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अल्लामा इक़बाल रह०

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Allama Iqbal

अल्लामा इक़बाल रह० (Hindi)

अल्लामा इक़बाल रह० चैनल एक स्थायी स्मृति है जो उस महान शायर और विचारक, अल्लामा मुहम्मद इक़बाल को समर्पित है। यह चैनल उनकी कविताएं, उपन्यास, क़ुल्लियात और उनके विचारों को साझा करने का एक मंच है। nnअल्लामा मुहम्मद इक़बाल एक भारतीय मुस्लिम शायर, समाजवादी और राष्ट्रवादी विचारक थे जिन्होंने उर्दू और पार्सी भाषा में अपनी कला का प्रदर्शन किया। उन्होंने हिन्दू मुस्लिम एकता के लिए अपने विचारों को समर्पित किया था और अपने काव्य में देश के स्वतंत्रता के लिए प्रेरित करने का प्रयास किया। इस चैनल के माध्यम से हम उनके उत्कृष्ट साहित्यिक योगदान को समझने और महसूस करने का अवसर प्राप्त कर सकते हैं।nnअल्लामा इक़बाल रह० चैनल का मकसद यह है कि हम उनके जीवन और काव्य की गहराई में समाहित हों, उनके महान कलाकार की महानता को समझें और उनके समय की समस्याओं और संदेशों को समझें। चैनल में हर दिन नए साहित्यिक रचनाकार्य और उनके विचारों की चर्चा होती है, जो हमें हमारे समाज और संस्कृति की सम्पत्ति को समझने में मदद करती है।nnअगर आप भी भारतीय साहित्य और संस्कृति के प्रेमी हैं और अल्लामा इक़बाल जैसे महान काव्यकार के विचारों को समझना चाहते हैं, तो यह चैनल आपके लिए उपयुक्त है। आइए, हम साथ में उनकी विचारधारा का समर्थन करें और उनके भावों में समाहित होकर समर्थ बनें।

अल्लामा इक़बाल रह०

24 Jan, 17:13


राह चाहे न मिले तुझको भटकने वाले
लड़ तो सकते हैं मियाँ जीत न सक ने वाले

रात भर चाँद को छेड़ा है यही कह कह कर
“और? सूरज के भरोसे पे चमकने वाले”

बे-रुख़ी अपनों की और ताने ज़माने भर के
क्या नहीं झेलते फल देर से पकने वाले

वो कहाँ फूल सी नाज़ों से पली शहज़ादी
हम कहाँ थोड़े से पैसों पे थिरकने वाले

– विष्णु विराट ❤️

अल्लामा इक़बाल रह०

22 Jan, 16:55


हक़ीकतों की तल्ख़ी अपनी जगह मगर
मैं ख़्वाब बड़े दिल नशीं देखता हूं....

अल्लामा इक़बाल रह०

21 Jan, 19:06


अगर कोई मुसलमान इस्लाम के बारे में कुछ पोस्ट करता है ये मत समझे के वह कामिल या मुत्तक़ी होने का दावा कर रहा है,
हम सब गुनाहगार है, वह सिर्फ़ अपने आपको और दूसरों को नसीहत कर रहा है,
क्योंकि अल्लाह तआला फ़रमाता है

وَّ ذَکِّرۡ فَاِنَّ الذِّکۡرٰی تَنۡفَعُ الۡمُؤۡمِنِیۡنَ

और नसीहत करते रहिये, क्योंकि नसीहत ईमान लाने वालों को फ़ायदा देती है।

सुरह उज़-ज़ारियात : 55

अल्लामा इक़बाल रह०

14 Jan, 09:14


क्या कहूँ तुम से मैं कि क्या है इश्क़
जान का रोग है बला है इश्क़
—मीर तक़ी मीर

अल्लामा इक़बाल रह०

07 Jan, 17:51


सज्दा-सहव:

सज्दा-सहव के तीन हालात हैं:
• ज़्यादती
• कमी
• शक

ज़्यादती की सूरत में: सलाम के बाद सज्दा-सहव करें।
कमी की सूरत में: सलाम से पहले सज्दा-सहव करें।
शक की सूरत में: कम तरीन तादाद पर बना करें और सलाम से पहले सज्दा-सहव करें।

नोट: सज्दा-सहव नमाज़ के अरकान को पूरा नहीं करता बल्कि वाजिबात और सुन्नतों को पूरा करता है।
• अगर कोई रुक्न छूट जाए, तो उसे पहले पूरा करें, फिर आख़िर में सज्दा-सहव करें।
• वाजिब या सुन्नत भूलने पर सिर्फ़ सज्दा-सहव काफ़ी है।

नमाज़ के 17 अरकान:
• तहारत (वुज़ू)
• क़िबला रुख़ होना
• नमाज़ का वक्त दाख़िल होना
• क़ियाम (क़ुव्वत होने पर)
• तकबीर तहरीमा
• सूरह फ़ातिहा की क़िराअत
• रुकू
• रुकू से उठकर एतिदाल
• सात आज़ा पर सज्दा
• सज्दे से उठना
• दो सज्दों के दरमियाँन बैठना
• तमाम अफ़आल में इत्मिनान
• अरकान में तर्तीब
• आख़िरी तशह्हुद
• तशह्हुद के लिए बैठना
• नबी ﷺ पर दुरूद
• दो सलाम

नमाज़ के 8 वाजिबात:
• तकबीरात (सिवाय तकबीर तहरीमा के)
• "समीअल्लाहु लिमन हमिदह" (इमाम और मुनफ़रिद के लिए)
• "रब्बना वलकल हम्द" (सबके लिए)
• रुकू में "सुभान रब्बियल अज़ीम"
• सज्दे में "सुभान रब्बियल आला"
• दो सज्दों के दरमियाँन "रब्बिघफ़िर ली"
• पहला तशहुद
• पहले तशहुद के लिए बैठना

मिसालें:
• अगर रुकू या सज्दा भूल जाएं तो भूला हुआ रुक्न पूरा करें। भूले हुए रकअत को नज़रअंदाज़ करके दोबारा उस रकअत से शुरू करें। आख़िर में सज्दा-सहव करें।
• सूरह फ़ातिहा के बाद सूरह न पढ़ने की सूरत में सज्दा-सहव ज़रूरी नहीं क्योंकि यह सुन्नत है।
• अगर ज़ायद रकअत पढ़ ली तो सलाम के बाद सज्दा-सहव करें और दोबारा सलाम कहें।
• अगर शक हो कि रकअत दो पढ़ी या तीन, तो कम तादाद पर बना करें और बाकी पूरी करके सलाम से पहले सज्दा-सहव करें।
• अगर रुकू भूल गए और दौरान-ए-नमाज़ याद आया तो उस रकअत को क़ालअदम समझें, रकअत दोबारा पढ़ें और आख़िर में सज्दा-सहव करें।

सज्दा-सहव में क्या पढ़ें?
"सुभान रब्बियल आला" तीन बार।

अहम बात:
• रुकू, सज्दा या सूरह फ़ातिहा न पढ़ने की सूरत में सज्दा-सहव काफ़ी नहीं होगा, रुक्न पूरा करना ज़रूरी है।
• अरकान में इज़ाफ़ा करने से नमाज़ बातिल हो जाती है।
• इत्मिनान के बिना नमाज़ पढ़ने से नमाज़ बातिल हो जाती है।

रफ़'-उल-यदैन के चार मक़ामात:
• तकबीर तहरीमा के वक्त
• रुकू में जाते वक्त
• रुकू से उठते वक्त
• दूसरे तशहुद के बाद तीसरी रकअत के लिए खड़े होते वक्त

शैख़ इब्न उसैमीन रहिमहुल्लाह का फ़तवा:
अगर तकबीर तहरीमा भूल जाएं, तो नमाज़ ही शुरू नहीं होगी क्योंकि नमाज़ तकबीर तहरीमा के बिना सही नहीं।

नबी ﷺ का फ़रमान:
"अल्लाह जिस के साथ भलाई का इरादा करता है, उसे दीन की समझ अता करता है।"
(सल्लू अलल हबीब अल-मुस्तफ़ा ﷺ)

अल्लामा इक़बाल रह०

06 Jan, 18:14


Zauf E Piri Badh Gaya; Josh E Jawani Ghat Gaye
Ab Asaa Banwaiye Nakhl E Tamanna Kaat Kar

अल्लामा इक़बाल रह०

01 Jan, 09:20


परे है चर्ख़-ए-नीली-फ़ाम से मंज़िल मुसलमाँ की,
सितारे जिस की गर्द -ए- राह हों वो कारवाँ तू है।
--अल्लामा मोहम्मद इक़बाल रह०

अल्लामा इक़बाल रह०

27 Dec, 17:28


📮इंसान जब अपने बिस्तर पर जाता है तो अपने आप को कैसे सोता हुआ देखता है?

1- कुछ लोग अपने पेट पर सोते हैं।
2- और कुछ लोग अपनी पीठ पर सोते हैं।
3- और कुछ लोग अपने बाएं पहलू पर सोते हैं।
4- और कुछ लोग अपने दाएं पहलू पर सोते हैं।

1️⃣ पेट पर सोना:
यह वह लोग हैं जो सांस लेने में तंगी महसूस करते हैं, क्योंकि पीठ का भारी आकार और हड्डियों का ढांचा उनके फेफड़ों पर दबाव डालता है।

👉तो पेट पर सोना बिलकुल भी सेहत बख़्श (स्वास्थ्यवर्धक) नहीं है।

2️⃣ पीठ पर सोना:
यदि इंसान पीठ के बल सोए तो वह मुँह से सांस ले सकता है, तो क्या होता है जब इंसान मुँह से सांस ले?
यह वह लोग हैं जो दूसरे लोगों की तुलना में ज़्यादा ज़ुकाम का शिकार होते हैं, और उनके मसूढ़े सूख जाते हैं, और जब मसूढ़े सूख जाते हैं तो वे पीछे की ओर हट जाते हैं, और मसूढ़ों का दांतों से पीछे हटना यह दौर-ए-जदीद (आधुनिक काल) की बीमारी है, इसके अलावा जो सबसे ज़्यादा परेशान करने वाली चीज़ है, वह है ख़र्राटे आना, जो मुँह से सांस लेने की वजह से होता है।

👉तो पीठ पर सोना भी सेहत के लिए अच्छा नहीं है।

3️⃣ बाएं पहलू पर सोना:
आम तौर पर खाना पेट में 2 से 4 घंटों तक रहता है, अगर इंसान बाएं पहलू पर सोए तो खाने का पचने का समय 5 से 8 घंटों तक बढ़ जाता है, क्योंकि दायां फेफड़ा जो कि बड़ा है, दिल और जिगर पर दबाव डालता है, जो कि सबसे बड़ा अंग है, जिसके कारण वह चिंता में रहता है। (तस्वीर नीचे पोस्ट में देखें)
👉 तो बाएं पहलू पर सोना भी sehaty के लिए अच्छा नहीं है।

4️⃣ दाएं पहलू पर सोना:
बायां फेफड़ा छोटा, हल्का है, और जिगर जो कि शरीर का सबसे बड़ा अंग है, ज़मीन की ओर मुस्तहकम (स्थिर) होता है, इस कारण पाचन प्रक्रिया जल्दी पूरी होती है।

🌞 तो यह सोने का सबसे अच्छा तरीक़ा है, और आप पूरी तरह से आरामदायक होंगे।

यह हदीस शरीफ़ है जो सही सोने की सच्चाई को साबित करती है:
नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया:
"जब तुम अपने बिस्तर पर आओ तो वुज़ू करो जैसे नमाज़ के लिए वुज़ू करते हो, फिर अपने दाएं पहलू पर लेट जाओ, और यह दुआ पढ़ो:
اللهم أسلمت نفسي إليك ، ‌‌‌‏ وفوضت أمري إليك ، ‌‌‌‏ ووجهت وجهي إليك ، ‌‌‌‏ وألجأت ظهري إليك ، ‌‌‌‏ رغبة ورهبة إليك ، ‌‌‌‏ لا ملجأ ولا منجا منك إلا إليك ، ‌‌‌‏ آمنت بكتابك الذي أنزلت ، ‌‌‌‏ وبنبيك الذي أرسلت
''ऐ अल्लाह! मैंने अपनी जान तेरे सिपुर्द की और अपना मामला तुझे सौंपा और अपने आप को तेरी तरफ़ मुतवज्जेह किया और तुझ पर भरोसा किया तेरी तरफ़ दिलचस्पी है तेरे ख़ौफ़ की वजह से तुझ से तेरे सिवा कोई जाए पनाह नहीं मैं तेरी किताब पर ईमान लाया जो तूने नाज़िल की और तेरे नबी पर जिन्हें तूने भेजा। फिर अगर वो मरा तो फ़ितरत (इस्लाम ) पर मरेगा।

▪️पहले कहा गया था:
🔸पीठ पर सोना: यह है बादशाहों की नींद
🔸पेट पर सोना: यह है शैतानों की नींद
🔸बाएं पहलू पर सोना: यह है अमीरों की नींद, क्योंकि वे ज़्यादा खाते हैं
🔸दाएं पहलू पर सोना: यह है परहेज़गारों और उलमा की नींद
यह रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की नींद थी

♨️ नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम अपने दाएं पहलू पर सोते थे, और अपने हाथ को अपने गाल के नीचे रखते थे, और सोने से पहले यह दुआ पढ़ते थे:
"بِسْمِكَ رَبِّي وَضَعْتُ جَنْبِي وَبِكَ أَرْفَعُهُ، إِنْ أَمْسَكْتَ نَفْسِي فَارْحَمْهَا وَإِنْ أَرْسَلْتَهَا فَاحْفَظْهَا بِمَا تَحْفَظُ بِهِ عِبَادَكَ الصَّالِحِينَ"

अल्लामा इक़बाल रह०

23 Dec, 18:45


अस्सलामु अलैयकुम वा रहमतुल्लाहि वा बरकातुहु

जब आप किसी से कहते हैं: "अस्सलामु अलैयकुम"
तो इसका मतलब है कि आप उसके लिए दुआ करते हैं कि:
अल्लाह उसे हर आफ़त से महफ़ूज़ रखे,
उसे बीमारी से बचाए,
उसे दीवानगी से महफ़ूज़ रखे,
उसे लोगों के शर से बचाए,
उसे गुनाहों और दिल की बीमारियों से महफ़ूज़ रखे,
और उसे जहन्नम से निजात अता करे।

(शरह रियाज़ुस्सालिहीन इब्न उसैमीन 4/380)

अल्लामा इक़बाल रह०

22 Dec, 18:54


कभी कभी तो वो ऐसी मिसाल देता है
कि सुनने वाले को हैरत में डाल देता है

मैं अपने आप में बेहद थका मुसाफ़िर हूँ ।
ये कौन भीड़ से आगे निकाल देता है

मिरी ख़ताओं पे इतना बड़ा करम तेरा ।
मुझे तू गिरने से पहले संभाल देता है

बुला रहा है कई दिन से बादशाह हमें
ख़ुदा फ़क़ीरो को क्या क्या कमाल देता है।

तिरे फ़रेब की मैं तुझ को दाद देता हूँ
तू बात सुनता है और सुन के टाल देता है ।
हसीब सोज़

Shazi Soz

अल्लामा इक़बाल रह०

21 Dec, 16:27


Dr इसरार साहब को जबसे जाना है इन्हें सुना है
जितना सुकून इनको सुनकर मिलता है वो मुझे पर्सनली कभी किसी बड़े आलिम दीन को सुनकर नहीं मिला,इनकी आवाज अलग ही सुकून देती है बेचैन दिल को
आप किसी भी मसले पर इन्हें सुनिए, सच में आपका ज़हन साफ हो जाएगा, सूद ब्याज पर जो इनका अंदाजे नज़र है उसका में कायल हु

अल्लाह आपकी कब्र को नूर से भर दे dr साहब♥️♥️♥️

अल्लामा इक़बाल रह०

18 Dec, 09:18


नौजवान गोरी चिट्टी औरतों पर फिदा है और इस्लाम की बेटियां हर चोर उच्चकों की ज़ीनत बनी हुई है

अल्लामा इक़बाल रह०

18 Dec, 09:18


अफकार जवानों के ज़बू हाल है मौला
शाहीन की दोशीज़ा ए मग़रिब पर नज़र है

हैं दुख्तर ए इस्लाम मुबीँ नफ़्स की लौंडी
अफ़सोस की वो ज़ीनत ए हर राह गुज़र है

अल्लामा इक़बाल रह०

18 Dec, 05:17


राह चाहे न मिले तुझको भटकने वाले
लड़ तो सकते हैं मियाँ जीत न सक ने वाले

रात भर चाँद को छेड़ा है यही कह कह कर
“और? सूरज के भरोसे पे चमकने वाले”

बे-रुख़ी अपनों की और ताने ज़माने भर के
क्या नहीं झेलते फल देर से पकने वाले

वो कहाँ फूल सी नाज़ों से पली शहज़ादी
हम कहाँ थोड़े से पैसों पे थिरकने वाले

~ विष्णु विराट ❤️

अल्लामा इक़बाल रह०

14 Dec, 13:42


वो न आएँगे तो फ़िराक़ हमें
काम ही क्या है इंतिज़ार करें

~ फ़िराक़ गोरखपुरी

#TheFiraq #FiraqGorakhpuri #Shayari

अल्लामा इक़बाल रह०

14 Dec, 09:11


”और (ऐ पैग़म्बर!) जब तुम से मेरे बंदे मेरे बारे में मालूम करें, तो (कह दो कि) मैं तो (तुम्हारे) पास हूं...”

ये बड़ा ही इंक़िलाबी तसव्वुर है जो क़ुरआन दे रहा है.

शिर्क के जितने निज़ाम दुनियां में रहे हैं(या है अभी भी) उनमें क़द्र-ए-मुश्तरक क्या है?

शोख़-ओ-गुस्ताख़ ये पस्ती के मकीं कैसे हैं

और उन चालाक, होशियार और अय्यारों (प) के उस निज़ाम के फ़लसफ़े से निकलने का रास्ता क्या है?

क्यूं ख़ालिक़-ओ-मख़्लूक़ में हाइल रहें पर्दे
पीरान-ए-कलीसा को कलीसा से उठा दो

अल्लामा इक़बाल रह०

14 Dec, 09:11


दयार -ए- इश्क़ में अपना मुक़ाम पैदा कर,
नया ज़माना नए सुब्ह -ओ- शाम पैदा कर।

ख़ुदा अगर दिल -ए- फ़ितरत शनास दे तुझको
सुकूत -ए- लाल -ओ- गुल से कलाम पैदा कर!

-- अल्लामा मोहम्मद इक़बाल रह0

अल्लामा इक़बाल रह०

09 Dec, 17:26


कोई अंदाज़ा कर सकता है उसके ज़ोर ए बाज़ू का
निगाहें मर्द ए मोमिन से बदल जाती हैं तक़्दीरें

(अल्लामा इकबाल)

अल्लामा इक़बाल रह०

09 Dec, 17:25


ईश्क़ को फ़रियाद लाज़िम थी सो वोह भी हो चुकी
अब ज़रा दिल थाम कर फ़रियाद की तासीर देख

(अल्लामा इक़बाल رحمه الله تعالى عليه)

अल्लामा इक़बाल रह०

08 Dec, 06:57


hai agar mujh ko khatar koi toh us ummat se hai
जिसकी ख़ाकश्तर में है अब तक शरार ए आरज़ू

ڈاکٹر علامہ محمد اقبال

अल्लामा इक़बाल रह०

08 Dec, 06:38


हम हैं असीर जिनकी मुहब्बत में, इश्क़ में
ईसा उतारे जाएँगे शहर ए दमिश्क़ में ।

अल्लामा इक़बाल रह०

25 Nov, 17:05


मौत को जिस तरह भी आना हो आ जाए, हमारी तो बस यही आरज़ू होनी चाहिए कि मौत का फ़रिश्ता आए तो यह पैग़ाम लेकर आए

يَا أَيَّتُهَا النَّفْسُ الْمُطْمَئِنَّةُ ارْجِعِي إِلَى رَبِّكِ رَاضِيَةً مَرْضِيَّةً فَادْخُلِي فِي عِبَادِي وَادْخُلِي جَنَّتِي

(इर्शाद होगा) ऐ इत्मिनान पाने वाली रूह अपने रब की तरफ़ लौट चल, तू उससे राज़ी वह तुझ से राज़ी। तू मेरे (नेक) बंदों में शामिल हो जा। और मेरी जन्नत में दाख़िल हो जा।

आमीन या रब्बुल आलमीन

अल्लामा इक़बाल रह०

20 Nov, 14:39


मैं ख़ुद भी नहीं अपनी हक़ीक़त का शनासा
गहरा है मेरे बहर ए ख़्यालात🤔 का पानी

- कलंदर ए लाहोरी

अल्लामा इक़बाल रह०

18 Nov, 16:51


हज़ार ख़ौफ़ हो लेकिन ज़ुबान हो दिल की रफ़ीक़
यही रहा है अज़ल से कलंदरों का तरीक़

(अल्लामा इक़बाल)

अल्लामा इक़बाल रह०

17 Nov, 07:34


🧕🧕🧕🧕........................😊😁

दिल ए बरबाद से निकला नहीं अब तक कोई
एक लुटे घर पर दिया करता है दस्तक कोई

"आंस जो टूट गई फिर से बंधाता क्यूँ हैं"
यही होता है तो आख़िर यही होता क्यूँ है

अल्लामा इक़बाल रह०

16 Nov, 08:58


अच्छा है दिल के साथ रहे पासबान-ए-अक़्ल
लेकिन कभी कभी इसे तन्हा भी छोड़ दे

اچھا ہے دل کے ساتھ رہے پاسبانِ عقل
لیکن کبھی کبھی اسے تنہا بھی چھوڑ دے

It is good to have reason as a guardian of the heart, but sometimes it should be left alone.

अल्लामा इक़बाल रह०

08 Nov, 14:30


मुझ से पहले के दिन
अब बहुत याद आने लगे हैं तुम्हें
ख़्वाब-ओ-ता'बीर के गुम-शुदा सिलसिले
बार बार अब सताने लगे हैं तुम्हें
दुख जो पहुँचे थे तुम से किसी को कभी
देर तक अब जगाने लगे हैं तुम्हें

अब बहुत याद आने लगे हैं तुम्हें
अपने वो अहद-ओ-पैमाँ जो मुझ से न थे
क्या तुम्हें मुझ से अब कुछ भी कहना नहीं

अल्लामा इक़बाल रह०

08 Nov, 14:29


तुम्हारी याद मिरे दिल का दाग़ है लेकिन
सफ़र के वक़्त तो बे-तरह याद आती हो
बरस बरस की हो आदत का जब हिसाब तो फिर

बहुत सताती हो जानम बहुत सताती हो
मैं भूल जाऊँ मगर कैसे भूल जाऊँ भला
अज़ाब-ए-जाँ की हक़ीक़त का अपनी अफ़्साना
मिरे सफ़र के वो लम्हे तुम्हारी पुर-हाली
वो बात बात मुझे बार बार समझाना

ये पाँच कुर्ते हैं देखो ये पाँच पाजामे
डले हुए हैं क़मर-बंद इन में और देखो
ये शेव-बॉक्स है और ये है ओलड असपाइस
नहीं हुज़ूर की झोंजल का अब कोई बाइ'स

ये डाइरी है और इस में पते हैं और नंबर
इसे ख़याल से बक्से की जेब में रखना
है अर्ज़ ''हज़रत-ए-ग़ाएब-दिमाग़'' बंदी की
कि अपने ऐब की हालत को ग़ैब में रखना

ये तीन कोट हैं पतलून हैं ये टाइयाँ हैं
बंधी हुई हैं ये सब तुम को कुछ नहीं करना
ये 'वेलियम' है 'ओनटल' है और 'टरपटी-नाल'
तुम इन के साथ मिरी जाँ ड्रिंक से डरना

बहुत ज़ियादा न पीना कि कुछ न याद आए
जो लखनऊ में हुआ था वो अब दोबारा न हो
हो तुम सुख़न की अना और तमकनत जानम
मज़ाक़ का किसी 'इंशा' को तुम से यारा न हो

वो 'जौन' जो नज़र आता है उस का ज़िक्र नहीं
तुम अपने 'जौन' का जो तुम में है भरम रखना
अजीब बात है जो तुम से कह रही हूँ मैं
ख़याल मेरा ज़ियादा और अपना कम रखना
हो तुम बला के बग़ावत-पसंद तल्ख़-कलाम
ख़ुद अपने हक़ में इक आज़ार हो गए हो तुम
तुम्हारे सारे सहाबा ने तुम को छोड़ दिया
मुझे क़लक़ है कि बे-यार हो गए हो तुम

ये बैंक-कार मैनेजर ये अपने टेक्नोक्रेट
कोई भी शुबह नहीं हैं ये एक अबस का ढिढोल
मैं ख़ुद भी इन को क्रो-मैग्नन समझती हूँ
ये शानदार जनावर हैं दफ़्तरों का मख़ौल

मैं जानती हूँ कि तुम सुन नहीं रहे मिरी बात
समाज झूट सही फिर भी उस का पास करो
है तुम को तैश है बालिशतियों की ये दुनिया
तो फिर क़रीने से तुम उन को बे-लिबास करो

तुम एक सादा ओ बरजस्ता आदमी ठहरे
मिज़ाज-ए-वक़्त को तुम आज तक नहीं समझे
जो चीज़ सब से ज़रूरी है वो मैं भूल गई
ये पासपोर्ट है इस को सँभाल के रखना
जो ये न हो तो ख़ुदा भी बशर तक आ न सके
सो तुम शुऊ'र का अपने कमाल कर रखना

मिरी शिकस्त के ज़ख़्मों की सोज़िश-ए-जावेद
नहीं रहा मिरे ज़ख़्मों का अब हिसाब कोई
है अब जो हाल मिरा वो अजब तमाशा है
मिरा अज़ाब नहीं अब मिरा अज़ाब कोई

नहीं कोई मिरी मंज़िल पे है सफ़र दरपेश
है गर्द गर्द अबस मुझ को दर-ब-दर पेश

अल्लामा इक़बाल रह०

08 Nov, 14:19


वहुवा मलिकुल-हिंद सुल्तान-उल-अजी़म अबुल-मुज़फ़्फ़र मुहिउद्दीन-मोहम्मद औरंगज़ेब-आलमगीर (रहमतुल्लाह अलैहि)

अल्लामा इक़बाल रह०

31 Oct, 20:17


दोस्तों हम तो इस ख़याल के हैं
देखलो "पटाख़ा" पटाख़ा छेड़ो मत 🫠

(जौन ऐलिया से मुआफ़ी के साथ)

अल्लामा इक़बाल रह०

31 Oct, 20:17


#bakriidSpecial

सब्ज़ी से दोस्ती है न दालों का शौक़ है
मेरी तरह उसे भी कबाबों का शौक़ है
سبزی سے دوستی ہے نہ دالوں کا شوق ہے
میری طرح اسے بھی کبابوں کا شوق ہے

वैसे तो भिंडी से भी नहीं कोई ख़ास रब्त
बस मुझ को उस में बकरे के बुच्चों का शौक़ है
ویسے تو بھنڈی سے بھی نہیں کوئی خاص ربط
بس مجھ کو اس میں بکرے کے بُچُّوں کا شوق ہے

हम आशिक़-ए-पुलाव है मग़रूर क्यों न हों
आख़िर ये शौक़ भी तो नवाबों का शौक़ है
ہم عاشقِ پلاؤ ہیں مغرور کیوں نہ ہو
آخر یہ شوق بھی تو نوابوں کا شوق ہے

क़स्साब के फ़रेब से वाक़िफ़ हैं हम मगर
मज़बूर हैं के भूक को चाँपों का शौक़ है
قصّاب کے فریب سے واقف ہیں ہم مگر
مجبور ہیں کہ بھوک کو چاہوں کا شوق ہے

कुछ शोरबे के चिपचिपे धब्बे हैं जा-ब-जा
पोशाक से अयाँ हैं के पाओं का शौक़ है
کچھ شوربے کے چپچپے دھبے ہیں جا بہ جا
پوشاک سے عیاں ہے کہ پاؤں کا شوق ہے

#अज़हान_वारसी / اذہان وارث

अल्लामा इक़बाल रह०

29 Oct, 13:13


किया था मुझपे जो एहसान वो उतार दिया
उसी ने जान बचाई उसी ने मार दिया,

किसी से मिलना था लेकिन किसी से मिल आए
कहां का वक्त़ था हमने कहां गुज़ार दिया

अल्लामा इक़बाल रह०

27 Oct, 16:00


आँखें ऐसी चेहरा वैसा हर शायर चिल्लाता है
हुस्न अगर पर्दे में हो तो कितना नाम कमाता है

ये भी कोई बात हुई तुम सीधे दिल में आ कूदे
चोर अगर अच्छा हो तो वो पहले सेंध लगाता है

गिर जाता है शाम ढले हर शख़्स किसी की बाहों में
अपनी अपनी बारिश सब की अपना अपना छाता है

मेरा दस्तक देना इतना अच्छा लगता है उसको
दस्तक देना बंद करूँ तो दरवाज़ा खुल जाता है

सब से पहले हम दोनों इक दूजे का दुख सुनते हैं
मैं उसको समझाता हूँ फिर वो मुझको समझाता है

मेरा कोई जायेगा जब मैं तो रोऊँगा बाबा
आप भले ही कहते रहिये किस से किसका नाता है

– विष्णु विराट ❤️

अल्लामा इक़बाल रह०

24 Oct, 19:10


कुछ नही कुछ भी नही गर तेरा किरदार नही
तू फुलां इब्न फुलां है यह तो कोई मेयार नही

अल्लामा इक़बाल रह०

21 Oct, 17:40


यकीं मुहकम अमल पैहम मोहब्बत फातेहे आलम
जिहादे ज़िंदगानी में हैं यह मर्दों की शमसीरें

अल्लामा इकबाल का यह शेर है वह कह्ते हैं कि

मजबूत विश्वास लगातार काम और दुनिया पर विजय पाने वाली मोहब्बत
जिंदगी की लड़ाई में यह (तीनों चीजें) मर्दों की तलवार (हथियार व ताकत) हैं

अल्लामा इक़बाल रह०

21 Oct, 17:36


मौला! अगर तूने मुझे अजाब देने का फैसला कर लिया है तो मेरे मामले को लोगों से छुपाके रखना ताकि कोई शख्स ये न कहता फिरे,

"आज वो भी मुब्तिला ए अज़ाब है जो खुदा तक रास्ता दिखाया करते था"

~इब्ने जौज़ी रह.

अल्लामा इक़बाल रह०

20 Oct, 10:38


मिरे दीदा ए तर की बे-ख़्वाबिया,

मिरे दिल की पोशीदा बेताबियाँ !
-अल्लामा इक़बाल

अल्लामा इक़बाल रह०

18 Oct, 20:54


कट मरे अपने क़बीले की हिफाज़त के लिए,
मक़्तल-ए-शहर में ठहरे रहे, हिजरत नहीं की...

अल्लामा इक़बाल रह०

18 Oct, 09:53


मैं अपने खोए हुए दिन तलाश करता रहा
मेरे क़रीब ही बैठा था बचपना मेरा
#Iqbalashhar
میں اپنے کھوئے ہوئے دن تلاش کرتا رہا
مرے قریب ہی بیٹھا تھا بچپنا میرا
اقبال اشہر

अल्लामा इक़बाल रह०

15 Oct, 23:37


होना तो नहीं चाहिए पर जान हुआ तो
ये डर है तेरा दिल कहीं ज़िंदान हुआ तो

मेरी तो ये हसरत है मजा लूँ मैं तपन का
पर आग का कुछ और ही अरमान हुआ तो

दुत्कार दिया हमने उसे कह के भिखारी
दरवेश के उस भेस में सुल्तान हुआ तो

ख़ाबो में तेरे लम्स से मैं काँप रहा हूँ
ये हादसा गर वस्ल के दौरान हुआ तो

ये सोच के घबराता है हर एक सिपाही
अर्जुन का अगर मेरी तरफ ध्यान हुआ तो

क्या हो कि सभी लोग फ़क़त वहम हों मेरा
दुनिया में अकेला ही मैं इंसान हुआ तो

~ विष्णु विराट ❤️

अल्लामा इक़बाल रह०

11 Oct, 17:22


हम तो आवारा हैं, आवारगी पसंद है।
रातें अच्छी लगती हैं, शोर शराबा कम होता है...।

अल्लामा इक़बाल रह०

30 Sep, 20:43


बिस्मिल्लाह हिर्रहमान निर्रहीम

"ला तअ'ख़ुज़ुहू सिनतुव वला नौम लहू मा फ़िस सामावाति वमा फ़िल अर्ज़"
अयतालकुर्सी की ये दूसरी और तीसरी लाइन है। ये अल्लाह तआला की अज़मत और उसकी बेपनाह क़ुदरत का बयान करती है।

"ला तअ'ख़ुज़ुहू सिनतुव वला नौम" – यानी अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त को न ऊँघ आती है और न नींद। यह अल्लाह की क़ुदरत और क़यूमियत का बेहतरीन बयान है, जो इस बात को वाजेह करता है कि हमारा ख़ालिक़ और मालिक न कभी थकता है, न कभी बेखबर होता है। हर वक़्त हर शै पर उसकी निगरानी है। उसकी ज़ात ऐसी है कि उसे आराम की ज़रूरत नहीं, और न उसकी हुकूमत में किसी क़िस्म की कमी या बेचारगी होती है। वो हर लम्हा अपने बंदों पर निगाह रखता है और हर हाल में अपने इख्तियार में रखता है।

"लहू मा फ़िस सामावाति वमा फ़िल अर्ज़" – यानी आसमानों और ज़मीन में जो कुछ भी है, सब उसी का है। हर चीज़ पर उसी का हक़ है, हर मख़लूक़ उसी की हुकूमत के तहत है। चाहे वो फरिश्ते हों या इंसान, जानदार हों या बेजान, हर चीज़ उसी की मल्कियत में आती है और उसके हुक्म के ताबेह रहती है। उसकी हुकूमत पूरे आलम पर फैली हुई है, और कोई भी चीज़ उसकी इजाज़त के बग़ैर हरकत में नहीं आ सकती।

ये अल्फ़ाज़ हमें अल्लाह तआला की बेहद बुलंदी, उसकी तन्हा मालिकियत और उसके हर वक़्त निगरानी करने का एहसास दिलाते हैं। इस आयत में छुपी हकीकत को समझ कर इंसान बस यही कह सकता है, "सुब्हान अल्लाह", कि कैसी बे मिसाल हुकूमत और कैसी बेपनाह रहमत है हमारे रब की, जिसने हर चीज़ को अपनी क़ुदरत में लिया हुआ है।

ये आयत हमें अल्लाह की तन्हा कुदरत, उसकी बेनज़ीर हुकूमत और उसकी हर हाल में निगरानी की याद दिलाती है, अल्लाह पर कामिल यक़ीन रखने वाले हर इंसान को चाहिए कि उसकी इबादत और इताअत में कमी न करे।

अल्लामा इक़बाल रह०

30 Sep, 20:40


बिस्मिल्लाहिर-रहमानिर-रहीम

"अल्लाहु ला इलाहा इल्ला हुवल हय्युल क़य्यूम"

ऊपर जो लिखा है वो अल्लाह का कलाम है। यह अयतालकुर्सी की पहली लाइन है। आयत अल कुर्सी को क़ुरआन की सबसे अज़ीम और ताक़तवर आयत कहा जाता है। वैसे तो पूरा क़ुरआन ही अपने आप मे एक मौजज़ा है।

अयतालकुर्सी को सबसे को सबसे और ताक़तवर आयत इसलिए कहते हैं क्योंकि इसका मतलब बहुत गहराई और ख़ूबसूरती लिए हुए है। आइए अयतालकुर्सी की इस पहली लाइन का मतलब समझते हैं। ये कलाम अल्लाह की बेमिसाल सिफ़तों का इज़हार करता है, जिसे समझना और महसूस करना हर मुसलमान के ईमान का हिस्सा है।

इस आयत का पहला हिस्सा, "अल्लाहु" यानी अल्लाह, वह ज़ात है जो तमाम कायनात का मालिक और पैदा करने वाला है। जब हम अल्लाह का नाम लेते हैं, तो हमारे दिल में उस एक रब की याद ताज़ा होती है जो हर चीज़ पर क़ुदरत रखता है।

"ला इलाहा इल्ला हुव" का मतलब है, अल्लाह के सिवा कोई भी इबादत के लायक़ नहीं। यानी, इंसान चाहे कितनी ही दुनिया की चीज़ों से मुतास्सिर हो जाए, असल में उसकी बंदगी और इबादत सिर्फ़ अल्लाह के लिए है, क्योंकि वही एक है जिसका कोई शरीक नहीं, और वही अकेला सच्चा माबूद है।

"अल-हय्य" का मतलब है वह जो हमेशा से है और हमेशा रहेगा। अल्लाह की हयात (ज़िन्दगी) ऐसी है जिसे कभी ख़त्म नहीं होना। उसकी ज़िन्दगी किसी वक़्त, हालत या वजूद की मोहताज नहीं, बल्कि वह ख़ुद अपने आप से है और हमेशा रहेगा। ना वो पैदा हुआ ना उसे मौत आएगी।

"अल-क़य्यूम" का मतलब है, वह जो हर चीज़ को क़ायम रखने वाला है। यानी अल्लाह न सिर्फ़ अपनी ज़िन्दगी में अज़ली और अबदी है, बल्कि वह तमाम मख़लूकात को भी सँभालता है, उन्हें रोज़ी देता है, उनके अमलात को चलाता है। पूरी कायनात उसके इख़्तियार में है, और उसके हुक्म के बग़ैर कोई चीज़ चल नहीं सकती।

यह आयत हमें यह एहसास दिलाती है कि हमारी ज़िन्दगी का हर लम्हा अल्लाह की रहमत और क़ुदरत के तले गुज़र रहा है। वह हमारी ज़रूरतों का ख़याल रखने वाला है।

फज़ीलत:

आयतुल कुर्सी को पढ़ने के फ़ज़ाइल (फायदे) इस्लामी तालीमात में ज़्यादा बयान किए गए हैं। इसे पढ़ने से इंसान को हिफाज़त मिलती है, शैतान दूर रहता है, और यह दिल को सुकून देती है। इसे मायने समझ कर कामिल यक़ीन के साथ पढ़ने वाला कभी डिप्रेशन में नही जाता।

रात को सोने से पहले आयतुल कुर्सी पढ़ने वाला अल्लाह की हिफाज़त में रहता है, और उसकी निगरानी अल्लाह के फरिश्ते करते हैं।

आयतुल कुर्सी अपनी मआनी और अज़मत के एतबार से एक ऐसी आयत है, जो अल्लाह की रब्बूबियत और उसकी क़ुदरत को बयान करती है।

अल्लामा इक़बाल रह०

29 Sep, 21:19


हर चीज़ को अलविदा कहने के लिए हमेशा तैयार रहें।

चाहे लोग हो, चीज़ें हो या ख़्यालात हो - क्यूंकि वो हमें तसल्ली देते हैं, लेकिन सच तो ये है कि बहुत ज़्यादा मज़बूती से चिमटे रहने से दर्द ही होता है, जब वो लामहला फिसल ही जाते हैं।

अल्लामा इक़बाल रह०

28 Sep, 17:01


नुमाया होकर दिखला दे कभी जमाल अपना,

बहुत मुद्दत से है चर्चे तेरे बारीक बीनों में..!

अल्लामा इक़बाल रह०

28 Sep, 16:56


कटी है हंगामा ए गुश्तरी में रात तेरी
सहर क़रीब है अल्लाह का नाम ले साक़ी!

अल्लामा इक़बाल रह०

27 Sep, 19:30


जो कोहरा ग़ैर शनासी का था छटा ही नहीं
न जाने क्या हुआ उसको वो देखता ही नहीं

हज़ार बार मै धोया हूँ आंसुओं से उसे
लिखा था जो मिरी क़िस्मत मे ग़म मिटा ही नहीं

गुज़र गया था वो कल पास से मेरे ऐसे
कि जैसे उसका मेरा सामना हुआ ही नहीं

हमेशा वो ही क्यूँ होता है साथ मे मेरे
मै जिसको ख़्वाब ख़यालों मे सोचता ही नहीं

मेरे नसीब मे लिक्खा है एक तरफा इश्क
मै जिस किसी को भी चाहूँ वो चाहता ही नहीं

कोई तो ऐब है मुझमे य़ा है वफा मे कमी
वो पेश आया है ऐसे कि जानता ही नहीं

वो एक शख्स जो आँखों से हो गया ओझल
वो है सदा मेरे दिल मे कहीं गया ही नहीं

मुझे अज़ीज़ है काशिफ वो जान से ज़्यादा
कि जिसको दिल मिरा वहशत मे भूलता ही नहीं

- काशिफ़ अहसान काश कन्नौजी

अल्लामा इक़बाल रह०

26 Sep, 09:41


कुछ भी हो जाये रूह हमेशा उदास रहेगी, क्यों कि ये दुनिया उसका घर नहीं।

~ मौलाना रूमी

अल्लामा इक़बाल रह०

25 Sep, 19:38


ऐ वा'दा-शिकन ख़्वाब दिखाना ही नहीं था
क्यूँ प्यार किया था जो निभाना ही नहीं था

इस तरह मेरे हाथ से दामन न छुड़ाओ
दिल तोड़ के जाना था तो आना ही नहीं था

अल्लाह न मिलने के बहाने थे हज़ारों
मिलने के लिए कोई बहाना ही नहीं था

देखो मेरी सर फोड़ के मरने की अदा भी
वर्ना मुझे दीवाना बनाना ही नहीं था

रोने के लिए सिर्फ़ मोहब्बत ही नहीं थी
ग़म और भी थे दिल का फ़साना ही नहीं था

न हम सही कहते न बनी दिल की कहानी
या गोश-बर-आवाज़ ज़माना ही नहीं था

'क़ैसर' कोई आया था मेरी बख़िया-गरी को
देखा तो गरेबाँ का ठिकाना ही नहीं था

क़ैसर उल जाफ़री

अल्लामा इक़बाल रह०

23 Sep, 18:42


हमारी छत पे भी सूरज का इंतिज़ाम हुआ
ये और बात कि ये काम वक़्त-ए-शाम हुआ
.
उठे रक़ीब तो फिर मुझ से बैठने को कहा
तुम्हारी बज़्म में यूँ मेरा एहतिराम हुआ
.
सफ़र में तुम से किनारा किया तुम्हारे लिए
मगर बिछड़ने का अफ़सोस गाम गाम हुआ
.
कि जैसे डाँट दे कोई यतीम बच्चे को
हमारी हसरत-ए-दिल का यूँ इख़्तिताम हुआ
.
हमारे दिल को दिखाई गई नई दुनिया
कुछ इस तरह ये परिंदा भी ज़ेर-ए-दाम हुआ
.
बिछड़ के तुझ से हुनर शा'इरी का सीख लिया
यूँ अहल-ए-दर्द के जीने का इंतिज़ाम हुआ
.
......................... ✍️ Hamza Bilal ✍️
.
.

अल्लामा इक़बाल रह०

18 Sep, 09:39


फिर चराग़ -ए- लाला से रौशन हुए कोह ओ दहन
मुझ को फिर नग्मों पे उकसाने लगा मुर्ग -ए- चमन

फूल हैं सहरा में या परियाँ क़तार अंदर क़तार
ऊदे ऊदे नीले नीले पीले पीले पैरहन

बर्ग ए गुल पर रख गई शबनम का मोती बाद ए सुब्ह
और चमकती हैं उस मोती को सूरज की किरन

हुस्त्र -ए- बे-परवा को अपनी बे-नकामी के लिए
हो अगर शहरों से बन प्यारे तो शहर अच्छे कि बन

अपने मन में डूब कर पा जा सुराग़ ए जिंदगी
तू अगर मेरा नहीं बनता तो न बन अपना तो बन

मन की दुनिया मन की दुनिया सोज़ ओ मस्ती जज़्ब ओ शौक़
तन की दुनिया तन की दुनिया सूद ओ सौदा मक्र ओ फ़न

मन की दौलत हाथ आती हैं तो फिर जाती नहीं
तन की दौलत छाँव हैं आता हैं धन जाता हैं धन

मन की दुनिया में न पाया मैंने अफ़रंगी का राज़
मन की दुनिया में न देखें मैं ने शौख़ ओ बरहन

पानी पानी कर गई मुझ को कलंदर की ये बात
तू झुका जब गै़र के आगे न मन न तेरा तन

अल्लामा इक़बाल रह०

17 Sep, 20:04


टेलीग्राम पर बहुत से ऐसे bot हैं जिनको इस्तेमाल करने से हमें बहुत सी एप्लीकेशन इन्स्टॉल करने का झंझट नहीं करना पड़ता  और यूं मोबाइल की RAM अज़ाफ़ी बोझ से बच जाती है ।

कुछ अच्छे bot पेशे ख़िदमत हैं

यह तीन डिक्शनरी bot हैं , किसी एक को ज्वायन करें ,
यहां अंग्रेजी का कोई लफ्ज़ भेजें यह उसकी व्याख्या करके आपको बतायेंगे । डिक्शनरी इन्स्टॉल करने की ज़रूरत नहीं

@diction_bot
@DictionBot
@LexicoBot


किसी इलाक़े का मैप चाहिये Map app इन्स्टॉल करने की ज़रूरत नहीं इस bot को जगह का नाम भेंजें, यह आपको Map भेज देगा ।

@openmap_bot


मुख़तलिफ़ वीडियोज़, आडियो, तस्वीरें, डाकुमेंट्स और ebooks को मुख़तलिफ़ फ़ारमेट में बदलने वाला Converter bot इस्तेमाल  करें और एप्लीकेशन से जान छुड़ायें ।

@newfileconverterbot



ग़ैर मुस्तकिल ईमेल आईडी बनाने वाला bot यह है , जितनी मर्ज़ी हो ईमेल आईडी बनायें ।

@DropmailBot


अपनी फाइल्ज़ आनॅलाईन अपलोड करके Save करने के लियो कोई App इस्तेमाल ना करे, यह वाला bot भी करता है ।

@filetobot


किसी वेब पेज ( वेबसाइट  ) का लिंक इस bot को भेजें तो यह सारे पेज का स्क्रीन शाॅट आपको भेज देगा

@URL2IMGBot


आप इंग्लिश में अपनी आवाज़ रिकार्ड करके इस bot को भेजें यह फ़ौरन उसको अल्फाज़ बनाकर आपको भेजदेगा  । यह
Voice to text सॉफ्टवेयर के जैसा काम करता है ।

@voicybot


यूट्यूब वीडियोज़ डाऊनलोड करने का सबसे बेहतरीन bot यह  है।

@utuberabot


Gmail का आफिशियल टेलीग्राम bot , अपनी ईमेल Gmail एप की बजाये  टेलीग्राम में हासिल करते रहें ।

@GmailBot

अब Zoom वीडियो काल एप इन्स्टॉल करने की ज़रूरत नहीं 
यह bot काफ़ी है ।

@zoombot


टिकटाॅक, यूट्यूब, Pinterest, Instagram, वीडियो डाउन्लोडर bot

@allsaverbot

Twitter , वीडियोज़ डाऊनलोडर bot

@twittervid_bot


यह तमाम bot आज़माये हुवे है और बिलकुल ठीक काम करते है ।

अल्लामा इक़बाल रह०

16 Sep, 17:15


दिमाग शैतान बनने पर मजबूर करता है
दिल कहता है जन्नत मोमिनों की है..!!

अल्लामा इक़बाल रह०

16 Sep, 17:15


आज कल के मुसलमान को काईल करना पड़ता है
के मुश्किल कुशा और हाजत रवा सिर्फ अल्लाह है..!!

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