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Dernière mise à jour 09.03.2025 15:51

आस्था, साहस और नम्रता: असंभव को संभव करने की कला

जीवन में कई बार हमें ऐसी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, जिन्हें हम असंभव समझते हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि ये असंभव बातें सिर्फ एक मानसिकता का नतीजा हो सकती हैं? आस्था, साहस और नम्रता, ये तीन शक्तिशाली गुण हैं जो हमें जीवन की कठिनाइयों से लड़ने और अपने लक्ष्यों को हासिल करने में मदद कर सकते हैं। आस्था हमें इस विश्वास से भर देती है कि हम कुछ भी कर सकते हैं, साहस हमें कठिनाइयों का सामना करने की शक्ति देता है, और नम्रता हमें दूसरों के अनुभवों और ज्ञान से सीखने की प्रेरणा देती है। इस लेख में हम इन तीन गुणों का विस्तृत विश्लेषण करेंगे और जानेंगे कि कैसे ये गुण हमारे जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

आस्था का क्या महत्व है?

आस्था, हमारे सोचने के तरीके और हमारे द्वारा किए जाने वाले कार्यों में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। जब हम किसी चीज़ पर विश्वास करते हैं, तो यह हमारी प्रेरणा को बढ़ाता है। आस्था हमें कठिन समय में भी सकारात्मक रहने की ताकत देती है। उदाहरण के लिए, जब किसी व्यक्ति को कोई बड़ी चुनौती का सामना करना होता है, तो उसकी आस्था ही उसे आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती है।

इसके अलावा, आस्था केवल व्यक्तिगत जीवन में ही नहीं, बल्कि सामूहिक प्रयासों में भी महत्वपूर्ण होती है। जब एक समूह में सभी सदस्य एक-दूसरे पर विश्वास करते हैं, तो वे मिलकर बहुत बड़े लक्ष्य को भी प्राप्त कर सकते हैं। इस प्रकार, आस्था सामाजिक और व्यक्तिगत विकास में एक अहम भूमिका निभाती है।

साहस हमें कैसे प्रभावित करता है?

साहस, जीवन की चुनौतियों का सामना करने की क्षमता है। यह हमें डर के बावजूद आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है। साहस के बिना, किसी भी बड़े लक्ष्य को प्राप्त करना मुश्किल होता है। कई लोग साहसिक निर्णय लेते हैं, जो उन्हें सफलता की ओर ले जाते हैं। जब हम साहस दिखाते हैं, तो हम अपने डर और संकोच को पार कर सकते हैं।

साहस केवल जोखिम उठाने की बात नहीं है, बल्कि यह अपने सिद्धांतों और मूल्यों की रक्षा करने का भी है। यदि हम अपने विश्वासों के लिए खड़े नहीं होते, तो हम कभी भी आत्म-सम्मान और संतोष नहीं प्राप्त कर सकते। इसलिए, साहस हमारे जीवन में एक अनिवार्य गुण है जो हमें निरंतर आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करता है।

नम्रता का जीवन में क्या स्थान है?

नम्रता, एक व्यक्ति की सबसे महत्वपूर्ण विशेषताओं में से एक मानी जाती है। यह हमें दूसरों का सम्मान करने और उनके विचारों को स्वीकार करने की क्षमता देती है। नम्रता से हमें सिखने का अवसर मिलता है, क्योंकि जब हम खुले दिल से सुनते हैं, तो हम दूसरों के अनुभवों और ज्ञान को अपनी समझ में जोड़ सकते हैं।

इसके अलावा, नम्रता हमें एक बेहतर इंसान बनने की प्रेरणा देती है। जब हम दूसरों के प्रति विनम्रता दिखाते हैं, तो यह न केवल उनके साथ हमारे संबंधों को मजबूत करता है, बल्कि हमें आत्म-प्रतिबिंबित करने और अपनी कमजोरियों को पहचानने में भी मदद करता है। इसके परिणामस्वरूप, हम व्यक्तिगत और सामाजिक स्तर पर अधिक समझदार और सक्षम बनते हैं।

इन गुणों को विकसित कैसे किया जा सकता है?

इन तीन गुणों को विकसित करने के लिए सबसे पहले हमें आत्म-जागरूकता बढ़ानी होगी। हमें अपनी सोच और व्यवहार को समझने की आवश्यकता है। नियमित रूप से ध्यान और आत्म-विश्लेषण करने से हम अपनी कमजोरियों को पहचान सकते हैं और उन पर काम कर सकते हैं। इसके अलावा, सकारात्मक लोगों के साथ रहना भी सहायक होता है, क्योंकि वे हमें प्रेरित करते हैं।

इसके साथ ही, हमें छोटे लक्ष्यों को निर्धारित करके उन्हें प्राप्त करने की कोशिश करनी चाहिए। जब हम छोटे-छोटे लक्ष्य हासिल करते हैं, तो हमारी आस्था और साहस दोनों ही बढ़ते हैं। पूरी मेहनत और धैर्य के साथ जब हम अपने लक्ष्यों की ओर बढ़ते हैं, तब नम्रता से हम सीखते हैं कि हम और बेहतर कैसे बन सकते हैं।

कैसे आस्था, साहस और नम्रता का संयोजन हमें सफलता दिला सकता है?

यह तीनों गुण एक-दूस Complement करते हैं। आस्था से हमें अपने लक्ष्य प्रति विश्वास मिलता है, साहस उसे प्राप्त करने के लिए हमें आगे बढ़ाता है, और नम्रता हमें सीखने की प्रक्रिया में मदद करती है। जब हम इन सभी गुणों को अपने जीवन में शामिल करते हैं, तो हम कोई भी चुनौती आसानी से पार कर सकते हैं।

उदाहरण के लिए, किसी व्यक्ति के पास एक बड़ा लक्ष्य हो सकता है, लेकिन उसके लिए कठिनाइयों का सामना करने की आवश्यकता होती है। यदि उसके पास आस्था है, तो वह विश्वास रखेगा कि वह सफल हो जाएगा। साहस से वह अपने डर का सामना करेगा और नम्रता से वह दूसरों से सीखने के लिए तैयार रहेगा। इस प्रकार, ये तीनों गुण किसी भी व्यक्ति को सफलता की ओर ले जाने में महत्वपूर्ण होते हैं।

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आसान है!! यह टेलीग्राम चैनल 'आसान है' है जो असंभव की खोज करता है। इस चैनल में आस्था, साहस और नम्रता के गुणों की बात की जाती है। यहाँ आपको आत्मविश्वास और हिम्मत बढ़ाने के टिप्स और मोटिवेशनल कंटेंट मिलेगा। इस चैनल के एडमिन आपको जानकारी देने के लिए हमेशा तैयार हैं। तो आइए जुड़ें और खुद को नई ऊंचाइयों तक ले जाएं।

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पिकासो (Picasso) स्पेन में जन्मे एक अति प्रसिद्ध चित्रकार थे। उनकी पेंटिंग्स दुनिया भर में करोड़ों और अरबों रुपयों में बिका करती थीं...!!

एक दिन रास्ते से गुजरते समय एक महिला की नजर पिकासो पर पड़ी और संयोग से उस महिला ने उन्हें पहचान लिया। वह दौड़ी हुई उनके पास आयी और बोली, 'सर, मैं आपकी बहुत बड़ी फैन हूँ। आपकी पेंटिंग्स मुझे बहुत ज्यादा पसंद हैं। क्या आप मेरे लिए भी एक पेंटिंग बनायेंगे...!!?'

पिकासो हँसते हुए बोले, 'मैं यहाँ खाली हाथ हूँ। मेरे पास कुछ भी नहीं है। मैं फिर कभी आपके लिए एक पेंटिंग बना दूंगा..!!'

लेकिन उस महिला ने भी जिद पकड़ ली, 'मुझे अभी एक पेंटिंग बना दीजिये, बाद में पता नहीं मैं आपसे मिल पाऊँगी या नहीं।'

पिकासो ने जेब से एक छोटा सा कागज निकाला और अपने पेन से उसपर कुछ बनाने लगे। करीब 10 मिनट के अंदर पिकासो ने पेंटिंग बनायीं और कहा, 'यह लो, यह मिलियन डॉलर की पेंटिंग है।'

महिला को बड़ा अजीब लगा कि पिकासो ने बस 10 मिनट में जल्दी से एक काम चलाऊ पेंटिंग बना दी है और बोल रहे हैं कि मिलियन डॉलर की पेंटिग है। उसने वह पेंटिंग ली और बिना कुछ बोले अपने घर आ गयी..!!

उसे लगा पिकासो उसको पागल बना रहा है। वह बाजार गयी और उस पेंटिंग की कीमत पता की। उसे बड़ा आश्चर्य हुआ कि वह पेंटिंग वास्तव में मिलियन डॉलर की थी...!!

वह भागी-भागी एक बार फिर पिकासो के पास आयी और बोली, 'सर आपने बिलकुल सही कहा था। यह तो मिलियन डॉलर की ही पेंटिंग है।'

पिकासो ने हँसते हुए कहा,'मैंने तो आपसे पहले ही कहा था।'

वह महिला बोली, 'सर, आप मुझे अपनी स्टूडेंट बना लीजिये और मुझे भी पेंटिंग बनानी सिखा दीजिये। जैसे आपने 10 मिनट में मिलियन डॉलर की पेंटिंग बना दी, वैसे ही मैं भी 10 मिनट में न सही, 10 घंटे में ही अच्छी पेंटिंग बना सकूँ, मुझे ऐसा बना दीजिये।'

पिकासो ने हँसते हुए कहा, 'यह पेंटिंग, जो मैंने 10 मिनट में बनायी है इसे सीखने में मुझे 30 साल का समय लगा है। मैंने अपने जीवन के 30 साल सीखने में दिए हैं ..!! तुम भी दो, सीख जाओगी..!!

वह महिला अवाक् और निःशब्द होकर पिकासो को देखती रह गयी...!!

एक प्रोफेशनल या सलाहकर को 10 मिनट के काम की जो फीस दी जाती है वो इस कहानी को बयां करती है।

25 Feb, 03:28
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जब मार्क ट्वेन ने ओलिविया लैंगडन से शादी की, तो उन्होंने एक दोस्त से कहा, "अगर मुझे पता होता कि शादीशुदा जिंदगी इतनी सुखद हो सकती है, तो मैं 30 साल पहले ही शादी कर लेता, बजाय इसके कि अपना समय दांत उगाने में बर्बाद करता।" उस समय ट्वेन 32 साल के थे। ट्वेन—जिनका असली नाम सैमुअल क्लेमेंस था—एक साधारण परिवार में पले-बढ़े और कम उम्र से ही काम करना शुरू कर दिया था। उन्होंने एक प्रिंटिंग प्रेस में प्रशिक्षु के रूप में शुरुआत की, फिर नदी में स्टीमर चलाने वाले पायलट बने, सिल्वर माइनिंग में हाथ आजमाया (जहाँ बुरी तरह असफल हुए), और अंततः एक लेखक के रूप में अपनी असली पहचान बनाई। उनकी तेज़ बुद्धि और बेहतरीन कहानी कहने की कला ने उन्हें पूरे अमेरिका में मशहूर कर दिया।

इसी दौरान उन्हें प्यार हुआ—पहली नज़र में ओलिविया से नहीं, बल्कि उनकी तस्वीर से। उनके एक दोस्त ने ट्वेन को ओलिविया की तस्वीर लॉकेट में दिखाई और बाद में उनसे मिलने का न्योता दिया। दो हफ्तों के भीतर, ट्वेन ने शादी का प्रस्ताव रख दिया। ओलिविया को वे पसंद थे, लेकिन वे झिझक रही थीं। ट्वेन उनसे दस साल बड़े थे, उनकी भाषा और व्यवहार अभिजात्य वर्ग की तरह परिष्कृत नहीं था, और उनके पास एक पैसा भी नहीं था। ओलिविया उनकी प्रतिभा की प्रशंसा करती थीं, लेकिन उन्होंने प्रस्ताव ठुकरा दिया। ट्वेन ने फिर से प्रपोज़ किया, लेकिन इस बार ओलिविया ने उनके धार्मिक विचारों की कमी को कारण बताया। ट्वेन ने अपने चिर-परिचित मज़ाकिया अंदाज़ में जवाब दिया, "अगर यही ज़रूरी है, तो मैं एक अच्छा ईसाई बन जाऊँगा।"

ओलिविया ने बार-बार इनकार किया, लेकिन सच तो यह था कि वह भी उनसे प्यार करने लगी थीं। दूसरी ओर, ट्वेन को लगने लगा कि अब कोई उम्मीद नहीं है, इसलिए वे वहाँ से चले गए।

जब वे ट्रेन स्टेशन जा रहे थे, तो उनकी घोड़ागाड़ी पलट गई। इस मौके का फायदा उठाते हुए, ट्वेन ने अपनी चोटों को कुछ ज़्यादा ही गंभीर दिखाया और उन्हें वापस ओलिविया के घर लाया गया। जब ओलिविया उनकी देखभाल कर रही थीं, ट्वेन ने आखिरी बार शादी का प्रस्ताव रखा। इस बार, उन्होंने हाँ कह दी।

शादी के बाद ट्वेन ने अपनी धार्मिक पत्नी को खुश करने की पूरी कोशिश की। वे हर रात उनके लिए बाइबिल पढ़ते और भोजन से पहले प्रार्थना करते। वे जानते थे कि ओलिविया को उनकी कुछ कहानियाँ पसंद नहीं थीं, इसलिए उन्होंने उन्हें कभी प्रकाशित नहीं किया, और इस तरह 15,000 से अधिक पृष्ठ अप्रकाशित रह गए। ओलिविया उनकी पहली संपादक और सबसे सख्त आलोचक थीं। जब उन्होंने हकलबेरी फिन में "Damn it!" शब्द देखा, तो उन्होंने ट्वेन से इसे हटवा दिया। उनकी बेटी, सूज़ी, ने एक बार उनके रिश्ते को इस तरह परिभाषित किया: "माँ नैतिकता को पसंद करती हैं। पापा बिल्लियों को।"

ट्वेन ओलिविया को बहुत प्यार करते थे। उन्होंने एक बार लिखा था, "अगर वह कहतीं कि मोज़े पहनना अनैतिक है, तो मैं तुरंत उन्हें पहनना छोड़ देता।" ओलिविया उन्हें अपना "gray-haired boy" कहतीं और उनकी देखभाल एक बच्चे की तरह करतीं। ट्वेन का मानना था कि ओलिविया ही उनकी ऊर्जा, आशावाद और बचपने को बनाए रखने में मदद करती थीं। दूसरी ओर, ओलिविया को ट्वेन का हास्यबोध बहुत पसंद था। एक दिन, ट्वेन ज़ोर-ज़ोर से हँस रहे थे। ओलिविया ने पूछा, "तुम इतनी ज़ोर से किस किताब पर हँस रहे हो?" ट्वेन ने उन्हें किताब पकड़ाई। ओलिविया ने कवर देखा—वह ट्वेन की ही लिखी हुई किताब थी।

उनका जीवन बिना संघर्षों के नहीं था। उन्होंने अपने बच्चों को खोया। ट्वेन दिवालिया हो गए। लेकिन जहाँ ट्वेन की अडिग आशावादिता उन्हें उबारती रही, वहीं ओलिविया की अटूट आस्था ने उन्हें मजबूती दी। वे कभी एक-दूसरे के खिलाफ नहीं हुए—ट्वेन ने कभी ओलिविया पर आवाज़ नहीं उठाई, और ओलिविया ने कभी उन्हें डाँटा नहीं। ट्वेन ओलिविया की सुरक्षा को लेकर बेहद संवेदनशील थे। जब एक दोस्त ने मज़ाक में ओलिविया के बारे में कुछ कहा, तो ट्वेन ने लगभग उससे दोस्ती तोड़ दी।

जब ट्वेन साठ साल की उम्र में दुनिया की यात्रा पर निकले, तो ओलिविया—जो जानती थीं कि उन्हें हमेशा देखभाल की ज़रूरत है—सब कुछ छोड़कर उनके साथ चली गईं।

18 Feb, 03:39
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1 साल में अपनी जिंदगी बदलो:-

(1). नकारात्मक लोगो के साथ मत रहो ।

(2). विनम्र रहो ।

(3). अपने Goals के प्रति ईमानदार बनो ।

(4). गलतियो से सीखो ।

(5). नई Skills सीखो ।

(6). अपने आप मे इन्वेस्ट करो ।

इन सब काम को करके आप अपनी
जिंदगी पूरी तरह बदल सकते है ।


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18 Feb, 03:35
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**"एक व्यक्ति जिस सबसे बड़ी पीड़ा से गुजर सकता है, वह भूख, गरीबी, या यहां तक कि मृत्यु नहीं है, बल्कि उस दुनिया में प्रेम करना है जो उनके प्रेम को स्वीकार नहीं करती—अपना दिल पूरी तरह से देना और बदले में केवल खालीपन और मौन प्राप्त करना।

हमारे भीतर एक डरावना विरोधाभास है: हम प्रेम चाहते हैं, फिर भी उससे डरते हैं; हम नजदीकी चाहते हैं, फिर भी उससे भागते हैं; हम दूसरे को आदर करते हैं, फिर भी उन पर शक करते हैं। यह कैसी मूर्खता है, जो हमें उन लोगों से चिपकने पर मजबूर करती है जो हमें छोड़ जाते हैं और उन्हें नजरअंदाज करने के लिए जो हमारे साथ रहते हैं?

मैं सोचता हूं: क्या प्रेम हमारी ताकत का परीक्षण है या हमारी कमजोरी का प्रकटीकरण? और क्या वह अकेलापन जिससे हम बचना चाहते हैं, बस उस प्रेम का प्राकृतिक परिणाम है जो कभी बदला नहीं गया?"**

— "द ब्रदर्स करामाज़ोव" उपन्यास से ✍🏼 फ्योडोर दोस्तोएव्स्की

16 Feb, 14:20
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