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श्रीमद्भगवद्गीता • Shrimad Bhagwat Geeta

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🙏 सम्पूर्ण श्रीमद्भगवद्गीता • Full Shrimad Bhagwat Geeta

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श्रीमद्भगवद्गीता • Shrimad Bhagwat Geeta (Hindi)

भगवद गीता को पढ़ना या सुनना हर भारतीय के लिए एक महत्वपूर्ण अनुभव है। श्रीमद्भगवद्गीता के सार को समझने से जीवन में सहायता मिलती है और सही मार्ग पर चलने की मार्गदर्शन करती है। अब आप भगवद गीता को पढ़ सकते हैं और इसका अध्ययन कर सकते हैं टेलीग्राम चैनल 'श्रीमद्भगवदगीता • Shrimad Bhagwat Geeta' में। यह चैनल आपको भगवद गीता के संपूर्ण पाठ को सहज भाषा में प्रस्तुत करता है। इस चैनल में भगवद गीता के प्रत्येक अध्याय का उद्धारण और समझाया गया है।nnइस चैनल में आप भगवद गीता के शिक्षाएं और संदेशों से परिचित होंगे और इसका अपने जीवन में उपयोग कैसे कर सकते हैं, इसकी जानकारी प्राप्त करेंगे। चैनल 'श्रीमद्भगवदगीता • Shrimad Bhagwat Geeta' का उद्देश्य भगवद गीता की सही ज्ञान को लोगों तक पहुंचाना है ताकि वे अपने जीवन में उसे अमल में ला सकें।nnइस चैनल को ज्वाइन करने से आपको भगवद गीता का पाठ पढ़ने का अवसर मिलेगा और आप इस धरोहर को अपने जीवन में समेट सकेंगे। इस संतुलन और मार्गदर्शन से आप अपने मार्ग की दिशा में सुरक्षित होंगे और एक प्रकार के आध्यात्मिक संजीवनी पाएंगे। अब ही 'श्रीमद्भगवदगीता • Shrimad Bhagwat Geeta' चैनल को ज्वाइन करें और भगवद गीता के गहरे अर्थ को समझें।

श्रीमद्भगवद्गीता • Shrimad Bhagwat Geeta

22 Jun, 12:16


🙏 श्रीमद्भगवद्गीता (Shrimad Bhagwat Geeta) 🙏

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🔶 सारांश :- सम्पूर्ण श्रीमद्भगवद्गीता, संस्कृत और अंग्रेजी भाषा में, दोनों लिखित और ऑडियो/ध्वनि प्रारूप के साथ, अनुवाद और टिप्पणी भी शामिल हैं।

🔶 Summary :- Full Shrimad Bhagwat Geeta; in Sanskrit & English language, with both written and audio format, with translation and commentary included.

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🔶 𝟬𝟭. अध्याय ०१ • Chapter 01
🔶 𝟬𝟮. अध्याय ०२ • Chapter 02
🔶 𝟬𝟯. अध्याय ०३ • Chapter 03
🔶 𝟬𝟰. अध्याय ०४ • Chapter 04
🔶 𝟬𝟱. अध्याय ०५ • Chapter 05
🔶 𝟬𝟲. अध्याय ०६ • Chapter 06
🔶 𝟬𝟳. अध्याय ०७ • Chapter 07
🔶 𝟬𝟴. अध्याय ०८ • Chapter 08
🔶 𝟬𝟵. अध्याय ०९ • Chapter 09
🔶 𝟭𝟬. अध्याय १० • Chapter 10
🔶 𝟭𝟭. अध्याय ११ • Chapter 11
🔶 𝟭𝟮. अध्याय १२ • Chapter 12
🔶 𝟭𝟯. अध्याय १३ • Chapter 13
🔶 𝟭𝟰. अध्याय १४ • Chapter 14
🔶 𝟭𝟱. अध्याय १५ • Chapter 15
🔶 𝟭𝟲. अध्याय १६ • Chapter 16
🔶 𝟭𝟳. अध्याय १७ • Chapter 17
🔶 𝟭𝟴. अध्याय १८ • Chapter 18

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श्रीमद्भगवद्गीता • Shrimad Bhagwat Geeta

08 Dec, 12:41


English Translation Of Sri Shankaracharya's Sanskrit Commentary By Swami Gambirananda
18.78 To be brief, yatra, where, the side on which; there is Krsna, yogeswarah, the Lord of yogas-who is the Lord of all the yogas and the source of all the yogas, since they originate from Him; and yatra, where, the side on which; there is Partha, dhanurdharah, the wielder of the bow, of the bow called Gandiva; tatra, there, on that side of the Pandavas; are srih, fortune; vijayah, victory; and there itself is bhutih, prosperity, great abundance of fortune; and dhruva, unfailing; nitih, prudence. Such is me, my ; matih, conviction.

श्रीमद्भगवद्गीता • Shrimad Bhagwat Geeta

08 Dec, 12:41


Chapter No: 18
Shloka No: 78

श्रीमद्भगवद्गीता • Shrimad Bhagwat Geeta

08 Dec, 12:41


मूल श्लोकः
यत्र योगेश्वरः कृष्णो यत्र पार्थो धनुर्धरः।तत्र श्रीर्विजयो भूतिर्ध्रुवा नीतिर्मतिर्मम।।18.78।।

श्रीमद्भगवद्गीता • Shrimad Bhagwat Geeta

08 Dec, 12:41


English Translation By Swami Sivananda
18.78 Wherever is Krishna, the Lord of Yoga; wherever is Arjuna, the wielder of the bow; there are prosperity, victory, happiness and firm policy; such is my conviction.

श्रीमद्भगवद्गीता • Shrimad Bhagwat Geeta

08 Dec, 12:41


English Translation Of Sri Shankaracharya's Sanskrit Commentary By Swami Gambirananda
18.77 And, rajan, O King; samsmrtya samsmrtya, repeatedly recollecting; tat, that; ati-adbhutam, greatly extraordinary; rupam, form, the Cosmic form; hareh, of Hari; mahan vismayah me, I am struck with great wonder. And hrsyami, I rejoice; punah punah, again and again.

श्रीमद्भगवद्गीता • Shrimad Bhagwat Geeta

08 Dec, 12:40


English Translation By Swami Sivananda
18.77 And, remembering again and again, also that most wonderful form of Hari, great is my wonder, O King; and I rejoice again and again.

श्रीमद्भगवद्गीता • Shrimad Bhagwat Geeta

08 Dec, 12:40


Chapter No: 18
Shloka No: 77

श्रीमद्भगवद्गीता • Shrimad Bhagwat Geeta

08 Dec, 12:40


मूल श्लोकः
तच्च संस्मृत्य संस्मृत्य रूपमत्यद्भुतं हरेः।विस्मयो मे महान् राजन् हृष्यामि च पुनः पुनः।।18.77।।

श्रीमद्भगवद्गीता • Shrimad Bhagwat Geeta

08 Dec, 12:40


English Translation Of Sri Shankaracharya's Sanskrit Commentary By Swami Gambirananda
18.76 And, rajan, O king, Dhrtarastra; after having heard, samsmrtya samsmrtya, while repeatedly remembering; imam, this; adbhuttam, unie; samvadam, dialogue; kesava-arjunayoh, between Kesava and Arjuna; which is punyam, sacred, removes sin even when heard; hrsyami, I rejoice; muhuh, muhuh, every moment.

श्रीमद्भगवद्गीता • Shrimad Bhagwat Geeta

08 Dec, 12:40


English Translation By Swami Sivananda
18.76 O King, remembering this wonderful and holy dialogue between Krishna and Arjuna, I rejoice again and again.

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