⚜️List of Articles of Indian Constitution
❤(#part :- 2)
🔝अनुच्छेद 12 :- राज्य की परिभाषा
🔝अनुच्छेद 13 :- मूल अधिकारों को असंगत या अल्पीकरण करने वाली विधियां
🔝अनुच्छेद 14 :- विधि के समक्ष समानता
🔝अनुच्छेद 15 :- धर्म जाति लिंग पर भेद का प्रतिशेध
🔝अनुच्छेद 16 :- लोक नियोजन में अवसर की समानता
🔝अनुच्छेद 17 :- अस्पृश्यता का अंत
🔝अनुच्छेद 18 :- उपाधीयों का अंत
🔝अनुच्छेद 19 :- वाक् की स्वतंत्रता
🔝अनुच्छेद 20 :- अपराधों के दोष सिद्धि के संबंध में संरक्षण\
🔝अनुच्छेद 21 :-प्राण और दैहिक स्वतंत्रता
🔝अनुच्छेद 21 क :- 6 से 14 वर्ष के बच्चों को शिक्षा का अधिकार
🔝अनुच्छेद 22 :– कुछ दशाओं में गिरफ्तारी से सरंक्षण
🔝अनुच्छेद 23 :- मानव के दुर्व्यापार और बाल आश्रम
🔝अनुच्छेद 24 :- कारखानों में बालक का नियोजन का प्रतिशत
🔝अनुच्छेद 25 :- धर्म का आचरण और प्रचार की स्वतंत्रता\
🔝अनुच्छेद 26 :-धार्मिक कार्यों के प्रबंध की स्वतंत्रता
भारतीय संविधान 🇮🇳 ✊
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भारतीय संविधान का महत्व और उसकी विशेषताएँ
भारतीय संविधान, जिसे 'संविधान' के रूप में भी जाना जाता है, भारत के कानूनी ढांचे और शासन प्रणाली की नींव है। इसे 26 जनवरी 1950 को लागू किया गया और इस दिन को गणतंत्र दिवस के रूप में मनाया जाता है। भारतीय संविधान को 'संविधान की संपूर्णता' का सही मानक माना जाता है, क्योंकि यह विभिन्न सामाजिक, राजनीतिक, और आर्थिक मुद्दों को संबोधित करता है। यह केवल कानूनी दस्तावेज नहीं है, बल्कि यह भारतीय नागरिकों के अधिकारों, कर्तव्यों और जिम्मेदारियों का एक सिद्धांत भी है। इसके अंतर्गत भारत की संप्रभुता, अखंडता, और सामाजिक न्याय की अवधारणा निहित है। संविधान ने एक ऐसे लोकतंत्र की स्थापना की है जहाँ हर नागरिक को समान अधिकार और अवसर मिलते हैं। इस लेख में हम भारतीय संविधान की विशेषताओं, इसकी भूमिका, और इसे तैयार करने में लगे विभिन्न व्यक्तियों पर चर्चा करेंगे।
भारतीय संविधान की प्रमुख विशेषताएँ क्या हैं?
भारतीय संविधान की प्रमुख विशेषताओं में संप्रभुता, सामाजिक न्याय, समानता, और स्वतंत्रता शामिल हैं। यह एक संपूर्ण संविधान है जो सभी नागरिकों के लिए समान कानूनों का प्रावधान करता है। इसमें मौलिक अधिकारों और कर्तव्यों का उल्लेख है जो हर नागरिक को उनकी पहचान और उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करता है।
इसके अतिरिक्त, यह संविधान संघीय ढांचे का पालन करता है, यानी राज्य और केंद्र सरकार के बीच शक्तियों का वितरण करता है। यह संविधान भारतीय लोकतंत्र की स्थिरता को सुनिश्चित करने के लिए न्यायालयों को महत्वपूर्ण अधिकार देता है। यह नागरिकों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए संवैधानिक न्यायालयों की स्थापना करता है।
भारतीय संविधान के निर्माण में किसका योगदान था?
भारतीय संविधान का निर्माण डॉ. भीमराव अंबेडकर की अध्यक्षता में संविधान सभा द्वारा किया गया। अंबेडकर, जो भारत के पहले कानून मंत्री भी थे, ने संविधान के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने इसे सभी भारतीयों के लिए एक ऐसा दस्तावेज़ तैयार करने के लिए निर्देशित किया जिसने सामाजिक असमानताओं और भेदभाव को समाप्त करने का प्रयास किया।
संविधान सभा में कई अन्य पैरोकार शामिल थे, जैसे कि सदार वल्लभ भाई पटेल, जवाहरलाल नेहरू, और सईद जफर, जिन्होंने विभिन्न सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों पर चर्चा की। उन्होंने संविधान को तैयार करते समय भारतीय संस्कृति और परंपराओं का भी ध्यान रखा।
भारतीय संविधान में मौलिक अधिकार क्या हैं?
भारतीय संविधान के भाग III में मौलिक अधिकारों का विवरण है, जो हर भारतीय नागरिक को दिए जाते हैं। इनमें समानता का अधिकार, स्वतंत्रता का अधिकार, शोषण के खिलाफ अधिकार, धार्मिक स्वतंत्रता, और सांस्कृतिक और शैक्षणिक अधिकार शामिल हैं। ये अधिकार नागरिकों को अत्याचार और भेदभाव के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करते हैं।
मौलिक अधिकार न केवल नागरिकों को उनके अधिकारों का संरक्षण देते हैं, बल्कि यह राज्य के लिए बाध्यकारी हैं। इससे यह सुनिश्चित होता है कि सरकारें अपने नागरिकों के अधिकारों का सम्मान करें और उनकी रक्षा करें। यह अधिकार भारतीय न्याय प्रणाली में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
भारतीय संविधान का महत्व क्या है?
भारतीय संविधान का महत्व इसके द्वारा स्थापित लोकतांत्रिक ढाँचे में निहित है। यह भारत की विविधता को समानता और एकता की भावना के साथ समेटता है। इसमें नागरिकों के अधिकारों का संरक्षण ही नहीं, बल्कि उनकी जिम्मेदारियों का भी महत्व है, जो उन्हें समाज के प्रति जागरूक बनाता है।
संविधान ने न्याय और समानता के सिद्धांतों को संरक्षित किया है और यह सुनिश्चित किया है कि भारत एक ऐसा राष्ट्र बन सके जहाँ सभी नागरिक अपने अधिकारों का उपयोग कर सकें। यह न केवल राजनीतिक स्थिरता का स्रोत है, बल्कि यह सामाजिक विकास और सुधार के लिए भी आधार तैयार करता है।
भारतीय संविधान में संशोधन कैसे किया जा सकता है?
भारतीय संविधान में संशोधन की प्रक्रिया काफी स्पष्ट है। इसे अनुच्छेद 368 में वर्णित किया गया है, जो बताता है कि संविधान के किसी भी भाग में संशोधन करने के लिए संसद के दोनों सदनों (लोकसभा और राज्यसभा) में बहुमत से मतदान आवश्यक है।
कुछ संशोधनों के लिए विशेष बहुमत की आवश्यकता होती है, जिसमें राज्यों की सहमति भी आवश्यक होती है। यह प्रक्रिया यह सुनिश्चित करती है कि संविधान में बदलाव केवल तब ही हो, जब वे समुचित विचार-विमर्श और सहमति से हों।
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भारतीय संविधान 🇮🇳 ✊ टेलीग्राम चैनल एक महत्वपूर्ण संसाधन है जो भारतीय संविधान के महत्वपूर्ण तथ्य, ढांचा, और उसकी महत्वपूर्ण विशेषताएं साझा करता है। यह चैनल भारत के नागरिकों को उनके अधिकारों और कर्तव्यों के बारे में जागरूक करने के लिए एक मंच प्रदान करता है। यदि आप भारतीय संविधान के माध्यम से अपने देश के संविधानिक इतिहास को समझना और समर्थन करना चाहते हैं, तो इस टेलीग्राम चैनल को ज्वाइन करें।