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8th Sri Sahaj Path Sahib

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आठवीं लड़ी श्री सहज पाठ साहिब 8 अक्टूबर को आरंभ श्री सहज पाठ से जुड़ने के लिए संपर्क करें -सुखदेव सिंह पंछी- 9667611045

8th Sri Sahaj Path Sahib (Hindi)

आपके साथी श्री सहज पाठ साहिब पर आपका स्वागत है! यह चैनल 8 अक्टूबर को शुरू हुआ है और श्री सहज पाठ से जुड़ने के लिए एक माध्यम प्रदान करता है। यहां आप सुखदेव सिंह पंछी से संपर्क कर सकते हैं - 9667611045। इस चैनल में आठवीं लड़ी श्री सहज पाठ साहिब और उसके गहन अर्थ के साथ संबंधित अपडेट्स, भजन और बहुत कुछ साझा किया जाता है। संगठन ने इस चैनल को श्री सहज पाठ साहिब की पूजा और पाठ के प्रशासनिक कार्यों का सूचना संग्रहण करने के लिए शुरू किया है। इस चैनल में जुड़कर आप समर्पित भक्त और विधाता की प्रार्थनाओं का समर्थन कर सकते हैं और एक शांत, आनंदमय और प्रेरणादायक साझाकरण का अनुभव कर सकते हैं। 8 वीं श्री सहज पाठ साहिब चैनल से जुड़ें और इस धार्मिक यात्रा में साथ दें!

8th Sri Sahaj Path Sahib

20 Oct, 17:42


वाहेगुरु जी का खालसा
वाहेगुरु जी की फतेह

गुरु प्यारी साध संगत जी कुछ संगत के फोन आ रहे थे कि वह इस 8वा संपूर्णता समागम में अपना सेवा का हिसा  डालना चाहते हैं तो आप सब संगत के लिए श्री सहज पाठ साहिब धर्म प्रचार कमेटी के बैंक अकाउंट का नंबर दिया जा रहा है आप सब अपनी श्रद्धा अनुसार इस अकाउंट में माया भेज सकते हैं कृपया माया भेजने के बाद अपनी डिटेल नीचे दिए गए फॉर्म में भरकर मेंबर्स वाले ग्रुप में मेसेज डाल दे ।
श्री सहज पाठ साहिब जी के सम्पूर्णता समागम में अपनी सेवा निम्न बैंक account में डाले।

Punjab and sind bank
Branch :Sri guru Nanak girls sr. Sec. school Sri ganganagar -335001
Account Name : Sri Sahaj path sahib dharm prachar committee Sri ganganagar
Account number- 07721000012064
IFSC :PSIB0000772

कृपया अपनी राशि जमा करवाने से पहले या बाद में ग्रुप में मैसेज जरूर डाले।
नाम:
शहर का नाम:
मोबाइल न.:
राशि:

कृपया तन मन धन से सहयोग करे।

निवेदक
श्री सहज पाठ साहिब धर्म प्रचार कमेटी
श्री गंगानगर राजस्थान

8th Sri Sahaj Path Sahib

19 Oct, 18:20


धन धन रामदास गुरु
जिन सीरिया तीने सवारियां।।

धन धन श्री गुरु रामदास साहिब जी के प्रकाश उत्सव की समूह जगत को लख लख बधाइयां।

गुलाम गुरु का
सुखदेव सिंह पंछी
श्री सहज पाठ धर्म प्रचार कमेटी राजस्थान
9667611045

8th Sri Sahaj Path Sahib

18 Oct, 17:48


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श्री सहज पाठ की नौवीं लड़ी से जुड़ने के लिए नीचे दिए लिंक पर join करे।

https://t.me/S9srisahajpath

गुलाम गुरु का
सुखदेव सिंह पंछी*
*श्रीगंगानगर राजस्थान*
96676-11045
सुरेंद्र पाल सिंह समाना दिल्ली
अजीत सिंह नय्यर जबलपुर MP
94246-40526            
सुखचरण सिंह पंछी श्री गंगानगर राजस्थान
9460701375
जसपाल सिंह श्री गंगानगर
96949-65286
अरविंदर पाल सिंह बंटी पंछी श्री अमृतसर
92527-0497
डा लखविंदर सिंह श्री गंगानगर
94143-68841
अंग्रेज सिंह श्री गंगानगर
9462897752
कमलजीत सिंह श्री गंगानगर
99824-43927
परविंदर सिंह पंछी दिल्ली
95606-82950
जसकीरत सिंह पंछी श्री अमृतसर
97824-27908
कमलजीत सिंह भाटिया दिल्ली
9953876023
दविंदर जीत सिंह जी श्री गंगानगर
9782537542
हरजीत सिंह भोगल फरीदाबाद हरियाणा
9999777704
भूपिंदर सिंह जी दिल्ली
9818493177
बीबी दलजीत कौर इंदौर मध्य प्रदेश
9516380848
जगदीप सिंह फरुखाबाद उत्तर प्रदेश
9935131510
मंजीत सिंह सूरत गुजरात
9824114227
गुरप्रीत सिंह चौधरी श्री गंगानगर
98296-85588

8th Sri Sahaj Path Sahib

10 Oct, 18:18


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08 Oct, 17:45


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04 Oct, 08:48


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परमजीत कौर जी उदयपुर राजस्थान ने श्री सहज पाठ साहिब की संपूर्णता अपने घर पर की। मुबारक जी।

आपने भी कोई फोटो या वीडियो बनाई है तो जरूर भेजे।

सुखदेव सिंह पंछी
9667611045

8th Sri Sahaj Path Sahib

03 Oct, 12:07


आप सब संगत को बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएं।
शुक्रिया आप सबका।

जिस संगत का पाठ पूरा नहीं हुआ वह जल्दी अपना पाठ पूरा करके समाप्ति करे। अगर आपको कोई पर शानी आती है तो दिए नंबर पर सेवादार से संपर्क करे।

जिनका पाठ हो गया है वह नौवीं लड़ी पाठ में लिंक द्वारा शामिल हो।

8th Sri Sahaj Path Sahib

03 Oct, 12:04


आज श्री सहज पाठ साहिब जी के समूर्णता पर गुरु साहिब जी का हुक्मनामा

ਸੋਰਠਿ ਮਹਲਾ ੫ ॥

सोरठि महला ५ ॥


ਹਮਰੀ ਗਣਤ ਨ ਗਣੀਆ ਕਾਈ ਅਪਣਾ ਬਿਰਦੁ ਪਛਾਣਿ ॥

हमरी गणत न गणीआ काई अपणा बिरदु पछाणि ॥


ਹਾਥ ਦੇਇ ਰਾਖੇ ਕਰਿ ਅਪੁਨੇ ਸਦਾ ਸਦਾ ਰੰਗੁ ਮਾਣਿ ॥੧॥

हाथ देइ राखे करि अपुने सदा सदा रंगु माणि ॥१॥


ਸਾਚਾ ਸਾਹਿਬੁ ਸਦ ਮਿਹਰਵਾਣ ॥

साचा साहिबु सद मिहरवाण ॥


ਬੰਧੁ ਪਾਇਆ ਮੇਰੈ ਸਤਿਗੁਰਿ ਪੂਰੈ ਹੋਈ ਸਰਬ ਕਲਿਆਣ ॥ ਰਹਾਉ ॥

बंधु पाइआ मेरै सतिगुरि पूरै होई सरब कलिआण ॥ रहाउ ॥


ਜੀਉ ਪਾਇ ਪਿੰਡੁ ਜਿਨਿ ਸਾਜਿਆ ਦਿਤਾ ਪੈਨਣੁ ਖਾਣੁ ॥

जीउ पाइ पिंडु जिनि साजिआ दिता पैनणु खाणु ॥


ਅਪਣੇ ਦਾਸ ਕੀ ਆਪਿ ਪੈਜ ਰਾਖੀ ਨਾਨਕ ਸਦ ਕੁਰਬਾਣੁ ॥੨॥੧੬॥੪੪॥

अपणे दास की आपि पैज राखी नानक सद कुरबाणु ॥२॥१६॥४४॥


  अंग 619

8th Sri Sahaj Path Sahib

03 Oct, 04:49


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*श्री सहज पाठ साहिब जी का आठवां संपूर्णता समागम का live telecast 3 Oct 2024 you tube चैनल RJ13LIVE पर आएगा ।समय सुबह 10:30 बजे।*

https://youtube.com/live/o-H_Np-Bfmg?feature=share

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02 Oct, 18:31


वाहेगुरु जी का खालसा
वाहेगुरु जी की फतेह

गुरु प्यारी साध संगत जी कुछ संगत के फोन आ रहे थे कि वह इस 8वा संपूर्णता समागम में अपना सेवा का हिसा  डालना चाहते हैं तो आप सब संगत के लिए श्री सहज पाठ साहिब धर्म प्रचार कमेटी के बैंक अकाउंट का नंबर दिया जा रहा है आप सब अपनी श्रद्धा अनुसार इस अकाउंट में माया भेज सकते हैं कृपया माया भेजने के बाद अपनी डिटेल नीचे दिए गए फॉर्म में भरकर मेंबर्स वाले ग्रुप में मेसेज डाल दे ।
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श्री गंगानगर राजस्थान

8th Sri Sahaj Path Sahib

02 Oct, 18:30


वाहेगुरु जी का खालसा
वाहेगुरु जी की फतेह
आप सब संगत के चरणों में विनती कृपया ठीक 10:00 बजे समागम को ज्वाइन कर लें और संगत से विनती जो संगत श्रीगंगानगर के आसपास के इलाकों के है गांव की है वह इस समागम में श्री गंगानगर साहिब गुरुद्वारा साहिब पहुंचकर जरूर हाजिरी भरे गुरु साहिब से अरदास करें समागम सफल हो

आप सब संगत के लिये नाश्ते की वयवस्था गुरुद्वारा धन धन बाबा दीप सिंह जी शहीद श्री गंगानगर में सरोवर के पास की गई है। आप सब नाश्ता लेकर दरबार हाल में प्रवेश करे।कृपया ज्यादा से ज्यादा संगत पहुंचे।

जिस संगत ने समागम के लिए सेवा देनी हो वह कमेटिबके बैंक अकाउंट में डाल दे या जसपाल सिंह जी 96949-65286 से मिलकर दे ओर रशीद प्राप्त करे।

8th Sri Sahaj Path Sahib

02 Oct, 18:26


वाहेगुरु जी का खालसा
वाहेगुरु जी की फतेह

8th Sri Sahaj Path Sahib

02 Oct, 18:26


Displaying Ang 1430  of 1430

ਪੰਚ ਰਾਗਨੀ ਸੰਗਿ ਉਚਰਹੀ ॥
पंच रागनी संगि उचरही ॥

ਪ੍ਰਥਮ ਭੈਰਵੀ ਬਿਲਾਵਲੀ ॥
प्रथम भैरवी बिलावली ॥

ਪੁੰਨਿਆਕੀ ਗਾਵਹਿ ਬੰਗਲੀ ॥
पुंनिआकी गावहि बंगली ॥

ਪੁਨਿ ਅਸਲੇਖੀ ਕੀ ਭਈ ਬਾਰੀ ॥
पुनि असलेखी की भई बारी ॥

ਏ ਭੈਰਉ ਕੀ ਪਾਚਉ ਨਾਰੀ ॥
ए भैरउ की पाचउ नारी ॥

ਪੰਚਮ ਹਰਖ ਦਿਸਾਖ ਸੁਨਾਵਹਿ ॥
पंचम हरख दिसाख सुनावहि ॥

ਬੰਗਾਲਮ ਮਧੁ ਮਾਧਵ ਗਾਵਹਿ ॥੧॥
बंगालम मधु माधव गावहि ॥१॥

ਲਲਤ ਬਿਲਾਵਲ ਗਾਵਹੀ ਅਪੁਨੀ ਅਪੁਨੀ ਭਾਂਤਿ ॥
ललत बिलावल गावही अपुनी अपुनी भांति ॥

ਅਸਟ ਪੁਤ੍ਰ ਭੈਰਵ ਕੇ ਗਾਵਹਿ ਗਾਇਨ ਪਾਤ੍ਰ ॥੧॥
असट पुत्र भैरव के गावहि गाइन पात्र ॥१॥

ਦੁਤੀਆ ਮਾਲਕਉਸਕ ਆਲਾਪਹਿ ॥
दुतीआ मालकउसक आलापहि ॥

ਸੰਗਿ ਰਾਗਨੀ ਪਾਚਉ ਥਾਪਹਿ ॥
संगि रागनी पाचउ थापहि ॥

ਗੋਂਡਕਰੀ ਅਰੁ ਦੇਵਗੰਧਾਰੀ ॥
गोंडकरी अरु देवगंधारी ॥

ਗੰਧਾਰੀ ਸੀਹੁਤੀ ਉਚਾਰੀ ॥
गंधारी सीहुती उचारी ॥

ਧਨਾਸਰੀ ਏ ਪਾਚਉ ਗਾਈ ॥
धनासरी ए पाचउ गाई ॥

ਮਾਲ ਰਾਗ ਕਉਸਕ ਸੰਗਿ ਲਾਈ ॥
माल राग कउसक संगि लाई ॥

ਮਾਰੂ ਮਸਤਅੰਗ ਮੇਵਾਰਾ ॥
मारू मसतअंग मेवारा ॥

ਪ੍ਰਬਲਚੰਡ ਕਉਸਕ ਉਭਾਰਾ ॥
प्रबलचंड कउसक उभारा ॥

ਖਉਖਟ ਅਉ ਭਉਰਾਨਦ ਗਾਏ ॥
खउखट अउ भउरानद गाए ॥

ਅਸਟ ਮਾਲਕਉਸਕ ਸੰਗਿ ਲਾਏ ॥੧॥
असट मालकउसक संगि लाए ॥१॥

ਪੁਨਿ ਆਇਅਉ ਹਿੰਡੋਲੁ ਪੰਚ ਨਾਰਿ ਸੰਗਿ ਅਸਟ ਸੁਤ ॥
पुनि आइअउ हिंडोलु पंच नारि संगि असट सुत ॥

ਉਠਹਿ ਤਾਨ ਕਲੋਲ ਗਾਇਨ ਤਾਰ ਮਿਲਾਵਹੀ ॥੧॥
उठहि तान कलोल गाइन तार मिलावही ॥१॥

ਤੇਲੰਗੀ ਦੇਵਕਰੀ ਆਈ ॥
तेलंगी देवकरी आई ॥

ਬਸੰਤੀ ਸੰਦੂਰ ਸੁਹਾਈ ॥
बसंती संदूर सुहाई ॥

ਸਰਸ ਅਹੀਰੀ ਲੈ ਭਾਰਜਾ ॥
सरस अहीरी लै भारजा ॥

ਸੰਗਿ ਲਾਈ ਪਾਂਚਉ ਆਰਜਾ ॥
संगि लाई पांचउ आरजा ॥

ਸੁਰਮਾਨੰਦ ਭਾਸਕਰ ਆਏ ॥
सुरमानंद भासकर आए ॥

ਚੰਦ੍ਰਬਿੰਬ ਮੰਗਲਨ ਸੁਹਾਏ ॥
चंद्रबि्मब मंगलन सुहाए ॥

ਸਰਸਬਾਨ ਅਉ ਆਹਿ ਬਿਨੋਦਾ ॥
सरसबान अउ आहि बिनोदा ॥

ਗਾਵਹਿ ਸਰਸ ਬਸੰਤ ਕਮੋਦਾ ॥
गावहि सरस बसंत कमोदा ॥

ਅਸਟ ਪੁਤ੍ਰ ਮੈ ਕਹੇ ਸਵਾਰੀ ॥
असट पुत्र मै कहे सवारी ॥

ਪੁਨਿ ਆਈ ਦੀਪਕ ਕੀ ਬਾਰੀ ॥੧॥
पुनि आई दीपक की बारी ॥१॥

ਕਛੇਲੀ ਪਟਮੰਜਰੀ ਟੋਡੀ ਕਹੀ ਅਲਾਪਿ ॥
कछेली पटमंजरी टोडी कही अलापि ॥

ਕਾਮੋਦੀ ਅਉ ਗੂਜਰੀ ਸੰਗਿ ਦੀਪਕ ਕੇ ਥਾਪਿ ॥੧॥
कामोदी अउ गूजरी संगि दीपक के थापि ॥१॥

ਕਾਲੰਕਾ ਕੁੰਤਲ ਅਉ ਰਾਮਾ ॥
कालंका कुंतल अउ रामा ॥

ਕਮਲਕੁਸਮ ਚੰਪਕ ਕੇ ਨਾਮਾ ॥
कमलकुसम च्मपक के नामा ॥

ਗਉਰਾ ਅਉ ਕਾਨਰਾ ਕਲ੍ਯ੍ਯਾਨਾ ॥
गउरा अउ कानरा कल्याना ॥

ਅਸਟ ਪੁਤ੍ਰ ਦੀਪਕ ਕੇ ਜਾਨਾ ॥੧॥
असट पुत्र दीपक के जाना ॥१॥

ਸਭ ਮਿਲਿ ਸਿਰੀਰਾਗ ਵੈ ਗਾਵਹਿ ॥
सभ मिलि सिरीराग वै गावहि ॥

ਪਾਂਚਉ ਸੰਗਿ ਬਰੰਗਨ ਲਾਵਹਿ ॥
पांचउ संगि बरंगन लावहि ॥

ਬੈਰਾਰੀ ਕਰਨਾਟੀ ਧਰੀ ॥
बैरारी करनाटी धरी ॥

ਗਵਰੀ ਗਾਵਹਿ ਆਸਾਵਰੀ ॥
गवरी गावहि आसावरी ॥

ਤਿਹ ਪਾਛੈ ਸਿੰਧਵੀ ਅਲਾਪੀ ॥
तिह पाछै सिंधवी अलापी ॥

ਸਿਰੀਰਾਗ ਸਿਉ ਪਾਂਚਉ ਥਾਪੀ ॥੧॥
सिरीराग सिउ पांचउ थापी ॥१॥

ਸਾਲੂ ਸਾਰਗ ਸਾਗਰਾ ਅਉਰ ਗੋਂਡ ਗੰਭੀਰ ॥
सालू सारग सागरा अउर गोंड ग्मभीर ॥

ਅਸਟ ਪੁਤ੍ਰ ਸ੍ਰੀਰਾਗ ਕੇ ਗੁੰਡ ਕੁੰਭ ਹਮੀਰ ॥੧॥
असट पुत्र स्रीराग के गुंड कु्मभ हमीर ॥१॥

ਖਸਟਮ ਮੇਘ ਰਾਗ ਵੈ ਗਾਵਹਿ ॥
खसटम मेघ राग वै गावहि ॥

ਪਾਂਚਉ ਸੰਗਿ ਬਰੰਗਨ ਲਾਵਹਿ ॥
पांचउ संगि बरंगन लावहि ॥

ਸੋਰਠਿ ਗੋਂਡ ਮਲਾਰੀ ਧੁਨੀ ॥
सोरठि गोंड मलारी धुनी ॥

ਪੁਨਿ ਗਾਵਹਿ ਆਸਾ ਗੁਨ ਗੁਨੀ ॥
पुनि गावहि आसा गुन गुनी ॥

ਊਚੈ ਸੁਰਿ ਸੂਹਉ ਪੁਨਿ ਕੀਨੀ ॥
ऊचै सुरि सूहउ पुनि कीनी ॥

ਮੇਘ ਰਾਗ ਸਿਉ ਪਾਂਚਉ ਚੀਨੀ ॥੧॥
मेघ राग सिउ पांचउ चीनी ॥१॥

ਬੈਰਾਧਰ ਗਜਧਰ ਕੇਦਾਰਾ ॥
बैराधर गजधर केदारा ॥

ਜਬਲੀਧਰ ਨਟ ਅਉ ਜਲਧਾਰਾ ॥
जबलीधर नट अउ जलधारा ॥

ਪੁਨਿ ਗਾਵਹਿ ਸੰਕਰ ਅਉ ਸਿਆਮਾ ॥
पुनि गावहि संकर अउ सिआमा ॥

ਮੇਘ ਰਾਗ ਪੁਤ੍ਰਨ ਕੇ ਨਾਮਾ ॥੧॥
मेघ राग पुत्रन के नामा ॥१॥

ਖਸਟ ਰਾਗ ਉਨਿ ਗਾਏ ਸੰਗਿ ਰਾਗਨੀ ਤੀਸ ॥
खसट राग उनि गाए संगि रागनी तीस ॥

ਸਭੈ ਪੁਤ੍ਰ ਰਾਗੰਨ ਕੇ ਅਠਾਰਹ ਦਸ ਬੀਸ ॥੧॥੧॥
सभै पुत्र रागंन के अठारह दस बीस ॥१॥१॥

 
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8th Sri Sahaj Path Sahib

02 Oct, 18:26


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ਨਿਜ ਕਰਿ ਦੇਖਿਓ ਜਗਤੁ ਮੈ ਕੋ ਕਾਹੂ ਕੋ ਨਾਹਿ ॥
निज करि देखिओ जगतु मै को काहू को नाहि ॥

ਨਾਨਕ ਥਿਰੁ ਹਰਿ ਭਗਤਿ ਹੈ ਤਿਹ ਰਾਖੋ ਮਨ ਮਾਹਿ ॥੪੮॥
नानक थिरु हरि भगति है तिह राखो मन माहि ॥४८॥

ਜਗ ਰਚਨਾ ਸਭ ਝੂਠ ਹੈ ਜਾਨਿ ਲੇਹੁ ਰੇ ਮੀਤ ॥
जग रचना सभ झूठ है जानि लेहु रे मीत ॥

ਕਹਿ ਨਾਨਕ ਥਿਰੁ ਨਾ ਰਹੈ ਜਿਉ ਬਾਲੂ ਕੀ ਭੀਤਿ ॥੪੯॥
कहि नानक थिरु ना रहै जिउ बालू की भीति ॥४९॥

ਰਾਮੁ ਗਇਓ ਰਾਵਨੁ ਗਇਓ ਜਾ ਕਉ ਬਹੁ ਪਰਵਾਰੁ ॥
रामु गइओ रावनु गइओ जा कउ बहु परवारु ॥

ਕਹੁ ਨਾਨਕ ਥਿਰੁ ਕਛੁ ਨਹੀ ਸੁਪਨੇ ਜਿਉ ਸੰਸਾਰੁ ॥੫੦॥
कहु नानक थिरु कछु नही सुपने जिउ संसारु ॥५०॥

ਚਿੰਤਾ ਤਾ ਕੀ ਕੀਜੀਐ ਜੋ ਅਨਹੋਨੀ ਹੋਇ ॥
चिंता ता की कीजीऐ जो अनहोनी होइ ॥

ਇਹੁ ਮਾਰਗੁ ਸੰਸਾਰ ਕੋ ਨਾਨਕ ਥਿਰੁ ਨਹੀ ਕੋਇ ॥੫੧॥
इहु मारगु संसार को नानक थिरु नही कोइ ॥५१॥

ਜੋ ਉਪਜਿਓ ਸੋ ਬਿਨਸਿ ਹੈ ਪਰੋ ਆਜੁ ਕੈ ਕਾਲਿ ॥
जो उपजिओ सो बिनसि है परो आजु कै कालि ॥

ਨਾਨਕ ਹਰਿ ਗੁਨ ਗਾਇ ਲੇ ਛਾਡਿ ਸਗਲ ਜੰਜਾਲ ॥੫੨॥
नानक हरि गुन गाइ ले छाडि सगल जंजाल ॥५२॥

ਦੋਹਰਾ ॥
दोहरा ॥

ਬਲੁ ਛੁਟਕਿਓ ਬੰਧਨ ਪਰੇ ਕਛੂ ਨ ਹੋਤ ਉਪਾਇ ॥
बलु छुटकिओ बंधन परे कछू न होत उपाइ ॥

ਕਹੁ ਨਾਨਕ ਅਬ ਓਟ ਹਰਿ ਗਜ ਜਿਉ ਹੋਹੁ ਸਹਾਇ ॥੫੩॥
कहु नानक अब ओट हरि गज जिउ होहु सहाइ ॥५३॥

ਬਲੁ ਹੋਆ ਬੰਧਨ ਛੁਟੇ ਸਭੁ ਕਿਛੁ ਹੋਤ ਉਪਾਇ ॥
बलु होआ बंधन छुटे सभु किछु होत उपाइ ॥

ਨਾਨਕ ਸਭੁ ਕਿਛੁ ਤੁਮਰੈ ਹਾਥ ਮੈ ਤੁਮ ਹੀ ਹੋਤ ਸਹਾਇ ॥੫੪॥
नानक सभु किछु तुमरै हाथ मै तुम ही होत सहाइ ॥५४॥

ਸੰਗ ਸਖਾ ਸਭਿ ਤਜਿ ਗਏ ਕੋਊ ਨ ਨਿਬਹਿਓ ਸਾਥਿ ॥
संग सखा सभि तजि गए कोऊ न निबहिओ साथि ॥

ਕਹੁ ਨਾਨਕ ਇਹ ਬਿਪਤਿ ਮੈ ਟੇਕ ਏਕ ਰਘੁਨਾਥ ॥੫੫॥
कहु नानक इह बिपति मै टेक एक रघुनाथ ॥५५॥

ਨਾਮੁ ਰਹਿਓ ਸਾਧੂ ਰਹਿਓ ਰਹਿਓ ਗੁਰੁ ਗੋਬਿੰਦੁ ॥
नामु रहिओ साधू रहिओ रहिओ गुरु गोबिंदु ॥

ਕਹੁ ਨਾਨਕ ਇਹ ਜਗਤ ਮੈ ਕਿਨ ਜਪਿਓ ਗੁਰ ਮੰਤੁ ॥੫੬॥
कहु नानक इह जगत मै किन जपिओ गुर मंतु ॥५६॥

ਰਾਮ ਨਾਮੁ ਉਰ ਮੈ ਗਹਿਓ ਜਾ ਕੈ ਸਮ ਨਹੀ ਕੋਇ ॥
राम नामु उर मै गहिओ जा कै सम नही कोइ ॥

ਜਿਹ ਸਿਮਰਤ ਸੰਕਟ ਮਿਟੈ ਦਰਸੁ ਤੁਹਾਰੋ ਹੋਇ ॥੫੭॥੧॥
जिह सिमरत संकट मिटै दरसु तुहारो होइ ॥५७॥१॥

ਮੁੰਦਾਵਣੀ ਮਹਲਾ ੫ ॥
मुंदावणी महला ५ ॥

ਥਾਲ ਵਿਚਿ ਤਿੰਨਿ ਵਸਤੂ ਪਈਓ ਸਤੁ ਸੰਤੋਖੁ ਵੀਚਾਰੋ ॥
थाल विचि तिंनि वसतू पईओ सतु संतोखु वीचारो ॥

ਅੰਮ੍ਰਿਤ ਨਾਮੁ ਠਾਕੁਰ ਕਾ ਪਇਓ ਜਿਸ ਕਾ ਸਭਸੁ ਅਧਾਰੋ ॥
अम्रित नामु ठाकुर का पइओ जिस का सभसु अधारो ॥

ਜੇ ਕੋ ਖਾਵੈ ਜੇ ਕੋ ਭੁੰਚੈ ਤਿਸ ਕਾ ਹੋਇ ਉਧਾਰੋ ॥
जे को खावै जे को भुंचै तिस का होइ उधारो ॥

ਏਹ ਵਸਤੁ ਤਜੀ ਨਹ ਜਾਈ ਨਿਤ ਨਿਤ ਰਖੁ ਉਰਿ ਧਾਰੋ ॥
एह वसतु तजी नह जाई नित नित रखु उरि धारो ॥

ਤਮ ਸੰਸਾਰੁ ਚਰਨ ਲਗਿ ਤਰੀਐ ਸਭੁ ਨਾਨਕ ਬ੍ਰਹਮ ਪਸਾਰੋ ॥੧॥
तम संसारु चरन लगि तरीऐ सभु नानक ब्रहम पसारो ॥१॥

ਸਲੋਕ ਮਹਲਾ ੫ ॥
सलोक महला ५ ॥

ਤੇਰਾ ਕੀਤਾ ਜਾਤੋ ਨਾਹੀ ਮੈਨੋ ਜੋਗੁ ਕੀਤੋਈ ॥
तेरा कीता जातो नाही मैनो जोगु कीतोई ॥

ਮੈ ਨਿਰਗੁਣਿਆਰੇ ਕੋ ਗੁਣੁ ਨਾਹੀ ਆਪੇ ਤਰਸੁ ਪਇਓਈ ॥
मै निरगुणिआरे को गुणु नाही आपे तरसु पइओई ॥

ਤਰਸੁ ਪਇਆ ਮਿਹਰਾਮਤਿ ਹੋਈ ਸਤਿਗੁਰੁ ਸਜਣੁ ਮਿਲਿਆ ॥
तरसु पइआ मिहरामति होई सतिगुरु सजणु मिलिआ ॥

ਨਾਨਕ ਨਾਮੁ ਮਿਲੈ ਤਾਂ ਜੀਵਾਂ ਤਨੁ ਮਨੁ ਥੀਵੈ ਹਰਿਆ ॥੧॥
नानक नामु मिलै तां जीवां तनु मनु थीवै हरिआ ॥१॥

ੴ ਸਤਿਗੁਰ ਪ੍ਰਸਾਦਿ ॥
ੴ सतिगुर प्रसादि ॥

ਰਾਗ ਮਾਲਾ ॥
राग माला ॥

ਰਾਗ ਏਕ ਸੰਗਿ ਪੰਚ ਬਰੰਗਨ ॥
राग एक संगि पंच बरंगन ॥

ਸੰਗਿ ਅਲਾਪਹਿ ਆਠਉ ਨੰਦਨ ॥
संगि अलापहि आठउ नंदन ॥

ਪ੍ਰਥਮ ਰਾਗ ਭੈਰਉ ਵੈ ਕਰਹੀ ॥
प्रथम राग भैरउ वै करही ॥

 
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8th Sri Sahaj Path Sahib

02 Oct, 18:25


Displaying Ang 1428  of 1430

ਹਰਿ ਜਨ ਹਰਿ ਅੰਤਰੁ ਨਹੀ ਨਾਨਕ ਸਾਚੀ ਮਾਨੁ ॥੨੯॥
हरि जन हरि अंतरु नही नानक साची मानु ॥२९॥

ਮਨੁ ਮਾਇਆ ਮੈ ਫਧਿ ਰਹਿਓ ਬਿਸਰਿਓ ਗੋਬਿੰਦ ਨਾਮੁ ॥
मनु माइआ मै फधि रहिओ बिसरिओ गोबिंद नामु ॥

ਕਹੁ ਨਾਨਕ ਬਿਨੁ ਹਰਿ ਭਜਨ ਜੀਵਨ ਕਉਨੇ ਕਾਮ ॥੩੦॥
कहु नानक बिनु हरि भजन जीवन कउने काम ॥३०॥

ਪ੍ਰਾਨੀ ਰਾਮੁ ਨ ਚੇਤਈ ਮਦਿ ਮਾਇਆ ਕੈ ਅੰਧੁ ॥
प्रानी रामु न चेतई मदि माइआ कै अंधु ॥

ਕਹੁ ਨਾਨਕ ਹਰਿ ਭਜਨ ਬਿਨੁ ਪਰਤ ਤਾਹਿ ਜਮ ਫੰਧ ॥੩੧॥
कहु नानक हरि भजन बिनु परत ताहि जम फंध ॥३१॥

ਸੁਖ ਮੈ ਬਹੁ ਸੰਗੀ ਭਏ ਦੁਖ ਮੈ ਸੰਗਿ ਨ ਕੋਇ ॥
सुख मै बहु संगी भए दुख मै संगि न कोइ ॥

ਕਹੁ ਨਾਨਕ ਹਰਿ ਭਜੁ ਮਨਾ ਅੰਤਿ ਸਹਾਈ ਹੋਇ ॥੩੨॥
कहु नानक हरि भजु मना अंति सहाई होइ ॥३२॥

ਜਨਮ ਜਨਮ ਭਰਮਤ ਫਿਰਿਓ ਮਿਟਿਓ ਨ ਜਮ ਕੋ ਤ੍ਰਾਸੁ ॥
जनम जनम भरमत फिरिओ मिटिओ न जम को त्रासु ॥

ਕਹੁ ਨਾਨਕ ਹਰਿ ਭਜੁ ਮਨਾ ਨਿਰਭੈ ਪਾਵਹਿ ਬਾਸੁ ॥੩੩॥
कहु नानक हरि भजु मना निरभै पावहि बासु ॥३३॥

ਜਤਨ ਬਹੁਤੁ ਮੈ ਕਰਿ ਰਹਿਓ ਮਿਟਿਓ ਨ ਮਨ ਕੋ ਮਾਨੁ ॥
जतन बहुतु मै करि रहिओ मिटिओ न मन को मानु ॥

ਦੁਰਮਤਿ ਸਿਉ ਨਾਨਕ ਫਧਿਓ ਰਾਖਿ ਲੇਹੁ ਭਗਵਾਨ ॥੩੪॥
दुरमति सिउ नानक फधिओ राखि लेहु भगवान ॥३४॥

ਬਾਲ ਜੁਆਨੀ ਅਰੁ ਬਿਰਧਿ ਫੁਨਿ ਤੀਨਿ ਅਵਸਥਾ ਜਾਨਿ ॥
बाल जुआनी अरु बिरधि फुनि तीनि अवसथा जानि ॥

ਕਹੁ ਨਾਨਕ ਹਰਿ ਭਜਨ ਬਿਨੁ ਬਿਰਥਾ ਸਭ ਹੀ ਮਾਨੁ ॥੩੫॥
कहु नानक हरि भजन बिनु बिरथा सभ ही मानु ॥३५॥

ਕਰਣੋ ਹੁਤੋ ਸੁ ਨਾ ਕੀਓ ਪਰਿਓ ਲੋਭ ਕੈ ਫੰਧ ॥
करणो हुतो सु ना कीओ परिओ लोभ कै फंध ॥

ਨਾਨਕ ਸਮਿਓ ਰਮਿ ਗਇਓ ਅਬ ਕਿਉ ਰੋਵਤ ਅੰਧ ॥੩੬॥
नानक समिओ रमि गइओ अब किउ रोवत अंध ॥३६॥

ਮਨੁ ਮਾਇਆ ਮੈ ਰਮਿ ਰਹਿਓ ਨਿਕਸਤ ਨਾਹਿਨ ਮੀਤ ॥
मनु माइआ मै रमि रहिओ निकसत नाहिन मीत ॥

ਨਾਨਕ ਮੂਰਤਿ ਚਿਤ੍ਰ ਜਿਉ ਛਾਡਿਤ ਨਾਹਿਨ ਭੀਤਿ ॥੩੭॥
नानक मूरति चित्र जिउ छाडित नाहिन भीति ॥३७॥

ਨਰ ਚਾਹਤ ਕਛੁ ਅਉਰ ਅਉਰੈ ਕੀ ਅਉਰੈ ਭਈ ॥
नर चाहत कछु अउर अउरै की अउरै भई ॥

ਚਿਤਵਤ ਰਹਿਓ ਠਗਉਰ ਨਾਨਕ ਫਾਸੀ ਗਲਿ ਪਰੀ ॥੩੮॥
चितवत रहिओ ठगउर नानक फासी गलि परी ॥३८॥

ਜਤਨ ਬਹੁਤ ਸੁਖ ਕੇ ਕੀਏ ਦੁਖ ਕੋ ਕੀਓ ਨ ਕੋਇ ॥
जतन बहुत सुख के कीए दुख को कीओ न कोइ ॥

ਕਹੁ ਨਾਨਕ ਸੁਨਿ ਰੇ ਮਨਾ ਹਰਿ ਭਾਵੈ ਸੋ ਹੋਇ ॥੩੯॥
कहु नानक सुनि रे मना हरि भावै सो होइ ॥३९॥

ਜਗਤੁ ਭਿਖਾਰੀ ਫਿਰਤੁ ਹੈ ਸਭ ਕੋ ਦਾਤਾ ਰਾਮੁ ॥
जगतु भिखारी फिरतु है सभ को दाता रामु ॥

ਕਹੁ ਨਾਨਕ ਮਨ ਸਿਮਰੁ ਤਿਹ ਪੂਰਨ ਹੋਵਹਿ ਕਾਮ ॥੪੦॥
कहु नानक मन सिमरु तिह पूरन होवहि काम ॥४०॥

ਝੂਠੈ ਮਾਨੁ ਕਹਾ ਕਰੈ ਜਗੁ ਸੁਪਨੇ ਜਿਉ ਜਾਨੁ ॥
झूठै मानु कहा करै जगु सुपने जिउ जानु ॥

ਇਨ ਮੈ ਕਛੁ ਤੇਰੋ ਨਹੀ ਨਾਨਕ ਕਹਿਓ ਬਖਾਨਿ ॥੪੧॥
इन मै कछु तेरो नही नानक कहिओ बखानि ॥४१॥

ਗਰਬੁ ਕਰਤੁ ਹੈ ਦੇਹ ਕੋ ਬਿਨਸੈ ਛਿਨ ਮੈ ਮੀਤ ॥
गरबु करतु है देह को बिनसै छिन मै मीत ॥

ਜਿਹਿ ਪ੍ਰਾਨੀ ਹਰਿ ਜਸੁ ਕਹਿਓ ਨਾਨਕ ਤਿਹਿ ਜਗੁ ਜੀਤਿ ॥੪੨॥
जिहि प्रानी हरि जसु कहिओ नानक तिहि जगु जीति ॥४२॥

ਜਿਹ ਘਟਿ ਸਿਮਰਨੁ ਰਾਮ ਕੋ ਸੋ ਨਰੁ ਮੁਕਤਾ ਜਾਨੁ ॥
जिह घटि सिमरनु राम को सो नरु मुकता जानु ॥

ਤਿਹਿ ਨਰ ਹਰਿ ਅੰਤਰੁ ਨਹੀ ਨਾਨਕ ਸਾਚੀ ਮਾਨੁ ॥੪੩॥
तिहि नर हरि अंतरु नही नानक साची मानु ॥४३॥

ਏਕ ਭਗਤਿ ਭਗਵਾਨ ਜਿਹ ਪ੍ਰਾਨੀ ਕੈ ਨਾਹਿ ਮਨਿ ॥
एक भगति भगवान जिह प्रानी कै नाहि मनि ॥

ਜੈਸੇ ਸੂਕਰ ਸੁਆਨ ਨਾਨਕ ਮਾਨੋ ਤਾਹਿ ਤਨੁ ॥੪੪॥
जैसे सूकर सुआन नानक मानो ताहि तनु ॥४४॥

ਸੁਆਮੀ ਕੋ ਗ੍ਰਿਹੁ ਜਿਉ ਸਦਾ ਸੁਆਨ ਤਜਤ ਨਹੀ ਨਿਤ ॥
सुआमी को ग्रिहु जिउ सदा सुआन तजत नही नित ॥

ਨਾਨਕ ਇਹ ਬਿਧਿ ਹਰਿ ਭਜਉ ਇਕ ਮਨਿ ਹੁਇ ਇਕ ਚਿਤਿ ॥੪੫॥
नानक इह बिधि हरि भजउ इक मनि हुइ इक चिति ॥४५॥

ਤੀਰਥ ਬਰਤ ਅਰੁ ਦਾਨ ਕਰਿ ਮਨ ਮੈ ਧਰੈ ਗੁਮਾਨੁ ॥
तीरथ बरत अरु दान करि मन मै धरै गुमानु ॥

ਨਾਨਕ ਨਿਹਫਲ ਜਾਤ ਤਿਹ ਜਿਉ ਕੁੰਚਰ ਇਸਨਾਨੁ ॥੪੬॥
नानक निहफल जात तिह जिउ कुंचर इसनानु ॥४६॥

ਸਿਰੁ ਕੰਪਿਓ ਪਗ ਡਗਮਗੇ ਨੈਨ ਜੋਤਿ ਤੇ ਹੀਨ ॥
सिरु क्मपिओ पग डगमगे नैन जोति ते हीन ॥

ਕਹੁ ਨਾਨਕ ਇਹ ਬਿਧਿ ਭਈ ਤਊ ਨ ਹਰਿ ਰਸਿ ਲੀਨ ॥੪੭॥
कहु नानक इह बिधि भई तऊ न हरि रसि लीन ॥४७॥

 
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8th Sri Sahaj Path Sahib

02 Oct, 18:25


Displaying Ang 1427  of 1430

ਜਿਹ ਸਿਮਰਤ ਗਤਿ ਪਾਈਐ ਤਿਹ ਭਜੁ ਰੇ ਤੈ ਮੀਤ ॥
जिह सिमरत गति पाईऐ तिह भजु रे तै मीत ॥

ਕਹੁ ਨਾਨਕ ਸੁਨੁ ਰੇ ਮਨਾ ਅਉਧ ਘਟਤ ਹੈ ਨੀਤ ॥੧੦॥
कहु नानक सुनु रे मना अउध घटत है नीत ॥१०॥

ਪਾਂਚ ਤਤ ਕੋ ਤਨੁ ਰਚਿਓ ਜਾਨਹੁ ਚਤੁਰ ਸੁਜਾਨ ॥
पांच तत को तनु रचिओ जानहु चतुर सुजान ॥

ਜਿਹ ਤੇ ਉਪਜਿਓ ਨਾਨਕਾ ਲੀਨ ਤਾਹਿ ਮੈ ਮਾਨੁ ॥੧੧॥
जिह ते उपजिओ नानका लीन ताहि मै मानु ॥११॥

ਘਟ ਘਟ ਮੈ ਹਰਿ ਜੂ ਬਸੈ ਸੰਤਨ ਕਹਿਓ ਪੁਕਾਰਿ ॥
घट घट मै हरि जू बसै संतन कहिओ पुकारि ॥

ਕਹੁ ਨਾਨਕ ਤਿਹ ਭਜੁ ਮਨਾ ਭਉ ਨਿਧਿ ਉਤਰਹਿ ਪਾਰਿ ॥੧੨॥
कहु नानक तिह भजु मना भउ निधि उतरहि पारि ॥१२॥

ਸੁਖੁ ਦੁਖੁ ਜਿਹ ਪਰਸੈ ਨਹੀ ਲੋਭੁ ਮੋਹੁ ਅਭਿਮਾਨੁ ॥
सुखु दुखु जिह परसै नही लोभु मोहु अभिमानु ॥

ਕਹੁ ਨਾਨਕ ਸੁਨੁ ਰੇ ਮਨਾ ਸੋ ਮੂਰਤਿ ਭਗਵਾਨ ॥੧੩॥
कहु नानक सुनु रे मना सो मूरति भगवान ॥१३॥

ਉਸਤਤਿ ਨਿੰਦਿਆ ਨਾਹਿ ਜਿਹਿ ਕੰਚਨ ਲੋਹ ਸਮਾਨਿ ॥
उसतति निंदिआ नाहि जिहि कंचन लोह समानि ॥

ਕਹੁ ਨਾਨਕ ਸੁਨਿ ਰੇ ਮਨਾ ਮੁਕਤਿ ਤਾਹਿ ਤੈ ਜਾਨਿ ॥੧੪॥
कहु नानक सुनि रे मना मुकति ताहि तै जानि ॥१४॥

ਹਰਖੁ ਸੋਗੁ ਜਾ ਕੈ ਨਹੀ ਬੈਰੀ ਮੀਤ ਸਮਾਨਿ ॥
हरखु सोगु जा कै नही बैरी मीत समानि ॥

ਕਹੁ ਨਾਨਕ ਸੁਨਿ ਰੇ ਮਨਾ ਮੁਕਤਿ ਤਾਹਿ ਤੈ ਜਾਨਿ ॥੧੫॥
कहु नानक सुनि रे मना मुकति ताहि तै जानि ॥१५॥

ਭੈ ਕਾਹੂ ਕਉ ਦੇਤ ਨਹਿ ਨਹਿ ਭੈ ਮਾਨਤ ਆਨ ॥
भै काहू कउ देत नहि नहि भै मानत आन ॥

ਕਹੁ ਨਾਨਕ ਸੁਨਿ ਰੇ ਮਨਾ ਗਿਆਨੀ ਤਾਹਿ ਬਖਾਨਿ ॥੧੬॥
कहु नानक सुनि रे मना गिआनी ताहि बखानि ॥१६॥

ਜਿਹਿ ਬਿਖਿਆ ਸਗਲੀ ਤਜੀ ਲੀਓ ਭੇਖ ਬੈਰਾਗ ॥
जिहि बिखिआ सगली तजी लीओ भेख बैराग ॥

ਕਹੁ ਨਾਨਕ ਸੁਨੁ ਰੇ ਮਨਾ ਤਿਹ ਨਰ ਮਾਥੈ ਭਾਗੁ ॥੧੭॥
कहु नानक सुनु रे मना तिह नर माथै भागु ॥१७॥

ਜਿਹਿ ਮਾਇਆ ਮਮਤਾ ਤਜੀ ਸਭ ਤੇ ਭਇਓ ਉਦਾਸੁ ॥
जिहि माइआ ममता तजी सभ ते भइओ उदासु ॥

ਕਹੁ ਨਾਨਕ ਸੁਨੁ ਰੇ ਮਨਾ ਤਿਹ ਘਟਿ ਬ੍ਰਹਮ ਨਿਵਾਸੁ ॥੧੮॥
कहु नानक सुनु रे मना तिह घटि ब्रहम निवासु ॥१८॥

ਜਿਹਿ ਪ੍ਰਾਨੀ ਹਉਮੈ ਤਜੀ ਕਰਤਾ ਰਾਮੁ ਪਛਾਨਿ ॥
जिहि प्रानी हउमै तजी करता रामु पछानि ॥

ਕਹੁ ਨਾਨਕ ਵਹੁ ਮੁਕਤਿ ਨਰੁ ਇਹ ਮਨ ਸਾਚੀ ਮਾਨੁ ॥੧੯॥
कहु नानक वहु मुकति नरु इह मन साची मानु ॥१९॥

ਭੈ ਨਾਸਨ ਦੁਰਮਤਿ ਹਰਨ ਕਲਿ ਮੈ ਹਰਿ ਕੋ ਨਾਮੁ ॥
भै नासन दुरमति हरन कलि मै हरि को नामु ॥

ਨਿਸਿ ਦਿਨੁ ਜੋ ਨਾਨਕ ਭਜੈ ਸਫਲ ਹੋਹਿ ਤਿਹ ਕਾਮ ॥੨੦॥
निसि दिनु जो नानक भजै सफल होहि तिह काम ॥२०॥

ਜਿਹਬਾ ਗੁਨ ਗੋਬਿੰਦ ਭਜਹੁ ਕਰਨ ਸੁਨਹੁ ਹਰਿ ਨਾਮੁ ॥
जिहबा गुन गोबिंद भजहु करन सुनहु हरि नामु ॥

ਕਹੁ ਨਾਨਕ ਸੁਨਿ ਰੇ ਮਨਾ ਪਰਹਿ ਨ ਜਮ ਕੈ ਧਾਮ ॥੨੧॥
कहु नानक सुनि रे मना परहि न जम कै धाम ॥२१॥

ਜੋ ਪ੍ਰਾਨੀ ਮਮਤਾ ਤਜੈ ਲੋਭ ਮੋਹ ਅਹੰਕਾਰ ॥
जो प्रानी ममता तजै लोभ मोह अहंकार ॥

ਕਹੁ ਨਾਨਕ ਆਪਨ ਤਰੈ ਅਉਰਨ ਲੇਤ ਉਧਾਰ ॥੨੨॥
कहु नानक आपन तरै अउरन लेत उधार ॥२२॥

ਜਿਉ ਸੁਪਨਾ ਅਰੁ ਪੇਖਨਾ ਐਸੇ ਜਗ ਕਉ ਜਾਨਿ ॥
जिउ सुपना अरु पेखना ऐसे जग कउ जानि ॥

ਇਨ ਮੈ ਕਛੁ ਸਾਚੋ ਨਹੀ ਨਾਨਕ ਬਿਨੁ ਭਗਵਾਨ ॥੨੩॥
इन मै कछु साचो नही नानक बिनु भगवान ॥२३॥

ਨਿਸਿ ਦਿਨੁ ਮਾਇਆ ਕਾਰਨੇ ਪ੍ਰਾਨੀ ਡੋਲਤ ਨੀਤ ॥
निसि दिनु माइआ कारने प्रानी डोलत नीत ॥

ਕੋਟਨ ਮੈ ਨਾਨਕ ਕੋਊ ਨਾਰਾਇਨੁ ਜਿਹ ਚੀਤਿ ॥੨੪॥
कोटन मै नानक कोऊ नाराइनु जिह चीति ॥२४॥

ਜੈਸੇ ਜਲ ਤੇ ਬੁਦਬੁਦਾ ਉਪਜੈ ਬਿਨਸੈ ਨੀਤ ॥
जैसे जल ते बुदबुदा उपजै बिनसै नीत ॥

ਜਗ ਰਚਨਾ ਤੈਸੇ ਰਚੀ ਕਹੁ ਨਾਨਕ ਸੁਨਿ ਮੀਤ ॥੨੫॥
जग रचना तैसे रची कहु नानक सुनि मीत ॥२५॥

ਪ੍ਰਾਨੀ ਕਛੂ ਨ ਚੇਤਈ ਮਦਿ ਮਾਇਆ ਕੈ ਅੰਧੁ ॥
प्रानी कछू न चेतई मदि माइआ कै अंधु ॥

ਕਹੁ ਨਾਨਕ ਬਿਨੁ ਹਰਿ ਭਜਨ ਪਰਤ ਤਾਹਿ ਜਮ ਫੰਧ ॥੨੬॥
कहु नानक बिनु हरि भजन परत ताहि जम फंध ॥२६॥

ਜਉ ਸੁਖ ਕਉ ਚਾਹੈ ਸਦਾ ਸਰਨਿ ਰਾਮ ਕੀ ਲੇਹ ॥
जउ सुख कउ चाहै सदा सरनि राम की लेह ॥

ਕਹੁ ਨਾਨਕ ਸੁਨਿ ਰੇ ਮਨਾ ਦੁਰਲਭ ਮਾਨੁਖ ਦੇਹ ॥੨੭॥
कहु नानक सुनि रे मना दुरलभ मानुख देह ॥२७॥

ਮਾਇਆ ਕਾਰਨਿ ਧਾਵਹੀ ਮੂਰਖ ਲੋਗ ਅਜਾਨ ॥
माइआ कारनि धावही मूरख लोग अजान ॥

ਕਹੁ ਨਾਨਕ ਬਿਨੁ ਹਰਿ ਭਜਨ ਬਿਰਥਾ ਜਨਮੁ ਸਿਰਾਨ ॥੨੮॥
कहु नानक बिनु हरि भजन बिरथा जनमु सिरान ॥२८॥

ਜੋ ਪ੍ਰਾਨੀ ਨਿਸਿ ਦਿਨੁ ਭਜੈ ਰੂਪ ਰਾਮ ਤਿਹ ਜਾਨੁ ॥
जो प्रानी निसि दिनु भजै रूप राम तिह जानु ॥

 
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8th Sri Sahaj Path Sahib

02 Oct, 18:25


ੴ ਸਤਿਗੁਰ ਪ੍ਰਸਾਦਿ ॥
ੴ सतिगुर प्रसादि ॥

ਸਲੋਕ ਮਹਲਾ ੯ ॥
सलोक महला ९ ॥

ਗੁਨ ਗੋਬਿੰਦ ਗਾਇਓ ਨਹੀ ਜਨਮੁ ਅਕਾਰਥ ਕੀਨੁ ॥
गुन गोबिंद गाइओ नही जनमु अकारथ कीनु ॥

ਕਹੁ ਨਾਨਕ ਹਰਿ ਭਜੁ ਮਨਾ ਜਿਹ ਬਿਧਿ ਜਲ ਕਉ ਮੀਨੁ ॥੧॥
कहु नानक हरि भजु मना जिह बिधि जल कउ मीनु ॥१॥

ਬਿਖਿਅਨ ਸਿਉ ਕਾਹੇ ਰਚਿਓ ਨਿਮਖ ਨ ਹੋਹਿ ਉਦਾਸੁ ॥
बिखिअन सिउ काहे रचिओ निमख न होहि उदासु ॥

ਕਹੁ ਨਾਨਕ ਭਜੁ ਹਰਿ ਮਨਾ ਪਰੈ ਨ ਜਮ ਕੀ ਫਾਸ ॥੨॥
कहु नानक भजु हरि मना परै न जम की फास ॥२॥

ਤਰਨਾਪੋ ਇਉ ਹੀ ਗਇਓ ਲੀਓ ਜਰਾ ਤਨੁ ਜੀਤਿ ॥
तरनापो इउ ही गइओ लीओ जरा तनु जीति ॥

ਕਹੁ ਨਾਨਕ ਭਜੁ ਹਰਿ ਮਨਾ ਅਉਧ ਜਾਤੁ ਹੈ ਬੀਤਿ ॥੩॥
कहु नानक भजु हरि मना अउध जातु है बीति ॥३॥

ਬਿਰਧਿ ਭਇਓ ਸੂਝੈ ਨਹੀ ਕਾਲੁ ਪਹੂਚਿਓ ਆਨਿ ॥
बिरधि भइओ सूझै नही कालु पहूचिओ आनि ॥

ਕਹੁ ਨਾਨਕ ਨਰ ਬਾਵਰੇ ਕਿਉ ਨ ਭਜੈ ਭਗਵਾਨੁ ॥੪॥
कहु नानक नर बावरे किउ न भजै भगवानु ॥४॥

ਧਨੁ ਦਾਰਾ ਸੰਪਤਿ ਸਗਲ ਜਿਨਿ ਅਪੁਨੀ ਕਰਿ ਮਾਨਿ ॥
धनु दारा स्मपति सगल जिनि अपुनी करि मानि ॥

ਇਨ ਮੈ ਕਛੁ ਸੰਗੀ ਨਹੀ ਨਾਨਕ ਸਾਚੀ ਜਾਨਿ ॥੫॥
इन मै कछु संगी नही नानक साची जानि ॥५॥

ਪਤਿਤ ਉਧਾਰਨ ਭੈ ਹਰਨ ਹਰਿ ਅਨਾਥ ਕੇ ਨਾਥ ॥
पतित उधारन भै हरन हरि अनाथ के नाथ ॥

ਕਹੁ ਨਾਨਕ ਤਿਹ ਜਾਨੀਐ ਸਦਾ ਬਸਤੁ ਤੁਮ ਸਾਥਿ ॥੬॥
कहु नानक तिह जानीऐ सदा बसतु तुम साथि ॥६॥

ਤਨੁ ਧਨੁ ਜਿਹ ਤੋ ਕਉ ਦੀਓ ਤਾਂ ਸਿਉ ਨੇਹੁ ਨ ਕੀਨ ॥
तनु धनु जिह तो कउ दीओ तां सिउ नेहु न कीन ॥

ਕਹੁ ਨਾਨਕ ਨਰ ਬਾਵਰੇ ਅਬ ਕਿਉ ਡੋਲਤ ਦੀਨ ॥੭॥
कहु नानक नर बावरे अब किउ डोलत दीन ॥७॥

ਤਨੁ ਧਨੁ ਸੰਪੈ ਸੁਖ ਦੀਓ ਅਰੁ ਜਿਹ ਨੀਕੇ ਧਾਮ ॥
तनु धनु स्मपै सुख दीओ अरु जिह नीके धाम ॥

ਕਹੁ ਨਾਨਕ ਸੁਨੁ ਰੇ ਮਨਾ ਸਿਮਰਤ ਕਾਹਿ ਨ ਰਾਮੁ ॥੮॥
कहु नानक सुनु रे मना सिमरत काहि न रामु ॥८॥

ਸਭ ਸੁਖ ਦਾਤਾ ਰਾਮੁ ਹੈ ਦੂਸਰ ਨਾਹਿਨ ਕੋਇ ॥
सभ सुख दाता रामु है दूसर नाहिन कोइ ॥

ਕਹੁ ਨਾਨਕ ਸੁਨਿ ਰੇ ਮਨਾ ਤਿਹ ਸਿਮਰਤ ਗਤਿ ਹੋਇ ॥੯॥
कहु नानक सुनि रे मना तिह सिमरत गति होइ ॥९॥

 
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8th Sri Sahaj Path Sahib

02 Oct, 18:24


वाहेगुरु जी

आप सब संगत को 3 oct 2024 श्री सहज पाठ साहिब के भोग के शलोक का पाठ अंग 1426-1430 अंग तक भेजा जा रहा है आप सब 11 बजेभोग के शलोक का पाठ करे। सारा कार्यक्रम का you tube पर लाइव टेलीकास्ट होगा

https://youtube.com/live/o-H_Np-Bfmg?feature=share


विशेष बेनती गुरमत मर्यादा अनुसार हाथ पैर धोकर व सिर ढक कर पाठ करे।

आप सब अंग नंबर पर ध्यान दें ना कि तारीख पर.

श्री सहज पाठ की नौवीं लड़ी से जुड़ने के लिए नीचे दिए लिंक पर join करे।

https://t.me/S9srisahajpath

8th Sri Sahaj Path Sahib

02 Oct, 18:20


गुरु प्यारी साध संगत जी

वाहेगुरु जी का खालसा
वाहेगुरु जी की फतेह

450साला शताब्दी को समर्पित श्री सहज पाठ साहिब जी का 8वा संपूर्णता समागम 3 अक्टूबर गुरुवार को गुरुद्वारा धन धन बाबा दीप सिंह शहीद पदमपुर रोड श्री गंगानगर में बड़े शरदा उत्साह और धूमधाम के साथ मनाया जा रहा है ।
विशेष बेनती
जो संगत किसी कारणवश या मजबूरी में नहीं पहुंच पा रही है वह पाठ साहिब जी की समाप्ति अपने घर पर व नजदीकी गुरुद्वारा साहिब में कर सकते हैं। कोशिश कीजिएगा कि भोग पाठ साहिब जी का टाइम 11 बजे रखा गया है आप उसी वक्त भोग के शलोक  कीजिए ताकि एक ही समय में पूरे भारतवर्ष में संपूर्णता हो। कृपया देग का प्रसाद कड़ाह प्रसाद तैयार करें । श्लोक पढ़े उपरांत श्री आनंद साहिब जी का पाठ  व अरदास करें । नए श्री सहज पाठ साहिब  आरंभ करने के लिए श्री जपुजी साहिब का पाठ करे उपरांत प्रशाद संगत में बांट दें ।श्री सहज पाठ साहिब जी के नए पाठ आरंभ किए जाएंगे।जिसका लिंक नीचे दिया गया है

वाहेगुरु जी

श्री सहज पाठ की नौवीं लड़ी से जुड़ने के लिए नीचे दिए लिंक पर join करे।

https://t.me/S9srisahajpath

गुलाम गुरु का
सुखदेव सिंह पंछी*
*श्रीगंगानगर राजस्थान*
96676-11045
सुरेंद्र पाल सिंह समाना दिल्ली
अजीत सिंह नय्यर जबलपुर MP
94246-40526            
सुखचरण सिंह पंछी श्री गंगानगर राजस्थान
9460701375
जसपाल सिंह श्री गंगानगर
96949-65286
अरविंदर पाल सिंह बंटी पंछी श्री अमृतसर
92527-0497
डा लखविंदर सिंह श्री गंगानगर
94143-68841
अंग्रेज सिंह श्री गंगानगर
9462897752
कमलजीत सिंह श्री गंगानगर
99824-43927
परविंदर सिंह पंछी दिल्ली
95606-82950
जसकीरत सिंह पंछी श्री अमृतसर
97824-27908
कमलजीत सिंह भाटिया दिल्ली
9953876023
दविंदर जीत सिंह जी श्री गंगानगर
9782537542
हरजीत सिंह भोगल फरीदाबाद हरियाणा
9999777704
भूपिंदर सिंह जी दिल्ली
9818493177
बीबी दलजीत कौर इंदौर मध्य प्रदेश
9516380848
जगदीप सिंह फरुखाबाद उत्तर प्रदेश
9935131510
मंजीत सिंह सूरत गुजरात
9824114227
गुरप्रीत सिंह चौधरी श्री गंगानगर
98296-85588

8th Sri Sahaj Path Sahib

02 Oct, 17:32


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श्री सहज पाठ साहिब जी का *आठवां संपूर्णता समागम का live telecast you tube चैनल RJ13LIVE पर आएगा ।समय सुबह 10:30 बजे।*

*श्री सहज पाठ की नौवीं लड़ी से जुड़ने के लिए Play Store से TELEGRAM App download and login करके नीचे दिए लिंक पर join करे।*

https://t.me/S9srisahajpath

गुलाम गुरु का
सुखदेव सिंह पंछी*
*श्रीगंगानगर राजस्थान*
96676-11045
सुरेंद्र पाल सिंह समाना दिल्ली
अजीत सिंह नय्यर जबलपुर MP
94246-40526
सुखचरण सिंह पंछी श्री गंगानगर राजस्थान
9460701375
जसपाल सिंह श्री गंगानगर
96949-65286
डा लखविंदर सिंह श्री गंगानगर
94143-68841
अंग्रेज सिंह श्री गंगानगर
9462897752
कमलजीत सिंह श्री गंगानगर
99824-43927
अरविंदर पाल सिंह बंटी पंछी श्री अमृतसर
92527-04974

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