O conteúdo mais recente compartilhado por Gulzar poetry (गुलज़ार कविता) no Telegram
Gulzar poetry (गुलज़ार कविता)
19 Feb, 02:20
856
अपनी-अपनी कल्पना अपना-अपना ज्ञान
जिसकी जैसी आस्था वैसे हैं भगवान..
♥️☘
𝙷𝙰𝚁 𝙷𝙰𝚁 𝙼𝙰𝙷𝙰𝙳𝙴𝚅 ♥️
Gulzar poetry (गुलज़ार कविता)
18 Feb, 23:23
785
याद है , मगर याद नहीं , वो मेरा यार है , पर मेरा यार नहीं , सुलह कर लूं , भला किस बात पे ? , मैं गुनहगार हूं , वो गुनहगार नहीं ? ,
चल मान लेते हैं , बुरा ही सही , कौन है लेकिन , जो अदाकार नहीं ? ,
मैं इसे हार क्यों समझूं , क्या मैं हिम्मतदार नहीं ? ,
नहीं बनती मेरी रब से भी कहता है तू मेरा बन्दा है , सलाहकार नहीं।
-✨
Gulzar poetry (गुलज़ार कविता)
18 Feb, 16:34
871
मोहब्बत कभी अतीत का हिस्सा नही बनती यह होती हैं और रहती हैं!
आप शहर बदल ले या देश छोड़ दें जिंदगी में बड़े से बड़ा बदलाव ले आए स्वयं को व्यस्त कर लें , लेकिन मोहब्बत अपनी जगह से जर्रा बराबर भी नही हटती!
मोहब्बत और MOVE ON का आपस में कोई रिश्ता नही हैं आप चाय या कॉफी पीते हुए किसी कहानी या फिल्म में किरदारों को देखकर कोई अधूरा गाना सुन के और यहाँ तक की राह चलते हुए किसी पुराने कागज के टुकड़े पर भी सिर्फ मोहब्बत शब्द लिखा हुआ पढ़ लें तो आपके दिमाग में उसका चेहरा आ जाएगा.!
अज्ञात
Gulzar poetry (गुलज़ार कविता)
18 Feb, 02:17
857
Try it
Gulzar poetry (गुलज़ार कविता)
16 Feb, 08:11
1,202
पतझड़ भी हिस्सा है जिंदगी के मौसम का
फर्क सिर्फ इतना है.
कुदरत में पत्ते सूखते हैं हकीकत में रिश्ते . 🥀🥀🥀
Gulzar poetry (गुलज़ार कविता)
29 Jan, 16:59
211
लगता है आज जिंदगी कुछ खफा है ..... चलिए छोड़िए , कौन सी पहली दफा है .....
Gulzar poetry (गुलज़ार कविता)
29 Jan, 16:30
269
रातों में जागने की आदत हो गई हैं अब मुझको
कम्बख्त ये नींद हैं कि इक चाँद से मोहब्बत कर बैठी हैं..🌚
Gulzar poetry (गुलज़ार कविता)
29 Jan, 13:27
486
मर्दो के इश्क़ पे तो एक पूरी किताब लिखी जानी थी
ज़माने ने तो बस जिस्म का आशिक लिख के छोड़ दिया..🙃
Gulzar poetry (गुलज़ार कविता)
29 Jan, 09:53
578
रात भर काग़ज़ पे बिखरी स्याही कहती रही, इश्क़ ने फिर आज अपना रंग दिखा दिया।
-✨
Gulzar poetry (गुलज़ार कविता)
29 Jan, 02:10
771
प्रेम तो वो पीड़ा हैं जिसे केवल प्रेम करने वाला ही सह सकता हैं..♥️🌿