भीड़ किसी की सुन नहीं रही है और प्रशासन की बोलते-बोलते सांसे फूल रही हैं।
ट्रेनो पर अत्यधिक दबाव हैं, प्रयाग को जोड़ने वाला हर सड़क मार्ग वाहनों से ओवरलोड हैं।
प्रतीक्षा करना चाहिए सभी को, धीरे-धीरे प्रयाग से निकलें क्योंकि आपके 2-3 दिन घर देरी से पहुंचने से आपका घर कहीं भाग नहीं जायेगा। हो सकता है कुछ महत्वपूर्ण जिम्मेदारीयां हो वहां, पर आपके और आपके साथ चलने वालों के जीवन से अधिक महत्वपूर्ण कुछ भी नहीं है।
ट्रेनों की, बसों की और सड़को की अपनी क्षमतायें हैं। 15 करोड़ यात्रीयों का विश्व के किसी भी शहर में न तो एक साथ प्रवेश संभव है न ही निकास। भीड़ प्रशासन की सुन ही नहीं रही हैं और परिजन भटक रहे हैं। फेसबुक पर लोग उन्हें खोजने की पोस्ट कर रहे हैं।
प्रतीक्षा कीजिये प्लीज !
प्रयाग के लोकल लोगों ने भी मदद हेतु अपने घरों तक के दरवाजे खोल दियें हैं, स्कूल-कॉलेजों को खुलवा दिया गया है, विश्वविद्यालय ठहरने के लिये खुल चुका हैं।