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कानून की बाते लॉ नॉलेज LAW KNOWLEDGE
कानून जो आपके लिए बना है कानून की कम नॉलेज के कारण आप पुलिस से डरते है ट्रैफिक पुलिस से डरते है बहुत सी बार आप बैंक मैं पैसे काटने या चार्ज लगाने से बैंक मैं बात करने से या कोई भी कानूनी दावपेंच से डरते है ।अब डरना नही
कानून जो आपके लिए बना है कानून की कम नॉलेज के कारण आप पुलिस से डरते है ट्रैफिक पुलिस से डरते है बहुत सी बार आप बैंक मैं पैसे काटने या चार्ज लगाने से बैंक मैं बात करने से या कोई भी कानूनी दावपेंच से डरते है ।अब डरना नही
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آخرین بهروزرسانی 06.03.2025 12:52
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इंशा अल्लाह बहुत जल्द पूरी जानकारी दी जाएगी।
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LAW KNOWLEDGE कानून की जानकारी:
Income tax notice: अगर आप इनकम टैक्स नियमों का उल्लंघन करते है या फिर ITR भरने में कुछ गलतियां कर देते हैं तो आयकर विभाग की ओर से नोटिस जारी किया जाता है. ऐसा ही एक नोटिस होता है Letter of Intimation, जो कि इनकम टैक्स (Income tax notice) के सेक्शन 143(1) के तहत भेजा जाता है.
Income tax notice: इनकम टैक्स विभाग (Income Tax Department) हर उस व्यक्ति की खबर रखता है जो कोई भी इनकम टैक्स भरता है. टैक्स भरने वाले (Income Tax Payer) हर एक व्यक्ति को आईटीआर (ITR-Income Tax Return) भरना अनिवार्य होता हैं. ऐसे में आईटीआर भरने को लेकर विभाग की तरफ से कई नियम बनाए गए हैं. अगर आप इन नियमों का उल्लंघन करते है या फिर ITR भरने में कुछ गलतियां कर देते हैं तो आयकर विभाग की ओर से नोटिस जारी किया जाता है. ऐसा ही एक नोटिस होता है Letter of Intimation, जो कि इनकम टैक्स (Income tax notice) के सेक्शन 143(1) के तहत भेजा जाता है. आइए जानते है कि ये नोटिस कब और क्यों आता है.
लेटेर ऑफ इंटीमेशन (Letter of Intimation) एक तरह का नोटिस होता है जो ये बताता है कि आपने जो टैक्स का भुगतान किया है वो सही किया है या नहीं. इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने के दौरान अगर आपसे इंटरेस्ट की जानकारी भरने में कोई गलती हुई है, या फिर और कोई भी छोटी-मोटी गलती हुई हो, तो आपको ऐसा नोटिस आ सकता है. यह नोटिस बताता है कि इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने के दौरान आपसे जो भी गलती हुई हों, उन्हें ठीक करलें.
कब-कब आ सकता है इनकम टैक्स का नोटिस?
इनकम टैक्स रिटर्न करने के दौरान अगर आपने अपनी देनदारी से कम टैक्स भरा हो.
इनकम टैक्स रिटर्न करने के दौरान अगर आपने अपनी देनदारी से ज्यादा टैक्स भरा हो, या फिर आपने सही टैक्स भरा हो.
एक्सपर्ट का ऐसा मानना हैं कि ऐसा नोटिस अक्सर हर टैक्स पेयर के पास आता है. अगर आपके पास ऐसा नोटिस नहीं आता है तो आप मान सकते हैं कि आपका रिटर्न प्रोसेस नहीं किया गया है.
नोटिस का दें जल्द जवाब
इनकम टैक्स डिपार्टमेंट (Income Tax Department) की तरफ से इस तरह का नोटिस मेल पर भेजा जाता है. 143(1) के तहत आने वाले टैक्स नोटिस को नोटिस ऑफ डिमांड (Notice of Demand) कहा जाता है. यानी अगर आपकी कोई टैक्स देनदारी बाकि है तो आप इस मैसेज के मिलने से 20 दिनों के भीतर उसका भुगतान कर दें. अगर आप इसमें देरी करते हैं तो 30 दिन बीत जाने के बाद आपको एक फीसदी की दर से मासिक ब्याज भरना होगा.
Income tax notice: अगर आप इनकम टैक्स नियमों का उल्लंघन करते है या फिर ITR भरने में कुछ गलतियां कर देते हैं तो आयकर विभाग की ओर से नोटिस जारी किया जाता है. ऐसा ही एक नोटिस होता है Letter of Intimation, जो कि इनकम टैक्स (Income tax notice) के सेक्शन 143(1) के तहत भेजा जाता है.
Income tax notice: इनकम टैक्स विभाग (Income Tax Department) हर उस व्यक्ति की खबर रखता है जो कोई भी इनकम टैक्स भरता है. टैक्स भरने वाले (Income Tax Payer) हर एक व्यक्ति को आईटीआर (ITR-Income Tax Return) भरना अनिवार्य होता हैं. ऐसे में आईटीआर भरने को लेकर विभाग की तरफ से कई नियम बनाए गए हैं. अगर आप इन नियमों का उल्लंघन करते है या फिर ITR भरने में कुछ गलतियां कर देते हैं तो आयकर विभाग की ओर से नोटिस जारी किया जाता है. ऐसा ही एक नोटिस होता है Letter of Intimation, जो कि इनकम टैक्स (Income tax notice) के सेक्शन 143(1) के तहत भेजा जाता है. आइए जानते है कि ये नोटिस कब और क्यों आता है.
लेटेर ऑफ इंटीमेशन (Letter of Intimation) एक तरह का नोटिस होता है जो ये बताता है कि आपने जो टैक्स का भुगतान किया है वो सही किया है या नहीं. इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने के दौरान अगर आपसे इंटरेस्ट की जानकारी भरने में कोई गलती हुई है, या फिर और कोई भी छोटी-मोटी गलती हुई हो, तो आपको ऐसा नोटिस आ सकता है. यह नोटिस बताता है कि इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने के दौरान आपसे जो भी गलती हुई हों, उन्हें ठीक करलें.
कब-कब आ सकता है इनकम टैक्स का नोटिस?
इनकम टैक्स रिटर्न करने के दौरान अगर आपने अपनी देनदारी से कम टैक्स भरा हो.
इनकम टैक्स रिटर्न करने के दौरान अगर आपने अपनी देनदारी से ज्यादा टैक्स भरा हो, या फिर आपने सही टैक्स भरा हो.
एक्सपर्ट का ऐसा मानना हैं कि ऐसा नोटिस अक्सर हर टैक्स पेयर के पास आता है. अगर आपके पास ऐसा नोटिस नहीं आता है तो आप मान सकते हैं कि आपका रिटर्न प्रोसेस नहीं किया गया है.
नोटिस का दें जल्द जवाब
इनकम टैक्स डिपार्टमेंट (Income Tax Department) की तरफ से इस तरह का नोटिस मेल पर भेजा जाता है. 143(1) के तहत आने वाले टैक्स नोटिस को नोटिस ऑफ डिमांड (Notice of Demand) कहा जाता है. यानी अगर आपकी कोई टैक्स देनदारी बाकि है तो आप इस मैसेज के मिलने से 20 दिनों के भीतर उसका भुगतान कर दें. अगर आप इसमें देरी करते हैं तो 30 दिन बीत जाने के बाद आपको एक फीसदी की दर से मासिक ब्याज भरना होगा.
इनकमटैक्स का नोटिस आने पर घबरा जाता हूं बहुत से लोगो के साथ यही होता है क्या करे जब इनकमटैक्स का नोटिस आपके पास आ जाये बताएंगे शीघ्र ही कानून की रोशनी मैं इंशा अल्लाह
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कानून के मुताबिक कोई होटल, रेस्टोरेंट या ढाबा निजी संपत्ति होने के बाद भी सार्वजनिक सेवाओं की श्रेणी में आते हैं। इनमें प्रवेश करने, शौचालय का इस्तेमाल करने या निःशुल्क पानी पीने से कोई होटल-रेस्टोरेंट आपको रोक नहीं सकता है। ऐसा करने पर उन पर कानूनी कार्रवाई की जा सकती है...
पॉक्सो एक्ट 2012 की विशेषताएं
वर्ष 2018 में हुए संशोधन के बाद इस इस एक्ट को और भी सख्त कर दिया गया है। जिसका उदेश्य है बच्चों को इस अपराध से बचाना व समय पर न्याय दिलवाना। इस तरह के मामलों में बच्चों को सुनवाई के लिए मनाना बहुत ही मुश्किल काम होता है। क्योंकि जो हादसा बच्चों के साथ होता है। उससे उन्हें मानसिक रुप से बहुत परेशानी का सामना करना पड़ता है।
पॉक्सो कानून में बच्चों के साथ होने वाली सुनवाई कैमरे के सामने बच्चों के माता-पिता की उपस्थिति में होती है।
इस केस में सुनवाई की पूरी रिकार्डिंग कैमरे के द्वारा की जाती है।
यदि दोषी व्यक्ति ने कोई ऐसा अपराध किया है जो पॉक्सो एक्ट के अतिरिक्त किसी अन्य कानून के तहत अपराध होता है। उस स्थिति में दोषी व्यक्ति उस अपराध की सजा के तौर पर भी सख्त से सख्त कार्यवाही की जाती है।
पॉक्सो एक्ट में बच्चों के लिए विशेष अदालत में कार्यवाही होती है।
यदि कोई व्यक्ति बच्चों से देह व्यापार करवाता है तो उस पर भी पॉक्सो एक्ट के तहत कार्यवाही की जाती है।
यदि पुलिस को इस तरह के किसी अपराध की जानकारी मिलती है तो 24 घंटे के अंदर पुलिस को बाल कल्याण समिति को जानकारी देनी होती है।
पॉक्सो एक्ट में बच्ची की मेडिकल जांच महिला चिकित्सक द्वारा ही की जाती है।
ऐसे मामलों में पुलिस की भूमिका बहुत बढ़ जाती है। पुलिस द्वारा ऐसे मामलों की जांच जल्द से जल्द करनी होती है।
पॉक्सो एक्ट में यौन शोषण के अपराध की सुनवाई 1 वर्ष के अंदर खत्म करने को कहा जाता है। ताकि पीड़ित बच्चों को समय पर न्याय मिल सके।
वर्ष 2018 में हुए संशोधन के बाद इस इस एक्ट को और भी सख्त कर दिया गया है। जिसका उदेश्य है बच्चों को इस अपराध से बचाना व समय पर न्याय दिलवाना। इस तरह के मामलों में बच्चों को सुनवाई के लिए मनाना बहुत ही मुश्किल काम होता है। क्योंकि जो हादसा बच्चों के साथ होता है। उससे उन्हें मानसिक रुप से बहुत परेशानी का सामना करना पड़ता है।
पॉक्सो कानून में बच्चों के साथ होने वाली सुनवाई कैमरे के सामने बच्चों के माता-पिता की उपस्थिति में होती है।
इस केस में सुनवाई की पूरी रिकार्डिंग कैमरे के द्वारा की जाती है।
यदि दोषी व्यक्ति ने कोई ऐसा अपराध किया है जो पॉक्सो एक्ट के अतिरिक्त किसी अन्य कानून के तहत अपराध होता है। उस स्थिति में दोषी व्यक्ति उस अपराध की सजा के तौर पर भी सख्त से सख्त कार्यवाही की जाती है।
पॉक्सो एक्ट में बच्चों के लिए विशेष अदालत में कार्यवाही होती है।
यदि कोई व्यक्ति बच्चों से देह व्यापार करवाता है तो उस पर भी पॉक्सो एक्ट के तहत कार्यवाही की जाती है।
यदि पुलिस को इस तरह के किसी अपराध की जानकारी मिलती है तो 24 घंटे के अंदर पुलिस को बाल कल्याण समिति को जानकारी देनी होती है।
पॉक्सो एक्ट में बच्ची की मेडिकल जांच महिला चिकित्सक द्वारा ही की जाती है।
ऐसे मामलों में पुलिस की भूमिका बहुत बढ़ जाती है। पुलिस द्वारा ऐसे मामलों की जांच जल्द से जल्द करनी होती है।
पॉक्सो एक्ट में यौन शोषण के अपराध की सुनवाई 1 वर्ष के अंदर खत्म करने को कहा जाता है। ताकि पीड़ित बच्चों को समय पर न्याय मिल सके।
फास्ट-ट्रैक ट्रायल:- पुलिस को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि POCSO अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार अभियुक्तों का मुकदमा समयबद्ध तरीके से चलाया जाए और उसमें तेजी लाई जाए।
बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने और बच्चों के खिलाफ यौन अपराधों के अपराधियों को न्याय दिलाने के लिए POCSO अधिनियम के तहत पुलिस की एक महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है।
बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने और बच्चों के खिलाफ यौन अपराधों के अपराधियों को न्याय दिलाने के लिए POCSO अधिनियम के तहत पुलिस की एक महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है।
पॉक्सो एक्ट क्या है - What is POCSO Act in Hindi?
पॉक्सो एक्ट का निर्माण महिला एंव बाल विकास मंत्रालय द्वारा साल 2012 में Pocso Act -2012 के नाम से किया गया था। 18 वर्ष से कम आयु के बच्चों के साथ किसी भी प्रकार से सैक्सुअल शोषण करने वाले व्यक्ति पर इस एक्ट के तहत कार्यवाही की जाती है। इस कानून का निर्माण नाबालिग बच्चों के साथ हो रहे यौन उत्पीड़न, यौन शोषण, पोर्नोग्राफी और छेड़छाड़ के मामलों को रोकने के लिए किया गया था। इस कानून के द्वारा अलग-अलग अपराधों के लिए अलग सजा का प्रावधान है।
पॉक्सो एक्ट का निर्माण महिला एंव बाल विकास मंत्रालय द्वारा साल 2012 में Pocso Act -2012 के नाम से किया गया था। 18 वर्ष से कम आयु के बच्चों के साथ किसी भी प्रकार से सैक्सुअल शोषण करने वाले व्यक्ति पर इस एक्ट के तहत कार्यवाही की जाती है। इस कानून का निर्माण नाबालिग बच्चों के साथ हो रहे यौन उत्पीड़न, यौन शोषण, पोर्नोग्राफी और छेड़छाड़ के मामलों को रोकने के लिए किया गया था। इस कानून के द्वारा अलग-अलग अपराधों के लिए अलग सजा का प्रावधान है।