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آخر تحديث 01.03.2025 02:08

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Understanding Sanatana Dharma and Its Influence on Indian Culture

सनातन धर्म, जिसे अक्सर हिंदू धर्म के रूप में जाना जाता है, एक प्राचीन धार्मिक और सांस्कृतिक प्रणाली है जो विश्व के सबसे पुराने धर्मों में से एक है। यह धर्म न केवल धार्मिक आस्थाओं का समूह है, बल्कि यह जीवन जीने के तरीके, नैतिकता, और समाज की संरचना के लिए भी एक गहन दृष्टिकोण प्रदान करता है। सनातन धर्म के भीतर अनेक पवित्र ग्रंथों, जैसे वेदों, उपनिषदों, और पुराणों का संकलन है जो इस धर्म की समृद्धि और विविधता का प्रतीक है। यह धर्म निरंतरता, परिवर्तन, और सामंजस्य की अवधारणाओं पर आधारित है। इस अनुच्छेद के माध्यम से हम समझेंगे कि सनातन धर्म का भारतीय संस्कृति पर क्या प्रभाव पड़ा है, और इसके विभिन्न पहलुओं को कैसे भारतीय समाज में स्थान मिला है।

सनातन धर्म क्या है?

सनातन धर्म एक प्राचीन धार्मिक परंपरा है, जिसे हिंदू धर्म के रूप में भी जाना जाता है। यह धर्म न केवल आस्था का माध्यम है, बल्कि यह जीवन की मार्गदर्शक सिद्धांतों और नैतिक मूल्यों का भी प्रतिनिधित्व करता है। इसके भीतर विभिन्न पंथ, परंपराएँ और वेदनाओं का समावेश किया गया है, जो इसे एक बहुपरक और समृद्ध धर्म बनाते हैं।

सनातन का अर्थ है जो हमेशा से है या शाश्वत है। इस प्रकार, यह धर्म एक निरंतरता का प्रतीक है जो समय के साथ विकसित होता रहता है। संपूर्णता में, यह धर्म जीवन के सभी पहलुओं को संतुलन में लाने का प्रयास करता है।

सनातन धर्म का भारतीय संस्कृति में क्या महत्व है?

सनातन धर्म का भारतीय संस्कृति में महत्वपूर्ण स्थान है। यह न केवल धार्मिक आस्थाओं को आकार देता है, बल्कि सांस्कृतिक व्यवहारों, कला, संगीत, और साहित्य में भी गहरा प्रभाव डालता है। उदाहरण के लिए, भारतीय त्यौहारों जैसे दीवाली और होली का संबंध सांस्कृतिक रिवाजों और धर्म से है।

इसके अलावा, परंपरागत भारतीय नृत्य और संगीत भी अक्सर धार्मिक कथाओं और आस्थाओं से प्रेरित होते हैं। ये सांस्कृतिक गतिविधियाँ न केवल समाज के उत्सव का हिस्सा हैं, बल्कि ये सांस्कृतिक पहचान को भी बनाए रखती हैं।

क्या सभी हिंदू एक ही प्रकार के हैं?

हिंदू धर्म में अनेक पंथ हैं, जैसे कि शैव, शाक्त, वैष्णव, और अन्य। प्रत्येक पंथ के अपने विशिष्ट आचार, प्रथाएँ और मान्यताएँ होती हैं। इसलिए, यह कहना मुश्किल है कि सभी हिंदू एक ही प्रकार के हैं।

हिंदू धर्म की इसी विविधता ने इसे एक समृद्धता दी है। यह विविधता न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से, बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है।

सनातन धर्म का इतिहास क्या है?

सनातन धर्म का इतिहास कई हजार वर्षों पुराना है। इसकी जड़ें उपनिषदों, वेदों, और प्राचीन ग्रंथों में पाई जा सकती हैं। इतिहास में, इसे अनेक समय और काल में विविध आस्थाओं और परंपराओं के प्रभावों ने आकार दिया।

इतिहास की दृष्टि से, यह धर्म विभिन्न राजवंशों और साम्राज्यों के उत्थान और पतन के साथ विकसित हुआ। यह धर्म समय के साथ-साथ अपने भीतर विभिन्न संस्कृतियों को समाहित करता गया।

सनातन धर्म के प्रमुख ग्रंथ कौन से हैं?

सनातन धर्म के प्रमुख ग्रंथों में वेद, उपनिषद, भगवद गीता और पुराण शामिल हैं। वेद प्राचीन ग्रंथ हैं जो धार्मिक हिदायतें और यज्ञ विधियों का विवरण देते हैं।

भगवद गीता, जो महाभारत का एक हिस्सा है, नैतिकता और जीवन के दार्शनिक पहलुओं पर गहन विचार प्रस्तुत करता है। ये ग्रंथ हिंदू धर्म की मूल बातें समझने में सहायक होते हैं।

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أحدث منشورات Sanatani Balika🚩

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𝕁𝕆𝕀ℕ 𝕌𝕊 @𝕊𝕒𝕟𝕒𝕥𝕒𝕟𝕚𝕓𝕒𝕝𝕚𝕜𝕒

28 Feb, 15:56
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🙏🏻🙏🏻🚩 आज दिनांक - 28 फरवरी 2025 प्रातःकाल भस्म श्रृंगार आरती दर्शन श्री महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग उज्जैन मध्यप्रदेश से   🚩🙏🏻🙏🏻

जय श्री महाकालेश्वराय नमः🙏

श्री शिवाय नमस्तुभ्यं
जय श्री महाकाल 🙏🔱🚩

 𝕁𝕆𝕀ℕ 𝕌𝕊 @𝕊𝕒𝕟𝕒𝕥𝕒𝕟𝕚𝕓𝕒𝕝𝕚𝕜𝕒

28 Feb, 07:00
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🔹अजीर्ण की निवृत्ति हेतु रखें इन बातों का ध्यान🔹

🔸वर्तमान में अधिकांश लोग पेट के रोगों से, विशेषतः अजीर्ण से ग्रस्त देखे जाते हैं। इसका कारण है भोजन में स्वास्थ्य नहीं बल्कि स्वाद की प्रधानता, भोजन-संबंधी नियमों का अज्ञान या उन्हें शर महत्त्व न देना, भूख से ज्यादा खाना, जले हुए या भलीभाँति न पके भोजन, बासी आहार, पनीर, मावा आदि देर से पचनेवाले पदार्थों का सेवन, देर रात को या जल्दी-जल्दी भोजन करना आदि।

🔸चरक संहिता के अनुसार पूर्व में सेवन किया हुआ आहार पच जाने पर ही भोजन करना चाहिए। अजीर्ण में भोजन करने से पहलेवाले आहार का अपचित रस बाद के आहार के रस के साथ मिश्रित होने पर सभी दोषों को शीघ्र प्रकुपित करता हैं। अतः पूर्व का भोजन भली प्रकार पचने पर ही भोजन करें।

🔸प्रतिदिन पैदल भ्रमण, आसन, व्यायाम आदि करें। खूब चबा-चबाकर भोजन करें। जल्दी- जल्दी भोजन करने से जठराग्नि को भोजन पचाने में अधिक श्रम पड़ता है और पाचक रस भी उचित रूप में उत्पन्न नहीं हो पाता।

🔸पूज्य बापूजी के सत्संग में आता है: "पहले का खाया हुआ खाना पचा-न पचा और दूसरा खाया तो आम (कच्चा, अपचित रस) बनेगा । ठाँस-ठाँस के खाया फिर बोले 'एसिडिटी हो गयी, पेट की खराबियाँ हो गयीं...।' कब खाना, कैसे खाना, कितना खाना, क्या खाना, क्या न खाना - इसका बुद्धिपूर्वक विचार करें फिर खायें तो तंदुरुस्त रहेंगे।

            जय श्री राम
    🚩  हिन्दू राष्ट्र भारत
🚩

𝕁𝕆𝕀ℕ 𝕌𝕊 @𝕊𝕒𝕟𝕒𝕥𝕒𝕟𝕚𝕓𝕒𝕝𝕚𝕜𝕒

28 Feb, 06:09
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🚩 जय सत्य सनातन 🚩

🚩 आज का पञ्चाङ्ग 🚩

🌥️ 🚩युगाब्द-५१२६
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०८१
🚩तिथि - अमावस्या प्रातः 06:14 तक तत्पश्चात प्रतिपदा रात्रि 03:16 मार्च 01 तक, तत्पश्चात द्वितीया

https://t.me/sanatanibalika

दिनांक - 28 फरवरी 2025
दिन - शुक्रवार
अयन - उत्तरायण
ऋतु - बसन्त
मास - फाल्गुन
पक्ष - शुक्ल
नक्षत्र - शतभिषा दोपहर 01:40 तक तत्पश्चात पूर्व भाद्रपद
योग - सिद्ध रात्रि 08:08 तक, तत्पश्चात साध्य
राहु काल - सुबह 11:25 से दोपहर 12:52 तक
सूर्योदय - 07:06
सूर्यास्त - 06:38
दिशा शूल - पश्चिम दिशा में
ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:23 से 06:13 तक
अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:29 से दोपहर 01:16 तक
निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:27 मार्च 01 से रात्रि 01:17 मार्च 01 तक
व्रत पर्व विवरण - राष्ट्रीय विज्ञान दिवस
विशेष - प्रतिपदा को कुष्माण्ड (कुम्हड़ा, पेठा) न खाएं क्योंकि यह धन का नाश करने वाला है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)

𝕁𝕆𝕀ℕ 𝕌𝕊 @𝕊𝕒𝕟𝕒𝕥𝕒𝕟𝕚𝕓𝕒𝕝𝕚𝕜𝕒

28 Feb, 06:09
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