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इतिहास ज्ञान गंगा

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इतिहास ज्ञान गंगा (Hindi)

इतिहास ज्ञान गंगा नामक टेलीग्राम चैनल एक महासागर है जो विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं जैसे PGT/TGT/UGC NET/UPSC के लिए इतिहास की तैयारी करने वाले छात्रों के लिए जानकारियों और सामग्रियों को एकत्रित करता है। इस चैनल में विभिन्न इतिहास विषयों के पिछले वर्षों के प्रश्नों को साझा किया जाएगा, जो छात्रों के लिए महत्वपूर्ण है।nnइस चैनल के मालिक @Sumit219 हैं, जिन्हें संपर्क करने के लिए आप पेड प्रमोशन के लिए @sumit219 पर संपर्क कर सकते हैं। तो इतिहास की तैयारी में मदद की ज़रूरत है? तो इतिहास ज्ञान गंगा टेलीग्राम चैनल को आज ही ज्वाइन करें और अपने लक्ष्यों की दिशा में एक कदम आगे बढ़ें।

इतिहास ज्ञान गंगा

14 Jan, 16:28


तृतीय आंग्ल मराठा युद्ध के कारण

इतिहास ज्ञान गंगा

14 Jan, 14:53


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इतिहास ज्ञान गंगा

14 Jan, 14:12


❤️

इतिहास ज्ञान गंगा

14 Jan, 14:00


संगम क्षेत्र प्रयाग में आस्था का सैलाब❤️🙏

इतिहास ज्ञान गंगा

13 Jan, 18:33


सभी को मकर संक्रांति की ढेरो शुभकामनाएं

इतिहास ज्ञान गंगा

13 Jan, 18:15


बस एक लक्ष्य साध कर गगन की ओर उड़ चलो,
घटा घिरी अटूट हो मगर सदा सबल रहो।

कमी कहाँ पे रह गई विचार इसपे तुम करो,
ये स्वप्न भी न देखना कि तुम कभी विफल रहो।

बड़ा विचित्र शत्रु है मनुष्य का निराश मन,
उदासियों को त्याग कर सबल रहो, प्रबल रहो।😊🔥

इतिहास ज्ञान गंगा

13 Jan, 14:30


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इतिहास ज्ञान गंगा

04 Jan, 17:17


कथन A- बौद्ध धर्म अपने ब्राह्मणवादी,विरोधवादी चरित्र के बावजूद, जाति व्यवस्था और अस्पृश्यता के खिलाफ कोई शक्तिशाली संघर्ष नहीं किया

कारण -R - चांडाल और निषाद, जो मूल रूप से आदिवासी थे, बौद्धों द्वारा भी अछूत माने जाते थे।

सही कूट :-

इतिहास ज्ञान गंगा

04 Jan, 10:50


गज -ए -सिकंदरी -39 अंगुल

गज -ए -इलाही- 41अंगुल

इतिहास ज्ञान गंगा

04 Jan, 07:34


राजिया सुलतान के संबंध में प्रसिद्ध उद्धरण::

* मिनहासुद्दीन सिराज "वह महान् शासिका, बुद्धिमान, -ईमानदार, उदार, शिक्षा की पोषक, न्याय करने वाली, प्रजापालक तथा युद्धप्रिय थी। उसमें वे सभी प्रशंसनीय गुण थे जो एक राजा में होने चाहिए लेकिन ये गुण उसके किस काम के जब एक स्त्री के रूप में पैदा हुई थी, इसी कारण मर्दों की दृष्टि में उसके सब गुण बेकार थे।"

ईश्वर टोपा - " अबीसिनीया के निवासी गुलाम याकूत के प्रति उसका रुझान कोई अपराध नहीं था परन्तु राजनीति के क्षेत्र में इसका परिणाम हुआ - तुर्की दल व सुल्तान के बीच वैमनस्य । रजिया-याकूत सम्बन्ध, चालीसा के लिए असहनीय थे जिन्हें रजिया द्वारा अपमान व अवहेलना सहनी पड़ी थी, इसी कारण उसके राज्य का विनाशकारी अन्त हुआ।

* के.ए. निजामी - "याकूत को प्रोत्साहन देना उसके चरित्र पर एक सन्देहजनक प्रकाश डालता है, यह मत निराधार है। इस बात से इन्कार नहीं किया जा सकता कि इल्तुतमिश के उत्तराधिकारियों में वह सबसे श्रेष्ठ थी।

इसामी -" एक महिला एक शासक के रूप में अपने दायित्व का भलीभांति निर्वाह नहीं कर सकती थी क्योंकि मूलभूत रूप से उसमें बुद्धि सम्पन्नता की कमी है। रजिया सुल्तान को सिंहासन पर बैठने की बजाय चरखा सम्भालना चाहिए था। "

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इतिहास ज्ञान गंगा

03 Jan, 12:38


विश्व के लिए चीन से आई एक नई आफत I

इतिहास ज्ञान गंगा

07 Dec, 13:29


Most important

इतिहास ज्ञान गंगा

06 Dec, 18:33


📢 बड़ी खबर ♨️🔥

85 नए केंद्रीय विद्यालय
28 नए नवोदय विद्यालय

मोदी सरकार ने किए मंजूर, NVS और KVS में PRT/TGT/ PGT और Non Teaching पदों पर हजारो की संख्या में होंगी भर्तियां।

इतिहास ज्ञान गंगा

06 Dec, 15:41


(Important fact file)

• ऋग्वेद में कवच एवं शिरस्त्राण (हेलमेट) का उल्लेख मिलता है जो लोहे के बने थे ( IAS : 17 )
• ऋग्वेद में एक स्थान पर कवच तथा शत्रुओं से सुरक्षित लौह दुर्ग बनाने के लिए सोम का आह्वान किये जाने का प्रमाण मिलता है।
• ऋग्वेद में गालव नामक ऋषि की चर्चा है। जिसने पाञ्चाल नरेश दिवोदास को दाशराज्ञ युद्ध में लोहे की तलवारें देकर सहायता की थी (
T.GT. : 02 )
• कन्नौज नरेश अष्टक ने अपने पुत्र का नाम लौही रखा था।
• बाजसनेयी संहिता में 'लोहे' तथा 'श्याम' शब्द प्रयुक्त हुआ है। विद्वानों ने श्याम शब्द का अर्थ लोहा माना है।
• अथर्ववेद में लोहामस व श्यामअयस शब्द मिलता है। श्याम अयस का तात्पर्य लौह धातु से है।


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इतिहास ज्ञान गंगा

06 Dec, 12:20


सत्याग्रह

भारतीय राजनीति को गांधीजी की एक महत्वपूर्ण देन 'सत्याग्रह' है। सत्याग्रह संस्कृत भाषा का शब्द है जो 'सत्य' और 'आग्रह' दो शब्दों से मिलकर बना है और जिसका अर्थ है 'सत्य के लिए आग्रह करना'।
सत्य का अर्थ 'उचित और न्यायपूर्ण' होता है  और  आग्रह का अर्थ है 'किसी वस्तु को इतनी शक्ति और धैर्य से पकड़ना कि वह वस्तु व्यक्ति के व्यक्तित्व का एक भाग बन जाये और उस वस्तु की रक्षा के लिए सभी प्रकार के विरोधों को सहन करना'।
     इस प्रकार, सत्याग्रह वह कार्य है जिसे एक व्यक्ति न्याय और सत्य की रक्षा के लिए अनेक कठिनाइयों के होते हुए भी करने को तत्पर रहे। सत्याग्रह अहिंसा पर आधारित है। इस कारण गांधी जी का कहना था कि "एक व्यक्ति को सत्य की रक्षा और अत्याचार का विरोध मृत्युपर्यंत करना चाहिए और साथ ही साथ विरोधी को भी कोई हानि नहीं पहुँचनी चाहिए।"
            गांधीजी सत्याग्रह और निष्क्रिय विरोध(Passive Resistance) में अंतर मानते थे।
उनके अनुसार 'निष्क्रिय विरोध' एक राजनीतिक उद्देश्य की पूर्ति के लिए अवसरवादी एवं दुर्बल का हथियार होता है, वह भय और घृणा पर आधारित हो सकता है, वह आवश्यकता होने पर हिंसा में भी परिवर्तित हो सकता है और उससे नैतिक पतन भी संभव है,
जबकि
' सत्याग्रह' एक आध्यात्मिक हथियार होता है, इसे वही व्यक्ति अपना सकता है जो नैतिक दृष्टि से श्रेष्ठ है। यह मनुष्य-मात्र से प्रेम करने पर आधारित होता है, इसमें विरोधी के प्रति घृणा की भावना नहीं होती, यह कभी हिंसा में परिवर्तित नहीं हो सकता और यह सर्वदा नैतिकता की उन्नति करता है।
सत्याग्रह और अहिंसा को सम्मिलित करके गांधी ने 'असहयोग आंदोलन'(Non-cooperation movement)और 'सविनय अवज्ञा आंदोलन'(Civil Disobedience Movement) को जन्म दिया।
'असहयोग'का अर्थ है कि पीड़ित व्यक्ति अत्याचारी से और उसके अत्याचार से सहयोग करना बंद कर देता है।
      'सविनय अवज्ञा' का अर्थ है कि नागरिक, सरकार के अत्याचारी कानूनों को मानने से इंकार कर देता है और जब तक वह कानून बदल नहीं जाते तब तक वह प्रसन्नता से कानूनों को तोड़ने से जो दंड मिलता है,उसे सहन करता है।
      1953 ई. में , गांधीजी के विचार और उनकी पूर्ति के साधन'पर हुई एक गोष्ठी(Seminar on Gandhian Outlook and Technique) में 'सत्याग्रह' के विषय में गांधी जी के विचारों को और भी स्पष्ट किया गया। इसमें यह बताया गया कि गांधीजी को मानव प्रकृति की अच्छाई में पूर्ण विश्वास था। वह अपने विरोधी से भी अच्छा संबंध स्थापित करने के पक्ष में थे, उनको ठीक मार्ग पर लाने में विश्वास करते थे और उनको करने के लिए कितनी भी यातनाएं सहन करने को तत्पर रहते थे। इस प्रकार, गांधीजी ने प्रेम, सद्भावना, सत्य और अहिंसा पर आधारित 'सत्याग्रह' को अपने लक्ष्य की पूर्ति का साधन बनाया था।

Note : 1953 ई. में' गाँधीजी के दृष्टिकोण और साधनों पर विचार करने वाली गोष्ठी' (Seminar on Gandhian Outlook and Techniques) हुई थी जिसमें 9 देशों ने भाग लिया था।

" संसार को इस समय एक ओर एटम बम और दूसरी ओर महात्मा गांधी की अहिंसा इन दोनों में से एक को चुनना है और यह निर्णय उनके लिए जीवन और मृत्यु का प्रश्न है।"- Mr. Holmes

"महात्मा गाँधी गौतम बुद्ध के पश्चात के समय के सबसे महान् भारतीय थे और ईसा मसीह के पश्चात के सबसे महान् व्यक्ति थे।"- Mr. Holmes

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इतिहास ज्ञान गंगा

19 Nov, 18:45


3 मूर्तियां

इतिहास ज्ञान गंगा

19 Nov, 15:24


जीवन के प्रति ऐसा दृष्टिकोण अद्भुत है 🍸🍀❤️

इतिहास ज्ञान गंगा

18 Nov, 14:25


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इतिहास ज्ञान गंगा

02 Nov, 15:34


टीपू सुल्तान:समय के साथ बदलने की उसकी इच्छा के प्रतीक थे-

Old ncert 12th class

इतिहास ज्ञान गंगा

02 Nov, 13:29


🔸🔸स्वतंत्रता के पूर्व (शिक्षा का विकास)

1. चार्टर अधिनियम (1813)

2. लॉर्ड मैकॉले का स्मरण-पत्र (1835)

3. चार्ल्स वुड का डिस्पैच (1854)

4. हंटर शिक्षा आयोग (1882)

5. रैले आयोग (1902)

6. सैडलर आयोग (1917-1919)

7. हार्टोंग समिति (1929)

8. सार्जेंट योजना (1944)

....💐❤️🔱

इतिहास ज्ञान गंगा

02 Nov, 13:20


सिंध का अधिग्रहण

Old ncert 12th class


काम तो बुरे ही किये लेकिन बातें तो अच्छी कर ले अच्छी बातें करने में जा क्या रहा है 😁😁😁

इतिहास ज्ञान गंगा

02 Nov, 07:24


विदेशी वृतांत

यूनान और रोम के लेखक


पुर्व सिकंदर कालीन लेखक -स्काईलैक्स, हिकेटियस, टीसियस, हेरोडोटस

यूनानी स्रोतों में पांचवी शताब्दी ईसा पूर्व में पहली बार भारत का उल्लेख हुआ।

~ स्काईलैक्स पहला यूनानी था जिसने भारत पर पुस्तक लिखी। हेरोडोटस के अनुसार ईरान के राजा दारा प्रथम(522-486BC) ने अपने यूनानी नौ सेनाध्यक्ष स्काईलैक्स(Scylax) को समुद्री मार्ग से 517 ईसवी पूर्व में यह मालूम करने के लिए भेजा था कि सिंधु नदी समुद्र में कहां पर गिरती है। स्काईलेक्स अपनी यात्रा में अनुमानतः  निचली  काबुल घाटी, कश्मीर के कुछ हिस्सों और सिंधु देश के बहुत से भागों से गुजरा था। स्काईलेक्स ने भारतीयों के बारे में विचित्र किसे फैलाये, यद्यपि उसकी पुस्तक के बारे में हमें कुछ कम जानकारी है।

~हिकेटियस (549-486 BC) एक पूराविद् और भूगोलवेत्ता था। उसके ग्रंथ 'ज्योग्राफी' में कुछ भारतीय नामों का उल्लेख है। हिकेटियस ने लिखा है कि सिन्धु के पार रेगिस्तान है।

~ टीसियस(416-398 BC) ईरान का राजवैद्य था तथा उसने ईरानी अधिकारियों द्वारा ही भारत के विषय में जानकारी प्राप्त की थी परंतु उसका विवरण आश्चर्यजनक कहानियों से परिपूर्ण होने के कारण अविश्वसनीय हो गया है। इसने भारत पर 'इण्डिका एवं फारस पर 'पर्शिका' नामक बुक लिखी।

~ हेरोडोटस(484-430BC) को 'इतिहास का पिता' कहा जाता है। उसने अपनी पुस्तक 'Historica'  में पांचवीं शताब्दी ईसा पूर्व के भारत- फारस के संबंध का वर्णन किया है। उसका विवरण अधिकांशतः  अनुश्रुतियों तथा अफवाहों पर आधारित है।
" हेरोडोटस की रचनाओं में बहुत उटपटांग भरा पड़ा है।"- स्ट्राबो
" हेरोडोटस इतिहास का जनक है"- सिसेरो

हेरोडोटस के अनुसार भारत(सिन्धु नदी के पश्चिम का भाग) दारा प्रथम के साम्राज्य का 20 वां भाग/प्रांत था। यह सबसे घनी आबादी वाला प्रदेश था और यहां से दारा को उसके संपूर्ण राजस्व  का तीसरा भाग(1/3) कर के रूप में प्राप्त होता था। यह धनराशि 360 टैलेण्ट(भार की इकाई) स्वर्ण-चूर्ण के बराबर थी।

" भारत में एक ऐसा पेड़ होता है जिस पर भेड़ से भी अधिक सुंदर ऊन उगती है"- हेरोडोटस


       

इतिहास ज्ञान गंगा

02 Nov, 06:59


📗ऋग् वैदिक कालीन आर्थिक जीवन📗

कृषि एवं पशुपालन अर्थव्यवस्था के मूल आधार थे।

लेकिन कृषि की तुलना में पशुपालन की प्रधानता थी।

● ऋग्वैदिक आर्यों के जीवन में पशुओं का महत्वपूर्ण स्थान था ,लेकिन कृषि कार्य भी होते थे। जिसकी पुष्टि ऋग्वेद में वर्णित कृषि से संबंधित 24 मंत्रों से होती है ।

< कुछ महत्वपूर्ण शब्दावली >

॰धनी व्यक्ति - गोमत
॰समय की माप -गोधूलि और संगव
॰गायों की खोज- गवेषणा
॰ दूरी की माप को- गोचर्मन
॰जन का नायक- गोजित
॰ पुत्री को- दुहितृ

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