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मेहफिल-ए-हिंद Mehfil E Hind (Hindi/Urdu Poetry) Telegram-Beiträge

मेहफिल-ए-हिंद Mehfil E Hind (Hindi/Urdu Poetry)
✍मेहफिल-ए-हिंद (Hindi/Urdu Poetry)
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हिन्दी/उर्दू शायरी व कविताएं।

Admin ◆ @kevinchavda
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Zuletzt aktualisiert 06.03.2025 20:21

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मेहफिल-ए-हिंद Mehfil E Hind (Hindi/Urdu Poetry)

28 Apr, 09:14

8,245

इसी से होता है ज़ाहिर जो हाल दर्द का है
सभी को कोई ना कोई बवाल दर्द का है।

ये झांक लेती है दिल से जो दूसरे दिल में
मेरी निगाह में सारा कमाल दर्द का है।

ये दिल ये उजड़ी हुई चश्म-ए-नम ये एक हादसा
हमारे पास तो जो भी है माल दर्द का है।

किसी ने पूछा के फ़रहत बहुत हसीन हो तुम
तो मुस्कुरा के कहा सब जमाल दर्द का है।
मेहफिल-ए-हिंद Mehfil E Hind (Hindi/Urdu Poetry)

26 Apr, 14:12

7,482

“कभी बेटा, कभी भाई, कभी मैं यार बनता हूँ,
ज़रूरत के मुताबिक कुछ नया हर बार बनता हूँ।”
मेहफिल-ए-हिंद Mehfil E Hind (Hindi/Urdu Poetry)

23 Apr, 17:41

7,470

“छा जाती है चुप्पी अगर गुनाह अपने हो,

बात दुसरो की हो तो शोर बहुत होता है ।”

- अज्ञात
मेहफिल-ए-हिंद Mehfil E Hind (Hindi/Urdu Poetry)

19 Apr, 07:47

7,253

एक तख्ती जंग के एलान की
टांग दीजे ऊंचे मीनारों के बीच।
मेहफिल-ए-हिंद Mehfil E Hind (Hindi/Urdu Poetry)

21 Mar, 14:10

8,424

अपने इस काम पे वो रातों को रोता होगा
बेच देता है जो ज़मीर को सितारा कर के।

अपने किरदार से दुनिया को हिला कर रख दे
वर्ना क्या फ़ाएदा इस तरह गुज़ारा कर के।
मेहफिल-ए-हिंद Mehfil E Hind (Hindi/Urdu Poetry)

21 Mar, 14:09

7,959

चमकते बुझते सितारों के साथ काटते हैं
इस एहतिमाम से हम अपनी रात काटते हैं।

मेरी ज़बान की क़ीमत लगाने वाले लोग
मुझे ख़रीद न पाए तो बात काटते हैं।
मेहफिल-ए-हिंद Mehfil E Hind (Hindi/Urdu Poetry)

20 Mar, 17:15

7,470

अक्स कितने उतर गए मुझ में
फिर न जाने किधर गए मुझ में

मैं ने चाहा था ज़ख़्म भर जाएँ
ज़ख़्म ही ज़ख़्म भर गए मुझ में

मैं वो पल था जो खा गया सदियाँ
सब ज़माने गुज़र गए मुझ में

ये जो मैं हूँ ज़रा सा बाक़ी हूँ
वो जो तुम थे वो मर गए मुझ में
मेहफिल-ए-हिंद Mehfil E Hind (Hindi/Urdu Poetry)

05 Mar, 17:38

7,109

राम को अहंकार का ज्ञान था,
जबकि
रावण को ज्ञान का अहंकार था.!”


- Dr Kumar Vishvas
मेहफिल-ए-हिंद Mehfil E Hind (Hindi/Urdu Poetry)

23 Feb, 10:13

7,850

शरारत करो, साजि़शें नहीं
,
हम शरीफ हैं , सीधे नहीं..!
मेहफिल-ए-हिंद Mehfil E Hind (Hindi/Urdu Poetry)

20 Feb, 08:51

7,809

इजाजत हो या ना हो

इश्क तो तुमसे ही रहेगा