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Sanatani Balika🚩 のテレグラム投稿
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最終更新日 01.03.2025 02:08
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शिव शिव जपत मन आनंद, जेहि सुमिरत विघ्न विनशत कटत यम के फंद
🔱🚩 हर हर महादेव 🚩🔱
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🔱🚩 हर हर महादेव 🚩🔱
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महाशिवरात्रि के दिन व्रत उपवास रखना इतना महत्वपूर्ण क्यों है?
आइए हमारे पुराणों एवम् ग्रंथों से समझते हैं कि महाशिवरात्रि इतना खास क्यों है...
✨"शिवमहापुराण" में कहा गया है कि -
कालो निशीथो वै प्रोक्तोमध्ययामद्वयं निशि ॥ शिवपूजा विशेषेण तत्काले ऽभीष्टसिद्धिदा ॥ एवं ज्ञात्वा नरः कुर्वन्यथोक्तफलभाग्भवेत्”
अर्थात :- रात के चार प्रहरों में से जो बीच के दो प्रहर हैं, उन्हें निशिधकाल कहा गया हैं विशेषतः उसी काल में की हुई भगवान शिव की पूजा अभीष्ट फल को देनेवाली होती है , ऐसा जानकर कर्म करनेवाला मनुष्य यथोक्त फल का भागी होता है।
देखिए चतुर्दशी तिथि के स्वामी भगवान शिव जी हैं और इसे परम कल्याणकारी माना गया है हमारे शास्त्रों में इसलिए फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी तिथि को महाशिवरात्रि कहा गया है , शिवरात्रि तो हर माह आती है।
✨"शिवपुराण" के अनुसार :-
फाल्गुनकृष्णचतुर्दश्यामादिदेवो महानिशि । शिवलिंगतयोद्भूतः कोटिसूर्यसमप्रभः ॥
अर्थात :- फाल्गुन कृष्ण चतुर्दश की रात्रि में आदिदेव भगवान् शिव करोडों सूर्यों के समान् प्रभाव वाले लिंग रूप में प्रक हुए इसलिए इसे महाशिवरात्रि मानते हैं।
अगर महाशिवरात्रि के व्रत के बारे में बात करें तो, स्कंद पुराण में लिखा गया है :-
सागरो यदि शुष्येत क्षीयेत हिमवानपि । मेरुमन्दरशैलाश्च रीशैलो विन्ध्य एव च ॥ चलन्त्येते कदाचिद्वै निश्चलं हि शिवव्रतम् ।
अर्थात :- चाहे सागर सूख जाये, हिमालय भी क्षय को प्राप्त हो जाये, मन्दर, विन्ध्यादि पर्वत भी विचलित हो जाये, पर शिव-व्रत कभी निष्फल नहीं हो सकता।' इसका फल अवश्य मिलता है।
✨तिथि तत्व के अनुसार भगवान शिव स्वयं कहते हैं :-
न स्नानेन न वस्त्रणे न धूपेन न चार्चया। तुष्यामि न तथा पुष्पैर्यथा तत्रोपवासतः ।।
अर्थात :- 'मैं उस तिथि पर न तो स्नान, न वस्त्रों, न धूप, न पूजा, न पुष्पों से उतना प्रसन्न होता हूँ, जितना उपवास से।
🚩🔱हर हर महादेव 🔱🚩
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आइए हमारे पुराणों एवम् ग्रंथों से समझते हैं कि महाशिवरात्रि इतना खास क्यों है...
✨"शिवमहापुराण" में कहा गया है कि -
कालो निशीथो वै प्रोक्तोमध्ययामद्वयं निशि ॥ शिवपूजा विशेषेण तत्काले ऽभीष्टसिद्धिदा ॥ एवं ज्ञात्वा नरः कुर्वन्यथोक्तफलभाग्भवेत्”
अर्थात :- रात के चार प्रहरों में से जो बीच के दो प्रहर हैं, उन्हें निशिधकाल कहा गया हैं विशेषतः उसी काल में की हुई भगवान शिव की पूजा अभीष्ट फल को देनेवाली होती है , ऐसा जानकर कर्म करनेवाला मनुष्य यथोक्त फल का भागी होता है।
देखिए चतुर्दशी तिथि के स्वामी भगवान शिव जी हैं और इसे परम कल्याणकारी माना गया है हमारे शास्त्रों में इसलिए फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी तिथि को महाशिवरात्रि कहा गया है , शिवरात्रि तो हर माह आती है।
✨"शिवपुराण" के अनुसार :-
फाल्गुनकृष्णचतुर्दश्यामादिदेवो महानिशि । शिवलिंगतयोद्भूतः कोटिसूर्यसमप्रभः ॥
अर्थात :- फाल्गुन कृष्ण चतुर्दश की रात्रि में आदिदेव भगवान् शिव करोडों सूर्यों के समान् प्रभाव वाले लिंग रूप में प्रक हुए इसलिए इसे महाशिवरात्रि मानते हैं।
अगर महाशिवरात्रि के व्रत के बारे में बात करें तो, स्कंद पुराण में लिखा गया है :-
सागरो यदि शुष्येत क्षीयेत हिमवानपि । मेरुमन्दरशैलाश्च रीशैलो विन्ध्य एव च ॥ चलन्त्येते कदाचिद्वै निश्चलं हि शिवव्रतम् ।
अर्थात :- चाहे सागर सूख जाये, हिमालय भी क्षय को प्राप्त हो जाये, मन्दर, विन्ध्यादि पर्वत भी विचलित हो जाये, पर शिव-व्रत कभी निष्फल नहीं हो सकता।' इसका फल अवश्य मिलता है।
✨तिथि तत्व के अनुसार भगवान शिव स्वयं कहते हैं :-
न स्नानेन न वस्त्रणे न धूपेन न चार्चया। तुष्यामि न तथा पुष्पैर्यथा तत्रोपवासतः ।।
अर्थात :- 'मैं उस तिथि पर न तो स्नान, न वस्त्रों, न धूप, न पूजा, न पुष्पों से उतना प्रसन्न होता हूँ, जितना उपवास से।
🚩🔱हर हर महादेव 🔱🚩
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🌷🙏जय श्री कृष्णा🙏🌷
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः
🦚〰️〰️〰️🦚〰️〰️〰️🦚
श्री राधे....🙏🌷
हर समस्या के तीन समाधान है,
स्वीकार करें, बदल दें या छोड़ दें,
अगर स्वीकार नहीं कर सकते तो
बदल दें और बदल नहीं सकते तो
बेहतर है,उसे ईश्वर पर ही छोड़ दें।
🌷🙏हरे कृष्णा हरि बोल🙏🌷
🙏श्री कुंज बिहारी श्री हरिदास🙏
🦚〰️〰️〰️🦚〰️〰️〰️🦚
आपको व आपके समस्त परिवार
को आज के पावन पर्व महा शिवरात्रि
की बहुत बहुत हार्दिक शुभकामनाएं
बधाई...💐..ॐ नमः शिवाय:🙏🌷
🌷🙏जय जय श्री राधे🙏🌷
राधे राधे राधे राधे राधे राधे राधे राधे
राधे राधे राधे राधे राधे राधे राधे राधे
🌷🙏राधे राधे जी🙏🌷
🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚
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ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः
🦚〰️〰️〰️🦚〰️〰️〰️🦚
श्री राधे....🙏🌷
हर समस्या के तीन समाधान है,
स्वीकार करें, बदल दें या छोड़ दें,
अगर स्वीकार नहीं कर सकते तो
बदल दें और बदल नहीं सकते तो
बेहतर है,उसे ईश्वर पर ही छोड़ दें।
🌷🙏हरे कृष्णा हरि बोल🙏🌷
🙏श्री कुंज बिहारी श्री हरिदास🙏
🦚〰️〰️〰️🦚〰️〰️〰️🦚
आपको व आपके समस्त परिवार
को आज के पावन पर्व महा शिवरात्रि
की बहुत बहुत हार्दिक शुभकामनाएं
बधाई...💐..ॐ नमः शिवाय:🙏🌷
🌷🙏जय जय श्री राधे🙏🌷
राधे राधे राधे राधे राधे राधे राधे राधे
राधे राधे राधे राधे राधे राधे राधे राधे
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🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚
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🔱 महाशिवरात्रि की शुभकामनाएं 🔱
एक बार महादेव का ध्यान तो करके देखो🙏
मेरे भोलेनाथ आज सब पर कृपा करेंगे आज जो अस्वस्थ है, और उनके दर्शन करने नहीं जा पा रहे उन पर भी कृपा करेंगे, आज जो स्त्रियां किसी कारण से मंदिर नहीं जा पा रहे उन पर भी कृपा होगी,
आज जो लोग मंदिर जा रहे हैं उन पर तो विशेष कृपा होगी
जय भोलेनाथ
जब अंधकार में राह नहीं दिखती,
जब मन में शांति नहीं होती,
तब महादेव का ध्यान ही हर संकट का समाधान है।
महाशिवरात्रि केवल एक पर्व नहीं, यह आत्मशुद्धि, भक्ति और जागरण की रात है। यह वह रात्रि है जब शिव-शक्ति का संगम होता है( वैसे शिव और शक्ति पृथक नहीं), परंतु यह वह दिन है जब त्रिपुरारी का तांडव संहार नहीं, सृजन का प्रतीक बनता है।
भोलेनाथ की कृपा से आपका जीवन सुख, शांति और समृद्धि से भर जाए।
हर-हर महादेव! 🚩🔱🔥
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एक बार महादेव का ध्यान तो करके देखो🙏
मेरे भोलेनाथ आज सब पर कृपा करेंगे आज जो अस्वस्थ है, और उनके दर्शन करने नहीं जा पा रहे उन पर भी कृपा करेंगे, आज जो स्त्रियां किसी कारण से मंदिर नहीं जा पा रहे उन पर भी कृपा होगी,
आज जो लोग मंदिर जा रहे हैं उन पर तो विशेष कृपा होगी
जय भोलेनाथ
जब अंधकार में राह नहीं दिखती,
जब मन में शांति नहीं होती,
तब महादेव का ध्यान ही हर संकट का समाधान है।
महाशिवरात्रि केवल एक पर्व नहीं, यह आत्मशुद्धि, भक्ति और जागरण की रात है। यह वह रात्रि है जब शिव-शक्ति का संगम होता है( वैसे शिव और शक्ति पृथक नहीं), परंतु यह वह दिन है जब त्रिपुरारी का तांडव संहार नहीं, सृजन का प्रतीक बनता है।
भोलेनाथ की कृपा से आपका जीवन सुख, शांति और समृद्धि से भर जाए।
हर-हर महादेव! 🚩🔱🔥
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शिवरात्रिव्रत-सङ्कल्प
श्रीशिवमहापुराणके अनुसार व्रती को प्रातःकाल सूर्योदयसे पूर्व उठकर स्नान-सन्ध्या आदि नित्यकर्मसे निवृत्त होनेपर मस्तकपर भस्मका त्रिपुण्ड्र तिलक और गलेमें रुद्राक्षमाला धारण कर संभव हो तो शिवालयमें जाकर भगवान् शिवका दर्शन, पूजन एवं नमस्कार करना चाहिये। आचमन, प्राणायाम आदि करके श्रद्धापूर्वक व्रतका संकल्प लेना चाहिए।
व्रतीको आसनपर बैठकर बायें हाथ को दाहिने जानु(जंघा) पर रखकर उसमें अक्षत रख दाहिने हाथकी अँगुलियों से बायीं अँगुलियाँ तथा दाहिने अँगूठेसे बाया अँगूठा दबाकर इस प्रकार संकल्प करना चाहिये–
"शिवरात्रिव्रतं ह्येतत् करिष्येऽहं महाफलम्।
निर्विघ्नमस्तु मे चात्र त्वत्प्रसादाज्जगत्पते॥"
यह कहकर, दाहिना हाथ उत्तान करके खोलें जिससे अक्षत दाहिने हाथके अङ्गुल्याग्र से पार हो और बायें हाथसे उद्धरणी/किंडी में जल लेकर तामड़ी(पात्र) में जल छोड़ दे।
तत्पश्चात् यह प्रार्थना करे–
"देवदेव महादेव नीलकण्ठ नमोऽस्तु ते।
कर्तुमिच्छाम्यहं देव शिवरात्रिव्रतं तव॥
तव प्रसादाद्देवेश निर्विघ्नेन भवेदिति।
कामाशः शत्रवो मां वै पीडां कुर्वन्तु नैव हि॥"
– शिवमहापुराण, कोटिरुद्रसंहिता ३८.२८-२९
@𝕊𝕒𝕟𝕒𝕥𝕒𝕟𝕚𝕓𝕒𝕝𝕚𝕜𝕒
श्रीशिवमहापुराणके अनुसार व्रती को प्रातःकाल सूर्योदयसे पूर्व उठकर स्नान-सन्ध्या आदि नित्यकर्मसे निवृत्त होनेपर मस्तकपर भस्मका त्रिपुण्ड्र तिलक और गलेमें रुद्राक्षमाला धारण कर संभव हो तो शिवालयमें जाकर भगवान् शिवका दर्शन, पूजन एवं नमस्कार करना चाहिये। आचमन, प्राणायाम आदि करके श्रद्धापूर्वक व्रतका संकल्प लेना चाहिए।
व्रतीको आसनपर बैठकर बायें हाथ को दाहिने जानु(जंघा) पर रखकर उसमें अक्षत रख दाहिने हाथकी अँगुलियों से बायीं अँगुलियाँ तथा दाहिने अँगूठेसे बाया अँगूठा दबाकर इस प्रकार संकल्प करना चाहिये–
"शिवरात्रिव्रतं ह्येतत् करिष्येऽहं महाफलम्।
निर्विघ्नमस्तु मे चात्र त्वत्प्रसादाज्जगत्पते॥"
यह कहकर, दाहिना हाथ उत्तान करके खोलें जिससे अक्षत दाहिने हाथके अङ्गुल्याग्र से पार हो और बायें हाथसे उद्धरणी/किंडी में जल लेकर तामड़ी(पात्र) में जल छोड़ दे।
तत्पश्चात् यह प्रार्थना करे–
"देवदेव महादेव नीलकण्ठ नमोऽस्तु ते।
कर्तुमिच्छाम्यहं देव शिवरात्रिव्रतं तव॥
तव प्रसादाद्देवेश निर्विघ्नेन भवेदिति।
कामाशः शत्रवो मां वै पीडां कुर्वन्तु नैव हि॥"
– शिवमहापुराण, कोटिरुद्रसंहिता ३८.२८-२९
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"ॐ नमस्तेSस्तु भगवान विश्वेश्वराय महादेवाय त्र्यंबकाय त्रिपुरान्तकाय त्रिकाग्निकालाये
कालाग्नि रुद्राय नीलकंठाय मृत्युंजयाय सर्वेश्वराय सदाशिवाय श्रीमन्महादेवाय नमः।"
🔱 🚩 श्री सांबसदाशिवाय नमः 🚩 🔱
त्रिगुणातीत-द्वंद्वों से रहित परम कृपालु देवाधिदेव आशुतोष भगवान शिव की उपासना-आराधना एवं आत्म सामर्थ्य के जागरण के दिव्य पर्व "महाशिवरात्रि" की हार्दिक शुभकामनाएँ।
शिवत्व का आशय समत्व और कल्याणकारी विचार से है। अतः महाशिवरात्रि की पुण्यबेला में भगवान विश्वनाथ-मृत्युंजय महादेव की कृपा से समष्टि में सर्वत्र कल्याणकारी सूत्रों का प्रकाशन एवं सद्विचारों का जागरण हो।
🌸🔱हर हर महादेव🔱🌸
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कालाग्नि रुद्राय नीलकंठाय मृत्युंजयाय सर्वेश्वराय सदाशिवाय श्रीमन्महादेवाय नमः।"
🔱 🚩 श्री सांबसदाशिवाय नमः 🚩 🔱
त्रिगुणातीत-द्वंद्वों से रहित परम कृपालु देवाधिदेव आशुतोष भगवान शिव की उपासना-आराधना एवं आत्म सामर्थ्य के जागरण के दिव्य पर्व "महाशिवरात्रि" की हार्दिक शुभकामनाएँ।
शिवत्व का आशय समत्व और कल्याणकारी विचार से है। अतः महाशिवरात्रि की पुण्यबेला में भगवान विश्वनाथ-मृत्युंजय महादेव की कृपा से समष्टि में सर्वत्र कल्याणकारी सूत्रों का प्रकाशन एवं सद्विचारों का जागरण हो।
🌸🔱हर हर महादेव🔱🌸
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🙏🏻🙏🏻🚩 आज दिनांक - 24 फरवरी 2025 प्रातःकाल भस्म श्रृंगार आरती दर्शन श्री महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग उज्जैन मध्यप्रदेश से 🚩🙏🏻🙏🏻
ॐ जय श्री महाकालेश्वराय नमः🙏
श्री शिवाय नमस्तुभ्यं
जय श्री महाकाल 🙏🔱🚩
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ॐ जय श्री महाकालेश्वराय नमः🙏
श्री शिवाय नमस्तुभ्यं
जय श्री महाकाल 🙏🔱🚩
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🔹विजया एकादशी - 24 फरवरी 25🔹
🔹एकादशी में क्या करें, क्या न करें ?🔹
🔸1. एकादशी को लकड़ी का दातुन तथा पेस्ट का उपयोग न करें। नींबू, जामुन या आम के पत्ते लेकर चबा लें और उँगली से कंठ शुद्ध कर लें। वृक्ष से पत्ता तोड़ना भी वर्जित है, अत: स्वयं गिरे हुए पत्ते का सेवन करें।
🔸2. स्नानादि कर के गीता पाठ करें, श्री विष्णुसहस्रनाम का पाठ करें।
🔸हर एकादशी को श्री विष्णुसहस्रनाम का पाठ करने से घर में सुख-शांति बनी रहती हैं।
राम रामेति रामेति रमे रामे मनोरमे ।
सहस्रनाम तत्तुल्यं रामनाम वरानने ।।
एकादशी के दिन इस मंत्र के पाठ से श्री विष्णुसहस्रनाम के जप के समान पुण्य प्राप्त होता हैं।
🔸3. `ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ इस द्वादश अक्षर मंत्र अथवा गुरुमंत्र का जप करना चाहिए।
🔸4. चोर, पाखण्डी और दुराचारी मनुष्य से बात नहीं करना चाहिए, यथा संभव मौन रहें।
🔸5. एकादशी के दिन भूल कर भी चावल नहीं खाना चाहिए न ही किसी को खिलाना चाहिए। इस दिन फलाहार अथवा घर में निकाला हुआ फल का रस अथवा दूध या जल पर रहना लाभदायक हैं।
🔸6. व्रत के (दशमी, एकादशी और द्वादशी) - इन तीन दिनों में काँसे के बर्तन, मांस, प्याज, लहसुन, मसूर, उड़द, चने, कोदो (एक प्रकार का धान), शाक, शहद, तेल और अत्यम्बुपान (अधिक जल का सेवन) - इनका सेवन न करें।
🔸7. फलाहारी को गोभी, गाजर, शलजम, पालक, कुलफा का साग इत्यादि सेवन नहीं करना चाहिए। आम, अंगूर, केला, बादाम, पिस्ता इत्यादि अमृत फलों का सेवन करना चाहिए।
🔸8. जुआ, निद्रा, पान, परायी निन्दा, चुगली, चोरी, हिंसा, मैथुन, क्रोध तथा झूठ, कपटादि अन्य कुकर्मों से नितान्त दूर रहना चाहिए।
🔸9. भूलवश किसी निन्दक से बात हो जाय तो इस दोष को दूर करने के लिए भगवान सूर्य के दर्शन तथा धूप-दीप से श्रीहरि की पूजा कर क्षमा माँग लेनी चाहिए।
🔸10. एकादशी के दिन घर में झाडू नहीं लगायें । इससे चींटी आदि सूक्ष्म जीवों की मृत्यु का भय रहता हैं।
🔸11. इस दिन बाल नहीं कटायें।
🔸12. इस दिन यथाशक्ति अन्नदान करें किन्तु स्वयं किसीका दिया हुआ अन्न कदापि ग्रहण न करें।
🔸13. एकादशी की रात में भगवान विष्णु के आगे जागरण करना चाहिए (जागरण रात्र 1 बजे तक)।
🔸14. जो श्रीहरि के समीप जागरण करते समय रात में दीपक जलाता है, उसका पुण्य सौ कल्पों में भी नष्ट नहीं होता हैं।
जय श्री राम
🚩 हिन्दू राष्ट्र भारत 🚩
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🔹एकादशी में क्या करें, क्या न करें ?🔹
🔸1. एकादशी को लकड़ी का दातुन तथा पेस्ट का उपयोग न करें। नींबू, जामुन या आम के पत्ते लेकर चबा लें और उँगली से कंठ शुद्ध कर लें। वृक्ष से पत्ता तोड़ना भी वर्जित है, अत: स्वयं गिरे हुए पत्ते का सेवन करें।
🔸2. स्नानादि कर के गीता पाठ करें, श्री विष्णुसहस्रनाम का पाठ करें।
🔸हर एकादशी को श्री विष्णुसहस्रनाम का पाठ करने से घर में सुख-शांति बनी रहती हैं।
राम रामेति रामेति रमे रामे मनोरमे ।
सहस्रनाम तत्तुल्यं रामनाम वरानने ।।
एकादशी के दिन इस मंत्र के पाठ से श्री विष्णुसहस्रनाम के जप के समान पुण्य प्राप्त होता हैं।
🔸3. `ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ इस द्वादश अक्षर मंत्र अथवा गुरुमंत्र का जप करना चाहिए।
🔸4. चोर, पाखण्डी और दुराचारी मनुष्य से बात नहीं करना चाहिए, यथा संभव मौन रहें।
🔸5. एकादशी के दिन भूल कर भी चावल नहीं खाना चाहिए न ही किसी को खिलाना चाहिए। इस दिन फलाहार अथवा घर में निकाला हुआ फल का रस अथवा दूध या जल पर रहना लाभदायक हैं।
🔸6. व्रत के (दशमी, एकादशी और द्वादशी) - इन तीन दिनों में काँसे के बर्तन, मांस, प्याज, लहसुन, मसूर, उड़द, चने, कोदो (एक प्रकार का धान), शाक, शहद, तेल और अत्यम्बुपान (अधिक जल का सेवन) - इनका सेवन न करें।
🔸7. फलाहारी को गोभी, गाजर, शलजम, पालक, कुलफा का साग इत्यादि सेवन नहीं करना चाहिए। आम, अंगूर, केला, बादाम, पिस्ता इत्यादि अमृत फलों का सेवन करना चाहिए।
🔸8. जुआ, निद्रा, पान, परायी निन्दा, चुगली, चोरी, हिंसा, मैथुन, क्रोध तथा झूठ, कपटादि अन्य कुकर्मों से नितान्त दूर रहना चाहिए।
🔸9. भूलवश किसी निन्दक से बात हो जाय तो इस दोष को दूर करने के लिए भगवान सूर्य के दर्शन तथा धूप-दीप से श्रीहरि की पूजा कर क्षमा माँग लेनी चाहिए।
🔸10. एकादशी के दिन घर में झाडू नहीं लगायें । इससे चींटी आदि सूक्ष्म जीवों की मृत्यु का भय रहता हैं।
🔸11. इस दिन बाल नहीं कटायें।
🔸12. इस दिन यथाशक्ति अन्नदान करें किन्तु स्वयं किसीका दिया हुआ अन्न कदापि ग्रहण न करें।
🔸13. एकादशी की रात में भगवान विष्णु के आगे जागरण करना चाहिए (जागरण रात्र 1 बजे तक)।
🔸14. जो श्रीहरि के समीप जागरण करते समय रात में दीपक जलाता है, उसका पुण्य सौ कल्पों में भी नष्ट नहीं होता हैं।
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