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✌️💗 जय श्री राधाकृष्णा ❤️🍁🚩
ऊं श्रीं नमः श्रीकृष्णाय परिपूर्णतमाय स्वाहा"
ॐ श्री कृष्णः शरणम ममः ”

Radhe Radhe ❤️🙏🫶

श्रीकृष्ण वाणी (Hindi)

श्रीकृष्ण वाणी टेलीग्राम चैनल एक धार्मिक समुदाय है जो श्री राधाकृष्णा के भक्तों के लिए एक साथ आने का स्थान है। यहाँ पर आप मनी ध्यान, भगवद गीता के उपदेश, और आध्यात्मिक संदेश पाएंगे। इस चैनल में हर रोज़ भक्ति संबंधित जानकारी, कथाएं, और ध्यान के तकनीक साझा की जाती है। श्रीकृष्ण वाणी चैनल पर जुड़कर आप अपने आत्मा को नवानुभव कर सकते हैं और आध्यात्मिक उन्नति की ओर अग्रसर हो सकते हैं। इस चैनल में समूह चर्चाओं और ध्यान के साथ-साथ भक्ति की भावना को साझा किया जाता है। यदि आप भगवान श्रीकृष्णा के प्रेमी हैं और उनके ध्यान में लीन होना चाहते हैं, तो श्रीकृष्ण वाणी चैनल आपके लिए एक आध्यात्मिक साथी की भूमिका निभा सकता है। आइए, श्रीकृष्ण वाणी चैनल में शामिल होकर मन, वाणी, और कर्म से उच्च स्तर की आत्मिक शक्ति को प्राप्त करें और अपने जीवन को धर्म से समृद्ध करें।

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21 Nov, 02:29


🌸❤️

𝐒𝐇𝐑𝐄𝐄 𝐊𝐑𝐈𝐒𝐇𝐍𝐀 𝐕𝐀𝐍𝐈❤️🚩

21 Nov, 01:52


🌸🙌🌸बिक गयो कुंज बिहारी🌸🙌🌸
♥️🦚♥️देख के श्री राधा प्यारी♥️🦚♥️
🥰😍🥰

𝐒𝐇𝐑𝐄𝐄 𝐊𝐑𝐈𝐒𝐇𝐍𝐀 𝐕𝐀𝐍𝐈❤️🚩

21 Nov, 01:51


🌸🦚राधारानी की चोटी🦚🌸

राधाकुण्ड सेवा के दौरान श्री रूप गोस्वामीजी ने कई ग्रंथों की रचना की, एक दिन उन्होंने अपने एक ग्रन्थ में राधारानी के बालों की चोटी की महिमा में लिखा-राधारानी के बालों की चोटी काले नाग की तरह है जो उनके कमर पर ऐसे लहराती है जैसे कोई काला विषधर भुजंग लहरा रहा हो। रूप गोस्वामी के बड़े भाई श्री सनातन गोस्वामी ने जब यह पढ़ा तो उन्होंने श्री रूप गोस्वानी को इसके लिए डांट लगाई और कहा तुम्हें कोई बढ़िया उपमा नहीं मिली ? राधारानी की चोटी को तुम विषधर भुजंग कहते हो, इसमें तुरन्त सुधार करो।

यह आदेश देकर श्री सनातन गोस्वानी स्नान हेतु यमुनाजी की ओर चल दिए, मार्ग में एक वन पड़ा और वन में श्री सनातन गोस्वामी ने देखा कि वन के एक कोने में कुछ नवयुवतियों एक पेड़ में झूला बनाकर झूल रही हैं। एक नवयुवती झूले में बैठी थी एवं बाकी युवतियों उसे घेरे हुए थी और उसे झूला झुला रही थीं। सनातन गोस्वामी ने देखा कि जो नवयुवती झूला झूल रही है उसकी पीठ पर एक काला नाग चढ़ रहा है जो किसी भी समय उस नवयुवती को डस सकता है। सनातन गोस्वामी दौड़ते हुए उन नवयुवतियों की ओर भागे और जोर से चिल्लाए 'ओ लाली जरा देखो तो तुम्हारी पीठ पर एक बड़ा ही भयंकर काला नाग चढ़ा जा रहा है सावधान रहो।' किन्तु युवतियों ने उनकी आवाज नहीं सुनी और झूलने में व्यस्त रहीं

दौड़ते हुए सनातन उन नवयुवतियों के निकट पहुँचे और फिर से उन्हें सावधान किया, उनकी आवाज सुनकर झूले में बैठी हुए अति सुन्दर नवयुवती ने झूले में बैठे-बैठे ही मुड़कर सनातन गोस्वामी को देखा और मुस्कुरा कर अपनी समस्त सखियों के साथ अन्तर्धान हो गई।

सनातन उसी समय वापस मुड़े और रूप गोस्वामी के निकट जाकर बोले-'अपने लेखन में सुधार करने की कोई आवश्यकता नहीं है, तुमने ठीक ही लिखा है राधारानी की चोटी सचमुच काले नाग जैसी ही है।'

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20 Nov, 17:08


*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*दिनांक - 21 नवम्बर 2024*
*दिन - गुरुवार*
*विक्रम संवत् - 2081*
*अयन - दक्षिणायन*
*ऋतु - हेमन्त*
*मास - मार्गशीर्ष*
*पक्ष - कृष्ण*
*तिथि - षष्ठी शाम 05:03 तक तत्पश्चात सप्तमी*
*नक्षत्र - पुष्य दोपहर 03:35 तक तत्पश्चात अश्लेषा*
*योग - शुक्ल दोपहर 12:01 तक तत्पश्चात ब्रह्म*
*राहु काल - दोपहर 01:48 से दोपहर 03:10 तक*
*सूर्योदय - 06:58*
*सूर्यास्त - 05:50*
*दिशा शूल - दक्षिण दिशा में*
*ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:13 से 06:05 तक*
*अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:04 से दोपहर 12:47 तक*
*निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:00 नवम्बर 21 से रात्रि 12:52 नवम्बर 22 तक*
*व्रत पर्व विवरण - गुरुपुष्यामृत योग, सर्वार्थसिद्धि योग, अमृतसिद्धि योग (सूर्योदय से दोपहर 03:35 तक)*
*विशेष - षष्ठी को नीम की पत्ती, फल या दातुन मुँह में डालने से नीच योनियों की प्राप्ति होती है | (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*


*🔹 21 नवम्बर 2024 : गुरुपुष्यामृत योग 🔹*

*🔸पुष्य नक्षत्र का गुरुवार से योग होने पर वह अति दुर्लभ ‘गुरुपुष्यामृत योग' कहलाता है ।*

*🔸गुरुपुष्यामृत योग व्यापारिक कार्यों के लिए तो विशेष लाभदायी माना गया है ।*

*🔸 गुरुपुष्यामृत योग में किया गया जप, ध्यान, दान, पुण्य महाफलदायी होता है ।*

*🔸गुरुपुष्यामृत योग में विद्या एवं धार्मिक अनुष्ठान प्रारम्भ करना, आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त करना सुलभ होता है ।*

*🔸गुरुपुष्यामृत योग में विवाह व उससे संबंधित सभी मांगलिक कार्य वर्जित है ।*

*🔹घर मे सुख शांति के लिए🔹*

*🔸झाड़ू और पोंछा ऐसी जगह पर नहीं रखने चाहिए कि बार-बार नजरों में आयें । भोजन के समय भी यथासंभव न दिखें, ऐसी सावधानी रखें ।*

*🔸घर में टूटी-फूटी अथवा अग्नि से जली हुई प्रतिमा की पूजा नहीं करनी चाहिए । ऐसी मूर्ति की पूजा करने से गृहस्वामी के मन में उद्वेग या घर-परिवार में अनिष्ट होता है । (वराह पुराण : १८६.४३)*

*🔸५० ग्राम फिटकरी का टुकड़ा घर के प्रत्येक कमरे में तथा कार्यालय के किसी कोने में अवश्य रखना चाहिए । इससे वास्तुदोषों से रक्षा होती है।*

*🔹गुरुवार विशेष 🔹*

*🔸हर गुरुवार को तुलसी के पौधे में शुद्ध कच्चा दूध गाय का थोड़ा-सा ही डाले तो, उस घर में लक्ष्मी स्थायी होती है और गुरूवार को व्रत उपवास करके गुरु की पूजा करने वाले के दिल में गुरु की भक्ति स्थायी हो जाती है ।*

*🔸गुरुवार के दिन देवगुरु बृहस्पति के प्रतीक आम के पेड़ की निम्न प्रकार से पूजा करें :*

*🔸एक लोटा जल लेकर उसमें चने की दाल, गुड़, कुमकुम, हल्दी व चावल डालकर निम्नलिखित मंत्र बोलते हुए आम के पेड़ की जड़ में चढ़ाएं ।*
 
*ॐ ऐं क्लीं बृहस्पतये नमः ।*

*फिर उपरोक्त मंत्र बोलते हुए आम के वृक्ष की पांच परिक्रमा करें और गुरुभक्ति, गुरुप्रीति बढ़े ऐसी प्रार्थना करें । थोड़ा सा गुड़ या बेसन की मिठाई चींटियों को डाल दें ।*

*( लोक कल्याण सेतु , अंक - ११६ )*

*🔸गुरुवार को बाल कटवाने से लक्ष्मी और मान की हानि होती है ।*

*🔸गुरुवार के दिन तेल मालिश हानि करती है । यदि निषिद्ध दिनों में मालिश करनी ही है तो ऋषियों ने उसकी भी व्यवस्था दी है । तेल में दूर्वा डाल के मालिश करें तो वह दोष चला जायेगा ।*

𝐒𝐇𝐑𝐄𝐄 𝐊𝐑𝐈𝐒𝐇𝐍𝐀 𝐕𝐀𝐍𝐈❤️🚩

20 Nov, 12:33


श्याम सलोना दो आंखें 🥺
चार दिन का हमारा जीवन कृपा करदो

𝐒𝐇𝐑𝐄𝐄 𝐊𝐑𝐈𝐒𝐇𝐍𝐀 𝐕𝐀𝐍𝐈❤️🚩

20 Nov, 12:31


तुम्हारी तस्वीर खींची थी मेने...🥰
अब ये तस्वीर खींचती है मुझे...😍

𝐒𝐇𝐑𝐄𝐄 𝐊𝐑𝐈𝐒𝐇𝐍𝐀 𝐕𝐀𝐍𝐈❤️🚩

20 Nov, 10:42


Just call me with love and I will come ♥️🥰

𝐒𝐇𝐑𝐄𝐄 𝐊𝐑𝐈𝐒𝐇𝐍𝐀 𝐕𝐀𝐍𝐈❤️🚩

20 Nov, 07:53


ठा. श्री हितमाधुरीवल्लभ लाल जू🙏❤️

𝐒𝐇𝐑𝐄𝐄 𝐊𝐑𝐈𝐒𝐇𝐍𝐀 𝐕𝐀𝐍𝐈❤️🚩

20 Nov, 01:59


Shree Radha Hamari Gori Gori 🧿❤️🥹

Radhe Radhe ❤️🥹🦚

𝐒𝐇𝐑𝐄𝐄 𝐊𝐑𝐈𝐒𝐇𝐍𝐀 𝐕𝐀𝐍𝐈❤️🚩

20 Nov, 01:47


“दोहराने से बदल जाते हैं अर्थ !”

राम ! (पुकार)

राम राम ! (अभिवादन )

राम, राम, राम ! (तरस / घृणा)

राम, राम, राम, राम! ( जप)

मैने तो इसलिए पोस्ट किया की चलो इसी बहाने 10 बार आप राम बोलोगे !

और जो गिनती चेक करोगे तो 20 बार।

!! जय राम जी की !!

𝐒𝐇𝐑𝐄𝐄 𝐊𝐑𝐈𝐒𝐇𝐍𝐀 𝐕𝐀𝐍𝐈❤️🚩

20 Nov, 01:20


*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*दिनांक - 20 नवम्बर 2024*
*दिन - बुधवार*
*विक्रम संवत् - 2081*
*अयन - दक्षिणायन*
*ऋतु - हेमन्त*
*मास - मार्गशीर्ष*
*पक्ष - कृष्ण*
*तिथि - पञ्चमी शाम 04:49 तक तत्पश्चात षष्ठी*
*नक्षत्र - पुनर्वसु दोपहर 02:50 तक तत्पश्चात पुष्य*
*योग - शुभ दोपहर 01:08 तक तत्पश्चात शुक्ल*
*राहु काल - दोपहर 12:25 से दोपहर 01:47 तक*
*सूर्योदय - 06:58*
*सूर्यास्त - 05:50*
*दिशा शूल - उत्तर दिशा में*
*ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:12 से 06:04 तक*
*अभिजीत मुहूर्त - कोई नही*
*निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:00 नवम्बर 20 से रात्रि 12:54 नवम्बर 21 तक*
*विशेष - पञ्चमी को बेल फल खाने से कलंक लगता है | (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*🔹गीर गायों का स्वर्णक्षारयुक्त बिलोना शुद्ध देशी घी*🔹

*🔹वर्तमान में देशी गाय का विश्वसनीय शुद्ध घी प्राप्त करना कठिन है । उसमें भी शुद्ध जल-वायु एवं जैविक खेती द्वारा उगाये गये उत्तम आहार द्रव्यों का सेवन करनेवाली तथा प्रदूषणरहित प्राकृतिक वातावरण में रहनेवाली देशी गीर गायों का घी प्राप्त होना तो दुर्लभ ही है । परंतु पूज्य संत श्री आशारामजी बापू की लोकहितकारी विभिन्न सेवाओं में से एक गौ पालन एवं संवर्धन के कारण यह धरती का दुर्लभ अमृत समाज को उपलब्ध हो रहा है ।*

*🌹पूज्य बापूजी की चरणरज से पावन हुई श्योपुर आश्रम की भूमि पर रहनेवाली उत्तम गीर नस्ल की ये गायें आश्रम की जैविक खेती के माध्यम से भक्तों द्वारा गौ-खाद से उगाये गये चारे से पुष्ट होती हैं । आश्रम के पावन वातावरण में रहनेवाली इन पवित्र गौ-माताओं से प्राप्त दूध से पारम्परिक पद्धति से बनाया गया बिलोना घी केवल शारीरिक स्वास्थ्य ही नहीं अपितु मानसिक बौद्धिक व आध्यात्मिक उन्नतिकारक भी है । इस घी की सात्त्विकता, गुणवत्ता व लाभों का पूरा वर्णन नहीं किया जा सकता ।*

*🔹देशी गोघृत-सेवन के लाभ :*🔹

🔹 *(१) हृदय स्वस्थ व बलवान होता है । रक्तदाब नियंत्रित रहता है । हृदय की रक्तवाहिनियों की धमनी प्रतिचय (atherosclerosis) से रक्षा करता है । अतः हृदयरोग से रक्षा हेतु तथा हृदय रोगियों के लिए यह घी अत्यंत लाभदायी है ।*

🔹 *(२) इससे ओज की वृद्धि व दीर्घायुष्य की प्राप्ति होती है ।*

🔹 *(३) मस्तिष्क की कोशिकाएँ (neurons) पुष्ट हो जाती हैं, जिससे बुद्धि व इन्द्रियों की कार्यक्षमता विकसित होती है । बुद्धि, धारणाशक्ति एवं स्मृति की वृद्धि होती है ।*

🔹 *(४) मन का सत्व गुण विकसित होकर चिंता, तनाव, चिड़चिड़ापन, क्रोध आदि दूर होने में मदद मिलती है । मन की एकाग्रता बढ़ती है । साधना में उन्नति होती है ।*

🔹 *(५) नेत्रज्योति बढ़ती है । चश्मा, मोतियाबिंद (cataract), काँचबिंदु (glaucoma) व आँखों की अन्य समस्याओं से रक्षा होती है ।*

🔹 *(६) हड्डियाँ व स्नायु सशक्त होते हैं । संधिस्थान (joints) लचीले व मजबूत बनते हैं ।*

🔹 *(७) कैंसर से लड़ने व उसकी रोकथाम की आश्चर्यजनक क्षमता प्राप्त होती है ।*

🔹 *(८) रोगप्रतिरोधक शक्ति (immunity power) बढ़कर घातक विषाणुजन्य संक्रमणों (viral infections) से प्रतिकार करने की शक्ति मिलती है ।*

🔹 *(९) जठराग्नि तीव्र व पाचन-संस्थान सशक्त होता है । मोटापा नहीं आता, वजन नियंत्रित रहता है । वीर्य पुष्ट होता है । यौवन दीर्घकाल तक बना रहता है ।*

🔹 *(१०) चेहरे की सौम्यता, तेज एवं सुंदरता बढ़ती है । स्वर उत्तम होता है एवं रंग निखरता है । बाल घने, मुलायम व लम्बे होते हैं ।*

🔹 *(११) गर्भवती माँ द्वारा सेवन करने पर गर्भस्थ शिशु बलवान, पुष्ट और बुद्धिमान बनता है ।*

🔹 *इनके अतिरिक्त असंख्य लाभ प्राप्त होते हैं ।*

*🔹यह घी संत श्री आशारामजी आश्रमों में सत्साहित्य सेवा केन्द्रों से व समितियों से प्राप्त हो सकता है ।*

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19 Nov, 07:11


https://t.me/PAWSOG_bot/PAWS?startapp=oWK0a2LR
LFG!
PAWS is the new top dog! 🐾

𝐒𝐇𝐑𝐄𝐄 𝐊𝐑𝐈𝐒𝐇𝐍𝐀 𝐕𝐀𝐍𝐈❤️🚩

19 Nov, 07:09


शत्-शत् नमन!🙏

𝐒𝐇𝐑𝐄𝐄 𝐊𝐑𝐈𝐒𝐇𝐍𝐀 𝐕𝐀𝐍𝐈❤️🚩

19 Nov, 02:34


*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*दिनांक - 19 नवम्बर 2024*
*दिन - मंगलवार*
*विक्रम संवत् - 2081*
*अयन - दक्षिणायन*
*ऋतु - हेमन्त*
*मास - मार्गशीर्ष*
*पक्ष - कृष्ण*
*तिथि - चतुर्थी शाम 05:28 तक तत्पश्चात पञ्चमी*
*नक्षत्र - आर्द्रा दोपहर 02:56 तक तत्पश्चात पुनर्वसु*
*योग - साध्य दोपहर 02:56 तक तत्पश्चात शुभ*
*राहु काल - दोपहर 03:10 से शाम 04:32 तक*
*सूर्योदय - 06:58*
*सूर्यास्त - 05:50*
*दिशा शूल - उत्तर दिशा में*
*ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:12 से 06:04 तक*
*अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:03 से दोपहर 12:47 तक*
*निशिता मुहूर्त- रात्रि 11:59 नवम्बर 19 से रात्रि 12:51 नवम्बर 20 तक*
*व्रत पर्व विवरण - मंगलवारी चतुर्थी (सूर्योदय से शाम 05.28 तक)*
*विशेष - चतुर्थी को मूली खाने से धन-नाश होता है | (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*🔹आरती को कैसे व कितनी बार घुमायें ?*🔹

*🌹पूज्य बापूजी के सत्संग–वचनामृत में आता है : जो भी देव हैं उनका एक बीजमन्त्र होता है । आरती करते हैं तो उनके बीजमन्त्र के अनुसार आकृति बनाते हैं ताकि उन देव कि ऊर्जा, स्वभाव हममें आयें और उनकी आभा में हमारी आभा का तालमेल हो और हमारी आभा देवत्व को उपलब्ध हो । इसलिए देवता, सद्गुरु, भगवान् कि आरती की जाती है ।*

*🔹जिस देवता का जो बीजमन्त्र होता है, आरती की थाली से उस प्रकार कि आकृति बना के आरती करते हैं तो ज्यादा लाभ होता है, जैसे आप रामजी कि आरती करते हैं तो उनका ‘रां’ बीजमन्त्र है तो ‘रां’ शब्द आरती में बनाना ज्यादा लाभ करेगा । देवी की आरती करते हैं तो सरस्वतीजी का ‘ऐं’ अथवा लक्ष्मीजी का ‘श्रीं’ बना दें । गणपतिजी का बीजमंत्र है ‘गं’ तो थाली से उस प्रकार कि आकृति बना दें । अब कौन-से देव का कौन-सा बीजमन्त्र है यह पता नहीं है तो सब बीजमन्त्रो का एक मुख्य बीजमन्त्र है ‘ॐ’कार । आरती घुमाते–घुमाते आप ॐकार बना दें । सभी देवी-देवताओं के अंदर जो परब्रह्म-परमात्मा है उसकी स्वाभाविक ध्वनि ॐ है ।*

*🔹तो ‘ॐ’ बनायें अथवा देव के चरणों से घुटनों तक ( ४ बार) फिर नाभि के सामने (२ बार) फिर मुखारविंद के सामने (१ बार) फिर एक साथ सभी अंगो में (७ बार) आरती घुमाये । इससे देव के गुण व स्वभाव आरती घुमानेवाले के स्वभाव में थोड़े थोड़े आने लगते हैं ।*

*🔹आरती का वैज्ञानिक आधार*🔹

*🔹अभी तो बिज्ञानी भी दंग रह गये कि भारत की इस पूजा-पद्धति से कितना सारा लाभ होता है ! उनको भी आश्चर्यकारक परिणाम प्राप्त हुए । अब विज्ञानी बोलते हैं कि आरती करने से अगर विशेष व्यक्ति है तो उसकी विशेष ओरा और सामान्य व्यक्ति कि ओरा एकाकार होने लगती है । वैज्ञानिकों की दृष्टि में केवल आभा है तो भी धन्यवाद ! किन्तु आभा के साथ-साथ विचार भी समान होते हैं, साथ ही हमारे और सामनेवाले के शरीर से निकलनेवाली तरंगो का विपरीत स्वभाव मिटकर हमारे जीवन में प्रकाश का भाव पैदा होता है ।*

*🔹जैसे घी, पेट्रोल और फूलों आदि की अपनी अलग-अलग गंध होती है, ऐसे ही हर मनुष्य की अपनी आभा होती है । अभी तो किर्लियन फोटोग्राफी द्वारा उस आभा का फोटो भी लिया जा सकता है । जब देवता या सद्गुरु के आगे आरती करते हैं तो उनकी आभा को अपनी आभा के साथ एकाकार करने की प्रक्रिया में दीपक उत्प्रेरक (catalytic agent) का काम करता है ।*

*🔹आयु-आरोग्य प्राप्ति व शत्रुवृद्धि शमन हेतु🔹*

*🔹आरती करने से इतने सारे लाभ होते हैं और आरती देखने से भी लाभ होता है : गुरुद्वार पर कि हुई आरती के दर्शन करने से आपके ऊपर शत्रुओं की डाल नही गलती । दीपज्योती आयु-आरोग्य प्रदायक और शत्रुओ कि वृद्धि का शमन करनेवाली है । पड़ोसी या प्रतिस्पर्धी एक-दूसरे के इतने शत्रु नहीं होते जितने मनुष्य जीवन में काम, क्रोध, लोभ आदि शत्रु हैं । तो आरती के दर्शन करने से शत्रुओ कि वृद्धि का शमन होता ।*

*🔹शास्त्रों के अनुसार जो धूप व आरती को देखता है और दोनों हाथों से आरती को लेता है वह अपनी अनेक पीढ़ियों का उद्धार करता है तथा भगवान विष्णु के परम पद को प्राप्त होता है ।*

*📖 ऋषि प्रसाद – दिसम्बर २०२१ से*

𝐒𝐇𝐑𝐄𝐄 𝐊𝐑𝐈𝐒𝐇𝐍𝐀 𝐕𝐀𝐍𝐈❤️🚩

19 Nov, 02:19


कृष्ण दास बनो बिंदास रहो:।।😎

अगर भक्ति में ईमानदारी हैं।
तो विजय बगल में है

अगर भक्ति में कपट है।
तो माया बगल में ही है

𝐒𝐇𝐑𝐄𝐄 𝐊𝐑𝐈𝐒𝐇𝐍𝐀 𝐕𝐀𝐍𝐈❤️🚩

19 Nov, 02:15


🍃!!:सत्य की महिमा:!!🍃

एक दिन राजा सत्यदेव अपने महल के दरवाजे पर बैठे थे तभी एक स्त्री उनके घर से, उनके सामने से गुजरी। राजा ने पूछा, "देवी! आप कौन हैं और इस समय कहाँ जा रही हैं?" उसने उत्तर दिया, "मैं लक्ष्मी हैं और यहाँ से जा रही हूँ।" राजा ने कहा, "ठीक है, शौक से जाइए।"

कुछ देर बाद एक अन्य नारी उसी रास्ते से जाती दिखाई दीं। राजा ने उससे भी पूछा, "देवी! आप कौन हैं?" उसने उत्तर दिया, "मैं कीर्ति हूँ और यहाँ से जा रही हूँ।" राजा ने गहरी सांस छोड़ते हुए कहा, "जैसी आपकी इच्छा।" थोड़ी देर के बाद एक पुरुष भी उनके सामने से होकर जाने लगा। राजा ने उससे भी प्रश्न पूछा, "आप कौन हैं?" पुरुष ने उत्तर दिया, "मैं सत्य हूँ। मैं भी अब यहाँ से जा रहा हूँ।"

राजा ने तुरन्त ही उसके पैर पकड़ लिए और प्रार्थना करने लगा कि "कृपया आप तो न जाएं ?" राजा सत्यदेव के बहुत प्रार्थना करने पर सत्य मान गया और न जाने का आश्वासन दिया।

कुछ देर के बाद राजा सत्यदेव ने देखा कि लक्ष्मी एवं कीर्ति दोनों ही वापस लौट रही हैं। राजा सत्यदेव ने पूछा, "आप कैसे लौट आई ?" दोनों देवियों ने कहा, "हम उस स्थल से दूर नहीं जा सकतीं, जहाँ पर सत्य रहता है।"

सदैव प्रसन्न रहिये।
जो प्राप्त है, पर्याप्त है ।

🌷🦚🦚जय जय श्री राधे राधे🦚🦚🌷

𝐒𝐇𝐑𝐄𝐄 𝐊𝐑𝐈𝐒𝐇𝐍𝐀 𝐕𝐀𝐍𝐈❤️🚩

18 Nov, 02:13


भगवान का सुंदर संदेश............
आप पृथ्वी के मेहमान हो मालिक नहीं...

𝐒𝐇𝐑𝐄𝐄 𝐊𝐑𝐈𝐒𝐇𝐍𝐀 𝐕𝐀𝐍𝐈❤️🚩

17 Nov, 12:07


बैठी मुद्रा में श्रीनाथजी के दुर्लभ दर्शन!!

𝐒𝐇𝐑𝐄𝐄 𝐊𝐑𝐈𝐒𝐇𝐍𝐀 𝐕𝐀𝐍𝐈❤️🚩

17 Nov, 02:22


हे मन तू तो एक मात्र भजन कर,
तेरा क्या बिगाड़ेंगे क्रूर जीव?
संसारी स्तुति एवं निंदा दोनों ही निरर्थक है. दोनों के सिर धूल पड़ती है, केवल भजन ही है जो तुझे इस मृत्यु लोक से बचाकर श्रीराधाकृष्ण के चरणो तक पहुंचा सकता है।

𝐒𝐇𝐑𝐄𝐄 𝐊𝐑𝐈𝐒𝐇𝐍𝐀 𝐕𝐀𝐍𝐈❤️🚩

17 Nov, 02:21


🌷🦚!!:श्रीहरिः!!🦚🌷

जो परिस्थिति हो, उसी का सदुपयोग कीजिए और कुछ करने की आवश्यकता नहीं।...

बस, निश्चय रखिये - भगवान् जो करा रहे हैं, वही करा रहे हैं, अपनेपन का अभिमान क्यों लाते हैं? सांसारिक दृष्टि में जब एक छोटे बालक को बुद्धिमान् पुरुष एक सेर, दो सेर, पाँच सेर ही उठाने को कहेगा मन-दो- मन नहीं, तब बुद्धि के परम कारण भगवान् तो सब जानते हैं।

वे कब कहेंगे, यह करो, वह करो, जो तुम्हारी सामर्थ्य के बाहर है ... वे तो कहते हैं- जितना तुम कर सको आसानी से करो। पर करो ईमानदारी से। उसमें कुछ बचाकर - छिपाकर मत रखो।

𝐒𝐇𝐑𝐄𝐄 𝐊𝐑𝐈𝐒𝐇𝐍𝐀 𝐕𝐀𝐍𝐈❤️🚩

17 Nov, 02:19


मनुष्य जन्म भक्ति के लिए मीला है
पूज्य कबीर जी ने कहा है कि :-


कबीर, मानुष जन्म दुर्लभ है, मिले न बारंबार। तरवर से पत्ता टूट गिरे, बहुर ना लागे डार।।

भावार्थ :-
कबीर जी ने समझाया है कि हे मानव शरीरधारी प्राणी!
यह मानव जन्म (स्त्री/पुरुष) बहुत कठिनता से युगों पर्यन्त प्राप्त होता है। यह बार-बार नहीं मिलता। इस शरीर के रहते-रहते शुभ कर्म तथा परमात्मा की भक्ति कर, अन्यथा यह शरीर समाप्त हो गया तो आप पुनः इसी स्थिति यानि मानव शरीर को प्राप्त नहीं कर पाओगे। जैसे वृक्ष से पत्ता टूटने के पश्चात् उसी डाल पर पुनः नहीं लगता।

इसलिए इस मानव शरीर के अवसर को व्यर्थ न गँवा। कबीर जी ने फिर कहा है कि :-

कबीर, मानुष जन्म पाय कर, नहीं रटै हरि नाम।
जैसे कुंआ जल बिना, बनवाया क्या काम।।

भावार्थ :-
मानव जीवन में यदि भक्ति नहीं करता तो वह जीवन ऐसा है जैसे सुंदर कुंआ बना रखा है। यदि उसमें जल नहीं है या जल है तो खारा (पीने योग्य नहीं) है, उसका भी नाम भले ही कुंआ है, परंतु गुण कुंए वाले नहीं हैं।

इसी प्रकार मनुष्य भक्ति नहीं करता तो उसको भी मानव कहते हैं, परंतु मनुष्य वाले गुण नहीं हैं।

पूर्व जन्मों में किए शुभ-अशुभ कर्मों तथा भक्ति के कारण कोई स्वस्थ है। वह अचानक रोगी हो जाता है और लाखों रूपये उपचार पर खर्च करके मृत्यु को प्राप्त हो जाता है। कोई जन्म से रोगी होता है, आजीवन कष्ट भोगकर मर जाता है। कोई निर्धन होता है, कोई धनवान ही जन्मता है। किसी के लड़के-लड़की होते हैं तो किसी को संतान प्राप्त ही नहीं होती। किसी को पुत्री-पुत्री ही संतान होती है, चाहने पर भी पुत्र नहीं होता। यह सब पूर्व जन्मों के कर्मों का फल मानव भोगता है। जब तक पुनः भक्ति प्रारम्भ नहीं करता तो तब तक पूर्व वाले संस्कार ही प्राणी को प्राप्त होते हैं। जिस समय पूर्ण सतगुरू से दीक्षा लेकर मर्यादा से भक्ति करने लगता है तो शुभ संस्कारों में वृद्धि होने से दुःख का वक्त सुख में बदलने लग जाता है।

𝐒𝐇𝐑𝐄𝐄 𝐊𝐑𝐈𝐒𝐇𝐍𝐀 𝐕𝐀𝐍𝐈❤️🚩

16 Nov, 02:45


*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*दिनांक - 16 नवम्बर 2024*
*दिन - शनिवार*
*विक्रम संवत् - 2081*
*अयन - दक्षिणायन*
*ऋतु - हेमन्त*
*मास - मार्गशीर्ष*
*पक्ष - कृष्ण*
*तिथि -  प्रतिपदा रात्रि 11:50 तक तत्पश्चात द्वितीया*
*नक्षत्र - कृत्तिका शाम 07:28 तक तत्पश्चात रोहिणी*
*योग - परिघ रात्रि 11:48 तक तत्पश्चात शिव*
*राहु काल -प्रातः 09:39 से प्रातः 11:02 से तक*
*सूर्योदय - 06:56*
*सूर्यास्त - 05:51*
*दिशा शूल - पूर्व दिशा में*
*ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:10 से 06:02 तक*
*अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:02 से दोपहर 12:46 तक*
*निशिता मुहूर्त- रात्रि 11:59 नवम्बर 16 से रात्रि 12:51 नवम्बर 17 तक*
* व्रत पर्व विवरण - वृश्चिक संक्रान्ति, विष्णुपदी संक्रांति (पुण्यकाल सूर्योदय से  प्रातः 07:41), सर्वार्थ सिद्धि योग, अमृत सिद्धि योग (शाम 07:28 नवम्बर 16 से प्रातः 06:55 नवम्बर 17 तक)*
*विशेष - प्रतिपदा को कुष्मांड (कुम्हड़ा, पेठा) न खायें क्योंकि यह धन का नाश करनेवाला है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*🔹 उत्तम स्वास्थ्य के लिए महत्त्वपूर्ण बातें 🔹*

*🔹 प्रतिदिन बच्चों को प्यार से जगायें व उन्हें बासी मुँह पानी पीने की आदत डालें ।*

*🔹 चाय की जगह ताजा दूध उबालें व गुनगुना होने पर बच्चों को दें । दूध से प्राप्त प्रोटीन्स व कैल्शियम शारीरिक विकास के लिए अति महत्त्वपूर्ण होते हैं ।*

*🔹 सुबह नाश्ते में तले हुए पदार्थों की जगह उबले चने, अंकुरित मूँग, मोठ व चने की चाट बनायें । इसमें हरा धनिया, खोपरा, टमाटर, हलका - सा नमक व जीरा डालें । ऊपर से नीबूं निचोड़कर बच्चों को दें । यह ‘विटामिन ई’ से भरपूर है, जो चेहरे की चमक बढाकर ऊर्जावान बनायेगा ।*

*🔹 सब्जियों का उपयोग करने से पहले उन्हें २–३ बार पानी से धो लें । छीलते समय पतला छिलका ही उतारें क्योंकि छिलके व गुदे के बीच की पतली परत ‘विटामिन बी’ से भरपूर होती है ।*

*🔹 सब्जियों को जरूरत से अधिक देर तक न पकायें, नहीं तो उनके पोषक तत्त्व नष्ट हो जायेंगे । पत्तेदार हरि सब्जियों से मिलनेवाले लौह (आयरन) तथा खनिज लवणों (मिनरल साँल्ट्स) की कमी को कैप्सूल व दवाईयों के रूप से पूर्ति करने से बेहतर है कि इनको अपने भोजन में शामिल करें ।*

*🔹 सप्ताह में १–२ दिन पत्तेदार हरि सब्जियाँ जैसे पालक, मेथी, मूली के पत्ते, चौलाई आदि की सब्जी जरुर खायें । इस सब्जियों को छिलकेवाली दलों के साथ भी बना सकते हैं क्योंकि दालें प्रोटीन का एक बड़ा स्त्रोत हैं ।*

*🔹 चावल बनाते समय माँड न निकालें ।*

*🔹 चोकरयुक्त रोटी साधारण रोटी की तुलना में अधिक ऊर्जावान होती है । आटा हमेशा बड़े छेदवाली छन्नी से ही छानें ।*

*🔹 दाल व सब्जी में मिठास लानी हो तो शक्कर की जगह गुड डालें क्योंकि गुड़ में ग्लुकोज, लौह-तत्त्व, कैल्सियम व केरोटिन होता है । यह खून की मात्रा बढ़ाने के साथ–साथ हड्डियों को भी मजबूत बनाता है ।*

*🔹 जहाँ तक सम्भव हो सभी खट्टे फल कच्चे ही खायें व खिलायें क्योंकि आँवले को छोडकर सभी खट्टे फलों व सब्जियों का ‘विटामिन सी’ गर्म करने पर नष्ट हो जाता है ।*

*🔹 भोजन के साथ सलाद के रूप में ककड़ी, टमाटर, गाजर, मूली, पालक, चुकंदर, पत्ता गोभी आदि खाने की आदत डालें । ये आँतों की गति को नियमित रखकर रोगों की जड़ कब्जियत से बचायेंगे ।*

*🔹 दिनभर में डेढ़ से दो लीटर पानी पियें ।*

*🔹 बच्चों को चाँकलेट, बिस्कुट की जगह गुड़, मूँगफली तथा तिल की चिक्की बनाकर दें । गुड़ की मीठी व नमकीन पूरी बनाकर भी दे सकते है ।*

*🔹 जहाँ तक हो सके परिवार के सदस्य एक साथ बैठकर भोजन करें । कम-से-कम शाम को तो सभी एक साथ बैठकर भोजन कर ही सकते हैं । साथ में भोजन करने से पुरे परिवार में आपसी प्रेम व सौहार्द की वृद्धि तथा समय की बचत होती है ।*

*👉🏻 उपरोक्त बातें भले ही सामान्य और छोटी-छोटी है लेकिन इन्हें अपनायें, ये बड़े काम की हैं ।*

*📖 लोक कल्याण सेतु – मार्च २०१४ से*

𝐒𝐇𝐑𝐄𝐄 𝐊𝐑𝐈𝐒𝐇𝐍𝐀 𝐕𝐀𝐍𝐈❤️🚩

16 Nov, 02:38


हे कान्हा.....🌹💞

नीलवरण है रूप नीलाम्बर,
घुँघरवाला केश रे।
मोर मुकुट माथे पे विराजे,
राज कुँवर सा वेश रे।
मुरलीधर घनश्याम कन्हैया,
गिरधारी मतवाला रे।
चंचल, चतुर, चालाक,
साँवरा, लगता भोला भाला रे।।
कानों में कुण्डल पहने,
सोहे वैजयंती माला रे।
वन उपवन में गैया चराये,
वंशी बजाये मतवाला रे।।
कहते है तेरे भगत मुरारी,
अपने रंग में रंग ले रे।
आओ प्रभु जी दरस दिखाने,
राधा रुक्मण संग ले रे।।

*!!:जय श्री कृष्ण:!!*
🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚

𝐒𝐇𝐑𝐄𝐄 𝐊𝐑𝐈𝐒𝐇𝐍𝐀 𝐕𝐀𝐍𝐈❤️🚩

16 Nov, 02:35


"यदि कोई सच्चे मन से मेरी शरण में आकर कहता है कि, 'हे प्रभु, आज से मैं पूर्णतया आपकी शरण में हूँ, तो मैं उसे सदैव सुरक्षा प्रदान करता हूँ। यह मेरी प्रतिज्ञा है।"

(रामायण युद्धकाण्ड)

𝐒𝐇𝐑𝐄𝐄 𝐊𝐑𝐈𝐒𝐇𝐍𝐀 𝐕𝐀𝐍𝐈❤️🚩

16 Nov, 02:33


🪷*!!प्रभु का स्वभाव!!*🪷

- प्रभु सभी जीवों के परमपिता परमात्मा हैं। कोटि-कोटि पिता-माता से अधिक वात्सल्य जीवों पर प्रभु का सदा बना ही है। ईश्वर जीवों का साथ नहीं छोड़ता है। इस बात पर विश्वास भक्तों को होता है और इसी से भक्त निर्भय रहता है। निर्भय निर्वैर होना भक्त का प्रथम लक्षण है। अपने समीप रहकर प्रभु भक्त की रक्षा स्वयं करते हैं क्योंकि वह निरन्तर प्रभु का सा हो जाता है। क्योंकि वह निरंतर प्रभु का चिंतन करता है जिस का चिन्तन होगा उसी का सा स्वभाव बन जायगा। यह सत्य है।

-ईश्वर दयामय है सबके ऊपर कृपा करते है। हमको प्रभु कृपा का अनुभव करना चाहिए, कृपा न होती तो सत्संग नहीं मिलता। प्रभु सबका कल्याण करें। प्रभु की कृपा का अनुभव सब को होता रहे। प्रेम बढ़ता रहे।
परम दयालु भगवान भक्तों पर तो दया करते ही हैं, जो अभक्त जीव हैं,

उन पर भी प्रभु का प्यार रहता है क्योंकि वे भी प्रभु के हैं।

𝐒𝐇𝐑𝐄𝐄 𝐊𝐑𝐈𝐒𝐇𝐍𝐀 𝐕𝐀𝐍𝐈❤️🚩

15 Nov, 13:52


ऊं श्रीं नमः श्रीकृष्णाय परिपूर्णतमाय स्वाहा!🦚❤️🙇‍♀️

𝐒𝐇𝐑𝐄𝐄 𝐊𝐑𝐈𝐒𝐇𝐍𝐀 𝐕𝐀𝐍𝐈❤️🚩

15 Nov, 10:11


हे आदिशक्ति जगजननी माँ वंदन मेरा स्वीकार करो

शरणागत हूं तेरा मैं, माँ मेरा बेड़ा पार करो

महिषासुर को तुमने मारा मधु कैटभ के संहार किये

माँ मलिन हुआ है ये समाज, फिर से पावन संसार करो

जो रक्तबीज बैठा मन में माँ उसका भी संहार करो । हे आदिशक्ति जगजननी माँ वन्दन मेरा स्वीकार करो॥❤️🌺🙏

𝐒𝐇𝐑𝐄𝐄 𝐊𝐑𝐈𝐒𝐇𝐍𝐀 𝐕𝐀𝐍𝐈❤️🚩

15 Nov, 08:16


*🔹सामान्यतः तीन प्रकार के उपवास प्रचलित हैं- निराहार, फलाहार, दुग्धाहार ।*

*🔹निराहारः निराहार व्रत श्रेष्ठ है । यह दो प्रकार का होता है-निर्जल एवं सजल । निर्जल व्रत में पानी का भी सेवन नहीं किया जाता । सजल व्रत में गुनगुना पानी अथवा गुनगुने पानी में नींबू का रस मिलाकर ले सकते हैं । इससे पेट में गैस नहीं बन पाती । ऐसा उपवास दो या तीन दिन रख सकते हैं । अधिक करना हो तो चिकित्सक की देख-रेख में ही करना चाहिए । शरीर में कहीं भी दर्द हो तो नींबू का सेवन न करें ।*

*🔹फलाहार : इसमें केवल फल और फलों के रस पर ही निर्वाह किया जाता है । उपवास के लिए अनार, अंगूर, सेवफल और पपीता ठीक हैं । इसके साथ गुनगुने पानी में नींबू का रस मिलाकर ले सकते हैं । नींबू से पाचन तंत्र की सफाई में सहायता मिलती है । ऐसा उपवास 6-7 दिन से ज्यादा नहीं करना चाहिए ।*

*🔹दुग्धाहारः ऐसे उपवास में दिन में 3 से 8 बार मलाई विहीन दूध 250 से 500 मि.ली. मात्रा में लिया जाता है । गाय का दूध उत्तम आहार है । मनुष्य को स्वस्थ व दीर्घजीवी बनाने वाला गाय के दूध जैसा दूसरा कोई श्रेष्ठ पदार्थ नहीं है ।*

*🔹गाय का दूध जीर्णज्वर, ग्रहणी, पांडुरोग, यकृत के रोग, प्लीहा के रोग, दाह, हृदयरोग, रक्तपित्त आदि में श्रेष्ठ है । श्वास, टी.बी. तथा पुरानी सर्दी के लिए बकरी का दूध उत्तम है ।*

*🔹रूढ़िगत उपवासः 24 घण्टों में एक बार सादा, हल्का, नमक, चीनी व चिकनाई रहति भोजन करें । इस एक बार के भोजन के अतिरिक्त किसी भी पदार्थ के सेवन न करें । केवल सादा पानी अथवा गुनगुने पानी में नींबू ले सकते हैं ।*

*🔹सावधानीः जिन लोगों को हमेशा कफ, जुकाम, दमा, सूजन, जोड़ों में दर्द, निम्न रक्तचाप रहता हो वो नींबू के रस का उपयोग न करें ।*

*🔹उपरोक्त उपवासों में केवल एक बात का ही ध्यान रखना आवश्यक है कि मल-मूत्र व पसीने का निष्कासन ठीक तरह होता रहे अन्यथा शरीर के अंगों से निकली हुई गन्दगी फिर से रक्तप्रवाह में मिल सकती है । आवश्यक हो तो एनिमा का प्रयोग करें ।*

*🔹लोग उपवास तो कर लेते हैं, लेकिन उपवास छोड़ने पर क्या खाना चाहिए ? इस पर ध्यान नहीं देते, इसीलिए अधिक लाभ नहीं होता । जितने दिन उपवास करें, उपवास छोड़ने पर उतने ही दिन मूँग का पानी लेना चाहिए तथा उसके दोगुने दिन तक मूँग उबालकर लेना चाहिए । तत्पश्चात खिचड़ी, चावल आदि तथा अंत में सामान्य भोजन करना चाहिए ।*

*🔹उपवास के नाम पर व्रत के दिन आलू, अरबी, सांग, केला, सिंघाड़े आदि का हलवा, खीर, पेड़े, बर्फी आदि गरिष्ठ भोजन भरपेट करने से रोग की वृद्धि ही होती है । अतः इनका सेवन न करें ।*

*🔶 सावधानीः गर्भवती स्त्री, क्षय रोगी, अल्सर व मिर्गी(हिस्टीरिया) के रोगियों को व अति कमजोर व्यक्तियों को उपवास नहीं करना चाहिए । मधुमेह (डायबिटीज़) के मरीजों को वैद्यकीय सलाह से ही उपवास करने चाहिए ।*

*📖 ऋषि प्रसाद, जून 2001, पृष्ठ संख्या 27,28 अंक 102*

𝐒𝐇𝐑𝐄𝐄 𝐊𝐑𝐈𝐒𝐇𝐍𝐀 𝐕𝐀𝐍𝐈❤️🚩

15 Nov, 08:15


*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*दिनांक - 15 नवम्बर 2024*
*दिन - शुक्रवार*
*विक्रम संवत् - 2081*
*अयन - दक्षिणायन*
*ऋतु - हेमन्त*
*मास - कार्तिक*
*पक्ष - शुक्ल*
*तिथि - पूर्णिमा रात्रि 02:58 नवम्बर 16 तक तत्पश्चात प्रतिपदा*
*नक्षत्र - भरणी रात्रि 09:55 तक तत्पश्चात कृत्तिका*
*योग - व्यतीपात प्रातः 07:30 तक तत्पश्चात वरीयान् प्रातः 03:33 नवम्बर 16 तक तत्पश्चात परिघ*
*राहु काल - प्रातः 11:01 से दोपहर 12:24 तक*
*सूर्योदय - 06:57*
*सूर्यास्त - 05:51*
*दिशा शूल - पश्चिम दिशा में*
*ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:10 से 06:01 तक*
*अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:02 से दोपहर 12:46 तक*
*निशिता मुहूर्त- रात्रि 11:59 नवम्बर 15 से रात्रि 12:50 नवम्बर 16 तक*
* व्रत पर्व विवरण - कार्तिक पूर्णिमा, मणिकर्णिका स्नान, देव दीवाली, भीष्म पञ्चक समाप्त, गुरु नानक जयन्ती, पुष्कर स्नान, कार्तिक रथ यात्रा*
*विशेष - पूर्णिमा के दिन स्त्री-सहवास और तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*🔹व्रत एवं उपवास का महत्त्व🔹*

*🔹भारतीय जीवनचर्या में व्रत एवं उपवास का विशेष महत्त्व है । इनका अनुपालन धार्मिक दृष्टि से किया जाता है परन्तु व्रतोपवास करने से शरीर भी स्वस्थ रहता है ।*

*‘उप’ यानी समीप और ‘वास’ यानी रहना । उपवास का सही अर्थ होता है – ब्रह्म, परमात्मा के निकट रहना । उपवास का व्यावहारिक अर्थ है – निराहार रहना । निराहार रहने से भगवद भजन और आत्मचिंतन में मदद मिलती है । वृत्ति अंतर्मुख होने लगती है । उपवास पुण्यदायी, आमदोषहर, अग्निप्रदीपक, स्फूर्तिदायक तथा इंद्रियों को प्रसन्नता देने वाला माना गया है । अतः यथाकाल, यथाविधि उपवास करके धर्म तथा स्वास्थ्य लाभ करना चाहिए ।*
*आहारं पचति शिखी दोषान् आहारवर्जितः।*

*🔹अर्थात् पेट की अग्नि आहार को पचाती है और उपवास दोषों को पचाता है । उपवास से पाचन शक्ति बढ़ती है । उपवास काल में रोगी शरीर में नया मल उत्पन्न नहीं होता है और जीवनशक्ति को पुराना मल निकालने का अवसर मिलता है । मल-मूत्र विसर्जन सम्यक होने लगता है, शरीर से हलकापन आता है तथा अतिनिद्रा-तंद्रा का नाश होता है ।*

*🔹उपवास की महत्ता के कारण भारतवर्ष के सनातन धर्मावलम्बी प्रायः एकादशी, अमावस्या, पूर्णिमा या पर्वों पर व्रत किया करते हैं क्योंकि उन दिनों सहज ही प्राणों का ऊर्ध्वगमन होता है और जठराग्नि मंद होती है । शरीर-शोधन के लिए चैत्र, श्रावण एवं भाद्रपद महीने अधिक महत्त्वपूर्ण होते हैं । नवरात्रियों के नव दिनों में भी व्रत करने का बहुत प्रचलन है । यह अनुभव से जाना गया है कि एकादशी से पूर्णिमा तथा एकादशी से अमावस्या तक का काल रोग की उग्रता में भी सहायक होता है, क्योंकि जैसे सूर्य एवं चन्द्रमा के परिभ्रमण के परिणामस्वरूप समुद्र में उक्त तिथियों के दिनों में विशेष उतार-चढ़ाव होता है उसी प्रकार उक्त क्रिया के परिणामस्वरूप हमारे शरीर में रोगों की वृद्धि होती है । इसीलिए इन चार तिथियों में उपवास का विशेष महत्त्व है ।*

*🔹रोगों में लाभकारी : आयुर्वेद की दृष्टि से शारीरिक एवं मानसिक रोगों में उपवास का विधान हितकारी माना गया है ।*

*🔹शारीरिक विकारः अजीर्ण, उल्टी, मंदाग्नि, शरीर में भारीपन, सिरदर्द, बुखार, यकृत-विकार, श्वासरोग, मोटापा, संधिवात, सम्पूर्ण शरीर में सूजन, खाँसी, दस्त  लगना, कब्जियत, पेटदर्द, मुँह में छाले, चमड़ी के रोग, किडनी के विकार, पक्षाघात आदि व्याधियों में छोटे या बड़े रूप में रोग के अनुसार उपवास करना लाभकारी होता है ।*

*🔹मानसिक विकार : मन पर भी उपवास का बहुमुखी प्रभाव पड़ता है । उपवास से चित्त की वृत्तियाँ रुकती हैं और मनुष्य जब अपनी चित्त की वृत्तियों को रोकने लग जाता है, तब देह के रहते हुए भी सुख-दुःख, हर्ष-विषाद पैदा नहीं होते । उपवास से सात्त्विक भाव बढ़ता है, राजस और तामस भाव का नाश होने लगता है, मनोबल तथा आत्मबल में वृद्धि होने लगती है । अतः अतिनिद्रा, तन्द्रा, उन्माद (पागलपन), बेचैनी, घबराहट, भयभीत या शोकातुर रहना, मन की दीनता, अप्रसन्नता, दुःख, क्रोध, शोक, ईर्ष्या आदि मानसिक रोगों में औषधोपचार सफल न होने पर उपवास विशेष लाभ देता है । इतना ही नहीं अपितु नियमित उपवास के द्वारा मानसिक विकारों की उत्पत्ति भी रोकी जा सकती है ।*

*🔹उपवास पद्धतिः पहले जो शक्ति खाना हजम करने में लगती थी उपवास के दिनों में वह विजातीय द्रव्यों के निष्कासन में लग जाती है । इस शारीरिक ऊर्जा का उपयोग केवल शरीर की सफाई के लिए ही हो इसलिए इन दिनों में पूर्ण विश्राम लेना चाहिए । मौन रह सके तो उत्तम । उपवास में हमेशा पहले एक-दो दिन ही कठिन लगते हैं । कड़क उपवास एक दो बार ही कठिन लगता है फिर तो मन और शरीर दोनों की औपचारिक स्थिति का अभ्यास हो जाता है और उसमें आनन्द आने लगता है ।*

𝐒𝐇𝐑𝐄𝐄 𝐊𝐑𝐈𝐒𝐇𝐍𝐀 𝐕𝐀𝐍𝐈❤️🚩

15 Nov, 02:52


प्रभु के गले पड़ जाओ___♥️🙏

𝐒𝐇𝐑𝐄𝐄 𝐊𝐑𝐈𝐒𝐇𝐍𝐀 𝐕𝐀𝐍𝐈❤️🚩

14 Nov, 08:31


"𝙃𝙚 𝙬𝙝𝙤 𝙝𝙖𝙨 𝙡𝙚𝙩 𝙜𝙤 𝙤𝙛 𝙝𝙖𝙩𝙧𝙚𝙙 𝙬𝙝𝙤 𝙩𝙧𝙚𝙖𝙩𝙨 𝙖𝙡𝙡 𝙗𝙚𝙞𝙣𝙜𝙨 𝙬𝙞𝙩𝙝 𝙠𝙞𝙣𝙙𝙣𝙚𝙨𝙨 𝙖𝙣𝙙 𝙘𝙤𝙢𝙥𝙖𝙨𝙨𝙞𝙤𝙣, 𝙬𝙝𝙤 𝙞𝙨 𝙖𝙡𝙬𝙖𝙮𝙨 𝙨𝙚𝙧𝙚𝙣𝙚, 𝙪𝙣𝙢𝙤𝙫𝙚𝙙 𝙗𝙮 𝙥𝙖𝙞𝙣 𝙤𝙧 𝙥𝙡𝙚𝙖𝙨𝙪𝙧𝙚, 𝙛𝙧𝙚𝙚 𝙤𝙛 𝙩𝙝𝙚 '𝙄' 𝙖𝙣𝙙 '𝙢𝙞𝙣𝙚,'... 𝙃𝙚 𝙞𝙨 𝙗𝙚𝙮𝙤𝙣𝙙 𝙩𝙝𝙚 𝙙𝙖𝙧𝙠𝙣𝙚𝙨𝙨 𝙤𝙛 𝙢𝙖𝙩𝙩𝙚𝙧 𝙖𝙣𝙙 𝙞𝙨 𝙪𝙣𝙢𝙖𝙣𝙞𝙛𝙚𝙨𝙩𝙚𝙙. 𝙃𝙚 𝙞𝙨 𝙠𝙣𝙤𝙬𝙡𝙚𝙙𝙜𝙚, 𝙃𝙚 𝙞𝙨 𝙩𝙝𝙚 𝙤𝙗𝙟𝙚𝙘𝙩 𝙤𝙛 𝙠𝙣𝙤𝙬𝙡𝙚𝙙𝙜𝙚, 𝙖𝙣𝙙 𝙃𝙚 𝙞𝙨 𝙩𝙝𝙚 𝙜𝙤𝙖𝙡 𝙤𝙛 𝙠𝙣𝙤𝙬𝙡𝙚𝙙𝙜𝙚. 𝙃𝙚 𝙞𝙨 𝙨𝙞𝙩𝙪𝙖𝙩𝙚𝙙 𝙞𝙣 𝙚𝙫𝙚𝙧𝙮𝙤𝙣𝙚'𝙨 𝙝𝙚𝙖𝙧𝙩."ॐ🦚❤️🙏

𝐒𝐇𝐑𝐄𝐄 𝐊𝐑𝐈𝐒𝐇𝐍𝐀 𝐕𝐀𝐍𝐈❤️🚩

14 Nov, 02:18


कोई समझे या ना समझे,
सबसे हमरी समझ भली,
ठाकुर नंदकिशोर हमारे,
ठकुराइन वृषभानुलली

♥️🌸🦚🦚🦚😍🫶🥰🦚🦚🦚🌸♥️

𝐒𝐇𝐑𝐄𝐄 𝐊𝐑𝐈𝐒𝐇𝐍𝐀 𝐕𝐀𝐍𝐈❤️🚩

14 Nov, 02:16


केवल एक भगवान् के हो जाओ और किसीकी चिन्ता मत करो
फिर सत्संग, अच्छे-अच्छे महात्मा अपने-आप मिलेंगे
चिन्ता करनेसे ही कृपा में आड़ लगती है
साधक जीवन-निर्वाहकी, मोक्ष की भी चिन्ता न करे
छोटी-से-छोटी और बड़ी-से-बड़ी चीजकी भी चिन्ता न करे
फिर सब अपने-आप
हो जाएंगे।।

𝐒𝐇𝐑𝐄𝐄 𝐊𝐑𝐈𝐒𝐇𝐍𝐀 𝐕𝐀𝐍𝐈❤️🚩

14 Nov, 02:16


🙌!!:हरि शरणम:: हरि शरणम:!!🙌

आत्मा अनंत काल से निराकारवाद और नास्तिकवाद में फँसकर भगवान से दूर होती जा रही है, और इसका भवबंधन दिन-ब-दिन और भी मजबूत होता जा रहा है। इस कारण सभी प्राणी केवल कष्ट ही पा रहे हैं। भगवान की असीम कृपा से कुछ ही भाग्यशाली आत्माओं को हरि भक्ति प्राप्त होती है।

परंतु यदि हरि भक्ति प्राप्त कर लेने के बाद भी कोई आत्मा पुनः मायावाद या निराकारवाद में लिप्त हो जाए, तो यह आत्महत्या के समान है।

इसलिए आप सभी भक्तजन समझें कि आप अत्यंत भाग्यशाली हैं, क्योंकि आपको हरि भक्ति प्राप्त हुई है। इसी भक्ति के माध्यम से आप इस दुःखमय संसार से मुक्त होकर अपने असली घर, गोलोक धाम जा सकते हैं।

नास्तिकवाद और निराकारवाद तो भवरोग हैं, जिनकी वजह से हम यहाँ फँसे हुए हैं।

स्वयं राधा-कृष्ण यह कहते हैं कि जो अद्वैत (निराकार) दर्शन सुनता और पढ़ता है, उसका विनाश निश्चित है। अब जब स्वयं भगवान ही निराकारवाद को न सुनने की सलाह दे रहे हैं, तो आप समझ सकते हैं कि निराकारवाद कितना निम्न और पतित है।

इसलिए गलत संगति से बचें और प्रभु के प्रति शरणागत होकर भक्ति करें।
इस जन्म को अंतिम बना दें।

🙌🙏*!!हरे कृष्ण हरे राम!!*🙏🙌

𝐒𝐇𝐑𝐄𝐄 𝐊𝐑𝐈𝐒𝐇𝐍𝐀 𝐕𝐀𝐍𝐈❤️🚩

13 Nov, 17:14


🌱🪷Krishna’s wisdom stands for pure objectivity in decisions. Detachment from results is what clears our perspective to do the right thing at the right time.!❤️🦚

𝐒𝐇𝐑𝐄𝐄 𝐊𝐑𝐈𝐒𝐇𝐍𝐀 𝐕𝐀𝐍𝐈❤️🚩

13 Nov, 12:08


One who sees the Supersoul in every living being and equal everywhere does not degrade himself by his mind. Thus he approaches the transcendental destination.............

𝐒𝐇𝐑𝐄𝐄 𝐊𝐑𝐈𝐒𝐇𝐍𝐀 𝐕𝐀𝐍𝐈❤️🚩

13 Nov, 02:22


मेरा नाथ परखता ज़रूर है पर पार भी वही लगाता है🦚♥️

𝐒𝐇𝐑𝐄𝐄 𝐊𝐑𝐈𝐒𝐇𝐍𝐀 𝐕𝐀𝐍𝐈❤️🚩

13 Nov, 02:21


!!:भक्तिमय जीवन:!!

जिस प्रकार किसी धातु के बर्तन को सही आकार देने के लिए, उसके मोल और उपयोगिता बढ़ाने के लिए उसे अनेक बार अग्नि में डाला जाता और पीटा जाता है। उसी प्रकार भक्त को भी अनेक दुखों और प्रतिकूलताओं का सामना करना पड़ता है, ताकि वह निखर सके और उसका जीवन भी अनमोल और वंदनीय बन सके।

नारद जी हाँ, ध्रुव जी हों, प्रह्लाद जी हो या फिर पाण्डव हों जिस पर भी उस प्रभु की कृपा हुई है उसका जीवन बंदनीय अवश्य हुआ है। हमें सतत प्रयास करना चाहिए कि हमारा जीवन प्रभु कृपा का पात्र बन सके। हमारी सरलता, हमारी सहजता, हमारी निष्कपटता और विकट से विकट परिस्थितियों में भी उस प्रभु का सुमिरन और उसके उपर विश्वास ही हमें उनका कृपा पात्र बनाती है।

जा पर कृपा राम की होई। ता पर कृपा करे सब कोई।।

प्रभु की कृपा जिसके ऊपर हो जाती है, उसके ऊपर बाकी सब की कृपा भी हो जाती है। कर्म से अच्छे और हृदय से सच्चे बनें! प्रभु कृपा के पात्र अवश्य बन जाओगे।

𝐒𝐇𝐑𝐄𝐄 𝐊𝐑𝐈𝐒𝐇𝐍𝐀 𝐕𝐀𝐍𝐈❤️🚩

13 Nov, 02:19


🍃।।:बुरे की पहचान:।।🍃

एक राजा को जब पता चला कि मेरे राज्य मे एक ऐसा व्यक्ति है जिसका सुबह- सुबह मुख देखने से दिन भर भोजन नही मिलता है। सच्चाई जानने के इच्छा से उस व्यक्ति को राजा ने अपने साथ सुलाया। दूसरे दिन राजा की व्यस्तता ऐसी बढ़ी कि राजा शाम तक भोजन नहीं कर सका। इस बात से कुद्ध होकर राजा ने उसे तत्काल फाँसी का दण्ड देने का का ऐलान कर दिया।

आखिरी इच्छा के अंतर्गत उस व्यक्ति ने कहा- "राजन ! मेरा मुँह देखने से आप को शाम तक भोजन नही मिला, किन्तु आप का मुँह देखने से मुझे मौत मिलने वाली है।"

इतना सुनते ही लज्जित राजा को सन्त वाणी याद आ गई।

बुरा जो देखण में चला,
बुरा न मिलया कोय।
जो दिल खोजा आपणा,
मुझ से बुरा न कोय ॥

𝐒𝐇𝐑𝐄𝐄 𝐊𝐑𝐈𝐒𝐇𝐍𝐀 𝐕𝐀𝐍𝐈❤️🚩

12 Nov, 11:04


🦚💦🌹💦🌹💦🌹💦🌹💦🌹💦🦚
दरबार अनोखा सरकार अनोखी,
"वृंदावन" वाले की हर बात अनोखी....

जब भी आता हूँ, दरबार में इनके,
मै खो जाता हूँ, श्रृंगार में इनके,

नित नई नवेली, मुस्कान है इनकी,
"वृंदावन" वाले की हर बात अनोखी
🦚💦🌹💦🌹💦🌹💦🌹💦🌹💦🦚

🌷।।"जय श्री श्यामाश्याम"।।🌷


जिसकी बांके बिहारी से प्रीत है
उसकी हर जंग में जीत है

🥰😍🥰

𝐒𝐇𝐑𝐄𝐄 𝐊𝐑𝐈𝐒𝐇𝐍𝐀 𝐕𝐀𝐍𝐈❤️🚩

12 Nov, 02:42


माता तुलसी में उगती मंजरी...। भगवान विष्णु की प्रिय तुलसी...। शालिग्राम इनका स्वरूप है...। माता तुलसी के रहते सदा साथ...। देव उठान के दिन माता तुलसी संग भगवान विष्णु जी का हुआ था विवाह....।

Happy Tulsi vivah

𝐒𝐇𝐑𝐄𝐄 𝐊𝐑𝐈𝐒𝐇𝐍𝐀 𝐕𝐀𝐍𝐈❤️🚩

12 Nov, 02:41


!!:देवउठनी एकादशी की व्रत कथा:!!

एक बार भगवान विष्णु से लक्ष्मीजी ने आग्रह के भाव में कहा- हे भगवान! आप दिन-रात जागते हैं, लेकिन एक बार सोते हैं तो फिर लाखों-करोड़ों वर्षों के लिए सो जाते हैं तथा उस समय समस्त चराचर का नाश भी कर डालते हैं इसलिए आप नियम से विश्राम किया कीजिए। आपके ऐसा करने से मुझे भी कुछ समय आराम का मिलेगा। लक्ष्मीजी की बात भगवान को उचित लगी। उन्होंने कहा कि तुम ठीक कहती हो। मेरे जागने से सभी देवों और खासकर तुम्हें कष्ट होता है। तुम्हें मेरी सेवा से वक्त नहीं मिलता इसलिए आज से मैं हर वर्ष चार मास वर्षा ऋतु में शयन किया करूंगा। मेरी यह निद्रा अल्पनिद्रा और प्रलयकालीन महानिद्रा कहलाएगी। यह मेरी अल्पनिद्रा मेरे भक्तों के लिए परम मंगलकारी रहेगी। इस दौरान जो भी भक्त मेरे शयन की भावना कर मेरी सेवा करेंगे, मैं उनके घर तुम्हारे समेत निवास करूंगा।

𝐒𝐇𝐑𝐄𝐄 𝐊𝐑𝐈𝐒𝐇𝐍𝐀 𝐕𝐀𝐍𝐈❤️🚩

12 Nov, 02:40


देवउठनी एकादशी की हार्दिक शुभकामनाएं

भगवान विष्णु को मनाएं,
उन्हें नींद से जगाएं
इस देवउठनी एकादशी को,
विष्णु जी से आशीर्वाद पाएं.
🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚

शान्ताकारं भुजग-शयनं पद्मनाभं सुरेशं
विश्वाधारं गगन-सदृशं मेघवर्णशुभाङ्गम्।
लक्ष्मीकान्तं कमल-नयनं योगिभिर्ध्यानगम्यम्
वन्दे विष्णुं भवभय-हरं सर्वलोकैक-नाथम् ॥


!!:भावार्थ:!!
जिनका स्वरूप शांत है, जो शेषनाग पर बैठते है, जिनकी नाभि में कमल है और जो देवताओं के भी देव है। जो पूरे ब्रह्मांड को धारण किए हुए है, जो सर्वत्र व्याप्त है, जो नीलमेघ के समान नील वर्ण वाले है और जिनके अङ्ग शुभ है। जो लक्ष्मीजी के पति है, जिनके नेत्र कमल के समान है और योगी जिनका निरंतर चिंतन करते है। भगवान श्री विष्णु को में प्रणाम करता हु, जो सभी भयो को नष्ट करते है तथा जो सभी लोकों के स्वामी है, पुरे ब्रह्माण्ड के ईश्वर हैं।।
🌸🙏🙏🙌🙌🪔🪔🙌🙌🙏🙏🌸

𝐒𝐇𝐑𝐄𝐄 𝐊𝐑𝐈𝐒𝐇𝐍𝐀 𝐕𝐀𝐍𝐈❤️🚩

11 Nov, 18:33


*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*दिनांक - 12 नवम्बर 2024*
*दिन - मंगलवार*
*विक्रम संवत् - 2081*
*अयन - दक्षिणायन*
*ऋतु - हेमन्त*
*मास - कार्तिक*
*पक्ष - शुक्ल*
*तिथि - एकादशी शाम 04:04 तक तत्पश्चात द्वादशी*
*नक्षत्र - पूर्व भाद्रपद प्रातः 07:52 तक तत्पश्चात उत्तर भाद्रपद प्रातः 05:40 नवम्बर 13 तक तत्पश्चात रेवती*
*योग - हर्षण शाम 07:10 तक तत्पश्चात वज्र*
*राहु काल - दोपहर 03:10 से शाम 04:33 तक*
*सूर्योदय - 06:54*
*सूर्यास्त - 05:52*
*दिशा शूल - उत्तर दिशा में*
*ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:08 से 06:00 तक*
*अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:02 से दोपहर 12:46 तक*
*निशिता मुहूर्त- रात्रि 11:58 नवम्बर 12 से रात्रि 12:50 नवम्बर 13 तक*
*व्रत पर्व विवरण - देवउठी एकादशी, योगेश्वर द्वादशी, चातुर्मास समाप्त, सर्वार्थ सिद्धि योग (प्रातः 07:52 से प्रातः 05:40 नवम्बर 13 तक)*
*विशेष - एकादशी को सिम्बी (सेम) खाने से पुत्र का नाश होता है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*🔹एकादशी में क्या करें, क्या न करें ?🔹*

*🌹1. एकादशी को लकड़ी का दातुन तथा पेस्ट का उपयोग न करें । नींबू, जामुन या आम के पत्ते लेकर चबा लें और उँगली से कंठ शुद्ध कर लें । वृक्ष से पत्ता तोड़ना भी वर्जित है, अत: स्वयं गिरे हुए पत्ते का सेवन करें ।*

*🌹2. स्नानादि कर के गीता पाठ करें, विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें ।*

*🌹हर एकादशी को श्री विष्णु सहस्रनाम का पाठ करने से घर में सुख शांति बनी रहती है l*

*🌹राम रामेति रामेति । रमे रामे मनोरमे ।। सहस्त्र नाम त तुल्यं । राम नाम वरानने ।।*

*एकादशी के दिन इस मंत्र के पाठ से श्री विष्णु सहस्रनाम के जप के समान पुण्य प्राप्त होता है l*

*🌹3. `ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ इस द्वादश अक्षर मंत्र अथवा गुरुमंत्र का जप करना चाहिए ।*

*🌹4. चोर, पाखण्डी और दुराचारी मनुष्य से बात नहीं करना चाहिए, यथा संभव मौन रहें ।*

*🌹5. एकदशी के दिन भूल कर भी चावल नहीं खाना चाहिए न ही किसी को खिलाना चाहिए । इस दिन फलाहार अथवा घर में निकाला हुआ फल का रस अथवा दूध या जल पर रहना लाभदायक है ।*

*🌹6. व्रत के ( दशमी, एकादशी और द्वादशी ) - इन तीन दिनों में काँसे के बर्तन, मांस, प्याज, लहसुन, मसूर, उड़द, चने, कोदो (एक प्रकार का धान), शाक, शहद, तेल और अत्यम्बुपान (अधिक जल का सेवन) - का सेवन न करें ।*

*🌹7. फलाहारी को गोभी, गाजर, शलजम, पालक, कुलफा का साग इत्यादि सेवन नहीं करना चाहिए ।आम, अंगूर, केला, बादाम, पिस्ता इत्यादि अमृत फलों का सेवन करना चाहिए ।*

*🌹8. जुआ, निद्रा, पान, परायी निन्दा, चुगली, चोरी, हिंसा, मैथुन, क्रोध तथा झूठ, कपटादि अन्य कुकर्मों से नितान्त दूर रहना चाहिए ।*

*🌹9. भूलवश किसी निन्दक से बात हो जाय तो इस दोष को दूर करने के लिए भगवान सूर्य के दर्शन तथा धूप-दीप से श्रीहरि की पूजा कर क्षमा माँग लेनी चाहिए ।*

*🌹10. एकादशी के दिन घर में झाड़ू नहीं लगाएं । इससे चींटी आदि सूक्ष्म जीवों की मृत्यु का भय रहता है ।*

*🌹11. इस दिन बाल नहीं कटवाने चाहिए ।*

*🌹12. इस दिन यथाशक्ति अन्नदान करें किन्तु स्वयं किसीका दिया हुआ अन्न कदापि ग्रहण न करें ।*

*🌹13. एकादशी की रात में भगवान विष्णु के आगे जागरण करना चाहिए (जागरण रात्र 1 बजे तक) ।*

*🌹14. जो श्रीहरि के समीप जागरण करते समय रात में दीपक जलाता है, उसका पुण्य सौ कल्पों में भी नष्ट नहीं होता है ।*

*🔹 इस विधि से व्रत करनेवाला उत्तम फल को प्राप्त करता है ।*

𝐒𝐇𝐑𝐄𝐄 𝐊𝐑𝐈𝐒𝐇𝐍𝐀 𝐕𝐀𝐍𝐈❤️🚩

11 Nov, 08:00


ॐ महाकालेश्वराय नमः!🕉️🔱

𝐒𝐇𝐑𝐄𝐄 𝐊𝐑𝐈𝐒𝐇𝐍𝐀 𝐕𝐀𝐍𝐈❤️🚩

09 Nov, 20:16


*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*दिनांक - 10 नवम्बर 2024*
*दिन - रविवार*
*विक्रम संवत् - 2081*
*अयन - दक्षिणायन*
*ऋतु - हेमन्त*
*मास - कार्तिक*
*पक्ष - शुक्ल*
*तिथि - नवमी रात्रि 09:01 तक तत्पश्चात दशमी*
*नक्षत्र - धनिष्ठा प्रातः 10:59 तक तत्पश्चात शतभिषा*
*योग - ध्रुव रात्रि 01:42 नवम्बर 11 तक तत्पश्चात व्याघात*
*राहु काल - शाम 04:34 से शाम 05:57 तक*
*सूर्योदय - 06:49*
*सूर्यास्त - 05:57*
*दिशा शूल - पश्चिम दिशा में*
*ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:07 से 05:59 तक*
*अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:01 से दोपहर 12:46 तक*
*निशिता मुहूर्त- रात्रि 11:58 नवम्बर 10 से रात्रि 12:50 नवम्बर 11 तक*
* व्रत पर्व विवरण - अक्षय नवमी, आँवला नवमी, जगद्धात्री पूजा, साईं श्री लीलाशाहजी महाराज का महानिर्वाण दिवस*
*विशेष - नवमी को लौकी खाना गौमाँस के सामान त्याज्य है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*🔹आँवला नवमी विशेष🔹*


*🌱 हमारे पूजनीय वृक्ष - आँवला 🌱*

*🔸 आँवला खाने से आयु बढ़ती है । इसका रस पीने से धर्म का संचय होता है और रस को शरीर पर लगाकर स्नान करने से दरिद्रता दूर होकर ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है ।*

*🔸 जो दोनों पक्षों की एकादशियों को आँवले के रस का प्रयोग कर स्नान करते हैं, उनके पाप नष्ट हो जाते हैं ।*

*🔸 मृत व्यक्ति की हड्डियाँ आँवले के रस से धोकर किसी भी नदी में प्रवाहित करने से उसकी सद्गति होती है ।*
*(स्कंद पुराण, वैष्णव खंड, का.मा. 12.75)*

*🔸प्रत्येक रविवार, विशेषतः सप्तमी को आँवले का फल त्याग देना चाहिए । शुक्रवार, प्रतिपदा, षष्ठी, नवमी, अमावस्या और सक्रान्ति को आँवले का सेवन नहीं करना चाहिए ।*

*🔸आँवला सेवन के बाद 2 घंटे तक दूध नहीं पीना चाहिए ।*

*🔹आँवला के औषधीय प्रयोग 🔹*

*🔸१] जिन्हें भोजन में अरुचि हो या भूख कम लगती हो उन्हें भोजन से पहले २ चम्मच आँवला रस में १ चम्मच शहद मिलाकर लेना लाभकारी है ।*

*🔸२] नाक, मूत्रमार्ग, गुदामार्ग से रक्तस्राव, योनिमार्ग में जलन व अतिरिक्त रक्तस्राव, पेशाब में जलन, रक्तप्रदर, त्वचा-विकार आदि समस्याओं में आँवला रस अथवा आँवला चूर्ण दिन में दो बार लेना लाभदायी है ।*

*🔸३] आँवला रस में ४ चुटकी हल्दी मिलाकर दिन में दो बार लें । यह सभी प्रकार के प्रमेहों में श्रेष्ठ औषधि है ।*

*🔸४] अम्लपित्त, सिरदर्द, सिर चकराना, आँखों के सामने अँधेरा छाना, उलटी होना आदि में आँवला रस या चूर्ण मिश्री मिलाकर लेना फायदेमंद है ।*

*🔸५] रक्ताप्लता या पीलिया जैसे विकारों में आँवला चूर्ण का दिन में २ बार उपयोग करने से रस-रक्त का पोषण होकर इन विकारों में लाभ होता है ।*

*🔸६] आँवला एवं मिश्री का मिश्रण घी के साथ प्रतिदिन सुबह लेने से असमय बालों का सफेद होना व झड़ना बंद हो जाता है तथा सभी ज्ञानेन्द्रियों की कार्यक्षमता बढ़ती है ।*

*🔸सेवन- मात्रा : आँवला चूर्ण – २ से ५ ग्राम, आँवला रस – १५ से २० मि.ली.*

*🔹ध्यान दें : रविवार व शुक्रवार को आँवले का सेवन वर्जित है ।*

𝐒𝐇𝐑𝐄𝐄 𝐊𝐑𝐈𝐒𝐇𝐍𝐀 𝐕𝐀𝐍𝐈❤️🚩

09 Nov, 17:48


They say if you're getting distant from your god you should force yourself to worship them because there must be some bad energy that's making your vibe lazy .
No matter what is happening no matter where you are no matter how good or bad the situation is always ! ALWAYS ! chant "Hare krishna" and believe me you'll feel his presence 🙏🏻 even if no one's by your side kanha is right behind you holding you 🥹🥹 BELIEVE ME !!
HARE KRISHNA 😉🙏🏻🧿❤️

𝐒𝐇𝐑𝐄𝐄 𝐊𝐑𝐈𝐒𝐇𝐍𝐀 𝐕𝐀𝐍𝐈❤️🚩

09 Nov, 17:42


🥹🥹

𝐒𝐇𝐑𝐄𝐄 𝐊𝐑𝐈𝐒𝐇𝐍𝐀 𝐕𝐀𝐍𝐈❤️🚩

09 Nov, 10:15


🦚🪷🌾

𝐒𝐇𝐑𝐄𝐄 𝐊𝐑𝐈𝐒𝐇𝐍𝐀 𝐕𝐀𝐍𝐈❤️🚩

09 Nov, 08:24


गोपाष्टमी की आप सभी को हार्दिक बधाई!🤍🌾🦚

𝐒𝐇𝐑𝐄𝐄 𝐊𝐑𝐈𝐒𝐇𝐍𝐀 𝐕𝐀𝐍𝐈❤️🚩

09 Nov, 03:03


*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*दिनांक - 09 नवम्बर 2024*
*दिन - शनिवार*
*विक्रम संवत् - 2081*
*अयन - दक्षिणायन*
*ऋतु - हेमन्त*
*मास - कार्तिक*
*पक्ष - शुक्ल*
*तिथि - अष्टमी रात्रि 10:45 तक तत्पश्चात नवमी*
*नक्षत्र - श्रवण प्रातः 11:47 तक तत्पश्चात धनिष्ठा*
*योग - वृद्धि प्रातः 04:23 नवम्बर 10 तक तत्पश्चात ध्रुव*
*राहु काल - प्रातः 09:36 से प्रातः 11:00 तक*
*सूर्योदय - 06:53*
*सूर्यास्त - 05:53*
*दिशा शूल - पूर्व दिशा में*
*ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:07 से 05:58 तक*
*अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:01 से दोपहर 12:46 तक*
*निशिता मुहूर्त- रात्रि 11:58 नवम्बर 09 से रात्रि 12:49 नवम्बर 10 तक*
* व्रत पर्व विवरण - गोपाष्टमी, मासिक दुर्गाष्टमी, सर्वार्थ सिद्धि योग (प्रातः 06:49 से प्रातः 11:47 तक)*
*विशेष - अष्टमी को नारियल का फल खाने से बुद्धि का नाश होता है | इस दिन स्त्री-सहवास और तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*🔹अशुभ क्या है एवं शुभ क्या है ?🔹*

*🔸 बिल्ली की धूलि शुभ प्रारब्ध का हरण करती है । (नारद पुराण, पूर्व भाग : 26.32)*

*🔸 कुत्ता रखने वालों के लिए स्वर्गलोक में स्थान नहीं है । उनका पुण्य क्रोधवश नामक राक्षस हर लेते हैं । (महाभारत, महाप्रयाण पर्व : 3.10)*

*🔸 'महाभारत' में यह भी आया है कि 'घर में टूटा-फूटा बर्तन, सामान (फर्नीचर), मुर्गा, कुत्ता, बिल्ली होना अच्छा नहीं है । ये शुभ गुणों को हरते हैं ।'*

*🔸 दूसरे का अन्न, दूसरे का वस्त्र, दूसरे का धन, दूसरे की शय्या, दूसरे की गाड़ी, दूसरे की स्त्री का सेवन और दूसरे के घर में वास – ये इन्द्र के भी ऐश्वर्य को नष्ट कर देते हैं । (शंखलिखित स्मृति : 17)*

*🔸 जिस तरह शरीर में जीवन न हो तो वह मुर्दा शरीर अशुभ माना जाता है । इसी तरह खाली कलश भी अशुभ है । दूध, घी, पानी अथवा अनाज से भरा हुआ कलश कल्याणकारी माना जाता है । भरा हुआ घड़ा मांगलिकता का प्रतीक है ।*

*🔸 वास्तुशास्त्र के अनुसार घर की पश्चिम दिशा में पीपल का वृक्ष होना शुभ है । इसके विपरीत पूर्व दिशा में होना विशेष अशुभ है ।*

*🔸 आँवला, बिल्व, नारियल, तुलसी और चमेली सभी दिशाओं में शुभ हैं । कुछ अन्य वृक्षों के लिए शुभ दिशाओं की सूचिः*

*जामुन – दक्षिण, पूर्व, उत्तर*
*अनार – आग्नेय, नैर्ऋत्य कोण*
*केला – तुलसी के साथ सभी दिशाओं में*
*चंदन – पश्चिम, दक्षिण (पूर्व विशेष अशुभ)*
*बड़  -  पूर्व (पश्चिम विशेष अशुभ)*
*कनेर – पूर्व, उत्तर (पश्चिम विशेष अशुभ)*
*नीम – वायव्य कोण (आग्नेय विशेष अशुभ)*

*🔸 घर में बाँस, बेर, पपीता, पलाश और बबूल के वृक्ष सभी दिशाओं में अशुभ माने जाते हैं । आम पूर्व में, सीताफल व गुलाब ईशान कोण में विशेष अशुभ हैं ।*

*🔸 अशुभ वस्तुएँ जैसे कि मांस, दुर्घटना का दृश्य, मृतक जीव-जन्तु दिखायी देने पर उसी समय सूर्यनारायण के दर्शन कर लेने चाहिए ।*

𝐒𝐇𝐑𝐄𝐄 𝐊𝐑𝐈𝐒𝐇𝐍𝐀 𝐕𝐀𝐍𝐈❤️🚩

09 Nov, 02:08


सारी दुनिया मिल भी गये.....🌍

लेकिन......😔

लेकिन आप न मिली.....🥲

तो कया ही प्राप्त किया हमने🥹

🙇🙇🙇🙇🙇श्री राधा 🙇🙇🙇🙇🙇

𝐒𝐇𝐑𝐄𝐄 𝐊𝐑𝐈𝐒𝐇𝐍𝐀 𝐕𝐀𝐍𝐈❤️🚩

09 Nov, 02:05


🧘!!:श्रीराधिका-ध्यान:!!🧘

स्मेरा गोरोचनाभां स्फुरदरुण-पट-प्रान्तक्लृप्तावगुण्ठां।।
रम्यां देशेन वेणीकृत-चिकुरु-घटालम्बि पद्‌मां किशोरीम्।।
तर्जन्यंगुष्ठयुक्ता हरिमुखकमले युञ्जती नागवल्ली।।
पूर्णा कर्णायताक्षी त्रिजगति मधुरां राधिका भावयामि ।।


जो मन्दमुस्कान युक्त हैं, एवं गोरोचन की कान्ति सदृश जिनके अंगों की शोभा है, उज्ज्वल अरुण वस्त्र से जिन्होंने कुछ घूंघट सा कर रखा है, अतिशय सुन्दर वेश से जो सुसज्जित है, जिनके नितम्बदेश तक स्निग्ध केशों की वेणी लटक रही है, जो प‌द्मा किशोरी हैं, जो अपनी तर्जनी अंगुली तथा अंगूठे से पान को श्रीश्यामसुन्दर के मुखकमल में प्रदान कर रही हैं, जिनके नेत्र कमल कानों तक विस्तृत है-ऐसी त्रिभुवन-सुन्दरी श्रीराधिका जी का मैं ध्यान करता हूँ।।

🙇!!:श्रीराधिका-प्रार्थना:!!🙇

राधे वृन्दावनाधीशे करुणामृतवाहिनि। कृपया निजपादाब्जदास्यं महां प्रदीयताम्।

हे श्रीराधे। हे श्रीवृन्दावनाधीश्वरि! आप करुणामृत की धारा प्रवाह करुणा करके मुझे अपने चरणकमलों की सेवा प्रदान करने वाली हैं। कीजिये

🙌🙏!!:श्रीराधिका-प्रणाम:!!🙏🙌

महाभावस्वरूपा त्वं कृष्णप्रिया वरीयसी।
प्रेममक्ति-प्रदे। देवि ! राधिके। त्वां नमाम्यहम्।।


हे महाभावस्वरूपिणी! आप श्रीकृष्ण की श्रेष्ठ प्रियतमा हैं। हे राधिके ! हे अनन्त लीला-परायणा! आप प्रेम भक्ति प्रदान करने वाली है. मैं आपको नमस्कार करता हूँ।।

𝐒𝐇𝐑𝐄𝐄 𝐊𝐑𝐈𝐒𝐇𝐍𝐀 𝐕𝐀𝐍𝐈❤️🚩

08 Nov, 13:38


❤️🦚

𝐒𝐇𝐑𝐄𝐄 𝐊𝐑𝐈𝐒𝐇𝐍𝐀 𝐕𝐀𝐍𝐈❤️🚩

08 Nov, 10:34


देखत मुख शोभा मुस्कान लाली को
मन करे मोहे प्राण बलिहारी को।
🪷
राधा
ऐसी कृपा करो श्री लाड़िली
बस राधा राधा गाउ
🥰🫶🌷🦚🦚♥️🦚🦚🌷🫶🥰

𝐒𝐇𝐑𝐄𝐄 𝐊𝐑𝐈𝐒𝐇𝐍𝐀 𝐕𝐀𝐍𝐈❤️🚩

08 Nov, 03:50


*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*दिनांक - 08 नवम्बर 2024*
*दिन - शुक्रवार*
*विक्रम संवत् - 2081*
*अयन - दक्षिणायन*
*ऋतु - हेमन्त*
*मास - कार्तिक*
*पक्ष - शुक्ल*
*तिथि - सप्तमी रात्रि 11:56 तक तत्पश्चात अष्टमी*
*नक्षत्र - उत्तराषाढा दोपहर 12:03 तक तत्पश्चात श्रवण*
*योग - शूल प्रातः 08:28 तक तत्पश्चात गण्ड प्रातः 06:39 नवम्बर 09 तक तत्पश्चात वृद्धि*
*राहु काल - प्रातः 11:00 से दोपहर 12:23 तक*
*सूर्योदय - 06:52*
*सूर्यास्त - 05:53*
*दिशा शूल - पश्चिम दिशा में*
*ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:06 से 05:57 तक*
*अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:01 से दोपहर 12:46 तक*
*निशिता मुहूर्त- रात्रि 11:58 नवम्बर 08 से रात्रि 12:49 नवम्बर 09 तक*
* व्रत पर्व विवरण - जलाराम बापा जयन्ती, कार्तिक अष्टाह्निका विधान प्रारम्भ, सर्वार्थ सिद्धि योग ( दोपहर 12:03 से प्रातः 06:49 नवम्बर 09 तक)*
*विशेष - सप्तमी को ताड़ का फल खाने से रोग बढ़ते हैं और शरीर का नाश होता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*🔹सर्वांगीण विकास की कुंजियाँ🔹*

*🔹यादशक्ति बढ़ाने हेतु🔹*

*🔸 (१) प्रतिदिन १५ से २० मि.ली. तुलसी रस, एक चम्मच च्यवनप्राश व थोड़ी-सी किशमिश का घोल बना के सारस्वत्य मंत्र अथवा गुरुमंत्र जपकर पीयें । ४० दिन में चमत्कारिक फायदा होगा ।*

*🔸 (२) भोजन के बाद तिल का एक लड्डू चबा-चबाकर खायें ।*

*🔸 (३) १०० ग्राम सौंफ, १०० ग्राम बादाम व २०० ग्राम मिश्री तीनों को कूटकर मिला लें । सुबह ३ से ५ ग्राम यह मिश्रण चबा-चबाकर खायें, ऊपर से दूध पी लें । दूध के साथ भी ले सकते हैं । इससे भी यादशक्ति बढ़ेगी ।*

*🔹पढ़ा हुआ याद रहे, इस हेतु :🔹*

*🔸 (१) अध्ययन के समय पूर्व या उत्तर की ओर मुंह करके सीधे बैठें ।*

*🔸 (२) सारस्वत्य मंत्र का जप कर के जीभ की नोक को तालू में लगाकर पढ़ें ।*

*🔸 (३) अध्ययन के बीच-बीच में व अंत में शांत हों और पढ़े हुए का मनन करें । भगवद्सुमिरण कर के शांत हों ।*

*🔹कद बढ़ाने हेतु🔹*

*🔸 प्रातःकाल दौड़ लगायें, पुल-अप्स व ताड़ासन करें तथा २ काली मिर्च के टुकड़े करके मक्खन में मिलाकर निगल जायें । देशी गाय का दूध कदवृद्धि में विशेष सहायक है ।*

*🔹शरीरपुष्टि हेतु:🔹*

*🔸 (१) भोजन से पहले हरड़ चूसें व भोजन के साथ भी खायें  ।*
*🔸 (२) रात्रि में एक गिलास पानी में एक नींबू निचोड़कर उसमें दो किशमिश भिगो दें । सुबह पानी छानकर पी जायें व किशमिश चबाकर खा लें ।*

𝐒𝐇𝐑𝐄𝐄 𝐊𝐑𝐈𝐒𝐇𝐍𝐀 𝐕𝐀𝐍𝐈❤️🚩

08 Nov, 01:55


श्री कृष्ण आपसे क्या चाहते हैं और आप क्या कर सकते हैं?

श्री कृष्ण प्रत्येक जीवात्मा से यह चाहते हैं कि जीवात्मा उन्हें अपने प्रेम के बंधन में बाँधे। जब कोई जीवात्मा श्री कृष्ण को प्रेम के बंधन में बाँध लेता है, तब श्री कृष्ण उसे यम के पाश, संसार के बंधनों, कर्मों के फल, और जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्त कर देते हैं।

किन्तु यदि जीवात्मा मुक्त रूप में विचरण करेंगे, तो श्री कृष्ण हमें कर्मों के बंधनों में बाँध देंगे, जिसके परिणामस्वरूप व्यक्ति जन्म-मृत्यु के चक्र में, संसार के बंधनों में, और यम के पाश में जकड़ा रहेगा।

तो क्यों न हम श्री कृष्ण को बाँधें, ताकि वे हमें बंधनों से मुक्त कर सकें?

!!जय श्री राधे कृष्ण
!!

𝐒𝐇𝐑𝐄𝐄 𝐊𝐑𝐈𝐒𝐇𝐍𝐀 𝐕𝐀𝐍𝐈❤️🚩

08 Nov, 01:52


" कलियुग इतना विशेष कैसे है? "

सतयुग में केवल एक हिरण्यकश्यप था जो अपने बच्चे को भक्ति नहीं करने दे रहा था, लेकिन कलियुग में ज्यादातर माता-पिता दोनों हिरण्यकश्यप हैं।

त्रेतायुग में एक रावण था, भयंकर कामी, दूसरे की स्त्री पर आंख डालने वाला। कलियुग में ज्यादातर पुरुष रावण हैं।

द्वापरयुग में एक शिशुपाल था जो श्री कृष्ण से भयंकर ईर्ष्या करता था और गालियां देता था। आज कलियुग में ज्यादातर लोग शिशुपाल हैं।

बिलकुल ऐसे ही, सतयुग में हरी नाम लेने वाले केवल एक प्रह्लाद महाराज थे, आज कलियुग में हजारों बच्चे हैं।

त्रेतायुग में कुछ सौ राजा थे जो यज्ञ करते थे, आज लाखों लोग जपा यज्ञ करते हैं।

द्वापरयुग में कुछ हजार लोग विग्रह सेवा करते थे, आज कलियुग में करोड़ों लोग विग्रह सेवा करते हैं।

कलियुग आत्मा के लिए एक चुनाव है: क्या बनना है?

1) भक्त

2) राक्षस

केवल चुनाव ही हमारे हाथ में है, उसके बाद भक्ति हमसे भगवान श्री कृष्ण ही करवाते हैं।

🌷!!:जय श्री कृष्ण:!!🌷

𝐒𝐇𝐑𝐄𝐄 𝐊𝐑𝐈𝐒𝐇𝐍𝐀 𝐕𝐀𝐍𝐈❤️🚩

07 Nov, 13:40


@CFCMOVIESS
@CFCPIRATES

𝐒𝐇𝐑𝐄𝐄 𝐊𝐑𝐈𝐒𝐇𝐍𝐀 𝐕𝐀𝐍𝐈❤️🚩

07 Nov, 02:40


सद्विचार, सदाचार, प्रेम और भक्ति, यही है सूर्य देव को, प्रसन्न करने की शक्ति,

!!छठ पूजा की हार्दिक शुभकामनाएँ!!
🪔🪔🪔🪔🪔🪔🪔🪔🪔🪔
🪔🪔

𝐒𝐇𝐑𝐄𝐄 𝐊𝐑𝐈𝐒𝐇𝐍𝐀 𝐕𝐀𝐍𝐈❤️🚩

07 Nov, 02:39


रामायण के मुताबिक, छठ पूजा की शुरुआत माता सीता ने की थी:

जब रावण का वध करके राम, सीता, और लक्ष्मण अयोध्या वापस लौटे थे, तब माता सीता ने कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की षष्ठी को छठ का व्रत रखा था.

उन्होंने कुल की सुख-शांति के लिए षष्ठी देवी और सूर्यदेव की पूजा की थी.

माता सीता को छठ का व्रत करने की बात ऋषि मुद्गल ने ही कही थी.

ऋषि मुद्गल ने माता सीता को अपने आश्रम में रहने का आदेश दिया था.

मान्यता थी कि महिलाएं यज्ञ में भाग नहीं ले सकतीं, इसलिए माता सीता ने ऋषि मुद्गल के आश्रम में रहकर ही व्रत किया.

जब पांडवों ने अपना राजपाट जुए में गंवा दिया था, तब द्रौपदी ने छठ व्रत रखा था. इस व्रत के प्रभाव से उनकी मनोकामनाएं पूरी हुईं और पांडवों को राजपाट वापस मिल गया.

छठ पूजा को सनातन धर्म में बहुत फलदाई माना गया है.

छठ पूजा में विधि-विधान से माता छठी और भगवान सूर्य की पूजा की जाती है.

छठ पूजा में अमीर-गरीब, बड़े-छोटे का भेद मिट जाता है........

𝐒𝐇𝐑𝐄𝐄 𝐊𝐑𝐈𝐒𝐇𝐍𝐀 𝐕𝐀𝐍𝐈❤️🚩

06 Nov, 23:15


*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*दिनांक - 07 नवम्बर 2024*
*दिन - गुरुवार*
*विक्रम संवत् - 2081*
*अयन - दक्षिणायन*
*ऋतु - हेमन्त*
*मास - कार्तिक*
*पक्ष - शुक्ल*
*तिथि - षष्ठी रात्रि 12:34 नवम्बर 08 तक तत्पश्चात सप्तमी*
*नक्षत्र - पूर्वाषाढा प्रातः 11:47 तक तत्पश्चात उत्तराषाढा*
*योग - धृति प्रातः 09:52 तक तत्पश्चात शूल*
*राहु काल - दोपहर 01:47 से दोपहर 03:11 तक*
*सूर्योदय - 06:52*
*सूर्यास्त - 05:54*
*दिशा शूल - दक्षिण दिशा में*
*ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:06 से 05:57 तक*
*अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:01 से दोपहर 12:46 तक*
*निशिता मुहूर्त- रात्रि 11:58 नवम्बर 07 से रात्रि 12:49 नवम्बर 08 तक*
* व्रत पर्व विवरण -  सूर सम्हारम, छठ पूजा, स्कन्द षष्ठी*
*विशेष - षष्ठी को नीम-भक्षण (पत्ती फल खाने या दातुन मुंह में डालने) से नीच योनियों की प्राप्ति होती है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*🔹प्रकृति अनुसार विहार🔹*

*🔹वात प्रकृति🔹*

*🔹त्याज्य : अति परिश्रम, अति व्यायाम, सतत अध्ययन, अधिक बोलना, अधिक पैदल चलना अथवा वाहनों में घूमना, तैरना, अति उपवास, रात्रि जागरण, भय, शोक, चिंता, मल-मूत्र आदि वेगों को रोकना, पश्चिम दिशा से आनेवाली हवा का सेवन ।*

*🔹हितकर : सर्वांग मालिश (विशेषतः सिर व पैर की), कान-नाक में तेल डालना, आराम, सुखशीलता, निश्चिंतता व शांत निद्रा ।*

*🔹पित्त प्रकृति 🔹*

*🔹त्याज्यः तेज धूप में घूमना, अग्नि के निकट रहना, रात्रि जागरण, अति परिश्रम, अति उपवास, क्रोध, शोक, भय ।*
*🔹हितकर : शीत, सुगंधित द्रव्यों (जैसे चंदन, अगरु) का लेप, शीत तेलों से मालिश ।*

*🔹कफ प्रकृति🔹*

*🔹त्याज्य : दिन में शयन, आरामप्रियता, आलस्य ।*
*🔹हितकर : घूमना-फिरना, दौड़ना, तैरना, व्यायाम, आसन, प्राणायाम ।*
*( त्रिदोष सिद्धांत पृ.क्र. ४)*

*🔹सुख-शांतिप्रदायक ईशान-स्थल🔹*
*🔹सुख-शांति और कल्याण चाहनेवाले बुद्धिमानों को अपने घर, दुकान या कार्यालय में ईशान-स्थल पर अपने इष्टदेव, सदगुरु का श्रीचित्र लगा के वहाँ धूप-दीप, मंत्रोच्चार तथा साधना-ध्यान पूर्व अथवा उत्तर की ओर मुख करके करना चाहिए । यह विशेष सुख-शांतिदायक है ।*

*🔹ज्ञानार्जन में सहायता व सत्प्रेरणा हेतु🔹*
*🔹विद्यार्थियों के लिए भी ईशान कोण बड़े महत्त्व का है । पूर्व एवं उत्तर दिशाएँ ज्ञानवर्धक दिशाएँ तथा ईशान-स्थल ज्ञानवर्धक स्थल है । जो विद्यार्थी ईशान-स्थल पर बैठ के पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके पढ़ता है, उसे ज्ञानार्जन में विशेष सहायता मिलती है । पूर्व की ओर मुख करने से विशेष लाभ होता है । अध्ययन-कक्ष में सदगुरु या ब्रह्मज्ञानी महापुरुषों के श्रीचित्र लगाने चाहिए, इससे सत्प्रेरणा मिलती है ।*

- *📖 ऋषि प्रसाद – सितम्बर २०१८*

𝐒𝐇𝐑𝐄𝐄 𝐊𝐑𝐈𝐒𝐇𝐍𝐀 𝐕𝐀𝐍𝐈❤️🚩

06 Nov, 04:22


*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*दिनांक - 06 नवम्बर 2024*
*दिन - बुधवार*
*विक्रम संवत् - 2081*
*अयन - दक्षिणायन*
*ऋतु - हेमन्त*
*मास - कार्तिक*
*पक्ष - शुक्ल*
*तिथि - पञ्चमी रात्रि 12:41 नवम्बर 07 तक तत्पश्चात षष्ठी*
*नक्षत्र - मूल प्रातः 11:00 तक तत्पश्चात पूर्वाषाढा*
*योग -  सुकर्मा प्रातः 10:51 तक तत्पश्चात धृति*
*राहु काल - दोपहर 12:23 से दोपहर 01:47 तक*
*सूर्योदय - 06:48*
*सूर्यास्त - 05:59*
*दिशा शूल - उत्तर दिशा में*
*ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:05 से 05:56 तक*
*अभिजीत मुहूर्त - कोई नहीं*
*निशिता मुहूर्त- रात्रि 11:58 नवम्बर 06 से रात्रि 12:49 नवम्बर 07 तक*
* व्रत पर्व विवरण - लाभ पञ्चमी*
*विशेष - पंचमी को बेल खाने से कलंक लगता है | (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*🔹जैविक घड़ी पर आधारित दिनचर्या🔹*
*(Biological Clock Based on Routine)*

*🔹प्रातः ३ से ५ - (जीवनी शक्ति विशेषरूप से फेफडों में होती है)🔹*
*🔹थोड़ा गुनगुना पानी पीकर खुली हवा में घूमना एवं प्राणायाम करना । शरीर स्वस्थ व स्फूर्तिमान होता है । ब्राह्ममुहूर्त में उठनेवाले लोग बुद्धिमान व उत्साही होते हैं और सोते रहनेवालों का जीवन निस्तेज हो जाता है ।*

*🔹प्रातः ५ से ७ - (बड़ी आँत में)🔹*
*प्रातः जागरण से लेकर सुबह ७ बजे के बीच मल-त्याग एवं स्नान कर लेना चाहिए । सुबह ७ बजे के बाद जो मल-त्याग करते हैं उन्हें अनेक बीमारियाँ होती हैं ।*

*🔹सुबह ७ से ९ - (अमाशय यानी जठर में)🔹*
*इस समय (भोजन के २ घंटे पूर्व) दूध अथवा फलों का रस या कोई पेय पदार्थ ले सकते हैं ।*

*🔹९ से ११ - (अग्न्याशय व प्लीहा में)🔹*
*यह समय भोजन के लिए उपयुक्त है । भोजन के बीच-बीच में गुनगुना पानी (अनुकूलता अनुसार) घूँट-घूँट पियें ।*

*🔹दोपहर ११ से १ - (हृदय में)🔹*
*दोपहर १२ बजे के आसपास मध्याङ्घ-संध्या करने का हमारी संस्कृति में विधान है । भोजन वर्जित ।*

*🔹दोपहर १ से ३ - (छोटी आँत में)🔹*
*भोजन के करीब २ घंटे बाद प्यास-अनुरूप पानी पीना चाहिए । इस समय भोजन करने अथवा सोने से पोषक आहार-रस के शोषण में अवरोध उत्पन्न होता है व शरीर रोगी तथा दुर्बल हो जाता है ।*

*🔹दोप. ३ से ५ - (मूत्राशय में)🔹*
*२-४ घंटे पहले पिये पानी से इस समय मूत्र-त्याग की प्रवृत्ति होगी ।*

*🔹शाम ५ से ७ - (गुर्दे में)🔹*
*इस समय हलका भोजन कर लेना चाहिए । सूर्यास्त के १० मिनट पहले से १० मिनट बाद तक (संध्याकाल में) भोजन न करें । शाम को भोजन के तीन घंटे बाद दूध पी सकते हैं ।*

*🔹रात्रि ७ से ९ - (मस्तिष्क में)🔹*
*इस समय मस्तिष्क विशेष रूप से सक्रिय रहता है । अतः प्रातःकाल के अलावा इस काल में पढ़ा हुआ पाठ जल्दी याद रह जाता है ।*

*🔹रात्रि ९ से ११ - (रीढ़ की हड्डी में स्थित मेरुरज्जू में)🔹*
*इस समय की नींद सर्वाधिक विश्रांति प्रदान करती है । इस समय का जागरण शरीर व बुद्धि को थका देता है ।*

*🔹रात्रि ११ से १ - (पित्ताशय में)🔹*
*इस समय का जागरण पित्त-विकार, अनिद्रा, नेत्ररोग उत्पन्न करता है व बुढ़ापा जल्दी लाता है । इस समय नई कोशिकाएँ बनती हैं ।*

*🔹१ से ३ - (यकृत में)🔹*
*इस समय का जागरण यकृत (लीवर) व पाचन तंत्र को बिगाड़ देता है ।*

*🌹ऋषियों व आयुर्वेदाचार्यों ने बिना भूख लगे भोजन करना वर्जित बताया है । अतः प्रातः एवं शाम के भोजन की मात्रा ऐसी रखें, जिससे ऊपर बताये समय में खुलकर भूख लगे ।*
*📖 ऋषि प्रसाद - सितम्बर 2015*

𝐒𝐇𝐑𝐄𝐄 𝐊𝐑𝐈𝐒𝐇𝐍𝐀 𝐕𝐀𝐍𝐈❤️🚩

06 Nov, 02:15


तेरा कमाल तू ही जाने मालिक,
मुझे तो सब कमाल लगता हैं।
वो दे तो शुक्र उसका
न दे तो मलाल नहीं।।
मेरे कृष्ण के फैसले कमाल है
उन फैसलो पर सवाल नहीं।।

𝐒𝐇𝐑𝐄𝐄 𝐊𝐑𝐈𝐒𝐇𝐍𝐀 𝐕𝐀𝐍𝐈❤️🚩

06 Nov, 02:13


आप सोच भी नही सकते कि, कृष्ण आपसे कितना प्यार करते है। भले ही आप कृष्ण को अपने जीवन मे ना देख पा रहे हो, पर वो तो सदैव आपके लिए कुछ न कुछ करते रहते है।

𝐒𝐇𝐑𝐄𝐄 𝐊𝐑𝐈𝐒𝐇𝐍𝐀 𝐕𝐀𝐍𝐈❤️🚩

06 Nov, 02:11


🙏🙌🙏!!:श्री कृष्ण वाणी :!!🙏🙌🙏

कृष्ण भगवान के सर्वोच्च व्यक्तित्व हैं, और वे अपने भक्तों को सभी खतरों और कठिनाइयों से बचाने के लिए हमेशा तैयार रहते हैं। वे भगवद गीता में कहते हैं, "जो व्यक्ति मेरी पूजा करता है, अपने सभी कार्यों को मुझमें समर्पित करता है और बिना विचलित हुए मुझमें समर्पित रहता है, भक्ति सेवा में लगा रहता है और हमेशा मेरा ध्यान करता है, जिसने अपना मन मुझमें स्थिर कर लिया है, हे पृथा के पुत्र, उसके लिए मैं जन्म और मृत्यु के सागर से शीघ्र उद्धार करने वाला हूँ।"

𝐒𝐇𝐑𝐄𝐄 𝐊𝐑𝐈𝐒𝐇𝐍𝐀 𝐕𝐀𝐍𝐈❤️🚩

06 Nov, 02:10


हम ये शरीर नही बल्कि आत्मा है शरीर का स्वभाव भोग है और आत्मा का स्वभाव हरि की सेवा है।

इस शरीर के माता*पिता वो है, जिनके शरीर से आप पैदा हुए है, और आत्मा के माता*पिता वो है जो सतचितानंद श्रीहरि है।

शरीर का घर ये ब्रम्हांड है और आत्मा का घर वैकुंठ या गोलोक धाम है। जब तक आप अपने Real माता*पिता को नही पहचानो गे, तब तक अपने घर नही जा सकोगे।

इसीलिए अपने वास्तविक माता*पिता को पहचानो और अपने स्वभाव का अनुसरण करो। मैंने कहा अपने स्वभाव का, अपने शरीर का नही। भोगों को हरी को अर्पित करके खाव।


बुद्धिमान......
को चाहिए कि सोच-विचार कर भक्ति मार्ग

अपनांए क्योंकि मनुष्य जन्म अनमोल है, यह बार-बार नहीं मिलता।

कबीर साहेब कहते है।

कबीर मानुष जन्म दुर्लभ है, मिले न बारम्बार । तरूवर से पत्ता टूट गिरे, बहुर न लगता डारि ।।

𝐒𝐇𝐑𝐄𝐄 𝐊𝐑𝐈𝐒𝐇𝐍𝐀 𝐕𝐀𝐍𝐈❤️🚩

05 Nov, 11:25


#HappyBirthdayViratKohli 🐐

𝗞𝗶𝗻𝗴 𝗞𝗼𝗵𝗹𝗶's All 80 Intl Centuries

Format Wise
50 - ODI
29 - TEST
1 - T20I

Opponents Wise
16 - AUS
15 - SL
12 - WI
9 - NZ
8 - ENG
8 - SA
7 - BAN
3 - PAK
1 - ZIM
1 - AFG

Country Wise
38 - IND
11 - AUS
7 - SL
6 - BAN
6 - WI
5 - SA
3 - ENG
2 - NZ
1 - ZIM
1 - UAE

Year Wise
11 - 2018
11 - 2017
8 - 2014
8 - 2012
8 - 2023
7 - 2019
7 - 2016
6 - 2013
4 - 2015
4 - 2011
3 - 2010
2 - 2022
1 - 2009

Age Wise
21 - 3
22 - 4
23 - 8
24 - 6
25 - 5
26 - 8
27 - 5
28 - 10
29 - 13
30 - 7
31 - 1
32 - 0
33 - 1
34 - 7
35 - 2

Result Wise
56 - Won
14 - Lost
9 - Drawn
1 - Tied

Under Each Captain
41 - Under Himself
25 - Dhoni
8 - Rohit
3 - Sehwag
2 - Rahul
1 - Gambhir

Innings Wise
42 - 2nd Inning
33 - 1st Inning
3 - 3rd Inning
2 - 4th Inning

Batting Position Wise
43 - 3rd
32 - 4th
3 - 5th
1 - 2nd
1 - 6th

Day Wise
22 - Sunday
5 - Monday
7 - Tuesday
11 - Wednesday
15 - Thursday
9 - Friday
11 - Saturday

Date Wise
1 - 1
2 - 4
3 - 1
4 - 0
5 - 4
6 - 1
7 - 1
8 - 4
9 - 1
10 - 4
11 - 4
12 - 1
13 - 3
14 - 1
15 - 7
16 - 5
17 - 4
18 - 3
19 - 3
20 - 4
21 - 4
22 - 2
23 - 2
24 - 4
25 - 0
26 - 3
27 - 1
28 - 3
29 - 2
30 - 1
31 - 2

Month Wise
Jan - 11
Feb - 10
Mar - 5
Apr - 0
May - 0
Jun - 0
July - 8
Aug - 6
Sep - 5
Oct - 16
Nov - 8
Dec - 11

Reaching Centuries by Hitting
1 run - 34
2 runs - 14
4 runs - 26
6 runs - 6

Non-striker Wise (In each Century)
12 - Rahane
8 - Dhoni
7 - Raina
7 - Rohit
5 - Jadeja
3 - Rahul
3 - Gambhir
3 - Ashwin
3 - Kedar
3 - Shreyas
2 - Yusuf
2 - Dhawan
2 - M Vijay
2 - Pujara
2 - Hardik
2 - Pant
2 - Axar
1 - Dravid
1 - Ishant
1 - Rayudu
1 - Binny
1 - Manish
1 - Jayant
1 - Karthik
1 - Shami
1 - V Shankar
1 - Umesh
1 - Bhuvi
1 - Vihari

Over Wise Reaching Centuries
9 - 43rd Over
7 - 38th Over
6 - 42nd Over
4 - 35th Over
3 - 40th Over
3 - 44th Over
2 - 27th Over
2 - 41st Over
2 - 47th Over
2 - 48th Over
2 - 49th Over
2 - 50th Over
2 - 63rd Over
2 - 69th Over
2 - 81st Over
2 - 85th Over
2 - 87th Over
2 - 92nd Over
1 - 19th Over
1 - 25th Over
1 - 32nd Over
1 - 31st Over
1 - 36th Over
1 - 39th Over
1 - 45th Over
1 - 52nd Over
1 - 62nd Over
1 - 65th Over
1 - 67th Over
1 - 68th Over
1 - 74th Over
1 - 94th Over
1 - 97th Over
1 - 30th Over
1 - 89th Over
1 - 91st Over
1 - 107th Over
1 - 109th Over
1 - 115th Over
1 - 119th Over
1 - 121st Over
1 - 139th Over

Ground Wise
5 - Adelaide
4 - Vizag
4 - Kolkata
4 - Pune
4 - Port of Spain, Trinidad
4 - Colombo
4 - Mirpur
4 - Nagpur
3 - Mumbai
2 - Delhi
2 - Guwahati
2 - Galle
2 - Ranchi
2 - Chennai
2 - Melbourne
2 - Centurion
1 - Wellington
1 - Hobart
1 - Dubai
1 - Birmingham
1 - Kanpur
1 - Thiruvananthapuram
1 - Harare
1 - Dharamshala
1 - Indore
1 - Mohali
1 - Fatullah
1 - Durban
1 - Bengaluru
1 - Hambantota
1 - Canberra
1 - Napier
1 - Ahmedabad
1 - Capetown
1 - Perth
1 - Hyderabad
1 - Jamaica
1 - Rajkot
1 - Jaipur
1 - Antigua
1 - Cardiff
1 - Sydney
1 - Johannesburg
1 - Nottingham
1 - Chattogram
1 - Guwahati

𝐒𝐇𝐑𝐄𝐄 𝐊𝐑𝐈𝐒𝐇𝐍𝐀 𝐕𝐀𝐍𝐈❤️🚩

05 Nov, 05:10


सूर्य देव की उपासना के पहले दिन, नहाय-खाय की पवित्र शुरुआत के साथ आप सभी को छठ पर्व की हार्दिक शुभकामनाएँ।❤️

𝐒𝐇𝐑𝐄𝐄 𝐊𝐑𝐈𝐒𝐇𝐍𝐀 𝐕𝐀𝐍𝐈❤️🚩

05 Nov, 02:18


स्यामा स्याम पुकारती, स्यामा रटते स्याम। अली अचंभो आज बड, जुगल जपत निज नाम॥

हे सखि श्याम श्यामा का और श्यामा श्याम का नाम रटा करते थे, पर आज बड़ा अचंभा देखा, दोनों अपने-अपने नाम रट रहे हैं।

𝐒𝐇𝐑𝐄𝐄 𝐊𝐑𝐈𝐒𝐇𝐍𝐀 𝐕𝐀𝐍𝐈❤️🚩

05 Nov, 02:15


🦚वृषभानु दुलारी श्री राधा जी🦚

श्रीकृष्ण भक्ति के अवतार देवर्षि नारद ने एक बार भगवान सदाशिव के श्री चरणों में प्रणाम करके पूछा "हे महाभाग ! मैं आपका दास हूं। बतलाइए, श्री राधादेवी लक्ष्मी हैं या देवपत्नी। महालक्ष्मी हैं या सरस्वती हैं?

क्या वे अंतरंग विद्या हैं या वैष्णवी प्रकृति हैं? कहिए, वे वेदकन्या हैं, देवकन्या हैं अथवा मुनिकन्या हैं?

' सदाशिव बोले- "हे मुनिवर ! अन्य किसी लक्ष्मी की बात क्या कहें, कोटि-कोटि महालक्ष्मी उनके चरण कमल की शोभा के सामने तुच्छ कही जाती हैं।

हे नारद जी ! एक मुंह से मैं अधिक क्या कहूं? मैं तो श्री राधा के रूप, लावण्य और गुण आदि का वर्णन करने मे अपने को असमर्थ पाता हूं।

उनके रूप आदि की महिमा कहने में भी लज्जित हो रहा हूं। तीनों लोकों में कोई भी ऐसा समर्थ नहीं है जो उनके रूपादि का वर्णन करके पार पा सके।

उनकी रूपमाधुरी जगत को मोहने वाले श्रीकृष्ण को भी मोहित करने वाली है। यदि अनंत मुख से चाहूं तो भी उनका वर्णन करने की मुझमें क्षमता नहीं है।"

नारदजी बोले- "हे प्रभो श्री राधिकाजी के जन्म का माहात्म्य सब प्रकार से श्रेष्ठ है। हे भक्तवत्सल !

🦚🦚🦚🦚!!राधे राधे!!🦚🦚🦚🦚

𝐒𝐇𝐑𝐄𝐄 𝐊𝐑𝐈𝐒𝐇𝐍𝐀 𝐕𝐀𝐍𝐈❤️🚩

04 Nov, 17:56


*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*दिनांक - 05 नवम्बर 2024*
*दिन - मंगलवार*
*विक्रम संवत् - 2081*
*अयन - दक्षिणायन*
*ऋतु - हेमन्त*
*मास - कार्तिक*
*पक्ष - शुक्ल*
*तिथि - चतुर्थी रात्रि 12:16 नवम्बर 06 तक तत्पश्चात पंचमी*
*नक्षत्र - ज्येष्ठा प्रातः 09:45 तक मूल*
*योग - अतिगण्ड प्रातः 11:28 तक तत्पश्चात सुकर्मा*
*राहु काल - दोपहर 03:11 से शाम 04:35 तक*
*सूर्योदय - 06:51*
*सूर्यास्त - 05:55*
*दिशा शूल - उत्तर दिशा में*
*ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:05 से 05:56 तक*
*अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:01 से दोपहर 12:45 तक*
*निशिता मुहूर्त- रात्रि 11:58 नवम्बर 05 से रात्रि 12:49 नवम्बर 06 तक*
* व्रत पर्व विवरण - विनायक चतुर्थी, मंगळवारी चतुर्थी (सूर्योदय से रात्रि 12:16 नवम्बर 06 तक)*
*विशेष - चतुर्थी मूली खाने से धन का नाश होता है।  (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*🔹घर में सुख-शांति के लिए🔹*

*🔹वास्तुशास्त्र के नियमों के उचित पालन से शरीर की जैव-रासायनिक क्रिया को संतुलित रखने में सहायता मिलती है ।*

*🔹घर या वास्तु के मुख्य दरवाजे में देहरी (दहलीज) लगाने से अनेक अनिष्टकारी शक्तियाँ प्रवेश नहीं कर पातीं व दूर रहती हैं । प्रतिदिन सुबह मुख्य द्वार के सामने हल्दी, कुमकुम व गोमूत्र मिश्रित गोबर से स्वस्तिक, कलश आदि आकारों में रंगोली बनाकर देहरी (दहलीज) एवं रंगोली की पूजा कर परमेश्वर से प्रार्थना करनी चाहिए कि 'हे ईश्वर ! आप मेरे घर व स्वास्थ्य की अनिष्ट शक्तियों से रक्षा करें ।'*

*🔹प्रवेश-द्वार के ऊपर नीम, आम, अशोक आदि के पत्ते का तोरण (बंदनवार) बाँधना मंगलकारी है ।*

*🔹वास्तु कि मुख्य द्वार के सामने भोजन-कक्ष, रसोईघर या खाने की मेज नहीं होनी चाहिए ।*

*🔹मुख्य द्वार के अलावा पूजाघर, भोजन-कक्ष एवं तिजोरी के कमरे के दरवाजे पर भी देहरी (दहलीज) अवश्य लगवानी चाहिए ।*

*🔹भूमि-पूजन, वास्तु-शांति, गृह-प्रवेश आदि सामान्यतः शनिवार एवं मंगलवार को नहीं करने चाहिए ।*

*🔹गृहस्थियों को शयन-कक्ष में सफेद संगमरमर नहीं लगावाना चाहिए । इसे मन्दिर मे लगाना उचित है क्योंकि यह पवित्रता का द्योतक है ।*

*🔹कार्यालय के कामकाज, अध्ययन आदि के लिए बैठने का स्थान छत की बीम के नीचे नहीं होना चाहिए क्योंकि इससे मानसिक दबाव रहता है ।*

*🔹बीम के नीचे वाले स्थान में भोजन बनाना व करना नहीं चाहिए । इससे आर्थिक हानि हो सकती है । बीम के नीचे सोने से स्वास्थ्य में गड़बड़ होती है तथा नींद ठीक से नहीं आती ।*

𝐒𝐇𝐑𝐄𝐄 𝐊𝐑𝐈𝐒𝐇𝐍𝐀 𝐕𝐀𝐍𝐈❤️🚩

04 Nov, 14:14


वृंदावन प्यारो वृंदावन!❤️

𝐒𝐇𝐑𝐄𝐄 𝐊𝐑𝐈𝐒𝐇𝐍𝐀 𝐕𝐀𝐍𝐈❤️🚩

04 Nov, 04:42


𝐒𝐇𝐑𝐄𝐄 𝐊𝐑𝐈𝐒𝐇𝐍𝐀 𝐕𝐀𝐍𝐈❤️🚩 pinned «https://t.me/PAWSOG_bot/PAWS?startapp=H4JJQw3r LFG! PAWS is the new top dog! 🐾»

𝐒𝐇𝐑𝐄𝐄 𝐊𝐑𝐈𝐒𝐇𝐍𝐀 𝐕𝐀𝐍𝐈❤️🚩

04 Nov, 04:42


https://t.me/PAWSOG_bot/PAWS?startapp=H4JJQw3r
LFG!
PAWS is the new top dog! 🐾

𝐒𝐇𝐑𝐄𝐄 𝐊𝐑𝐈𝐒𝐇𝐍𝐀 𝐕𝐀𝐍𝐈❤️🚩

04 Nov, 02:37


ऐसा रूप है मनोहर जैसे प्रेम का सरोवर
डूबे जो इस भंवर में उसे कौन फिर उबारे राधा रमण हमारे लगे प्राणों से भी प्यारे ||

🦚🦚🦚🫶💐🫶❤️🫶🌺🫶🦚🦚🦚

𝐒𝐇𝐑𝐄𝐄 𝐊𝐑𝐈𝐒𝐇𝐍𝐀 𝐕𝐀𝐍𝐈❤️🚩

25 Oct, 05:41


Shree raam🙏

𝐒𝐇𝐑𝐄𝐄 𝐊𝐑𝐈𝐒𝐇𝐍𝐀 𝐕𝐀𝐍𝐈❤️🚩

25 Oct, 02:57


श्री कृष्णा नाम रस पीजिए....
भिजिए माधुर्य रस भोर ....
कृष्ण कृष्ण ही गाइए...
मन राखये श्रीचरणन ओर....

राधे कृष्ण राधे कृष्ण कृष्ण कृष्ण राधे राधे
राधे श्याम राधे श्याम श्याम श्याम राधे राधे
🍂🍃🍂🍃🍂🍃🍂🍃🍂🍃🍂🍃

𝐒𝐇𝐑𝐄𝐄 𝐊𝐑𝐈𝐒𝐇𝐍𝐀 𝐕𝐀𝐍𝐈❤️🚩

25 Oct, 00:36


Jai shree Krishna 🙏❤️

𝐒𝐇𝐑𝐄𝐄 𝐊𝐑𝐈𝐒𝐇𝐍𝐀 𝐕𝐀𝐍𝐈❤️🚩

24 Oct, 16:44


*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*दिनांक - 25 अक्टूबर 2024*
*दिन - शुक्रवार*
*विक्रम संवत् - 2081*
*अयन - दक्षिणायन*
*ऋतु - हेमन्त*
*मास - कार्तिक*
*पक्ष - कृष्ण*
*तिथि - नवमी रात्रि 03:22 अक्टूबर 26 तक तत्पश्चात दशमी*
*नक्षत्र - पुष्य प्रातः 07:40 तक तत्पश्चात अश्लेशा*
*योग - शुभ प्रातः 05:27 अक्टूबर 26 तक तत्पश्चात शुक्ल*
*राहु काल - प्रातः 10:58 से दोपहर 12:23 तक*
*सूर्योदय - 06:42*
*सूर्यास्त - 06:06*
*दिशा शूल - पश्चिम दिशा में*
*ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:00 से 05:51 तक*
*अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:01 से दोपहर 12:46 तक*
*निशिता मुहूर्त - रात्रि 11:59 अक्टूबर 25 से रात्रि 12:49 अक्टूबर 26 तक*
*विशेष - नवमी को लौकी खाना गौमाँस के सामान त्याज्य है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*🌹कार्तिक मास की महिमा एवं नियम पालन🌹*

*🌹 सूतजी ने महर्षियों से कहाः पापनाशक कार्तिक मास का बहुत ही दिव्य प्रभाव बतलाया गया है । यह मास भगवान विष्णु को सदा ही प्रिय तथा भोग और मोक्षरूपी फल प्रदान करने वाला है ।*
*हरिजागरणं प्रातः स्नानं तुलसिसेवनम्।*
*उद्यापनं दीपदानं व्रतान्येतानि कार्तिके।।*

*🌹 ‘रात्रि में भगवान विष्णु के समीप जागरण, प्रातःकाल स्नान करना, तुलसी के सेवा में संलग्न रहना, उद्यापन करना और दीप दान देना – ये कार्तिक मास के पाँच नियम हैं।’ -(पद्म पुराण, उ.खंडः 117.3)*

*🌹 इन पाँचों नियमों का पालन करने से कार्तिक मास का व्रत करने वाला पुरुष व्रत के पूर्ण फल का भागी होता है। वह फल भोग और मोक्ष प्रदान करने वाला बताया गया है ।*

*🌹 मुनिश्रेष्ठ शौनकजी ! पूर्वकाल में कार्तिकेयजी के पूछने पर महादेवजी ने कार्तिक व्रत और उसके माहात्म्य का वर्णन किया था, उसे आप सुनिये ।*

*🌹 महादेव जी ने कहा : बेटा कार्तिकेय ! कार्तिक मास में प्रातः स्नान पापनाशक है । इस मास में जो मनुष्य दूसरे के अन्न का त्याग कर देता है, वह प्रतिदिन कृच्छ्रव्रत का फल प्राप्त करता है ।*
*कृच्छ्रव्रत (इसमें पहले दिन निराहार रहकर दूसरे दिन पंचगव्य पीकर उपवास किया जाता है ।)*

*🌹 कार्तिक में शहद के सेवन, काँसे के बर्तन में भोजन और मैथुन का विशेषरूप से परित्याग करना चाहिए ।*

*🌹 चन्द्रमा और सूर्य के ग्रहणकाल में ब्राह्मणों को पृथ्वीदान करने से जिस फल की प्राप्ति होती है, वह फल कार्तिक में भूमि पर शयन करने वाले पुरुष को स्वतः प्राप्त हो जाता है ।*

*🌹 कार्तिक मास में ब्राह्मण दम्पत्ति को भोजन कराकर उनका पूजन करें । अपनी क्षमता के अनुसार कम्बल, ओढ़ना-बिछौना एवं नाना प्रकार के रत्न व वस्त्रों का दान करें । जूते और छाते का भी दान करने का विधान है ।*

*🌹 कार्तिक मास में जो मनुष्य प्रतिदिन पत्तल में भोजन करता है, वह 14 इन्द्रों की आयुपर्यन्त कभी दुर्गति में नहीं पड़ता । उसे समस्त तीर्थों का फल प्राप्त हो जाता है तथा उसकी सम्पूर्ण कामनाएँ पूर्ण हो जाती हैं । (-पद्म पुराण, उ.खंडः अध्याय 120)*

*🌹 कार्तिक में तिल दान, नदी स्नान, सदा साधु पुरुषों का सेवन और पलाश-पत्र से बनी पत्तल में भोजन मोक्ष देने वाला है । कार्तिक मास में मौनव्रत का पालन, पलाश के पत्तों में भोजन, तिलमिश्रित जल से स्नान, निरंतर क्षमा का आश्रय और पृथ्वी पर शयन – इन नियमों का पालन करने वाला पुरुष युग युग के संचित पापों का नाश कर डालता है ।*

*🌹 संसार में विशेषतः कलियुग में वे ही मनुष्य धन्य हैं, जो सदा पितरों के उद्धार के लिए भगवान श्री हरि का सेवन करते हैं । वे हरिभजन के प्रभाव से अपने पितरों का नरक से उद्धार कर देते हैं । यदि पितरों के उद्देश्य से दूध आदि के द्वारा भगवान विष्णु को स्नान कराया जाय तो पितर स्वर्ग में पहुँचकर कोटि कल्पों तक देवताओं के साथ निवास करते हैं ।*

*🌹 जो मुख में, मस्तक पर तथा शरीर पर भगवान की प्रसादभूता तुलसी को प्रसन्नतापूर्वक धारण करता है, उसे कलियुग नहीं छूता ।*

*🌹 कार्तिक मास में तुलसी का पूजन महान पुण्यदायी है । प्रयाग में स्नान करने से, काशी में मृत्यु होने से और वेदों का स्वाध्याय करने से जो फल प्राप्त होता है, वह सब तुलसी के पूजन से मिल जाता है ।*

*🌹 जो द्वादशी को तुलसी दल व कार्तिक में आँवले का पत्ता तोड़ता है, वह अत्यन्त निंदित नरकों में पड़ता है। जो कार्तिक में आँवले की छाया में बैठकर भोजन करता है, उसका वर्ष भर का अन्न-संसर्गजनित दोष (जूठा या अशुद्ध भोजन करने से लगने वाला दोष) नष्ट हो जाता है ।*

*🌹 कार्तिक मास में दीपदान का विशेष महत्त्व है । ‘पुष्कर पुराण’ में आता हैः*
*'जो मनुष्य कार्तिक मास में संध्या के समय भगवान श्रीहरि के नाम से तिल के तेल का दीप जलाता है, वह अतुल लक्ष्मी, रूप, सौभाग्य एवं सम्पत्ति को प्राप्त करता है ।’*

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24 Oct, 12:59


श्री राधारानी का एक चित्र जिसमें वे अपने भक्तों का दोनों बाहों को फैलाहे हुए इंतज़ार कर रही हैं।🍂🌸🍁

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24 Oct, 02:24


हर हर महादेव ❤️

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21 Oct, 04:40


New wallpapers ❤️

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21 Oct, 03:16


राधा ही के भजन से, पाऊँ राधा बाल:। हँसि हँसि मो तन देखि हैं, करि हैं मोहि निहाल:

श्री राधा का अनन्य भजन करके ही श्री राधा को प्राप्त किया जा सकता है जिसके पश्चात् वे नित्य ही हंस हंस कर निहारती हैं एव निहाल करती रहती हैं........

𝐒𝐇𝐑𝐄𝐄 𝐊𝐑𝐈𝐒𝐇𝐍𝐀 𝐕𝐀𝐍𝐈❤️🚩

21 Oct, 03:14


प्रेम में बराबरी सिर्फ प्रेम की होनी चाहिए:!!
🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸

तीनों लोकों में राधा की स्तुति से देवर्षि नारद खीझ गए थे।
उनकी शिकायत थी कि वह तो कृष्ण से अथाह प्रेम करते हैं फिर उनका नाम कोई क्यों नहीं लेता, हर भक्त ‘राधे-राधे’ क्यों करता रहता है।
वह अपनी यह व्यथा लेकर श्रीकृष्ण के पास पहुंचे।
नारदजी ने देखा कि श्रीकृष्ण भयंकर सिर दर्द से कराह रहे हैं।
देवर्षि के हृदय में भी टीस उठी।
उन्होंने पूछा, ‘भगवन! क्या इस सिर दर्द का कोई उपचार है।
मेरे हृदय के रक्त से यह दर्द शांत हो जाए तो मैं अपना रक्त दान कर सकता हूं।’
श्रीकृष्ण ने उत्तर दिया, ‘नारदजी, मुझे किसी के रक्त की आवश्यकता नहीं है।
मेरा कोई भक्त अपना चरणामृत यानी अपने पांव धोकर पिला दे, तो मेरा दर्द शांत हो सकता है।’
नारद ने मन में सोचा, ‘भक्त का चरणामृत, वह भी भगवान के श्रीमुख में।
ऐसा करने वाला तो घोर नरक का भागी बनेगा।
भला यह सब जानते हुए नरक का भागी बनने को कौन तैयार हो?’
श्रीकृष्ण ने नारद से कहा कि वह रुक्मिणी के पास जाकर सारा हाल सुनाएं तो संभवत: रुक्मिणी इसके लिए तैयार हो जाएं। नारदजी रुक्मिणी के पास गए। उन्होंने रुक्मिणी को सारा वृत्तांत सुनाया तो रुक्मिणी बोलीं, ‘नहीं, नहीं! देवर्षि, मैं यह पाप नहीं कर सकती।’
नारद ने लौटकर रुक्मिणी की बात श्रीकृष्ण के पास रख दी।
अब श्रीकृष्ण ने उन्हें राधा के पास भेजा।
राधा ने जैसे ही सुना, तत्काल एक पात्र में जल लाकर उसमें अपने दोनों पैर डुबोए। फिर वह नारद से बोली, ‘देवर्षि, इसे तत्काल श्रीकृष्ण के पास ले जाइए। मैं जानती हूं कि भगवान को अपने पांव धोकर पिलाने से मुझे रौरव नामक नरक में भी ठौर नहीं मिलेगा। पर अपने प्रियतम के सुख के लिए मैं अनंत युगों तक नरक की यातना भोगने को तैयार हूं।’ अब देवर्षि समझ गए कि तीनों लोकों में राधा के प्रेम के स्तुतिगान क्यों हो रहे हैं।
उन्होंने भी अपनी वीणा उठाई और राधा की स्तुति गाने लगे।

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20 Oct, 22:30


peace 🙏 Krishna ❤️

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20 Oct, 19:19


*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*⛅️दिनांक - 21 अक्टूबर 2024*
*⛅️दिन - सोमवार*
*⛅️विक्रम संवत् - 2081*
*⛅️अयन - दक्षिणायन*
*⛅️ऋतु - शरद*
*⛅️मास - कार्तिक*
*⛅️पक्ष - कृष्ण*
*⛅️तिथि - पंचमी रात्रि 02:29 अक्टूबर 22 तक तत्पश्चात षष्ठी*
*⛅️नक्षत्र - रोहिणी प्रातः 06:50 तक तत्पश्चात मृगशिरा*
*⛅️योग - वरीयान् प्रातः 11:11 तक, तत्पश्चात परिघ*
*⛅️राहु काल - प्रातः 08:05 से प्रातः 09:32 तक*
*⛅️सूर्योदय - 06:39*
*⛅️सूर्यास्त - 06:09*
*⛅️दिशा शूल - पूर्व दिशा में*
*⛅️ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:59 से 05:49 तक*
*⛅️अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:01 से दोपहर 12:47 तक*
*⛅️निशिता मुहूर्त-  रात्रि 11:59 अक्टूबर 21 से रात्रि 12:49 अक्टूबर 22 तक*
*⛅️ व्रत पर्व विवरण - सर्वार्थ सिद्धि योग व अमृत सिद्धि योग (प्रातः 06:39 से प्रातः 05:51 अक्टूबर 22 तक)*
*⛅️विशेष - पंचमी को बेल खाने से कलंक लगता है।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*🔹नेत्रज्योति घटने व असमय चश्मा लगने के कारण*

*🔸बहुत ज्यादा व कम रोशनी में पढ़ने से, टी.वी., मोबाइल, लेपटॉप, कम्प्यूटर आदि के ज्यादा उपयोग से, रात्रि-जागरण, सुबह देर तक सोने से व दिन में सोने से, रात में स्नान करने से, धूल-धुएँ के आँखों में लगने से, नंगे सिर तेज धूप में बैठने या घूमने से, सूर्य को देखने से, नंगे पैर घूमने से, अंकुरित अनाज, दही, चाय-कॉफी, विरुद्ध आहार, फास्ट फूड आदि बाजारू चीजों तथा अधिक नमक, मसाले, खटाई वाले और तले हुए पदार्थों के सेवन से, रात को देरी से भोजन करने से तथा बिना प्यास के भी अधिक मात्रा में पानी पीने से आँखों की रोशनी कम होती है तथा असमय चश्मा लगाना पड़ता है ।*

*🔸आँखों को नुकसान पहुँचानेवाले उपरोक्त कारणों से बचें तथा नीचे दिये गये उपायों का अवलम्बन लें तो आपकी नेत्रज्योति सुरक्षित रहेगी और कम है तो बढ़ेगी ।*

*🔹नेत्रज्योति की सुरक्षा व वृद्धि के लिए🔹*

*🔸 सूर्योदय के समय हरी घास पर नंगे पैर चलें ।*

*🔸 हररोज प्रातः-सायं एक-एक मिनट तक पलकों को तेजी से खोलने तथा बंद करने का अभ्यास करें ।*

*🔸 नेत्रों की पलकों पर हाथ की उँगलियों को नाक से कान की दिशा में ले जाते हुए हलकी हलकी मालिश करें । पलकों से उँगलियाँ हटाते ही पलकें खोल दें और फिर पलकों पर उँगलियाँ लाते समय पलकों को बंद कर दें । यह प्रक्रिया आँखों की नस-नाड़ियों का तनाव दूर करने में सक्षम है ।*

*🔸पढ़ते समय रोशनी ठीक हो । आँखों और किताब के बीच कम-से-कम १२ इंच दूरी रखनी चाहिए ।*

*🔸 कम्प्यूटर, लेपटॉप आदि के उपयोग के दौरान हर २० मिनट में आँखों को विश्राम अवश्य दें । १-२ मिनट के लिए स्क्रीन से आँखें हटा दें । सम्भव हो तो आकाश की ओर या हरी घास, पेड़-पौधों आदि को निहारें ।*

*🔸 भोजन के बाद हथेलियों को रगड़कर कुछ सेकंड तक आँखों पर रखें ।*

*🔸 दिन में आधा गिलास पानी में आधा चम्मच (२ से ३ ग्राम) त्रिफला चूर्ण भिगोकर रखें । ४-५ घंटे बाद ३-४ परत किये हुए सूती कपड़े से छान लें । उस पानी को एक छोटे कप (Eye wash cup ) में लेकर आँख को उसमें १-२ मिनट तक मिचकायें, ऐसे ही दूसरी आँख से करें ।*

*🔸 आँवला-भृंगराज, नारियल, तिल आदि में से किसी तेल से सिर की मालिश करें । नाक में देशी गाय के घी की २-२ बूँद डालें ।*

*🔸रात को पैर के तलवों की घी से मालिश करना लाभदायी है । रात्रि को सोते समय शयनकक्ष में बिल्कुल अंधेरा हो ।*

*🔹आँखों के लिए लाभदायी आहार🔹*

*🔸गाय का दूध, घी, शुद्ध शहद, आँवला, मीठे अंगूर, केला, संतरा, पालक, गाजर, बथुआ, बादाम, जौ, मूँग, ककोड़ा, धनिया, सौंफ, पुनर्नवा, शतावरी, त्रिफला, गोमूत्र आदि ।*

*🔹नेत्रज्योति बढ़ाने व चश्मा छुड़ानेवाले औषधीय प्रयोग*

*🔸 नेत्रज्योतिवर्धक, दृष्टिप्रद त्रिफला रसायन का विधिवत् प्रयोग करें । १-१ बूँद संतकृपा नेत्रबिंदु  आँखों में डालें । सर्दियों में सुबह खाली पेट आधा से १ चम्मच मामरा बादाम के मिश्रण का सेवन करें, बाद में २ घंटे तक कुछ न खायें ।*

*🔸 २-३ माह तक प्रातः खाली पेट गाय के दूध से बने आधा चम्मच ताजा मक्खन, आधा चम्मच पिसी हुई मिश्री व १ काली मिर्च का चूर्ण मिलाकर चाटें । इसके बाद कच्चे नारियल की गिरी के २-३ टुकड़े खूब चबा-चबाकर खायें, ऊपर से थोड़ी सौंफ चबा के खा लें । बाद में दो घंटे तक कुछ न खायें । यह आँखों की रोशनी बढ़ाने के साथ ही शरीर को पुष्ट और सुडौल बनानेवाला एक अनुभूत उत्तम प्रयोग है ।*
      *- 📖 ऋषि प्रसाद, अक्टूबर 2022*

𝐒𝐇𝐑𝐄𝐄 𝐊𝐑𝐈𝐒𝐇𝐍𝐀 𝐕𝐀𝐍𝐈❤️🚩

20 Oct, 08:44


संसार में सबसे सुंदर कौन? 😊

𝐒𝐇𝐑𝐄𝐄 𝐊𝐑𝐈𝐒𝐇𝐍𝐀 𝐕𝐀𝐍𝐈❤️🚩

20 Oct, 03:38


Happy karwa chauth
आप सभी को करवा चौथ की हार्दिक शुभकामनाएं 🙂
जय जय श्री राधे ..जय श्री कृष्ण
🍁🍂💐🌸🌸🌸🌸🌸🍂💐🍁

𝐒𝐇𝐑𝐄𝐄 𝐊𝐑𝐈𝐒𝐇𝐍𝐀 𝐕𝐀𝐍𝐈❤️🚩

19 Oct, 15:04


जो वन वन डोलत रहों, बाँध मिलन की फेंट।।
अन जाने ही होयगी, कहूँ अचानक भेंट॥

यदि कोई जीव श्री श्यामाश्याम से मिलने की आशा बाँधकर वृन्दावन के कुंज वनों में डोलेगा, तो अनजाने में ही कहीं न कहीं उसकी उनसे अचानक भेंट अवश्य होगी।.......

।।:राधावल्लभ श्री हरिवंश:।।

𝐒𝐇𝐑𝐄𝐄 𝐊𝐑𝐈𝐒𝐇𝐍𝐀 𝐕𝐀𝐍𝐈❤️🚩

19 Oct, 10:25


श्री -राधा राधा "🦚🌸~ राधा मेरी स्वामिनी मैं स्वामिनी को दास, अगले जन्म मेरी महारानी मोहे दियो श्री वृन्दावन को वास "🥺😭🦚🌼

𝐒𝐇𝐑𝐄𝐄 𝐊𝐑𝐈𝐒𝐇𝐍𝐀 𝐕𝐀𝐍𝐈❤️🚩

19 Oct, 09:46


Mobile Wallpapers 📲❤️

𝐒𝐇𝐑𝐄𝐄 𝐊𝐑𝐈𝐒𝐇𝐍𝐀 𝐕𝐀𝐍𝐈❤️🚩

19 Oct, 01:56


🥀राधा राधा ❤️राधा राधा ❤️राधा राधा 🥀

श्री कृष्ण के संग उनके वाम भाग में अलबेली श्री राधा शोभायमान हैं, जिनके नाम से वे (अर्थात् राधा रमण) उजागर (जगविख्यात) हैं। ये दोनों श्री राधा कृष्ण, गुणों की खान हैं, जो श्री वृन्दावन धाम में यमुना किनारे स्थित वंशीवट में परम सुशोभित हैं।..........

𝐒𝐇𝐑𝐄𝐄 𝐊𝐑𝐈𝐒𝐇𝐍𝐀 𝐕𝐀𝐍𝐈❤️🚩

19 Oct, 01:54


अर्जुन श्री कृष्णजी से बोले :-

केशव, जब मृत्यु सभी की होनी है तो हम सत्संग भजन सेवा सिमरन क्यों करे जो इंसान मौज मस्ती करता है मृत्यु तो उसकी भी होगी ।

श्री कृष्णजी ने अर्जुन से कहा :- हे पार्थ बिल्ली जब चूहे को पकड़ती है तो दांतो से पकड़कर उसे मार कर खा जाती है। लेकिन उन्ही दांतो से जब अपने बच्चे को पकड़ती है तो उसे मारती नहीं बहुत ही नाजुक तरीके से एक जगह से दूसरी जगह पंहुचा देती है। दांत भी वही है मुह भी वही है पर परिणाम अलग अलग । ठीक उसी प्रकार मृत्यु भी सभी की होगी पर एक प्रभु के धाम में और दूसरा 84 के चक्कर में!!

।।:ॐ हरि:ॐ:।।

𝐒𝐇𝐑𝐄𝐄 𝐊𝐑𝐈𝐒𝐇𝐍𝐀 𝐕𝐀𝐍𝐈❤️🚩

19 Oct, 01:50


🍂।।:गोपियों के कृष्ण:।।🍂

पांच कृष्ण की अनन्य भक्त सखियाँ थीं एक दिन वे वन में बैठी फूलों की माला गूंथ रही थीं, और प्रसन्नचित्त होकर श्रीकृष्ण की बाते किये जा रही थीं। तभी उधर से एक साधु आ निकले। साधु को रोककर उन बालाओं ने कहा- "महात्मन ! हमारे प्राण प्रिय श्री कृष्ण वन में कही खो गए है, आपने उन्हें देखा है तो बता दीजिये।"

इस पर साधु ने कहा- "अरी पगलियो ! कही कृष्ण ऐसे मिलते है ? उनके लिए घोर तप करना चाहिए। वे राजेश्वर है, रुष्ट होते है तो दण्ड देते है और प्रसन्न होते है तो पुरस्कार।"

सखियों ने कहा- "महात्मन ! आपके वे कृष्ण कोई और होंगे, हमारे कृष्ण तो राजेश्वर नहीं हैं, वे तो हमारे प्राणपति है। वे हमें पुरस्कार क्या देते ? उनके कोष की कुंजी तो हमारे पास रहती है। दण्ड तो वे कभी देते ही नहीं, यदि हम कभी कुपथ्य कर ले और वे कडवी दवा पिलाये तो यह तो दण्ड नहीं है, प्रेम है।"

साधु भी उनकी बात सुनकर मस्त हो गए। सभी गोपियाँ श्री कृष्ण को याद करके नाचने लगी साथ ही साधु भी तन्मय होकर नाचने लगा। सारा वातावरण कृष्णमय हो गया।

जय जय श्री राधे:।।
जय जय श्री कृष्ण:।।

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