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▢ कारण :
- राज्य में संवैधानिक तंत्र विफल होना।
- विधानसभा में बहुमत साबित न कर पाना।
- चुनाव न हो पाना (युद्ध, आपदा आदि)।
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▢ राज्यपाल की रिपोर्ट:
- राज्यपाल केंद्र को स्थिति की रिपोर्ट भेजते हैं।
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▢ केंद्रीय मंत्रिमंडल की सिफारिश:
- प्रधानमंत्री और कैबिनेट राष्ट्रपति को अनुच्छेद 356 लागू करने का सुझाव देते हैं।
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▢ राष्ट्रपति की घोषणा:
- राष्ट्रपति शासन लागू होता है।
- राज्य सरकार भंग, विधानसभा निलंबित/भंग।
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▢ संसदीय अनुमोदन:
- 2 महीने के भीतर संसद के दोनों सदनों से मंजूरी जरूरी।
- लोकसभा और राज्यसभा में साधारण बहुमत से पास होना चाहिए।
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▢ अवधि और विस्तार:
- पहले 6 महीने: बिना संसदीय मंजूरी के।
- 6 महीने के बाद: हर 6 महीने पर संसद की मंजूरी जरूरी (अधिकतम 3 वर्ष तक)।
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▢ न्यायिक समीक्षा:
- सुप्रीम कोर्ट फैसले को चुनौती दे सकता है (जैसे 1994 का बोम्मई केस)।
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▢ परिणाम:
1. राज्य का प्रशासन राज्यपाल के माध्यम से केंद्र सरकार चलाती है।
2. विधानसभा भंग होने पर 6 महीने के भीतर चुनाव अनिवार्य।
### महत्वपूर्ण नोट्स:
- 44वाँ संशोधन (1978): 1 साल से ज्यादा विस्तार के लिए संसद के दोनों सदनों का बहुमत जरूरी।
- सरकारिया आयोग: "राजनीतिक दुरुपयोग" रोकने के लिए सख्त दिशा-निर्देश।
- उदाहरण:
- जम्मू-कश्मीर (1990–1996): 6 साल 264 दिन तक राष्ट्रपति शासन।
- उत्तराखंड (2016): 3 महीने के लिए लागू।
### फ्लोचार्ट का सारांश:
ट्रिगर → राज्यपाल की रिपोर्ट → केंद्र की सिफारिश → राष्ट्रपति की घोषणा → संसदीय मंजूरी → न्यायिक समीक्षा → प्रभाव
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