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Zuletzt aktualisiert 06.03.2025 21:10
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हिंदू पैट्रियट💕🩵
○●ब्रिटिश इंडियन एसोसिएशन का अंग्रेजी मुख्य पत्र हिंदू पैट्रियट 1853 में गिरीश चंद्र घोष के संपादन में प्रारंभ हुआ ।
●○1855 में हरिश्चंद्र मुखर्जी इसके संपादक बन गए जिन्होंने निर्भीकता के साथ नील बागान मालिकों की अत्याचारों की पोल खोली और किसानों के प्रति सहानुभूति प्रकट की ।
○●1861 में उनकी मृत्यु के बाद क्रिस्टोदास पाल ने संपादन की जिम्मेदारी संभाली। ब्रिटिश शासन के प्रशंसक होने के कारण क्रिस्टोदास के प्रभाव में हिंदू पैट्रियट मध्यवर्गीय बंगाली जमीदारी के हितों का समर्थक बन गया ।
●○क्रिस्टो दास को मनमोहन घोष तथा द्वारिका नाथ टैगोर की सहायता भी मिली ।
Ⱥղէąҍվą ʂìղցհ🩵💕
https://t.me/+lNkJ3cRsAKpkNWI1
○●ब्रिटिश इंडियन एसोसिएशन का अंग्रेजी मुख्य पत्र हिंदू पैट्रियट 1853 में गिरीश चंद्र घोष के संपादन में प्रारंभ हुआ ।
●○1855 में हरिश्चंद्र मुखर्जी इसके संपादक बन गए जिन्होंने निर्भीकता के साथ नील बागान मालिकों की अत्याचारों की पोल खोली और किसानों के प्रति सहानुभूति प्रकट की ।
○●1861 में उनकी मृत्यु के बाद क्रिस्टोदास पाल ने संपादन की जिम्मेदारी संभाली। ब्रिटिश शासन के प्रशंसक होने के कारण क्रिस्टोदास के प्रभाव में हिंदू पैट्रियट मध्यवर्गीय बंगाली जमीदारी के हितों का समर्थक बन गया ।
●○क्रिस्टो दास को मनमोहन घोष तथा द्वारिका नाथ टैगोर की सहायता भी मिली ।
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विक्रमशिला विश्वविद्यालय (शिला संगम) :-
उत्खनन वी.एस. वर्मा, स्थिति - गंगा के तट पर।
यह नालन्दा के समान अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त शिक्षा केन्द्र था। अद्यतन इसके खण्डहर अवशेष अन्तीचक (पत्थरघाट पहाड़ी, भागलपुर-बिहार) से प्राप्त होते है। विक्रमशिला के महाविहार की स्थापना पाल शासक धर्मपाल (उपाधि-विक्रमशील) ने (770ई-810ई) में की थी तथा देवपाल के समय इसका विकास हुआ।
स्थापना के पश्चात पाल वंशी शासकों द्वारा नियमित संरक्षण के कारण यह चार शताब्दियों तक अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त शिक्षा केन्द्र बना रहा। यहाँ 6 महाविद्यालय तथा प्रत्येक महाविद्यालय में 108 शिक्षक नियुक्त थे (कुल 648)।
महाविद्यालय के केन्द्रीय कक्ष को 'विज्ञान भवन' कहा जाता था। महाविद्यालयों से सम्बन्धित आचार्यों की नाम पट्टिका, तत्सम्बन्धी महाविद्यालय के द्वार पर लगी रहती थी इन्हें 'द्वार पण्डित' कहा जाता था ।
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उत्खनन वी.एस. वर्मा, स्थिति - गंगा के तट पर।
यह नालन्दा के समान अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त शिक्षा केन्द्र था। अद्यतन इसके खण्डहर अवशेष अन्तीचक (पत्थरघाट पहाड़ी, भागलपुर-बिहार) से प्राप्त होते है। विक्रमशिला के महाविहार की स्थापना पाल शासक धर्मपाल (उपाधि-विक्रमशील) ने (770ई-810ई) में की थी तथा देवपाल के समय इसका विकास हुआ।
स्थापना के पश्चात पाल वंशी शासकों द्वारा नियमित संरक्षण के कारण यह चार शताब्दियों तक अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त शिक्षा केन्द्र बना रहा। यहाँ 6 महाविद्यालय तथा प्रत्येक महाविद्यालय में 108 शिक्षक नियुक्त थे (कुल 648)।
महाविद्यालय के केन्द्रीय कक्ष को 'विज्ञान भवन' कहा जाता था। महाविद्यालयों से सम्बन्धित आचार्यों की नाम पट्टिका, तत्सम्बन्धी महाविद्यालय के द्वार पर लगी रहती थी इन्हें 'द्वार पण्डित' कहा जाता था ।
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Happyyyy diwali🥂
मेरे राम जी के प्रान प्रतिष्ठा की पहली वर्षगांठ 🙏
मेरे राम जी के प्रान प्रतिष्ठा की पहली वर्षगांठ 🙏
💐 शिवशक्ति 💐
🚩सहजानंद सरस्वती बिहार प्रांतीय किसान सभा के संस्थापक थे.
🚩1936 में लखनऊ में अखिल भारतीय किसान सभा की स्थापना हुई.
🚩प्रथम अखिल भारतीय किसान सभा की अध्यक्षता स्वामी सहजानंद सरस्वती ने की , तथा एन . जी . रंगा को इसका महासचिव नियुक्त किया गया।
🚩राजकुमार शुक्ल चंपारण के किसान थे , जिन्होंने गांधी जी को चंपारण के किसानों की दयनीय दशा से अवगत कराया.
🚩बाबा रामचन्द्र दास के प्रयासों से 1920 ई . में अवध किसान सभा का गठन हुआ
🚩सहजानंद सरस्वती बिहार प्रांतीय किसान सभा के संस्थापक थे.
🚩1936 में लखनऊ में अखिल भारतीय किसान सभा की स्थापना हुई.
🚩प्रथम अखिल भारतीय किसान सभा की अध्यक्षता स्वामी सहजानंद सरस्वती ने की , तथा एन . जी . रंगा को इसका महासचिव नियुक्त किया गया।
🚩राजकुमार शुक्ल चंपारण के किसान थे , जिन्होंने गांधी जी को चंपारण के किसानों की दयनीय दशा से अवगत कराया.
🚩बाबा रामचन्द्र दास के प्रयासों से 1920 ई . में अवध किसान सभा का गठन हुआ
एक अच्छी पुस्तक हजार दोस्तों के बराबर होती है, और एक अच्छा दोस्त एक लाइब्रेरी (पुस्तकालय) के बराबर होता है"।
:- ए.पी. जे. अब्दुल कलाम जी
:- ए.पी. जे. अब्दुल कलाम जी
इन्हें नोट कर लें - कभी कभार यहां से एक आध सवाल आ जाता है।
अधिकतर पुस्तक और सम्बन्धित लेखक के ऊपर जो सवाल आए हैं वे सुमेलित करने वाले ही आए है, यदि एक का भी ध्यान होगा तो भी एलिमिनेशन से सवाल सॉल्व हो जाएगा।
कुछ महत्त्वपूर्ण पुस्तके एवं उनके लेखक
1) मास्टर ऑफ बंगाल :क्लाइव एंड हिज इंडिया - पर्सीवल स्पीयर।
2) राइज एंड एक्सपेंसन ऑफ ब्रिटिश डोमिनियन इन इंडिया - अल्फ्रेड लॉयल।
3) राइज एंड फुलफिलमेंट ऑफ ब्रिटिश रूल इन इंडिया - थॉम्पसन एंड गैरेट।
4) द डिसीसीव बैटल्स ऑफ इंडिया - जी बी मासेसन।
5) द मैन हू रूल्ड इंडिया - फिलिप वूड्रफ।
6) द इंग्लिंश इन इंडिया - जॉन मेरियट।
7) पार्टीज एंड पॉलिटिक्स एट द मुगल कोर्ट - सतीश चंद्रा।
8) द एग्रेरियन सिस्टम ऑफ मुगल इंडिया - इरफान हबीब।
9) हिस्ट्री ऑफ द सिख - जे डी कनिंघम।
10) द सिख - खुशवंत सिंह।
11) हिस्ट्री ऑफ मराठास - ग्रांट डफ।
12) हिस्ट्री ऑफ टीपू सुल्तान - मोहिबुल हसन।
13) कन्सीडेरेसन ऑफ इंडियन एफेयर्स - विलियम बोल्टस।
14) ब्रिटिश पैरामाउंटसी एंड द इंडियन रिनेसां - आर सी मजूमदार।
15) सिविल रिबेलियन इन द म्यूटिनीस 1857-59 - शशि भूषण चौधरी।
16) द लैंड सिस्टम ऑफ ब्रिटिश इंडिया - बेडेन पॉवेल।
17) द इंडियन मुसलमान - विलियम हंटर।
18) द नेटिव स्टेटस ऑफ इंडिया - ली वार्न:
19) स्टोरी ऑफ इन्टेगेरेसन ऑफ द इंडियन स्टेट्स - वी पी मेनन।
20) इंडिया अंडर कर्जन एंड आफ्टर .- लॉवेट फ्रेजर।
https://t.me/dreamshinganiaOm
अधिकतर पुस्तक और सम्बन्धित लेखक के ऊपर जो सवाल आए हैं वे सुमेलित करने वाले ही आए है, यदि एक का भी ध्यान होगा तो भी एलिमिनेशन से सवाल सॉल्व हो जाएगा।
कुछ महत्त्वपूर्ण पुस्तके एवं उनके लेखक
1) मास्टर ऑफ बंगाल :क्लाइव एंड हिज इंडिया - पर्सीवल स्पीयर।
2) राइज एंड एक्सपेंसन ऑफ ब्रिटिश डोमिनियन इन इंडिया - अल्फ्रेड लॉयल।
3) राइज एंड फुलफिलमेंट ऑफ ब्रिटिश रूल इन इंडिया - थॉम्पसन एंड गैरेट।
4) द डिसीसीव बैटल्स ऑफ इंडिया - जी बी मासेसन।
5) द मैन हू रूल्ड इंडिया - फिलिप वूड्रफ।
6) द इंग्लिंश इन इंडिया - जॉन मेरियट।
7) पार्टीज एंड पॉलिटिक्स एट द मुगल कोर्ट - सतीश चंद्रा।
8) द एग्रेरियन सिस्टम ऑफ मुगल इंडिया - इरफान हबीब।
9) हिस्ट्री ऑफ द सिख - जे डी कनिंघम।
10) द सिख - खुशवंत सिंह।
11) हिस्ट्री ऑफ मराठास - ग्रांट डफ।
12) हिस्ट्री ऑफ टीपू सुल्तान - मोहिबुल हसन।
13) कन्सीडेरेसन ऑफ इंडियन एफेयर्स - विलियम बोल्टस।
14) ब्रिटिश पैरामाउंटसी एंड द इंडियन रिनेसां - आर सी मजूमदार।
15) सिविल रिबेलियन इन द म्यूटिनीस 1857-59 - शशि भूषण चौधरी।
16) द लैंड सिस्टम ऑफ ब्रिटिश इंडिया - बेडेन पॉवेल।
17) द इंडियन मुसलमान - विलियम हंटर।
18) द नेटिव स्टेटस ऑफ इंडिया - ली वार्न:
19) स्टोरी ऑफ इन्टेगेरेसन ऑफ द इंडियन स्टेट्स - वी पी मेनन।
20) इंडिया अंडर कर्जन एंड आफ्टर .- लॉवेट फ्रेजर।
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सीरत-ए-फिरोजशाही :-
●फारसी की इस रचना को किसी अज्ञात लेखक ने 1370 ई. में फिरोज तुगलक के समय लिखा था।
●इसमें फिरोज के शासन के प्रारम्भिक वर्षों तथा सांस्कृतिक उपलब्धियों का विश्वसनीय विवरण दिया गया है।
●आगा मेहदी हुसैन के अनुसार यह फुतुहत-ए-फिरोजशाही का गद्य में एक वृहत्त संस्करण है। यह 4 अध्यायों में विभाजित है।
- प्रथम अध्याय में थट्टा में फिरोज के सिंहासनारोहण से लेकर सिन्ध अभियान तक की घटनाओं का वर्णन तिथिक्रम से दिया गया है।
●जाजनगर अभियान का विलक्षण वर्णन एकमात्र इसी रचना में मिलता है
●तीसरे अध्याय में फिरोज द्वारा निर्मित नहरों का विस्तृत वर्णन है।
●अन्तिम अध्याय में, ज्योतिष सम्बन्धी चार्टों व हथियारों का वर्णन मिलता है।
● साथ ही इसमें विभिन्न विषयों पर लिखी गई पुस्तकों (जैसे- चिकित्सा शास्त्र पर तिब्ब-ए-फिरोजशाही) के | योगदान की चर्चा की गई है।
● इसमें विशेष रूप से फिरोज द्वारा दिल्ली लाए गए अशोक स्तम्भों का विस्तार से सचित्र वर्णन मिलता है।
.https://t.me/+lNkJ3cRsAKpkNWI1.
●फारसी की इस रचना को किसी अज्ञात लेखक ने 1370 ई. में फिरोज तुगलक के समय लिखा था।
●इसमें फिरोज के शासन के प्रारम्भिक वर्षों तथा सांस्कृतिक उपलब्धियों का विश्वसनीय विवरण दिया गया है।
●आगा मेहदी हुसैन के अनुसार यह फुतुहत-ए-फिरोजशाही का गद्य में एक वृहत्त संस्करण है। यह 4 अध्यायों में विभाजित है।
- प्रथम अध्याय में थट्टा में फिरोज के सिंहासनारोहण से लेकर सिन्ध अभियान तक की घटनाओं का वर्णन तिथिक्रम से दिया गया है।
●जाजनगर अभियान का विलक्षण वर्णन एकमात्र इसी रचना में मिलता है
●तीसरे अध्याय में फिरोज द्वारा निर्मित नहरों का विस्तृत वर्णन है।
●अन्तिम अध्याय में, ज्योतिष सम्बन्धी चार्टों व हथियारों का वर्णन मिलता है।
● साथ ही इसमें विभिन्न विषयों पर लिखी गई पुस्तकों (जैसे- चिकित्सा शास्त्र पर तिब्ब-ए-फिरोजशाही) के | योगदान की चर्चा की गई है।
● इसमें विशेष रूप से फिरोज द्वारा दिल्ली लाए गए अशोक स्तम्भों का विस्तार से सचित्र वर्णन मिलता है।
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