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Newly Appointed Teachers Association, Madhya-Pradesh

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मध्यप्रदेश राज्य स्कूल शिक्षा सेवा (शैक्षणिक संवर्ग) नियम 2018 राजपत्र के अंतर्गत नवनियुक्त शिक्षकों का चैनल, जिसमें प्रत्येक शिक्षक अपने हितों की रक्षा के लिए तन-मन-धन से सहयोग करने के लिए तत्पर रहेगा।

Newly Appointed Teachers Association, Madhya-Pradesh (Hindi)

नवनियुक्त शिक्षक संघ, मध्य प्रदेश का हार्दिक स्वागत है! यह चैनल मध्य प्रदेश राज्य स्कूल शिक्षा सेवा (शैक्षणिक संवर्ग) नियम 2018 के अंतर्गत नवनियुक्त शिक्षकों के लिए एक मंच है। यहाँ प्रत्येक शिक्षक अपने हितों की रक्षा के लिए एक साथ आत्मनिर्भर बनने के लिए मिलकर काम करते हैं। जब एक शिक्षक अधिकारों और सुविधाओं के लिए संघर्ष करता है, तो एक संगठित समुदाय में शामिल होकर उसका समर्थन करने में मदद मिलती है। यहाँ सभी नए शिक्षकों के लिए वीडियो, सूचनाएं और समाचार शेयर किये जाते हैं जो मध्य प्रदेश के शिक्षा सेवा में योगदान करने के इच्छुक हैं। चैनल में एकत्रित होकर शिक्षा क्षेत्र में अच्छे बदलाव लाने का एक साथी पाएं और अपनी आवाज को सुनिये।

Newly Appointed Teachers Association, Madhya-Pradesh

16 Feb, 16:30


सरकारी नौकरियों में पेंशन खत्म होने का प्रावधान यूं ही नहीं आया। इसके पीछे देशी विदेशी बीमा कंपनियों का अथक परिश्रम था। आज जब 2025 के नए बजट में भारतीय बीमा क्षेत्र में शत प्रतिशत विदेशी निवेश को स्वीकृति मिल गई तो बहुराष्ट्रीय बीमा कंपनियों के सतत "परिश्रम" को भी अंतिम मुकाम मिल गया।

वह 1990 के दशक का अंतिम दौर था। भारत में आर्थिक उदारीकरण अपने दूसरे चक्र में प्रवेश कर चुका था। विदेशी निवेश के लिए भारतीय नीति नियंता पलक पांवड़े बिछाए इस देश उस देश की यात्रा के दौरान कंपनियों को आमंत्रित कर रहे थे। उसी प्रक्रिया में बीमा क्षेत्र में भी देशी विदेशी निवेश को आकर्षित करने के भी प्रयास हो रहे थे।

तब के दौर में बीमा क्षेत्र में एलआईसी और कुछेक अन्य सरकारी कंपनियों का ही बोलबाला था। निजी निवेश के लिए द्वार तो खोले जा चुके थे लेकिन कृपा थी कि कहीं अटकी पड़ी थी।

निजी बीमा कंपनियों की सरकार से शिकायत थी कि भारत में गरीबी इतनी है कि आम लोग तो बीमा खरीदने से रहे। मिडिल क्लास, जो बीमा का खरीदार था या हो सकता था, उसका बड़ा हिस्सा केंद्र और राज्य सरकार के साथ ही पब्लिक सेक्टर की नौकरियों में था और रिटायरमेंट के बाद पेंशन की सुविधा से लैस था। वह भी ऐसा पेंशन, जिसमें हर छह महीने के बाद महंगाई भत्ते की किस्त जुड़ जाती थी और हर दस वर्ष बाद पेंशन की मूल राशि का पुनरीक्षण कर उसमें अच्छी खासी बढ़ोतरी कर दी जाती थी।

बीमा का बाजार सिर्फ जीवन बीमा जैसी पॉलिसियों से नहीं बढ़ सकता था। उसके लिए जरूरी था कि लोग पेंशन प्लान जैसी योजनाओं में भारी मात्रा में निवेश करें। यह निवेश एकमुश्त बड़ी राशि जमा कर भी हो सकता था, किस्तों में जमा कर भी हो सकता था।

लेकिन सरकारी और पब्लिक सेक्टर के करोड़ों कर्मियों का तो बुढ़ापा या भविष्य, जो भी कहें, रिटायरमेंट उपरांत सरकारी पेंशन के कारण सुरक्षित था। वे जीवन बीमा तो ले रहे थे लेकिन पेंशन प्लान आदि में उनके निवेश का कोई मतलब नहीं था।

सरकार ने प्रथम चक्र में भारतीय बीमा क्षेत्र में 26 प्रतिशत विदेशी निवेश को स्वीकृति दी। यानी कोई बहुराष्ट्रीय बीमा कंपनी किसी भारतीय कंपनी के साथ भागीदारी कर भारत के बीमा बाजार में उतर सकता था। कंपनी में भारतीय पूंजी 74 प्रतिशत, विदेशी पूंजी 26 प्रतिशत।

लेकिन, रंग चोखा नहीं आ रहा था। कंपनियों को असल लाभ तो पेंशन प्लान जैसी योजनाओं से मिलना था जिनमें कोई एक मुश्त बहुत बड़ी राशि कंपनी को सौंप देता है या फिर पच्चीस तीस वर्षों तक अपने पेंशन फंड में निर्धारित राशि जमा करता रहता है, करता रहता है। ताकि, बुढ़ापे में उसे हर महीने एक निर्धारित राशि मिलते रहने की गारंटी रहें।

देशी विदेशी बीमा कंपनियों ने भारतीय नीति नियंताओं पर दबाव बनाना शुरू कर दिया कि सरकारी और पब्लिक सेक्टर की नौकरियों में पेंशन का प्रावधान खत्म कर दिया जाए तो भारत के बीमा बाजार में रौनक आ सकती है।

फिर क्या था, अर्थशास्त्रियों का एक वर्ग दिन रात टीवी पर, अखबारों में चीखने चिल्लाने लगा कि पेंशन के मद में देश की बड़ी राशि चली जाती है और इस पर पुनर्विचार करना आज की बड़ी जरूरत है। फिर, एक दिन बाबू यशवंत सिन्हा बतौर वित्त मंत्री, भारत सरकार संसद में जार जार रोते देखे गए कि सरकार अब पेंशन का बोझ उठाने में सक्षम नहीं हो पा रही है। वे इस बात से बहुत दुखी थे कि लोग अब बहुत दिनों तक जीवित रहते हैं और नियमित पेंशन पाने वाले लोग तो और भी अधिक जीते हैं। इस कारण पेंशन की राशि का "बोझ" और अधिक बढ़ता जा रहा है।

फिर, एक दिन सरकार ने घोषणा कर दी कि अब सरकारी और पब्लिक सेक्टर में रिटायरमेंट के बाद पेंशन खत्म और इसकी जगह "नैशनल पेंशन स्कीम" लाई जाएगी। नेशनल पेंशन स्कीम, जिसे आम बोलचाल की भाषा में सरकारी कर्मी न्यू पेंशन स्कीम कहते हैं, ओल्ड पेंशन स्कीम की तुलना में निहायत ही दरिद्र और अति भ्रामक योजना थी। लेकिन, जब सरकार बहादुर ने तय कर लिया तो कर लिया। तब सरकार भाजपा की थी और इस कदम को कांग्रेस का भी समर्थन था। बाकियों की क्या बिसात थी जो या तो सिर्फ अपने बेटे पोते की राजनीति में रमे थे या जातियों की ठेकेदारी में लगे थे।

ओल्ड पेंशन स्कीम खत्म तो खत्म। अब एनपीएस का जमाना था।

बीमा बाजार में रौनक आने लगी। बहुराष्ट्रीय बीमा कंपनियों के चरण रज से भारतीय भूमि धन्य होने लगी। देशी और विदेशी कंपनियों के गठजोड़ से जन्मी अजीबोगरीब नामों वाली दर्जनों बीमा कंपनियों से बीमा बाजार गुलजार होने लगा।

Newly Appointed Teachers Association, Madhya-Pradesh

16 Feb, 16:30


बहुराष्ट्रीय कंपनियां अपने बाजार के विस्तार के लिए आक्रमक और योजनाबद्ध रणनीतियों के लिए जानी जाती हैं। अचानक से हमारे गांवों कस्बों में बीम एजेंटों की बाढ़ सी आ गई। हर तीसरे चौथे घर का कोई न कोई बेरोजगार युवक किसी इंश्योरेंस कंपनी का एजेंट बन कर लोगों को बीमा की परिभाषा और उसके लाभ पढ़ाने लगा। एक से एक प्लान, एक से एक प्रलोभन।

जब तक भारतीय नियामक एजेंसियां जागरूक होती और कुछ जरूरी कदम उठाती, यूलिप नामक एक प्लान से इन कंपनियों ने भारतीयों को अच्छा खासा लूटा और क्या खूब लूटा।

इधर, जैसे जैसे समय बीतने लगा एनपीएस का खोखलापन सामने आने लगा। 2004 से यह शुरू हुआ और 2014 तक आते आते इस योजना से जुड़े इक्के दुक्के सरकारी लोग रिटायर भी होने लगे। एनपीएस में उन्हें मिलने वाली राशि इतनी कम थी कि न्यूज अखबारों में भी छपा।

एनपीएस में निवेश का एक बड़ा हिस्सा बाजार के हवाले कर देने की योजना ने इसे और अधिक असुरक्षित बना दिया था।

अब सरकारी और पब्लिक सेक्टर कर्मी चौंके। वे अपने बुढ़ापे के लिए अपनी जवानी की गाढ़ी कमाई से और अधिक राशि वैकल्पिक योजनाओं में निवेश करने के लिए विवश होने लगे। अब बीमा के बाजार में और अधिक सरगर्मी आ गई। कंपनियों की पौ बारह होने का माहौल बन चुका था।

तब तक अपने मोदी जी आ चुके थे और छा चुके थे। 2014 के मई में वे आए और दिसंबर, 2014 में उनकी सरकार ने बीमा क्षेत्र में विदेशी निवेश की सीमा 26 प्रतिशत से बढ़ा कर 49 प्रतिशत कर दी। विदेशी निवेश संबंधी नियमों को भी अधिक "उदार" बनाया गया ताकि बीमा का बाजार अधिक से अधिक बढ़ सके।

2018-19 तक आते आते एनपीएस का ढोल फटने लगा जब अखबारों में खबरें छपने लगी कि 70 हजार के अंतिम वेतन पर रिटायर सरकारी बाबू को मात्र 37 सौ पेंशन फिक्स हुआ। बाकी तमाम बाबुओं की पेशानी पर बल पड़ने लगे ऐसी खबरों को देख सुन कर और वे लपक लपक कर आजीवन फलां प्लान, सुनिधि ढिकाना प्लान की ओर मुखातिब होने लगे। बाजार और गुलजार हुआ।

प्राइवेट कम्पनियों के विस्तार और पब्लिक सेक्टर के निजीकरण ने प्राइवेट क्षेत्र के कर्मियों की संख्या में खासी बढ़ोतरी की जिनके लिए एनपीएस का विकल्प तो खुला था लेकिन उसके लचरपन के उजागर होने के बाद वे कर्मी भी बीमा कंपनियों के पेंशन प्लान आदि निवेश कर अपने बुढ़ापे को सुरक्षित करने की दिशा में आगे बढ़ने लगे।

अब रास्ता बुहारा जा चुका था। विदेशी पूंजी उसी रास्ते चल कर पवित्र भारत भूमि में मुनाफे का संगम नहाने आने वाली थी तो रास्ता बुहारना वाजिब ही था। मोदी सर ने और दरियादिली दिखाई और 2021 में बीमा क्षेत्र में विदेशी निवेश की सीमा 49 से बढ़ा कर 74 कर दी गई।

इस बीच इन कंपनियों के मुनाफे के खेल भी सामने आते रहे जिन्हें मुख्यधारा के मीडिया ने जान बूझ कर अधिक तवज्जो नहीं दी। फसल बीमा जैसी योजनाओं में तो जम कर लूट मची और करोड़ों किसान ठगे से रह गए जब उनकी क्षति का दस प्रतिशत तक भी उन्हें नहीं मिला।

लेकिन, तब तक भारत के ग्रामीण और शहरी क्षेत्र के मिडिल क्लास का बड़ा हिस्सा राष्ट्रवाद और धर्मवाद के झोंको में झूलने लगा था और कंपनियों की लूट जैसे "गैर जरूरी" मुद्दों पर विमर्श का कोई खास स्कोप नहीं रह गया था। कुछ सिरफिरे किस्म के बुद्धिजीवी अक्सर सोशल मीडिया मंच पर या अन्य मंचों पर ऐसे सवाल उठाते जरूर रहे लेकिन उन्हें "अप्रासंगिक हो चुकी विचारधाराओं" पर आरण्यरोदन करने वाला करार दे कर खारिज कर देने के सुनियोजित और सुसंगठित अभियान सफल होते रहे।

अब ,
जब भारत का बीमा बाजार कामकाजी वर्ग के निवेश से लबालब होने को है और फिजूल के मुद्दों के सामने आर्थिक प्रश्नों को बौना बना देने का प्रचलन लोकप्रिय हो चुका है तो अंतिम स्ट्रोक भी लगा ही दिया गया है। अब भारत के बीमा क्षेत्र में में विदेशी कंपनियों के निवेश की सीमा समाप्त कर दी गई है और कोई बहुराष्ट्रीय कंपनी अब शत प्रतिशत निवेश के साथ भारतीय बाजार में बेरोकटोक आ सकती है।
झांसा देने और मुनाफा कमाने के उनके हुनर की तो दुनिया दीवानी रही है। अब यह हुनर भारत भी देखेगा और दीवाना होगा। इस बीच सरकार ने एनपीएस के विकल्प के रूप में यूपीएस नामक एक पेंशन प्लान की घोषणा की है जिसके नख शिख का विवेचन करने में सरकारी बाबू लोग लगे हुए हैं। लेकिन, नीति नियंताओं का जो अंतिम लक्ष्य था वह हासिल हो चुका है और शत प्रतिशत विदेशी निवेश के साथ भारत का बीमा बाजार लाइट बत्तियों से रोशन हो रहा है।

Newly Appointed Teachers Association, Madhya-Pradesh

16 Feb, 02:11


डरना नहीं है, डटे रहना है। 💪😎

Newly Appointed Teachers Association, Madhya-Pradesh

16 Feb, 02:01


नव नियुक्त शिक्षकों का डाटा और सर्विस बुक ट्रांसफर।

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15 Feb, 03:14


ASER 2024 सर्वेक्षण यह स्पष्ट करता है कि ग्रामीण राज्य बोर्ड स्कूल अपने छात्रों को उच्च शिक्षा और प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए तैयार करने में विफल हो रहे हैं। इसके कारण, JEE, NEET, और CLAT जैसी परीक्षाओं में CBSE स्कूलों (मुख्य रूप से टियर-1 और टियर-2 शहरों के) के छात्रों का अनुपातिक वर्चस्व बढ़ता जा रहा है। यदि राज्य बोर्ड पाठ्यक्रम, शिक्षकों के प्रशिक्षण और प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में सुधार नहीं किया गया, तो ग्रामीण छात्र असमानता के इस चक्र में फंसे रहेंगे, जिससे सामाजिक और आर्थिक असंतुलन और बढ़ेगा।

Newly Appointed Teachers Association, Madhya-Pradesh

15 Feb, 03:14


ASER 2024 सर्वेक्षण: निष्कर्ष, प्रभाव और प्रतियोगी परीक्षाओं पर प्रभाव

सारांश

ASER 2024 सर्वेक्षण दर्शाता है कि ग्रामीण राज्य बोर्ड स्कूलों में बुनियादी शिक्षा का स्तर लगातार गिर रहा है, जबकि नामांकन दर बढ़ रही है। राज्य बोर्ड स्कूलों में खराब बुनियादी शिक्षा के कारण प्रतियोगी परीक्षाओं (JEE Main, NEET, CLAT आदि) में CBSE छात्रों का अनुपातिक रूप से उच्च चयन हो रहा है। भारत में 20,000 से अधिक CBSE स्कूल मुख्य रूप से टियर-1 और टियर-2 शहरों में हैं, जहां छात्रों को बेहतर संसाधन और गुणवत्ता वाली शिक्षा मिलती है। इसके विपरीत, ग्रामीण राज्य बोर्ड स्कूलों के छात्र पिछड़ रहे हैं, जिससे सामाजिक गतिशीलता और आर्थिक समानता बाधित हो रही है। इस असमानता को दूर करने के लिए शैक्षिक सुधारों की तत्काल आवश्यकता है।

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मुख्य निष्कर्ष

1. ग्रामीण राज्य बोर्ड स्कूलों में गिरता शिक्षा स्तर

85% कक्षा 3 के छात्र कक्षा 2 की किताब तक सही से पढ़ नहीं सकते।

40.1% कक्षा 5 के छात्र बुनियादी गणितीय गणनाएं करने में असमर्थ हैं।

राज्य बोर्ड के कक्षा 8 के छात्र उच्च शिक्षा के लिए आवश्यक तार्किक और विश्लेषणात्मक क्षमताओं में कमजोर हैं।

2. प्रतियोगी परीक्षाओं में CBSE छात्रों का वर्चस्व

CBSE स्कूलों में सुव्यवस्थित पाठ्यक्रम, प्रशिक्षित शिक्षक और उच्च स्तरीय संसाधन उपलब्ध होते हैं।

राज्य बोर्ड स्कूलों में पाठ्यक्रम पुराना, रटने पर आधारित और अवधारणात्मक समझ कमजोर रहती है।

JEE Main, NEET और CLAT जैसे राष्ट्रीय स्तर की परीक्षाओं में टॉप करने वाले अधिकांश छात्र CBSE स्कूलों से होते हैं, क्योंकि उनका पाठ्यक्रम इन परीक्षाओं से मेल खाता है।

3. स्मार्टफोन की उपलब्धता के बावजूद शिक्षा में सुधार नहीं

93.8% ग्रामीण छात्रों के पास स्मार्टफोन है, लेकिन डिजिटल शिक्षा की कमी और उचित मार्गदर्शन न होने के कारण इसका लाभ नहीं मिल रहा।

शहरी CBSE छात्रों के पास कोचिंग संस्थान और बेहतर डिजिटल संसाधनों की उपलब्धता अधिक है, जिससे ग्रामीण-शहरी शिक्षा में खाई और गहरी हो रही है।

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मुख्य प्रभाव

1. प्रतियोगी परीक्षाओं में राज्य बोर्ड के छात्र पिछड़ रहे हैं

NEET और JEE टॉपर्स में CBSE स्कूलों के छात्रों का दबदबा है, क्योंकि उनकी शैक्षिक नींव मजबूत होती है।

राज्य बोर्ड के छात्र राष्ट्रीय स्तर की परीक्षाओं में संघर्ष कर रहे हैं, क्योंकि उनका पाठ्यक्रम आवेदन-आधारित (application-based) पढ़ाई को महत्व नहीं देता।

CBSE स्कूलों में बेहतर करियर मार्गदर्शन उपलब्ध है, जबकि राज्य बोर्ड स्कूलों में इस ओर कोई ठोस प्रयास नहीं किया जाता।

2. सामाजिक और आर्थिक असमानता बढ़ रही है

टियर-1 और टियर-2 शहरों के CBSE स्कूलों के छात्र टॉप रैंक हासिल कर रहे हैं, जबकि ग्रामीण राज्य बोर्ड के छात्र पिछड़ रहे हैं।

इसका सीधा असर आर्थिक अवसरों पर पड़ रहा है—शहरी छात्र उच्च वेतन वाली नौकरियां हासिल कर रहे हैं, जबकि ग्रामीण छात्र कम आय वाले कार्यों तक सीमित रह जाते हैं।

3. प्रतियोगी परीक्षाएं शहरी CBSE स्कूलों के लिए अनुकूलित हैं

CBSE पाठ्यक्रम NCERT किताबों के करीब है, जो प्रतियोगी परीक्षाओं (JEE, NEET, CLAT) में सीधे उपयोग होती हैं।

राज्य बोर्ड के छात्रों को अतिरिक्त कोचिंग की जरूरत पड़ती है, लेकिन गुणवत्तापूर्ण कोचिंग केंद्र ग्रामीण इलाकों में उपलब्ध नहीं हैं।

परिणामस्वरूप, ग्रामीण छात्र CBSE के शहरी छात्रों की तुलना में प्रतियोगी परीक्षाओं में पिछड़ जाते हैं।

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समाधान और आवश्यक कदम

1. राज्य बोर्ड शिक्षा प्रणाली में सुधार

राज्य बोर्ड के पाठ्यक्रम को CBSE और NCERT के अनुरूप बनाया जाए।

शिक्षकों के लिए आधुनिक प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाए जाएं, जिससे वे अवधारणात्मक शिक्षा को प्रोत्साहित कर सकें।

नियमित मूल्यांकन प्रणाली लागू की जाए, ताकि सीखने के परिणामों को ट्रैक किया जा सके।

2. ग्रामीण क्षेत्रों में गुणवत्तापूर्ण कोचिंग की पहुंच बढ़ाई जाए

सरकार और निजी क्षेत्र को ग्रामीण क्षेत्रों में कोचिंग सुविधाओं का विस्तार करना चाहिए।

डिजिटल लर्निंग प्लेटफॉर्म को राज्य बोर्ड छात्रों के लिए निःशुल्क उच्च गुणवत्ता वाली सामग्री उपलब्ध करानी चाहिए।

ग्रामीण छात्रों को शीर्ष शिक्षकों से जोड़ने के लिए मेंटरशिप प्रोग्राम लागू किए जाएं।

3. प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए नीतिगत बदलाव

JEE, NEET और CLAT में ग्रामीण राज्य बोर्ड के छात्रों को वाजिब अवसर देने के लिए कुछ अतिरिक्त वेटेज दिया जाए।

राज्य सरकारों को स्कूल इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश करना चाहिए और प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी को राज्य बोर्ड के पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाना चाहिए।

प्रतिभाशाली ग्रामीण छात्रों के लिए छात्रवृत्ति और विशेष अवसरों की संख्या बढ़ाई जाए।

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निष्कर्ष

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15 Feb, 01:41


त्यागपत्र_न_लेते_हुए_कार्य_मुक्त_आदेश.pdf

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14 Feb, 16:28


अधीक्षक.pdf

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14 Feb, 10:31


https://www.thelallantop.com/india/post/madhya-pradesh-police-writes-objectionable-comment-on-character-certificate-two-suspend?fbclid=IwY2xjawIb-oZleHRuA2FlbQIxMQABHUTlOdsm7gV9e6zdUubDxaQAAshsyGnRM0f-8mLSVxkPUjj77Yj1ocZkZg_aem_7Cjau18aCMaB_r0sbfDVoQ

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14 Feb, 09:46


CM हेल्पलाइन पर शिकायत करना अपराध तब तक नहीं कहलाता है जब तक वह शिकायत फर्जी न की गई हो।


https://www.aajtak.in/madhya-pradesh/story/police-constable-suspended-for-writing-objectionable-comments-in-red-ink-on-character-certificate-of-a-youth-lcln-dskc-2167063-2025-02-14

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13 Feb, 14:37


bridge_course_Hindi_subject_training_17_February_19_February_at.pdf

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13 Feb, 14:28


Practical TA Bill.pdf

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13 Feb, 13:28


ESB भर्तियों में अब NEET, JEE, NET इत्यादि की तरह परसेंटाइल स्कोर के हिसाब से रैंक प्रदान की जायेगी, जिसके सबसे ज्यादा प्राप्तांक होते हैं उसको 100 परसेंटाइल माना जाता है, उसके बाद वाले को 99.99 परसेंटाइल, इसी तरह सबको स्कोर देकर रैंक बनाई जायेगी।

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13 Feb, 11:05


माध्यमिक शिक्षक चयन परीक्षा आवेदन के संबंध में मार्गदर्शन।

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13 Feb, 10:39


8th pay commission: ₹18,000 से बढ़कर ₹51,480 होगी Basic Salary...50 लाख सरकारी कर्मचारियों को फायदा।

https://www.punjabkesari.in/national/news/government--8th-pay-commission-salaries-pensions-central-employees-2103475

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13 Feb, 10:36


नव_नियुक्त_UMS_एवं_MS_शिक्षक_के_त्याग_पत्र_के_संबंध_में.pdf

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26 Jan, 16:58


76 वें गणतंत्र दिवस पर नव नियुक्त शिक्षक संघ जिला रायसेन के द्वारा मां नर्मदा के तट बोरास में शिक्षक सम्मेलन का आयोजन किया गया जिसमें उदयपुरा ब्लॉक की कार्यकारिणी का गठन एवं अन्य ब्लॉकों में कार्यकारिणी के गठन की रूपरेखा तय की गई , संगठन के विस्तार की योजना बनाई गई। बैठक के पश्चात दाल बाटी चूरमा की प्रसादी हुई। जय हिंद जय भारत

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26 Jan, 01:00


भारत सरकार ने चाइल्ड केयर लीव में किया संशोधन एक कैलेंडर वर्ष में तीन के जगह छह बार ले सकते हैं सीसीएल

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25 Jan, 13:47


भारत सरकार वित्त मंत्रालय व्यय विभाग।

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25 Jan, 13:46


UPS Gazette
एकीकृत पेंशन योजना।

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25 Jan, 08:24


New - Bhandar Kray Niyam.pdf

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24 Jan, 18:02


नमक: सभ्यताओं की धरोहर और "सैलरी" का जन्म

1. "सैलरी" शब्द की उत्पत्ति: नमक का अनमोल योगदान

आज का "सैलरी" शब्द प्राचीन रोमन प्रथा "सालेरियम" से निकला है। "सालेरियम" वह भुगतान था, जिसमें रोमन सैनिकों को सेवा के बदले नमक दिया जाता था। नमक की क़ीमत और उपयोगिता इतनी अधिक थी कि इसे मुद्रा के रूप में भी देखा जाता था। यह शब्द इस बात का प्रतीक है कि प्राचीन समाजों में नमक केवल एक संसाधन नहीं, बल्कि अर्थव्यवस्था और संस्कृति का महत्वपूर्ण हिस्सा था।

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2. रोमन साम्राज्य में नमक: वेतन का आधार

रोमन सैनिकों के लिए नमक केवल एक वस्तु नहीं, बल्कि उनके सेवा का प्रत्यक्ष मूल्य था। सैनिकों की रैंक और सेवा की अवधि के आधार पर नमक की मात्रा तय की जाती थी। यह "सालेरियम" न केवल उनकी बुनियादी जरूरतों को पूरा करता था, बल्कि इसे एक प्रकार की मुद्रा के रूप में भी इस्तेमाल किया जाता था।

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3. चीन में "साल्ट टैक्स" और आर्थिक नियंत्रण

चीन में, नमक से कर संग्रह (साल्ट टैक्स) शाही खजाने का एक प्रमुख स्रोत था। हान राजवंश के समय नमक उत्पादन पर सरकारी नियंत्रण ने आर्थिक स्थिरता को बढ़ावा दिया। नमक को सामाजिक और आर्थिक शक्ति के रूप में देखा गया।

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4. भारत में नमक और स्वतंत्रता संग्राम

भारत में नमक का महत्व केवल भोजन तक सीमित नहीं था। 1930 में महात्मा गांधी ने ब्रिटिश राज के नमक कर के खिलाफ "नमक सत्याग्रह" चलाया। यह आंदोलन भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का एक ऐतिहासिक अध्याय बना और नमक की राजनीतिक और सामाजिक ताकत को दर्शाया।

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5. अफ्रीका में नमक व्यापार: "सफेद सोना"

अफ्रीका में नमक को "सफेद सोना" कहा जाता था। सहारा मरुस्थल के व्यापारी नमक को सोने के बराबर महत्व देते थे। यह व्यापार पश्चिम अफ्रीका की आर्थिक समृद्धि का एक प्रमुख आधार था।

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6. यूरोप में नमक और सत्तात्मक नियंत्रण

मध्यकालीन यूरोप में नमक को संरक्षित भोजन के लिए अनिवार्य माना जाता था। फ्रांस में "गाबेल" नामक नमक कर लगाया गया, जिसने क्रांति की ज्वाला को भड़काया। नमक का राजनीतिक और आर्थिक नियंत्रण सत्ता का प्रतीक बन गया।

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7. सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व

नमक को कई संस्कृतियों में शुभता और शुद्धता का प्रतीक माना गया। जापान में इसे बुरी आत्माओं को भगाने के लिए उपयोग किया जाता था, जबकि ईसाई परंपराओं में यह शुद्धता और स्थायित्व का प्रतीक है।

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निष्कर्ष

नमक ने सभ्यताओं की दिशा तय की और समाजों को जोड़ने का काम किया। "सैलरी" शब्द इसकी ऐतिहासिक महत्ता का प्रमाण है। नमक की कहानी हमें यह याद दिलाती है कि छोटे से दिखने वाले संसाधन भी मानव सभ्यता के निर्माण में कितने अहम हो सकते हैं।

Newly Appointed Teachers Association, Madhya-Pradesh

24 Jan, 17:39


आठवां

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24 Jan, 16:28


codeofIndia2002AdvisoryHin_23012025_0.pdf

Newly Appointed Teachers Association, Madhya-Pradesh

24 Jan, 14:35


Pressnote Time Table.pdf

Newly Appointed Teachers Association, Madhya-Pradesh

24 Jan, 12:47


EEP Eco club.pdf

Newly Appointed Teachers Association, Madhya-Pradesh

24 Jan, 12:41


DW Maintenance Letter.pdf

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24 Jan, 12:39


TM Maintenance Letter.pdf

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24 Jan, 12:36


Career Mela dt. 23Jan with Annex.pdf

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21 Jan, 07:30


MPPSC रिजल्ट पर फिर सवाल
- मुख्य परीक्षा में 800 मार्क्स लाने वाले को इंटरव्यू में 50-60 मार्क्स और मुख्य परीक्षा में 590 मार्क्स लाने वाले को इंटरव्यू में 150-150 मार्क्स दिए गए हैं। जिसके मुख्य परीक्षा में 100 मार्क्स अधिक हैं उसके इंटरव्यू में 100 मार्क्स कम हैं।

जो मेरिट में नहीं आए हैं उनके मार्क्स ही दिखाए नहीं जाते हैं, 30-40 इंटरव्यू में मार्क्स देकर बाहर कर दिया जाता है।

आज एमपीपीएससी के परिक्षार्थी आज मांग कर रहे हैं कि इस चयन प्रकिया को और पारदर्शी बनाया जाये। मैं मध्यप्रदेश सरकार और मध्य प्रदेश लोकसेवा आयोग से मांग करता हूं कि अगर इस प्रकार आरोप लग रहे हैं और परीक्षार्थी मांग कर रहे हैं तो इसकी जांच कर संपूर्ण प्रक्रिया को पारदर्शी बनाया जाये।

Newly Appointed Teachers Association, Madhya-Pradesh

21 Jan, 05:58


*ओबीसी आरक्षण: 87 प्रकरणों की सुनवाई फिर टली:* महाधिवक्ता कार्यालय की कार्यप्रणाली पर सवाल; 28 जनवरी को होगी सुनवाई
https://dainik.bhaskar.com/ulwQlmupkQb

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20 Jan, 15:56


111 N 112 Date 13-08-2024 (1).pdf

Newly Appointed Teachers Association, Madhya-Pradesh

20 Jan, 15:56


9 N 10 date 17-01-2025.pdf

Newly Appointed Teachers Association, Madhya-Pradesh

20 Jan, 15:55


104 N 105 date 08-08-2024 (1).pdf

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20 Jan, 15:54


7 N 8 date 17-01-2025.pdf

Newly Appointed Teachers Association, Madhya-Pradesh

20 Jan, 12:11


Stipend Pay fixation 13 08 2024-2.pdf

Newly Appointed Teachers Association, Madhya-Pradesh

20 Jan, 08:46


केन्द्रीय सरकार के कर्मचारियों को वर्ष 2019-20 और 2020-21 के दौरान ज़ब्त मंहगाई भत्ते का भुगतान करने के आदेश जारी।

Newly Appointed Teachers Association, Madhya-Pradesh

20 Jan, 06:09


समस्त BEO प्रशिक्षण भोपाल।

Newly Appointed Teachers Association, Madhya-Pradesh

18 Jan, 14:47


सीधी जिले में kandhwar गांव के आसपास कोई रहता हो तो मुझे सम्पर्क करें।

Newly Appointed Teachers Association, Madhya-Pradesh

17 Jan, 13:56


रूलबुक - वर्ग 2 चयन परीक्षा.. कुल पद 10758..
आवेंदन:- 28 जनवरी से 11 फरवरी 2025
परीक्षा दिनांक:- 20 मार्च से प्रारंभ।

1..विषय शिक्षक 7929 ( स्कूल शिक्षा 7082+847 जनजातीय विभाग)..
2 माध्यमिक शिक्षक खेल 338 पद
3 माध्यमिक शिक्षक संगीत गायन वादन..392 पद
4 प्राथमिक शिक्षक खेल 1377 पद
5 प्राथमिक शिक्षक संगीत गायन वादन 452 पद
6 प्राथमिक शिक्षक नृत्य 270 पद

Newly Appointed Teachers Association, Madhya-Pradesh

17 Jan, 13:21


*गेट वे ऑफ़ एक्सीलेंस*

नीचे दी गई लिंक https://mpsos.mponline.gov.in/app/#/soem/SOESOMForm

के माध्यम से कक्षा आठवीं में अध्यनरत छात्र-छात्राएं किसी कंप्यूटर किओस्क सेंटर में जाकर ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं।
एक्सीलेंस स्कूल कक्षा 9वीं प्रवेश परीक्षा 2025-26 के लिए ऑनलाइन आवेदन भरना प्रारंभ हो गया है।

*अंतिम तिथि 10 फरवरी 2025*

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17 Jan, 13:20


MS_PS_TST_2024_RuleBook (1).pdf

Newly Appointed Teachers Association, Madhya-Pradesh

17 Jan, 08:58


8th CPC Model Calculation based on history.pdf

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17 Jan, 08:32


हफ्ते में 48 घंटे काम का कानून: इससे ज्यादा काम कराया तो हो सकती है जेल, एम्प्लॉई जानें अपने कानूनी अधिकार।

पूरा वीडियो देखने के लिए लिंक पर क्लिक करें- https://dainik.bhaskar.com/p8e03uSFdQb

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17 Jan, 04:28


DA new letter to all TO.pdf

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16 Jan, 10:00


*केंद्र ने 8वें वेतन आयोग के गठन की मंजूरी दी:* 2026 से इसकी सिफारिशें लागू होंगी; केंद्रीय कर्मचारियों को लाभ मिलेगा
https://dainik.bhaskar.com/zwapccPwcQb

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15 Jan, 17:15


State Level MS Antrim Gradation 01-04-24.pdf

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28 Dec, 16:09


DocScanner 23-Dec-2024 3-32 pm.pdf

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28 Dec, 06:50


राजस्थान लोक सेवा आयोग(RPSC) द्वारा वरिष्ठ अध्यापक (Senior Teacher) के पदों हेतु विज्ञापन जारी किया गया है, (Second Grade Teacher) कक्षा 9 से 10 में पढ़ाने वाले।

विज्ञापन के प्रमुख बिंदु इस प्रकार है -

1. योग्यता - आपने ग्रेजुएशन किया हो, इसके साथ ही डिग्री या डिप्लोमा किया हो शिक्षा शास्त्र में।

2. हिंदी, अंग्रेजी, गणित, संस्कृत, उर्दू एवं पंजाबी विषय के लिए,
इनमें से कोई सा भी विषय आपके ग्रेजुएशन में एक वैकल्पिक विषय के रूप में रहा हो तो आप इन विषयों के लिए अप्लाई कर सकते हैं।
.
3. Science के लिए -
आपके ग्रेजुएशन में इनमें से कोई से भी दो सब्जेक्ट्स आपको ग्रेजुएशन में रहे हों, ये विषय हैं - Physics, Chemistry, Zoology, Botany, Micro Biology, Biotechnology और Bio Chemistry.

4. SST (सामाजिक विज्ञान ) इनमें से कोई से भी दो सब्जेक्ट्स वैकल्पिक विषय को रूप में आपके ग्रेजुएशन में रहें हों, ये विषय हैं -
History, Geography, Economics, Political Science, Sociology, Public Administration और Philosophy.

5. आयु सीमा 18 वर्ष से 40 वर्ष।

6. आवेदन शुरू होने की दिनांक 26 दिसंबर 2024, मतलब ये कि कल से आवेदन शुरू हो चुके हैं, और आवेदन की अंतिम तिथि 24 जनवरी 2025 है।

7. राजस्थान राज्य से बाहर के लोग केवल सामान्य श्रेणी में ही आवेदन कर पायेंगे, चाहे वो किसी भी केटेगरी से संबंधित हों।

8. TSP क्षेत्र में केवल TSP क्षेत्र के निवासी ही आवेदन कर सकते हैं।
NON TSP में सभी लोग आवेदन कर सकते हैं, बाहरी राज्यों के कैंडिडेट्स भी NON TSP में ही आवेदन करें, नहीं तो आवेदन निरस्त हो जाएगा।

9. आवेदन पत्र को सावधानी पूर्वक भर लें, आयोग की वैबसाइट पर संपूर्ण जानकारी इस संबंध में दी गई है, आवेदन पत्र में गलतियां करने से बचें, फिर भी यदि गलती होती है तो, आवेदन की अंतिम तिथि से पहले, और अंतिम तिथि की समाप्ति के 10 दिन के भीतर त्रुटि सुधार कर सकते हैं, लेकिन ₹500 देने होंगे, इसलिए त्रुटि नहीं करें।

10. CTET की आवश्यकता नहीं है, और ना REET की, ये एग्जाम REET से भिन्न हैं, केवल एक ही एग्जाम होगा और उसी के आधार पर सिलेक्शन होगा।

11. परीक्षा योजना -
परीक्षा 500 अंकों की होगी, दो पेपर आयोजित होंगे, पहला पेपर 200 अंको का होगा, जिसमें राजस्थान GS और भारत और विश्व GS, और साथ ही में Education Psychology होगी।

दूसरा पेपर आपके विषय से संबंधित होगा, जो कि 300 अंको का होगा, Negative Marking भी की जायेगी दोनों पेपर में। परीक्षा में Qualifying Marks(न्यूनतम अंक प्रतिशत) लाने होंगे। 40% Qualifying Marks होंगे दोनों पेपर में अलग-अलग 40% अंक लाने होंगे।

12. जो अभ्यर्थी अंतिम वर्ष में हैं या अंतिम वर्ष में जाना वाला है तो ऐसे अभ्यर्थी भी आवेदन कर सकते हैं, लेकिन उनको एग्जाम से पहले पात्रता पूरी करनी होगी।

13. परीक्षा केंद्र सिर्फ राजस्थान में होंगे, तो एग्जाम देने यहीं आना होगा।

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27 Dec, 15:03


युवा_दिवस_12_जनवरी_2025_के_आयोजन_के_संबंध_में.pdf

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27 Dec, 15:03


New Doc 12-27-2024 17.20.pdf

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27 Dec, 14:59


परिविक्षा_नवीन_नियुक्त.pdf

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27 Dec, 14:58


Cyber Security Stay Safe-3645 dt. 26.12.24.pdf

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27 Dec, 10:17


परिवीक्षा अवधि के संबंध में पत्र एवं संशोधितr परिशिष्ट 02,03, एवं 04.pdf

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27 Dec, 10:15


परिवीक्षा अवधि समाप्ति सम्बंधित.pdf

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26 Dec, 17:03


Cr Form.pdf

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26 Dec, 16:54


collector Representative 2025 order 791-91.pdf

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