों से भरा हुआ है। राजीव दीक्षित जी, एक महान क्रांतिकारी और विचारक, ने इस आंदोलन को प्रेरित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उनका जीवन और उनके विचार भारतीय संस्कृति की जड़ों को पुनर्जीवित करने का एक दृष्टिकोण प्रस्तुत करते हैं। राजीव दीक्षित जी ने न केवल स्वदेशी उत्पादों के उपयोग के लिए लोगों को प्रेरित किया, बल्कि उन्होंने भारत की प्राचीन चिकित्सा पद्धतियों और पारंपरिक ज्ञान को भी प्रमुखता दी। इस लेख में हम राजीव दीक्षित जी के जीवन और उनके योगदान के साथ-साथ स्वदेशी आंदोलन के महत्व पर चर्चा करेंगे।

राजीव दीक्षित जी का जीवन परिचय क्या है?

राजीव दीक्षित जी का जन्म 1973 में उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गांव में हुआ था। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा अपने गांव में प्राप्त की और आगे की पढ़ाई के लिए इंजीनियरिंग के क्षेत्र में दाखिला लिया। राजीव दीक्षित जी ने अपने जीवन में कई विषयों पर अध्ययन किया, जिसमें भारतीय संस्कृति, आयुर्वेद, और स्वदेशी उत्पादों के फायदे शामिल हैं। उन्हें अपने विचारों के लिए युवाओं में विशेषतः पहचान मिली।

राजीव दीक्षित जी ने शुरूआत से ही स्वदेशी विचारधारा को अपनाया और अपने जीवन को इस दिशा में समर्पित किया। उन्होंने भारतीय बाजार में विदेशी उत्पादों के बढ़ते प्रभाव के खिलाफ लोगों को जागरूक किया और स्वदेशी वस्तुओं के महत्व को बताया। उनके मंच से लोगों ने स्वदेशी आंदोलन के प्रति जागरूकता बढ़ाई, जो आज भी समाज में सक्रिय है।

स्वदेशी आंदोलन का महत्व क्या है?

स्वदेशी आंदोलन का महत्व कई दृष्टिकोणों से है। यह न केवल स्थानीय उद्योगों और कारीगरों को प्रोत्साहन देता है, बल्कि देश की आर्थिक स्वतंत्रता की दिशा में भी महत्वपूर्ण है। जब लोग स्वदेशी उत्पादों का उपयोग करते हैं, तो वे अपने देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में मदद करते हैं।

इसके अलावा, स्वदेशी आंदोलन भारतीय संस्कृति और परंपराओं को भी पुनर्जीवित करता है। यह लोगों को उनकी जड़ों से जोड़ने का काम करता है और उन्हें अपने देश के उत्पादों पर गर्व महसूस कराता है। समाज में एकजुटता और आत्मनिर्भरता बढ़ाने में यह आंदोलन महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

राजीव दीक्षित जी के विचार आज के समय में कितने प्रासंगिक हैं?

राजीव दीक्षित जी के विचार आज के समय में अत्यधिक प्रासंगिक हैं, खासकर जब भारत आत्मनिर्भरता की दिशा में बढ़ रहा है। उनके द्वारा दिए गए संदेशों में स्वदेशी के उपयोग की आवश्यकता को समझाया गया है, जो वर्तमान में 'मेक इन इंडिया' और 'आत्मनिर्भर भारत' जैसे अभियानों के साथ जुड़ता है।

उनकी दृष्टि ने लोगों को विदेशी निर्भरता को कम करने के लिए प्रेरित किया है। आज की युवा पीढ़ी उनके विचारों को अपनाकर स्वदेशी उत्पादों की उपयोगिता को समझने लगी है, जिससे भारतीय समाज में एक सकारात्मक बदलाव आ रहा है।

स्वदेशी उत्पादों के फायदे क्या हैं?

स्वदेशी उत्पादों के कई फायदे हैं। सबसे पहले, ये उत्पाद स्थानीय स्तर पर निर्मित होते हैं, जिससे रोजगार के अवसर बढ़ते हैं। जब लोग स्वदेशी वस्तुओं का उपयोग करते हैं, तो इससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलती है।

दूसरा, स्वदेशी उत्पादों का उपयोग करने से पर्यावरण को भी फायदा होता है, क्योंकि ये अक्सर प्राकृतिक सामग्री से बनाए जाते हैं और इनका उत्पादन स्थानीय स्तर पर होता है। इससे परिवहन में होने वाले प्रदूषण को भी कम किया जा सकता है।

राजीव दीक्षित जी का योगदान कैसे याद किया जाता है?

राजीव दीक्षित जी का योगदान उनके विचारों और कार्यों के माध्यम से याद किया जाता है। उन्होंने कई मंचों पर स्वदेशी आंदोलन को आगे बढ़ाने के लिए कार्य किए, और उनके विचारों ने करोड़ों लोगों को प्रेरित किया है। आज भी उनके कार्यों को विभिन्न संगठनों द्वारा मान्यता दी जाती है।

उनके संदेशों और विचारों को सोशल मीडिया और विभिन्न जनसभाओं के माध्यम से फैलाया जा रहा है। लोग उनकी बातों को साझा करते हैं और देश में स्वदेशी आंदोलन को जीवित रखने की कोशिश करते हैं।

स्वदेशी आंदोलन राजीव दीक्षित जी Telegram Channel

भारतीय साहसी क्रांतिकारी और देशभक्त राजीव दीक्षित जी के समर्पित इस टेलीग्राम चैनल 'स्वदेशी आंदोलन राजीव दीक्षित जी' का उद्देश्य है भारतवासियों को उनके महान जीवन और विचारों से परिचित कराना। यहां आपको राजीव दीक्षित जी के उपदेश और स्वदेशी वस्तुओं के महत्व के बारे में जानकारी मिलेगी। इस चैनल के माध्यम से उनके विचारों को देशभर में पहुंचाने का भी एक मुख्य उद्देश्य है। यहां भारतीय संस्कृति, स्वास्थ्य, जीवनशैली और राजनीति से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी भी साझा की जाती है। तो आइए, जुड़िए इस स्वदेशी आंदोलन में और अपने देश के विकास में योगदान देने के लिए राजीव दीक्षित जी के मार्गदर्शन में भाग लें।

स्वदेशी आंदोलन राजीव दीक्षित जी Latest Posts

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📜 🔱 शास्त्रों में वर्णित गोमूत्र चिकित्सा 🔱

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### 🔆 श्लोक 1: चरक संहिता
📖 "गोमूत्रं त्रिदोषघ्नं, मेहकुष्ठविषापहम्।
दीपनं पाचनं रुच्यं, कफवातानिलापहम्॥"

🔹 अर्थ:
गोमूत्र त्रिदोष (वात, पित्त, कफ) को संतुलित करता है। यह मधुमेह, कुष्ठरोग (त्वचा रोग), विष (टॉक्सिन) को नष्ट करता है। इसके सेवन से भूख बढ़ती है, पाचन मजबूत होता है और शरीर स्वस्थ रहता है।

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### 🌸 श्लोक 2: सुश्रुत संहिता
📖 "गोमूत्रं गवां श्रेष्ठं, पानं सर्वरोगनाशनम्।
दीपनं पाचनं हृद्यं, रक्तदोषविनाशनम्॥"

🔹 अर्थ:
गोमूत्र सभी रोगों को नष्ट करने वाला है। यह अग्नि (पाचन शक्ति) को बढ़ाता है, हृदय के लिए हितकारी है और रक्त को शुद्ध करता है।

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### 🕉 पंचगव्य का महत्व
🥛 गोमूत्र + गोबर + दूध + दही + घी = संपूर्ण औषधि
आयुर्वेद में पंचगव्य का सेवन शरीर को शुद्ध, रोगमुक्त और ऊर्जा से भरपूर बनाता है।

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### गोमूत्र के प्रमुख लाभ:
💪 रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाए
🩸 रक्त शुद्ध करे, त्वचा रोग दूर करे
🔥 विषाणुओं एवं संक्रमण से बचाए
🌿 त्रिदोष (वात, पित्त, कफ) संतुलित करे
🧠 मानसिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति में सहायक

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### ⚠️ सावधानियां:
**केवल स्वस्थ एवं देशी भारतीय गाय का गोमूत्र ही सेवन करें।
** (जर्सी का नहीं )
संक्रमित, बीमार या संकर नस्ल की गाय का मूत्र न पिएं।
संतुलित मात्रा में सेवन करें, अधिक मात्रा में लेने से पेट संबंधी समस्याएं हो सकती हैं।
गर्भवती महिलाओं, गंभीर बीमारियों से ग्रसित व्यक्तियों को सेवन से पहले वैद्य से परामर्श लेना चाहिए।
फ्रिज में रखे गोमूत्र का सेवन न करें, ताजा गोमूत्र सर्वोत्तम होता है।

28 Feb, 02:56
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ईश्वर ही सृष्टिकर्ता है :-

देखो ! शरीर में किस प्रकार की ज्ञान पूर्वक सृष्टि रची है कि जिसको विद्वान लोग देखकर आश्चर्य मानते हैं। भीतर हाड़ो का जोड़ ,नाड़ियों का बंधन, मांस का लेपन, चमड़ी का ढक्कन, प्लीहा, यकृत, फेफड़ा, पंखा, कला का स्थापन, जीव का संयोजन, शिरोरूप मूल रचन, लोम नख आदि का स्थापन, आंख की अतीव सूक्ष्म शिरा का तारवत् ग्रंथन, इन्द्रियों के मार्गों का प्रकाशन , जीव के जागृत, स्वप्न, सुषुप्त अवस्था के भोगने के लिए स्थान विशेषों का निर्माण, सब धातु का विभाग करण, कला ,कौशल स्थापन आदि अद्भुत सृष्टि को बिना परमेश्वर के कौन कर सकता है ? इसके बिना नाना प्रकार के रत्न, धातु से जड़ित भूमि, विविध प्रकार के वटवृक्ष आदि के बीजों में अति सूक्ष्म रचना, असंख्य हरित, श्वेत, पीत, कृष्ण, चित्र मध्यरूपों से युक्त पत्र, पुष्प, फल, मूल निर्माण, मिष्ट ,क्षार, कटुक ,कषाय,तिक्त, अम्लादि विविध रस, सुगंधादि युक्त पत्र, पुष्प, फल ,अन्न, कंद , मूल आदि रचन, अनेकानेक क्रोड़ों भूगोल , सूर्य चंद्र आदि लोक निर्माण ,धारण, भ्रामण , नियमों में रखना आदि परमेश्वर के बिना कोई भी नहीं कर सकता।।
( महर्षि स्वामी दयानन्द सरस्वती जी )

25 Feb, 11:55
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https://youtu.be/6A17n1432CQ?feature=shared

18 Feb, 14:45
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5

16 Feb, 06:33
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