Srila Prabhupada's Teachings @srilaprabhupadateaching Channel on Telegram

Srila Prabhupada's Teachings

@srilaprabhupadateaching


Hare Krishna!

Excerpts from the teachings of Srila Prabhupada and other Gaudiya Vaishnav Acharyas.

Srila Prabhupada's Teachings (English)

Are you searching for spiritual enlightenment and wisdom? Look no further than the Telegram channel 'Srila Prabhupada's Teachings'! This channel, with the username @srilaprabhupadateaching, is dedicated to sharing excerpts from the teachings of Srila Prabhupada and other Gaudiya Vaishnav Acharyas. Whether you are a seasoned follower of the Hare Krishna movement or a newcomer looking to explore the depths of Vedic philosophy, this channel offers a wealth of knowledge and inspiration. Srila Prabhupada, the founder of the International Society for Krishna Consciousness (ISKCON), was a spiritual leader and teacher who brought the teachings of Lord Krishna to the Western world. Through his discourses, writings, and translations, Srila Prabhupada guided countless individuals on the path of Bhakti yoga and devotion to God. By joining this Telegram channel, you will gain access to profound insights on topics such as meditation, karma, reincarnation, and the ultimate goal of life. The teachings of Srila Prabhupada and the Gaudiya Vaishnav Acharyas are timeless and universal, offering practical guidance for living a life of spiritual fulfillment and inner peace. Don't miss out on this opportunity to deepen your understanding of Vedic spirituality and connect with a community of like-minded individuals. Join 'Srila Prabhupada's Teachings' on Telegram today and embark on a transformative journey towards self-realization and enlightenment!

Srila Prabhupada's Teachings

24 Nov, 11:13


https://youtube.com/shorts/pSwHsFwRxBg?si=pIwIzTL2I8G-ZPgW

As a spiritual being... ~Srila Prabhupada

Srila Prabhupada's Teachings

17 Nov, 13:41


https://www.youtube.com/live/Rxcn-uK2BRY?si=rOJsR4VWbY8k4fwO

Srila Prabhupada's Teachings

12 Nov, 13:19


हरे कृष्ण
मंगलवार, उत्थान/प्रबोधिनी/हरिबोधिनी एकादशी
पारणा: बुधवार सुबह
6:52 से 10:31 वदोड़रा, सूरत, अमदावाद, खंभात
7:05 से 10:40 राजकोट, जामनगर, द्वारका

*Isckon Baroda daily Darshan and update Whatsapp group*
https://chat.whatsapp.com/K1pBwij2tzZD60F5JxlmWw
भगवान श्रीकृष्ण ने कहा: हे अर्जुन! मैं तुम्हें मुक्ति देनेवाली कार्तिक मास के शुक्लपक्ष की ‘प्रबोधिनी एकादशी’ के सम्बन्ध में नारद और ब्रह्माजी के बीच हुए वार्तालाप को सुनाता हूँ। एक बार नारादजी ने ब्रह्माजी से पूछा: ‘हे पिता! ‘प्रबोधिनी एकादशी’ के व्रत का क्या फल होता है, आप कृपा करके मुझे यह सब विस्तारपूर्वक बतायें।’
 
ब्रह्माजी बोले: हे पुत्र! जिस वस्तु का त्रिलोक में मिलना दुष्कर है, वह वस्तु भी कार्तिक मास के शुक्लपक्ष की ‘प्रबोधिनी एकादशी’ के व्रत से मिल जाती है। इस व्रत के प्रभाव से पूर्व जन्म के किये हुए अनेक बुरे कर्म क्षणभर में नष्ट हो जाते है। हे पुत्र! जो मनुष्य श्रद्धापूर्वक इस दिन थोड़ा भी पुण्य करते हैं, उनका वह पुण्य पर्वत के समान अटल हो जाता है। उनके पितृ विष्णुलोक में जाते हैं। ब्रह्महत्या आदि महान पाप भी ‘प्रबोधिनी एकादशी’ के दिन रात्रि को जागरण करने से नष्ट हो जाते हैं।
 
हे नारद! मनुष्य को भगवान की प्रसन्नता के लिए कार्तिक मास की इस एकादशी का व्रत अवश्य करना चाहिए। जो मनुष्य इस एकादशी व्रत को करता है, वह धनवान, योगी, तपस्वी तथा इन्द्रियों को जीतनेवाला होता है, क्योंकि एकादशी भगवान विष्णु को अत्यंत प्रिय है।
 
इस एकादशी के दिन जो मनुष्य भगवान की प्राप्ति के लिए दान, तप, होम, यज्ञ (भगवान्नामजप भी परम यज्ञ है। ‘यज्ञानां जपयज्ञोऽस्मि’। यज्ञों में जपयज्ञ मेरा ही स्वरुप है।’ - श्रीमद्भगवदगीता) आदि करते हैं, उन्हें अक्षय पुण्य मिलता है।
 
इसलिए हे नारद! तुमको भी विधिपूर्वक विष्णु भगवान की पूजा करनी चाहिए। इस एकादशी के दिन मनुष्य को ब्रह्ममुहूर्त में उठकर व्रत का संकल्प लेना चाहिए और पूजा करनी चाहिए। रात्रि को भगवान के समीप गीत, नृत्य, कथा-कीर्तन करते हुए रात्रि व्यतीत करनी चाहिए।
 
‘प्रबोधिनी एकादशी’ के दिन पुष्प, अगर, धूप आदि से भगवान की आराधना करनी चाहिए, भगवान को अर्ध्य देना चाहिए। इसका फल तीर्थ और दान आदि से करोड़ गुना अधिक होता है।
 
जो गुलाब के पुष्प से, बकुल और अशोक के फूलों से, सफेद और लाल कनेर के फूलों से, दूर्वादल से, शमीपत्र से, चम्पकपुष्प से भगवान विष्णु की पूजा करते हैं, वे आवागमन के चक्र से छूट जाते हैं। इस प्रकार रात्रि में भगवान की पूजा करके प्रात:काल स्नान के पश्चात् भगवान की प्रार्थना करते हुए गुरु की पूजा करनी चाहिए और सदाचारी व पवित्र ब्राह्मणों को दक्षिणा देकर अपने व्रत को छोड़ना चाहिए।
 
जो मनुष्य चातुर्मास्य व्रत में किसी वस्तु को त्याग देते हैं, उन्हें इस दिन से पुनः ग्रहण करनी चाहिए। जो मनुष्य ‘प्रबोधिनी एकादशी’ के दिन विधिपूर्वक व्रत करते हैं, उन्हें अनन्त सुख मिलता है और अंत में स्वर्ग को जाते हैं।

Srila Prabhupada's Teachings

12 Nov, 13:19


Glimpses of 84 Kos kartika Vrindavan Yatra 🤩

https://www.instagram.com/reel/DCLvUSQKqkZ/?igsh=eGliNm00MGw0bjRu

Glimpses of 84 Kos kartika Vrindavan Yatra 🤩

Hare Krishna dear devotees 🙏 by blessings of all yours we had completed our first 84 Kos Kartika Vrindavan yatra 🤩 thank you for your support.
Your Servant
Gaurangas Group

Srila Prabhupada's Teachings

27 Oct, 17:27


नृपश्रेष्ठ! इस प्रकार ‘रमा’ व्रत के प्रभाव से चन्द्रभागा दिव्य भोग, दिव्य रुप और दिव्य आभरणों से विभूषित हो अपने पति के साथ मन्दराचल के शिखर पर विहार करती है। राजन्! मैंने तुम्हारे समक्ष ‘रमा’ नामक एकादशी का वर्णन किया है। यह चिन्तामणि तथा कामधेनु के समान सब मनोरथों को पूर्ण करनेवाली है।

Srila Prabhupada's Teachings

27 Oct, 17:27


हरे कृष्ण
सोमवार, *रमा एकादशी*
*पारणा:* मंगलवार सुबह
6:42 से 10:27 वदोड़रा, सूरत, अमदावाद, खंभात
6:57 से 10:34 राजकोट, जामनगर, द्वारका

*Isckon Baroda daily Darshan and update Whatsapp group*

https://chat.whatsapp.com/K1pBwij2tzZD60F5JxlmWw


युधिष्ठिर ने पूछा: जनार्दन! मुझ पर आपका स्नेह है, अत: कृपा करके बताइये कि कार्तिक के कृष्णपक्ष में कौन सी एकादशी होती है?

भगवान श्रीकृष्ण बोले: राजन्! कार्तिक (गुजरात महाराष्ट्र के अनुसार आश्विन) के कृष्णपक्ष में ‘रमा’ नाम की विख्यात और परम कल्याणमयी एकादशी होती है। यह परम उत्तम है और बड़े-बड़े पापों को हरनेवाली है।

पूर्वकाल में मुचुकुन्द नाम से विख्यात एक राजा हो चुके हैं, जो भगवान श्रीविष्णु के भक्त और सत्यप्रतिज्ञ थे। अपने राज्य पर निष्कण्टक शासन करनेवाले उन राजा के यहाँ नदियों में श्रेष्ठ ‘चन्द्रभागा’ कन्या के रुप में उत्पन्न हुई। राजा ने चन्द्रसेनकुमार शोभन के साथ उसका विवाह कर दिया। एक बार शोभन दशमी के दिन अपने ससुर के घर आये और उसी दिन समूचे नगर में पूर्ववत् ढिंढ़ोरा पिटवाया गया कि: ‘एकादशी के दिन कोई भी भोजन न करे।’ इसे सुनकर शोभन ने अपनी प्यारी पत्नी चन्द्रभागा से कहा: ‘प्रिये! अब मुझे इस समय क्या करना चाहिए, इसकी शिक्षा दो।’

चन्द्रभागा बोली: प्रभो! मेरे पिता के घर पर एकादशी के दिन मनुष्य तो क्या कोई पालतू पशु आदि भी भोजन नहीं कर सकते। प्राणनाथ! यदि आप भोजन करेंगे तो आपकी बड़ी निन्दा होगी। इस प्रकार मन में विचार करके अपने चित्त को दृढ़ कीजिये।

शोभन ने कहा: प्रिये! तुम्हारा कहना सत्य है। मैं भी उपवास करुँगा। दैव का जैसा विधान है, वैसा ही होगा।

भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं: इस प्रकार दृढ़ निश्चय करके शोभन ने व्रत के नियम का पालन किया किन्तु सूर्योदय होते होते उनका प्राणान्त हो गया। राजा मुचुकुन्द ने शोभन का राजोचित दाह संस्कार कराया। चन्द्रभागा भी पति का पारलौकिक कर्म करके पिता के ही घर पर रहने लगी।

नृपश्रेष्ठ! उधर शोभन इस व्रत के प्रभाव से मन्दराचल के शिखर पर बसे हुए परम रमणीय देवपुर को प्राप्त हुए। वहाँ शोभन द्वितीय कुबेर की भाँति शोभा पाने लगे। एक बार राजा मुचुकुन्द के नगरवासी विख्यात ब्राह्मण सोमशर्मा तीर्थयात्रा के प्रसंग से घूमते हुए मन्दराचल पर्वत पर गये, जहाँ उन्हें शोभन दिखायी दिये। राजा के दामाद को पहचानकर वे उनके समीप गये। शोभन भी उस समय द्विजश्रेष्ठ सोमशर्मा को आया हुआ देखकर शीघ्र ही आसन से उठ खड़े हुए और उन्हें प्रणाम किया। फिर क्रमश: अपने ससुर राजा मुचुकुन्द, प्रिय पत्नी चन्द्रभागा तथा समस्त नगर का कुशलक्षेम पूछा।

सोमशर्मा ने कहा: राजन्! वहाँ सब कुशल हैं। आश्चर्य है! ऐसा सुन्दर और विचित्र नगर तो कहीं किसीने भी नहीं देखा होगा। बताओ तो सही, आपको इस नगर की प्राप्ति कैसे हुई?

शोभन बोले: द्विजेन्द्र! कार्तिक के कृष्णपक्ष में जो ‘रमा’ नाम की एकादशी होती है, उसीका व्रत करने से मुझे ऐसे नगर की प्राप्ति हुई है। ब्रह्मन्! मैंने श्रद्धाहीन होकर इस उत्तम व्रत का अनुष्ठान किया था, इसलिए मैं ऐसा मानता हूँ कि यह नगर स्थायी नहीं है। आप मुचुकुन्द की सुन्दरी कन्या चन्द्रभागा से यह सारा वृत्तान्त कहियेगा।

शोभन की बात सुनकर ब्राह्मण मुचुकुन्दपुर में गये और वहाँ चन्द्रभागा के सामने उन्होंने सारा वृत्तान्त कह सुनाया।

सोमशर्मा बोले: शुभे! मैंने तुम्हारे पति को प्रत्यक्ष देखा। इन्द्रपुरी के समान उनके दुर्द्धर्ष नगर का भी अवलोकन किया, किन्तु वह नगर अस्थिर है। तुम उसको स्थिर बनाओ।

चन्द्रभागा ने कहा: ब्रह्मर्षे! मेरे मन में पति के दर्शन की लालसा लगी हुई है। आप मुझे वहाँ ले चलिये। मैं अपने व्रत के पुण्य से उस नगर को स्थिर बनाऊँगी।

भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं: राजन्! चन्द्रभागा की बात सुनकर सोमशर्मा उसे साथ ले मन्दराचल पर्वत के निकट वामदेव मुनि के आश्रम पर गये। वहाँ ॠषि के मंत्र की शक्ति तथा एकादशी सेवन के प्रभाव से चन्द्रभागा का शरीर दिव्य हो गया तथा उसने दिव्य गति प्राप्त कर ली। इसके बाद वह पति के समीप गयी। अपनी प्रिय पत्नी को आया हुआ देखकर शोभन को बड़ी प्रसन्नता हुई। उन्होंने उसे बुलाकर अपने वाम भाग में सिंहासन पर बैठाया। तदनन्तर चन्द्रभागा ने अपने प्रियतम से यह प्रिय वचन कहा: ‘नाथ! मैं हित की बात कहती हूँ, सुनिये। जब मैं आठ वर्ष से अधिक उम्र की हो गयी, तबसे लेकर आज तक मेरे द्वारा किये हुए एकादशी व्रत से जो पुण्य संचित हुआ है, उसके प्रभाव से यह नगर कल्प के अन्त तक स्थिर रहेगा तथा सब प्रकार के मनोवांछित वैभव से समृद्धिशाली रहेगा।’

Srila Prabhupada's Teachings

23 Oct, 02:07


https://youtube.com/shorts/4gFIRaK2Lq0?si=UP9qVh3gqOYitCUq

Cooking you cannot stop. ~Srila Prabhupada

Srila Prabhupada's Teachings

01 Sep, 07:01


https://forms.gle/n2CYVfZ9CQyYUY7e7

Srila Prabhupada's Teachings

30 Aug, 20:59


bhagavān brahma kārtsnyena
trir anvīkṣya manīṣayā
tad adhyavasyat kūṭa-stho
ratir ātman yato bhavet

The great personality Brahmā, with great attention and concentration of the mind, studied the Vedas three times, and after scrutinizingly examining them, he ascertained that attraction for the Supreme Personality of Godhead Śrī Kṛṣṇa is the highest perfection of religion.

- Śrīmad-Bhāgavatam 2.2.34

Srila Prabhupada's Teachings

26 Aug, 10:27


https://youtu.be/oq1aehbU2rU?si=M_LLm0E78rzMA9v8

One has to understand that why the unborn takes birth. ~Srila Prabhupada #janmashtami

Srila Prabhupada's Teachings

26 Aug, 10:27


https://www.youtube.com/live/8DiRBpafENc?si=idfeuE3KrQPmdzQO

Srila Prabhupada's Teachings

09 Jul, 18:49


अहं हरे तव पादैकमूल दासानुदासो भवितास्मि भूय:
मन: स्मरेतासुपतेर्गुणांस्ते गृणीत वाक् कर्म करोतु काय:

O Śrī Hari, please be gracious on me so that in my next life I again receive the opportunity to serve the servants who take exclusive shelter of Your lotus feet. O Master of my life, may my mind always remember Your auspicious qualities; may my words always recite them; and may my body always engage in Your service.

- Śrīmad-Bhāgavatam 6.11.24

Srila Prabhupada's Teachings

06 Jul, 04:39


Today's Mangal Darshan of Shri Shri Radha Giridhari

Srila Prabhupada's Teachings

02 Jul, 13:34


🔔 कार्तिक 84 कोष वृंदावन यात्रा - नवंबर 2024 📢
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👉 *प्रस्थान:* 03/11/2024
👉 *वापसी:* 10/11/2024
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📌 *७० से ज्यादा स्थानों का भ्रम, जिसमे गोवर्धन, मथुरा, वृंदावन, नंदगांव, बरसाना, इत्यादि बहुत सारी जगह पर जाने का मौका।*
📌 *पूर्ण व्रज मंडल परिक्रमा हम कार/बस में करेंगे।*
📌 *इस व्रज मंडल परिक्रमा में छोटे से छोटे स्थानों को शामिल किया जाएगा।*
📌 *हर स्थान की कथा एवम महिमा बताई जाएगी, पूर्ण समय कीर्तन का आनंद प्रदान किया जाएगा।*

🏧 *लक्ष्मीसेवा:*
*नॉन ए.सी. ट्रेन 11999/- व्यक्ति*
*ए.सी. ट्रेन 12999/- व्यक्ति*
(ट्रेन टिकिट, गेस्ट हॉउस, प्रसाद, बस)
*ट्रेन बिना : 10999/- व्यक्ति*

🎯 *नाम देने के लिए अंतिम दिनांक: 4/07/2024*

📌 *Advance: 4000/- per person*
📌 *Google pay* 7600156255

👉 अपना नाम को रजिस्टर करने के लिए कृपा कर नीचे देय गूगल फॉर्म को बारे

गूगल फॉर्म लिंक :-https://docs.google.com/forms/d/e/1FAIpQLSeSjMxKcNBf2uFoh3m0kIekdnMAWkKFDweJiNqmhpnn4kWRyA/viewform
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👉और यात्रा संबंधी जानकारी के लिए हमे कॉल करे
+91 82005 03703
+91 81039 52919

Srila Prabhupada's Teachings

01 Jul, 02:07


Today's Mangal Darshan of Shri Shri Radha Giridhari

Srila Prabhupada's Teachings

29 Jun, 03:09


Today's Mangal Darshan of Shri Shri Radha Giridhari

Srila Prabhupada's Teachings

26 Jun, 02:04


Today's Mangal Darshan of Shri Shri Radha Shyam Sundar

Srila Prabhupada's Teachings

25 Jun, 05:14


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