शत प्रतिशत मेल खाती सभी घटनाओं के बाद भी भगवान कल्कि को न पहचान पाने वाले लोगो के लिए भविष्य मालिका की चेतनाकारी वाणी!
👉गोपाल जे देब अनंत मूरति उदय जेबण स्थान, गुप्त खंडगिरि ताहाकु जाणिबु तहिंरे आम्भ बिश्राम।
गरब करिण गंजिण बचन कहिबे संसार लोक, गिरिरे रहिबु सर्ब शुणुथिबु चांहिथिबु दिन ठिक।
- उद्धव चौतिसा
अर्थात, महाप्रभु बाल्यावस्था में ही ओडिशा के खंडगिरि में अपना आश्रम स्थापित कर निवास करेंगे। दिखने में बस एक साधारण बालक की भांति वे नर शरीर में स्वयं परब्रह्म नारायण महाविष्णु होंगे। गिरि यानी, खंडगिरि में रहते हुए वे मनुष्यों के गर्व-दम्भ-अहंकार के साथ ही उनके द्वारा स्वयं की निंदा-आलोचना भी देखेंगे-सुनेंगे और उनके पापों के घड़े भरने की प्रतीक्षा करेंगे।
प्रभु अपना खंडगिरि आश्रम शांति न मिलने से स्मशान बना के छोड़ देंगे । ये बात स्वयं प्रभु जगन्नाथ ने मालिका के माध्यम से पहले ही बता दी थी। प्रभु के आश्रम छोड़ने के बाद जब अधर्मी अपनी योजना सफल हुई मान बहुत गर्व दंभ करेंगे लेकिन जब प्रभु के प्रकटीकरण का समय आएगा तो उन दुष्टों की बहुत बुरी दशा होगी | इस रहस्य को उजागर करते हुए महापुरुष अच्युतानंद दास जी कहते है :
👉जेबे आत्मा भूली जिब सकळ जे चिंता, मृत्युर कराळ हाते तुही जगधाता।
मुक्ति दिय शक्ति दिय, मुक्ति दाता हरी, आत्मांक पिता तु अटू परमात्मा स्मरी।।
👉समाप्त बेल कु सबु आत्मा ए देखिबे, भगवानकर ज्योति रूपरेख भले।
भगवान आसीथीले आंभे न जाणिलु, भकुआ होईण केते भ्रमरे पड़ीलू ।।
👉 विद्रूप करिछु आंभे माया मोह मेले, अज्ञान अंधारे बुडि गर्व दर्प बले।
तुम्हे सब देवा देवी प्रभुंक संतान, धन्य धन्य आत्मा तुम्भ, धन्य ए जीवन।।
👉विधाता साथी रे खेल मेल भावनाब, अव्यक्त रूप रे आसी मिसीछि रहिब।
अंतिम काल रे यिब कहीब ए कथा, जे ते बेले चेता तार पाई जीव रास्ता।।
👉 मुंड पटिण कांदीब की कली की कली, चांडाल चाण्डालि मुंही जाणी न पारिली।
कहूथिले भाई माने आसि ए आश्रम एही एटे स्वर्गद्वार सुख शान्ति स्थान।।
👉भीषण कराल रूप बीभत्सता भाव, से समये सर्व आत्मा ज्ञानर उदय।
मोह माया नष्ट हेले ज्ञान नेत्र खोले नष्ट मोह स्मृति लुब्धा गीता ज्ञान भले।।
👉मोह कु तड़ी लेबू ज्ञानेश्वर जाण, माया आसी मीति जेबे करे हैराण।
ए सब कु तड़ी देइ आश्रम रे मति, गृह कु आश्रम कले पाई जिबू मुक्ति।
👉काम क्रोध लोभ मोह त्यज बौध ज्ञान, होइबू स्वर्ग देवता, स्वर्ग राज्ये जाण।।
विनाशकाल रे विपरीत अटे बुद्धि मृत्यु जिंता तियारी मति गति वृद्धि
- गुप्त खेदा मालिका, अच्युतानंद दास
अर्थात, जब लोग सत्य-असत्य का विचार छोड़ देंगे तब मृत्यु का कराल हाथ बन प्रभु उनको सजा देंगे | उस समय भयभीत होके दुष्ट जन जिन्होंने प्रभु का अपमान किया था कहेंगे की आप ही सब आत्मा के पिता, परमात्मा हो | हे मुक्तिदाता हरी हमें मुक्ति दो, शक्ति दो | मृत्यु के मुखे में पड़े वो दुष्ट तब अंत समय में प्रभु के ज्योतिरूप का दर्शन करेंगे और बहुत विलाप करेंगे की भगवान आये थे और हम नहीं पहचान पाए, अभिमानी होके हम भ्रम में पड़े रहे!
अफ़सोस करते हुए वो प्रभु के शरणागत भक्तो को कहेंगे की माया मोह में फंस के अपने अज्ञान के अंधकार में हमने सिर्फ गर्व और दंभ ही किया | आप सब का जीवन धन्य है, आप देवी-देवता हो प्रभु के संतान हो जो स्वयं विधाता के साथ भाव से बंधे हुए उनकी लीला में सम्मिलित हुए | जब अंत समय में मृत्यु को निकट देख के उनकी चेतना जागृत होगी तब ये ज्ञान पाके वो खुद के कर्मो पे अफ़सोस करेंगे | सर पटक पटक के कहेंगे की प्रभु के पवित्र भक्तो ने आ आ के हमें कहा था की इस आश्रम में आओ, यही स्वर्ग का द्वार है, सब सुख शान्ति का स्थान है लेकिन चांडाल-चंडाली जैसे हम मुर्ख नहीं जान पाए| जब प्रभु का भीषण कराल रूप देखेंगे तो मोह माया नष्ट होके उनका आत्म ज्ञान जागृत होगा | यह मोह माया जो नष्ट करके ज्ञान के चक्षु खोल देगा उनको गीता ज्ञान प्राप्त होगा और वो ज्ञानेश्वर बनेगा | जो इस माया को नहीं पार कर पायेगा उसे माया बहुत सताएगी | काम क्रोध लोभ मोह इन सब को त्याग के ही बौद्ध ज्ञान होगा और देवी देवता बनके स्वर्ग में स्थान प्राप्त होगा | हाला की अपने विकृत कर्मो के कारण जिनका विनाश निकट है उनको सिर्फ विपरीत बुद्धि ही सूझेगी और उनकी यह विपरीत बुद्धि उनके अंत तक वृद्धि ही होती रहेगी!
जब कलियुग की माया में फंसे अधिकतर मानव भगवान कल्कि के प्रकट होने पे भी उनको नहीं जान पायेंगे, कुछ गिने चुने जन्म जन्मो के भक्त होंगे जो दुनिया के कटुवचनों की और भगवान की निंदा की अवगणना करके भगवान की शरण में आयेंगे |
भगवान कल्कि के वो भक्त कौन होंगे इस विषय में मालिका का कथन: