Gulzar poetry (गुलज़ार कविता) द्वारा टेलीग्राम पर साझा की गई नवीनतम सामग्री
Gulzar poetry (गुलज़ार कविता)
27 Jan, 21:34
942
चाँद भी छुप जाता है उसके मुस्कुराने से, दिन भी ढल जाता है उसके उदास हो जाने से,
क्यों वो नही समझ पाता है हाल-ए-दिल मेरा, मेरी धड़कन रुक जाती है उसके रूठ जाने से।
-✨
Gulzar poetry (गुलज़ार कविता)
26 Jan, 14:31
1,163
कभी हमने सोचा न था, तुमसे जुदा हो जायेंगे, सांसे खफा हो जायेंगी, हम दर-बदर हो जायेंगे, ख्वाबों में आकर इस-कदर, हमको जलाया ना करो, दीवाने हैं, दीवानों का क्या, इक दिन फना हो जायेंगे।
Gulzar poetry (गुलज़ार कविता)
21 Jan, 04:58
373
😂
Gulzar poetry (गुलज़ार कविता)
21 Jan, 02:24
449
मनुज दुग्ध से , दनुज रुधिर से अमर सुधा से जीते हैं