जीतने बदसलूकी से उसका दिल दुखाया है .!
Publicaciones de Telegram de मेहफिल-ए-हिंद Mehfil E Hind (Hindi/Urdu Poetry)

✍मेहफिल-ए-हिंद (Hindi/Urdu Poetry)
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हिन्दी/उर्दू शायरी व कविताएं।
Admin ◆ @kevinchavda
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Última Actualización 06.03.2025 20:21
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माफ़ी उतनी ही ख़ूबसूरती से माँगनी चाहिए,
जीतने बदसलूकी से उसका दिल दुखाया है .!
जीतने बदसलूकी से उसका दिल दुखाया है .!
सफलता की लड़ाई अकेली ही लड़नी पड़ती है,
सैलाब उमड़ता है जीत जाने के बाद।
सैलाब उमड़ता है जीत जाने के बाद।
रह कर ज़मीं पे चाँद के दीदार के लिए
दफ़्तर में दिन गुज़रते हैं इतवार के लिए
दफ़्तर में दिन गुज़रते हैं इतवार के लिए
कभी दिखा दे वो मंज़र जो मैं ने देखे नहीं
कभी तो नींद में ऐ ख़्वाब के फ़रिश्ते आ
कभी तो नींद में ऐ ख़्वाब के फ़रिश्ते आ
जीवन के इस सफ़र में हम उसी दिन बड़े हो जाते हैं
जिस दिन अपने आँसू स्वयं पोंछकर खड़े हो जाते हैं।
जिस दिन अपने आँसू स्वयं पोंछकर खड़े हो जाते हैं।
पेंसिल की असंख्य गलतियाँ माफ़ हैं
मगर पेन पर जिम्मेदारियों का बोझ बहुत है
मगर पेन पर जिम्मेदारियों का बोझ बहुत है
- मिथलेश बरिया
तेरा कर्ज उतारने की हैसियत नहीं है ताउम्र,
उसे जाहिर करने को सिर्फ एक दिन...
कुछ बेइमानी सा लगता है ।
#FathersDay
उसे जाहिर करने को सिर्फ एक दिन...
कुछ बेइमानी सा लगता है ।
#FathersDay
ये मुझे चैन क्यों नहीं पड़ता,
एक ही शख्स था जहान में क्या?
~"जौन एलिया" 🖤
एक ही शख्स था जहान में क्या?
~"जौन एलिया" 🖤
अगर सीता सोनेकी हिरण चाहेगी
तो राम से बिछड़ना तय है साहब!
तो राम से बिछड़ना तय है साहब!