दिल ए बरबाद से निकला नहीं अब तक कोई
एक लुटे घर पर दिया करता है दस्तक कोई
"आंस जो टूट गई फिर से बंधाता क्यूँ हैं"
यही होता है तो आख़िर यही होता क्यूँ है
अल्लामा इक़बाल रह० चैनल एक स्थायी स्मृति है जो उस महान शायर और विचारक, अल्लामा मुहम्मद इक़बाल को समर्पित है। यह चैनल उनकी कविताएं, उपन्यास, क़ुल्लियात और उनके विचारों को साझा करने का एक मंच है। nnअल्लामा मुहम्मद इक़बाल एक भारतीय मुस्लिम शायर, समाजवादी और राष्ट्रवादी विचारक थे जिन्होंने उर्दू और पार्सी भाषा में अपनी कला का प्रदर्शन किया। उन्होंने हिन्दू मुस्लिम एकता के लिए अपने विचारों को समर्पित किया था और अपने काव्य में देश के स्वतंत्रता के लिए प्रेरित करने का प्रयास किया। इस चैनल के माध्यम से हम उनके उत्कृष्ट साहित्यिक योगदान को समझने और महसूस करने का अवसर प्राप्त कर सकते हैं।nnअल्लामा इक़बाल रह० चैनल का मकसद यह है कि हम उनके जीवन और काव्य की गहराई में समाहित हों, उनके महान कलाकार की महानता को समझें और उनके समय की समस्याओं और संदेशों को समझें। चैनल में हर दिन नए साहित्यिक रचनाकार्य और उनके विचारों की चर्चा होती है, जो हमें हमारे समाज और संस्कृति की सम्पत्ति को समझने में मदद करती है।nnअगर आप भी भारतीय साहित्य और संस्कृति के प्रेमी हैं और अल्लामा इक़बाल जैसे महान काव्यकार के विचारों को समझना चाहते हैं, तो यह चैनल आपके लिए उपयुक्त है। आइए, हम साथ में उनकी विचारधारा का समर्थन करें और उनके भावों में समाहित होकर समर्थ बनें।
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