धर्म की सदा जय ही होती है!
शास्त्रों ने ऐसे ही नहीं कहा है, 'धर्मो रक्षति रक्षित:!' अर्थात् तुम धर्म की रक्षा करो, धर्म तुम्हारी रक्षा करेगा।
वर्ष 2021 की बात है। काशी कॉरिडोर निर्माण में उस अमृतेश्वर महादेव के मंदिर को ध्वस्त कर दिया गया (Pic2) जिसका वर्णन पुराणों में है और जो भक्तों को सीधे अमृत प्रदान करने वाले हैं।
काशी में मंदिरों के हो रहे विध्वंस पर स्थानीय रूप से आती रिपोर्ट पर विश्वास था मुझे, लेकिन मैं इसे अपनी आंखों से देख पर पुष्ट होना चाहता था। इसके लिए मैं काशी जाना चाहता था, जिसकी मैंने वीडियो में घोषणा की थी। इसके बाद एक बड़ी विभूति (नाम नहीं लेना चाहूंगा) ने मुझे निर्देश दिया कि 'आपको काशी जाने की आवश्यकता नहीं है।' मैं उनकी बात टाल नहीं सकता था। इसके बाद मेरी गाड़ी का एक बड़ा एक्सिडेंट हुआ, मैं और मेरा परिवार बाल-बाल बचा और मैं एक अदृश्य शक्ति द्वारा काशी में खींच लिया गया। निश्चित रूप से यह अदृश्य शक्ति महादेव की थी।
इसके बाद मैं सपरिवार काशी पहुंचा जहां मेरे मित्र Ajay Sharma जी ने मुझे वह हर मंदिर दिखाया, जो ध्वंस किया गया था, या ध्वंस किया जा रहा था। मैंने अपनी आंखों से दाढ़ी वाले म्लेच्छों को मंदिर और विग्रह पर हथौड़ा चलाते, वहां पान थूकते और पेशाब करते देखा! मैं रोने लगा था। मेरी पत्नी Shweta Deo ने मुझे ढांढ़स बंधाया और कहा कि टूटे मंदिरों के साथ अपनी तस्वीर लीजिए, अन्यथा आज का हिंदू ही इस पर विश्वास करने को तैयार नहीं होगा!
हम एक गुप्त रास्ते से अंदर गये थे और छुपाकर मोबाइल भी अंदर ले गये थे। कुछ टूटते मंदिरों के आगे खड़े होकर साक्ष्य के लिए मैंने तस्वीरें खिंचवाई, जिसमें एक तस्वीर अमृतेश्वर महादेव की टूटे मंदिर और उस स्थल को पाटने के प्रयास के समक्ष अजय जी ने मेरी खींची थी (Pic1).
काशी से लौटकर मैं खूब रोया और मैंने एक वीडियो की, जिसमें इस सारे साक्ष्यों को रखा गया। इधर सरकार, पार्टी आदि की ओर से एक बैठक बुलाई गई, जिसमें मुझे भी आमंत्रित किया गया। उस बैठक में बड़े-बड़े लोग थे। सबने मुझे ग्रील किया। अंत में एक बड़े व्यक्ति जो मेरे गुरु समान हैं और मुझे स्नेह देते हैं और जिनके आदेश पर मैं उस बैठक में पहुंचा था, मेरा पक्ष लिया और सभी उपस्थित जन को कहा कि 'संदीप देव बिना साक्ष्य के कुछ नहीं कहते। उन्होंने तब मोदीजी के विरुद्ध सारे साजिश को पुस्तक लिखकर उजागर किया था, जब आप लोगों में कोई सामने आने की हिम्मत नहीं कर रहा था। यदि वह कुछ कह रहे हैं तो उस पर ध्यान दीजिए न कि इन पर हमला कीजिए।'
मुझे याद है उस बैठक में संघ के मुख-पत्र पांचजन्य के संपादक हितेश शंकर भी थे, जिनको मैं अपना मित्र समझता था। लेकिन उन्होंने सरकारी चापलूसी में हद पार करते हुए, यह तक कह दिया कि 'आप बनारस के निवासी हैं? फिर आपने काशी की रिपोर्ट क्यों की?' मुझे हंसी आई कि यह व्यक्ति खुद को पत्रकार कहता है, लेकिन इसे पत्रकारिता का बेसिक तक पता नहीं है! क्या पांचजन्य का यह संपादक इन्फोसिस में काम किया था, जो इंफोसिस पर कवर रिपोर्ट पांचजन्य में लिखी गई थी? मैंने हंसते हुए कहा, वैसे मैं BHU में पढ़ा हूं तो आप मुझे काशीवासी ही समझिए! इनको पत्रकारिता सिखाने की मेरी कोई इच्छा नहीं थी, क्योंकि यह लोग कभी सीख भी नहीं सकते!
खैर, आज प्रसन्नता का दिन है। कल मित्र अजय शर्मा जी बताया कि जिस अमृतेश्वर महादेव मंदिर विध्वंस की बात आपने जोर-शोर से उठाई थी और बार-बार उठाई थी, उस मंदिर को सरकार ने बनवा दिया है।
आज बनारस के कमिश्नर, जो उस समय काशी के कलेक्टर थे, इसे संरक्षित कर वहां पूजा-पाठ करने पहुंचे हैं।(Pic-4) अजय शर्मा जी की फोटो भी अमृतेश्वर महादेव में पूजा अर्चना की है(Pic-3)। अजय शर्मा जी उन लोगों में हैं, जिन्होंने काशी में पौराणिक मंदिरों के विध्वंस को दुनिया के समक्ष रखा और हम जैसों को जागृत किया। आज वह काशी के मंदिरों से साईं बाबा की मूर्ति हटवा रहे हैं। उन्हें इसके लिए जेल भी जाना पड़ा, लेकिन इसके कारण यह आंदोलन बन गया और अब मंदिर के पुजारी स्वयं साईं की मूर्तियां मंदिरों से हटा रहे हैं।
अब मैं काशी जाऊंगा तो मैं भी वहां पूजा करने अवश्य जाऊंगा। टूटे मंदिर को पुनः बनवा कर सरकार ने हम-सबकी आवाज सुनी, इसके लिए उप्र सरकार और केंद्र सरकार, दोनों को धन्यवाद।
धर्म की राह पर कठिनाई बहुत आती है, परंतु यदि आप धर्म पर टिके रहते हैं तो धर्म अपने जागृत स्वरूप को स्पष्ट दर्शाता है। धर्म की सदा जय ही होती है! #SandeepDeo